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कुक्कुइए मोहरिए
संजुत्ताहिगरणे उवभोगपरिभोगाइरित्ते
सावज्जं जोगं पच्चक्खामि जाव नियमं पज्जुवासामि
मणदुप्पणिहाणे वयदुप्पणिहाणे कायदुप्पणिहाणे सामाइयस्स सइ-अकरणया सामाइयस्स अणवट्ठियस्स करणया
भंड-कुचेष्टा की हो मुखरी वचन बोला हो यानी वाचालता से असभ्य वचन बोलना। अधिकरण जोड़ रखा हो। उपभोग-परिभोग अधिक बढ़ाया हो।
-9सावध (पापकारी) योगों का प्रत्याख्यान करता हूँ। जब तक सामायिक के नियम का पालन करूँ तब तक। मन से अशुभ विचार किये हों। अशुभ वचन बोले हों। शरीर से अशुभ कार्य किये हों। सामायिक की स्मृति नहीं रखी हो। सामायिक को। अव्यवस्थित रूप से किया हो। -10मर्यादाओं का संक्षेप (कम) करना। एक दिन-रात पर्यन्त । मर्यादा किये हुए क्षेत्र से आगे की वस्तु को
आज्ञा देकर माँगना। परिमाण किये हुए क्षेत्र से आगे की वस्तु को मँगवाने के लिए या लेन-देन करने के लिए अपने नौकर आदि को भेजना या
देसावगासिक जाव अहोरत्तं आणवणप्पओगे
पेसवणप्पओगे
{75) श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र