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दव्वविहि
दुव
पण्णत्ते
तं जहा
भोयणाओ
य
कम्मओ य
भोयणाओ
समणोवासणं
पंच-अइयारा
सचित्ताहारे सचित पडिबद्धाहारे
-
पाँच अतिचार।
सचित्त वस्तु का भोजन करना।
सचित्त (वृक्षादि से) सम्बन्धित (लगे हुए
गोंद, पके फल आदि खाना) वस्तु भोगना ।
अप्पउली - ओसहि-भक्खणया अचित्त नहीं बनी हुई वस्तु का आहार करना
या जिसमें जीव के प्रदेशों का सम्बन्ध हो ऐसी तत्काल पीसी हुई या मर्दन की हुई वस्तु का भोजन करना ।
द्रव्य की विधि (मर्यादा ) |
दो प्रकार ।
कहा गया है।
कम्मओ य णं समणोवासएणं
पण्णरस-कम्मादाणाई
वह इस प्रकार है ।
भोजन की अपेक्षा से ।
और
कर्म की अपेक्षा से ।
भोजन सम्बन्धी नियम के |
श्रमणोपासक (श्रावक) के।
दुप्पउली-ओसहि-भक्खणया दुष्पक्व वस्तु का भोजन करना । तुच्छोसहि-भक्खणया
जाणिव्वाई
न समायरियब्वाई
तुच्छ औषधि (जिसमें सार भाग कम हो
उस वस्तु का भक्षण करना । कर्मादान की अपेक्षा ।
श्रावक के जो ।
15 कर्मादान हैं वे
जानने योग्य हैं।
परन्तु आचरण करने योग्य नहीं हैं।
{72} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र