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वंदामि रिट्ठनेमिं
पासं तह वद्धमाणं च
एवं मए
अभिथुआ
विहू - यमला
पहीण-जरमरणा
चउवीसंपि
जिणवरा
तित्थयरा मे पसीयंतु
कित्तिय वंदिय महिया
जे ए लोगस्स उत्तमासिद्धा आरुग्ग-बोहिलाभ
समाहिवरमुत्तमं दंतु चंदेसु निम्मलयरा
आइच्चेसु अहियं पयासयरा सागरवर गंभीरा
सिद्धा सिद्धि मम
दिसंतु
अरिष्टनेमिजी को बन्दना करता हूँ।
पार्श्वनाथजी और वर्धमान महावीर स्वामी
को (वन्दना करता हूँ)।
इस प्रकार, मेरे द्वारा । स्तुति किये गये ।
कर्म रूपी रज मैल से रहित।
करेमि भंते ! सामाइयं
सावज्जं जोगं
पच्चक्खामि
बुढ़ापा और मृत्यु से रहित । चौबीसों ही।
जिनवर |
तीर्थंकर देव मुझ पर प्रसन्न होवें ।
वचन योग से कीर्तित, मनोयोग से पूजित, काय योग से वंदित ।
जो ये लोक के अन्दर उत्तम सिद्ध हैं। वे मुझे आरोग्यता व बोधि लाभ
एवं श्रेष्ठ उत्तम समाधि देवें।
जो चन्द्रमाओं से भी अधिक निर्मल हैं। सूर्यों से अधिक प्रकाश करने वाले । श्रेष्ठ महासागर के समान गम्भीर ।
सिद्ध भगवान् मुझे सिद्ध गति प्रदान करें ।
सामायिक प्रतिज्ञा सूत्र (करेमि भंते )
हे भगवन् ! मैं सामायिक ग्रहण करता हूँ । सावद्य (पापकारी) योग (व्यापारों) का । त्याग करता हूँ ।
{52} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र