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केवलि-पण्णत्तो धम्मो लोगुत्तमो चत्तारि सरणं पवज्जामि अरिहंते सरणं पवज्जामि सिद्धे सरणं पवज्जामि साहू सरणं पवज्जामि केवलि-पण्णत्तं धम्म सरणं पवज्जामि
केवली प्ररूपित धर्म लोक में उत्तम है। चार शरणों को ग्रहण करता हूँ। अरिहंत भगवान की शरण ग्रहण करता हूँ। सिद्ध भगवान की शरण ग्रहण करता हूँ। साधुओं की शरण ग्रहण करता हूँ। केवली प्ररूपित दया धर्म की। शरण ग्रहण करता हूँ।
मर्म
बारह स्थूल प्राणातिपात
प्राणों से रहित करना (मारना)। गाढ़ा
मजबूत (दृढ़-कठोर)। गाढ़ा घाव
गहरा घाव हो वैसा मारा हो। अवयव
चाम आदि अंग-उपांग। कूड़ा आल
व्यर्थ का गलत व झूठा दोषारोपण।
चुभे जैसे अन्तर की गुप्त सत्य बात । अधिकरण
हिंसा के साधन यानी हिंसाकारी शस्त्र । बारह व्रत अतिचारसहित
-1पहला अणुव्रत
पहला अणुव्रत (अणु यानी महाव्रत की अपेक्षा छोटा व्रत)।
स्थूल (बड़ी)। पाणाइवायाओ
प्राणातिपात (जीव हिंसा) से। वेरमणं
विरक्त (निवृत्त) होता हूँ। (जैसे वे) त्रसजीव
चलते फिरते प्राणी हैं। (चाहे वे) {66} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र
थूलाओ