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प्रतिक्रमण की विधि
3.
सर्वप्रथम तिक्खुत्तो के पाठ से वन्दना करें। चउवीसत्थव की आज्ञा-नवकार मंत्र, इच्छाकारेणं, तस्सउत्तरी, एक लोगस्स के पाठ का काउस्सग्ग करें, कायोत्सर्ग शुद्धि का पाठ, एक लोगस्स प्रकट, दो बार
नमोत्थुणं, तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वन्दना। 2. प्रतिक्रमण ठाने (करने) की आज्ञा-इच्छामि णं भंते,
नवकार मन्त्र, तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वन्दना। प्रथम आवश्यक की आज्ञा-करेमि भंते, इच्छामि ठामि, तस्स उत्तरी, 99 अतिचारों का काउस्सग्ग, (काउस्सग्ग में आगमे तिविहे, अरिहंतो महदेवो, बारह स्थूल, छोटी संलेखना, 99 अतिचारों के समुच्चय का पाठ, अठारह पापस्थान, इच्छामि ठामि का चिन्तन करें) कायोत्सर्ग शुद्धि का पाठ,
तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वन्दना। 4. दूसरे आवश्यक की आज्ञा-लोगस्स का पाठ, तिक्खुत्तो
के पाठ से तीन बार वन्दना। तीसरे आवश्यक की आज्ञा-इच्छामि खमासमणो के पाठ से विधिसहित दो बार वन्दना, तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार
वन्दना। 6. चौथे आवश्यक की आज्ञा(अ) आगमे तिविहे, अरिहंतो महदेवो, बारह स्थूल, छोटी
144) श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र