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फिर तस्स उत्तरी का पाठ झाणेणं तक उच्चारण कर '99 अतिचारों का काउस्सग्ग' ऐसा बोलकर 'अप्पाणं वोसिरामि' बोलने के साथ विधि सहित काउस्सग्ग' करें । काउस्सग्ग में निम्नलिखित 99 अतिचारों का, समुच्चय पाठ, अठारह पाप स्थान और इच्छामि ठामि का चिन्तन करें। किन्तु 'इच्छामि ठामि काउस्सग्गं' के स्थान पर “इच्छामि आलोउं" कहें। उक्त अतिचारों का चिन्तन करने के पश्चात् 'नमो अरिहंताणं' ऐसा बोल कर काउस्सग्ग पालें तथा कायोत्सर्ग शुद्धि का पाठ प्रकट में बोलें।
3. आगमे तिविहे का पाठ आगमे तिविहे पण्णत्ते तं जहा-सुत्तागमे, अत्थागमे, तदुभयागमे, इस तरह तीन प्रकार के आगम रूप ज्ञान के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोउं-जं वाइद्धं, वच्चामेलियं, हीणक्खरं, अच्चक्खरं, पयहीणं, विणयहीणं, जोगहीणं, घोसहीणं, सुढदिण्णं, दुट्ठ-पडिच्छियं, अकाले कओ सज्झाओ, काले न कओ सज्झाओ, असज्झाइए सज्झायं, सज्झाइए न सज्झायं, भणता, गुणता, विचारता ज्ञान और ज्ञानवंत पुरुषों की अविनय आशातना की हो तो (इन अतिचारों में से मुझे कोई दिवस सम्बन्धी अतिचार लगा हो तो) तस्स मिच्छा मि दुक्कडं।
4.दर्शन सम्यक्त्व का पाठ अरिहंतो महदेवो, जावज्जीवं सुसाहुणो गुरुणो। जिण-पण्णत्तं तत्तं, इअ सम्मत्तं मए गहियं ।।1।।
1. काउस्सग्ग में इन सब पाठों में 'मिच्छा मि दुक्कडं' के स्थान पर 'आलोउं' कहें।
{11} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र