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'भे' अक्षर कहना चाहिए। यह प्रथम आवर्तन है । इसी पद्धति से ‘ज ं‘'व'‘'णि' और 'ज्जं च भे' ये शेष दो आवर्तन भी करने चाहिए। प्रथम खमासमणो के पाठ में उपर्युक्त छह तथा इसी प्रकार दूसरे खमासमणो के पाठ में भी छह, कुल बारह आवर्तन होते हैं।
फिर 'वइक्कमं' तक बैठे-बैठे बोलें। 'आवस्सियाए पडिक्कमामि' बोलने के साथ खड़े होवें तथा शेष सम्पूर्ण पाठ खड़ेखड़े बोलें। इसी प्रकार दूसरी बार भी 'खमासमणो' देवें किन्तु इसमें ‘आवस्सियाए पडिक्कमामि' नहीं बोलें व 'वइक्कम' शब्द बोलने के बाद खड़े न होवें, सम्पूर्ण पाठ बैठे-बैठे ही बोलें ।)
फिर तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वन्दना करें। पहला सामायिक, दूसरा चउवीसत्थव, तीसरी वन्दना ये तीन आवश्यक समाप्त हुए । चौथा आवश्यक
चौथे आवश्यक की आज्ञा है कहकर, खड़े-खड़े या बायाँ घुटना खड़ा करके प्रकट में निम्नलिखित पाठ बोलें-आगमे तिविहे, अरिहंतो महदेवो, 12 स्थूल, छोटी संलेखना, 99 अतिचारों का पाठ, अठारह पापस्थान, इच्छामि ठामि । इसके बाद निम्न पाठ बोलें।
21. तस्स सव्वस्स का पाठ
तस्स सव्वस्स देवसियस्स', अइयारस्स, दुब्भासियदुच्चिन्तिय-दुच्चिट्ठियस्स आलोयंतो पडिक्कमामि ।
फिर तिक्खुत्तो के पाठ से तीन बार वन्दना करें ।
1.
प्रातः काल में राइयस्स, पक्खी के दिन पक्खियस्स, चौमासी के दिन चाउमासियस्स और संवत्सरी के दिन संवच्छरियस्स शब्द बोलें ।
{20} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र