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मुझे कोई दिवस सम्बन्धी अतिचार लगा हो तो तस्स मिच्छा मि दुक्कडं ।
10. दसवें देशावकाशिक व्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोउं-1. नियमित सीमा के बाहर की वस्तु मँगवाई हो, 2. भिजवाई हो, 3. शब्द करके चेताया हो, 4. रूप दिखा करके अपने भाव प्रकट किये हों, 5. कंकर आदि फेंककर दूसरे को बुलाया हो, इन अतिचारों में से मुझे कोई दिवस सम्बन्धी अतिचार लगा हो तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
11. ग्यारहवें प्रतिपूर्ण पौषध व्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोउं - 1. पौषध में शय्या संथारा न देखा हो या अच्छी तरह से न देखा हो, 2. प्रमार्जन न किया हो या अच्छी तरह से न किया हो, 3. उच्चार पासवण की भूमि को न देखी हो या अच्छी तरह से न देखी हो, 4. पूँजी न हो या अच्छी तरह से न पूँजी हो, 5. उपवास युक्त पौषध का सम्यक् प्रकार से पालन न किया हो, इन अतिचारों में से मुझे कोई दिवस सम्बन्धी अतिचार लगा हो तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
12. बारहवें अतिथि संविभाग व्रत के विषय में जो कोई अतिचार लगा हो तो आलोउं-1. अचित्त वस्तु सचित्त पर रखी हो, 2. अचित्त वस्तु सचित्त से ढाँकी हो, 3. साधुओं को भिक्षा देने के समय को टाल कर भावना भायी हो, 4. आप सूझता होते हुए भी दूसरों से दान दिलाया हो, 5. मत्सर (ईर्ष्या) भाव से दान दिया हो, इन अतिचारों में से मुझे कोई दिवस सम्बन्ध अतिचार लगा हो तो तस्स मिच्छामि दुक्कडं ।
{16} श्रावक सामायिक प्रतिक्रमण सूत्र