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[ আৰহ্মঘম-সন্ধাহা
[३] मोक्षका बीज सम्यक्त्व
संसारका बीज मिथ्यात्व ।
(सम्यग्दर्शन हेतु परम प्रयत्नका उपदेश)
ဇေ * 8 मोक्षका बीज सम्यग्दर्शन है और भवका बीज मिथ्याॐ दर्शन है; अतः जो मोक्षका अभिलाषी हो ऐसा मुमुक्षु जीव मोक्ष- G
के बीजभूत सम्यग्दर्शनको अत्यंत प्रयत्नपूर्वक प्राप्त करे। अनंत
कालसे इस भवभ्रमणमें भटकते हुए कोई विरला माणी स्व. 0 प्रयत्न द्वारा उस सम्यग्दर्शनको प्राप्त करता है। उसकी प्राप्ति- 0 8 के परम प्रयत्न हेतु ज्ञानीका उपदेश है। HSSSSSSsss
Ssssssssso बीनं मोक्षतरोदृशं भवतरोमिथ्यात्वमाहुर्जिनाः माप्तायां दृशि तन्मुमुक्षुभिरलं यत्नो विधेयो बुधैः । संसारे बहुयोनिजालनटिले भ्राम्यन् कुकर्मावृतः ।
क्व पाणी लभते महन्यपि गते काले हि तां तामिह ॥ ३ ॥ मोक्षरूपो वृक्षका बीज सम्यग्दर्शन है, और संसाररूपी वृक्षका बोज मिथ्यात्व :-ऐसा भगवान जिनेन्द्र देवने कहा है। इसलिये मुमुक्षुको सम्यग्दर्शनकी प्राप्ति हेतु अत्यन्त प्रयत्न कर्तव्य है। अरे! संसारमें अनंत भवमें सम्यग्दर्शन बिना जीव कुकर्मोसे भटक रहा है, दीर्घकाल व्यतीत होने पर भी प्राणी सम्यग्दर्शनको क्या पा सका है ?-सम्यग्दर्शनको प्राप्ति महा दुर्लभ है अतः हे जीव ! तू सम्यग्दर्शनकी माप्तिके लिये परम उद्यम कर, और उसको पाकर अन्यन्त यत्नसे उसकी रक्षा कर।