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[ आवकच प्रकाश
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धावक भक्तिपूर्वक जिनशासनकी प्रभावना करते हैं, जिन-मन्दिर बन्धवाते हैं, वीतराग जिनबिम्बकी स्थापना करते हैं और इसके कारण उन्हें अतिशय पुण्य बँधता है ! चाहे छोटी से छोटी वीतराग प्रतिमा हो परन्तु उसकी स्थापनामें त्रैकालिक वीतरागमार्गका आदर है ! इस मार्गके आइरसे ऊँचा पुण्य बँधता है । - इसप्रकार जिनदेवके भक्त धर्मी- श्रावक अत्यन्त बहुमानसे जिन - मन्दिर तथा जिन-बिम्बको स्थापना कराते हैं वह बात कही तथा उसका उत्तम फल बताया ।
जहाँ जिन-मन्दिर होता है वहाँ सदैव धर्मके नये-नये मंगल-उत्सव होते रहते हैं, वह बात अब अगली गाथामें कहेंगे ।