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(भावकधर्म-प्रकाश
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कुन्दकुन्द स्वामीका जीव पूर्वके ग्वालेके भवमें ज्ञानके अचिंत्य बहुमानपूर्वक शास्त्रदान करता है। दूसरे भवमें उन्हें सीमंधरनाथकी साक्षात् दिव्यवाणी सुननेका महाभाग्य मिलता है और वे श्रुतकी महान प्रभावना करते हैं।