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पांचवां बोल-७
ठगता है।
आलोचना किस प्रकार की होनी चाहिए? इस सबध मे एक प्राचीन ग्रन्थ मे कहा है
जयंतो कज्जमकज्जं च उज्जुयं भणइ तं-तह आलोएज्जा मायामया विप्पमुक्को।'
तुम नादान नासमझ को बालक कहते हो, हम सरल हृदय वाले को बालक कहते है। जिसे कपट का चेप नहीं लगा है, वह बालक अपने माता-पिता के समक्ष प्रत्येक बात निष्कपट भाव से स्पष्ट कह देता है । बालक मे किसी प्रकार का कपट नही होता और इस कारण वास्तविक वात प्रकट कर देने मे उसे किसी प्रकार का सकोच नही होता । सुना जाता है कि बालक की निष्कपट बातो द्वारा कितने ही अपराधो का पता चल सका है । खाचरोद (मालवा) की एक सत्य घटना इस प्रकार सुनी जाती है - खाचरौद मे एक ओसवाल की कन्या को किसी माहेश्वरी भाई ने मार डाली थी । उस माहेश्वरी का ओसवाल के साथ घर जैसा सम्बन्ध था, लेकिन गहनो के गहन प्रलोभन मे पडकर उसने कन्या के प्राण ले लिये । कन्या को मार कर उसने गहने उतार लिये और धान्य के भौयरे मे शव छिपा दिया । लड़की के माँ-बाप जब लडकी की खोज करने लगे तो वह माहेश्वरी भी आँसू बहाता हुआ खोज मे शामिल हो गया । घर जैसा सम्बन्ध होने के कारण तथा उसकी चालाकी के कारण किसी को उस पर सन्देह नही हुआ ।
लडकी की खोज करने के लिए पुलिस ने भी बहुत माथापच्ची की, मगर फल कुछ भी नहीं निकला । अन्त में