Book Title: Samveg Rangshala
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh

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Page 203
________________ अह अण्णया जिणिदो, पुट्ठो कंसाऽरिणा भयवमेसि । साहूणं मझे को, दुक्करकारि त्ति वागरसु तो भणियं जयगुरुणा, नणु दुक्करकारया इमे सव्वे। नवरं दुक्करकारी, एत्तो वि हु ढंढणकुमारो बहुकालो वोलीणो, जम्हा एयस्स धीरहिययस्स । दुसहमऽलाभपरीसह-मऽसमं सम्मं सहंतस्रः धण्णो कयपुण्णो सो, जं कित्तइ इय सयं जएक्कपहू। एवं परिभावंतो, जहाऽऽगयं पट्ठिओ कण्हो पविसंतेण पुरीए, तेण य दिट्ठो कहिं पि दिव्ववसा । भिक्खं भममाणो उच्च-नीयगेहेसु स महप्पा तो दूराओ च्चिय करिवराओ, ओयरिय परमभत्तीए। धरपीढलुलंतसिरेण, वंदिओ सो सिरिहरेण तं महुमहेण वंदिज्ज-माणमऽवलोइऊण इब्भेण । गेहट्ठिएण एक्केण, चिंतियं विम्हियमणेण धण्णो एस महप्पा, जो एवं माहवेण भत्तीए । वंदिज्जइ सविसेसं, देवाण वि वंदणिज्जेण अह वंदिउं नियत्ते, हरिम्मि भिक्खं कमेण भममाणो । इब्भस्स तस्स भवणे, संपत्तो ढंढणकुमारो तो तेण सिंहकेसर-मोयगथालेण गरुयभत्तीए । पडिलाभिओ महप्पा, गओ य सव्वण्णुपामूले नमिऊण भणइ भगवं!, किमंऽतरायं ममेण्हि खीणं ति । जयगुरुणा वागरियं, विज्जइ अज्ज वि य तस्सेसं एसा उ कण्हलद्धी, परमत्थेणं जओ नमंतं तं । तुह पेच्छिऊण इन्भेण, वियरिया मोयगा एए एवं जिणेण भणिए, स महप्पा ते परस्स लद्धि त्ति । गंतूण थंडिलम्मि, सम्म परिठविउमाऽऽरद्धो परिठवमाणस्स य कम्म-कडुयविवागं विचिंतयंतस्स। सुद्धज्झाणवसेणं, उप्पण्णं केवलं नाणं तो केवलिपज्जायं, पालित्ता बोहिउंच भव्वजणं । जस्सऽट्ठा पव्वइओ, तं मोक्खपयं समणुपत्तो एवं कम्माऽऽयत्तं, लाभाऽलाभं विभाविउं धीर!। मा लाभवं पि काहिसि, तम्मयमऽच्चंतपडिसिद्धं इय लाभमयट्ठाणं, सत्तममुवइट्ठमऽट्ठमं इण्डिं । इस्सरियमयनिवारण-परमं अक्खामि संखेवा गणिमं धरिमं मेज्जं, पारिच्छेज्जं धणं पभूयं मे । कोट्ठागारा खेत्तं, वत्थु च अणेगहा मज्झ रुप्पसुवण्णाण चया, आणासंपाडगा विविहभिच्चा। दासीदासजणा विय, रहा य तुरगा करिवरा य गोमहिसिकरहपभिइय-विचित्तभेया पभूयभंडारा । गामनगराऽऽगराऽऽई, अणुरत्तकलत्तपुत्ताऽऽई एवं पसत्थसव्वत्थ-वित्थराऽवत्थमीसरत्तं मे । मण्णेऽहमेव ता इह, सक्खा जक्खो स वेसमणो इय इस्सरियं पि पडुच्च, न हुमओ सव्वहा वि कायव्वो। संसारुत्थपयत्था, सव्वे वि विणस्सरा जम्हा रायऽग्गिचोरदाइय-परिकुवियसुराऽऽइकारणगणम्मि। सइ सण्णिहिए विहव-क्खयस्सन हु तम्मओ जुत्तो किंचन कुणंति दक्खिणुत्तर-महुरावणियाण सोउमऽक्खाणं । समयपसिद्धं धण्णा, इस्सरियत्ते मयलवं पि तहाहिसुपसत्थतित्थजयपहु-सुपासमणिथूभसोभिया नयरी । नामेण अस्थि महुरा, मणोहरा चमरचंच व्व तुलिएलविलमहाधण-संभारो तीए लोयविक्खाओ। इब्भो परमविलासी, अहेसि नामेण धणसारो सो अण्णया तहाविह-कज्जवसा भूरिपुरिसपरियरिओ। दाहिणमहुराए गओ, तहिं च समविभवकलिएण धणमित्तेणं वणिएण, विहियपाहुण्णयाऽऽइकिच्चस्स । अच्चंतपणयसारा, जाया निक्कित्तिमा मेत्ती अण्णम्मि वासरम्मि, पसण्णचित्ताण सुहनिसण्णाण । उल्लावो संवुत्तो, तेसि अण्णोण्णमियरूवो पुहवीए भमंताणं, केसिं समं नेव होंति उल्लावा । के वा पणयपहाणं, न मित्तभावं पवजंति संबंधमंऽतरेणं, किं तु सरंतेसु भूरिदिवसेसु। सो पल्हत्थइ वेलुय-निम्माओ पालिबंधो व्व संबंधो य दुरूवो, मूलभवो होइ उत्तरभवो य। पिइमाइभाइविसओ, मूलो सो इण्हि नेवऽस्थि उत्तरसंबन्धो पुण, वीवाहित्तेण संभवइ सो य। जइ णो धूया जायइ, सुओ व काउं तओ जुत्तो एवं च जावजीवं, विहडइ मेत्ती न वज्जजडिय व्व। पडिवण्णमिमं दोहि वि, जुत्तं ति विमुक्ककुवियप्पं अह धणमित्तस्स सुओ, जाओ धणसारसेट्ठिणो धूया। अण्णोण्णं ताण कयं, बालाण वि तेहिं दिज्जं ति नियनगरीए य गओ, धणसारो साहिऊण नियकज्ज । इयरो य संपउत्तो, वट्टिउमऽभिरुइयकिच्चेसु ॥६९२२॥ ॥६९२३॥ ।। ६९२४॥ ॥६९२५॥ ॥६९२६॥ ॥६९२७॥ ॥६९२८॥ ॥६९२९॥ ॥ ६९३०॥ ॥ ६९३१॥ ॥६९३२॥ ॥६९३३॥ ॥६९३४॥ ॥६९३५ ॥ ॥६९३६॥ ॥६९३७॥ ॥६९३८॥ ।। ६९३९ ॥ ॥६९४०॥ ॥६९४१ ॥ ॥ ६९४२॥ ॥ ६९४३ ॥ ॥६९४४ ।। ॥ ६९४५॥ ॥६९४६॥ ॥६९४७॥ ॥६९४८॥ ॥६९४९॥ ॥६९५०॥ ॥ ६९५१॥ ॥६९५२॥ ॥६९५३ ॥ ॥ ६९५४॥ ॥६९५५॥ ॥६९५६ ॥ ॥६९५७॥ ૧૯૬

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