Book Title: Samveg Rangshala
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh
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॥ ८४२३ ॥ ॥८४२४ ॥ ।। ८४२५ ॥ ॥ ८४२६ ॥ ॥८४२७॥
कंडरतिड्पयंगा, दंसा मसगा य मच्छिया भमरा । विच्चुयपमुहा उ विरा-हिया उचउरिदिया जे य एत्थ भवे अण्णत्थ व, सयं परेहिं च ते वि खामेसु । तिविहं तिविहेणं पि हु, स एस तुह खामणाकालो अहिनउलसरडगोहा, कुड्डगिरोलगतदंडगाऽऽईया । मूसगकागसियाला, सुणगा मज्जारपमुहा य हासेण पओसेण व, अत्थाओ अणत्थओ य कीलणओ। आभोगअणाभोगा, वहिया पंचेंदिया जे य एत्थ भवे अण्णत्थ व, सयं परेहिं च ते वि खामेसु । तिविहं तिविहेणं पिहु, स एस तुह खामणाकालो अहवामंडुक्कमच्छकच्छभ-मगराऽऽईया य जलचरा जे य । थलचारिणो य हरिहरिण-रोझसूयरससाऽऽईया खचरा य हंससारस-पारावयकुंचतित्तिराऽऽईया । संकप्पाऽऽरंभेहि, विराहिया विविहजीवा जे जे वा संघट्टियअभिहया य, परिताविया य तासियया। ठाणाउ ठाणंतर-मऽहवा संकामिया जे य जे वा किलामिया दूमिया य, संघाइया य अण्णोण्णं । इय विविहदुहे ठविया, पाणे छड्डाविया जाव एत्थ भवे अण्णत्थ व, सयं परेहिं व ते वि खामेसु । तिविहं तिविहेणं पि य, स एस तुह खामणाकालो जे वि मणुयत्तणे च्चिय, वट्टतेण मणुया तए कहवि । रायाऽवत्थाऽऽइगएण, पीडिया ते वि खामेसु जे तत्थ दुट्ठचित्तेण, चिंतिया जे य दुट्ठवायाए । भणिया तह जे तणुणा, पलोइया दुट्ठदिट्ठीए नायं पि हु अण्णायं, नायमऽनायं पि ठावमाणेण । कलुसत्तणओ दिव्वे, दहाविया सोहिया जे य सच्चमऽलियं व दोसं, आरोवित्ता गहाविया जे य । खोडगअट्ठिल्लासुं, गोत्तिसु व खिवाविया जे य बंधाविया य निगडाविया य, ताडाविया व तह जे य । कुट्टाविया य सेहा-विया य-विविहप्पयारेहि दंडाविया य मुंडाविया य, छिंदावियाई तह जाण । जाणुकरचणनासोट्ठ-कण्णपमुहंऽगुवंगाई गहिऊण य सत्थाई, तच्छिय उक्कत्तिऊण वा देहं । पच्छा वि य सव्वंगं, खारेहि दहाविया जे य पीलाविया य जंतेहिं, जे य पउलाविया य अग्गीए । निहणाविया य गत्तासु, जे उ उल्लंबिया रुक्खे गालियवसणा उक्खणिय-चक्खुणो जे विलुत्तदसणा य । विहिया तह तिक्खाए, सूलाए रोविया जे य आहेडगेसु अहवा, रणंऽगणेसुं च तिरियमणुया जे। छिण्णा भिण्णा य विलुं-पिया य धुम्माविया जे य पहरंतअपहरंता, जे वि य मुक्काऽऽउहा पलायंता । अइतिव्वरागदोसा, ववगयजीवा कया जे य एत्थ भवे अण्णत्थ व, सयं परेहिं च ते वि खामेसु । तिविहं तिविहेणं पि हु, स एस तुह खामणाकालो पुरिसत्ते इत्थित्ते, जं परदाराऽऽइगोयरमऽणज्जं । रागंऽधेणं पावं, समज्जियं तं पि निंदाहि जं च कयाइ कत्थई, एत्थ भमंतेण भवकडिल्लम्मि। विहवाऽऽइपंसुलित्ते, पावसमुब्भुयगब्भाणं तिण्हुण्हदव्वभक्खण-कट्ठतुवरसुतिक्खखारपाणेहिं । तह पोट्टमलणखीलग-पक्खेवाऽऽइपओगेहि अवराणमऽप्पणो वा, पगिट्ठरागाऽऽइगाढमूढेण । गालणसाडणपाडण-विणासणाऽऽइ कयं पावं पच्चागयसंवेगो, तिविहं तिविहेण सव्वहा सव्वं । गरिहाहि खवग! वंछिय-निविग्घाऽऽराहणकएण जं च जुवइत्तणम्मि, सवक्किवेहाऽऽइणा कयं पावं । तग्गब्भथंभणाऽऽइय-मऽहवा पइघायणाऽऽईयं जंच वसियरणकारण-कयकम्मणविहडणाऽऽइ णो विहियं । विहियं जीवंतमय-त्तणं तुमं तं पि निंदाहि जंपि किर पंसुलित्ते, विहियं जीवंतडिंभछड्डणयं । वेसत्ते पुण परबा-लियाण हरणं अदत्ताणं जं च मणुयत्तणे च्चिय, रागद्दोसाऽभिभूयचित्तेणं । सुपउत्तमंततंत-प्पओगओ निबिडपीडकरं थंभणथोभुच्चाडण-विदेसीकरणवसियरणमाऽऽई। जेसि कहंपि विहियं, जीवाणं मोहमूढेणं एत्थ भवे अण्णत्थ व, सयं परेहिं च ते वि खामेसु । तिविहं तिविहेणं पिह, स एस तह खामणाकालो तह जे भूयाऽऽईया, सुरा वि मंताऽऽदिसत्तिजोगेण । कत्थइ कयाइ कहवि हु, आगरिसित्ता बला चेव कारावणेण आणाऽऽई, पीडिया अहव पत्तमोइण्णा । जे के विकीलिया ता-डिया व मोयाविया पत्तं
॥८४२८॥ ॥८४२९ ॥ ॥ ८४३०॥ ॥८४३१॥ ॥ ८४३२॥ ॥ ८४३३॥ ॥८४३४॥ ॥८४३५॥ ॥८४३६ ॥ ॥८४३७॥ ॥ ८४३८॥ ॥८४३९ ॥ ॥ ८४४०॥ ॥८४४१॥ ॥ ८४४२॥ ॥ ८४४३॥ ॥८४४४॥ ॥ ८४४५॥ ॥८४४६ ॥ ॥८४४७॥ ॥ ८४४८॥ ॥ ८४४९॥ ॥८४५०॥ ॥ ८४५१॥ ॥ ८४५२॥ ॥८४५३॥ ॥८४५४॥ ॥ ८४५५॥ ॥८४५६॥ ॥ ८४५७॥
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