Book Title: Samveg Rangshala
Author(s): Vinayrakshitvijay
Publisher: Shastra Sandesh
View full book text
________________
ता एह महातरुणो, इमस्स अमओवमाणि एयाणि । खामो खणं फलाई, एवं होउ त्ति किन्तु कहं अह तत्थेक्को जंपइ, आरुहमाणाण जीवसंदेहो । तो छिदिऊण मूले, पाडेउं ताहे भक्खामो बीओ बेइ किमिमिणा, तरुणा सव्वंगिएण छिण्णेण। छिंदह महल्लसाहं, एकं तइओ पुण पसाहं गोच्छे बेइ चउत्थो, पंचमओ भणइ भुंजह फलाइं । छट्ठो भणइ सयं चिय, पडिए भूमीए भक्खामो दिटुंतस्सोवणओ, जो भणइ तत्थ छिदिमो मूला । सो वट्टइ कण्हाए, साहाछिंदावगो य नरो । नीलाए लेसाए, पसाहछिंदावगो कवोयाए । गोच्छच्छेदुवएसी, वट्टइ पुण तेउलेसाए तग्गयफलगाही पुण, पम्हाए वट्टइ य सुक्काए । सयमेव धरणिणिवडिय-फलगहणुवएसदाणपरो अह वा गामविलुपग-छच्चोरा ताण जंपए एगो । दुपयं चउप्पयं वा, जं पासह हणह तं सव्वं बीओ य माणुसाइं, पुरिसे च्चिय तइयओ हणावेइ । सत्थकरे उ चउत्थो, पंचमगो पहरमाणे उ छट्ठो भणेइ तुम्हे, एक्कं ता हरह निद्दया दविणं । अण्णं मारेह जणं, अहह ! महापावमेयं ति ता मा करेह एवं, दविणं चिय लेह जं चए पत्ते । तुम्ह पुण हवइ एयं, उवसंहारो इमो तेसिं .... वट्टइ सो कण्हाए, जो जंपइ हणह सव्वगामं ति । एवं कमेण सेसा, जा चरिमो सुक्कलेसाए किण्हा नीला काऊ, लेसाओ तिण्णि अप्पसत्थाओ। चयसु सुविसुद्धकरणो, संवेगमऽणुत्तरं पत्तो तेऊ पम्हा सुक्का, लेसाओ तिण्णि सुप्पसत्थाओ। उवसंपज्जसु कमसो, संवेगमऽणुत्तरं पत्तो परिणामविसुद्धीए, लेसासुद्धी उ होइ जीवस्स । परिणामविसुद्धी पुण, मंदकसायस्स नायव्वा मंदा होंति कसाया, बाहिरदव्वेसु संगरहियस्स । पावइ लेसासुद्धि, तम्हा देहाऽऽइसु असंगो जह तंदुलस्स कुंडय-सोही सतुसस्स तीरइ न काउं। तह जीवस्स न सक्का, लेसासोही ससंगस्स उक्कोसाऽऽइठाणेसु, सुद्धलेसाण वट्टमाणो सो। कालं करेज्ज जइ ता, तारिसमाऽऽराहणं लहइ ता लेसासुद्धीए, जत्तो नियमेण होइ कायव्वो। जल्लेसो मरइ जिओ, तल्लेसेसुं तु उववज्जे लेसाऽईयं तु गतो, परिणामं नाणदंसणसमग्गो। अक्खयसोक्खसमिद्धि, पावइ सिद्धिं धुयकिलेसो इय समयसिंधुवेलोवमाए, संवेगरंगसालाए। चउमूलद्दाराए, सोग्गइगमपउणपयवीए आराहणाए पडिदार-नवगमइए समाहिलाभम्मि। भणियं चउत्थदारे, लेसा सत्तमपडिदारं लेसाविसुद्धिमाऽऽरोहिऊण, आराहणं खमगसाहू। जं पाउणइ तमेत्तो, फलदारेणं निदंसेमि आराहगो य तिविहो, उक्कोसो मज्झिमो जहण्णो य। लेसादारेण फुडं, वोच्छामि विसेसमेयस्स सुक्काए लेसाए, उक्कोसगमंऽसगं परिणमेत्ता । जो मरइ सो हु नियमा, उक्कोसाऽऽराहगो होइ जे सेसा सुक्काए, अंसा जे आवि पम्हलेसाए । ते पुण जो सो भणिओ, मज्झिमओ वीयरागेहि तेउलेस्साए जे, अंसा अह ते उ जो परिणमित्ता। मरइ तओ वि हु नेओ, जहण्णआराहगो एत्थ एसो पुण सम्मत्ताइ-संगओ चेव होइ विण्णेओ। न हु लेसामित्तेणं, तं जमऽभव्वाण वि सुराणं एवं च केई उक्कोस-गाए आराहणाए नीसेसे। खविऊणं कम्मसे, सिद्धि गच्छंति विहुयरया अह मज्झिममाऽऽराहण-माऽऽराहिय साऽवसेसकम्मंसा । सुविसुद्धसुक्कलेसा, भवंति लवसत्तमा देवा कप्पोवगा सुरा जं, अच्छरसहिया सुहं अणुभवंति । तत्तो अणंतगुणियं, सोक्खं लवसत्तमसुराणं . केइ वि मज्झिमलेसा, चरित्ततवनाणदंसणगुणा य । वेमाणियदेविंदा, भवंति सामाणियसुरा वि सुयभत्तीए समग्गा, उग्गतवा नियमजोगसंसुद्धा । लोगंतिया सुरवरा, हवंति आराहया धीरा जावइयाउ रिद्धीओ, होंति इंदियगयाणि य सुहाणि । फुडमाऽऽगमेसिभद्दा, लभंति आराहया ताई जे वि हु जहणियं तेओ-लेसियाऽऽराहणं पवज्जति। ते वि जहण्णेणं चिय, लभंति सोहम्मदेविड्ढिं भोए अणुत्तरे भुंजि-ऊण तत्तो चुया सुमाणुस्से । इड्ढिमऽउलं चइत्ता, चरंति जिणदेसियं धम्म
॥ ९६७३॥ ॥ ९६७४ ॥ ॥ ९६७५ ॥ ॥ ९६७६ ॥ ॥ ९६७७॥ ॥ ९६७८॥ ॥ ९६७९॥ ॥९६८०॥ ॥ ९६८१॥ ॥९६८२॥ ॥ ९६८३ ॥ ॥ ९६८४॥ ॥ ९६८५ ॥ ।। ९६८६॥ ॥ ९६८७॥ ॥ ९६८८॥ ॥ ९६८९ ॥ ॥ ९६९०॥ ॥ ९६९१॥ ॥ ९६९२ ॥ ॥ ९६९३ ॥ ॥ ९६९४॥ ॥ ९६९५॥ ॥ ९६९६ ॥ ॥ ९६९७॥ ॥ ९६९८॥ ॥ ९६९९ ॥ ॥९७००॥ ॥ ९७०१॥ ॥ ९७०२॥ ॥ ९७०३ ॥ ॥ ९७०४ ॥ ॥ ९७०५ ।। ॥९७०६ ॥ ॥ ९७०७॥ ॥ ९७०८॥
૨૦૪

Page Navigation
1 ... 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378