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वास्तविक समस्या - आर्थिक या मानसिक
मानसिक समस्याओं को नहीं देखा जाएगा तब तक आर्थिक समस्या का समाधान भी नहीं होगा ।
प्रेक्षाध्यान का प्रयोग आर्थिक समस्या के समाधान का भी प्रयोग है और इस अर्थ में है कि इच्छा और लोभ हमारी मौलिक मनोवृत्तियाँ हैं । हम इन वृत्तियों की प्रेक्षा करना सीखें। इन्हें देखें। जब तक इन वृत्तियों को नहीं देखा जाएगा तब तक इनकी वास्तविकता समझ में नहीं आएगी । वृत्तियों को देखना और समझना आवश्यक है । सिद्धान्तों को पढ़कर कभी सचाई को नहीं पकड़ा जा सकता । प्रयोग करना होगा ।
गरीबी बाहर दीखती है। फटे कपड़े देखकर जान लेते हैं कि यह आदमी गरीब है । पर उसी गरीब के मन में कितनी इच्छा है क्या आप उसे देख सकेंगे ? क्या गरीब के मन में इच्छा नहीं होती ? इच्छा तो है ही । प्रत्येक व्यक्ति के मन में इच्छा होती है । पर यह साक्षात् नहीं है। गरीब का पता चलता है उसके कपड़े से, रहन-सहन और जीवन की पद्धति से । अमीर का भी पता चलता है उसके कपड़े से, रहन-सहन से, मकान से और जीवन की पद्धति से । पर गरीब और अमीर के मन में जो इच्छा काम कर रही है, उसका पता नहीं चलता ।
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जब तक इच्छा की प्रेक्षा नहीं की जाती, उस वृत्ति की प्रेक्षा नहीं की जाती, तब तक आर्थिक समस्या का समाधान होना असम्भव है। पता नहीं, मनुष्य की क्या मनोवृत्ति है कि वह एक पक्षीय चिन्तन करता है। आज के अर्थशास्त्री, समाजवादी और राजनयिकों ने कहा- आर्थिक व्यवस्था में परिवर्तन जब तक नहीं होगा, तब तक गरीबी का समाधान नहीं होगा। धार्मिक नेताओं ने बलपूर्वक कहा कि जब तक धर्म का आचरण नहीं होगा, तब तक समाधान नहीं मिलेगा, आर्थिक समस्या भी नहीं सुलझेगी ।
दोनों भौतिकवादी और अध्यात्मवादी - एक-एक पक्ष पर ही ध्यान दे रहे हैं । अर्थशास्त्रियों और समाजशास्त्रियों ने सारा भार व्यवस्था के परिवर्तन पर डाल दिया और धार्मिकों ने सारा भार वृत्तियों के परिवर्तन पर डाल दिया। दोनों ऐकान्तिक बातें हैं । अनेकान्त दृष्टि से विचार करें तो वृत्तियों का परिवर्तन भी जरूरी है और व्यवस्था का परिवर्तन भी जरूरी है। दोनों आवश्यक हैं। पर आज आर्थिक पक्ष प्रधान हो गया और केवल बाहर ही देखा जा रहा है। हमें प्रेक्षा के माध्यम से लोभ वृत्ति, जो गहरे अन्तराल में बैठी है, तक पहुँचना है। जब हम उस वृत्ति को देखने लगेंगे तव वृत्ति का परिष्कार स्वयं घटित होने लगेगा ।
ध्यान आकाशीय उड़ान नहीं है । वह एक यथार्थ है, सचाई है । वहसमस्याओं का समाधान है। यदि सामाजिक समस्याओं से कटकर हम ध्यान की
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