________________
७२
समाज-व्यवस्था के सूत्र
सजावट में खर्च कर देना, फिर चाहे पड़ोसी को दो जून रोटी भी खाने को न मिले, वहाँ समाज-व्यवस्था लड़खड़ा जाती है और वहाँ निश्चित हिं.।। होती है, निश्चित प्रतिक्रिया होती है, क्रान्तियाँ होती हैं।
भगवान् महावीर ने सूत्र दिया-व्यक्तिगत भोग की सीमा करो। महावीर के जो श्रावक बने, चाहे आनन्द था, चाहे दूसरा था, तीसरा था सबके भोग की सीमा का व्रत था। आनन्द इतना बड़ा व्यवसायी, इतनी सम्पदा फिर भी नियम इतना कठोर कि एक तौलिए से ज्यादा अपने लिए दूसरा तौलिया काम में नहीं लूंगा। हर बात की सीमा। अपने भोग की सीमा। जहाँ कठोर नियन्त्रण होता है वहाँ समाज की व्यवस्था. अच्छी चलती है।
हिन्दुस्तान के इतिहास में सबसे पहला व्यक्ति था चन्द्रगुप्त, जिसने इतने बड़े साम्राज्य का विस्तार किया। किस आधार पर किया ? चाणक्य पूरे साम्राज्य का निर्माता और चन्द्रगुप्त के साम्राज्य का संचालक था। वह शक्तिशाली व्यक्ति था। वह कैसे रहता था, आपको पता है ? मुद्राराक्षस में एक चित्र खींचा है। वह एक झोपड़ी में रहता था। उसके कोई विशाल कोठी नहीं थी। झोंपड़ी में क्या था ? दो चार उपले, कुछ सुविधाएँ।
एक बार यूनान का राजदूत आया, वातचीत करने लगा, तब दीया जल रहा था। बात पूरी हो गई तो दीया बुझा दिया और अपना काम शुरू किया तो दूसरा दीया जला लिया। दूत ने पूछा-'महामान्य ! यह कैसे ? एक दीया बुझाया और दूसरा दीया जलाया। चाणक्य ने कहा-'इतनी देर में राज्य का काम कर रहा था। अतः राज्य के तेल से दीया जल रहा था, अब तो अपना काम कर रहा हूँ। अतः अपना दीया जला रहा हूँ।'
जहाँ व्यक्तिगत भोग का संयम नहीं होगा, भोग की सीमा नहीं होती वहाँ स्वस्थ समाज व्यवस्था का निर्माण नहीं हो सकता।
जहाँ असीम भोग नहीं होता वहाँ अनावश्यक हिंसा भी नहीं होती। आदमी कितनी अनर्थ हिंसा करता है। आज वातावरण ही ऐसा बन गया कि कहना भी अच्छा नहीं और कहे विना रहा भी नहीं जाता। कहना अच्छा नहीं लगता, इसलिए कि सारा समाज कर रहा है। बड़ी विचित्र बात है। एक वैज्ञानिक किसी बीमारी पर प्रयोग करता है तो ७०-७० हजार मेढक मार डालता है। एक आदमी को स्वस्थ रखने के लिए कितने मेंढक, कितने चूहे और कितने बन्दर मारे जाते हैं ? कितना करुण दृश्य है, कितनी करुण कहानी है ? ऐसा लगता है कि अनर्थ-हिंसा के बारे में कोई चिन्तन रहा ही नहीं। मेढक मरते हैं, चूहे मरते हैं, बन्दर मरते हैं और गाएँ मरती हैं तो क्या आदमी को मारने की वृत्ति नहीं जागेगी ? कहते हैं कि
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org