Book Title: Samaj Vyavastha ke Sutra
Author(s): Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 20
________________ अर्थ-व्यवस्था के सूत्र और प्रेक्षा टालस्टाय ने एक कहानी लिखी है। उसका शीर्पक है-तीन प्रश्न । पहला प्रश्न है-सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य क्या ? दूसरा प्रश्न है-परामर्श लेने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण व्यक्ति कौन है ? तीसरा प्रश्न है-कार्य प्रारम्भ करने के लिए सबसे महत्त्वपूर्ण समय कौन-सा है ? ये तीन प्रश्न प्रत्येक व्यक्ति के सामने हैं। पहलं हम प्रक्षा ध्यान के सन्दर्भ में इन तीनों प्रश्नों का उत्तर समझें। पहला प्रश्न है सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य क्या है ? इसका उत्तर होगा-अपने आपको देखना। यह दुनिया का सबसे महत्त्वपूर्ण कार्य है। जो दूसरों को देखता है, वह बहुत बड़ा कार्य नहीं कर सकता। बड़ा काम वह होता है जो सव नहीं कर पाते, कोई एक व्यक्ति करता है। आज का प्रवाह है, दूसरों को देखना। इस स्थिति में स्वयं को देखना बड़ा काम है, असाधारण काम है। दूसरे प्रश्न का उत्तर होगा कि परामर्श उस व्यक्ति का लिया जाए जो आर्थिक दोड़ से परे है। जो आर्थिक दौड़ में लगा हुआ है, उसका परामर्श वहुत काम का नहीं होता, उलझाने वाला होता है। जो आर्थिक दौड़ से परे है, उसका परामर्श समाधान देने वाला होगा और समस्या का पार दिखाने वाला होगा। तीसरा प्रश्न है कि समय कौन-सा महत्त्वपूर्ण है ? ध्यान का अभ्यास करने वाले के लिए यह शिविर काल ही सबसे महत्त्वपूर्ण समय है। ऐसा समय कभी-कभार मिलता है। आर्थिक दौड़ और चिन्ता से हटकर जो केवल अपने आपको देखने में लगता है, ऐसा समय सबसे ज्यादा महत्त्वपूर्ण है। प्रेक्षा ध्यान के सन्दर्भ में तीन प्रश्नों के तीन उत्तर हैं। टालस्टाय ने भी अपने ढंग से उत्तर दिए हैं। हम उन उत्तरों से प्रयोजन नहीं है। हमारा प्रयोजन है उन प्रश्नों से। प्रश्न अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। उत्तर हमें देना है। प्रश्न कभी कठिन नहीं होते, उत्तर कठिन होते हैं। आज की इस आर्थिक व्यवस्था ने अणुयुग को जन्म दिया है। आज हमें कोई भी काम करना है, सोचना है, चिन्तन करना है, तो वह अणुयुग के सन्दर्भ में ही करना होगा। अणुयुग के सन्दर्भ के विना और किसी बात पर हम सोच Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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