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विरोधाभासी जीवन प्रणाली
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प्राणायाम, व्यायाम आदि प्रवृत्ति है और ध्यान, कायोत्सर्ग आदि निवृत्ति है । यह है समग्र प्रयोग।
प्रेक्षा-ध्यान का प्रयोग समग्र जीवन दर्शन है। इसमें आहार का विवेक, वाणी का विवेक, आसन का विवेक, प्रवृत्ति और निवृत्ति का विवेक है। इसके द्वारा जीवन की समग्र प्रवृत्तियों में आलोक की रश्मि उपलब्ध होती है। उससे पूरा जीवन आलोकित होता है। इसके अनुशीलन से ही शक्तिमय, आनन्दमय, चैतन्यमय और आलोकमय जीवन जीया जा सकता है।
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