Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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कवि वृन्द
गुटके
६६ गुटका नं० १५८ } पत्र सं० २२३ । साइज-८४६१ । लेखनकाल-सं० १८३३ श्राषाढ सुदी १० ॥ क एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३५६ । तीन गुटकों को मिलाकर एक गुटका कर दिया गया है।
कर्ता का नाम
भाषा
विशेष कृद सतसई
रचना सं० १७१२ सामुद्रिक मूल संस्कृत टीका हिन्दी
ले. १९२२ नाममाला गृहहान जातक ताजकसार
सवाई प्रतापसिंह
हिन्दी
कवि शेखर पादशाही समय के प्रान्तों के नाम शकुनसारोद्धार
माणिक्यसूरि
संस्कृत
संस्कृत
हिन्दी
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६६७ गुटका नं० १५६ ! पत्र सं० ७६ । साइज-६x४३ इश्व | लेखनकाल-म• १८ एवं सं० १८१८ 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा सामान्य । वेष्टन नं० ३५६ ।
विशेष-पूजात्रों का संग्रह है। ।
६६८ गुटका नं० १६० । पत्र, २५ । साइज-६xछ । लेखनकाल X । पूर्ण एक सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३५५। .
विशेष उल्लेखनीय संग्रह नहीं है । . १६६ गुटका नं० १६१ : पत्र सं० १.६६ । साइज-४६x४ इव । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वैप्टन नं० ३५७ ।।
विशेष-दो गुटकों का संग्रह है। विषय-सूची कर्ता का नाम
विशेष हन्दसतसई
कवि वृन्द रासीवोल ( श्वेताम्बर) रात शास्त्र मैरूजी की पाट गीत
भाषा
शनिश्चर कथा बदलकवित पामावलीसी
करपद संग्रह
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