Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
View full book text
________________
१३६
[ सिद्धान
सिद्धान्त रचना १२.१४ लेखनकाल । वपू एवं शुद्ध दशा-सामान्य २० से ८ तक तथा ६१३ से ६५३ तक के पत्र नहीं है। वेष्टन नं० ६९३१
विशेष प्रति स्वयं लेखक द्वारा लिखी गयी है।
१२१ प्रति ०२२-१३ लेखन अपूर्ण एवं शुद्ध दशा सामा
बेटन नं० ६२२
१२२ प्रति नं ३ पत्र ०३५१६-११ पूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य टन नं० ६९२ ।
१२३ तत्त्वार्थसूत्र भाषा - वेतनदास पत्र सं
विषय-विव्दान्त | रचनाकाल
विशेष-स्वार्थसार वचन १२४ तत्त्वार्थसूत्र भाषा | पत्र सं० रचनाकार लेखनकाल सं० १७०२ पूर्ण एवं शुद्ध
श्रायक रामदत्त ने प्रतिलिपि की ।
भाषा - चेतनदास | पत्र ०७० १६५४ लिपिकाल- १६०५ पूर्गा एवं शुद्ध का नाम है। अन्य लेखन में ४२ ॥ १०७ | साइज - १२४
दशा सामान्य वेष्टन ०६२४ ।
विशेष-माचन्द्र के तत्त्वार्थ सूत्र की हिन्दी टीका है। लेखक प्रशस्ति विस्तृत दी हुई है। स्वर्णप्रस्थननगर में
१२५ तत्त्वार्थ सूत्र - प्रमाचन्द्र | सं०] ११० | - ११३४ | भाषा-संस्कृत | विषय - सिध्दान्त | रचनाकाल x | लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जोग । बेष्टन नं० ६१२ । विशेष प्रति सटीक है । टीका संस्कन में
1
१०६ तवानुशासन-ग्रमसेम पत्र सं
2
रचनाकाल × । लेखनकाल सं० १५० अवाद बुदी
उत्तम वेष्टन नं. ६२० ।
I
१२७ प्रति नं २०१४सा१२०
वेष्टन नं० ६५०
विशेष हिन्दी धर्म सहित है।
साइज - १६x२० इन्च | भाषा - हिन्दी गद्य | दशा-उथम वेशन नं ११ । पर्च हुये थे ऐसा उल्लेख है।
इन्च भाषा - हिन्दी | विषय- सिद्धान्त |
१४ साइज - ११९५३ इ
पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ६२६ ।
१३० प्रति नं० ३
शुद्ध दशा सामान्य जी वेष्टन नं ६५
F
भाषा-संस्कृत विषय सिद्धान्त ।
१२३ त्रिभंगीसार चाचार्य नेमिचन्द्र पर ०६८-१२५ भाषा रचनाकाल x 1 लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा सामान्य । वेष्टन नं० ६४६
त्रिशेष—विवेकनदि कृत संस्कृत में टीका भी दी हुई है।
खनाल । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
१२६ प्रति नः २ पत्र सं० १०२ | साइज १०२ । लेखनकाल पूर्ण एवं शुद्ध दशा-समस्य
०११-१४४ इन्च लेखनकाल सं० १६६४ पूर्व एवं सामान
प