Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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[ छन्दशास्त्र
| भाषा-संस्कृत । विषय
१७१२ मन्त्रमहोदधि - श्री महीवर | पत्र सं० १०५ । साइज - १०३६ मंत्रशास्त्र । रचनाकाल × । लेखनकाल- ०१८५७ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १९७५ । १७१३ विद्यानुशासन- मतिसागर । पत्र सं० १७८ | साइज - १२x६ इन्च । माषा-संस्कृत विषयमंत्रशास्त्र | रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १४३२ पौष सुदी १४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १६३० । विशेष प्रति यंत्रों सहित हैं। मतिसागर संग्रहकर्ता हैं । उन्होंने मिन्न भिन्न श्राचार्यों द्वारा निर्मित मन्त्रों संग्रह करके विधानुशासन नाम दिया है। इसका दूसरा नाम विधानुवाद भी है । श्रायुर्वेद का भी विद्यानुशासन में समावेश है। १७१४ सौभाग्यरत्नाकर - श्री विधानंदनाथ । पत्र [सं० ५०० १४० | साइज - १२३४५ इञ्च । माषासंस्कृत । विषय-मंत्रशास्त्र | रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १७३६ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध वेष्टन नं० : १५७ !
दशा - सामान्य |
विशेष - हृदयराम ने प्रतिलिपि की थी।
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विषय - छन्दशास्त्र
ग्रन्थ संख्या-- १७
१७१५ बंद कोश | रचनाकाल X | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं ० ४५१ ।
१७१६ प्रति नं० २ । पत्र सं० ६ | साइज - १२९१ इञ्च लेखनकाल सं० १७६३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ४५२ |
पत्र सं० ७ । साइज - १०३४४२ दश्च । भाषा प्राकृत विषय - द्रन्दशास्त्र ।
१७१७ द्वात्रिंशद्गुण भेद" | पत्र सं० २ | साइज - १०३x६ इ । भाषा प्राकृत विषय छन्दशास रचनाकाल × | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं० ७४९ |
१७१८ पिंगलछंदशास्त्र - श्री नानूराम । पत्र सं० ६६ । साइज - ६४६ इन्च | भाषा - हिन्दी | विषय -- छन्दशास्त्र | रचन]काल X | लेखनकाल x | पूर्ण अन्तिम पत्र नहीं है। शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ११०५ ! विशेष - प्रति के मध्य में से दो तीन स्थानों के पत्र फटे हुये हैं। पद्य सं० १०५ है ।
१७१६ चिंगलशास्त्र ---| पत्र सं० ३७ । साइज - १२५३ इन्च भाषा - प्राकृत | रचनाकाल X लेखनकाल-सं० १७६६ कार्तिक ख़ुदी । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ११०६ ।
विशेष - प्रति हिन्दी टीका सहित है ।
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