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राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों
★ ग्रन्थ-सूची *
(भाग २)
[ जयपुर के श्री दि. जैन मन्दिर पं० लूणकरणजी पांड्या एवं दि. जैन मन्दिर बडा तेरहपंथियों
शास्त्र भण्डारों की सविवरण सूची ]
सम्पादक :कस्तूरचन्द कासलीवाल एम. ए., शास्त्री,
प्रकाशक :पधीचन्द गंगपाल
प्रवन्ध-कारिणी कमेटी श्री दिगम्बर जैन अतिशय क्षेत्र श्रीमहावीर जी
महावीर पार्क रोड, जयपुर
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पुस्तक-प्राप्ति-स्थानः--
१. मंत्री श्री. दि. जैन अ. क्षेत्र श्रीमहावीरजी ___महावीर पार्क रोड, जयपुर ( राजस्थान ) २. मैनेजर श्री दि. जैन अ० क्षेत्र श्रीमहावीरजी
श्रीमहावीरजी ( राजस्थान ) .
३. वीर पुस्तक भण्डार श्री वीर प्रेस, जयपुर ( राजस्थान )
४. वीर पुस्तक मंदिर श्रीमहावीरजी (राजस्थान )
प्रथम संस्करण
वीर निर्वाण संवत् २४८० वि० सं० २०१०
जनवरी १६५४
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मुद्रक:भंवरलाल न्यायतीर्थ । श्री वीर प्रेस. जयपुर।
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१.
प्रकाशकीय
२.
सम्पादकीय
३. महवपूर्ण एवं अप्रकाशित ग्रन्थों के नाम
४.
शुद्धाशुद्धिपत्र
५. ग्रन्थसूची:
विषय
सिद्धान्त एवं चर्चा
धर्म एवं आचार शास्त्र
अध्यात्म
न्याय एवं दर्शन
प्रतिष्ठा एवं अन्य विधान
योगशास्त्र
पं० लूणकरणजी के मन्दिर के ग्रन्थ
पुष्ठ
१-६
६-६
१०-१२
१२-१३
१३-१४
पुराण
चरित्र
कथा साहित्य
काव्य
इतिहास
नाटक
व्याकरण
कोश
श्रायुर्वेद
ज्योतिषादि निमित्त ज्ञान
साहित्य
★ विषय-सूची ★
मंत्र तंत्रादि
छन्दशास्त्र
१५
१५-१७
१७-२०
२०-२४
२४-२६
२६
२७
२७-२६
२६-३०
३१-३५
३५-३८
३८-४१
४१-४२
बड़े मन्दिर के ग्रन्थ
ਭਾਰ
१२५-१४
१४८-१७५
१७५-१६२
१६३-२०१
२०१-२०२
२०२-२०८
२०८-२१६
२२०-२३४
२३५-२४४
२४४-२५५
२५५
२५६
२५६-२६५
२६५-२६८
२६८-२६६
२६६-२७४
पृष्ठ संख्या
अ
इ
市
可
२७५-२७६
२७६-२७७
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विषय
पं० लूगकरणजी के मन्दिर के अन्य
पृष्ठ
बड़े मन्दिर के अन्य
पृष्ठ २७८-२८० २८१-२८२
२८२
सुभाषित
रस एवं अलंकार নায়্যিবা कामशास्त्र लोकविज्ञान
४३-४४ नीतिशास्त्र
४६-५४ पूजा साहित्य
५५-७ प्राचीन जेल संग्रह संगीत एवं नृत्यकला लक्षण एवं समीक्षा साहित्य ७०-७१ स्फुट एवं अवशिष्ट साहित्य ७१-७२ संग्रह ( गुटके )
२८२-२८५ २-६-२६१ २६२-२६३ २६३-३०७ ३०७-३१६ ३१६-३२०
स्तोत्र
३२०
३२१-३२२ ३२२-३२७ ३२८-३६६
६. ग्रन्थकर सूची ....
पृष्ठ ३६७-५२८
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- प्रकाशकीय
राजस्थान जैनों का मुख्य केन्द्र रहा है और अब भी है । सबसे अधिक संख्या में यही जैन रहते हैं। यहां के मन्दिर एवं उनमें स्थित शास्त्र भण्डार भारत भर में प्रसिद्ध हैं। यहां के गांव २ और नगर २ में जैन साहित्य बिखरा पड़ा है जिसे एकत्रित करके प्रकाश में लाने की अत्यधिक आवश्यकता है । मेरा तो दृढ विश्वास है कि राजस्थान के शास्त्र भण्डारों में उपलब्ध होने वाला साहित्य जैन इतिहास ही नहीं किन्तु भारतीय इतिहास तैयार करने के लिये भी अमूल्य निधि है जिसका विद्वानों को अवश्य उपयोग करना चाहिये .
राजस्थान के इस विखरे हुये साहित्य की खोज एवं छानबीन के विषय में सर्व प्रथम हमें श्री | ६० चैनसुखदासजी साहब न्यायतीर्थ जयपुर से प्रेरणा मिली और उन्हीं की प्रेरणा से दि. जैन श्र० क्षेत्र
श्री महावीरजी की प्रबन्ध कारिणी कमेटी ने साहित्य सेवा का यह पुनीत कार्य अपने हाथ में लिया । सबसे पहिले राजस्थान के शास्त्रभण्डारों में उपलब्ध प्रन्थों की एक सूची तैयार करवाने का निश्चय किया जिससे उन में उपलब्ध साहित्य के विषय में विद्वानों को जानकारी प्राप्त हो सके । इसी निश्चय के फल स्वरूप सबसे पहिले भामेर शास्त्र भण्डार व जयपुर शहर के मन्दिरों के भण्डारों की छानबीन एवं सूची तैयार करने का कार्य प्रारम्भ किया गया। क्योंकि अकेले जयपुर के शास्त्र भण्डारों में २०-२५ हजार तक ग्रन्थ मिलने का अनुमान किया जाता है । अब तक शहर के ६ भएडारों के दस हजार प्रन्थों की सूची तैयार हो चुकी है। जिनमें प्रथम और इस द्वितीय भाग में मिला कर ६ हजार से अधिक ग्रन्थों की सूची प्रकाशित हो चुकी है । ग्रन्थ सूची का तीसरा भाग भी प्रायः तैयार सा ही है और उसे भी प्रकाशन के लिए शीघ्र ही प्रेस में दे दिया जायेगा।
प्रन्थ सूची तैयार करना बड़ा कठिन कार्य है। जैनों के शास्त्र भण्डारों की प्रायः अच्छी हालत नहीं है । ये शास्त्र भण्डार व्यवस्थित तो होते ही नहीं है किन्तु उनकी दशा भी शोचनीय रहती है। इसलिये जिस भएडार की सूची बनाने का कार्य प्रारम्भ किया जाता है तो वहां के भण्डार को भी पूर्ण व्यवस्थित बनाना पड़ता है। शास्त्रों को जो अब तक एक २ वेष्टन में कितनी ही संख्या में पाये जाते थे उन्हें पृथक् २ एक २ वेष्टन में लगाया जाता है तथा उन्हें फिर अकारादिक्रम से रखा जाता है । प्रत्येक शास्त्र के ऊपर एक कार्ड लगा दिया जाता है जिसमें शास्त्र का संक्षिप्त परिचय दे दिया जाता है । इस प्रकार पन्थ सूची बानाने के साथ २ शास्त्र भण्डार को भी पूर्ण रूप से व्यवस्थित बनाना पडता है । इस कार्य में पैसा तो अधिक खर्च होता ही है किन्तु समय भी काफी खर्च हो जाता है। फिर भी हमें तो अत्यधिक
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- आसन्नता है कि शास्त्रों की सूची तो तैयार होती ही है साथ ही साथ भण्डारों की अवस्था भी एक दम बदल जाती है और वे दर्शनीय भी बन जाते हैं।
अन्य सूची के अतिरिक्त क्षेत्र की ओर से राजस्थान के महत्त्वपूर्ण मूर्तिलेखों यंत्र-लेखों एवं शिलालेखों को उतरवाकर उन्हें प्रकाशित करने का भी विचार चल रहा है। किसी योग्य व्यक्ति के मिलते ही यह कार्य भी प्रारम्भ कर दिया जावेगा।
इसी प्रकार प्राचीन साहित्य के प्रकाशन के साथ २ नवीन साहित्य के निर्माण का भी क्षेत्र के अनुसन्धान विभाग की ओर से बराबर कार्य चल रहा है। जैनदर्शन का तुलनात्मक अध्ययन, समन्तभद्राचार्य कृत युक्त्यनुशासन एवं प्राप्तमीमांसा पर विस्तृत हिन्दी टीकार्य भी प्रायः तैयार है।
क्षेत्र कमेटी के सामने साहित्य प्रकाशन का काफी बड़ा कार्य-क्रम है । राजस्थान के शास्त्र भण्डारों में जो महत्त्वपूर्ण अपभ्रंश साहित्य उपलब्ध हुआ है उसके मुख्य २ ग्रन्थों को प्रकाशित करने की हमारी इच्छा है । लेकिन क्षेत्र की आय पहिले से दिनोंदिन कमती होने के कारण इन योजनाओं के कार्यान्वित होने में काफी समय लग जावेगा।
इसके अतिरिक्त दानी सज्जनों का भी कर्तव्य है कि वे अपने दान की दिशा बदलें । अगर हम मन्दिरों के द्रव्य का साहित्य प्रकाशन के पवित्र कार्य में सदुपयोग करें तो इस विषय में पैसे की समस्या हल हो सकती है । मन्दिरों के अधिकारियों से भी मैं यह निवेदन करना अपना कर्तव्य समझता हूं कि वे अपने २ मंदिरों के लिये क्षेत्र के प्रकाशन को खरीदकर हमें पैसे की समस्या को हल करने में मदद दें।
जयपुर ता०४-१-५४
बधीचन्द गंगवाल आनरेरी मंत्री:-प्रबन्धकारिणी कमेटी श्री दि. जैन अतिशय क्षेत्र श्री महावीरजी
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* प्रस्तावना *
जैनधर्म में स्वाध्याय-अध्ययन- श्रावकों के दैनिक कर्मों में से एक प्रमुख कर्म है। प्रत्येक श्रावक के लिये शास्त्र-स्वाध्याय करना आवश्यक माना गया है। इतना ही नहीं किन्तु, स्वाध्याय को एक उत्तम तप भी बतलाया गया है। इसलिये जैनों के प्रत्येक धार्मिक स्थानों-मन्दिर एवं चैत्यालयों में छोटा अथवा बड़ा ग्रन्थ भण्डार का होना आवश्यक है, जिससे प्रत्येक स्त्री पुरुष वहीं बैठ कर शास्त्र स्वाध्याय कर सकें । इस शास्त्र-स्वाध्याय के लिये श्रावकों को नये २ ग्रन्थों को आवश्यकता होती रहती है
और उनकी इस आवश्यकता की पूर्ति करने के लिये नये नये ग्रन्थों की रचना, अथवा प्रतिलिपि हुआ करती है । इसके उदाहरण हमें ग्रन्थों की लेखक प्रशस्तियों एवं ग्रंथ-प्रशस्तियों में देखने को मिल सकते हैं । इस प्रकार स्वाध्याय प्रेमियों की इस आवश्यकता ने विशाल जैन साहित्य को जन्म दिया। यही नहीं किन्तु इसने जैनाचार्यों एवं अन्य विद्वानों को मेधा शक्ति का भी खूब विकास किया जिससे उन्होंने अपने जीवन के अमूल्य समय को साहित्य के सर्जन तथा अध्ययन अध्यापन में लगाया। उनके महान् परिश्रम का फज यह हुआ कि आज साहित्य का ऐसा कोई जंग नहीं बचा जिस पर जैनाचार्यों ने अपनी लेखनी न चलायी हो।
श्रावकों ने भी साहित्य वृद्धि में अत्यधिक योग दिया। उन्होंने एक २ ग्रन्थ की कितनी ही प्रतियां करवा कर शास्त्रभएडारों में विराजमान की तथा स्वाध्याय प्रेमियों को निःशुल्क वितरण को। आचार्यों एवं श्रावकों के रस साहित्यानुराग का यह फल हुआ कि अाज हमें भारत के प्रत्येक महरू पूर्ण स्थान पर जैन शास्त्र-भण्डार उपलब्ध होते हैं।
राजस्थान जैन-धर्म एवं जैन-संस्कृति का एक सुदीर्घकाल से केन्द्र रहा है। इस प्रदेश पर सदा क्षत्रिय राजाओं का राज्य रहा है। भारत पर मुसलमानों के श्राक्रमण के समय में भी सारा राजस्थान राजपूत सरदारों के अधीन था । प्रायः सारे देश में जब मुसलमानों और इसके बाद जब अंग्रेजों का शासन हो गया तब भी इस प्रदेश पर तो सीधे रूप से राजाओं का ही राज्य रहा है। यही कारण है कि राजस्थान भारत के अन्य प्रान्तों की अपेक्षा आक्रमणों आदि के भय से अधिक सुरक्षित रहा । इसके अतिरिक्त यहां के राजा महाराजाओं ने भी विशुद्ध भारतीय संस्कृति से सम्बन्धित तत्वों को आश्य प्रदान किया तथा उन्हें सुरक्षित रखने का बहुत कुछ श्रेय भी प्राप्त किया। जैनों ने भी यहां के राजा महाराजाओं के शासन को सुचारु रूप से चलाने में उल्लेलनीय एवं स्मरणीय सहयोग प्रदान किया । जयपुर, जोधपुर, उदयपुर, कोटा, बूदी, झालावाड, सिरोही श्रादि भूतपूर्व रियासतों में प्राचीन काल में शताब्दियों तक जैनों ने दीवान, मन्त्री, कोषाध्यक्ष श्रादि प्रतिष्ठित एवं विश्वस्त पदों पर कार्य किया जिससे उन पर वहां के शासकों की श्रद्धा एवं आदर भाव बना रहा। यही कारण है कि आज हमें
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राजस्थान में जैन संस्कृति के स्थान २ पर दर्शन होते है। श्राबू के देलवाडा के जैन मन्दिर, जयपुर और सांगानेर के विशाल जैन मन्दिर आदि जैन संस्कृति से सम्बन्धित कृतियें इस बात को साती हैं कि प्राचीन काल में राजस्थान जैन धर्म के प्रधान अभ्युदय का केन्द्र था। यहाँ के शासक यद्यपि जैन धर्मावलम्बी तो नहीं थे किन्तु वे समय समय पर जैन धर्म को प्रभावना के लिये काफी सहयोग दिया करते थे।
___ राजस्थान में सबसे अधिक शास्त्र-भण्डारों का मिलना इस बात का प्रमाण है कि यहां के लोग बड़े श्रद्धालु और सरस्वती भक्त थे। जहां कहीं भी जैन मन्दिर है वहां छोटा मोटा शाख भण्डार ऋचश्य है। आमेर, जयपुर, नागौर. जैसलमेर, पाटन, दौसा, मोजमाबाद, दांता, कुचामन, सीकर, मारोट, जाधपुर, बीकानेर श्रादि स्थानों के शास्त्र भण्डारों में प्राप्त ग्रन्थों की संख्या की जावे तो सम्भवतः वह एक लाख से अधिक पहुंच सकती है । अकेले नागोर के भट्टारकीय शास्त्र भण्डार में १२-१३ हजार से भी अधिक ग्रन्थ उपलब्ध होते हैं। इन भण्डारी में केवल जैन साहित्य अथवा जैनाचार्यों द्वारा लिखा हा साहित्य ही नहीं है किन्तु अजैन विद्वानों द्वारा लिखे हुये प्रन्थ भी हजारों को संख्या में मिलते है। उनमें बहुत से अन्ध तो ऐसे भी हैं जिनकी प्रतियां केवल जैन भण्डारों में ही उपलब्ध हुई हैं। माहित्य के इस महान संग्रह में जनों को असाम्प्रदायिकता सदैव प्रशंसनीय रहेगी ।
राजस्थान के इन प्रन्थालयों की सुरक्षा का वास्तविक श्रेय भट्टारकों, यतियों, विद्वानों एवं श्रावकों को है जिन्होंने साहित्य को नष्ट होने से बचा कर साहित्य एवं देश की सबसे बड़ी सेवा की। उनके इस कठिन प्रयत्न स्वरूप ही आज हमें प्राचीन शास्त्रों के दर्शन होते हैं। लेकिन यह भी कम दुःख का विषय नहीं है कि हमने शास्त्रों की सुरक्षा को ओर तो ध्यान रखा किन्तु जब उनके प्रचार का समय
आया तो ग्रन्थों को ताले में बन्द करके हम गहरी मोहनिद्रा में सोते रहे और जगाने पर भी नहीं जागे। इस स्थितिपालकता से हमारी जो हानि हुई, उसका अंदाजा लगाना कठिन है। उन्हें बाहरी आक्रमण से तो किसी तरह बचाया, किन्तु भण्डार के भीतर रहने वाले ग्रन्थों के महान् शत्रु चूहे, दीमक एवं सीम आदि को प्रन्धों पर प्रहार करने की पूर्ण स्वतन्त्रता देदी, जिससे उन्होंने हजारों ग्रन्थों का सफाया कर दिया । फिर भी हमारा अहोभाग्य है कि जो कुछ हमें विरासत में मिला है वह भी कम नहीं है।
जैसा कि पहिले कहा जा चुका है कि राजस्थान में जितना जैन साहित्य मिलता है उतना भारत के अन्य प्रान्तों में नहीं मिलता | फिर भी इन भण्डारों में उपलब्ध साहित्य के विषय में परिचय. प्रकट करने का समाज की ओर से कोई विशेष प्रयत्न नहीं किया गया । जैसलमेर, पाटन, आमेर आदि कुछ भएदारों को छोड़कर शेष भण्डारों को अभी तक कोई पूरी छानबीन भी नहीं हुई है जिससे यह जाना जा सके कि अमुक भण्डार में कौन कौनसे ग्रन्थ हैं। प्रन्थालयों का निरीक्षण एवं उनकी सूची आदि के प्रकाशन के कार्य में श्वेताम्बर समाज का प्रयत्न तो अवश्य ही प्रशंसनीय है। लेकिन दिगम्बर जैन नमाज का अभी इस ओर कुछ भी ध्यान नहीं गया है । इसलिये मैं सभी दिगम्बर जैन मंदिरों एवं शास्त्र:
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: भण्डारों के प्रबन्धकों से निवेदन करूंगा कि वे अपने यहाँ के भण्डारों की समुचित व्यवस्था कर उन्हें वास्तविक उपयोग के योग्य बनायें । क्योंकि आज समय की सबसे बड़ी मांग साहित्य-प्रचार ही है।
हर्ष की बात है कि श्री दि. जैन अ. क्षेत्र श्रीमहावीरजी के मन्त्री महोदय एवं प्रबन्ध कारिणी । के अन्य सदस्यों ने समय की मांग के अनुसार आज के करीब ५ वर्ष पहले एक छोटे से रूपमें अनुसन्धान विभाग की स्थापना की और ग्रन्थभण्डारों की छानबीन तथा प्राचीन एवं नवीन साहित्य के निर्माण के कार्य को अपने हाथ में लिया। तब से आज तक इस विभाग के अधीन बराबर कार्य चल रहा है। अब तक यहां से आमेर शास्त्र भण्डार की ग्रन्थ सूची, प्रशस्तिसंग्रह, तामिल भाषा का जैन साहित्य, Jainism, key to true Happiness तथा सर्वार्थसिद्धि नामक पुस्तकों का प्रकाशन हो चुका है। अामेर शास्त्र भण्डार की ग्रन्थ सूची एवं प्रशस्ति-संग्रह के प्रकाशित हो जाने से अपभ्रंश भाषा के विशाल साहित्य का । परिचय विद्वानों को मिला। जिससे अपभ्रंश साहित्य की लोकप्रियता का विस्तार एवं उसकी विशेषतायें : विद्वानों को मालूम हुई। हिन्दी भाषा के प्राचार्य डा० हजारीप्रसादजी द्विवेदी ने प्रशस्ति-संग्रह पढ़ने के . | पश्चात् अपने "हिन्दी साहित्य का आदिकाल" नामक ग्रन्थ में जो शब्द लिखे हैं उन्हें पाठकों की जानकारी | के लिये नीचे दिया जाता है
"सन् १९५० में........ अामेर शास्त्र भण्डार ( जयपुर ) के मन्थों का एक प्रशस्ति-संग्रह ! प्रकाशित हुआ है जिसमें लगभग ५० अपभ्रंश ग्रन्थों की प्रशस्तियां संग्रहीत हैं। इनमें से कुछ का तो । विद्वानों को पहिले भी पता था, कुछ नई हैं। इनमें स्वयम्भू , पुष्पदन्त, पद्मकीति, वीर, नयनन्दि, श्रीधर,
श्रीचन्द, हरिषेण, अमरकीति, यशःकीर्ति, धनपाल, श्रुतकीति, माणिक्यराज, रइधू आदि की कृतियां हैं। : अधिकांश रचनायें १३ वीं शताब्दी के बाद की बतायी गयी हैं। पर उसके बाद भी १६ वीं शताब्दी तक
अपभ्रश में रचनायें होती रही हैं। इस प्रशस्ति संग्रह में रइधू, यशःकीर्ति, धनपाल, श्रुतकीर्ति, और ' माणिक्यराज चौदहवीं और उसके बाद के कवि हैं। .
ये ग्रन्थ अधिकतर जैन प्रन्थभण्डारों से ही प्राप्त हुये हैं और अधिकांश जैन कत्रियों के लिखे हुये हैं । स्वभावतः इनमें जैनधर्म की महिमा गायी गयी है और उस धर्म के स्वीकृत सिद्धान्तों के आधार पर ही जीवन बिताने का उपदेश दिया गया है । परन्तु इस कारण से इन पुस्तकों का महस्व कम नहीं हो जाता । परवर्ती हिन्दी साहित्य के काव्य रूप के अध्ययन में ये पुस्तकें बहुत सहायक हैं । .:.
.. वर्तमान में क्षेत्र की ओर से राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों की वृहद् सूची बनाने का कार्य . चालू है । सबसे पहिले जयपुर शहर के शास्त्र भण्डारों की सूची बनाने का कार्य प्रारम्भ किया गया । और __ अब तक करीव ५ शास्त्र भण्डारों के ७ हजार ग्रन्थों की सूची प्रायः तैय्यार हो चुकी है। प्रस्तुत प्रन्थ सूची
में जयपुर के प्रसिद्ध दो शास्त्र भएदारों के ग्रन्थों को ही लिया गया है।
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शास्त्र भण्डार पं० लूणकरणजी पांच्या जयपुर
श्री पं० लूणकरणजो का मंदिर जयपुर के प्रसिद्ध एवं प्राचीन मन्दिरों में से एक है । यह लूणा पांड्या के मन्दिर के नाम से अधिक प्रसिद्ध है। पं० लूणकरण जी जैन यति थे, जो पांच्या कहलाते थे। उनका जन्म कब और कहाँ हुश्रा तथा वे कब यति बने आदि विषयों के सम्बन्ध में यहाँ के शास्त्र भण्डार में कोई उल्लेख नहीं मिलता। किन्तु इसी भएडार में यशोधर चरित्र की एक सचित्र प्रति की लेखक-प्रशस्ति । में एक उल्लेख मिला है।
इस प्रशस्ति में पं० लूणकरणजी को यशोधर की प्रति भेंट देना लिखा है। यदि ये ही पं० सूणकरणजी हैं तो इनका समय १८-१६ वीं शताब्दी का होना चाहिये । यह भी हो सकता है कि ये पहिले । कहीं अन्य स्थान में रहते हों और बाद में जयपुर आकर रहने लगे हों और इसो मन्दिर को अपना केन्द्र स्थान बनाया हो।
इसी भण्डार में पं० लूणकरणजी का एक चित्र भी मिला है जिसमें भगवान के एक ओर पं० दूणकरण जो बैठे हुये हैं तो दूसरी ओर राय बन्दजी खड़े हुये हैं । रायचादजो नाम उक्त प्रशस्ति में मो अाया है और उनके द्वारा यशोधर की सचिव प्रति पं० लूणकरणजी को भेंट देना लिखा है। इसलिये इन दोनों के आधार पर इनका समय १८-१६ वीं शताब्दी ही निश्चित होता है। ये भट्टारक जगत्क्रीत्ति के । शिष्य एवं पं० खींवसीजी के शिष्य थे |
जनश्रुति के अनुसार वे इसी मन्दिर में रहा करते थे और अपना अधिकांश समय साहित्य एवं जन सेवा में ही व्यतीत किया करते थे। उनके कितने ही शिष्य थे | उनमें पं० स्वरूपचंदजी प्रमुख थे। । पं० स्वरूपचंदजी भी जयपुर के अच्छे साहित्यकारों में से थे । आयुर्वेद, ज्योतिष एवं मन्त्रशास्त्र आदि के । साहित्य से उनकी विशेष रुचि थी। वे स्वयं भी इन विषयों के विद्वान् थे । यही कारण है कि इस शास्त्र ! भण्डार में मंत्रशास्त्र, ज्योतिष एवं आयुर्वेद आदि विषयों का जयपुर के अन्य शास्त्र भण्डारों की अपेक्षा ! अधिक साहित्य है । यह ग्रन्थ भएडार उन्हीं का संग्रह किया हुआ है। अपने जीवन में १ हजार से अधिक हस्तलिखित प्रन्यों का संग्रह करके उन्होंने साहित्य प्रेम का ज्वलन्त उदाहरण समाज के समक्ष उपस्थित
किया।
इस शास्त्र भण्डार में ८०० हस्तलिखित ग्रन्थ एवं २२५ गुटके हैं। सबसे प्राचीन प्रति इस भण्डार में परमात्मप्रकाश की है जो संवत् १४०७ में लिखी गयी थी । भण्डार में कई सचित्र प्रतियां है इन सब में भट्टारक सकलकीति कृत यशोधर चरित्र उल्लेखनीय है । इसमें लगभग ३५ चित्र हैं जो सभी
: संवत् १७८८ श्रासोज मासे शुक्लपक्षे दशम्यां तिथौ बुधवासरे वृन्दावा नगर्या ...."खंडेलवालान्वये अजमेरा गो...."एतेषां मध्ये चिरंजीत्रि श्री रायचन्दजी तेनेदं यशोधरचरित्रं निजज्ञानावर्णीकर्मदयार्थ भट्टारक श्री जगत्तिं तत् शिष्य विद्वन्मंडलीमंदित पंडितजी श्री खींवसीजी तत् शिभ्य पं० लूणकरणाय घापितं ।
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कथा के आधार पर तैय्यार किये हुये हैं। चित्र सुन्दर एवं कलापूर्ण हैं। चित्रों पर मुगलकालीन कला की छाप स्पष्ट झलकती हैं । इस पुस्तक के अतिरिक्त जितनी भी सचित्र प्रतियां हैं वे प्रायः सभी मंत्र शास्त्र एवं विधि विधानों की हैं। ज्वालामालिनी, भैरव, पद्मावती, महामृत्युञ्जय यंत्र आदि के चित्र उल्लेखनीय हैं । कुछ वित्र देवी देवताओं के हैं जिनमें पद्मप्रभ कालिकादेवी, नृसिंहावतार, पद्मावतीदेवी, गणेशजी, धरणेंद्र पद्मावती, सोलहस्वप्न आदि के चित्र आकर्षक है। ३० से अधिक के कां ६० के करीब मन्त्रों के चित्र हैं। कलिकुण्डपार्श्वनाथयंत्र, सूर्यप्रतापयंत्र, तीजापौहूतयंत्र, वज्रपंजरयंत्र, चतुः योगिनी आदि के चित्र भी हैं ।
शास्त्र भण्डार श्री दि० जैन मन्दिर बडा तेरहपंथियों का जयपुर -
जयपुर नगर बसने के कुछ समय बाद ही इस मन्दिर का निर्माण हुआ । मन्दिर के नाम के पूर्व जो 'बड़ा' शब्द लगाया गया है, वह तेरह पंथ आम्नाय की दृष्टि से है । तेरह पत्थ आम्नाय वाले मन्दिरों में यह मन्दिर सबसे प्रमुख है । इसके अतिरिक्त यह एक पञ्चायती मन्दिर भी है। प्रारम्भ से ही इस मन्दिर को साहित्यिक एवं धार्मिक क्षेत्र में केन्द्रस्थान होने का सौभाग्य मिला है। जयपुर में होने वाले प्रतिष्ठित साहित्यिकों का भी इस मन्दिर से अत्यधिक सम्पर्क रहा है तथा उनमें से कितने विद्वानों को तो इसी मन्दिर में बैठकर ग्रन्थ रचना करने का अवसर भी मिला था। इन विद्वानों में महापंडित टोडरमलजी, पं० जयचन्दजी छाबडा, पं० सदासुखजी कासलीवाल, बाबा दुलीचन्दजी के नाम उल्लेखनीय हैं।
इस मन्दिर में स्थित शास्त्र भण्डार जयपुर के अन्य शास्त्र भण्डारों को अपेक्षा उत्तम एवं वृहद् हैं । यहाँ दो शास्त्र भण्डार हैं। एक स्वयं बड़े मन्दिर का शास्त्र भण्डार तथा दूसरा बाबा दुलीचन्दजी द्वारा स्थापित शास्त्र भरडार | प्रस्तुत पुस्तक में बड़े मन्दिर के शास्त्र भरद्वार के ग्रन्थों की ही सूची दी गयी है | बाबा दुलीचन्द के भण्डार की सूची भी तैयार हो गयी है किन्तु उसे अगले भाग में प्रकाशित की जावेगी ।
सूची बनाने से पूर्व शास्त्र भण्डार की अवस्था कोई अच्छी नहीं थी। शास्त्र भण्डार में कुल कितने ग्रन्थ हैं और वे कौन कौन से हैं इसका पूर्ण परिचय मिलना कठिन था। क्योंकि सैंकडों ऐसे प्रन्थ निकले हैं जिनके विषय में कोई भी उल्लेख नहीं था। इसके अतिरिक्त कोई सूचीपत्र न होने के कारण किसी ग्रन्थ को बाहर स्वाध्याय के लिये निकालना कठिन था । सभी मन्थ अव्यवस्थित रूपमें रखे हुये थे । एक २ वेष्टन में दस दस शास्त्र तक बंधे हुये थे । तथा बहुत से ग्रन्थ तो बिना वेष्टन हो विराजमान थे ! सभी गुटके एक आल्मारी में बिना वेष्टन ही रखे हुये थे। पता नहीं कितने वर्षों से वे इसी रूप में आलमारी की शोभा बढ़ा रहे थे। जिनवाणी माता की यह अवस्था देखकर बहुत दुःख हुआ लेकिन कहा किससे जावे । जिससे भी कहा जावे उसका यही उत्तर होता है कि हमतो इन शास्त्रों के विषय में समभते
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नहीं हैं जो उन्हें संभाल कर रखें। मन्दिरों में सोना जड़ाने वाले और उसे थोथे वैभव से अलंकृत करने वाले इस अमृत्य साहित्य का क्या मूल्य जानें। उनके लिये तो शास्त्र भण्डार एक श्रद्धा की वस्तु है जिसकी चे पूजा कर सकते हैं, रक्षा नहीं । चूहे और दीमकों की भेंट चढ़ा सकते हैं लेकिन ग्रन्थ को पढने के लिये शास्त्र भण्डार से बाहर निकाल कर किसी को दे नहीं सकते ।
इसी मन्दिर में कुछ ग्रन्थ बोरियों में भरे थे। यह हमारी उस लापरवाही का परिणाम है जिसके अनुसार हम शास्त्रों के पन्ने पड़ने के लिये घर ले जाया करते थे। लेकिन उन्हें कभी वापिस लौटाने का प्रयत्न नहीं करते थे । मेरे लिये यह तो संभव नहीं था कि सारे अपूर्ण ग्रन्थों के पत्रों को ढूंढ कर पूर्ण कर देता फिर भी एक लंबे अर्से के प्रयत्न अथवा छानवान के बाद इनमें से कुछ ग्रन्थों को तो पूर्ण कर लिया गया और कुछ अपूर्ण ग्रन्थों के पन्नों का संकलन भी हो सका । हर्ष की बात है कि इन विकी पन्नों में कुछ ऐसे भी ग्रन्थ मिले जो अभी तक किसी भी शास्त्र भरडार में उपलब्ध नहीं हुये थे। इन ग्रन्थों में महाकवि स्वयम्भूकृत पउमचरिय एवं महाकवि वीर कृत जम्बूस्वामी चरित्र का संस्कृत दिप्पण है। इन्हीं वोरियों में से करीब ५०० अपूर्ण एवं फुटकर का संकलन किया गया। इनमें से कुछ तो इसी सूची में आगये हैं और शेष प्रन्थों को एक इन अपूर्ण होने से छोड दिया गया है ।
!
इस भएहार में सब मिला कर २६२६ ग्रन्थ हैं इनमें ३२४ गुटके भी सम्मिलित हैं । इन गुटकों में भिन्न २ छोटे २ पाठों के संग्रह के अतिरिक्त छोटे २ ग्रन्थों का भी संग्रह है। यदि इनमें उपलब्ध साहित्य को देखा जाये ता बहुत से गुटके तो ऐसे मिलेंगे जो एक ही कई प्रन्थों के बराबर हैं । इस शास्त्र भरडार में ग्रन्थों का संग्रह प्राचीनता, श्रेष्ठता एवं अन्य सभी दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण है । भाषाओं में संस्कृत, प्राकृत, अपभ्रंश एवं हिन्दी इन ४ भाषाओं की रचनाओं का यहाँ संग्रह है । विषय सूची को देखकर पाठकगण जान सकेंगे कि ऐसा कोई उल्लेखनीय विषय नहीं छूटा है जिसके साहित्य का इस भण्डार में संग्रह नहीं किया गया हो । लौकिक एवं पारलौकिक दोनों ही तत्वों से सम्बन्धित साहित्य का उत्तम संग्रह आपको इस भण्डार में मिल सकता है।
इस भण्डार में जैन विद्वानों द्वारा लिखे हुये साहित्य का ही संग्रह नहीं है किन्तु जैनेतर विद्वानों द्वारा लिखित ग्रन्थों का भी यहाँ उत्तम संग्रह है । इन ग्रन्थों में व्याकरण, काव्य, कथा, आयुर्वेद, ज्योतिष, संगीत आदि विषयों से सम्बन्धित साहित्य विशेष उल्लेखनीय है । साहित्य संग्रह में जैनों का हमेशा ही उदार हृटिकोण रहा है। उन्होंने, जहाँ कहीं भी उत्तम साहित्य मिला उसीका बिना किसी भेद भाव के संग्रह करके अपने शास्त्र भरडारों की शोभा को बढाया है । साम्प्रदायिकता की हवा साहित्य संग्रह की नीति में उन्हें छू भी नहीं गयी है।
जैसा कि पहिले कहा जा चुका है इस भण्डार में संस्कृत, अपभ्रंश एवं हिन्दी आदि सभी भाषाओं के साहित्य का उत्तम संग्रह है । संस्कृत साहित्य के उपलब्ध ग्रन्थों में असहस्त्री, उत्तर
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-श्री
पुराण की टीका, तवार्थसूत्र टीका, नागकुमार चरित्र, भरटकद्वात्रिंशिका, राजवंशवर्णन, आदिपुराण की सचित्र प्रति उल्लेखनीय है । अष्टसहस्त्रो की संवत् १४६० को एक प्राचीन प्रति भण्डार में प्राप्त हुई है। प्रति शुद्ध एवं सुन्दर है तथा सम्पादन करनेवालों के लिये काफी महत्व की है। आचार्य गुणभद्र कृत उत्तरपुराण का एक संस्कृत टिप्पण भी प्राप्त हुआ है जिससे पुराण के गूड अर्थ को समझने में काफी सहायता मिल सकती है। उत्तर पुराण पर मिलने वाला यह पहिला टिप्पण है। जिनसेनाचार्य कृत आदिपुराण की भी एक सचित्र प्रति इसी भण्डार में है। यद्यपि चित्र उतने सुन्दर नहीं हैं फिर भी प्रति दर्शनीय है । भरद्वात्रिंशिका में छोटी छोटी ३२ कथाओं का संग्रह है जो छोटे बच्चों के लिये काफी उपयोगी सिद्ध हो सकती हैं । ' राजवंशवर्णन ' एक छोटा सा ग्रन्थ है जिनमें भारत में होने वाले प्रायः सभी राजवंशों तथा उनमें होने वाले राजाओं का नाम, उनका शासनकाल आदि दिया हुआ है । इसी प्रकार तत्त्वार्थ सूत्र की टीका एवं नागकुमार चरित्र ( धर्मधर कृत ) ये दोनों ही रचनायें नवीन हैं और उत्तम हैं।
भण्डार में उपलब्ध अपभ्रंश साहित्य तो और भी महत्त्वपूर्ण है । अपभ्रंश एवं प्राकृत के ग्रन्थों को प्राचीन प्रतियों के अतिरिक्त कुछ ऐसी भी रचनायें हैं जो केवल इसी भण्डार में सर्व प्रथम उपलब्ध हुई हैं। प्राचीन प्रतियों में कुन्दकुन्दाचार्य कृत पञ्चास्तिकाय की संवत् १३२६ की प्रति मिली है जो भण्डार में उपलब्ध प्रतियों में सबसे प्राचीन प्रति है । इसके अतिरिक्त जितनी भी अन्य प्रतियां हैं वे अधिकांश १४ वीं शताब्दी से १६ वीं शताब्दी तक की हैं | महाकवि पुष्पदन्त विरचित आदिपुराण की यहाँ एक सचित्र प्रति भी उपलब्ध हुई है । यह प्रति संवत् १५६७ की है। इसमें ५०० से भी अधिक रंगीन वित्र हैं। सभी चित्र भगवान् आदिनाथ एवं अन्य महापुरुषों के जीवन से सम्बन्ध रखने वाले हैं। चित्र उत्तम एवं कलापूर्ण हैं | नवीन उपलब्ध साहित्य में महाकवि स्वयम्भू कृत पउमचरिय का टिप्पण, महाकवि वीर कृत जम्बूस्वामी पर संस्कृत टिप्पण, आचार्य श्रुतकीर्ति कृत योगसार (योगशास्त्र), वारकरी दोहा, दामोदर कृत रोमियाह चरिउ तथा तेजपाल कृत संभवणाद चरित्र उल्लेखनीय हैं । महाकवि धवल के हरिवंशपुराण की एक प्राचीन एवं सुन्दर प्रति भी मिली है। हरिवंशपुराण की एक या दो प्रतियां हो भारतवर्ष में उपलब्ध हैं ऐसा पढने में आया है । इसी प्रकार स्वयम्भू के पउमचरिय एवं बीर के जम्बूस्वामी चरि की भी सुन्दर प्रतियां उपलब्ध हुई हैं। इन ग्रन्थों की प्रतियां भी अन्य भण्डारों में बहुत कम संख्या में मिलती हैं ।
हिन्दी भाषा की भी कितनी ही नवीन रचनाओं का पता लगा है। इसके अतिरि जैन विद्वानों द्वारा लिखित हिन्दी जैन साहित्य का उत्तम संग्रह है । कवि देल्ह कृत 'चउबी
हिन्दी की प्राचीन रचना मिली है। इसकी रचना संवत् १३७१ में समाप्त हुई थी। श्री दशरथ निगोत्या द्वारा संवत् १७१८ में विरचित धर्मपरीक्षा की हिन्दी गद्य टीका एवं ब्रह्मनेमिदत्त विरचित नेमिनाथ पुराण की or टीका हिन्दी गद्य साहित्य की उल्लेखनीय रचनायें हैं। श्री जोधराज गोदीका कृत पद्मनन्दि-पंचविंशति
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-औकी भाषा टीका भी उपलब्ध हुई है । इसकी रचना संवत् १७२२ में हुई थो। ५० दौलतरामजी कृत अध्यात्म बारहखडी की एक ऐसी प्रति मिली है जिसमें ४८२६. पद्य है। अब तक प्राप्त अध्यात्म बारहखडी को प्रतियों में यह सबसे महत्त्वपूर्ण एवं बृहद् प्रति है। इनके अतिरिक्त अन्य कितनी ही रचनायें हैं जो अनेक दृष्टियों से महत्त्वपूर्ण हैं । इस प्रकार भएडार में १४ बों शताब्दी से लेकर २० वी शताब्दी तक हिन्दी का उत्तम साहित्य मिलता है।
भण्डार में गुटकों को संख्या ३२४ है। प्राचीन काल में गुटकों में महत्त्वपूर्ण सामग्री के संग्रह करने की काफी रुचि थी। इन गुटकों में दैनिक काम आने वाले पाठों के अतिरिक्त महत्त्वपूर्ण साहित्य का भी संग्रह कर लिया करते थे । भण्डार में उपलब्ध अधिकांश गुटके स्वयं संग्रहकर्ता के हाथ से लिखे हुये हैं । कभी कभी श्रावक गण विद्वानों से भी उत्तम पाठ संग्रह करा लिया करते थे। इस भण्डार में उपलब्ध अनेक गुट के बहुत ही महत्व के हैं । संवत् १३७१ की जो हिन्दी की रचना मिली है वह भी गुटके में ही संग्रहीत थी । इन गुटकों में पूजा, स्तोत्र, भजन, आयुर्वेद के नुस्खे, मंत्र तंत्र ऐतिहासिक तथ्य अादि का उत्तम संग्रह मिला है। सभी जैन कवियों के पद व भजन संग्रह के अतिरिक्त नानक, गोपीचन्द, कबीर, मीराँ आदि के भी कितने ही पद इन गुटकों में लिखे हुये हैं । २५७ ३ गुटके में पाठक गण देखेंगे कि कितने कवियों के सबद लिखे हुये हैं । वास्तव में यदि इन गुटकों के अध्ययन में थोडा समय दिया जावे तो काफी महत्त्वपूर्ण सामग्री की प्राप्ति हो सकती है।
जैसा कि पहिले कहा जा चुका है, बडा मन्दिर सदा ही जयपुर के विद्वानों का केन्द्रस्थान रहा है। इसो कारण इस भण्डार में निम्न विद्वानों के अन्य उनके स्वयं के हाथ से लिखे हुये भी हैं। स्वयं ग्रन्थ निर्माता के हाथ से लिखे हुये ग्रन्थ की उपलब्धि होना अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है । ऐसे ग्रन्थों का ज्यों ज्यों समय बीतता जाता है से ही उनका मूल्य भी बढ़ता चला जाता है। इसलिये ऐसो प्रतियां देश एवं समाज की निधि हैं जिन्हें काफी सतर्कता से सुरक्षित रखने का प्रयत्न करते रहना चाहिये । भण्डार में निम्न विद्वानों के स्वयं अपने हाथ से लिखे ग्रन्थ मिलते हैं
१. श्री जोधराज गोदीका २. पं० जयचन्द्रजी छाबडा
पद्मनन्दिपञ्चविंशतिभाषा १. प्रमेयरत्नमाला भाषा २. द्रव्यसंग्रह भाषा ३. स्वामिकात्तिकेयानुप्रेक्षा भाषा ४. सर्वार्थसिद्धि भाषा ५. अष्टपाहुड भाषा ६. समयसार भाषा ७. ज्ञानार्णव भाषा
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पं० सदासुखजो कासलीवाल
१. तत्त्वार्थसूत्र टीका
२. रत्नकरएडभावकाचार भाषा समाप्ति--
__ शास्त्र भण्डारों की छानबीन करने, ग्रन्थ सूची बनाने आदि का काम कितना परिश्रम साध्य तथा इसमें कितना समय लगता है इसे तो वे ही जान सकते हैं जिन्हें कभी इसका अनुभव हुआ हो। हमारे शास्त्र भण्डारों की अवस्था एवं वहाँ के व्यवस्थापकों का व्यवहार इस कार्य में कितना सहयोगी बनता है इसे यहाँ लिखने की आवश्यकता नहीं, क्योंकि साहित्यिक क्षेत्र में काम करने वालों से यह छुपा हुआ नहीं है। लेकिन फिर भी हमें यदि कुछ साहित्य सेवा करनी है तो इन सब बातों की ओर से उपेक्षा वृत्ति हो धारण करनी पड़ेगी।
प्रस्तुत ग्रन्थ सूची विद्वानों के साथ २ साधारण पाठकों के लिये भी उपयोगी बन सके इसके लिये काफी प्रयत्न किया गया है | जहाँ तक हो सका वहाँ तक ग्रन्थकर्ता, भाषा, रचनाकाल, लेखनकाल, शुद्ध एवं अशुद्ध आदि की जानकारी देने में काफी प्रयत्न किया गया है, फिर भी यदि कहीं गल्तो रह गयी हो तथा प्रन्थ सूची तैय्यार करने की रीति में कहों सुधार की आवश्यकता हो तो पाठकगए मुझे सूचित करने का कष्ट करें जिससे भविष्य में प्रकाशित होने वाली ग्रन्थ सूचियों में उन्हें दूर किया जा सके ! धन्यवाद समर्पण
सबसे पहिले मैं श्री दि. जैन अ. क्षेत्र श्री महावीरजी के मन्त्री महोदय श्रीमान् सेठ बधीचन्दजी गंगवाल एवं अन्य सदस्यों को धन्यवाद देता हूँ जिन्होंने क्षेत्र की आय का एक भाग साहित्य सेवा में लगाने का निश्चय किया है, तथा राजस्थान के सभी शास्त्र भएडारों को छानबीन करने तथा उनकी सूची आदि प्रकाशित कराने का सकिय एवं प्रशंसनोय. कदम उठाया है । उनका यह प्रयास समाज की अन्य क्षेत्र संस्थाओं के लिये अनुकरणीय है।
पं० लूणकरजी के मन्दिर के प्रबन्धक बाबू मिलापचन्दजी बागायतवालों को धन्यवाद दिये बिना नहीं रह सकता जिन्होंने अपने शास्त्र भण्डार की सूची बनाने में सक्रिय सहयोग दिया । वास्तव में आप जैसे युवक यदि अन्य शास्त्र भण्डारों की सूची आदि बनाने में सहयोग देवें तो यह कार्य काफो शीघ्रता से किया जा सकता है। .
श्री दि० जैन मन्दिर बडा तेरह पंथियों के प्रमुख प्रबन्धक स्व० श्री केशरलालजी पापडीवाल भी धन्यवाद के पात्र हैं। आपको शीन ही शास्त्र भण्डार को व्यवस्थित एवं उसकी प्रकाशित सूची को देखने की तीत्र इच्छा थी, लेकिन दुःख है कि श्राप एकाएक चल बसे! आपको हमेशा मन्दिर के प्रबन्ध एवं उसकी व्यवस्था की चिन्ता रहती थी। इसलिये आप अपना अधिकांश समय इसी कार्य में व्यतीत किया करते थे।
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मेरे मित्र एवं सहयोगी श्री अनूपचन्दजी न्यायतीर्थ भी धन्यवाद के पात्र हैं जिन्होंने सूची के प्रूफ रीडिंग एवं लेखक सूची बनाने में पूरा सहयोग दिया है । इस अवसर पर मैं मेरे श्रादरणीय विद्यादाता एवं पया दर्शक श्री चैन खाइसी साह के प्रति भी कृतज्ञाञ्जलिये प्रकट किये बिना नहीं रह सकता जो मुझे इस पुनीत कार्य में समय २ पर प्रेरणा देते रहे हैं और मेरा पथ प्रदर्शन करते रहे हैं। उन्होंकी सजीव प्रेरणा से मुझसे यह साहित्यिक सेवा सम्पन्न हो रही है ।
कस्तूरचन्द कासलीवाल
जयपुर ता.१-१-४४
Mon
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कतिपय महत्त्वपूर्ण एवं अप्रकाशित ग्रन्थों के नाम--
ग्रन्थ सं०
ग्रन्थ का नाम
कर्ता का नाम
विषय
भाषा
ग्रन्थ-सूची पत्र
कथा
इतिहास मंत्र शास्त्र
संस्कृत अपभ्रंश हिन्दी संस्कृत हिन्दी अपभ्रश
२०७०
१४४
१५६
५३४
अध्यात्म योगशास्त्र
अपभ्रंश हिन्दी अपभ्रंश हिन्दी संस्कृत हिन्दी अपभ्रंश
१७५ २०५. २११ २१३
पुराण
mc.w
11००२
शुकराजहंसराज कथा माणक्यसूरि सिद्धचक्र कथा
नरसेनदेव जयपुर के शासकों की वंशावलि - विद्यानुवाद
मल्लियेरम पश्चास्तिकाय भाषा हीरानन्द सिद्धान्तार्थसार रइधू पद्मनन्दिपश्चविंशति । जोधराज गोदीका रत्नकरण्ड शास्त्र
श्रीचन्द्र अध्यात्मवारहखड़ी दौलतरामजो योगसार
श्रुतकीति आदिपुराण भाषा अजयराज उत्तरपुराण टिप्पण नेमिनाथपुराण टधा दोका - पासणाहपुराण रश्धू हरिवंशपुराण
धवल
यश कीर्ति ऐमिणाहचरिउ दामोदर नागकुमारचरित्र पं० धर्मधर प्रद्य मनचरित्र महाकवि सिंह मेघेश्वरचरित्र पं० रइधू श्रीपालचरित्र पं० रइधू संभवनाथचरिउ तेजपाल सुकुमालचरिउ श्रीधर भरटकद्वात्रिंशिका जम्बूस्वामी चरित महाकवि वीर पध्मचरिय
, स्वयम्भू चन्द्रप्रभचरित्र
यशःकीर्ति वर्द्धमानकाव्य जयमित्रहल
. चरित्र
१
२२३
१०४६ १२८३ १९०५ १११८ १११५२
संस्कृत अपनश
२२४
२२७
२३२
२३३
संस्कृत अपभ्रंश
११२१६
१२२३ (१२६२ १३७५ १३६८ ६१३७३ ११४५७
२३६ २४६
२५३.
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-
अन्य सं०
विषय
भाषा
प्रन्थ-सूची पत्र
१४७४
काव्य
अपभ्रंश इतिहास संस्कृत
आयुर्वेद अपभ्रंश मंत्रशास्त्र संस्कृत . अलंकार शास्त्र ,
२६८
२७३
ग्रन्थ का नाम कर्ता का नाम . पट्कर्मोपदेशरत्नमाला अमरकीति राजवंशवर्णन जगसुन्दरीप्रयोगमाल यशःकीर्ति । सौभाग्यरत्नाकर विद्यानंदनाथ अमरूकशतक
अमरूक कविमुखमंडन जानमेरुमुनि बारबखरी दोहा महचन्द शांतिनाथस्तवन पद्मसुन्दर संगीतशास्त्रसार दामोदर गटका नं०२५६
१७३२ १७३४ १८२५
२७८
२८७
सुभाषित स्तोत्र संगीत शास्त्र संग्रह
अपभ्रंश संस्कृत... ..
, ...
३०३
२२२६
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1
अशुद्ध
दशनसार
सिद्धचत्रकथा
शकुनाणव
पत्त्रयविधान
शनिञ्चर
कुन्दछुन्दाचार्यं
हेमचन्द्र
विषभूषण
शकुनाब
सूर्य प्रतापयन्त्र
सूर्यप्रतापयन्त्र
पंचमसचतुदशीव्रत पूजा पंचमासचतुर्दशी व्रत पूजा
१७६२
१७००
१६६१
१६६३
छा०
शंकराचा
श्रपणासार
सिद्धान्तवचूरि
हीनद
भावात्रिभंगी
श्लोकावार्त्तिक
टोडरमलजी
भारी
५४८
टंका
★ शुद्धाशुद्धि-पत्र ★
श्रीमच्चामुख
सोलकी
बासवा
शुद्ध
दर्शनसार 3
सिद्धचक्र कथा
पयविधान
शनिश्चर कुन्दकुन्दाचार्य
हेमराज
विश्वभूषण
शंकराचार्य
क्षेपणासार
सिद्धान्तावचूरि
हीरानन्द
भावत्रिभंगी
श्लोकवार्त्तिक
जयचन्दजो
भंडारी
५६३
टीका
श्रीमच्चामुंड
सोलंकी
बसवा
पृष्ठ तथा पंक्ति
४-१३
२३-२३
३८-१२
४१-१४
६४-१२
७०-२५
७५-६
=१-४
१०४-१३
१०८ - २४
११०-२७
११२-५
११५-१६
१२०-२८
१३२-३
१३७-२१
१४४-३
१४४-२८
१४५-२२
१४६-२२
२४७-१८
१४८-६
१४८-१२
१५२-१८
१५२-२८
१५४-१
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-
घ
अशुद्ध
शुद्ध
पृष्ठ तथा पंक्ति
नेभिदत्त
नेमिदत्त
१६३-१८
ध्यान नभर अन्तिम वहेरकाचार মাগমসঙ্কাহিঙ্গা
धर्म नगर अन्तिम वटेरकाचार्य वर्णाभमप्रकाशिका
२०६-५
उमास्वाति
दशलक्षाविद्यालय कुन्दकुन्द
दशलक्षणविधान योगीन्द्रदेव भुवनकीर्ति
३७४-२१ ३७६-२
सुवनकीर्ति
-
-
ज
ROMAmernama
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ग्रन्थ सूची ( भाग २ )
एयडिश्रायत वलक्षण जाण सनियंवद डिम कंची दा करिवि
लिपिड कलर
वरासुर विला मदादीस सामा एथिवरमद करतो बाब
rn
"मरपवः लिपटी एको
रुपा सतायाठी कसे दिजाय
मशचिताः। मयजगणचय विमा व सुवणिवरधरण
समजाया सदलणं सार्वसिद्ध पलोपि
गणय
संध
शावीसहि
हरवि
सुचियते
या
वादिवामकरेहिलिहा
भगवान् आदिनाथ अपनी दोनों पुत्रियों को पढ़ा रहे हैं ।
[ महाकवि पुष्पदन्तकृत आदिपुराण की एक सचित्र प्रति जयपुर के श्री दिगम्बर जैन मन्दिर वढा तेरपंथियों के शास्त्र भण्डार में उपलब्ध हुई है। यह प्रति संवत् १५६७ की है । इसमें ५०० से अधिक चित्र हैं। सभी चित्र सुन्दर एवं कलापूर्ण हैं । ]
☆
कता
परमंडि
रसाद
रोकेर स्वत मेदुर्गसारिमन इहे!! मासापूरक
झाल
समययदेव
भगवान आदिनाथ के सामने अप्सरायें नृत्य कर रही है ।
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हादिरमिकरणास सुविजणु घरेजर पियाड गाय प सामका किसान सजाय सदा हरिहरिकंतु कड़े विहरिवं
माकपर सुपमत काममा मिठास मूलिप यासिका अवस चकरण सरिहरु सठि पाहवंससापाठिं उदममकुम या पिनंद मरुपी
भगवान आदिनाथ के राज्याभिषेक का एक दृश्य |
किरार ताम
सम्राट् भरत को सेनायें दिग्विजय के लिये प्रस्थान कर रही हैं ।
!
मन्दमरणसरखरधिहखेषु सविलासविलासिपिटि कामधेयकाचीणपरिवरिया जसपर साथिय
वष्य ममरपाली गुरुथाण पययणमिव मतपत्रु जिवदापक्षियदीर मद सरी हुदसणसी सरकाराविया कपणादिक सुकाणा
PIBRINK
दिन ज्याम
महामन्त्री भरत और महाकवि पुष्पदन्त की प्रथम भेंट | !
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राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों
ग्रन्थसूची
श्री दि० जैन मन्दिर लूणकरण जी पांड्या ( जयपुर ) के
ग्रन्थ विषय-सिद्धान्त एवं चर्चा
ग्रन्थ संख्या-५६ १ अनन्तकाय वनस्पति भेद......" । पत्र संख्या-४ | साइज--११४४३ इन्न । भाषा-प्राकृत । विषय-वनस्पति[ फाय के जीवों का वर्णन | रचना काल-- | लेखन काल-- । पूर्ण | दशा-सामान्य एवं शुद्ध । वेष्टन ने ०-१५ ।
विशेष-गामानों का हिन्दी में संक्षिप्त अर्थ दिया हुआ हैं। इसमें प्राकृत भाषा में त्रिषष्टिशलाका पुरुष वर्णन तथा | हिन्दी में तेरह काठिया वर्णन भी है। काठिया का लक्षण निम्न प्रकार से किया है
जेवटयारे वाट में करहिं उपद्रव जोर ।
तिनहिं देस गुजरात में कहहिं काठिया चोर ॥ २. अकर्मप्रकृति...... ! पत्र संख्या:-५ । साइज-१२४६ इञ्च ! भाषा-हिन्दी ! विषय-पाठ कनों की प्रकृतियों का वर्णन । रचनाकाल-~। लेखनकाल-x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं०-१६ ।
३ श्रास्त्रवत्रिभंगी..." । पत्र सं०-५४ । साइज-११४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त ] रचनाकाल | ! लेखनकाल ४ ! अपूर्ण-एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं०-२५६ ।
.. ४ प्रति नं.-२ । पत्र सं०-४६ । साइज़-१०x४ इश्च । लेखनकाल-X । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य । वेष्टन नं०-२५६ । ...:. ५ उत्तराध्ययन टीका-टीकाकार-कमलसंयमोपाध्याय । पत्र सं०-३०७ । साइज-१०x४ इश्च । माषा-संस्कृत । विषय-श्रागम । टीकाकाल सं० १५५४-४ लेखनकालX । अपूर्व-प्रारम्भ के २१ तमा ११२ से १४७ तक के पत्र नहीं हैं । सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं.-२६.1
६ कर्मकाण्ड-याचार्य नेमिचन्द्र | पत्र सं.-५३ । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत | विषय-कों का विस्तृत विवेचन । रचनाकाल-X | लेखनकाल-सं० १८७२ पौष सुदी १४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. ..।
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[सिद्धान्त एवं चर्चा
७ कर्मप्रकृति-प्राचार्य नेमिचन्द्र । पत्र सं०-२२ । साइज ११४५ इञ्च | भाषा-प्राकृत । विषय-कमों की प्रकृतियों का वर्णन | रचनाकाल- | लेखनकाल-X1 पूर्ण । दशा-सामान्य । वेष्टन नं०-२६ ।
विशेष-संस्कृत में कठिन शब्दों के पर्यायवाची शब्द दिये हुए हैं । ८ प्रति नं०-२ । पत्र सं०-१५ | साइज-१२x६ इञ्च । लेखनकाल- । पूर्ण | दशा-सामान्य । वेष्टन नं०-२६ विशेष-संस्कृत में शब्दार्थ दिया हुआ है ।
६ चतुर्दशगुणस्थानचर्चा..... ! पत्र सं०-१२ । साइज--१२४५ इश्च । भाषा-हिन्दी | विषय-गुणस्थान चर्चा । रचनाकाल-x | लेखनकाल-X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं०-४४ |
१० चर्चासमाधान-कवि भूधरदास । पत्र सं०-१२६ ! साइज-३४६ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषय-प्रश्नोत्तर के रूप में धार्मिक एवं सैद्धान्तिक प्रश्नों का समाधान | स्वनाकाल-सं० १८०६ । लेखनकाल-स० १८३० श्रावण सुदी ११ । पूर्ण । एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं-४१ ।
११ चर्चासमाधान टीका...... । पत्र सं०-१० । साइज़-६३४६ इश्व | भाषा-हिन्दी | विषय-चर्चा ।। रचनाकाल-x | लेखनकाल–X । पूर्ण । दशा--सामान्य । श्रेष्टन नं. ४ ॥
विशेष--१२२ चर्चाओं का समाधान है तमा मुख्यतः ज्ञानावरणीय और दर्शनावरणीय कर्मों पर चर्चायें हैं।
१२ चौदहगुणस्थानचर्चा-श्री दीपचन्द कासलीवाल | पत्र सं०-२६ । साइज-५४२३ इश्च । भाषा-हिन्दी) गद्य । विश्व-गुणस्थानों का वर्णन | रचनाकाल x | लेखनकाल X पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य ! वेन्टन नं० ४२ । '
१३ चौदहगुणस्थानचर्चा............... | पत्र सं०-३१ । साइज ६४४६ इञ्च । माषा-हिन्दी | विषय-गुणस्थानों का वर्णन | रचनाकाल X । लेखनकाल x ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेश्टन नं ० ४२ ।
विशेष साधारण चर्चायें हैं।
१४ जीवसमास-श्री हेमराज । पत्र सं०-२८ । साइज-६x४३ इल | भाषा-हिन्दी । विषय-जीव तत्त्व-का वर्णन] रचनाकाल ४ ! लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ५० ।
विशेष-गोम्मटसार जीवकांड की १४७ गाथाओं के आधार पर जीवों का वर्णन किया गया है । '
१५ तत्त्वज्ञानतरंगिणी-म० शानभूषण | पत्र सं०-१७ । साइज १:४५३ इश्च | भाषा-संस्कृत । विषयसिद्धान्त । रचनाकाल-सं०-१५६० । लेखनकाल X ! पूर्ण तथा शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ५६ |
१६ तत्त्वार्थसूत्र-प्राचार्य उमास्वाति । पत्र सं०-१८ । साइज-७६४५६ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-सिद्धान्तं ।। रचनाकाल-X । लेखनकाल–x। पूर्ण तथा शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं०-६२ ।
१७ प्रति नं०-२। पत्र सं०-१५ । साइज ८४५३ इञ्च | लेखनकाल-x। पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य ।। वेष्टन नं.-६२।
१८ प्रति नं.-३ । पत्र संख्या-११ | साइज-११४५ च । लेखनकाल-x। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ।। वेष्टन नं०-६२।
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न सिद्धान्त एवं चर्चा ] नयों १६ प्रति नं०-४। पत्र संख्या-१ | साइज-१२४६ इन्च | लेखनकाल-X ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं०-६२।
२० प्रति नं-५ । पत्र संख्या १५ । साइज ४५१ इन्च । लेखनकाल-x | अपूर्व-प्रथम पत्र नहीं है! शुद्ध । २६ दशा-सामान्य । वेष्टन नं०-२६७॥
२१ प्रति नं.-६ । पत्र संख्या-१६ | साइज-20४५ इञ्च | लेखनकाल-४ । अपूर्ण एवं शुद्ध-अन्तिम पत्र नहीं न है । दशा-सामान्य । वेष्टन नं.-२६७ ।
विशेष-प्रथम दो अध्याय टीका सहित हैं ।
२२ तत्त्वार्थ सूत्र टन्बा टीका। टीकाकार-६० दौलतरामजी । पत्र सं०-४५ | साइज-११४५, इन | र्ण भाषा-संस्कृत-हिन्दी ! विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल-x ! लेखन काल-X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न-६५ ।
विशेष-प्रति प्राचीन है।
२३ तत्त्वार्थ सूत्र भाषा भाषाकार श्री कनककीर्ति | पत्र सं०-२७४ । साइज--१४४ इव । भाषा-हिन्दी | | विषः शिवाज । सपना --- । ऐ.सबकास ...१-१४पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम | वेष्टन नं-६४ ।
२४ प्रतिनं० २ । पत्र संख्या १४३ 1 साइज-१०६x४३ इञ्च | देखनकाल-सं० १८६५ ! पूर्ण तया शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं० ६४ |
२५ प्रति नं०-३ | पत्र सं० ६४ | साइज-११४५ इञ्च ! लेखनकाल- | अपूर्ण तथा शुद्ध | दशा-सामान्य | - वेटन नं. ६४। .
२६ प्रति नं०-४ । पत्र सं० ६४ । साइज-११४५ इन्न । लेखनकाल–X | अपूर्ण-प्रथम अध्याय तक ही है । शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं०६४ |
२७ प्रति न०-५ ! पत्र सं०-१०० । साइज-११४५३. इञ्च । लेखनकाल-x। पूर्व तथा शुद्ध । दशा-उत्तम । बेष्टन नं०-६६ ।
२८ तत्त्वार्थसूत्र टीका-टीकाकार-श्रीश्रु तसागर | पत्र सं. ४७० | साइज १२४५ इच। भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त । टीकाकाल- ४ | लेखनकाल | पूर्ण तथा शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं० ६३ ।
२६ तत्त्वार्थसत्र सटीक........... । पत्र सं० २२ । साइज १२४४३ इन्च । माषा-संस्कृत-हिन्दी | विषयसिद्धान्त ! रचनाकाल ४ ! लेखनकाल x ! पूर्ण तया शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं। ६५ ।
विशेष-प्रति प्राचीन है।
३० द्रव्यसंग्रह-प्राचार्य नेमिचंद्र । पत्र सं०-५ | साइज-११४५ इश्व । भाषा-प्राकृत । विषय-द्रव्यों का वर्णन | रचनाकाल X | लेखनकाल-सं० १८१० कार्तिक सुदी १५ | पूर्ण तथा शुद्ध | दशा-सामान्य | वेटन नै० ७१ ।
विशेष-पर्यायवाची शब्दों के अतिरिक्त संस्कृत में टीका भी दी हुई है। सवाई जयपुर में संघी जिनदास ने ग्रन्य में प्रतिलिपि की थी।
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[सिद्धान्त एवं चर्चा
३१ प्रति न० २१ पत्र सं-- | साइज-११४५६ इन ! लेखनकाल-सं. १७८३ श्रावण सुदी । पूर्ण तथा । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ७१ ।
विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं।
३. प्रति नं. ३ । पत्र सं०-४ | साइज-१.४४: इन। लेखनकाल ४ । पूर्ण तथा शुद्ध । दशा-सामान्य ।। अपन ।
३३ प्रति नं. ४। पत्र सं2-८ । साइज-1.X४ इन। लेखनकाल x। पुर्ण तथा शुद्ध । दशा-सामान्य ।। वटन नं ७
विशेष-प्रति सटीक है।
३४ प्रति नं८५पत्र सं०-५ । साइज-११४४३ इञ्च । लेखनकाल | पूर्ण तथा शुद्ध । दशा सामान्य , वष्टन नं. ७१ ।
___३५ दर्शनप्राभृत-प्राचार्य कुन्दकुन्द । पत्र सं०-३ । साइज १२४४३ इश्च । मात्रा-प्राकृत | विषय-सिद्धान्त ।। ननाकाल X । लेखनलाल x | पूर्ण तथा सामान्य शुद्ध | दशा सामान्य । बटन नं. ७३ ।
३६ दशनसार-श्री देवसेन । पत्र सं.-५ | साइज १२४५ इन्न । भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धान्त । रचनाकालxi लेखनकाल ४ ! पूर्ण तया शुद्ध । दशा-सामान्य । बेपन नं ७४ ।
विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं।
३७ प्रति नं०६ । पन सं2-३ । साइज़-११४५ इत्र लेखनकाल x। 'पूर्ण तथा सामान्य युद्ध ! दशा। सामान्य । बेटन नं ७४ |
३८ नयचक्रभाषा-श्री हेमराज | पत्र सं०-१७ | साइज-११४५१ इञ्च । भावा-हिन्दी 1 विषय-नयों म चन | रचनाकाल-सं. १७२६ । लेखनकाल-सं. १७६० | पूर्ण एवं अशुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८३ |
३६ नवतत्त्ववृत्ति.....पत्र सं०-२५ । साइज-११:४५६ इञ्च ! भाषा-संस्कृत | विषय-तत्व चर्चा कनाकात-यं० १६५० | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । बेन्टन नं० २७।
विशेष-टीकाकार श्री विनयसागर हैं ।।
४. प्रति न० २ 1 पत्र सं०-६ । साइज-१८४५ इञ्च । लेखनकाल x ! पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टना । नं. ७
४१ प्रति नं० ३ 1 पत्र सं०--२८ | साइज ६x४६ इन्न । लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य वेटन नं०६७।
४२ नियमसार-प्राचार्य कुन्दकुन्द । पर सं०-६३ । साइज-१६४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धान्त रचनाकाल X । लेखनकाल–सं० १७६४ कात्तिक सुदी १० । पूर्ण एवं शुद्ध । देशा-सामान्य । बेन्टन ने |
___ विशेष-पद्मप्रभमलधारिदेव कृत संसत टीका भी है ।
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सिद्धान्त एवं चर्चा]
४३ पंचारितकाय-प्राचार्य कुन्दकुन्द । पत्र -११ । साइज १७४४ इश्च । भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धान्त । बनाकाल X| लेखनकाल ~। अपूर्ग-४ से ५.५ तक के पत्र नहीं हैं । शुद्ध । दशा-सामान्य । श्रेष्टन मं० १२६ ।
४४ भावत्रिभंगी-प्राचार्य नेमिचन्द्र | पत्र सं० १४४ । साइज १०६४१ हज । साषा-प्राकृत । विषय-सिद्धान्त | हनाकाल x | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४२
१५ भावसंग्रह-श्रुतमुनि । पत्र सं० ६२ | साइज १२४५ च । भाषा-प्राकृत | विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल ४ | डेसनकाल-- १७६४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । बेष्टन नं० १.४३
४६ प्रति नं०२। पत्र सं०३६ । साइज १०:४४, इस 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ने १४: 1
४७ लिंगपाहुड-आचार्य कुन्दकुन्द । पत्र सं० ४ । साइज १२.४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत | विषय-सिद्धान्त । चनाकाल ४ | लेखनकाल x। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा--उत्तम । बेष्टन नं. १७६ । .
विशेष-इसमें शीलपाहुइ भी है।
४८ विशेषसत्ताविभंगी............" । पत्र सं० १७ । साइज ११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-सिद्धान्त । ननाकाल X । रोखनकाल-सं० १७७६ । पूर्ण एवं शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७६ 1
१६ विशेषसत्तात्रिभंगी। पत्र संभ ४६ | साइज १२४५३ इंच । भाषा-हिन्दी 1 विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल x/ -लिखनकाल-सं० १८०७ भादवा मुदी १३ । पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १७६ ।
विशेष-प्रारम्भ में प्रास्रवत्रिभंगी नाम दिया हुआ है। ५० प्रति न-२ | पत्र सं० ४६ । साइज Ex५ इश्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं१७६
५१ विशेषसत्तात्रिभंगी....। पत्र सं० ४६ । साइज ६३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी | विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल x . लेखनकाल x | अपूर्ण एत्रं सामान्य शुद्ध | दशा--सामान्य । वेष्टन नं १६३। ..
५२ षटकर्मोपदेशरत्नमाला-पं लाल चन्द | पत्र सं० १३७ । साइज १२४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी | विषय-सिद्धान्त । रनाकाल सं० १८१८ । लेखनकाल X । अपूर्ण-प्रारम्भ के १०० पत्र नहीं है । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०५ ।
.५३ प्रति ०२१ पत्र सं १०६ । साइज १२४७ इन्न । लेखनकाल x | अपूर्ण-- से ५१ तक के पत्र नहीं है। शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १०५ ।
५४ प्रति नं.-३ 1 पत्र सं० १५५ । साइज-११३४५३६५ । नखनकाल-सं १८२१ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशाम । वैटन नं० २०५। . : ५५ सर्वार्थसिद्धि-पूज्यपाद । पत्र सं. १८६। साइज १०४६ छ । भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त ।
रचनामल । लेखनकाल-x। अपूर्ण-१६,१८५ से १८ तक के पत्र नहीं हैं। सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । बटन -२६७।
- विशेष-तन्चार्यसूत्र की टीका है।
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[धर्म तथा आधारशाद
५६ सूत्रनाभृत-आचार्य कुन्दकुन्द | पत्र ८ ३ 1 साइज १२४५३ ३१ । भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धान रचनाकाल X | लेखनकाल--X | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य ! बेष्टन नं०-२३५ ।
विशेष--संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं।
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विषय-धर्म तथा आचारशास्त्र
ग्रन्थ संख्या-४२ ५७ चारित्रप्राभृत-भावार्थ कुन्दकुन्द | पत्र सं०-५ | साइज-१६४५ इन्छ । भाष:-प्राकृत | विषय-सम्यग्दर्शनादि का वर्णन । रचनाकाल x | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा--सामान्य । वेष्टन नं० २६४
___५८ चारित्रसार-श्री चापुरा उराय । पत्र सं०-६४ । साइज-२५३४५ इच। भाषा-सस्कृत ! विषय-धा. स्ननाबाद | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य । वेष्टन नं, ४५ ।
विशेष-संस्कृत में संक्षिप्त टीका दी हुई है ।
-५६ चौदहाल ....... . . | पत्र सं.-३१। साइज ६x४३ इन्च | भाषा-हिन्दी। विषय-गुणस्थान चची रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४५ ।
चर्चा-नेमिचन्द्राचार्य 1 पत्र सं०-३० | साइज-११४६ इन्न । भाषा-प्राकृत | विषय-सिद्धा रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्थ । वेष्टन नं. ४३ /
६१ प्रति नं० २ । पत्र सं०-४८ | साइज-११४५ इन्न । लेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य वैन्टन नं. ४३ ।
६२ प्रति नं०३ । पत्र सं०-५० । साइन-१११x६३ इन्च | लेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-समात्य । श्रेष्टन नं. ४३ |
६३ प्रति न०४। पत्र सं०-२६ । साइज-११४६ इन्न । लेखनकात x। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य वेष्टन नं० ४३ ॥
विशेष-संस्कृत में कहीं २ टीका दी हुई है।
६४ प्रति नं. ५। पत्र सं०-५७ । साइज-१०:४४ इश्व | लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य | वेटन नं०.२६४ ।
'विशेष-संस्कृत में संक्षिप्त टीका दी हुई हैं। - ६५ प्रति ०६ । पत्र सं०-५३ । साइज-१.१४५ इत्र ! लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य । वेटन नं० २६४ ।
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धर्म तथा श्राचारशास्त्र]
६६ चौबीसदण्डक-पं० दौलतरामजी । पत्र सं०-३ । साइज १-१.४६ इ 1 भाषा-हिन्दी । विश्व-धर्म | रचनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण तया सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं. २६४ ।
६७ विवर्णाचार-भ- सौमसन । पत्र सं०-१६३ । साइज ११४५ इन्न । भाषा--संस्कृत । विषय-तीन वरणों के प्राचार धर्म का वर्णन । रचनाकाल X 1 लेखनकाल–सं. १८७१ वैशाख बुद्धी ६ । पूर्ण तथा सामान्यं शुद्ध । दशा-सामान्य । बटन नं.६.।
विशेष-लिपिस्यान-जयनगर (जयपुर )
६. प्रति नं. २१ पत्र सं०-८ | साइज-११४५ इव | लेखनकाल सं८ १८३३ अपाद मुद्री : । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं०६० |
६६ वेपनकिया-ब्रह्म गुलाल । पत्र सं.-३ | साइज-१०६x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी | विषय-५३ क्रियायों का वर्णन | रचनाकाल-सं० १६६५ । लेखनकाल सं० १७२२ । 'पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं ०-५८ }
७० वेपनक्रियाकोश-किशनसिंह । पत्र सं-११४ । भाषा-हिन्दी । विषय-क्रियाओं का वर्णन । - रचनाकाल-सं० १७८४ । लेखन काल-सं. १८२६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ०.५= |
___ विशेष—अन्त में कोश की विषय सूची दी हुई है।
1७१ प्रति नं०६। पत्र सं०-३३ | साइज-८३४५ इञ्च | लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशासामान्य । श्रेष्टन नं ०-२६१ ।
७२ दशलक्षणस्वरूप .......... | पत्र सं०-३७ । साइज-१२३४७ इञ्च | भाषा-हिन्दी गद्य | विषय-दश = धर्मों का विवेचन । रचनाकाल x | लेखन काल-X | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । श्रेष्टन नं०-७० ।
___५३ प्रति नं-२ । पत्र सं०-३५ । साइज--१२६४७ इञ्च | लेखनकाल ४। पूर्ण एवं शुद्ध। दशा-उत्तम । वेष्टन नं.-७०।
७४ द्वादशांगपाठ... ...... | पत्र सं०-३२ । साइज-६x६६ इञ्च । माषा-हिन्दी | विषय-धर्म । रचनाकाल सं० १६१८ । लेखनकाल-सं० १९५५ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं: ७४ ।
विशेष-२० वे पत्र के अागे हिन्दी पदों का संग्रह है।
५ धर्मरसायन-याचार्य पद्मनन्दि | पत्र सं० १३ । साइज ११४५३ इञ्च । भाषा-प्राक्त 1 विषय-धर्म । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १८७७ श्रावण बुदी ५ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । वेष्टन नं ७५ |
विशेष-लिपिस्थान--जयनगर ( जयपुर ) . . . ७६ प्रति नं०२ । पत्र सं. ६ | साइज:४३ इञ्च | लेखनकाल x अपणं एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । | बेष्टन नं. २६६ । ।
७५ धर्मसंग्रहश्रावकाचार-4 मेधार्वा । पत्र सं० २५ । साइज १०३४४३ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-श्रावक धर्म वर्णन । रचनाकाल सं० १५४१ । लेखनकाल सं. १६४२ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ७७ ।
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[ धर्म तथा श्राचारशास्त्र
| साइज १६४५ इव | भाषा-संस्कृत | विषय - श्रावक दशा - सामान्य | बेटन नं० ७७ ।
७८ धर्मोपदेशश्रावकाचार - नेमिदत ! ५२ ० २३ थर्मो वर्णन | रचनाकाल | लेखनकाल- सं० २७५= | पूर्ण एवं शुद्ध ७६. धर्मोपदेश संग्रह-संवारामसाह | पत्र सं० २३७ । साइज ११४३३ इव । भाषा - हिन्दी | विषय-धर्मं । रचनाकाल × । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा उत्तम | वेष्टन नं० ७६ । विशेष – कधि प्रशस्ति दी हुई है ।
० पद्मनदि श्रावकाचार - मुनि पद्मनंदि । पत्र सं० ३= | साइज १३५५ थम वर्णन | रचनाकाल x | लेखनकाल- सं० १४८० | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १०४ |
| भाषा - संस्कृत | विषय - श्रावक
= पुरुषार्थसिद्ध युपाय- श्रमृतचन्द्र सूरिं । पत्र सं० २७ | साइज १२४६ इ | भाषा-संस्कृत विषय-धर्म रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १८१७ असोज बुद्दी ३ पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं ० १०७ | विशेष – प्रसे सटीक हैं। टीका संस्कृत में है ।
पर प्रश्नोत्तरोपासकाचार- श्री बुलाकीदास | पत्र सं० १४५ | साइज १२५ ह । मात्रा - हिन्दी विषय आवक धनं वर्णन | रचनाकाल - सं० १७४७ । लेखनकाल - सं० २६४१ पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य । येष्टनं नं १०- ३ विशेष – नासरोधा ग्राम में दीवान धनकरजी तेरापन्थी मे प्रतिलिपि करवायी थीं ।
३ प्रश्नोत्तरभावकाचार मट्टारक सकलकीत्ति | पत्र सं० ५५ | साइज १२x६ इच | भाषा संस्कृत | - श्रावक धर्म वर्णन | रचनाकाल x | लेखनकाल X] पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ६६१ । प्रति नं २ | पत्र ०७१ | साइज ११४ इ | लेखनकाल x t अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य |
बेटन नं० २६६ |
प्रति नं ३ | पत्र सं १ | साइज १२४६ इ | लेखनकाल - सं० १७६५ । पूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य | वेष्टन नं १०८ ।
विषय - सागर ने जयपुर में महाराजा सवाई जयसिहजी के शासनकाल में अन्य की प्रतिलिपि की थी ।
६ प्रति नं० ४ पत्र ० ५४ | साइज ११४४ इम । लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - जीर्णे | वेष्टन नं ० ७७ ।
८७ मूलाचार - शिवकीर्त्ति | पत्र सं० ३७ | साइज १०३४५ च । भाषा संस्कृत | विषय - श्रावक धर्मं वर्णन । रचनाकाल × | लेखनकाल X। अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन नं १५३ ।
मिथ्यात्वमतखंडन - श्री बखतराम | पत्र सं० ६७ | साइज ४६३ इ । भाषा-तेरहपंथियों के मत का खण्डन । रचनाकाल-सं० १८७० । पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम
वेन नं० १४६ |
मोक्षमार्गप्रकाश-पत्र टोडरमलजी | रचनाकाल | लेखनकाल सं० १९९५ ३ पूर्ण एवं शुद्ध विशेष – पत्र १४४ से आगे का भाग सं०
पत्र सं० २३६ | साइन दशा उत्तम । बेष्टन नं ० १४६ | १६६५ में पूर्ण करवाया गया था ।
१२४६३ इञ्च | भाषा - हिन्दी । त्रिषय-धर्म
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धर्म तथा आचारशास्त्र ]
६० लाटीसंहिता (श्रावकाचार ) - पडि राजमलं पत्र ०५ | साइज विषय- श्रावक धर्म वर्णन | रचनाकाल - सं० १६४१ । लेखनकाल - सं० २०६६ घाट सुदी दशा - उत्तम । वेवन नं० १७५
विशेष – प्रशस्ति विस्तृत है । लेखक - दयाचन्द | लेखनस्थान जयपुर |
६१ तोद्योतनश्रावकाचार - अदेव | पत्र सं० ३५ | साइज १०३ ४ १ मतों का वर्णन | रचनाकाल x | लेखनकाल सं० १८७७ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध वेन नं० = १ |
६
१०४५ दक्ष | भाषा-संस्कृत | मंगलवार । पूर्ण एवं शुद्ध ।
| भाषा-संस्कृत | विषय - श्रावकों के दशा - सामान्य । पथ सं० ५३० ॥
६२ श्रावकाचार
1 पत्र [सं० २-२६८ | साइज १०४४९ | भाषा गुजराती लिपि हिन्दी | विषय - श्रावक धर्म वर्णन । रचनाकाल x | लेखनकाल X | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य | वेष्टन नं० २७६ | ६३ श्रावकप्रतिक्रमण " | पत्र सं० १४ | साइज ११४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-श्रावक धर्म वर्णन रचनाकाल | लेखनकाल - सं० १०१४ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २०४ |
पटि
बिशेष – कुमुदचन्द्रिका टीका सहित हैं।
६४ पोडशकार भावना | पत्र सं० ४६ । साइज १३७ दश । भाषा - हिन्दी | विषय - १६ भावनाओं का विवेचन | रचनाकाल x | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २०७ ।
६५ श्वेताम्बर मत के ४ भेद-श्री हेमराज । पत्र सं ३ | साइज १२४५ इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषय-धर्म । रचनाकाल x | लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य | वेष्टन नं० २०० |
विशेष – श्वेताम्बर सम्प्रदाय की उत्पत्ति एवं उसकी मान्यताथों पर प्रकाश डाला गया है। ६६ सचित्तवस्तुवर्णनचर्चा
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1 पत्र [सं० १० १ साइज १२८६६ । भाषा संस्कृत । विषय-सचिन पदार्थों पर धार्मिक दृष्टिकोण से चर्चा | रचनाकाल x | लेखनकाल Xx | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २३३ । ६७ सागारधर्मामृत - महापंडित आशाधर । पत्र सं०६४ साइज ४ । भाषा संस्कृत | विषय - श्रावक धर्म वर्णन | रचनाकाल सं० १२८२ | लेखनकाल - सं० १६०० श्रासोज खुदी १२ दशा - सामान्य |
पूर्वं एवं शुद्ध
केप्टन नं० २३१ |
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६८ साधु अतिचार ....... पत्र [सं० ४। साइज ४ इञ्च भाषा-संस्कृत विषय-साधु धर्म का वन । रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २३२ ॥
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[ अध्यात्म
विषय-अध्यात्म
प्रन्थ संख्या-३०
१६ अध्यात्मबत्तीसी-महाकत्रि बनारसीदास । पत्र सं० २ । साइज 19x इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-अध्यान।। चनाकाल विकास x पूर्णए मुद्ध : पसा-सामान्य ! - नं० १३1
१०० आत्मानुशासन-याचार्य गुगाभद्र । भाषाकार पं टोडरमलजी । पत्र में 100 | साइज १०:४४ इञ्च 1 भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय-अध्यात्म | रचनाकाल ४ | लेखनलाल सं० १८२ वैशाख सुदी ।। पूर्ण एवं शुद्ध ।। दशा-सामान्य । चेप्टन नं.।।
विशेष----अन्य को पंडित लूगाकरखजी ने अामार्य गुगा कीति को भेंट किया था ।
१०१ जैनशतक-धरदास । पत्र सं० १७ | साइज =३४६ इन्न । भाषा-हिन्दी। विषय-वैराग्य । रचनाकालसं० १७८१ । लेखन काल-सं० २८३ । पूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-जीर्ण । श्रेयन नं० ५५
१०२ द्वादशानुप्रेक्षा-स्वामीय मार ! पत्र सं० २३ । साइज १२xi इञ्च । भाषा-प्राकृत | विषय-अध्यात्म । रचनातरल । लेखनकाल-सं. १६:५ अषाढ बुदी ६। यपूर्ण-प्रारम्भ के दो पत्र नहीं हैं। दशा -सामान्य । बेष्टन नं. २
विशेष—प्रतिलिपिकार श्री पांडे सर्पणदास हैं ।
१०३ धर्मविलास--द्यानतराय । पत्र सं:-१५ । साइज-7:४६ इन्न ! भाषा-हिन्दौ । विषय-अध्यात्म ।। रचनाकाल-सं८ १७५= 1 लेखनकाल X । पूर्ण-उपदेश शतक तक । शुद्ध | दशा-सामान्य | वेष्टन नं0-७ |
विशेष---अन्त में कवि प्रशस्ति है । ग्रन्य की लिपि कराने में |||-|| व्यय हुये ऐसा भी उल्लेख है।
१०४ परमात्मप्रकाश-योगीन्द्र देव । पत्र सं-१० | साइज १०४४ इञ्च 1 भाषा-अपभ्रंश | विषय-अध्यात्म रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं०-१५ ।
विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं ।
१०५ प्रति नं०२ । पत्र सं०-६४ | साइज-1-४५६ इन्न । लेखनकाल सं०-१७८६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । बेष्टन नं.-१०५ ।
विशेष प्रति सटीक है।
१०६ प्रति नं०-३। पत्र सं०-३६ । साइज़-१०४५३ हज | लेखन काल--X / पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य | वेष्टन 0-10 |
१०७ प्रति नं. ४ । पत्र सं०-१५ | साइज-१०४४ इश्व । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुक्र दशा-जीर्ण । वेष्टन नं०-१०।
विशेष—प्रति सटीक है।
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अध्यात्म
१०८ प्रति नं. ५। पत्र सं०-१० । साइज-१२४१ इत्र । लेवनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । अष्टन नं. १७
विशेष-गोगसार दोहा मी है ।
१०१. पदसंग्रह..........! पत्र सं० २। साइज ४x पा-हि-यी विषय-भक्ति व वैराग्य । रननाकाल x 1 लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं २८३ ।
... ११० प्रति नं०२ । पत्र सं० १.७ साइज ५६x४ इन्च । लेग्ननकाल X/ अपूा--३२ पत्र नहीं है। शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २८६।
१११ प्रवचनसार भाषा-हमराज 1 पत्र सं० २.१६ । साइज २४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-मुख्यतः शुद्वामा का वर्णन । रचनाकाल सं० १७०१ । लेखनकाल सं० १७४२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेन्टन नं० १०४ ।
विशेष-सांगानेर में साह लोहट ने प्रतिलिपि करवायी थी ।
११२ ब्रह्मबिलास-मैश भगवतीदास 1 पत्र सं०-१७६ । साइज-१०३४५६ इन । भाषा-हिन्दी । विषयश्रयात्म 1 रचनाकाल #. १७७५ । लेखनकाल सं० १७६। अपूर्ण-१०४ का पत्र नहीं है। शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १३० ।
- ११३ प्रति न०२। पत्र सं०-४० । साइज ११४५ इभ । लेखनकाल X| अपूर्ण--अन्तिम पत्र नहीं है। दशा-मामान्य । वेष्टन नं. १३० |
११४ बनारसी संग्रह-बनारसीदास । पय सं०-११२ ! साइज-१०६x६ छ । भाषा-हिन्दी। विषयअभ्याम । रचनाकाल X । लेखनकाल X ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० १३३ |
विशेष-हेमराज कृत चौरासी बोल भी है।
११५ बारहखडी-श्री सूरत । पत्र सं०.८ | साइज-१.३४४ इत्र । भाषा-हिन्दी । विषय-अध्यात्म | रचनाकाल ४ी. लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं. १३२ ।
११६ विवेकविलास-दौलतरामजी | पत्र सं०-४२ | साइज-=x५ इञ्च । माषा-हिन्दी। विषय-अध्यात्म । रचनाकाल X । लेखनकाल सं० १८७ पौष सुदी ३ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६१ ।
विशेष-पद्य संख्या १६२
११७ वैराग्यजखडी-द्यानतराय । पत्र सं०-१ | साइज-१५४७ च । भाषा-हिन्दी | विषय-वैराग्य । रचनाकाल ४ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेटन नं० १६० ।
.. ११८ प्रति नं. २ । पत्र सं०-१ | साइज-१५४७ इन 1 लेखनकाल X । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य ।
बरन नं० १६०५
. ११६ समयसार-महाकवि बनारसीदास । पत्र सं०-४३ । साइज-१०३४४ इभ । भाषा-हिन्दी । विषय-मुख्यतः शुदात्मा का वर्णन ! रचनाकाल-सं० १६४३ । लेखनकाल-सं० १७१६ ज्येए पुदी १ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य ।
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[ न्याय एवं दर्शन
बेन्टन नं. १४:
१२० समयसार भाषायां राजमल ! पन... :: | साइज ५१५ मा भाषा-हिन्दी गद्य | विषयमुख्यतः शुद्रामा का वर्णन । रचनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २४ ।
१२१ प्रति नं.२ । पत्र सं०-२५ । साइज :४५: इच। लेखनकाल-सं० १९२६ अषाद सदी । अपूर्ण एवं जीर्ण । वेष्टन नं. २४ ।
विशेष-लिपि संवन् पीछे का लिया हुया मालूम पडना है।
१२२ समाधिशतक-पूज्यपाद । पत्र सं०-२६ | माइज-१.४५ इन ! भाषा-संमत ! विषय-अध्यात्म | रचनाकाल | लेखनकाल X पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेटन नं. २३० ।
विशेष-प्रभाचन्द्र द्वारा रचित संस्कृत टीका भी है ।
१२३ सामायिकपाठ............| पत्र सं० ! साइज ६४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ग्राम निरीक्षण । ननाकाल : । लेखनकाल–x / पूर्ण एवं शुद्ध | दशा--जीगी । वेष्टन ने ०-३४. 1
१२४ प्रति नं. २१ पत्र सं.-३ | साइज--16:४५ इन्न । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य ।
१२५ प्रति नं. ३। पत्र सं० , ! साइज १०६५ इत्र | लेखनकाल--सं० १८५५ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन मं० २४१ । . १२६ प्रति नं.४ । पत्र सं० १ । साइज ११४५ हज । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । बैटम नं २४ ।
१२७ प्रति नं०५१ पत्र सं... ४ । साइज ७४५, इछ । लेखनकाल ४। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य । वटन नं ४ ।
विशेष-हिन्दी अर्थ भी हैं। ... १२८ प्रति नं०६। पत्र सं० : [ साइज 2-x६ । लेखनकास ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा--सामान्य । वेष्टन नं. २४.1
विषय-न्याय एवं दर्शन
ग्रन्थ संख्या१२६ बालापपद्धति-प्राचार्य देवसन । पत्र सं० - १ साइज १०४४१ माषा-संस्कृत । विश्रय-याय । रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ० ७ ॥
१३० प्रति नं०२। पत्र सं०-११ । साइज १०x४ च । लेखनकाल-सं० १७३४ चैत्र वदी ५ । बेष्टम नं० ।।
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प्रतिष्ठा एचं विधान]
विशेष –लेखनस्थान-मालपुरा (जयपुर) । प्रतिलिपिकार-पंडित रायमल हैं।
१३१ प्रति नं० ३ । पत्र सं० १ ० । साइज १.४५ हन । लेखनकाल– २८ । पूर्ण एवं शुद्ध | अशा-उत्तम । वेटन नं २५७ ।
१३२ देवागमस्तोत्र-प्राचार्य समंतभद्र । पत्र सं० ७ । साइज १०४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-न्याय । रचनाकाल | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ७२ ।
१३३ द्विजवदनचपेटा-श्री अश्वघोष । पत्र सं० ६ | साइज १२४५ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषययाच | निनाकाख x | लेखनकाल मं, १८०३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेन्टन नं ७३ ।
१२४ षड्नान मुलग-रिभहमरि ! पत्र सं. ६ | साइज ११५४५ इव । भाषा-संस्कृत | विषय-दर्शन | रचनाकाल X । लेखनकाल X| अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. :१६।
१३५ प्रति नं०-२ । पत्र सं० ३२ । साइज १२६४३३ इञ्च | लेखनकाल-सं० १४:११ पूर्ण एवं शुद्ध । ६शा-सामान्य । वेष्टन नं० २०६ |
निशेष-- प्रति सटीक है । प्रतिलिपिकार-श्रीपूर्णचन्द्र सूरि हैं ।
विषय-प्रतिष्ठा एवं विधान
प्रन्थ संख्या-१६
१३६ अंकुरारोपणविधि-महापंडित प्राशाधर । पत्र सं० ५ । साइज १२४ । भाषा-संस्कृत । विषय-प्रतिष्ठा । रचनाकाल | लेखनकाल X| पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७]
विशेष—गणधरवलयपूजा भी इसमें है। . १३७ प्रति नं.२ । पत्र सं० ६ । साइज १८६४५ इञ्च । लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य | ! न नं. १८ |
विशेष—प्रति सचित्र है।
१३८ कलशविधि-श्री विश्वभूषण | पत्र.सं. ८ । साइज ११४५ च । भाषा-संस्कृत | विषय-प्रतिहा। रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १८८६ माघ सुदी १२ १ पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ने २३ ।।
१३६ जलयात्रापाठ"""""। पत्र सं०२ । माइज १३४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-प्रतिष्ठा । रचनाकाल x/ लेखनकाल x ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । देशन में० ५२ ।
१४० प्रति नं.२ । पत्र सं २ । साइज १२४५ इञ्च । लेखनकाल ४/ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा सामान्य । चेष्टन नं.५०
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प्रतिष्ठा एवं विधान
।
१४१ प्रति नं० ३ | पत्र सं १ साइज ११४४३ | लेखनफाट दुर्गा एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य | वेष्टन नं ०५२।
१४
सं० १ साइज १०३
भाषा-संस्कृत विषय चिि
१४२ जिन संहिता भ० एकसंध प० १३२ रचनाकाल x | लेखनकाल X वपूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम विशेष --~१३२ से आगे के पत्र नहीं हैं | १९९३ दविधि पत्र विधान | रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध १४४ प्रतिष्ठाविधि पत्र सं० स्वनाका लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य १३२ । विशेष प्रारम्भ में प्रतिष्ठा में काम आने वाली सामग्री की सूची दी हुई है तथा अन्य विधियों के नाम भी दिये २० चित्र भी हैं।
I
दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ७३
T
|
२० | साइज ११४५३ इञ | भाषा - हिन्दी 1 विषय - प्रतिष्ठा नं
१३०३ | माश-संस्कृत | त्रिषय-प्रतिष्ठा । वेटन नं०-५२ ।
१४५ प्रायश्चितविधि स्ननाफाल x | लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन नं १०६ । विशेष --- प्रतिष्ठासारसंग्रह का एक अंश है।
भ० एकसंधि । पत्र सं० १ | साइज ११४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत | विषय - प्रायश्रित |
I
१४६ प्रायश्चितविनिश्चयवृत्ति - श्री संदिगुरु
पत्र ०८५ | साइज १६४६ | भाषा-संस्कृत विषय
प्रायश्रित | रचनाकाल Xx | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्धः । दशा - सामान्य | वेष्टन नं १०६ १ १४७ प्रायश्चितशास्त्र -मुनि वीरसेन । पत्र ०६ साइज ११४५ | भाषा-संस्कृत विषय प्रायश्रित । रचनाकाल X: लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दश: सामान्य | वेष्टन नं १०३ १ १४८ विवाहविधि पत्र सं० ६ । साइज रचनाकाल x | लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा उत्तम
२४६ प्रति नं० २ । पत्र सं० २६ । लेखनकाल सं० १६७६ पूर्ण एवं शुद्ध दशा सामान्य
१०४५ इश्च । भाषा-संस्कृत विषय-विधि विधाम वेष्टन नं०१८ |
वेष्टन नं १ |
१५० व्रतसंख्या सूची | पत्र सं० ३ । साइज १०४५ इत्र | भाषा - हिन्दी । त्रिषय व विधान । रचनाकाल x | लेखनकाल x | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १०१ ।
विशेष – १५१ व्रतों के नाम दिये हुये हैं ।
पु
| भाषा संस्कृत विषय
१५१ स्नपन सटीक टीकाकार मावशर्मा पत्र ०२५१०३४ प्रतिष्ठा | टीका काल - सं० १५६० | लेखनकाल x | अपूर्ण - प्रारम्भ के १४ पत्र नहीं हैं । दशा - सामान्य 1 वेष्टन नं० २२७ |
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न
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4
-
योगशास्त्र ]
विषय- योगशास्त्र
ग्रन्थ संख्या - २
१५२ ज्ञानाय - श्राचार्य शुभचंद्र | पत्र [सं०
रचनाकाल X| लेखनकाल - सं० १७७३ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं० २६५ ॥
:
साइज १९९५ च | भाषा-संस्कृत विषय - योग ।
विषय-पुराण
प्रन्थ संख्या २२
१५
3
१५३ योगसार - पन्नालाल चौधरी । पत्र सं २३ । साइज १२० इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषय-योग | रचनाकाल सं०–१६३२ | लेखनकाल अं० १९४० । पूर्ण एवं शुद्ध
1 दशा- उत्तन | बैप्टन नं०
१५८ ॥
१५४ आदिपुराण - आचार्य जिनसेन और गुणभद्र । पत्र सं० ४५६ | साइज ११३४५ इव । भाषा-संस्कृत | विषय-पुराण [रचनाकाल × | लेखनकाल सं०- १७३३ वैशाख सुदी १३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य ।
वेष्टन नं० १ |
विशेष - क्लिष्ट शब्दों के संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं ।
१५५ आदिपुराण - म० सकलकीर्त्ति । पत्र सं० - १५७ | साइज ११४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषयपुराण | रचनाकाल x | लेखनकाल- सं० १७६० भादवा मुदी १४ । पूर्ख एवं शुद्ध । दशा - उत्तम | वेष्टन नं ० २ ॥
विशेष- मलूकचंदजी तथा उनकी स्त्री मलकादे ने पंचपरमेष्ठी मतोयापन के अवसर पर अन्य की प्रतिलिपि करवायी थी । १५६ आदिपुराण - पंडित दौलतरामजी | पत्र सं ० ६६६ | साइज १२४५३ च । भाषा - हिन्दी गद्य ! विषय-पुराण । रचनाकाल - सं० १८२४ आसोज बुदी १२ । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ३ 1 विशेष - तीन प्रकार की लिपियों का सम्मिश्रण हैं । प्रथम पांच पत्रों का विषय तीन पत्रों में ही लिखा हुआ है । १५७ उत्तरपुराण-श्री खुशालचन्द काला 1 पत्र सं० १३६ | साइज १२४५ इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषय-पुराण | रचनाकाल - सं० १७६६ असोज सुदी १० । लेखनकाल पूर्ण । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २० ।
।
|
१५८ नेमिनाथपुराण - ब्रह्मनेमिदत्त | पत्र सं० - १७५ पुराग्य 1 रचनाकाल x ३ लेखनकाल x | अपूर्ण प्रारम्भ के ५५ पत्र
वेष्टन नं ० – १७५ ।
साइज - ११४५ इव । भाषा-संस्कृत । विषयनहीं हैं । सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य |
१५६ पद्मपुराण - श्राचार्य र विषेण | पत्र सं - ४३६ | साइज १२५ ३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय - पुराण | रचनाकाल x | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं ०-६५ ।
विशेष- दो प्रतियों का सम्मिश्रण हैं ।
१६० पद्मपुराण - भट्टारक सोमसेन | पत्र सं० २७६ | साइज - ११४६ ६ | भाषा-संस्कृत | विषय - पुराण |
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१६
{ पुराण
रत्तनाकाल मं० १६. लेसनकाल-सं
%
पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं0-१६ ।
१६१ पद्मपुराण-'बुशालचन्द काला ! पत्र सं०-८४६ । साइज-Ex, इश्व । माषा-हिन्दी छंदोबद्ध । विषयपुराण । रचनाकाल--सं० १७३ श्रामोज शुक्ला १० । लेखनकारत-सं० १७६३ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य वेष्टन नं0
१६२ प्रति नं । पत्र ...। साइज-१-४१ इन्च | लम्बनकाल-सं० १२७ । पूर्ण एवं गृद्ध दशा-इत्तम | चेष्टन नं-१७
१६३ प्रति नं. ३ । पत्र सं7-: । साइज--१:४६ इन्च । लेखनकाल x। अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य'। वेन्टन नं. १२३॥
विशेष- पत्र से आग नहीं है ।
_१६४ पद्मपुराणा-पंदौलतरामजी । पत्र सं.-५७१ । साइज-१०३४७६ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषय-पुराण । रचनाकान-सं० १८.३ । लेखनकाल X । पूर्ण गुर्व शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ६ |
विशेष- पतियों का सम्मिश्रण हैं ।
१६५ प्रति नं० २ । पत्र सं...५ ६३ । साइज-११६४८ इञ्च | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं०६१
१६६ प्रति नं. ३ । पत्र . 24 : साइज १४४६, ६ । लेखनकाल x अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेटन नं० १२२
१६७ प्रति नं०४। पत्र सं.-६०० । साइज १३४६ इस । लेखनकाल x; अपूर्ण एवं अशुद्ध ।' चप्पन नं. १२३
१६८ पाण्डवपुराण-भट्टारक शुभ नन्छ । पत्र सं०-२२३ । साइज-११३४.१ इ | माषा-संस्कृत । विषय एराण । रचनाकाल-सं० १६०८ | लखनमाल-सं.० १७२१ फागुण बुदी ३ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य ।।
विशेष - महाराणा गाजसिंहजी के राज्य में खपुर में बाई मरंगा ने प्रतिलिप करायी थी।
१६६ पायपुराणा-म. सकालकीत्ति 1 पत्र सं०-१२२ । साइज-११४५ इन्न । भाषा-संस्कृत | विषय-भगवान पार्श्वनाथ के जीवन का वर्णन । रचनाकाल ४ा लेखनकाल–सं० १७१४ श्रावण मुदी १३ । पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-जीर्ण ।। वेष्टन नं. १०११
१७२ प्रति नं०२ | पत्र सं०-८७ । साइज 1:४५३ च । लेखनकाल X| अपूर्ख एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं १२६ ।
१७१ मल्लिनाथपुराण-भ० सालकीत्ति । पत्र सं०-४८ | साइज-१०६x४, इश्व | भाषा-संस्कृत | विषय | भगवान मल्लिनाथ के जीवन का अन । रचनाकाल ४ । लेखनकाल शक सं० १६५३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ।। वेष्टन नं. १४८ |
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चरित्र]
विशेष प्रतिलिपिकार ब्रह्म रत्नसागर हैं।
१७२ प्रति नं०२ । पत्र ९० ३६ । साइज १३४५ इंश्च । लेखनकाल-सं० १८५। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम | वेधन नं. १४ ।
विशेष-जयपुर नगर में पं., लूणकरणजी के मन्दिर में श्रावक केवलराम ने प्रतिलिपि करवायी थी।
१७३ मुनिसुव्रतपुराण-ब्रह्म कृष्णदास ! पत्र सं०-१६: । साइज-११४५ ईश्च | भाषा-संस्कृत | विषयमनिमुन्नतनाथ के जीवन का वर्णन | रचनाकाल-सं. १६८१ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वैटन नं० १४ ।
१७४ हरिवंशपुराण-पं० दौलतरामजी । पत्र सं० २१ । साइज १०४७ इश्व । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-पुसण | रचनाकाल सं० १८२६ । लेखनकाल सं०१८४१ ! पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५२१
१७५ हरिवंशपुराण-खुशालचन्द झाला । पत्र सं०-२५६ । साइज-२४५३ इश्व 1 भाषा-हिन्दी। बन्दोबद्ध)। विषय-पुराण । रचनाकाल सं. १७८, लेखनकाल x!! एवं शुद्ध दिशा-उत्तम । वैप्टन नं० २५.1
पितर-हरिद
ग्रन्थ संख्या-३२ १७६ कृपपरासो"......| पत्र सं. ३ । साइज १०x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-चरित्र । रचनाकाले ! लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६ ।
विशेष--१४ पध हैं।
१७७ गौतमचरित्र-मंडलाचार्य धर्मचन्द्र । पत्र से ० ३६१ साइज १२४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयगौतमस्त्रामी का जीवन चरित्र | रचनाकाल सं. १७२६ 1 लेखनकाल–सं. १८६२ श्रावण बुदौ । पूर्ण एवं शुद्ध' । प्रशा-सामान्य । वेटन नं. ३२ ।
१७८ चेतनकर्मचरित्र-मैया भगवतीदास | पत्र सं० २६ । साइज १.१४५३ । भाषा-हिन्दी । विषय-सरित्र . रचनाकाल-सं० १७३६ । लेखनकाल–सं० १७४६ | पूर्ण तथा शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २३२ ।
१७६ चित्रसेतपद्मावतीचरित्र-गुगणकीर्ति । पत्र सं० १८ । साइन ११४५३ ३ । भाषा-संस्कृत 1 विषय-चरित्र | रचनाकाल x | लेखनकाल–सं० १६५६ ! अपूर्ण-प्रथम पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं २६४1
१८० जम्बूस्वामीचरित्र-पांडे जिनदास । पत्र. २४ । साइज १५४, इव। भाषा-हिन्दी। विषय-जम्बूस्वामी का जीवन चरित्र । रचनाकारल-सं० १६४२ । लेखनकाल-सं. १७५० । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उसम । वेरन नं. ५४।
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१८
[ चरित्र.
1
१=१ धन्यकुमारचरित्र - भ० सकलुकीति | पत्र मं०-३० साइज १०३४९ इञ | भाषा - संस्कृत । त्रिषय- चरित्र | रचनाकाल x | लेखनकाल सं० - १०३८ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य । वेष्टन नं ०७८ । १२ प्रति नं २ | पत्र सं०-४७ | साइज १०३४४२५ इख | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं०७८ |
१६३ धन्यकुमारचरित्र - खुशालचन्द काला । पत्र सं० ३३ | साइज १०:३१ इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषयवस्त्रि । श्चनाकाल X ] लेखनकाल सं० १८२१ श्रावण मुदी ३ । पूर्ण एवं नामान्य शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं
१८४ प्रति नं० २ | पत्र सं० | साइज - १०३६ इ । लखनकाल- मं० १६.०६ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीगी। बेटन नं०७ ।
१६५ नागकुमारचरित्ररे। पत्र २०२२१४५ इश्व | भाषा-संस्कृत | विषय - चरित्र | रचनाकाल × । लेखनका सं० १६०६ पौष सुदी १२ । पूर्ण एवं शुद्ध । इसा सामान्य | वेष्टन नं
१८६ प्रति नं २ | पत्र सं० २६ | साइज १०२४३ । लेखनकाल- सं० १६०४ फाल्गुण मुर्दा ११ | पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ५६ ।
विशेष सांखा (जयपुर) में सलेमसाहि (जहांगीर) के राज्य में प्रतिलिपि की गयी थी ।
-
१८७ पार्श्वविलास - पारसदास | पत्र सं० २२ | साइज ६६ इव । रचनाकाल × । लेखनकाल सं० १६४५ | भाषा - हिन्दी बन्दोबद्ध | विषय - चरित्र । पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १०२ | विशेष – अन्त में सरस्वती पूजन भी है ।
१
भद्रबाहुचरित्र - श्री रत्ननंदि । पत्र सं० १८ | साइज १२५ इव । माषा - संस्कृत | विषय - चरित्र | रचनाकाल × । लेखनकाल-सं० १७४९ वैशाख चुदी ७ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा सामान्य | वेष्टन नं० १३६ |
१८६ भविष्यदत्तचरित्र - ब्रह्म रायमल्ल | पत्र सं० २३ | साइज ६३५ इथ | भाषा - हिन्दी छन्दोबद्ध | विषय- चरित्र | रचनाकाल - सं० १३३३ । लेखनकाल - सं० १६३४ | पूर्ण एवं शुद्ध दशा- जीर्ण । वेष्टन नं० १४३ | विशेष प्रारम्भ के पत्र नहीं है।
१६० यशोधरचरित्र - म० ज्ञानकीति | पत्र सं० ५४ | साइज ११४४३ इञ / भाषा-संस्कृत | विषय - चरित्र । रचनाकाल सं० १६५३ माघ सुदी ५ | लेखनकाल - सं० १६६० । श्रपूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १५८ | विशेष – प्रारम्भ के २ तथा अन्तिम पत्र नहीं है।
१६१ यशोधरचरित्र - भ० सकलकीत्तिं । पत्र सं० ४४ | साइज ११०३ इव । भाषा-संस्कृत । विषय-चरित्र | रचनाकाल × । लेखनकाल- सं० १७८८ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टनं० १५= |
विशेष - प्रति सचित्र एवं सुन्दर है ।
२६२ शांतिनाधचरित्र -म० सकलकीचि । पत्र सं० चरित्र । रचनाकाल × । लेखनकाल - सं १६१ । पूर्ण एवं शुद्ध
२६० /
०१०४३ दशा- जीर्ण | वेष्टन २० १६.७ ॥
| भाषा-संस्कृत विषय
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धरित्र]
१६३ प्रति नं०२1 पत्र सं० २६.७ । साइज ११४५ इञ्च | लेखनकाल-. १६८१ । पूर्ख एवं शुद्ध : - दशा- सामान्य | वेटन नं. १६७ |
विशेष-- हरियाणा देश स्थित महितग दुर्ग ( रोहतक ) में जहांगीर के शासन काल में प्रतिलिपि हुई थी।
१६? सीताचरिव"....1 पत्र सं०-४२ | साइज-४ इञ्च | भाषा-हिन्दी पध । विश्व-वोत्र । रचनाकाल ४ | लेखनकाल ४। अपूर्ण एवं अशुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं०-२२६ । ।
.१६५ सुकुमालचरित्र-भ० सकलकोत्ति । पत्र सं०-२६ । साइन-11x५ इव | भाषा-संस्कृत । विश्नचरित्र । रचनाकाल x | लेखनकाल–सं.० १७८० । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं.-२१. ।
विशेष—दाका नगर ( पाकिस्तान ) में पं. नन्दराम ने प्रतिलिपि की यो
१६६ सुखनिधान-श्री जगन्नाय । पत्र सं०-५० । साइज-११४५ इश्व | भाषा-संस्कृत | विषय-वन्त्रि । रचनाकाल X लेखनकाल-सं० १८८७१ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २३. |
१६७ श्रीपालचरित्र-भ० सकलकीर्ति । पत्र सं०-५४ : साइज-१०४४३ इन । भाषा-संस्कृत | विषय-ची रचनाकाल x | लेखनकाल-हो. १८६० । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेन्टन नं० २७० ।
१६८ प्रति नं. २। पत्र सं०-४० । साइज-११x६ इञ्च | लेखनकाल सं• १८६४ । पूर्ण एवं शुद्ध : दशा सामान्य । वेष्टन नं० २७. !
१६ प्रति ०३ । पत्र सं० ५६ । साइज १२४७३ इञ्च | लेखनकाल--सं. १८१७ । पूर्ण एनं शुद्ध ! दशा-सामान्य । केटन नं० २७० ।
२०० श्रीपालचरित्र-परिमल । पत्र सं०-११६ [ साइज-१०३४५ इश्व | भाषा-हिन्दी। विषय-चरित्र : रचनाकाल । लेसनकाल
शुद्ध | दशा-सामान्य । वेपन नं० २७१। विशेष—अन्तिम पत्र नहीं है।
२०१ श्रीपालचरित्र"......" पत्र सं०-२१ । साइज-१-३४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-चरित्र ! रचनाकाल ४ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २७१ ।
२०२ श्रीपालचरित्र-ब्रह्मनेमिदत्त । पत्र सं० ५४ | साइज १२४५३ इञ्च | भाषा-संस्कृत 1 विषय-चरित्र । रचनाकाल-सं० १५८५ प्राषाद सुदी । । लेखनकाल-सं० १८६० पौष पुदी २ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २७१।
२०३ श्रेणिकचरित्र-भट्टारक शुभचन्द्र । पत्र सं. १२६ । साइज १०१४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयचरित्र | रचनाकाल X| लेखनकाल-सं० १६२६ फाल्गुन सुदी १२ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वैप्टन नं २०४।
विशेष-बगमनगर (जयपुर ) में राजा भारमल के छोटे भाई सतुभुज के शासन में प्रतिलिपि की गई भो | २०४ प्रति नं० २१ पत्र सं० ६५ ! साहज ११६x४३ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६४६ चैत्र बुदी।
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पूर्णं एवं सामान्य शुद्ध | दशा सामान्य | वेटन नं० २०४ |
विशेष - नाल्हापुर (मालपुरा ) में महाराजकुमार मानसिंह के शासनकाल में प्रतिलिपि की गयी थी।
२०५ हनुमच्चरित्र - ब्रह्मजित | पत्र सं० ११४ | साइज ११३४५ इञ्च । भाषा संस्कृत | विश्य चरित्र | ! रचनाकाल × | लेखनकाल--सं० १६१२ | पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २५० |
| लेखनकाल | पूर्व एवं शुद्ध दशा - जीर्ण |
२०६ प्रति नं० २ | पत्र सं. ११३ | साइज १०६४ चैन २५० |
२०७ होलिकाचरित्र पाडे श्रीजिनदास । पत्र सं. ४ | साइज १०३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय - चरित्र | रचनाकाल-सं. १६०८ । लेखनकाल - सं. १८८३ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - उत्तम | बेप्टन १९४८ | विशेष - प्रतिलिपिकार श्री संपतिराम हैं।
२०८ अनन्तव्रतकथा - श्रुतसागर रचनाकाल × | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध
विषय - कथा साहित्य
अन्य संख्या -४४
२०६ प्रति नं० २ । पत्र सं० ४
|
वेष्टन नं० १३ |
[ कथा साहित्य
|
पत्र [सं० ५ 1 साइज २३ इव । भाषा-संस्कृत विषय-कथा । । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १३ |
| लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य
साइज १०४५
२१० प्रति नं० ३ | पत्र सं०-५१ साइज १०४ इ । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य वेष्टन नं० १३ ।
२११ अह्निकाकथा - शुभचन्द्र । पच सं० ६ | साइज १३४ इञ | भाषा संस्कृत | विषय -कमा । रचनाकाल × | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य जी । वेष्टन नं० २५६ । २१२ प्रति नं० - २ | पत्र ० ७ वेष्टन नं० २५६ ।
साइज ३x४ ञ्च । लेखनपाल । पूर्ण एवं अशुद्ध । दशा- जी ।
२१३ श्राहिका कथा - श्री नथमल | पत्र सं० १६ । साइज १०५ इव | भाषा - हिन्दी | विषय - कथा | रचनाकाल - तं० १६२२ । लेखनकाल सं०-१९३९ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- उत्तम विशेष -- लेखक - गणेशलाल पांड्या । मोतीलाल संघी ने लिखवायी भी ।
वेष्टन नं० ६५६ ॥
२२४ अष्ठाह्निका कथा-म० सुरेन्द्रकीर्त्ति । पत्र सं०-६ | साइज विषय--कथा । रचनाकाल x | लेखन काल - सं० १८६६ मंगसिर बुदी ५ | बेष्टन नं० २५६ |
विशेष—सवाई जयनगर ( जयपुर ) में पं० श्रमीचन्द ने प्रतिलिपि करवाई थी ।
१०३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | एवं सामान्य शुद्ध । दशा- उत्तमः
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कथा ]
२१५ ऋषिमंडलफलप्राप्तिकथा...."। पत्र सं०८ 1 साइज ५१४५ इञ्च । नापा-संन्तत । विषय-कया। रचनाकाल X । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वैप्टन नं० २१ ।
२१६ कथाकोश-ब्रह्मनेमिदत्त | पत्र सं० २२७ । साइज ११४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-कमा । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेपन नं ३० ।
२१७ करकण्डु कथा......"। पत्र सं०-१६ । साइज ६४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी गय । विषय-कपा । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १८४४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा--सामान्य 1 वेटन नं ० ३१ ।
२१८ कांजीत्रत कथा .....! पत्र सं०-२२ । साइज़-१.४ इश्च। भाषा-सस्ता । विषय-कथा । रचनाकाल X । लेखनकाल x। पूर्ण एवं शुद्ध। दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २६१ ।
२१६ चन्दनपष्टिकथा-+. देवेन्द्रकीर्चि 1 पत्र सं०-३ । साइज-१०६५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-- कया । रचनाफाल X | लेखनकाल x} पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य | वेष्टन नं. ४
२२० ज्येष्ठजिनवरव्रतकथा-बुशालचन्द्र । पत्र सं० १६ । साइज-१२४५३ इश्च । माश-हिन्दी । विषयकया । रचनाकाल-सं० १७६२ । लेखनकाल X| पूर्ण एवं सु । दशा मान्य
! विशेष-श्रादित्यवारवतकमा मी दी हुई है।
२२१ णमोकारमंत्रफलकथा"..."| पत्र सं० ३। साइज -२x६५ च । भाषा-हिन्दी । विषय-कया । रचनाकाल X / लेखनकाल-सं० १६५६ । पूर्व एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन ने ०-५६ ।
२२२ नैवेद्यपूजाकथा"....."। पत्र सं० ४ ! साइज Ex५ इश्च । भाषा-हिन्दी 1 विषय-कथा | रचनाकाल x लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वैप्टन नं० ८६
२२३ पुण्याश्रवकथाकोश'...."। पत्र सं० २० । साइज ११४७ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषय-कया । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन ने ० १२८ 1
२२४ पुण्याश्रवकथाकोश-पं. दौलतरामजी । पत्र सं० २.७४ | साइज १२x., इश्च । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । सं० १७७५ | रचनाकाल | लेखनकाल-सं० १६.१८ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वैटन नं. ६ !
विशेष—पांडे जिनदास द्वारा रचित पुण्यासव-कथाकोश के आधार पर उक्त अन्य की रचना की गयी ऐसा उल्लेख मिलता है।
२२५ पुण्याश्रवकथाकोश-पंडित दौलतरामजी । पत्र सं० १७ । साइज १३४६ इञ्च । माषा-हिन्दी। विषय-कपा । रचनाकाल सं०-१७७७ । लेखनकाल X| अपूर्ण-१ से १४ तथा २८६ से भागे के पत्र नहीं हैं । दशा-सामान्य । वैष्टन नं 1241
२२६ पुण्याश्रवकथाकोश'......"| पत्र सं०-१४६ । साइज-११४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । स्वनाकाल | लेखनकाल-२० १४४३ । अपूर्ण-प्रारम्भ के ५२ पत्र नहीं है । दशा-सामान्य एवं शुद्ध । वेष्टन नं ०-१२५ ।
२२७ भक्तामरस्तोत्रकथा-विनोदीलाल । पत्र सं.-१५३ १ साइज ११४५ इछच । भाषा-हिन्दी । विषय-कमा । रचनाकाल-सं० १७३३ । लेखनकाल x। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं०-१३७ |
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२२
[कथा
२२८ भावनापंचविंशतित्रतकथा-भ० सकरकीर्ति । पत्र सं. ! साइज १:४५३: इज । भाषा-संस्कृन । विश्य-या । रचनाकाल X ! लेखनकाल x | पूर्व एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १३६ |
विशेष-पद्य संख्या ३४ हैं।
२ महीपालकथा..."। पत्र तं० ३५ । साइज १६४६३ इश्व | भाषा-दिन्दी | विषय-कथा । रचनाकाल X| लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य ' वेष्टन नं० १५३ ।
२३० महीपालकथा-श्रीर देवगगी । इत्र सं० ४० | साइज १२३४५ इन | भाषा-अपभ्रश | विषय-कया । रचनाकान x | ले गगाल: पूर्ण शुद्ध दशा-जीर्ण । श्रेष्टन नं १४६ ।
विशेष—देवगणी मुनिचन्द्र के शिष्य थे। बद्ध नगाण के शिष्य मेवतिलकगसि ने प्रतिलिपि की यो।
२३१ रवित्रतकथा-श्री केशब । पत्र सं०३ । साइज ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । रचनाकाला X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दगा-उत्तम | वेष्टन नं० १६१ ।
२३२ राजुलबत्तीसी.....! पत्र. ४ | साइज ११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा । रचनाकाल x; लेखन काल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | वेटन नं. ७८ ।
विशेष-प्रथम पत्र पर दर्शन पाठ है !
२३३ रोहिणीव्रतकथा"। पत्र सं. ७ । साइज १२३४५ इन्द | भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । रचनाकाल x लेखनका X | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेकन् नं० १६४ ।
२३४ वीरमदे की यात-कुवरशा सिंह : पत्र सं० ४१ । साइज १०.४४, इग्न । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-कथा । रचनाकाल x। लेखनकाल XIT एवं सामान्य शुन् । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६१ ।
२६५ बेतालपंचविंशति-शिवदास । पत्र सं० १०१-१५ | साइज--३४६ इन्न | भाषा-संस्कृत ! विषय-- कया। रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १७८१ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । वेटन नं० १६१ ।
विशेष-बुहम्मदशाह के शासनकाल में सामानाबाद में संघी स्वरूपचन्द ने प्रतिलिपि की थी ।
२३६ व्रतकथाकोश-भ० देवेंद्रकीर्ति । पत्र सं० ८० । साइज १२३४६ इश्च | भाषा-संस्कृत ! विषयकथा । रचनाकाल X । लेखनकाल सं० १८५३ । पूर्ण एवं शुद्धः । दशा-उत्तम । बेष्टन नं० १८० ।
विरेष—यह प्रति चूरू से जयपुर में पटने के लिये सं. १८८७ में साबाई भानसिंह जी के शासनकाल में पायी थी।
२३७ व्रतकथाकोश......"पत्र सं2-४३,। साइज-५३४४३ इश्च ! भाषा-हिन्दी । विषय-कया । रचनापाल सं० १७१२ ! लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं जुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. १८१ ।।
विशेष---गुटका साइज में हैं।
२३८ ब्रतकथाकोश-खुशालचन्द | पत्र सं० २२ । साइज १२४५३ इञ्च | भाषा-हिन्दी। विषय-कया । रचनाकाल सं० १७८३ 1 लेखनकाल सं० १८१31 अपूर्ण-प्रारम्भ के ४६ पत्र नहीं है। शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १८१ ।
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कथा]
__२३६ ब्रतकथाकोश-श्रुतसागर | पत्र सं० ६५ । साइज ११६४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विदय-कथा ! चनाकाल X । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० १८० ।
२४० शनिवारकथा......! पत्र सं० ४० । साइज १०x४१ इञ्च । भाषा-हिन्दी | विषय-कथा । रचनाकाल xलेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न. २८८ ।
२४१ शीलतरंगिणी-ग्रखबराम लुहाडिया। पत्र सं.६६ । साइज १२४५३ ५३ । माता-हिन्दी । विषय-ब्रह्मचर्य अत की कयायें । रचनाकाल x। लेखनकाल-सं० १७८२ । पूर्ण एवं अशुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं ११८
विशेष—लिपिकार-दयाराम |
२४२ प्रति नं.२ । पत्र सं० १५२ ! साइज Ex५ इन्च । लेखनकाल x! अपूर्ण अन्तिम पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६ ।
२४३ शीलरास-विजयदेवारि ! पत्र सं० ७ । साइज १०४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-कया। दिनाकाल 1 लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन ने ० १६६ ।
२४४ शुकराजहंसराजकथा-माणक्यपूरि । पत्र सं० ६ । साइज १०४४ इन्न । भाषा-संस्कृत । वियर-करा । रचनाकाल ४ | लेखनकाल–सं० १६१६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेटन नं० २५६ ।
२४५ सप्तपरमस्थानत्रतकथा..."। पत्र सं० ६ ! साइज १२४३१ इञ्च । भाषा-हिन्दी 1 विषय-कथा । रचनाकाल x | लेखनकाल X| अपूर्ण-अन्तिम पत्र नहीं हैं । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेपन नं० २२८
४६ सम्यक्त्वकौमुदी-जोधराज गोदीका | पत्र सं० ७१। साइज १०४६ इज | भाषा-हिन्दी । विषयकपा । रचनाकाल-सं० १७१४ । लेखनकाल x। अपूर्ण तश शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ८१ |
२४७ सम्यक्त्व कौमुदी ......। पत्र सं०-१४३ । साइज १०x४, इञ्च 1 भाषा-संस्कृत । विषय-कया । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १८६७ । अ
सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य | वेशन नं०
विशेष-लेखनस्थान-जयपुर ।
२४८ सिद्धचद्रकथा-नरसेनदेव । पत्र सं० ३५ । साइज १०४५ इञ्च | माषा-अपभ्रंश 1 विषय-कया । रचनाकाल x। लेखनकाल-सं० १६३५ मंगसिर सुदी ३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं २१३ ।
२४६ सिंहासनद्वात्रिंशिका......| पत्र सं० ४= 1 साहज ११३४५६. श्च । भाषा-संस्कृत | विषय-कया ! रचनाकाल x लेखनकाल-सं० १७८३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १३१ ।
२५० हनुमंतकथा-ब्रह्मरायमल्ल । पत्र सं० ४८ । साइज =x= इव । भाषा-हिन्दी । विषय-चरित्र । रचनाकाल-सं० १६१६ । लेखनकाल–सं० १७८८ | अपूर्ण-प्रारम्भ के ४ पत्र नहीं है। शुद्ध। दशा-जीर्ण । वेरन नं० २५१ ।
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IT633 पत्र
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[ काव्य
२५१ होलीकथा...."| पत्र सं० ४ । साइज १०३४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत ! विषय-कथा । रचनाकाल x। लेखनकाल x | पूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-जीर्ण । वेप्टन नं ० २४८ ।
२५२ होलीपर्वकथा-पुण्यराजगणि"...."| पत्र सं. ३ । साइज १०x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषयकमा । रचनाकाल सं०१४८५ । लेखनकाल X| पूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४८ )
विषय-काव्य अन्य संख्या २२
२५३ किरातार्जुनीय-महाकवि भारवि | पत्र सं० १०६ | माइज ११४४३ इन्च | माषा-संस्कृत | विषय-काय्य । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ । अपूर्ण-२६, ८५ से १० तक के पत्र नहीं है । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६१ ।
२५४ प्रति नं० २ । पत्र सं. २४ । साइज १२४५३ इञ्च । लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं सामान्य शुर। । दशा-स:मान्य । वेष्टन नं० २६ |
२५५ कुमारसंभव-महाकवि कालिदास | पत्र सं. ४ । साइज ११५४४ इव । भाषा-संस्कृत | विषय-काव्य चिनाकाल X | लेखनकाल ४ । अपूर्ख-सप्तम सर्ग पर्यन्त | शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं. २१
०५६ नेमिनिर्वाणकाव्य-महाकवि वागभट्ट । पत्र सं०-५८ । साइज-१६४५ इन ! भाषा-संस्कृत । विश्य-२२वें तीर्थंकर श्रीनेमिनाम के जीवन का वर्णन । रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । : वेष्टन नं. ८८।
२५७ पार्श्वपुराण-कवि भूधरदास | पत्र सं०-११७ । साइज-४५३ इञ्च | माषा-हिन्दी | विषय-पार्श्वनाथ के जीवन का वर्णन | रचनाकाल-सं. १७८६ । लेखनकाल-सं० १८४१ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य | वेप्टन नं० १०.।।
विशेष-दीवान चखतराम ने प्रतिलिपि करवायी थी।
२५८ प्रति नं० २ । पत्र सं० १११ । साइज ६x४, इञ्च | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशाजीर्ण ! बेष्टन नं. १००।
२५६ प्रति नं० ३। पत्र सं०-१०१ । साइज ११४४, इश्व । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण ।। वेष्टन नं० १०२।
२६० प्रति नं. ४ । पत्र सं० ७० । साइज ११:४७३ इन्च ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य वेष्टन नं. १०२।
विशेष-२४ पत्र किसी अन्य प्राचीन प्रति के है ।
२६१ प्रति नं०५। पत्र सं० १८८ । साइज ११४५ इञ्च | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य बेष्टन नं० १२४ ।
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काव्य ]
२५
२६२ बिहारीसतसई-महाकवि बिहारी लाल 1 पत्र सं० ४ । साइज ११४५३ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषयश्रृंगाररस | रचनाकाल ४ । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं० २४७ ।
२६३ मदनपराजय-जिनदेव । पत्र सं० ४२ । साइज ११४५ इन्च । माषा-संस्कृत । विषय-काय्य । रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम | वेश्टन नं० १४६ ||
२६४ मेघदूत-महाकवि कालिदास । पत्र सं० | साइज ११४५ दृश्च | भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य | रचनाकाल x | लेखनकाल-7 १५६५ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ० १४६ ।
२६५ प्रति नं.२ | पत्र सं० १६ । साहज १०४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १७८६ 1 अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य | वेष्टन नं० १५३ ।
विशेष-मोहम्मदशाह के शासनकाल में अजमेर में प्रतिलिपि की गयी थी।
२६६ रघुवंश-महाकवि कालिदास 1 पत्र सं० २३० । साइज १०x४३ इश्व | भाषा-संस्कृत | विषय-काव्य । रंगनाकाल ४ । लेखनकाल-सं० १८५१ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६६ ।
विशेष-- सर्ग के ६४ में पद्य तक प्रति सटीक है।
२६७ प्रति नं० २ । पत्र सं०-१२ | साइज-११४५३ हन्न | लेखनकाल-सं० १८६५ | दो सर्ग पर्यन्त पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० १६६ ।
____२६८ प्रति नं० ३। पत्र सं०-५७ । साइज-१२४५६ इन्न । लेखनकाल x 1 ११ वे सर्ग पर्यन्त पूर्ण । शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६७ ।
___२६६ प्रति नै० ४ १ पत्र सं०-३६ । साइज १४६६ इश्व । लेखनकाल X । अष्टम सर्ग पर्यन्त पूर्ण । शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं०-१६७ ।
२७० प्रति नं०५। पत्र सं० ५६ । साइज १२x६ इन। लेखनकाल ४।६ सर्ग सक । शुद्ध । .. दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६७ ।
विशेष --प्रति सटीक है। टीकाकार-सुमतिकीर्ति हैं।
२७१ रामचन्द्रिका-केशव मिश्र | पत्र सं० १६० । साइज ११३४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-काव्य । रचनाकाल X । लेखनकाल सं. १११ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेपन नं। १६८।
विशेष-मोतीरामजी ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी।
२७२ शिशुपालवध-महाकवि माघ । पत्र सं०-५४ । साइज-०x४३ इञ्च । माषा-संस्कृत 1 विषय-काव्य । रचनाकाल x 1 लेखनकाल X । अष्टमसर्ग पर्यन्त । शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं०-१६५ ॥
२७३ प्रति नं २ । पत्र सं० २३२ । साइज १२४५२ इव । लेखनकाल-सं• १८४६ । पूर्ण एवं शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन • १६५ |
विशेष प्रति सटीक है । टीकाकार-श्री वल्लम हैं।
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२६
[ इतिहास
२७४ शृंगारशतक - मनु हरि पत्र सं० १४१ साइज १३४७ इछ । भाषा संस्कृत । विषय-काव्य | (शृं’नार) | रचनांचाल × | लेखनकाल x | पूर्गा एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २७३ |
विषय - इतिहास प्रन्थसंख्या
*७५ गुर्वावति
रचनाकाल x | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध दशा सामान्य । वेष्टन नं० २६३ ।
| पत्र [सं० - १० | साइज Ex५ इथ | भाषा - हिन्दी 1 त्रिषय - इतिहास
२७६ गुर्वावल
| पत्र सं० २ | साइज ११४२ इच | मावा संस्कृत विषय इतिहास |. रचनाकाल X | लेन्वनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १३ ।
२७ चौबीसो
भाषा - हिन्दी | i
परिचय | पत्र सं०-१२ | साइज ११४४ इस विषय - इतिहास ! नाकाल x लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दसा - सामान्य | वेष्टन नं० २०२ । २७ जयपुर के शासकों को वंशावलि" 1 पत्र सं--६२ | साज ६x४३ | भाषा - हिन्दा | विषय-इतिहास ! रतनाकाल सं १८६१ | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २८४ | विशेष संवत् १०२३ कात्तिक सुदी ३ से लेकर सं० १३१ माह सुदी तक होने वाले शासकों का विस्तुत परिचय दिया हुआ है |
२७६ जैनबी देश की पत्रिका
इतिहास | रचनाकार-सं० १२० | लेखनकाल x
| पत्र सं०-१० | साइज ६x४३ इन्च भाषा - हिन्दी | त्रिषयपूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं० ५५ ।
यात्रा का वर्णन है । हैदराबाद से मजलसराय ने पानीपत को पत्र लिखा था ।
२८० पट्टायलि
लेखनकाल सं० १ =७६ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २०३ |
| पत्र सं० ४ । साह ७९५ इन्च | भाषा - हिन्दी । त्रिषय इतिहास | रचनाकाल x |
२८१ चात्रासमुच्चय
रचनाकल × | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १५० |
| पत्र ० ३ | साइज १०४४२ इञ्च । माषा-संस्कृत | विषय - इतिहास । T
२८२ श्रुतावतार पं० श्रीधर । पत्र सं ० ६ । साइन २०६४ इञ्च । भाषा - संस्कृत | विषय - इतिहास | रचनाकाल x | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य | वेष्टन नं० २७२ |
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। नाटक
विषय-नाटक प्रन्थसंख्या-२
२८३ झानसूर्योदय-वादिचन्द | पत्र संग ४१ साइज ११४५ इन्च । भाषा-संस्कृत | विषय-नाटक । रत्तनाकाल-सं० १६४८ | लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । श्रेष्टन नं० ५.!
२१ पार्थपराक्रमव्यायोग-गुबराज प्रल्हाद । पत्र सं० १८ । साइज १३४३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-नाटक | रचनाकाल X । लेखनकाल X ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्णं । वेष्टन नं. १२२ ।
विशेष-मुमट कवि विरचित दूतांगद नामका नाटक भी इसी में है।
व्याकरण
मन्थ संख्या-२६ २८५ अनिदकारिका...'! पत्र सं० १ । साइज १०३५४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । रचनाफाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्धं । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ११ ।
२८६ प्रति नं०२। पत्र सं. २ । साइज ११४५ इन्च । लेखनकाल-सं० १८४६ पौष मुदो १६ । बेष्टन नं ११ ।
विशेष- लेखक-६० दयाचन्द्र।
२८७ अध्ययप्रकरण...। पत्र सं० ५। साइज १०४५ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । रचनाकाल X | लेसनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं०१५ |
२८८ जैनेन्द्रव्याकरण--पूज्यपाद । पर सं० २२ । साइज ७६x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-याकरण ।। रचनाकाल X । लेखनकाल X । अपूर्ण-केवल प्रथम संभि है । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ५५ ।
२८६ धातुपाठ-हर्षकोटिं। पत्र सं० १४ । साइज १०५४४६ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । रचनाकाल X । लेखनकाल X । अपर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेएन नं. २६६।
__ विशेष-धातुओं के रूप लिखे हुये हैं।
___२६० प्रति नं । पत्र सं० । साइज १७६५५ इन्च । लेखनकाल x! पूर्ण तथा सामान्य शुद्ध । परा-सामान्य । वेष्टन नं. ७५ ।
२६१ धातुपाठ-काशीनाथ । पत्र सं, ४५ । साइन ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । रचनाकाल x 1 लैसनकाल-सं० १६० । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ७५ 1
२६२ धातुपाठ........! पत्र सं. ३३१ साइज ११x१३ इञ्च ! भाषा-संस्कृत | विषय-व्याकरण । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ । अपुर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६० !
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२५
२६३ पंचसंधि
काल × ! लेखनकाल × । अपूर्ण, १, २, ३, ५ पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध | दशा- सामान्य | वेष्टन नं० १२५
विशेष – शब्द और धातुओं के रूप दिये हुये हैं।
[ व्याकरण
| पत्र सं० ११ | साइज १२४५ ३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय - व्याकरण | रचना
प्रकरण"
२६४ विपरीत रचनाकाल x । लेखनकाल ४ । पूर्स एवं शुद्ध
विशेष- लिपिकार - स्वरूपचंद |
२६५ पोढा समास - वरूचि । पत्र सं० ४ । साइज १०३४४३ इन्च भाषा संस्कृत | विषय - व्याकरण । रचनाकाल × 1 लेखनकाल X 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेष्टन नं० २०६ |
२६६ शब्दानुशासन - आचार्य हेमचन्द्र व्याकरण | रचनाकाल | लेखनकाल - सं० १८६० |
| पत्र ०४ | साइज ११४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत | विषय - व्याकरण | दशा - सामान्य | वेष्टन नं ११
२६७ प्रति नं० २ । पत्र सं० ४ १ साइज १०५ इञ्न । लेखनकाल -सं० दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २७३ |
सामान्य | २३= |
२६८ सारस्वतसूत्र--नुभूतिस्वरूपाचार्य | पत्र सं०-१० | साइज १०४ व्याकरण | रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १३ कालिंक बुदी । पूर्ण एवं शुद्ध विशेष-केवल सूत्रों का संग्रह है।
पुत्र सं ४७ | सहिजे ११४४ इन्च | भाषा-संस्कृत विषय - म अध्याय के चतुर्थ पाद तक । शुद्ध दशा उत्तम | वेष्टन नं ० २२३ २८६० । पूर्ण एवं शुद्ध ।
२६६ प्रति नं० २ । पत्र सं० = | साइज - १०३०४३ इन्च | लेखनकाल | पूर्णं एवं शुद्ध दशा
३०३ प्रति नं० ४ | पत्र सं०
दशा- जी | वेन्टन नं ०२४१ |
इच । भाषा-संस्कृत । विषयदशा - सामान्य । न नं० २३=
C.
३०० सारस्वतप्रक्रिया - अनुभूतिस्वरूपाचार्य । पत्र से०६१ साइज - १०० इञ्च भाषा-संस्कृत 1 विषय-याकरण | रचनाकाल । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं अशुद्ध दशा- जीर्ण | वेष्टन नं० २४२ ।
३०१ प्रति नं० २ । पत्र से० २४ । साइज ११३४ इञ्च । लेखनकाल - सं० १७६६ श्रषाद मुदी १३ | श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । वेष्टन नं० २४१ ।
३०२ प्रति नं० ३ | पत्र सं० ५४ | साइज - ११६४४ इच । लेखनकाल - सं० १७४२ । तद्धित प्रक्रिया तक ! सामान्य शुद्ध | दशा- जीर्ण | वेष्टन नं ० २४३ ।
| साइज - ११३४३ इन्च | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध |
३०४ प्रति नं ५ | पत्र ० ५० | साइज ११६५६ इन्च | लेखनकाल x | अपूर्ण श्रन्त के पत्र नहीं है। शुद्ध । दशा--सामान्य | वेन्टन नं० २४४ |
३०५ प्रति नं ६ | पत्र ०७२ | साइज - १३४४ इञ्च । लेखनकाल | अपूर्ण प्रारम्भ के २६ पत्र नहीं है | सामान्य शुद्ध | दशा- सामान्य । केन नं २४४ ।
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कोश]
___२६ ३०६ प्रति नं०७। पत्र सं० ५५ । साइज-६x५ इन्न । लेखनकाल–सं० १८७५ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ष । त्रेप्टन नं० २४४ !
३०७ प्रति नं०८ | पत्र सं० ११ । साइज-६४५३ इञ्च । लेखनकाल x | पंच संधि तक पूर्ण । सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४४ ।
___ ३०० प्रति न०६ । पत्र सं० १२ । साइज-१०x४ इञ्च । लेखनकाल । अपूर्ण-केवल धातुपाठ है। शुद्ध । दशा सामान्य । वेटन नं. २४२ !
___३०६ प्रति नं० १० । पत्र सं० २२ । साइज-१०x४६ इन्च | लेखनकाल X । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा___ मामान्य ! वेष्टन नं० २४२ ।
३१० सिद्धान्तचन्द्रिका रामचन्द्रशर्मा | पत्र सं० १११ । साइज-११३४५ इञ्च | रचनाकाल x | लेखन___फान ४ | भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण 1 बेष्टन नं० २२५ ॥
विशेष- सारस्वत सूत्रों पर टीका है।
३११ प्रति ०२ ! पत्र सं० ५६ । साइज-१.६४५ इञ्च । लेखनकाल X । उत्तराद्ध भाग है। शुद्ध । दशा-उत्तम । वेटन नं. २२५ ।
३१२ प्रति नं. ३ । पत्र सं० ४७ । साइज १०२४५ इञ्च । लेखनकाल ४ | पूर्वाद्ध माग है । शुद्ध । दशासामान्य । बेटन नं, २२४ ।
___३१३ प्रति नं०४ । पत्र सं० २७ । साइज-१०६x४ इग्न । लेखनकाल-सं० १८१४ चैत्र शुक्ला १३ । दन्त प्रकरण है । शुद्ध । दशा सामान्य । वेटन नं० २२५ ।
विशेष-झिलाय में मिश्राम ने प्रतिलिपि की थी।
३१४. सिद्धान्त चन्द्रिका वृत्ति-सदानंद । पत्र सं० २१ । साइज-१०३४५ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषयन्याकरण । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । उत्तराद्ध भाग है । शुद्ध । दशा-उत्तम । बेटन नं० २२६ । .
विषय-कोश
प्रन्थ संख्या-१६ ३१५ अनेकार्थमञ्जरी-नन्ददास | पत्र सं० साइज १०३४५ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-फोरा । स्वनाकाल | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । वेष्टन नं० ११।
__ विशेष--पद्य संख्या ११६ ।
'. ३१६ प्रति २०२। पत्र सं०६ । साइज ११४३ इन्च | लेखनकाल-सं. १८०६ । पूर्ण एवं शुद्ध । सा-सामान्य । वेष्टन नं ११।
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[ कोरा ३१७ अभिधानचिंतामणिनाममाला-याचार्य हेमचन्द्र। पत्र सं० = १ | साइज ११४५ इञ्च । मायासंस्कृत ] विषय-कोश । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं १७५७ 1 पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य | बेष्टन नं० १० .
विशेष-कावधा' में श्री सागरगण ने अन्य की प्रतिलिपि करके आमेर में पं0 वृद्धिचन्द गगि को पढ़ने के लिए दिया था।
३१८ प्रति नं०२१ पत्र सं० २६। साइन १०x४ इन्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । चन्द्रन नं. ११७ |
३१६ प्रारकोश- माहि । ५.५ साक, २.१.४५ च । माषा-संस्कृत | विषय-कोश । रचना. काल xi लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेटन नं. ८ |
३२० प्रति नं.२ । पत्र सं-२६ । साइज-१.३४५ इन्छ । लेखनकाल सं० १८६२ पापाद बुर्दा ६ गुन्हबार । शुद्ध | अपूर्ण--प्रथमकांड पर्यन्त । वैप्टन नं ० = |
३२१ प्रति नं.३ । पत्र सं० २१ । साइज-११४५३ इश्च । देखनकाल सं० १८५३ पौष शुक्ला ६ । अपूर्ण-प्रश्मकांड पर्यन्त । शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० = |
३२२ प्रति न०४। पत्र सं० ६६ । सारज-११४५ इञ्च | लेखनकाल–सं० १८५३ चैत्र बुदी ३ | अपूर्ण-. द्वतीय कांड पर्यन्त । शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं०८ |
३२३ प्रति न० ५। पत्र सं० २८ ! साइज ११४५ इञ्च । लेखनकाल x 1 अपूर्ण- प्रथमकांड पर्यन्त | शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८।
३२४ प्रति न०६। पत्र सं० ४५ | साइज ६४५३. इश्च । लेखनकाल x| अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २५८ ।
३२५ प्रति नं०७ । पत्र सं० १३५ । साइज १२४५३ श्च ; लेखनकारत x | अपूर्ण-१० से पूर्व के पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध | दशा सामान्य । वेष्टन नं० २५६ ।
३२६ एकाक्षरीनाममाला"....... 1 पत्र सं० ३ । साइज ११४५ इ । माषा-संस्कृत । विषय-कोश ।। रचनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६१
३२७ प्रति नं २। पत्र सं० २ । साइज १२४५३ इन | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं०१२।
३२८ नाममाला-धनंजय । पत्र सं० 1 साइज ११४५ इव | भाषा-संस्कृत | विषय-कोश । रचनाकाल X । लेखन काल ४ | अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६ 1
३२६ बीजकोश..." ! पप सं. ७ । साहज-६४५ इन्ज । भश-संस्कृत | विषय-कोश । रचनाकाल xi लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १३२ ।
३३० प्रति न०२। पत्र सं० - १ साइन =x४ इञ्च । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । । दशा-सामान्य ।। बंधन नं. १३२॥
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आयुर्वेद ]
विषय-आयुर्वेद
अन्य संख्या-५३ ३३१ अद्भुतसागर-ऋषि भारद्वाज । पत्र सं० १०७ । साइज १२३४४, इव । भाषा-संस्कृत । विषयप्रायुर्वेद । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १६. श्रावण बुदी ७ । पूर्ण तया शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं ।
विशेष-हिन्दी गद्य में मूल पाठ का अनुवाद भी दिया हुआ है । अनुवादक का नामोल्लेख नहीं किया गया है ।
३३२ अमृतमञ्जरी-काशीराज । पत्र सं० ३ । साइज १३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ग्रायुर्वेद । (चनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं० ११ |
३३३ प्रति नं० २१ पत्र सं० १० । साइज १२x६ इन्च | पूर्ण । दशा सामान्य । वेटन नं. ११। विशेष-हिन्दी में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं । लेखक-पं० सवाईराम है।
३३५ आयुर्वेदसंग्रह ...."। पत्र सं०-२६ । साइज ६४५ इन | भाषा-संस्कृत | विषय-प्रायुर्वेद । रचनाकाल X । लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य 1 बेस्टन नं० २७६ ।
३३५ कालज्ञान .......। पत्र सं० ११ । साइज-१०१४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-आयुर्वेद । रचनाकाल x | लेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २६ ।
विशेष-हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है।
३३६ प्रति ने०२ । पत्र सं० १७ । साइज १०x४३ इञ्च । लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | पंधन नं० २६
• ३३७ प्रति ने० ३१ पत्र सं० १४ | साइज x इच्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६ ।
३३- चिकित्सासार-धीर्य राम । पत्र सं०-११६ । साइज ४१३ इव । भाषा-हिन्दी । विषय-प्रायुर्वेद । रचनाकाल X लेखनकाल-सं० १७३६ । पूर्ण तया सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेष्टन नं. ४६ ।
विशेष-८८१ पद्य हैं।
___३३६ ज्यरतिमिरभास्कर-श्री चामुंडराय । पत्र सं० ५७ । साइज-१२४६ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विवयआयुर्वेद । रचनाकमल ४ । लेखनकाल-सं० १७४३ । पूर्ण तथा सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण शीर्ण । वेष्टन नं. ५३ ।
३४२ ज्वरत्रिशती-शाङ्गधर । पत्र सं० २३ । साइज १०१५५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-श्रायुर्वेद । रचनाकाल xलेखनकाल x ! पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामाण्य | वेष्टन नं०-६० |
३४१ द्रव्यगुणरत्रमाला....."| पत्र सं० । साइज १२४४६अ। भाषा-संस्कृत | विषय-आयुर्वेद । (चनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य ! वेष्टन नं० ७३ ।
विशेष-हिन्दी में संकेत दिये हुये हैं । ३४२ द्रव्यगुणशतश्लोक-त्रिमलक । पत्र सं० १२ । साइज १०५४५३ च । भाषा संस्कृत । विषय-- आयुर्वेद ।
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३२
रचनाकाल × | लेखनकाल - सं० २७३६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ०७३।
३४३ नाडीपरीक्षा - पत्र [सं० ३ । साइज ११४०३ | भाषा-संस्कृत | विषय - आयुर्वेद 1 रचनाकाल × । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य | वेष्टन नं० ८७ ।
३४४ प्रति नं० २ । पत्र सं० ३ | साइज ११३४५ इव । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य वेष्टन नं १
३४५ प्रति नं० ३ | पत्र सं. ४ | साइज ६५४ ] लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य । ब्रेन नं० ८७ ।
३४६ निवन्धसंग्रह
रचनाकाल ^ लेखनकाल—सं १७६= | पू एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य | वेन्टन नं०=१ | विशेष- लेखक - श्री सुखानंद है ।
[ आयुर्वेद
पत्र सं. ५४ | साइज १०४२ इञ्च । माषा-संस्कृत विषय श्रायुर्वेद |
I
३४७ पश्यनिर्णय
पत्र
रचनाकाल × । लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध
सं०-४३ | साइज - २४३ इश्च । माषा-संस्कृत | विषय - आयुर्वेद । दशा - सामान्य । वेन्टन नं० ११२ ।
विशेष -- हिन्दी में श्रीं मी दिया हुआ है । ३४= पयापथ्यविधि
रचनाकाल X। लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा जीर्ण | वेटन नं० ११२ । विशेष - अन्त में विषय सूची दी हुई है । ५२ विधियों का वर्णन है।
पत्र मं० - २५ | साइज - ११४५ इव । भाषा-संस्कृत | विषय - श्रायुर्वेद |
३५६ बालतन्त्र - कल्याण | पत्र सं० २६ | साइज १०
लेखनकाल X। पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम | वेष्टन नं० १३१।
विशेष - अन्धकार ने लिखा है कि उसने बालतन्त्र को अनेक शरीर सम्बन्धी अन्यों के अध्ययन के पश्चात् लिखा है । ३५० माधवनिदान - माधवाचार्यं । पत्र सं०-१२६ | साइज - १३x६ इव । माषा संस्कृत | विषय - श्रायुर्वेद । रचनाकाल × । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम 1 वेष्टन नं ० - १५० ३
विशेष – हिन्दी टोका भी है।
इञ्च । माषा-संस्कृत विषय श्रायुर्वेद । रचनाकाल xt
३५१ योगचिंतामणि -हर्षकीर्त्ति पत्र सं.-११ | साइज १२६४६ इन्च मात्रा-संस्कृत विषय श्रायुर्वेद ! रचनाकाल × | लेखनकाल - सं० १८२७ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं०-१५५ १
विशेष - हिन्दी अर्थ भी दिया हुआ है । लेखक - जयचन्दजी बाबा है।
३५२ प्रति नं० २ । पत्र सं० १६३ | साइज १३६६ | लेखनकाल- सं० २०६३ मंगसिर शुक्ला ४ | पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १५६ ।
विशेष --- दोडारायसिंह निवासी साहजी सालिगराम कोश्यारी ने गिरधारी व्यास से प्रतिलिपि करवायी थी | हिन्दी अर्थ भी दिया हुआ है। प्रथम प्रति से इसकी टीका भिन्न है ।
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आयुर्वेद
३३
३५३ योगरत्नावलि-हिङ्गनायं । पत्र सं० ७७ । साइज ११६४५ इन। भाषा-संस्कृत । विषय-प्रायुर्वेद । रचनाकाल X1 लेखनकाल सं० १८७५ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं० १५५ ।
३५४ योगशतक-अमृतप्रभसूरि । पत्र सं० ३१ । माइज ६४४१ च । भाषा संस्कृत । विषय-आयुर्वेद | रचनाकाल x 1 लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-जीर्छ । बेष्टन नं० १५७ ।
विशेष-हिन्दी अर्थ भी है।
३५५ प्रति नं. २१ पत्र सं० १२ । साइज ११४५३ इन्च 1 लेखनकाल X ! पूर्ण एवं अशुद्ध । दशाजीर्ण । बेष्टन नं० १५५
३५६ प्रति नं० ३ । पत्र सं० १२ । साइज १२४५ इञ्च । लेखनकाल सं० १७६८ ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेप्टन नं. १५७ ।
विशेष- हिन्दी अर्थ सहित है । प्राचार्य चंद्रकीर्ति के शिष्य पांडे यासकर्ण, घासीराम, भोंवती के पठनार्य प्रतिलिपि की गयी थी।
३५७ प्रति नं. ४ । पत्र में० २१ । साइज :१६४६ इञ्च । लेखनकाल-सं० १७१६ ! पूर्ण एवं शुद्ध । शा-सामान्य ! वेटन नं. १५७ ॥
विशेष प्रति सटीक है । टीकाकाल-सं० १६६.२ | भ० नरेन्द्रकीर्ति के प्रशिभ्य प्रासाकरण ने प्रतिलिपि की थी।
३५८ रसमजरी-वैद्य शालिनाय । पत्र सं० २२ । साइज १२४६ इन्च ! भाषा-संसूत | विषय-प्रायुर्वेद । निनाकाल ४ । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. १७१ 1
___३५६ रसरत्नाकर-नित्यनाथसिद्ध । पत्र सं० ३६ । साइज-१३६४५ इच्वं । भाषा-संस्कृत | विषय-प्रायुर्वेद । चनाकाल ४ | लेखनकाल X । अन्टम सर्ग पर्यन्त । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६६ ।
३६० प्रति नं. २१ पत्र सं० १३. | साइज-११६x६ इञ्च । लेखनकाल ४ | सप्तमोपदेश पर्यन्त | शुद्ध | दशा-जीर्ण | वेटन नं. १६६ ।
३६१ प्रति नं०३। पत्र सं० १८ । साइज ११४५ इञ्च । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं० १६६ ।
३६२ रामविनोदभाषा-धीरामचन्द्र । पत्र सं० १६३ । साइज १०६४४३ श्च । भाषा-हिन्दी । विषयघायुर्वेद । रचनाकाल-सं० १६२० । लेखनकाल-१८४२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६८ !
विशेष--रचनास्थान-भेहरा नगर (पंजाब ) हैं।
३६३ प्रति नं० २। पत्र सं० २१ । साइज ३०४५ इञ्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं प्रशुद्ध । दशा-जीर्ण शीर्ण । वेष्टन नं १३८ । ..... ३६४ रुरतीकल्प......... | पत्र सं० २ । साइज-६४४ श्च । भाषा-हिन्दी । विषय-धायुर्वेद । रचनागाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १७० ।
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[आयुर्वेद
३६५ वैद्यकसारसंग्रह-(रामविनोद) रामचंद्र । पत्र सं० १३६ । साइज-१२४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी। वित्रय-आयुर्वेद । रचनाकाल-१६२० । लेखनकाल–सं. १८३४ 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० १८ ।
विशेष—प्रन्य का दूसरा नाम रामविनोद भाषा भी है | रामचन्द्र जिनसिंह सूरि के प्रशिष्य थे।
३६६ वैद्यकसारसंग्रहागापति व्यास । पत्र सं० २५ । साइज–११३४४ इन्च । भाषा संस्कृत । विषय-: आयुर्वेद । रचनाकाल ४ । लेखनकाल–सं. १७४० । 'पूर्ण-प्रयम पत्र नहीं है । शुद्र | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० १८५।।
३६७ प्रति न.२१ पत्र सं० १२ । साइज-११३४५ इल | लेखनकाल x। अपूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य । वेष्टन नं० १८५
३६८ प्रति नं०३ । प्रत्र सं० १६ । साइज-११४५ इन्न । लेखनकाल x। अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । । दशा-जोर्रा 1 वेष्टन नं. १८५ ।
३६६ वैद्यकसारसंग्रह ....... | पत्र सं०६८ । साइज-१:४४३ ५श्च । माषा-हिन्दी । विषय-प्रायुर्वेद । रचनाकाल X । लेखन काल x | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । श्रेष्टन ने • १८५।
३७. वैद्यजीवन-लोलिम्बराज । पत्र सं० १० । साइन-८४४, ५ञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-अायुर्वेद । रचनाकाल X । लेखनकाल–सं०1८४८ ! पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं १-४ |
विशेष--लेखनस्थान-भाधोपुर है।
३७१ प्रति नं० २ । पत्र सं० २७ 1 साइज १०६४५६ । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ।। वेष्टन नं. १८४ |
विशेष-हिन्दी टीका भी है ।
३७२ प्रति नं८३1 पत्र सं० ५७ | साइज-१०x४, लेखनकाल–सं० १८२० । पूर्ण एवं शुद्ध ।। दशा-सामान्य । वेष्टन १८४
विशेष-हिन्दी भाषा भी हैं । भाषाकार श्री हरिनाम हैं । लेखन स्थान-जयपुर ।
३७३ वैद्यमनोत्सव-नयनमुख । पत्र ०२। साइज-=x४ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-यायुर्वेद ।। रचनाकाल x 1 लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य 1 वेष्टन नं. १८३ ।
३७४ वैद्यरत्र-शिवानन्द भट्ट । पत्र सं० ४८ | साइज १२६४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषा-अायुर्वेद | रचनाकाल X । लेखनकाल–सं० १८४६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८३ ।
विशेष-ईसरदा ( जयपुर ) में प्रतिलिपि की गयी मी 1
३७४ वैद्यबल्लभ......"। पत्र सं० २६ । साइज १०x४ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय-ग्रायुर्वेद । रचनाकाल x || लेखनकाल--सं० १७६७ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्ग । वेष्टन नं० १८३ |
विशेष-हिन्दी में शब्दार्थ भी दिया हुआ है। ३७६ वैद्यविनोद......"अनन्तभट्टामज भट्ट शंकर । पत्र सं० ११० । साइज १०३४५३ ६२ । भाषा-संस्कृत ||
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- ज्योतिषादि] -विषय-यायुर्वेद | स्चनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १८२
विशेष—महाराजा रामसिंह के पटने के लिये अन्य निर्माण किया गया था |
३७७ शाङ्गधर संहिता-शाङ्गधर 1 पत्र सं० १०१। साइज ११४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय.. पापवेद । रचनाकाल र खैखनकाल-सं० १७२४ माह सुदी १३ | उत्तरखण्ड तक । सामान्य शुद्ध । वेष्टन नं० २७३ ।
विशेष—सांगानेर में प्रतिनिति हुई थी।
३७८ प्रति नं० २ । पत्र सं० ४५ । साइज-११३४५ इत्र | लेखनकाल-सं० १८५५ 1 अपूर्ण एवं सामान्य गुर। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २७३ ।
३७६ प्रति नं०३ 1 पत्र सं०-३०६ 1 साइज-१३४६ इन | लेखनकाल सं० १७८७ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध 1 दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० २०१
३८० प्रति नं.४। पत्र सं०-१०३ | साइज़-१२४५ इञ्च । लेखनकाल सं०-1.४१ पूर्ण एवं सामान्य सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण | वैष्टन नं. १०१।
विशेष - रामसिंहजी के शासनकाल में आमेर निवासी प्रभाचन्द्र वैध ने सांगानेर में प्रतिलिपि को भी ।
३८१ सन्निपातकलिका-प्रश्वनिकुमार ! पत्र में, ७ । साइज ११४५ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय। वायुमेंट । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १८६३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ०-२३१ ।
३८२ सप्तधातविधिः....1 पत्र सं० १५ । साइज--३४६, इश्च । भाषा-हिन्दी ! विषय-श्रायुर्वेद । - ननाकाल ४ | लेखनकाल X| अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २३२ |
३८३ सालिहोत्र-५० नकुस । पत्र सं० २३ । साइज १०४४६ इञ्च | भाषा-संस्कृत। विषय-घोडों की निकित्सा । रचनाकाल X । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेन्टन नं० २३१ ।
त्रिशेष-हिन्दी अर्थ सहित है।
विषय-ज्योतिपादि निमित्तज्ञान साहित्य
प्रन्ध संख्या-३३ ३४ अनजदकेवली.....! पत्र सं. ६ साइन-१०३४५६ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-ज्योतिष । सनाकाल - । लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १५ ।
___ ३८५ अष्टवर्गफल...."। पत्र सं० १० । साइज १०x-३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय राशिफल | पुल गतानफल, तिथिफल प्रादि । ज्योतिष के विषय । रचनाकाल x | लेखनकाल x अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशाE वामान्य । बेटन नं० २५८ ।। .....विशेष-हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है।
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ज्योतिषा ३८६ प्रति नं० २। पत्र सं० : । साइज ='x६ दश्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५८ ।
विशेष- हिन्दी अर्थ सहित है।
३८७ गर्गसंहिता-गर्ग ऋषि ! पत्र सं० १७ । साइज ५.१४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष रचनाकाल x 1 लेखन काल ४ । पूर्गा एवं शुद्रः । दशा-सामान्य । बेष्टन नं० २६३ ।
३८८ गौतमकेवली..."। पत्र सं० १ । साइज ,१४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । रचनाकाल X । लेखनकाल x / पूर्ण | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ३२ ।।
३८६ गृह लाघव-गणेशदेव । पत्र सं० १२ । साइज ११४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्योतिष रचनाकाल ४ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम | वेष्टन नं ०३: ।
विशेष-हिन्दी में भी अर्थ दिया हुआ है।
३६. चातको सलाइ सान..."| पत्र सं २ । साइज-११४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयमाला लनों का वर्णन | रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ग तथा सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ४६ ।
___३६१ चमत्कारचितामणी-राजन्य मट्ट । पत्र सं. ८ | साइज-१२४५ इञ्च । माषा-संस्कृत ! विषयज्योतिष । रचनाकाल X | लेखन काल-सं. १७६५ । पूर्ण तथा सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं. ४४ !
विशेष --प्रहों के फल का वर्णन है।
३६२ ज्योतिषशास्त्र-मुजादित्य । पत्र सं० ६४ | साइज-११४५ इन्न । माषा-संस्कृत | विषय- ज्योतिष ग्न नाकाल x लेखनकाल-सं० ११ १४ ! पूर्मा एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. ४४ ।
३६३ ज्योतिपसार-हर्षकीर्ति । पत्र सं० १७ । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष ग्ननाकात X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेटन नं० ५३ ।
विशेष-विषय को समझाने के लिये रेखाचित्र भी दिये हुये हैं।
३६४ ज्ञातकेवली.......। पत्र २८ । साइज-71x५ इन्च | माषा-संस्कृत | विषय-शकुन शास्त्र (ज्योतिष रचनाकाल X । लेखनकाल ४ ] पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेन्टन नं० ३२ ।
___ ३६५ ज्ञानस्वरोदय-चरनदास । पत्र सं० २७ । साइज--x४ इञ्च । भाषा--हिन्दी इन्दोबद्ध । विषय शनशास्त्र । रचनाकाल ४ । लेखनकाल-सं० १८६५ 1 अपूर्ण-प्रथम पत्र नहीं है। सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य वेष्टन नं० २६५ ।
विशेष .. श्वरों का विस्तृत विवेचन दिया हुआ है।
३६६ प्रश्नचूडामणि...."। पत्र सं० ४ । साइज ११४५ च । भाषा-हिन्दा । विषय-ज्योतिष) रचनाकाल x लेखनकाल X । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । चेष्टन नं० १२५।।
३६७ प्रश्नावलि यी हयग्रीव | पत्र सं० २३। साइज-१.४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष ।
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ज्योतिषादि] रचनाकाल । लेखनकाल-सं० १८११ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १२६ ।।
विशेष-२४ प्रकार के प्रश्नों का उत्तर दिया गया है । विधि- सहित है। प्रत्येक प्रश्न का यंत्र मी है। ...'
३- प्रश्नरत्नावलि......"। पत्र सं० १५ । साज-६x६ इञ्च | माषा ४ । विषय-शनशास्त्र | रचनाकाल x | लेखनकाल x ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११. .
विशेष--२७ प्रश्नों के २५ यंत्र हैं । यंत्र में केवल वर्णमाला के अक्षर हैं। उत्तर प्राप्त करने की विधि भी लिखी हुई है।...
३६पातिलाइ के नाम की शकुनावली......1 पत्र सं० ३ । साइज-Ex७३ इन्च । भाषा-हिन्दो । ' विषय-शकुन शास्त्र ! रचनाकाल x | लेखनकाल ४ ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११० |
___ विशेष-रेखाचित्र मी दिया हुआ है । १५ बादशाहों के नामों पर शकुन फल दिया हुआ है। ... "ओं ह्रीं श्री महमदापीर बलबुल हलकुन दरंदा अभिमन" इस प्रकार का प्रारम्भ होता है।
४०० प्रति नं० २१ पत्र सं० ४ | साइज-१०३४५ इन्द ! लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्च 1 बेटन नं. ११७
. . . विशेष-यंत्र सहित है।
४०१ पाशाकेवली.! पत्र सं० २८ | साइज-५६४५६ इञ्च'! भाषा संस्कृत ! विजय-ज्योतिष । - रचनाकाल x | लेखनकाल ४ | अपूर्ण प्रारम्भ के ६ पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २८३ ।
४०२ पंचाङ्गा.......। पत्र सं० १६ । साइज-६x४३ इन्च । भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष । रचनाकाल ४ | : लेम्वनकाल-सं० १६१७ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं० २६० |
संवत् १६१७ का महाराजा तख्तसिंह के समय का पंचाग है.।
४.३ पथराइचक्र.."। पत्र सं० १ । साइज-११४५ इञ्छ । माषा-संस्कृत | विषय- ज्योतिष । रचनागल X । लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा सामान्य । वेष्टन नं. ११०।
४०४ बसंतराजशकुनावली-बसन्तराज । पत्र सं०७० । साइज-१२४४३ इद । माषा-संस्कृत ! विषय-शकुन शास्त्र । रचनाकाल ४ । लेखनकाल X| अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेष्टन नं. १३२ ।
विशेष- -हिन्दी टीका भी दी हुई है । ५, ६ तमा. ५० से आगे के पत्र नहीं है ।
४०५ मुहूर्तमुक्तावलि-परमहंस परिव्राजकाचार्य । पत्र सं० १५ । साइज-११४५ इन्च 1 भाषा-संस्कृत । सरप-ज्योतिष ! रचनाकाल x | लेखनकाल X| पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य 1 वेष्टन नं. १५४ ।
४०६ मेघमाला....."। पत्र सं० १६ । साइज-१०४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत ! विषय-ज्योतिष । . रकलाका X । लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्धः । कशा सामान्य । वेष्टनःनं. १४E ... ... . .
विशेष- महादेव पार्वती संवादःका एक अंश है। ..
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[मन्त्रतन्धादि ४८७ योगिनीदशा....."। पत्र सं. 1 साइज-२४४६ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय-ज्योतिष । स्पनाकाल x । लेखनकाल–सं० १८०६ । पूर्ण एवं शुद्धः । दशा-जीर्णं । वेष्टन नं. १५६ ।
विशेष—लिपिकार श्री खुशालचंद हैं 1
४०८ रमलशास्त्र...! पत्र सं० १४ ! साइज-ex५ इन्च | माषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष । रचनाकाल x | लेखनकाल–सं. १८१४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २७२ ।
४०६ शकुनालि'....."पत्र सं० = | साइज १०४५ इञ्च । माषा--हिन्दी 1 विषय-शकुनशास्त्र । रचनाडाल ४ ! लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध 1 दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ६०० |
४१. शकुनावलि-महामुनि गर्ग । पत्र सं०-१० | साइज-११४५ इश्व | भाषा-संस्कृत ! विषय-शकुनशास्त्र | स्वनाकाल X । लेखनकाल-सं० १८६७ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०० ।
४११ प्रति नं. २। पत्र सं• ६ । साइज ११४६ इञ्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेटन नं० २..।
४१२ शकुनाणेव......! पत्र सं० २ | साइज १०x४५ च । भाषा-संस्कृत | विषय-शकुनशास्त्र । रचनापाव । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य ] वेष्टन नं० २०. !
४१३ शलाकानिक्षेपणनिष्काशन विधि.....| पत्र सं. ४ | साइज-- १०४५ च । भाषा-संस्कृत। विषय-शकुन शारत्र । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १६५।
विशेष-शकुनों का वर्णन दिया हुआ है।
४१४ शीघ्रयोध-काशीनाथ | पत्र सं. १७ । साइज ७६४४ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय- ज्योतिष ।। रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०१।
४१५ प्रति नं० २ । पत्र सं० १४ । साइज ६६x४ इन्च । लेखनकाल ४। पूर्ण-विवाह प्रकरण तक। शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २०१ ।
४१६ स्त्रीपुरुषलक्षण......। पत्र स०१८ | साइज ७३४३३ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-ज्योतिष ।। रचनाकाल x 1 लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २२६ ।
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विषय-मन्त्र तन्वादि
प्रन्थसंख्या-३५ ४१७ कान्त वीर्यकवच-चन्द्रमौलि । पत्र सं० १३ । सारज-३५ इन्ध । भाषा-संस्कृत । विषय-मर शास्त्र । रचनाकाल ४ । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामाय । बेण्टन नं ० २८ ।
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३६
४१८ रोगी
पत्र सं०....| साइज ४१४५ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषय - तन्त्रशास्त्र । रचनाकाल X। लेखनकाल- सं० १८३३ । पूर्ण तथा सामान्य शुद्ध । दशा - सामाय । वेष्टन नं ० ४४ |
मन्त्र तन्त्रादि ]
४१६ ज्वालामालिनी यंत्र ... पत्र सं० १ १ साइज १२४६ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय-मंत्र शास्त्र । रचनाकाल × । लेखनकाल x । पूर्ण तथा सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ५३ |
विशेष – मंत्र सहित चित्र है ।
४२० ज्वालामालिनीस्तोत्र"
रचनाकाल × ↓ लेखनकाल × । पूर्णं एवं सामान्य शुद्ध । दशा - जीर्ण शी। वेष्टन नं० ५३ ।
"
पत्र सं ० ३ । साइज १२४६ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय-मंत्र शास्त्र |
४२१ णमोकारकल्प
पत्र [सं० ५ । साइज - = x ६ रचनाकाल × | लेखनकाल - सं० १९९५ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
|
दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ५६ ॥
इव । लेखनकाल- सं० १९९४ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा
४२२ प्रति नं० २ | पत्र सं० ४ | साइज ८४६
सामान्य | वेष्टन नं० ५६ |
दशा- जी । वेष्टन नं० ५६ १
छ । माषा - हिन्दी | विषय - मंत्रशास्त्र |
४२३ प्रति नं० ३ । पत्र [सं० ५ | साइज - x इ । लेखनकाल - सं० १९३७ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
४०७ प्रभावतीकल्प
रचनाकाल × ॥ लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध
४२४ त्रिपुरा
| पत्र सं० २२ | साइज ६x४
काल X। तैखनकाल × । श्रपूर्ण अन्तिम पत्र नहीं हैं। शुद्ध ४२५ पद्मावती यंत्र .. | पत्र सं ० १ | साइज - ११४६ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषय - मन्त्र शास्त्र । रचनाकाल × | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं ० १२१ ॥
विशेष— यंत्र, मंत्र तथा विधि तीनों ही दी हुई है।
| भाषा-संस्कृत | विषय - मन्त्र शास्त्र | रचनादशा उत्तम | वेष्टन नं० २६७ |
४२६ प्रत्यंगिरासिद्धिमंत्रोद्वार - पत्र सं ० ६ । साइज - ७३९४ इव । भाषा - संस्कृत । विषय-मंत्र `शास्त्र । रचनाकाल × ! लेखनकाल - सं० १८३६ | पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । बेष्टन नं० १११ । विशेष – ६० हर्षचन्द्र ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी ।
I
पत्र सं० ३ | साइज - १०४५ ६श्व | भाषा-संस्कृत | विषय - मन्त्रशास्त्र दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ११२ ॥
४२८ पुण्याहवाचना | रचनाकाल × । लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १११ ।
पत्र सं० ६ । साइज - १० १४५ इश्च । भाषा - संस्कृत | विषय - मन्त्र शास्त्र ।
४२६ प्रति नं० २ | पत्र सं० ६ | साइज १०३५ इन्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - उत्तम !
बैटन नं० १११ |
विशेष - "पुण्याहवाचना का पाठ ग्वालियर में भट्टारक पट्ट स्थापित करने के अवसर पर सकलकीर्ति ने किया था?" ऐसा उल्लेख किया हुआ है ।
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[मन्वतन्त्राणि ४३० प्रति नं० ३। पत्र सं० ६ । साइज-१०४५, इश्व । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेप्टन नं० १११।
४३१ बगुलामुखीपद्धति........! पत्र सं०-११ । साइज-१२४६ इश ! भाषा-संस्कृत ! विषय-मंत्रशास्त्र । रचनाकाल X-1 लेखनकाल x + पूर्ण एवं सामान्य शुद्धः । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ४३२।
४३२ भक्तामरऋद्धिमंत्रविधि......"। पत्र सं० ८ । साइज १०४५ इश्व | भाषा-हिन्दी संस्कृत । विषय-मन्न। शास्त्र । स्वनाकाल X । लेखनकाल X| पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १३५ 1
विशेष—मन्त्र और विधि दोनों ही दी हुई है।
१३३ भक्तामरस्तोत्रऋद्धिमंत्र....। पत्र सं० ४८ | साइज ११४६३ इञ्च ! माषा-संस्कृतः। विषय स्तोत्र. एवं मन्त्र । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ । पूर्ण. एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० .१३५
विशेष-मन्त्र तथा यन्त्र दोनों दिये हुये हैं । हिन्दो मात्रा में प्रत्येक पद्य के मन्त्र सिद्धि. से फल को बतलाया गया है।
४३४ भैरवपद्मावतीकल्प मल्लिषेणाचार्य । पत्र सं० २६ । साइज ११४५ इञ्च | भाषा-संस्कृतः। विषयमन्त्रशास्त्र । रचनाकाल X | लेखनकाल-सं० १८२६ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य | वेष्टन नं .१४० ।
विशेष-प्रति सचित्र है।
४३५ प्रति न०२ । पत्र सं० ४८ | साइज-११x१३ इञ्च | लेखनकाल–सं० १८७६ पौष. बुदी ३ | पूर्व एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १४०।
४३६ प्रति नं०.३। पत्र सं० १५ | साइज-२:४६६ च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्य । वेष्टन नं० १४० |
४३७ प्रति नं.४ । पत्र सं० १४ | साइज-६x४ इन्छ । लेखनमल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध। दशा-साधारण। बेएन. १४१.1
विशेष-दो तरह की प्रतियों का सम्मिश्रण है।
४३८ महामृत्युंजय यंत्र........। पत्र सं० १ साइज १३४५ च । माषा-संस्कृत । विषय-मंत्रशास्त्र 1 ! रचनाकाल.४ । लेखनकाल ४ । पूर्ण. एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० १५०1
४३६ मायाबीजविधि......'पत्र सं० २ । साइजः १३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-मन्त्र शास्त्र । रचनाकाल ४ । लेखनकाल x | पूणे एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १५० ।
४४० मंत्रशास्त्रसंग्रह..."! पत्र सं०...... | साइज-७३४४ इत्र | भाषा-संस्कृत | विषय-मंत्र शास्त्र रचनाकाल ४ । लेखनकाल.४ । अपूर्ण, एक सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. 1..
| पत्र सं० ७० | साइज-६४५ इन | माषा-संस्कृत । विषय-मान्त्रशास्त्र। रचनाकालः लेखनकाल । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६० |
४४२ योगिनीसाधन"..."। पत्र सं० ६ । साइज Ex५ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय-मंत्रशास्त्र।
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= छंदशास]
रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १५६ |
४४३ विजयपताकायंत्र....."| पत्र सं० १ । साइज १०६x६ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-मंत्र शास्त्र । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य | वेष्टन नं० १६० !
४४४ विद्यानुवाद-याचार्य मस्तिषेण । पत्र सं० २३८ । साइज ११४७३ च 1 माषा-संस्कृत | विषयमंत्र शास्त्र । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ | २४ अध्याय तक पूर्ण । शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १७८ ।
विशेष-प्रति सचित्र है।
४४५ सकलीकरण विधान"....! पत्र सं० ३ | साइज ६५४४३ इव । भाषा-संस्कृत ! विषय-मन्त्र शास्त्र । रचनाकाल x | लेखनकाल x ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २३७ !
विशेष-जल, नभ, अन्नि और वायु मंडल के चित्र हैं ।
४४६ प्रति नं० २१ पत्र सं०३ । साइज-१०x४३ च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं.२३७१
४४७ सिद्धचक्रमंत्र......। पत्र सं. ३ । साइज-११४५ इञ्छ | ११४५ श्च । भाषा-संस्कृत । विषयभन्त्रशास्त्र । रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१३ । ।
४४८ सूयप्रतापयन्त्र'....."| पत्र सं. १ | साइज-१२x६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-मन्त्रशास्त्र । (मना काल x | लेखनकाल x | पुर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० २३ ।
विशेष-मन्त्र तथा होम विधि दोनो दी हुई है। मंत्र सचित्र है।
४४६ हनुमतकवच..."। पत्र सं. ३ | साइज-८४४३ इन्च । माषा-संस्कृत | विषय-मन्त्र शास्त्र | रचनाकाल x | लेखनकाल ४ ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४६ |
४५० प्रति नं.२। पत्र सं. : 1. साइज-८४४३ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८३८ 'पूर्ण एन शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० २४१ ।
४५१ हनुमतपटल विधि....."पत्र सं. ४ | साइज--४४३ च । भाषा-संस्कृत । विषय--मंत्रशास्त्र । रचनाकाल x 1 लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । वेष्टन नं० २४६ ।
विषय-छंदशास्त्र प्रन्थ संख्या
४५२ प्राकृत छन्दकोश'........! पत्र सं०६ । साइज-१२४६ इञ्च | भाषा-प्राकृत । विषय-छन्दशास्त्र । रचनामल X । लेखनकाल x पूर्ण तथा शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४ ।
विशेष-माया संख्या-७७)
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[ अलंकार
१५३ वृत्तरत्नाकर-भट्ट केदार । पत्र सं० १४ ] साइज-१०३४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-छन्दशास्त्र । रचनाकाल x 1 लेखनकाल–सं० १५४१ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्धः । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८६ ।
विरोष-प्रति सटीक है। श्री सारंग ज्योतिषी ने प्रतिलिपि की थी।
४५४ श्रुतबोध-कालिदास | पत्र सं० ११ । साइज-११४४ इञ्च । विषय-इन्दशास्त्र | रचनाकाल X|' लेखनकल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० २७५ ।
४५५. प्रति नं०२। पत्र सं. १० । साइज-१०x४ इञ्च । लेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।। दशा-जीर्ण । वेष्टन नं २७५ |
४५६ प्रति नं० ३ । पत्र सं० ६ | साइज-१ ०४६३ इञ्च | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | | दशा-मामाल । घेटन नं.२७१।
४५७ प्रति नं. ४ 1 पत्र सं० १ ० | साइज-१०१४४३ इञ्च । लेखनकाल x ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-उजन । बेन्टन नं० २७५ ।
१५८ प्रति ०५१ पत्र सं० ६ । साइज-- ०६४५, इञ्च । लेखनकाल x ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशासामान्य | वेटन नं. २५५ ।
४५६ प्रति नं०६। पत्र सं. ८ | साइज-११४६ इञ्च । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्धः । दशा सामान्य । ] वेष्टन नं० २७५ ।
विशेष –प्रति सटीक है ।
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विषय-रस एवं अलंकार
प्रन्थसंख्या-२
४६. वाग्भट्टालंकार-वाग्नट्ट । पत्र सं० १७ । माइज-१०x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय--अलंकार शास्त्र ।' रचनाकाल x | लेखनकाल X । पंचमपरिच्छेद तक | सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८६ ।
४६१ रसपीयूष-सोमनाय । पत्र सं० १२४ । साइज-१०४४३ इञ्च । माषा-हिन्दी । विषय-अलंकार शास्त्र । रचनाकाल X| लेखनकाल–सं० १८५५ । अपूर्ण-२८ से ३४ एवं १२३ का पत्र नहीं है। दशा-सामान्य ! वेष्टन नं० १५० ।
विशेष-महाराजकुमार प्रतापसिंह के लिये अन्य रचना की गयी थी । भरतपुर में प्रतिलिपि की गयी थी ।
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कामशास्त्र]
विपय-कामशास्त्र ग्रन्थसंख्या-१
४६२ कोकशास्त्र"....पत्र सं० ७६ । साइज-x६ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-कामशास्त्र । रचनाकाल ४ । लेखनकाल ४ । पूर्ण तथा अशुद्ध एवं अस्पष्ट । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३१ ।
विषय-लोकविज्ञान
प्रन्थसंख्या-४
४६३ बिलोकदर्पणकथा-खड्गसेन । पत्र सं० १०१ । साइज-१२४६३ इश्व | भाषा-हिन्दी । विषयलोक विज्ञान । रचनाकाल सं० १७१३ । लेखनकाल ४ । पूर्ण तथा शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ५ ।
४६४ तीनलोक वर्णन........"। पत्र सं० ७१ । साइज-१३४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दो 1 विषय-लोक विज्ञान | रचनाकाल-सं० १६८३ । लेख नकाल X । पूर्ण-अशुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. ६१ ।
४३५ तीनलोकर चना...पत्र सं० २१६ । साइज-ex५३ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषय-लोक चिन्नान । रचनाकाल-सं० १४७६ | लेखनकाल-सं० १७ । पूर्ण सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य 1 वेरन नं० ६१ ।
४६६ त्रिलोकसार-आचार्य नेमिचन्द्र ! पत्र सं० ७१ | साइज-१२५६ इन्च । भाषा-प्राकृत । विषय-लोक विज्ञान । रचनाकाल X 1 लेखनकाल-सं० १६१७ अपाट सुदी ५ । पूर्ण तथा शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं०१६ ।
विशेष—सुमतिकीर्ति के शिष्य याचार्य रत्नभूषण ने प्रतिलिपि करवायी मी ।
विषय-सुभाषित प्रन्थसंख्या १४
४६७ करकापैंतीसी-गुलाबचन्द | पत्र सं ५ । साइज-६३४५३ इश्च । माषा-हिन्दो । विषय-सुमाषिप्त । रचनाकाल ४ ! लेखनकाल x | पूर्ण तमा सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । श्रेष्टन नं ० ५५ ।
४६८ सुप्पयदोहा-सुममाचार्य । पत्र सं० २२ | साइज-EX४ इञ्च । भाषा-प्राकृत | विषय-मुभाषित । - रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १७८४ आसोज सुदी १ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २६ ।
विशेष--प्रति सर्यक है । संस्कृत में टोका है।
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४४
४६६ बारहखडी
काल x लेखनकाल - १० १०३१ माह बुदी ७ ।
सुभाषित
| पत्र ०६ साइज - ०५६ इत्र । भाषा - हिन्दी विषय - सुभाषित | रचनापूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १३३ ।
साइज - ७÷५ इव । लेखनकाल x १ अपूर्ण एवं शुद्ध दशा
४७० प्रति नं २ | पत्र सं० :
सामान्य | वेष्टन नं० १३३ |
'४७१ सभातरंग' 1 पत्र रचनाकाल x | लेखनकाल | पूरी एवं शुद्ध
०३५ | साइज - ११३५ इश्व | भाषा-संस्कृत विषय सुभाषित दशा - सामान्य | बेन्दन नं० २२७ |
४५२ सिन्दूरप्रकरा -कौरपाल बनारसीदास | पत्र सं० ४३ | साइज - ४३४ मुभाति । रचनाकाल सं० १६६१ । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २३६ ।
४७३ सू. मुक्ता-सोमप्रभ । पत्र सं १४ | साइज - १२X४ इ | भाषा संस्कृत | विषय - सुभाषित | रचनाकाल × । लेखनकाल । पूर्ण -पद्य सं० १०० | शुद्ध | दशा - सामान्य | बेष्टन नं० २६५ |
विशेष—प्रति सटीक है टीकाकार हर्न कोति है ।
I
| भाषा - हिन्दी | विषय
जीर्ण । येष्टन नं० २३६ ।
४७४ प्रति न० २ । पत्र सं० ११ | साइज - १०३४४ इ | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य | वेष्टन नं० २३६ |
४७५ प्रति नं० ३ | पत्र [सं० २४ | साइज - १०x४३ इव । लेखनकाल | अपूर्ण ४४ पद्य तक हो है
विशेष प्रति सटीक है।
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४७६ प्रति नं ४ पत्र सं० १४ । सहिजे - ११४४ इव । लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य वेष्टन नं ० २७३ |
४७७ सुभाषिताव -म० शुभचंद्र | पत्र सं०७० | साइज १०३x६ इ रचनाकाल × | लेखनकाल x । पूर्ण एवं 'सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० २३० |
| भाषा-संस्कृत | विषय - सुभाषित |
४७ सुभाषितावली - सकलकीर्त्ति | पत्र सं० २५ | साइज - ११४५३ इव । भाषा - संस्कृत | विषय - भाषित। रचनाकाल × | लेखनकाल- सं० २७६५ माघ शुक्ला १ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २२७ |
विशेष-पं खुशालचंद ने महाराष्ट्र में प्रतिलिपि की थी ।
४७६ प्रति नं० २ । पत्र सं० २७ | साइज १०३४४ इन्च | लेखनकाल - सं० १६१८ कार्त्तिक सुदी २ | पूर्ण प्रारम्भ के २० पत्र नहीं हैं । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २२७ ।
1
विशेष - हिसार में साधु महसेन ने प्रतिलिपि बनायी थी ।
| पत्र सं० १ | साइज
४८० सूरत की बारहखडी १९४५३ च । माषा - हिन्दी | विषय - सुभाषित ! रचनाकाल × । लेखनकाल- सं० १६५८ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २३४ ।
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३
विषय-नीति
प्रन्थसंख्या-१० ४८१ नीतिशतक-मत हरि । पत्र सं० २६ । साइज-ex६ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-नीति । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १६१० । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८६ 1
४८२ प्रति नं० २। पत्र सं० १८ । साइज-१X६ इञ्च । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशासामान्य । वेष्टन नं. ८६ ।
४८३ नीतिशास्त्र-चाणक्य | पत्र सं. १८ | साइज-१०१x१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-नीति शास्त्र । रचनाकाल ५ । लेदनकाल ४ ! पूर्ण नया शुद्ध ! दशा-उत्तम । वेष्टन २०४७ ।
४८४ प्रति नं २। पत्र सं ० ५ । साइज़-१०x४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८६८ | अपूर्ण तया सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ४७ ।
४८५ प्रति नं. ३ । पत्र सं० ११ । साइज-१०x४ इश्च । लेखनकाल X । पूर्ण तथा सामान्य शुद्ध । दशा-उत्तम । बेष्टन नं. ४७॥
४८६ प्रति नं०४ ! पत्र सं० २२ । साइज-१०x४३ इन्च | लेखनकाल ४ । अपूर्ण तथा सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन में. ४७
विशेष-संस्कृत पधों का हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है।
४८७ प्रति नं० ५। पत्र सं० १४ | साइज-६३४४ इन्च । लेखनकाल-सं० १७८२ फागुण सुदी है। अपूर्ण-१, २, ४ पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ने 6 ८ !
विशेष---१० पत्र तक हिन्दी में टिप्पणी दे रक्खी है ।
४८८ पंचतंत्र"....। पत्र से ० १३४ | साइज-exइश्व । भाषा-हिन्दी | विषय-नीति शास्त्र । रचना___ काल X । लेखनकाल x ! अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेप्टन नं। २६० |
४८६ पंचोपाख्यान-विष्णुशर्मा । पत्र सं० ३८ 1 साइज-१३४५ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय-राजनीति । रचनाकाल x। लेखनकाल-सं० १८४५। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १०४
विशेष- मट्टारक सुरेन्द्रकीर्ति ने कोटा नगर में प्रप्तिलिपि की थी ।
४६० हितोपदेश भाषा....."| पत्र सं० ३७ । साइज-१२५४५३ इंश्च । भाषा-हिन्दी गर्थे । विषय-नीति शास्त्र । रचनाकाल X । लेखनकाल सं० १८२८ माघ सुदी १३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा सामान्य । वेष्टन नं० २४६ ।
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विषय-स्तोत्र
ग्रन्थ संख्या-१२४ ४६१ अजितशांतिस्तवन-मन्दिषेण । पत्र में, ४ । साइज १-४४३ इञ्च | भाषा-प्राकृत । विषय-स्तोत्र रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं. १६ ।
विशेष-प्राकृत से संस्कृत में पर्यापत्राची शश्व दिये हुये है।
४६२ अजितस्तवन-जीवराज । पत्र सं० ? | साइज 12x५ इश्च । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र रचनाकाल | लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १.४।।
___४६३ आराधनाप्रतिबोधसार-भ० सकलति । पत्र सं० ५ । साइज-१२४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी; विषय-लयन । रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६ ।
४६४ उपसर्गहरणस्तोत्र-पूर्णचन्द्राचार्य । पत्र सं. ६ । साङ्ग-१ १४४३ इञ्च । माषा-संस्कृत | विषयस्तोत्र | रचनाकाल x | लेखनकाल ४ । पूर्ण सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । बेग्टन नं. १० |
विशेष—अन्तिम पत्र पर धर्मनंदि कृत प्राकृत भाषा में चतुषष्टियोगिनी स्तोत्र भी है।
४६५ ऋपिमंडलस्तोत्र-गौतमस्वामी ! पत्र सं० = | साइज-१३४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत ! विषयस्तोत्र । रचनाकाल x | लेखनकाल XI पूर्ण-पद्य-सं० ८४ । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० २३ ।
विशेष-हिन्दी टीका भी दी हुई है । लेखक जिणदास मालायत है ।
४६६ प्रति नं० २। पत्र सं० १३ । साइज ११४५३ ६श्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य वेष्टन नं०२१ ।
४६७ एकीभावस्तोत्रभाषा-भूधरदास ! पत्र सं. ५ | साइज-०४३ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र ।। रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १६.५६ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा सामान्य ! वेशन ने २२ ।
४६ एकीभावस्तोत्र-वादिराज । पत्र सं० १० | साइज-११४६ इश्व | भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १८०६ । पूर्ण एt शुद्ध | दशा-सामान्य । वेशन नं० २२ ।
विशेष---अखयराज कृत हिन्दी टीका भी साथ में दी हुई है।
PHER प्रति नं. २ । पत्र सं० ६ । साइज-११४५ ३३ । लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं० २२॥ - विशेष—संस्कृत में शब्दार्थ दिये हुये हैं।
५०० प्रति नं. ३ । पत्र सं०-४ । साइज-१२x६ इञ्च | लेखनकाल x / पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ।। वेष्टन नं. २२ ।
५०१ कल्याणमन्दिरस्तोत्र-क्रमुदचंद्र । पत्र सं० ११ । साइज १०४४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय- 1 स्तोत्र । रचनाकाल | लेखनकाल-सं० १५६० फागुण बुदो ६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २७।
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Vo
स्तोत्र ]
विशेष-मुनि चरित्रवर्धन कृत संस्कृत टीका है । टीका सुन्दर है । लेखनस्यान-वालियर !
५०२ प्रति नं. २ । पत्र सं० ५ 1 साइज-११४४६ इन । लेखनकाल ४ ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य | वेटन नं० २७
५०३ प्रति नं. ३ । पत्र सं. १६ | साइज-१२६x६ इच। लेखनकाल सं०-१८०६ फागुण बुदी १० पूर्ग एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न० २७ ।
विशेष-अखयराज कृत हिन्दी भाषा भी दी हुई है। ५०४ प्रति नं० ४ । पत्र सं० ६ । साज-ex५३ इञ्च । लेवनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम ।
५०५ प्रति नं. ५। पत्र सं• ६ । साइज १२४६ इञ्च । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेष्टन न.२७॥
०६१ पत्र सं०८1 साइज-8xxs इम्म । लेखनकाल सं० १६४३ पौष शुक्ला १३॥ पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टव नं० २८ |
विशेषः -प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है।
२८७ प्रति नं०७ । पत्र सं० ४ ! साइज-=3xk इञ्च । लेग्जनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं। २८ ।
५०८ प्रति नं 1 पत्र सं० ६ । साइज-१२४५१ इञ्च | लेखनकाल X! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २० ।
....."| पत्र सं० २| साज-३४५ इत्र | भाषा-संस्कृत विषय-स्तोत्र । रचनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २६१।।
___५१० क्षेत्रपालस्तोत्र...."। पत्र सं० १३ । साइज ११४१३ इञ्च । भाषा--संस्कृत । विषय-स्तोत्र । रचनाकाल X । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६२ ।
__५११ चतुर्विशतिजिनस्तुति-मावनंदि । पत्र सं० ३ । साइज़-११४५ ५ञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-- रतोत्र । रचनाकाल ४ | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । केटन नं ० २८३ ।
. विशेष-पद्य संख्या २५ !
५१२ जिनअष्टोत्तरशतनाम । पत्र सं० २। साइज-८४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । रचनाकाल ४ । लेखनकाल X ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ५४ ।
५१३ जिनपंजरस्तोत्र-कमलप्रभसूरि । पत्र सं० २ । साइज-१०६x४६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । रचनाकाल X । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ५.।।
५१४ जिनसहस्रनाम-जिनसेनाचार्य । पत्र सं० ८3 1 साइन-११४५३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय--
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४८
[ स्तोत्र स्तोत्र । रतनामाल X| लेखनकाल-सं. १८०२ । अपूर्ण एवं श्रशुद्ध-प्रारम्भ के ५० पत्र नहीं हैं। दशा-सामान्य । । बेटन न. २६५ ।
विशेष-प्रति सटीक है।
५१५ प्रति नं. २ । पत्र सं० १२ । साइज ८४६ इञ्च । लेखनकाल सं० १९६८ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जाणं ! वेष्टन मं० २६५ ।
५१६ प्रति नं० ३१ पत्र सं० १७ । साइज ६४४ इन्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । . दसा-सामान्य । पेटन न० ५३ ।
५१७ प्रति न०४। पत्र सं० ७ । साइज १०३४१ इन्च । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य है। वेष्टन नं५३।
५८ दघिपद्रेशस्तोत्र......! पत्र सं० १ । साइज-१०४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र ।। रचनाका न X : लेखन काल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ७२ ।
विशेष- पद्यों का संस्कृत में जिनसमाचार्य का सरस्वती स्तोत्र भी हैं ।
५१६ दर्शनपाठ.......! पत्र सं० २ । साइज-११४५ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-स्तवन । रचनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । श्रेष्ठन नं. ७४ ।
५२० दोषापहारस्तोत्र-जिनप्रभरि । पत्र सं० ४ । साइज १०३४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र ।। रचनाकाल । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | वेटन नं. ७२ ।
विशेष--इस प्रति में नवग्रह स्तोत्र मी है ।
५२१ धर्मचाह.......! पत्र सं० २ | साइज--X४ इन्च । भाषा-हिन्दी | विषय-स्तुति । रचनाकाल । लेखनकाल x / पूर्ण तया शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ७६ ।
५२२ निर्वाणकांडभाषा-भैय्या मगवतीदाल । पत्र सं० ६ । साइज-५३४३ इञ्च । भाषा-हन्दी । विषयस्तवन । रचनाकाल-सं० १७४१ । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध 1 दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८ ।
५२३ प्रति नं०२। पत्र सं० ६ । साइज--२४४ इञ्च । लेखनकाल-सं० १७५४ ।पूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य । वैप्टन नं. ८६
५२४ पद्मावतीस्तोत्र......"] पत्र सं० ११ । साइज-११४४३ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । रचनाकाल ४ ! लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन में० १२० ।
५२५ पद्मावतीस्तोत्र'! पत्र सं० ४ | साइज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । रचनाकाल X । लेवनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य | वेन्टन नं० १२० ।
विशेष-पद्य संख्या २७ ५२६ 'पद्मावतीस्तोत्र......"| पत्र सं० ४ । साइज-७६४५ इञ्छ । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र | रचना.
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स्तोत्र काल ४ । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-जीर्ण | पटन १२१।
५२७ प्रति नं० २। पत्र सं० ४ । साइज-११४५ इञ्च । लेखनकाल ४ । पूर्वी एवं शुद्ध | दशा-जीर्ण । बेष्टन नं ० १२१ ।
५२८ प्रति नं० ३ । पत्र सं॥ ४ 1 साइज-१२४५३ इश्व । लेखनकाल 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्स । रजनं-११।
५२६ पार्श्वनाथस्तोत्र.."! पत्र सं० १ | साइज-११x१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । चनाकाल X । लेखनकाल ४ । 'पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य ! वेष्टन नं० १२॥
५३० पार्श्वनाथम्तोत्र....पत्र सं. ८ | साइज-६x४ इ१ | भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । रचना. . X । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २६ ० ।
५३१ पार्श्वनाथस्तोत्र....! पत्र सं० । साइज-११४५३ ५ | भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र : मनाकाल ४ । लेखनकाल X । पूर्व सुख शुखः । शान्य । बेदन ०६०२ ।
विशेष-पद्य संख्या ३३।
५३२ पार्श्वनाथस्तोत्र.....। पत्र सं० २। साइज ११४५३ इश्व । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । नाकाल ४ । लेखनकाल-म० १८४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । श्रेष्टन नं० १०३ ।
विशेष—यमकबंध स्तोत्र है । संस्कृत में टीका दी हुई है | भद्दारक महेन्द्रकीर्ति ने स्तोत्र की प्रतिलिपि की थी।
५३३ पार्श्वनाथस्तोत्र-द्यानतरस्य । पत्र सं-१ । साइज-११४४ इञ्च | भाषा-हिन्दी 1 विषय-स्तोत्र । मनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । बेन्टन नं० १२ ।
५३४ पंचस्तोत्र सटीक । टीकाकार-नागचंद्रसूरि । पत्र सं. १ | साइज १२x६ इञ्च | भाषा-संसत । विषय-मोत्र । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । पुर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १०६ ।
५३५ प्रति नं २ । पत्र सं. २० । साहज-११४५ इञ्च । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ।
पटन नं 101
विशेष-अन्त में सहस्रनाम स्तोत्र भी है लेकिन वह अपूर्ण है।
५३६ भक्तामरस्तोत्रभाषा-हेमराज | पत्र सा ११ । साइज ५४४३ इञ्च ! भाषा हिन्दी । विषय-स्तोत्र । 'चनाकाल ४ । लेखनकाल-सं० १९५६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० ११५ ।
५३७ भक्तामरस्तोत्रसटीक..."। पत्र सं० ४२ ! साइज १४५ ६श्न । माषा-संस्कृत-हिन्दी । रचनाकाल | लेखनकाल x ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १३५ ।
५३८ भक्तामरस्तोत्र-मानतुगाचार्य । पत्र सं० ४२ । साइज १२४६ इन्च । माषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । रचनाकाल X 1 लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं १३८ ।
विशेष-हिन्दी टीका सहित है।
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स्तोत्र
५३६ भक्तामर स्तोत्र - नानतु साचार्य 1 पत्र सं० १० १ साइज =४ इञ्च भाषा-संस्कृत | विजय स्तोत्र रचनाकाल - X। लेखनकाल - सं० २००३ | पूर्व एवं शुद्ध दशा - सामान्य वेटन नं० १३६ |
विशेष - हिन्दी अर्थ सहित है ।
५०
५४० प्रति नं २ पत्र सं
एवं शुद्ध ] दशा - सामान्य । वेष्टन नं ९३६ |
२४१ प्रति नं० ३ पत्र सं० २१ सय १०४४ लेखनकाल सं० १७५१ पूर्ण एवं मुद्र
।
दशा सामान्य । वेष्टन नं० १३६ ।
विशेष- प्रति सटीक है। टीकाकार श्री मेघविजयप्रभ हैं।
२४२ भक्तामर स्तोत्र - मानगाचार्य पत्र [सं० २४ रचनाकाल x | लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य विशेष- सुनहरी अक्षरों में लिखी हुई है।
५४३ प्रति नं २ | पत्र सं०
बेटन नं १३४ |
१२ साइज - ११५ । लेखनकाल सं० १६११ बुदी ११ प
वेष्टन नं. १३४ ॥
५४४ प्रति नं ३ पत्र सं० २०५ इम्न लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा सामान्य
साइज १०३७ भाषा-संस्कृत विषय स्तोत्र हननं० १२४ ।
५४५ प्रति नं ४ | ०६ सा लेखनकाल x दशा सामान्य पूर्ण एवं शुद्ध । टन नं० १३४ |
वेष्टन नं० २३४ |
साइज - ४ इन्च । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य "
५४६ प्रति नं० ५ पत्र ०४ साइज १२२ द लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य वेण्टन नं०] १३४ |
विशेष प्रति सटीक है ।
५४७ प्रति नं० ६ पत्र [सं० १० साइज - ११४५ ६ लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य वेन मं० १२४ ।
५४८ प्रति नं ७ पत्र सं साइज - ११३१३ लेखनकाल पूर्व एवं शुद्ध दशा - सामान्य
-
५४६ प्रति नं० ८ पत्र - ११ लेखनकाल पूर्व एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेटन नं ० १३४ |
५४० भक्तामर स्तोत्रटीका समयमुन्रोपाध्याय पत्र [सं०] १२ साइज - १९४५ इन्च भाषा-संस्कृत त्रिषय-स्तोत्र | रचनाकाल । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध ५५१ भक्तामर स्तोत्रटीकाराम
। दशा सामान्य | वेष्टन नं० १३६ |
पत्र
सं० २६ | साइज १२९५६
भाषा-संस्कृत विषय
1
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स्तोत्र ]
स्तोत्र । टीका काल सं० १६६४ : सोपाल : द शु. ३. पन नं ० १३७ ।
५५२ प्रति न० २। पत्र सं. ५ . । साइज १२४५ ६ । लेखनकाल-सं० १७८२ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य | वेष्टन नं० १३८ ।
५५३ भयहरस्तोत्र.......। पत्र सं० १४ । साइज-१.३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । रचनाकाल x 1 लेखनकाल X 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेन्टन नं० १४१ ।
त्रिशेष-प्राचार्य गोविन्द कृत अजितशांति स्तोत्र भी है।
____५५४ भूपाल चतुर्विंशतिस्तोत्र पाल कत्रि | एत्र सं० ३ । साइज १९x४३ इन्च । भाषा-संस्कृत | विषयस्तोत्र 1 रचनाकाल x | लेखनकाल X | अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य | येष्टन नं० १३८ ।
५५५ प्रति नं० २। पत्र सं० ५३ साइज-- १२.४५ इश्व | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध 1 देशा-सामान्य ।
विशेष—प्रति सटीक है।
५५६ भैरवाष्टक.......! पत्र सं० १ । साइड-१२४४३ इञ्च । भाषा- संस्कृत । विषय-स्तोत्र 1 रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १८२४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १४१ ।
५५७ महावीरपार्श्वनाथस्तवन...] पत्र सं० २। साइज--X६३ इञ्च | भाषा-संस्कृत विषयसवन । रचनाकाल X । लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४७ । __ विशेष---हिन्दी अर्थ सहित है।
५५८ रोगापहारस्तोत्र ! पत्र सं० २ । साइज-१४४ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । रचनाकाल X ! लेखन काल X । पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेपन नं० १७० ।।
५५६ लक्ष्मीस्तोत्र-पद्मप्रभदेव | पप सं० ।। साइज १०३४५ इन्च । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र | __ रचनाकाल ४ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १७५ ।
५६० प्रति नं.२। पत्र सं० १ । साइज १२४५३ इञ्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । बंटन १७
विशेष-प्रति सटीक है । टीकाकार श्री पुनिभूषण हैं ।
५६१ लक्ष्मीस्तोत्र भाषा..."! पत्र सं० ३ | साइम-१०३४५३, इश्व | भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । तनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १७५ |
""""| पत्र सं. ८ 1 साइन-६४५ च | भाषा-संस्कृत । भिषय-स्तोत्र । स्चनाकाल ४ । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १८७ ।
५६३ विषापहार स्तोत्र-धनंजय । पत्र सं० १३ | साइज-१.३४४ इञ्च | माषा-संस्कृत ! विषयस्ताव । रचनाकाल x ! लेखनकाल-सं० १८०६ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेपन नं ० १८६ ।
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[ स्तोत्र
विशेष—प्रति सटीक है। टीका संस्कृत में है।
५३१ प्रति न० २१ पत्र सं. 10 : साइज-१:४५६ इञ्च । लेख्नकाल x [ पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-जीर्ण ।। बेटन नं 10
विशेष--यजयराज श्रीमाल कत हिन्दी का सहित है।
५६५ प्रति नं०३। पत्र सं० १६ | साइन-१-४४ इञ्च । लेखनकाल-स. १८१६ फागण सुदी है !! पूर्ण एनं शुम । दशा-सामान्य । वेंन्टन में० १८ ।
विशेष –लाखबराज श्रीमान कुन हिन्दी टीका सहित है।
५३६ विद्यापहारस्तोत्र भाषा-अाचल पचलकात्ति । पत्र सं. साइज--:४५ इञ्च ! भाषा-हिन्दी। लिप-लत्र । रचनाकाल-सं. १७५५ | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-पामान्य । वेष्टन नं०१८ |
विशेष ---नारनोल शहर में लोन की सपा की गयी थी । ५६७ प्रति नं०२ । पत्र सं० ३ | साइज--- इन्न । पूर्व एवं अशुद्ध । दशा-नीर्थ । वेष्टन ने. १८७।।
५३- विपापहारस्तांत्र भापा-कवि शांतिदास । पत्र सं । साइज-४४ इन्न । भाषा-हिन्दी । विषयनाचनाकान X लेखनसान ४: पूर्ण एवं सुद्ध | दशा-उगम | बेष्टन नं. १८७ ।
५.६६ बंद ना जखडी-बुधजन । पन सं. ४ । साइज-११४५ इश्च । भाषा-हिन्दी। विषय-स्तुति ।। मनाकाल-X । लेखनकाल-X | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६. 1
५७. शान्सिस्तोत्र (लघु .........। पप सं० १४ । साइज- १०x१ इन् । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र ।। रचनाका । लेखनकाल-सं० ११ । पूर्ण पर्व शुद्ध | दशा-उत्तम | बेन नं० २०२।।
विशेष-पं. रूपचन्द जी ने अपने शिम्न सदारस्व के पढ़ने के लिये की प्रतिलिपि यो।
५७१ शास्तोत्र-........1 पना यः ३ । साइज-१x६ इञ्च । भाषा-संस्कृत 1 विषय-स्तोत्र ।। चनाकाल ४ । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेन्टन नं १ २.२ ।
-भायचंद | पत्र | साइज-१४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी विषय-स्तोत्र।। रमनाकाल ५ । लेखनकाल ४ ! पूर्ण-पद्य-सख्यिा ११८ । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६ .
५५३ समवसरणस्तोत्र-विगासेन । एत्र सं० ७ । साइज-१२४५३ इन्च । माषा-सस्कत । विषय-स्तोत्र ।। रचनाकाल ४ | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा--सामान्य । वेटन नं० २१६ ।
विशेष-हिन्दी में अब दिया हुआ है।
५७४ सरस्वतीस्तोत्र......| पत्र सं० । साइज-११४५ इश्व | भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । रचनाकाल x | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २३८ ।
विशेष-स्तोत्र मात्र सहित है । गायत्री पाट भी इसमें है। ५७५ सरस्वतीस्तोत्र...| पत्र सं. १ । साइन-१४४ च । भाषा-संस्कृत | विषय-तौर । रचना
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स्तोत्र]
काल x लेखनकाल X ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । बरन न. २ । _ विशेष—पार्श्वनाथस्तोत्र तथा वृहस्पति स्तोना भी है।
५७६ प्रति मं० २ । पत्र सं० २ । साइज--१४३: इन ! लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । चेष्टन नं.२३.!
विशेष-पद्य सं० १३ । तंत्र मंत्रा गर्भित है।
५७७ सहस्रनामस्तोत्र....! पत्र सं० १३ | साइज- x४३ इश्व | भाषा-संस्कृत विषय-न्नी । . नाकाल ४ । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २३४।
५७८ स्वयंभूस्तोत्र-समंतभद्राचार्य | पत्र सं० १४ 1 साइज-=x४ इन | भाषा-संस्कृत । विषय-स्नोग। .. रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ! बेष्टन नं. ६:५।
चिशेष-- प्रति सर्टीक है । टीका संस्थान में है ।
५७६ प्रति नं०२१ पत्र सं० १८ । साइज १.४५ इञ्च । लेवनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । पेष्टन में० २३५।
विशेष---प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में हैं।
५८० प्रति नं.३। पत्र सं० । साइज x; पण ! लेखन कालु-सं० १८६. श्रावण मदी । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. २३५ ।
५८१ सामायिकपाठ-बहुमुनि । पत्र सं० १६ । साइज-5१४५३ इन्छ । भाषा-संस्कृत । विषच-स्तोत्र । नाकाल ४ । लेखनकाल x 1 पूर्ण तथा सामान्य शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २४१ ।
५८२ प्रति २०२१ पत्र सं० ११ । साइज-१२४५ इञ्च | लेखनकाल–० १५३६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४१ ।
५८३ सिद्धप्रियस्तोत्र-देवनंदि । पत्र सं. ४ । साइज---४४६च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । स्थनाकाल X | लेखनकाल X 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न. २१ ।
५८४ प्रति नं.२ । पर सं० १३ । साइज-१२४५६ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८०६ फागुण सदी ।। पूर्प ए शुद्ध ! दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २३६ ।
विशेष-- ऋषिराज कृत हिन्दी टीका भी है। जयपुर में श्री गुलाबचंद मौंसा ने प्रतिलिपि की थी। ५८५ प्रति नं० ३ । पत्र सं० ६ । साइज-१२४६ इञ्च । लेखनकाल x : पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य
घटना २३६।
विशेष-- हिन्दी में कहीं ६ शब्दार्म दिया हुआ है। इस प्रति में २६ पद्य है जबकि उक्त दोनों में २५ पथ है ।
५८६ सिद्धस्तवन-चन्द्रकोति । पत्र संख्या २ । साइज-१.६४५६ञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । चनाकाल X । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २१४ ।
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स्तोत्र ५८७ स्तुतिपाठ."। पत्र सं. २ | साइज-११५४५ इन्न । भाषा-हिन्दी 1 विषय-न्तोत्र । रचनाकाल । लेखनकाल । पुरी तथा शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ० ६.१ ।
५८८ स्तोत्रसंग्रह ....। पत्र सं० ८ । साइज--१४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । त्रिषय-स्तोत्र | रचनाकाल ४ । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं. २४५ ।
विशेष-सर्वचैत्यवंदन ज्वालामालिनीत्तोत्र, पार्श्वनायस्तोत्र एवं क्षेत्रपालस्तोत्र हैं ।
५८६ स्तोत्रसंग्रह-संग्रहकर्ता-फतेहर'म लुहाडिया । पत्र सं० ११ साइज १०५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-तोत्र । रचनाकाल x | लेखनकाल सं.-१८५१ माघ शुक्ला १४ 1 पूर्ण एवं शुद्ध । बटन नं० २५४ ।
विशेष-जयपुर में सवाईराम ने प्रतिलिपि करवायी थी ।
५६० स्तोत्रसंग्रह ......पत्र सं० ५ | साइन-:१x१ इञ्च | भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । रचना-1 काल X ! लेस्त्रनकाल X | अपूर्ण एटा शुद्ध | दशा-सामान्यः । टन नं० २३: ।
विशेष—पावती स्तोत्र एवं भारती स्तोत्र हैं । ५६१ प्रति नं० २१ पत्र सं० २० । साइज-१२४५ दृश्च । लेखनकाल - । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । |
विशेष-५ स्तोत्रों का संग्रह है।
२५६२ हनुमत सहस्रनाम'......""| पत्र सं० । साइज-cx४, रञ्च । माषा-संस्कृत । विश्रय-स्तोत्र ।। रचनाकाल X | लेखनकाल-रां० १८३७ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सानाय । वेष्टन नं ० २४० ।
विशेष---जयपुर में महाराजा प्रतापसिंह के शासनकाल में श्री हर्षचन्द्र दायडा ने प्रतिलिपि की थी ।
५६३ हनुमतस्तोत्र......। पत्र सं० १ ! साइज १:४३ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । रचनाकाल x लखनकाल x | पूर्ग एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५० |
विशेष – हनुमानजी का चित्र बना कर उनके अंगोंपांना पर मंत्र लिखा हुया है । मन्त्रसिद्धि तथा फल भी लिखा ठुअा है।
५६४ हनुमतस्तोत्र.....! पत्र सं० ६ । साइज Ex3: इन्न | भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । रचनाकाल x लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । श्रेष्टन नं ० २.४६ ।
त्रिशेष ---स्तोत्र ब्रह्मांडपुराण में से लिखा गया है।
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पूजा ]
विषय-पूजा साहित्य
प्रन्थसंख्या १६२
५५.
५६५ अनन्तचतुर्दशीपूजा
पत्र सं० ३३ । साइज १०३४२ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय पूजा रचनाकाल x | लेखनकाल x 1 अपूर्ण अन्तिम पत्र नहीं हैं। शुद्ध । दशा-सामान्य | वेटन नं १३ |
५६६ अनन्तनाश्चपूजा - श्री भूषण | पत्र सं० १ | साइज - ११४५ इव । भाषा संस्कृत | विषय - पूजा । रचनाकाल x | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य । वैन्टन नं० १४१
५६७ प्रति नं २ | पत्र सं १ | साइज - ११४४३ इञ्च | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । बेटन नं० १४ |
२६८ अनन्तत्रतोद्यापनपूजा - आचार्य भूषण पत्र सं० २२ | साइज - १४४३ इष्च | भाषा-संस्कृत विषय-पूजा | रचनाकाल । लेखनकाल - सं० १८१६ | अपूर्ण २१ व पत्र नहीं हैं । शुद्ध | दशा- सामान्य |
न नं० १२ ।
५६६ प्रति नं २ । पत्र सं० = साइज - ११४६ इञ्च | लेखनकाल x 1 पूण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य बेन नं० १३ ।
६०० अनन्तत्रतोद्यापनपूजा भट्टारक गुणभद्र । पत्र सं ४४ | साइज १५४ २३ । भाषा–संस्कृत | विषय - पूजा | रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १८७१ श्रासो बुदो १० । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १२ ।
विशेष – दो प्रकार की प्रतियों का सम्मिश्रण है ।
६०१ प्रति नं २ | यत्र सं० २६ | साइज - १०३५ इव । लेखनकाल - सं० १८६६ भादवा बुदी ह पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | श्रेष्टन नं० १२ |
६०२ प्रति नं ३ | पत्र सं०-२६ | साइज - १२X४ ३ ६ लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य | वेष्टन नं० १२ |
६०३ अभिषेकविधि - (वृहद ) श्री श्रदेव | पत्र सं० ३३ । साइन - १०३x४३ इस | भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । रचनाकवल X | लेखनकाल । पूर्ण प्रथम २ पत्र नहीं हैं। दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ६ |
विशेष- - १० पत्र तक जिनसहरुनाम स्तवन हैं दो प्रकार की लिपियां है। कहीं र संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं ।
६०४ अभिषेकविधि - अभयनन्दि । पत्र सं० ७ | साहज ११९५ इन्च | भाषा संस्कृत विषय-पूजा T रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध 1 दशा उत्तम । वेष्टन नं० २५७ ।
६०५ अभिषेकविधि | पत्र सं. २ | साइने - १०९४ इञ्च | भाषा संस्कृत | विषय - पूजा | रचनाकाल × । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ६ ।
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[ पूज
६०६ अभिषेकविधि - (गृह) आशाधर । पत्र सं ० १५ | साइज - ११४४३ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा रचनाकाल × | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ६ । ६०७ अभिषेकविधि
1
| पत्र सं ० = | साइज - १०३४४३ इञ्च ।
भाषा संस्कृत विषय पूजा। | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ६ ।
रचनाकाल x | लेखनकाल- सं० १=१३ अषाद सुदी १५ विशेष- पं. संपत्तिराम ने प्रतिलिपि की भी । ६०८ अभिषेकसामग्री पत्र सं ३ साइज - १०३४५ इञ्च । मात्रा - हिन्दी । विषय-अभिषेक में काम याने वाली सामग्री का वर्णन | रचनाकाल । लेखनकाल । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य वैप्टन नं. ९५७ ।
५६
६०६ श्राहिकापूजा
रचनाकाल × } लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य । वेष्टन नं. १८ ।
1 पत्र सं० । साइज ११४४ इस भाषा संस्कृत 1
विशेष - श्री पं. नन्ददास ने बादशाह फमकशाह के शासनकाल में मकसूदाबाद में प्रतिलिपि की थी ।
६१० अष्टाह्निकापूना
रचनाकाल । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध
''' | पत्र सं
दशा - सामान्य विशेष --उत्तर दिशा के १३ नेवालयों की पूजा है
वेष्टन नं० १८ |
फ
६११ अहिकापूजा - पानतराय । पत्र से० ३।
रचनाकाल x | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्ठन नं. १८ ।
वेष्टन नं ० १ ।
|
साइज - १२x६ इच। भाषा-संस्कृत बेन्शन नं० १ |
विषय-पूजा 1
६१२ प्रति नं० २ | पत्र ० ३ | साइज - ११४४ इञ्न । लेखनकाल ४ । पूर्वं एवं शुद्ध | दशा - सामान्य ।
विषय-पूजा ।
सं०
६१७ अक्षयदशमी पूजा" - रचनाकाल X | लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
साइज - ११४५ इन्च | भाषा - हिन्दी | विषय-पूजा |
६१३ अष्ठाह्निकापूजा कनककति पत्र
विषय
साइज - १८४५ इञ्च | भाषा प्राकृत | पूजा रचनाकाल x | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा उत्तम | वेष्टन नं २ |
६१४ प्रति नं० २ | पत्र सं० ५ | साइज ६x४ १६ । लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध दशा- जीर्णं ।
६१५ श्राहितापनपूजा कनककीर्त्ति | पत्र सं० ११ | सह-६४३
| भाषा-प्राकृत | विषय -
पूजा | रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १=१३ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्ठन नं १४
|
६१६ अष्टाहिकात्रतोद्यापनपूजा" " पत्र सं० १७ | साइज १०६४४२ इ । भाषा - प्राकृत संस्कृत । विषय-पूजा | रचनाकाल । लेखनकाल - । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । ब्रेटन नं० १४ १ विशेष – अन्तिम पत्र पर हिन्दी में नन्दीश्वर द्वीप का वृतान्त दे रखा है।
१५ । साइज १०४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय-पूजा 1 दशा - सामस्य । वेन्टन नं. १७ |
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पूजा
विशेष-अनन्तत्रत कया तथा व्ये जिनवर कथा भी हैं।
६१८ इन्द्रध्वजपूजा-भट्टारक विश्वभूषण ! पत्र सं० ८० 1 साइज-१६४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषयपूजा । रचनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० १७ ।
६१६ ऋपिमंडलपूजा-ज्ञानभूषण । पत्र सं० १५ । साइज-११x१३ हश्च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । रचनाकाल ४ ! लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेप्टन नं ० १७ ।
३२० कैजिकांबतोद्यापनपूजा-मुनि ललितकीर्ति । पत्र सं. ६ । साइज--१०३४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-पूजा | रचनाकाल X 1 लेखनकाल-सं० १७५१ चैत्र सुदी ८ । पूर्ण एवं शुद्ध 1 दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २५ ।
विशेष—यह प्रति जयकीर्ति को भेंट दी गयी थी ।
६२१ कवलचंद्रयान-श्री देवेन्द्रकीर्ति । पत्र सं० ४ । साइज-१२४५१ इन्च । भाषा-संस्कृत | विषयपुजा । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा--सामान्य । वेष्टन नं० २५ ।
६२२ कर्मचूरवतोद्यापन-मट्टारक लक्ष्मोसेन | पत्र सं० ६ । साइज-११४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं• २३ ।
६२३ कर्मदहन पूजा-म० सोमदत्त ! पत्र सं० ११ । साइज-११४४६ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । रचनाकाल x 1 लेखनकाल-सं० १८१८ भादवा बुदी १ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं० २३ | - विशेष-लेखनस्यान-जयपुर ।
६२४ प्रति न०२। पत्र सं० २६ । साइज-११६४५ इञ्च । लेखनकास ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । श्रेष्टन नं० २३ ।
६२५ कल्याणगुणमाला-10 शुभचन्द्र । पत्र सं० १७ । साइज-११४४६ छ । भाषा संस्कृत । विषयपूजा । रचनाकाल । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २३ ।
६२६ कल्याणमन्दिर पूजा-सुरेन्द्रकीर्ति ! पत्र सं० ७ । साहज-१०६x४ इञ्च | भाषा-संस्कृत : विषय-पूजा रचनाकाल-सं० १८४२ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २५। ..
६२७ कलिकुंडपूजा-भ० प्रभाचन्द्र ! पत्र सं० । साइज-११४५ इश्व | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल x 1 लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४ ।
६२८ प्रति नं०२। पत्र सं० ५ । साहज-११x६ इञ्च । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ।
टन नं. २४ ।
विशेष-कलिकुड यंत्र विधान भी है।
६२६ प्रति नं० ३। पत्र सं० २ । साइज-८१४४३ इन्च । लेखनकाल ४ । पूर्व एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं. २४
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पूजा ६३० प्रति नं.४। पत्र सं. ५ 1 साइज-११४५ इन्त्र ! लेखनकाल X ! पुर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४ ।
६३१ प्रति नं.५। पर सं० । । साइज--x; इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ।। वेन्टन नं० २४ ।
६३२ कांजीचौसठपूजा-शिवकुनार ! पत्र सं. १६ । साइज-१०२४४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । रचनाकाल X | लेखनकाल-सं० १७३३ जेठ बुदी = | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । वेष्टन नं ० २५ |
विशेष-वृन्दावन में प्रतिलिपि की गर्या भी ।
६३३ क्षेत्रपाल पूजा......."। पत्र सं० ४ | साइज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचना-1 काल X । लेखनकाल ४ । पूर्ण फां सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० २६२ ।
६३४ क्षेत्रपालपूजा-विश्वसेन । पत्र सं० १३ । साइज-११४५ इन्च । भाषा संस्कृत । विषय--पूजा। रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६२ ।
६३५ गणधरवलयपूजा-भट्टारक प्रभाचन्द्र । पत्र सं० ८३ । साइज-४४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत | विषयपूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल X | अपूर्ण-प्रारम्भ के ७ पत्र नहीं है। शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं० २६३ ।।
६३६ गणधरबलयपृजा..."'पर सं० । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-स्कृत । विषय-पूजा ।। रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ३३॥
६३७ गुरुपूजा-७० जिनदास पत्र सं० ४ । साइज-८४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य । वेष्टन नं ० ३४ ।
६३८ चतुर्विशतिजिन जा..."। पत्र सं० ५३ । साइज-१०x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । | रचनाकाल x | लेखनकाल ४ ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३८ ।
६३६ चतुर्विंशतिजिनपूजा......"। पत्र सं० ४३ । साइज-११४५ इन्द | भावा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १८८६ माघ सुदी १३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३-1
६४० चतुर्विशतिजिनपूजा.......। पत्र सं० २० । साइज-१०४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । । रचनाकाल X । लेखनकाल X ! अपूर्ण-अन्तिम एक पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य ।
विशेष—पूजाओं की जयमाला प्राकृत में है।
६४१ चतुर्विशतितीर्थकरपूजा....."। पत्र सं. ५८ | साइज १०४५ इन्छ । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा ।। रचनाकाल X| लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं ० २८२ ।
६४२ चन्दनषष्टिवतोद्यापन-शर्मदेव । पत्र सं० ५। साइज-१०४५ इश्च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उचम । वेष्टन ने० ४० ।
६५३ चन्दनपष्टिवतोद्यापन | पत्र सं० ६ ० | साइन ११४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा
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M
amination
पूजा ] रचनाकाल ४ | लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेस्टन नं ० ४० ।
६४४ चन्दनषष्टित्रतोद्यापनपूजा-श्री विजयकीर्वि । पत्र सं० ६ । साइज--१०x४६ इञ्च 1 भाषा-संस्कृत ! -पूजा । रतनलाल . ! निकाल = आवण बुदी ५ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४० ।
विशेष-चन्दनषधिनत के मंडल का चित्र भी दिया हुआ है । चित्र सुन्दर है।
६४५ चौवीसतीर्थकर पूजा-रामचन्द्र । पत्र सं०६ । साइज ११४५ इन्च । भावा-हिन्दी। विषय-पूजा स्वनाकाल X । लेखनकात X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं. ३
६४६ प्रांत नं० २। पत्र सं० ७८ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं०३७ ।
६४७ चौत्रीसतीर्थकरपूजा-श्री वृन्दावन । पत्र सं० ६१ । साइज-११४०३ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषयपूजा रचनाकाल X । लेखन काल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं. ३६ ।
६४८ प्रति नं. २ | पत्र सं० ६७ साइज-१२४८ इन ! लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । बेटन नं० २६ ।
६४६ प्रति नं० ३। पत्र सं० ६६ | साइज-११३४ इञ्च । लेखनकाल X! पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन • ३६ ।
. ६५० चौबीसतीर्थकरपूजा सेवाराम | पत्र सं० ५५ साइज ६x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूना । - रचनाकाल सं० १८२४ मंगसिर बुदी ८ । लेखनकाल सं० १८६६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उच्चम । वेटन नं. ३ ।। - ६५१ चौसठऋद्धिपूजा-स्वरूपचन्द ! पत्र सं० २३ ! साइज-११४८ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । सनाकाल-सं० १६१० । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम | वेष्टन नं० ३६ ।
विशेष-अन्तिम पत्र पर मंडल विधि दी हुई है।
६५२ प्रति नं० २। पत्र सं० २६ । साइज-११X८ इन्च ! लेखनकाल x ] पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ! एन नं. ३६
६५: जम्बूद्वीपपूजा-मह्म० जिनदास । पत्र सं० २६ । साइज-१२४५ इञ्च । माषा-संस्कृत | विषय-पूजा। - स्वनाकाल X । लेखनकाल-सं० १८१८ भादवा सुदी ४ । पूर्ण तथा शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४६ !
६५४ जिनशासनदेवपूजा-म० विश्वसेन । पत्र सं० २७ । साहज-११६४५३ इन्च । भाषा संस्कृत । वय-पूजा । रचनाकाल ४ ! लेखनकाल x | पूर्ण तमा सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ४६ ।
विशेष-तीन प्रतियों के पत्र मिलाकर एक प्रति की गयी है। . . * ६५५ जिनसंपत्तिनतपूजा-१० देवेन्द्रकीर्ति । पत्र सं० ३ । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयका रचनाकाल ४ | लेखनकाल ४ । पूर्ण तया सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन न. ४६ |
६५६ ज्येष्ठजिनवरव्रतपूजा......'। पत्र सं० ७ । साइज-ex५ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-पूजा | साल X : लेखनकाल ४। पूर्ण तथा सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४ |
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[ पूजा ६५७ णमोकारपैंतीसीपूजा.....! पत्र सं० ५। साइज-१०३४५ इभ । भाषा-संस्कृत । विषय--पूजा ।। रत्नाकाल ४ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ५६ ।
६५= गणमोकारतासीप जापान जानाति ! पर. ४ । ३....१२.१६ रत्र : भाषा-प्राकृत । विषय-1 पूजा । रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं. ५६ ।।
६५६ णमोकारपंचविंशतिकापूजा.....! पत्र सं० ४ | साइज ११६४ इश्क । माषा-संस्कृत । विषयपूजा । रचनाकाल ४ । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन ० २६६ ।
६६० दशलक्ष जयमाल....."। पत्र सं०-६ | साइज-१०४१ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-पूजा ।। रचनाकाल ४ । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-उत्तम । वेटन नं० २६८ }
६६१ दशलक्षण पूजा "| पत्र सं०५ | साइज १२४६ इञ्च | भाषा-प्राकृत-संस्कृत । विषय-पूजा रचनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण तया सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं०६६ ।
६६२ प्रति नं० २। पत्र सं० ५ । साइज-६x४ इञ्च । लेखनकाल x 1 पूर्ण तया शुद्ध । दशा-सामान्य वेष्टन नं. ६१ ।
६६३ प्रति नं३ । पत्र सं. १ । साइज-११x१ इन | लेखनकाल XI पूर्ण तथा शुद्ध | दशा-सामान्य || वेष्टन नं. ६ |
विशेष—प्राकृत से संसत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं।
६६४ दशलक्षणपूज--पं० रइधू । पत्र सं० । साइज-१६४५३ इञ्च । भाषा-अपभ्रश । विषय-पूजा।। रचनाकाल X । लेखनकाल | पूर्ण तया शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं ० ६६ ।
विशेष --अपनश से संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं । लेखनस्थान-जयपुर ।
६३५ दशलक्षणव्रतोद्यापन पूजा-सुमतिसागर । यत्र सं० १ . | साइज-१२४५३ इश्व । माषा-संस्कृत ।। विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल X । अपूर्ण-अन्तिम पत्र नहीं है । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ६८ | "
६६६ प्रति नं० २। पत्र सं० १३ । साइज-१२x२ इञ्च । लेख नकाल x। अपूर्ण-अन्तिम पत्र नहीं है। दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ६६ ।
६६७ प्रति नं.३ । पत्र सं० १५ । साइज-1०x४ इञ्च । पूर्ण तथा अशुद्ध । दशा-सामान्य वेष्टन नं०१८'
६६८ दशलक्षणवतोद्यापन पूजा.....! पत्र सं० ३१ । साइज-२२४६३ इञ्च । माषा--हिन्दी । विषय पुजा । रचनाकाल x 1 लेखनकाल–से. १६५३ । पूणे एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. ६ | . .
विशेष- जयपुर में पं० लूणफरणजी के मन्दिर में शास्त्र की प्रतिलिपि हुई थी।
६६६ प्रति नं. २१ पत्र सं. ४ । साइज-११४५३ च । लेखनकाल--सं० १६४६ । पूर्ण तमा सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं.६।
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पूजा]
विशेष-लेखनस्मान जयपुर।
६७० देवपूजा....."पत्र सं० १ । साइज-११४५. इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-पूजा | रचनाकाल । लेखनकाल x | पूर्व तथा शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ने० ७० | _ विशेष-पर्यायवाची शब्दों के अतिरिक्त संस्कृत में टीका भी दी हुई हैं । २४ तीर्थंकरों की केवल जयमाला ही है।
६७१ प्रति नं. २ । पत्र सं० ४ । साइज १०x४३ इन्च | लेखनकाल ४ । पूर्ण तवा शुद्ध । दशा-सामान्य । करत २०७१।
विशेष- पूजा का दूसरा नाम चतुर्विंशतितीर्थकर पूजा भी है। पूजा के अन्त में चैत्यालय वंदना का पाठ और है ।
६७२ धर्मचक्रपृजा-यशोनंदि । पत्र सं० ६५ । साइज १२४५, इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । रचनाकान्त x 1 लेखनकाल Xi पूर्ण तथा सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं. ७५ |
६७३ नवग्रहपूजा....."1 पत्र सं० ६ । साइज-11४५ इन्न । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचना___काल ४ | लेखनकाल X| पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ८५ ।
विशेष—अन्तिम पत्र पर नवग्रहमंडल के तीन चित्र दिये हुये हैं।
६७४ नवग्रहपूजा । पत्र सं. १ । साइज-11x४३ इञ्च | भाषा-संस्कृत 1 विषय-पूजा | रचना___ काल X लेखन काल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ५ |
विशेष-भद्रबाहु कत नवग्रह पाठ भी दिया हुआ है।
६७५ प्रति नं. २१ पत्र सं० १ । साइज-१.४१ दश्च । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वरन ने |
६७६ प्रति नं ३ । पत्र सं० १ । साइज १०४५ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । पिन नं. ८५.।
६७६ नवग्रहपूजा। पत्र सं० १० | साइज-११४५ ५ञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय--पूजा | रचनाकाल x | लखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा सामान्य । रेष्टन नं ० ८४ ।
विशेष-भद्रबाहु मुनि कृन नवग्रह स्तोत्र तथा ग्रह विसर्जन मंत्र भी है। ..
६७८ प्रति नं० २१ पत्र सं० ४ । साइज ११४४३ इन्च | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । : वैप्टन नं ८४ |
६७६ नवग्रहपूजा...! पत्र सं० ६ । साइज ११४६ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा | रचनाकाल X। सखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८४ र विशेष-अन्त में पूजा विधि तथा नवग्रहों के चित्र भी हैं। .
६ ८० प्रति नं २ । पत्र सं० ६ । साइज-११४५ इन्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ।
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वेष्टन नं. ८४ |
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विशेष-नवग्रह मंडल का चित्र भी है।
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६८१ नियनियमपूजासंग्रह..। पत्र सं० १३ । साइज ११४४३ इञ्च 1 माषा-संस्कृत-हिन्दी ।। विषय-पूजा । रचनाकाल ४ ! लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. ८२
विशेष-इस प्रति को पं० भोलीलालजी सेठी { जयपुर ) ने मन्दिर में मेंट को थी।
८२ पदि । पा . १० | ११:३२.३४५३ इञ्च | लेखनकाल XI पूर्ण तथा शुद्ध । दशाजीर्ण । बेष्टन नं 7 २ |
६८३ प्रति नं. ३ । पत्र में० १५ / साइज--x५ इन्च । लेखनकाल XI पूर्ण तथा शुद्ध । दशा-जीई ।। बेटन नं. २ ।
६४ प्रति नं०४ । पत्र सं. १६ । साइज-६१४५१ इञ्च । लेखनकाल x / पूर्ण तथा शुद्ध | दशा-जीर्या ।। वेष्टन न. ८२ ।
६८५ निर्दोषसप्तमीव्रतपूजा.। पत्र सं० १० । साइज-१४-५ इञ्च ! भाषा-संस्कृत ! विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । बंटन नं० ६० ।
६८६ निर्वाणकांपूजा। पत्र सं० = | साइज-११४५ इन्च | भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । रचनाकाल#. १८६१ । लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ८३ |
६८७ नेमिनाथपूजा-म० सुरेन्द्रकीर्ति । पत्र सं० २ । साइज-११४५ इश्च । भाषा-संस्कृत [ विषय-पूजा रचनाकाल-सं. १८२४ । लेखनकाल ४ ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ८३ ।
६ प्रति नं.२। पत्र सं० २ । साइज-११४५ इञ्च । लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वंटन नं. ३ |
६८६ प्रतिमासांतचतुर्दशीव्रतोद्यापनपूजा-अखयराम । पत्र सं० १४ । साइज-१०६४५ इञ्च । भाषासंस्कृत | विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल–सं० १८५७ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ११६।
६६. पल्यविधानपूजा-रत्ननंदी। पत्र सं, ! • । साइज-१०९x४३ च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा ।। रचनाकाल ४ | लेखनकाल-सं० १७३० | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११८ ।
विशेष -रामसेनान्वय भ० मुत्रनीति के शिष्य पं. नारायणदास ने प्रतिलिपि की थी।
६६१ पाश्वनाथपूजा-अभयचंद्र । पत्र सं० ५ । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी | विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल X 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १२० ।
विशेष-पंचमेरू की पूजा भी है ।
६६२ पुरंदरनतपूजा-म० सुरेंद्रकीत्ति । पत्र सं०३ । साइज-११४६ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा रचनाकाल-सं० १८३७ । लेखनकाल-सं० १८८७ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१६ ।
६६३ पुरंदरव्रतोद्यापनपूजा-सीमसेन । पत्र सं० ११ । साइज--१४४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल ४ | लेखनकाल ४ ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११६ ।
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- पूजा ]
६६४ पुष्पांजलिव्रतोद्यापनपजा......। पत्र सं० १५ । माइज-११४५ ६५ 1 भाषा-संतत । विषय - - पजा । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं. १६०१ ! पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ११५ ।
६६५ पुष्पांजलियतपूजा-पं० गंगादास | पत्र स० । साइन-१२४६ इश् । भाषा-संस्कृत | विषयपूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ | दशा-सामान्य । वेटन नं. ११५ |
६६६ प्रति नं०२। पत्र सं० ७ । साइज-११४५३ इञ्च । लेखनकाल–सं, १६०१ । पूर्ण एवं शुद्ध । माय । नं: १.५ ।
६६७ पूजा संग्रह .....! पत्र सं० २२ । साइज-'x: इञ्च । माषा-प्राकृत-संस्कृत-हिन्दी । विषयपूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल--सं. १६५० । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ११८ ।
विशेष-सोलहकारण, पंचमेरू, आदि की पुजायें है।
६८ प्रति न०२। पत्र सं० १४ । साइज-11x4 रन । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । - वेष्टन नं० ११८ |
विशेष-संग्रह में रत्ननदि कृत पल्यविधानपूजा देवेन्द्रीति कृत वैपनक्रियाविधान अादि हैं।
६६६ पूजा संग्रह ......! पत्र सं० २४ । साइज-१०४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । रचना= काल x 1 लेखनकाल ४ ! अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४४ |
विशेष-१३ पूजाओं का संग्रह है।
७०० पूजा संग्रह ...."। पत्र सं. २१-40 | साइज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत : विषय-पूजा । - रचनाकाल X| लेखनकाल x / अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६४ । . , विशेष-पूजात्रों का संग्रह है।
७०१ पंचकल्याणकपूजा–त्रिश्वभूषण | पत्र सं० २६ ! साइज-११४५ इन्न | भाषा-संस्कृत । विषव-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११७ |
७.२ पंचकल्याणपूजा-ब्रह्म गोपाल | पत्र सं० १२ | साइज ११४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा। रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १६६२ वैशाख सुदी । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन मं० ११७ ।
विशेष-वादिभूषण के उपदेश से ब्रह्म अरिउ के पठनार्य साहराम ने पूजा की प्रतिलिपि की थी ।
७७३ पंचकल्याणपूजा.......! पत्र सं० १० । साइज-०५४५ इश्व | माषा-संस्कृत | विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल x |. पूर्ण एवं शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११५।
विशेष—मंगलाचरण और समाप्ति के पद्यों में अकलंक, गुणभद्र समंतमद्र, जिनचंद्र, विद्यानंदि तथा सुमतिसागर दि श्राचार्यों को नमस्कार किया गया है।
७.४ पंचकल्याणपूजा-सुरेन्द्रकीति । पत्र सं० २० । साइज-११४५ इञ्च । माषा-संस्कृत | विषय--पूजा । नाकाल X1 लेखनकाल सं०-१८५१ मादवा बुदी ११ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११७। .
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६४
[पूजा त्रिशध-स्त्ररूपचंदजी के शिम्य सदासखजी ने लिपि करवामी तया संगम ने प्रतिलिपि की भी।
७पंचपरमेष्ठिप जा-टकनंद । पत्र सं० ११ । साइज-१३४ इन्छ । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा।। चनाकाल x | लेखनकाल-२०१:५६ श्रावण सुदी ७ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ११३ ।
विशेष-श्री धाननरायही कन विदेह क्षेत्र पूजा भी है । लालसोट ( जयपुर ) में प्रतिलिपि की गयी यी ।
७.६ प्रति नं.२। पत्र सं० १६ । साइज़-१:४= इन । लेखन काल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । टन नं. १३ |
७२७ पंच परमेष्ठिर जा-गुभचन्द्र । पत्र सं० २६ । साइज :ixi इव | माषा-संस्कृत । विश्वय-पजा। 'चनाकाल x | लेखनकाल X । 'पूर्ण एतां शुद्ध | दशा-सामान्ग | वेष्टन नं. ११।
७८ पंचपरमेष्ठिपूजा- यशोनंदि । पचम० ३। साइज-१०६x इव | भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा ।। चनाकाल X । लेखनकाल सं० : ५६ | पर्मा एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | वेटन नं. १११।
विशेष --जगपुर नगर में प्रतिलिपि को न्यो यो । दो प्रतिनों का सम्मिश्रण है।
७. पंचम मचतुदर्शवतजा-मन्द्रकीर्तित । पत्र सं. ५ | साइज- १४५ :श्च । भाषा-संसत । विषय पूजा : ननाकान ४ । लेखन काल- २ | Tर्ण एवं शुद्ध । देशा-सामान्य । बटन नं ११ ।
७१८ पंचावनोद्यापनप जा- हर्षचन्द्र | पत्र सं० ७ । साइज-११४५ इन | भाषा-संसत । विषय--1 पूजा । चनाकाल ४ | लखन कारल-सं0 360 भादवा मुर्दा १३ । पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११६ ।
७१ पंचमेमजाद्याननाय । पत्र सं० | साइन-:.:४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी | विषय -पूजा । रचनाकाल ४ : लखनकान । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११४ ।
७१ प्रति । पत्र में ३ | माइज-10:xi इव । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | शन नं. 11४|
७१३ पंचमे पूजा-भट्टारक रत्नचन्द्र | पत्र सं० - | साज-n.x इन | भाषा-संस्कृत । विषय--पूजा रचनाकान्द x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ११४।।
विशेष-पुपांजलिवन पूजा भी दी हुई है।
७१४ भलामरपूजा..."| पत्र सं. १२ ! साइज-१०३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-पूजा। रचनाकाल ४ । लेखनकाल x | पूई एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १
७१५ भुवनेश्वरीपूजा.....पत्र सं0 | साइज़-१x६ इट्स | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचना काल x | लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन ० १३६ |
७१६ मानुषोत्तरचैत्यालयमा-विश्वभूषण | पत्र सं7 ७ । साइज-१३४६ ईञ्च । माषा-संस्कृत | विषय जा । पचनाकाल x 1 लेखन काल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । बेटन नं० १५१ ।
४१.७ मुक्तावलीव्रतोद्यापनपूजा....। पत्र सं० १२ 1 साइज-- १४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत | विषय
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पूजा ]
पूजा | रचनाकाल X | लेखनकाल X 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १५२ |
७१ प्रति नं २ | पत्र सं० ३ | साइज - १०३४२ इम्व | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - उत्तम | बैप्टन नं० १५२ ।
७१६ प्रति नं० ३ | यत्र सं० ३ | साइज - ११X५ इन्च | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य 1 वेष्टन नं ० १५२ ।
६५
७२० प्रति नं० ४ | पत्र सं० २ | साइज - ६३ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं १५२ ॥
७२१ मेघमालापूजा " ... पत्र सं० ३ । साइज - ११४५ इञ्च | रचनाकाल x | लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा - जीर्ण शीर्ण । वेष्टन नं० १५१ । ७२२ मेघमालातोपन पत्र सं० ९४ | पाइन - ११४५ । भाषा-संस्कृत | विषय - पूजा |
रचनाकाल ×। लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्धं । दशा -सामान्य | वेष्टन नं० १५१ ।
७२३ मौनित्रतउद्यापनपूजा-विश्वभूषण | पत्र सं० १० १ साइज - ११४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत | विषय - पूजा | रचनाकाल × | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं ० १५१ |
विशेष - मंडल का चित्र भी दिया हुआ है ।
भाषा-संस्कृत | विषय - पुजा !
७२४ रक्षाबंधनपूजा-श्री खु । पत्र सं० ३ | साइज - ७३६ हन । भाषा - हिन्दी | विषय-पूजा | रचनाकाल x 1 लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १५.१ ।
७२५ रत्नत्रयपूजा - कलंककीर्ति | पत्र [सं० ४ | साइज - ११४५ इन्च | भाषा - प्राकृत । विषय-पूजा । स्वनाकाल × 1 लेखनकाल-सं० १३०६ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १६२ |
विशेष - हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है ।
७२६ प्रति नं २ | पत्र सं० ४ | साइज - ११४५३ इञ्च । लेखनकाल - सं० १८८८ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १६२ |
७२७ रत्नत्रयपूजा'
" पत्र सं० ५५ | साइज - ११४५ इ | भाषा - हिन्दी | विषय-पूजा | रचना -
७
फाल X। लेखनकाल-सं० १६२१ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम | वेष्टन नं० १६२ |
विशेष - मंडल की पूजा है ।
७२८ रत्नत्रयपूजा"
1
| पत्र सं० १५ | साइज - १०३x४३ इन्च भाषा संस्कृत | विषय - पूजा | रचनाकाल x | लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं० १६३ |
ܟܕ.
-5
७२६ प्रति नं० २ । पत्र सं० ७ | साइज ३० इन्च | लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा सामान्य । प्टन नं०] १६३ ।
७२० रत्नत्रयपूजा"
" पत्र [सं० ६ | साइज ११२५ ४ | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा | रचनाकाल x |
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८८
[ पूजा लेखनकाल X । पूर्वी एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं ० १६३ ।
. ७३१ प्रति नं० २ । पत्र सं० १२ । साइज–१२४५ इञ्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।। दशा-सामान्य ! वेष्टन नं० १६३ ।
७३२ रत्नावलौरतोद्यापन-वज्रकीर्ति । पत्र सं० २१ । साइज-११४ इन्च । माषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल | लेखनकाल x ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं० १७२ ।
विशेष-५ वे पत्र से भट्टारक सुरेन्द्रकीर्ति विरचित ज्ञानपंचविंशतिव्रतोद्यापन मो हैं |
७३३ रविनतकरणविधान.| पत्र सं० १ । साइज-०x४६ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल | लेखनकाल ४ ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६ ।
विशेष--नवरत्न जटित नवाहों का भी वर्णन है।
७३४ रविव्रतपूजा-भ० देवेन्द्रकीर्ति । पत्र 'सं० ७१ साइज-ext इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय--पूजा ।। रचनाकाल x | लेखनकाल-सं १८७८ ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं. १६१ ।
विशेष—सांगानेर में चंपाराम छाबडा ने पांडे चोखचंदजी की प्रति से इस पूजा को प्रतिलिपि की थी ।
७३५ रवित्रतोद्यापन.....! पत्र सं० ७ । साइज-१२४५३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा ! रचना-" काल ४ ! लेखनकाल-सं० १७७| पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेटन नं. १६१ ।
७३६ रोहिणीव्रतपूजा-केशवसेन । पत्र सं० ७ । साइज-१०६x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १६५ ।
७३७ प्रति नं०२ । पत्र सं० १० । साइज-११४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १७५० । पूर्व एवं शुद्ध ।। दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६५ ।
___ ७३ रोहिणीव्रतोद्यापन-केशवसैन । ११ सं० १४ । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--पूजा । रचनाकाल ४ | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | वेटन नं० १६४ ।
___७३६ प्रति नं० २ । पत्र सं. १६ । साइज-११४५ इन्च | लेखनकाल ४ ! पुणे एका शुद्ध । दशा-उत्तम | वेष्टन नं० १६४ ।
७४० प्रति नं० ३ । पत्र सं० १३ | साइज-१०x१ इन्च | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-. उत्तम । वेष्टन ने० १६४ |
७४१ जन्धिविधानउद्यापन-देवनादि । पत्र सं० ८ । साइज-११४५ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १७६ ।
विशेष-लब्धिविधानमंडल की विधि भी लिखी हुई है।
७४२ प्रति नं० २१ पत्र सं० ८ । साइज-१३४७ इञ्च । लेखनकाल-सं० १० ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य । वेष्टन नं: १६॥
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पूजा
विशेष-सूरजमलजी पाटनी मारोठ वालों ने लब्धिनिधान की पूजा मन्दिर में चढ़ाई थी। __७४३ लब्धिविधान पूजा..."। पत्र सं० २ । साइज़-१०३४१ इच। माषा-संस्कृत । त्रिय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा उत्तम । वेष्टन ने० १७ ।
___७४ वृहदशान्तिपूजा......। पत्र सं० ४१ । साइज-१.१४५ इन्न । माषा-संस्कृत | विषय-पूजा । वनाकाल X । लेखनकाल-सं• 15६. | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २० ।
७४५ वास्तुपूजाविधि......'। पत्र सं० १० । साइज़-१.३४५ रन । भाषा-संस्कृत ! विषय-पूजा । स्चनाकाल x 1 लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ने. १८८ |
७५६ षोडशकारण जयमाल......। पत्र सं० ३: । साइज १२४५ इन्च | भाषा-प्राकृत । विषय-पूजा ! चनाकाल X । लेखनकाल X ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २०७।
७५७ षोडशकारणपूजा..."। पत्र सं० २ | साइज-१०x१ इञ्च । भाषा-संस्त । विषय-पूजा 1 बननाकाल X । लेखनकाल x ३ पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २०८ |
७४८ षोडशकारणपूजा..."। पत्र सं० १० | साइज-१.४५ इश्व | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । जनाकाल ४१ लेखनकाल–सं. १७७४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०८ 1
विशेष--जयमाला प्राकृत में हैं।
७४६ षोडशकारणव्रतोद्यापन ....। पत्र सं० १४ । साहज-१२x६ इश्च । भाषा-संस्कृत 1 विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०७ ।
७५० षोडशकारणवतोद्यापन-केशवसेन | पत्र सं० १६ । साहज-१२४५३ च ! भाषा-संस्कृत । विश्यपूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०७।
७५१ घोडशकारणव्रतोद्यापनपूजा...! पत्र सं० १६ । साइज-११x६ इन्च । माषा-संस्कृत। __ रिवा-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०८ ।
___७५२ शांतिकसमस्तविधि-धामा । पत्र सं• ४ । साइज-xs६ इन्न । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । खनाकाल ४ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०२ ।
४५३ शांतिधारपाठ..पत्र सं० १ । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय--पूजा । रचनासx | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०२।
७५४ शांतिनाथपूजा-वृन्दावन | पत्र सं० ३ । साइज-७६x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । रचनापल x | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामाग्य । वेष्टन नं० २०३ |
७५५ शास्त्रपूजा......1 पत्र सं० १ । साइज-१२x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी | विषय-पूजा । रचनाकाल । चरकाल X 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १०१।
__१६ श्रुतज्ञानपूजा..."। पथ सं० २० । साइज-१०x१३ व | भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा ।
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रचनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २७४ ।
७५७ प्रति नं० २ । पत्र मं० १५ । साइज-११४५ इन्न । लेखनकाल XI पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० २७४ ।
७५८ श्रुतपूजा......पत्र सं० ६ । साइज-१३xi इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल x लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । पैटन नं० २७४ ।
विशेष --गुरु पुजा मी है।
७५६ श्रुतपंचमीपूजा....."। पत्र सं० । साइज-३४४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा। रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३७४ ।
७६० प्रति नं० २। पत्र सं० ६ । साइज-१०३४५ ६६ । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध।। दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २७४ ।
___७६१ श्रुतस्कंधपूजा....."। पत्र में० २ । साइज--१.५४५ इञ्च 1 भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल ४ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४४ ।
७६२ प्रति नं २ । पत्र सं० ६ । साइज-०६x४, इञ्च । लेखनकाल x} पूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य । वेष्टन नं० २.४ ]
७६३ सप्तपरमस्थानत्रतपूजा..."| पत्र सं०५ । साइज-१५३४ इम | भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । रचनाकाल X ! लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन में० २१७ ।
७६४ सप्तर्षिपूजा-लक्ष्मीसन । पत्र सं० ६ । साइज-११४५ इन्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विषय--पूजा ! रन नाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २१४ |
विशेष-जयमाला हिन्दी में है।
७६५ सप्तर्षिपूजा-विश्वभूषण । पत्र सं. ११ । साइज-६४ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय--पूजा।।। रचनाकाल ४ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २१४ ।
७६६ समवशरणपूजा-पं० रूपचन्द्र । पत्र सं. = | साज-१२६x६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । रनना काल ४ ! लेखनकाल-सं० १७५५ फागुण मुदी : । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । श्रेष्टन नं ० २१६ ।
७६७ समवसूतिपूजा"...'। पत्र सं० ३७ । साइज-११xk द्रश्च । भाषा-संस्कृत ! त्रिषय-पूजा । रचना ... काल x | लेखनकाल-सं० १८०३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २१६ ।
७६८ प्रति नं.२ । पत्र सं० ३३ । साइज--X६ इन्च । लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य। बेष्टन नं. २१६ ।
७६६ सम्मेदाचलपूजा-० गंगादास ! पत्र सं० १२ । साइज-1:४५ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय--पूजा । रचनाकाल x ! लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २१७ ।
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७७. सहस्रगुणितपूजा-शुभचन्द्र । पत्र सं० ३२ । साइज-११४५ इञ्च | माषा-संस्कृत | विषय-पूजा | नाकाल x | लेखनकाल–सं० १६५७ । पूर्ण एवं शुद्ध 1 दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१० ।
विशेष—सिद्धचक्र यंत्र की सहस्त्रगुणित पूजा है ।
७७१ सहस्रनामपूजा-धर्मभूषण | पत्र सं० १६ 1 साइज-२१५४५३ इञ्च | माषा-संस्कृत | विषय--पूजा । रचनाकाल X | लेखनकाल--सं० १८८१ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. २१० ।
विशेष-पंडित स्वरूपचंदजी ने जयपुर में महात्मा शंभुराम के द्वारा प्रतिलिपि करवायो यी !
४७२ सार्द्धद्वयद्वीपपूजा......। पत्र सं० ११८ । साइज-१२४५३ इश्व । भाषा-संस्कृत | विषय--पूजा । चनाकाल ४ | लेखनकाल-सं० १११ भादवा चुदी ११ । पूर्ण, शुद्ध एवं सुन्दर | दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २१५ ।
विशेष-सवाईराम गोधा ने 40 पारामजी के पटने के लिये पूजा की प्रतिलिपि की थी।
७७३ प्रति नं० २१ पत्र सं० ६३ । साइज-७६x४ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८५१ श्रावण सुदी ७ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २१५ ।
विशेष-लेखनस्थान-सवाई माधोपुर ( जयपुर ) ।
७७४ सार्द्धद्वयद्वीपपूजा.....! पत्र सं० ११८ । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विश्रय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १८८१ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २ १५ ।
विशेष—पंडित चंपाराम ने सवाईराम गोधा से प्रतिलिपि करवायी थी।
७७५ प्रति नं० २१ पत्र सं० १३ | साइज-१२४६ इञ्च | लेखनकाल-सं० १८५१ । पूर्ण एवं शुद्ध | शा-सामान्य । वेष्टन नं ० २१५ |
विशेष-सवाई माधोपुर में प्रतिलिपि की गयी थी । सवाई प्रतापसिंहजी का शासनकाल था।
७७६ सिद्धपूजा-स्वरूपचंद ! पत्र सं० ४ः । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी | विषय-पूजा । रचनाकाल-सं० १६१६ । लेखनकाल–सं० १६३८ 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २११।।
___७७ प्रति न० २ । पत्र सं० २७ । साइज-२१४६३ इश्व | लेखनकाल–सं० १९४४ | पूर्ण एवं शुद्ध । पशा-उत्तम । वेष्टन नं० २११ ।
w८ प्रति नं. ३ । पत्र सं० २६ । साइज-१२४८ रश्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० २११।
७७E सिद्धफूटपूजा-भट्टारक विश्वभूषण । पत्र सं० १३ । साइज-११३४६ हश्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १८८६ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २१४ ।
७८० सिद्धचक्रपूजा-(वृहद )-प्रभाचंद्र । पत्र सं० ७ । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २१३ ।
७८१ सिद्धचक्रपूजा-पाशाधर । पत्र सं० ४ । साइड-११४५ इन्च । भाषा संस्कृत । विषय-पूजा । रचना
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[समीर काल x | लेखनकाल X 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेष्टन नं० २१३ |
७८२ प्रति नं० २। पत्र सं० । साइज-१५६x४३ इन्न । लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामाव। वेष्टन में० २१३ ।
विशेष—षोडशकारण पूजा भी है ।
७८३ मुगन्धदशमीत्रतोद्यापन ] पत्र सं० ८ । साइज-८३x: इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल x | लेखनकाल X ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । बेष्टन नं० २१० ।
७८४ सुगन्धदशमीव्रतपूजा......। पत्र सं० २ । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा! रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा--मान्य ! केयन नं० २१.
___७५ सुगन्धदशमीव्रतपूजा....'। पत्र सं० : | साइज-५६४५३ पञ्च । भाषा-संस्कृत ! विषय-पूजा। रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१० ।
७८६ सौख्यकारणव्रतोद्यापन मंडलविधान-अक्षयराम | पत्र सं० २९। साइज-१०३४५ इन। भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । रचनाकाल ४ । लेखनकाल–सं० १८८४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१७॥
विषय- लक्षण एवं समीक्षा साहित्य
प्रन्थ संख्या-७ ७८७ चौसठऋद्धि स्वरूप.....'। पत्र सं० ७ । साइज-११४५ इन् । भाषा-प्राकृत । विषय-ऋद्धियों क, वर्णन । रचनाकाल X । लेखनकाल - । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ३६ ।
- धर्मपरीक्षा-अमितगति । पत्र सं० १०८ । साइज-१२४५ १४ । भाषा-संस्कृत । विषय-समीक्षा। रचनाकाल-सं० १०७० । लेखनकाल ४ | पूर्ण तथा सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ८० |
७८६ प्रति नं० २। पत्र सं० ७ । साइज-१२४३३ इञ्च । लेखनकाल ४ | पूर्ण तया शुद्ध | दशा सामान्य ! वेष्टन नं०.८० |
७६० धर्मपरीक्षा-सुमतिकात्तिं । पत्र सं० १३३ । साइज-११४६ इञ्च | भाषा-हिन्दी ( गुजराती मिश्रित ) विषय-समोता । रचनाकाल-सं० १६२५ । लेखनकाल-सं० १७११ । पूर्ण तथा सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | अन्तिम दो पत्र जीर्ष हो चुके हैं । वेष्टन नं० ७६ । .
७६१ धर्मपरीक्षा भाषा-मनोहरदास । पत्र सं० ७ । साइज--१२४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषा समीक्षा । रचनाकाल-सं० १५६२ । लेखनकाल X । पूर्ण तमा शुद्ध । दशा-जीर्ण शीर्ण । वेष्टन नं ६० ।
७६२ प्रति नं. २ । पत्र सं० १२० । साइज-१०४६ इन्च । लेखनकाल–सं० १८०४ वैशाख जुदी । पूर्ण तथा शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १ ।
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७६३ रत्नपरीक्षा....."। पत्र सं० ४ 1 साइज-१२४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-परीक्षा | रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्धः । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७१ !
___ विशेष—लेखक-जयचंदजी छाबड़ा । रत्नदीपिका में से विषय लिया गया है । साह दामोदर के पुत्र धारीमल के लिये ग्रन्थ लिखा गया था।
विषय-स्फुट
पन्थसंख्या-१५ ७६४ कुंडलियां-किशोरगोपाल । पत्र सं० १ । साइज-१०४५ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-स्फुट ! रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० २६ । __विशेष—इसी में शकुनावली यंत्र का फल दे रखा है । यंत्र सचित्र है ।
७६५ घटकर्पर काव्य"...""| पत्र सं० ३ । साइज-११४५ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-काव्य | रचनाकाल x | लेखनकाल X 1 पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेप्टन नं. ३५।।
विशेष-मुग्धावबोधिनी टीका सहित है। . ६ दुर्गतिबावनी...."। पत्र सं० ३ 1 साइज-१६x६ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-दुर्गति में आने के कारणों पर प्रकाश । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ | अपूर्ण-समान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६८ ।
विशेष ---अन्तिम २ पद्य नहीं हैं।
७६७ पट्टी पहाडे......। पत्र सं2 = 1 साइन-१०x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-गणित । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १११।
विशेष—पट्टी पहाडे पहिले अंकों में और पीछे शब्दों में लिखे गये हैं ।
७८ पद्मनंदिपंचविंशति-पानंदि । पत्र सं० ७२ । साइज-११४५ च । भाषा-संस्कृत | विषय-धर्म । स्दनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० १०३ ॥
७६.६ प्रति नं० २१ पत्र सं० २१३ । साइज-११४५६ इन्च । लेखनकाल–सं० १७५६ वैशाख बुदी १० । पूर्व एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेटन नं. १०३1. .
विशेष-प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है।
८०० प्रति नं. ३ । पत्र सं० १२२ । साइज-१२४६ इञ्च 1 लेखनकाल-सं० १७१७ । पूर्ण एवं शुद्ध । देशासामान्य ! वेष्टन नं० १०३।
विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं।
८०१ पंचपात्रवणेन.......! पत्र सं० ४ । साइज-११४६ इश्व | भाषा-हिन्दी । विषय-स्फुर्ट | रचनाHax | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । बशा-जीर्ण । वेष्टन नं० ११६। .
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२०२ बुद्धिविलास-बखतराम । एन . १.६ : सार-१९३२०, ३ञ्च । माषा-हिन्दी । विषय-धर्म । रचना-1 काल-सं० १८२७ । लेखनकाल–सं० १८२८ भादवा मुदी ३ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम | वेष्टन नं० १३१ ।
८०३ राजुलपच्चीसी-लालचंद विनोदीलाल | पत्र सं० ३ । साइज-६x६ इञ्च | भाषा-हिन्दी। विषयकमा । रचनाकाल ४ । लेखनकाल–सं० १०६४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १७२।।
८.४ वनसूची उपनिपन् श्रीधराचार्य । पत्र सं० ४ । साइज-१०३४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषयवन भूची । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८। ।
८०५ संस्कृत मंजरी-अनंत महात्मा । पत्र सं० ५ । साइज-१०६४५ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-काव्य ।। रचनाकाल ४ | लखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेटन नं० २३४ ।
८०६ प्रति नं. २। पत्र सं० १४ । साइज-१२४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १७८१ । पूर्ण एवं शुद्ध ।। दशा-सामान्य । वेष्टन ० २३४ । __ विशेष-मालपुरा में ऋषि मनोहर ने प्रतिलिपि की थी।
२०७ सरोदा-महात्मा कवीर | पत्र स० १८ ! साइज-३४४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-स्फुट | रचनाकाल ४ । लेखनकाल–सं० १८६५ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २३२ ।
___ सुदृष्टितरंगिणी...."। पत्र सं० १..। साइज-१२४७३ इञ्च । माषा-प्राकृत | विषय-धर्म रचनाकाल ४ | लेखन काल x { अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम | वेष्टन नं० २२८ ।
विशेष--गामात्रों का हिन्दी में विस्तृत अनुवाद है । अनुवादक श्री टेकचंद है ।
mpititiuainstein
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विषय-संग्रह
गुटका संख्या २२२ ८०६ गुटका नं० १। पत्र सं० ८० | साइज--10x८ इन्च ! लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-- सामान्य । वेष्टन नं० २४१ । विषय-सूची कर्ता का नाम भाषा
विशेष अध्यात्मज्ञानदर्पण दीपचन्द कासलीवाल
हिन्दी पध मनुमवप्रकाश
हिन्दी गथ गुणस्थानभेद चिदविलास
दीपचन्द कासलीवाल अध्यात्मपच्चीसी
हिन्दी पच जखडी द्वादशानुप्रेता पद व विनती
27.
- चुम्नरासो
८१० गुटका नं.२१ पत्र सं० १६८ साइज-kx७ इन्च । लेखनकाल-सं० १७८४ । पूर्ण एवं सामान्य गुद | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६२ / विक्य-सूची फर्ता का नाम भाषा
विशेष बनारसीविलास भनारसीदास
हिन्दी 'पंचपरमेष्ठीस्तवन
५पद्य - धर्मरासो
१५४ पध तुर्गतिवेति हर्षकीर्ति
रचनाकाल सं० १९८३ नारायमल
१६२८ : अंबूस्वामीरासो पांडे जिनदास
१६४२ जोगीरासो
४२ पद्य भारहमासा विनोदीलाल
२६ पध परत को मारहखडी
१११ पच ११ गुटका नं०३। पत्र सं० ३३ । साइज-६४५ च । लेखनकाल-सं. १८४४ । पूर्ण एवं सामान्य गुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१३ । लेखक-4. स्वरूपचन्द्र । । विषय-सूची फर्ता का नाम . भाषा
विशेष मलामर ऋद्धिमंत्र
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[गुट
पार्श्वनामस्तोत्र
संस्कृत नवग्रहस्तोत्र एमावतीस्तोत्र ( मंत्र सहित ) केवलिप्रश्न विचार
८१२ गुटका नं. ४) पत्र सं०३१ । साइज-8x८ इन्च । लेखनकाल–सं. १६५१ पोष सुदी १४ । एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६४ }
विशेष-श्री नानूलाल वैद ने मोतीलाल मनोहरपुरा खेडी वाले के पुत्र गुलाबचन्द के पटनार्थ प्रतिलिपि की यो। मूल्य १||- | तत्वार्थ पूर, मक्तामरस्तोत्र तथा पंचमंगल आदि पाठों का संग्रह है।
८१३ गुटका नं०५। पत्र सं० ३६१ । साइज Ex७ इञ्च । लेखनकाल–सं० १७५८ ! पूर्ण एवं सामान शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं.२९५ | विषय-सूची
कची का नाम
माषा श्रीपालरातो ब्रह्मरायमल्ल
रचना सं. सुदर्शनरासो जम्बूलामीरासो
पांडे जिनदास प्रद्युम्नरासी
महरायमल्ल पार्श्वनाथरासो
कल्याणकाति भविष्यदत्त चौपई
ब्रह्मरायमल्ल हनुमत कथा सम्यक्त्वकौमुदी
जोधराज गोदीका यशोमदरासो नेमीश्वररासो
अझरायमल्ल
4-८८
८१४ गुटका नं.६। पत्र सं० २०६ | साइज--X६ इन्च । लेखनकाल-सं० १८०४ । पूर्ण एवं सामान शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६ । विषय-सूची की का नाम
भाषा सुभाषितावली मक सकल कीति
संस्कृत द्रव्यसंग्रह
प्रा. नेमिचन्द्र
प्राकृत सरस्वतीपूजा
सानभूषण
संस्कृत-- .. गुरूपूजा मार्गणाविधान विषापहारस्तोत्र भाषा
अचलकीति
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भैय्या भगवतीदास
संस्कृत
गुटक] निर्वाणकांड भाषा चतुर्विंशतितीर्थकर पूजा जिनसहस्त्रनाम मानचिंतामणि भक्तामरस्तोत्र भाषा गुणमंजरी बाईसपरीषह सिन्दूरप्रकरण समयसार नाटक
श्राशाधर मनोहरदास
रचनाकाल सं० १७०
हेमराज
हृदयराम कौरपाल बनारसीदास
बनासीदास
१६४
८१५ गुटका नं०७। पत्र सं० २६१ । साइज-६x६. इश्च 1 लेखनाल-सं० १६१४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २६ ।
विशेष--३६ पूजा एवं विधियों का संग्रह है। तीन गुटकों का सम्मिश्रण है। दूता गुटका सं० १७५० तथा तीसरा सं० १७ में लिखा गया था ।
८१६ गुटका नं.८ । पत्र सं. १४७ | साइज-sx६ इञ्च । लेखनकाल | पूर्ण एवं अशुद्ध । दशा: सामान्य । वेष्टन नं २६ ।
विशेष—३६ पूजा एवं स्तोत्रों का संग्रह है। कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
८१७ गुटका नं । पत्र सं० १८४ । साइज-८४५ इम्ब । लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । . दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २६ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष मित्रदोहकथा भवितव्यं भवतीति कमा पंचमंगल
रूपचंद राजलपच्चीसी
विनोदीलाल शीलमुरंगी चुदड़ी बतरवचनोच्चारिणी कया
संस्कृत
नियमपालन कमा
ममता कुमार कया सोकानुरंजनी कथा रसावली कया मराज बबराज कथा
संस्मत
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[गुट
नंदलाल
स्फुट दोहा बूढविनोद चंदनमलयगिरी कया लीलावती कथागुणपाल श्रेष्टिपुत्रकला अमयकुमार गुण परीक्षण काया भक्तामरस्तोत्र भाषा कल्याएमन्दिरस्तोत्र भाषा रविव्रतकमा
पत्र नहीं है।
हेमराज
हिन्दी
नुकीचिम
दंभकया (अमरसुन्दरी कथा ) सपीकमा
शीलवतीकमा वित्रकथा शीलवतीकया ( बुद्धि विषये ) सोढीकमा ( कलि विषये) गंगदत्त द्विजकमा मुकुदपत्नीकथा ( स्त्री चरित्रे ) भ्रशासकला ( मित्र द्रोहे) बाल्मीकोदरकया ( मर्मकथने ) धरनृपकमा ( सत्व विषये ) द्रोपदीकया ( सत्यवचने) भूधर द्विजकमा ( कलिकाले यष्टीकया युधिष्ठरनुपकमा मित्रद्वयकमा स्वरूपसूरसेन कथा योगीत्रय कया वररूचि द्विजकथाः
कामकमा मूर्खकया भुजंगकमा
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गुटके ]
सर्पद्विजकमा
पाय न कर्त्तव्य' का
सर्व मित्रकथा
कूटसाची वर्जनकथा
परवय कर्तव्य कथा
'स्थाने न वास कार्यो' कथा
'शळं प्रतिशठं कुर्यात् ' कथा
'स्त्रीषु गुखे न वाच्यं' कथा अन्य कमायें
धमालि
विषय-सूची
महारक को पिच्छिका देने का मंत्र
"कालोचना पाठ
महामदीक्षा विधि
पदस्थापन विधि
मट्टारकपदस्थापन विधि
दीपा पटल
या महाभिषेक
पदमंत्र
पदमंत्र
अनन्तविधि
नागुणमाला
पार्श्वनाथ पूजा
मुस्तोत्र
१ गुटका नं० १० । पत्र सं० ८ | साइज - ६५ इ । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ३०० ।
काड गाथा
सिषेक मंजन वर्णन
कर्चा का नाम
श्र० समन्तभद्र
संस्कृत
111
"
35
37
32
"
हिन्दी
"
"
"3
"3
+)
साषा
संस्कृत
19
"
27
प्राकृत
संस्कृत
33
...
हिन्दी
"
संस्कृत
प्राकृ
संस्कृत
हिन्दी
"
विशेष
स्वनाका सं० १७४८
1
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हिन्दी
राइल का बारहमासा गुरूबों की अयमाल मजन व पद
विनोदीलाल ब्रह्म जिनदास
८१६ गुटका नं०११। पत्र सं० ६३ । साइज-५४४ इञ्च । लेखन काल-सं० १८५६ । पूर्ण एवं अशुभ दशा-उत्तम । वेष्टन नं० ३०१ । विषय-सूची
कर्ता का नाम
भाषा कमलबत्तीसी
हिन्दी अानन्दा
थानन्द
• ॥ ४२ पथ, एकसौ तेतालीस गुणों की हुण्डी
प्राकृत अहमद को वाणी
हिन्दी ८२० गुटका नं० १२ । पत्र सं० ३७६ १ साइज-=x७ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६६७ । अपूर्ण-६६ २८ तक पत्र नहीं हैं । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३०२ |
विशेष--२३ पुजा व स्तोत्रों का संग्रह है । कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
२१ गुटका नं०१३ | पत्र सं० १३० । साइज-६४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १७३८ । पूर्ण एवं सामान. शुद्ध ! दशा-सामान्य | वेष्टन नं.३०३।
विशेष—कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
८२२ गुटका नं०१४। पत्र सं० ६६ । साइज-८४६ इञ्च | लेखनकाल 1 पूर्ण एवं सामान्य दशा-सामान्य | वेष्टन न. ०४! विषय-सूची की का नाम
माषा स्वरोदय मोहनदास
हिन्दी घोड़ा बोली का प्रयोग
८२३ गुटका नं० १५ । पत्र सं० २२ । साइज-x= इश्व । लेखनकाल ४। पूर्ण एवं सामान्य शुर दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३०५ । .. विशेष-तत्त्वार्थसूत्र एवं पंचमंगल श्रादि पाठों का संग्रह है।
८२४ गुटका नं० १६ । पत्र सं० २३ । साइज-sxs इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुन शा-सामान्य । वेष्टन नं० ३०६ ।
विशेष--उल्लेखनीय संग्रह
८२५ गुटका नं० १७ । पत्र सं० २२ । साइज-०६x६ इन्च । बैखनकाल x। अपूर्ण--प्रारम्म पत्र नहीं है । वेष्टन नं ० ३०७।
विशेष - उल्लेखनीय संग्रह नहीं है।
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गुंटके
८२६ गुटका नं० १८ । पत्र सं० १२६ १ साइज-=x६ हाच । लेखनकाल X| पूर्ण एनं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३०८ लिपि-चिकृत ।
निशेष
विषय-सूची मानचितामणी
फर्ता का नाम मनोहरदास
धानतराय
भावना नंदीश्वरजयमाल तीन चौबीसी जयमाल
स्तुति
पंचमेरुजयमाल
तीर्थक्षेत्र जयमाल
(লন্য रूपचंद हर्षकीर्ति
मजन व लधुमंगल पाठ छह लेश्या कवित इतुर्गति के बेलि मजन व पद संग्रह
भावकाचार
पदसंग्रह
E
६२७ गुटका नं १६ । पत्र सं० ५८ । साइज-x७ च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-- सामान्य । वेष्टन नं० २०६। ..
विशेष – कोई उल्लेखनीय संग्रह नहीं हैं ।
८२८ गुटका नं० २० । पत्र सं० १. । साइज-xs हश्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । पशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३१०। ।
APER
८२६ गुटका नं० २१ । पत्र सं० ३५ । साइज-8xs इव ! लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-सामान्य । वैप्टन नं ० ३१० ! लिपि-विकृत है। विषय-सूची
____कर्ता का नाम
भाषा
विशेष धएडेलवालों के सौरासी गोत्र रानोश्चर की कथा
६३० गुटका नं० २२ । पत्र सं० २७। साइज-९४७ च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ३१..
विशेष-केवल पूजाओं का संग्रह है।
हिन्दी .
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८०
{ गुटके । ८३१ गुटका नं० २३ । पत्र. सं. ४६ | साइज-१xs इ । लेखनकाल x। पूर्व एवं सामान्य शुद्ध । । दशा सामान्य वन्टन नं. ३११ ।
विशेष उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
=३२ गुटका नं० २४ । पत्र सं० ६४ ! साइज-७X । लेसनकाल-सं० १८२४ । पूर्ण एवं सामान्य ।। शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ११ । विषय-सूची
कर्ता का नाम
भाषा नवरत्नकवित्त
हिन्दी श्रायुर्वेदिक नुसखें मक्तामरकथा सुबुद्धि चौबीसी
हिन्दी अकृत्रिम चैत्यालय जयमाल
संस्कृत चौदहमुग्रस्थान
हिन्दी पंचमंगल
रूपचंद ८३३ गुटका नं० २५ । पत्र सं० ७२ । साइज-Ext च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। । दशा-सामान्य जीण । वेष्ठन नं. ३१३ ।
गुजराती
भगवतीदास .
विषय-सूची
कर्ता का नाम
माषा जिनवरकलावलि
प्राकृत तीमकरविधान
हिन्दी बचनाकाल सं० १५८. पाश्र्वनापशकुनसत्तावीसी
उकुरसी सप्तव्यसन पअनंदी स्तोत्र अत्रजद केवलो
८३४ गुटका नं० २६ । पत्र सं० ७३ | साइज-४१ इञ्च | लेखन काल-सं० १७६१ । पूर्य एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३१३ | विषय-सूची
करी का नाम
भाषा तीमा विधान
संस्कृत-हिन्दी पालापपद्धति भावसंग्रह
मा. नेमिचन्द्र कर्मप्रकृतिविधान
बनारसीदास
हिन्दी बारहमावना
देवसेन
Page #103
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________________
गुटके
पानंदी स्तोत्र अमजद केवली
हा शतक
पं. रूपचंद
कलयविधान
३५ गुटका नं० २७ । पत्र सं० १८ | साइज-६x४ इश्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशासामान्य । वरन नं. ३१४ । विषय-सूची कर्ता का नाम
विशेष विलोक्सार की कुछ गाघायें श्रा० नेमिचन्द्र
माकृत ऋद्धि विचार कपन नीतिशतक
मन हरि
भाषा
what
८३६ गुटका ने २८ । पत्र सं. ६६ । साइज-2x४, इश्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! बा-सामान्य । वेष्टन नं.३१४! ..
विशेष पूजा पाठ के अतिरिक्त कुछ आयुर्वेद के नुसखे भी दिये हुये हैं ।
८३७ गुटका नं0 २६ | पत्र सं. १८६ | साइज-2x६ इश्व | लेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । रा-सामान्य । वेष्टन नं० ३१५ |
विशेष-पूजा एवं स्तोत्रों का संग्रह है।
८३८ गुटका नं० ३० । पत्र सं. १६ । साइज-६x६ इञ्च । लेखनकाल XI पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । -सामान्य । वेष्टन नं० ३१६ ।
विशेष—पूजाओं का संग्रह है।
२३६ गुटका नं० ३१ । पत्र सं०६१ साइज-६x६ इश्व । लेखनकाल–सं. १८५४ । पूर्ण एवं सामान्य पुर। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३१५ ।
विशेष पूजा एवं स्तोत्रों का संग्रह है।
४० गुटका नं०३२। पत्र सं० २२.७ | साइज-७४५-इश्च । लेखनकाल-सं० १५६६ पौष सुदी १। पा । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. ३१७ | लेखक-महिमातिलक गणि । -.. फा का नाम
विशेष वर्गवि चौपई
_... हिन्दी स्वशरण स्तवन
सोमसुन्दर -किर गामा
माकत धारमंत्र माहात्म्य सहित
,, संस्कृत
माषा
Page #104
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________________
[ गुरु
संस्कृत
प्राकृत
प्रमयदेव मानतुगाचार्य
संस्कृत
हिन्दी
सागरचन्द्रसूर
दर्शन पाठ सामायिक पाठ प्रतिक्रमण सूत्र पार्श्वस्तोत्र मक्तामर स्तोत्र जिनस्तुति इलापुत्र ऋषि गीत सीमंधास्वामीस्तक शीलोपदेशमाला गौतमप्रच्छावली मवतत्वप्रकरण रात्रिसंयारा विधि पयुर्षणपर्वस्तुति सिंधुपार्श्वनाथस्तुति शांतिनाथस्तवन पंचपरमेष्ठी स्तवन
४१ गार
। । । । । ।
२७ पाप
प्राकृत
पष्टिशतपकरण
लिपि सं. १५६॥
७. गाव
आराधना कुलक जीवविचार रात्रिपोषध विधि
चवीस जिनस्तक्न संबोधसत्तरी चर्चा
अजितशांतिस्तवन
। । । । । । । ।
भयहरस्तवन नंदीश्वरस्तवन
सर्वजिनस्तुति पंचमीस्तुति दशवतनियमादि पद्य
।
,, लिपि सं० १९७६ आषाढ मुदी
साह जिनदास ने लिखा
Page #105
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________________
गुटके ]
जखही जखडी
८४१ गुटका नं० ३३ । पत्र सं० २६ । साइन-EX५३ इञ्च । लेखनकाल XI पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्थ । वेष्टन नं० ३१७ ॥
विशेष-पूजाओं एवं स्तोत्रों का संग्रह है। कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
८४२ गुटका नं० ३४ ! पत्र सं० १६७ । साइज-exe इश्व ! लेखनकाल–सं० १७६७ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । दो गुटकों का सम्मिश्रण है । वेष्टन नं ० ३१८।। विषय-सूची
कर्ता का नाम
भाषा
विशेष प्राचार्य व उपाध्यार्यों के मुत्र अरिहन्तों के मुख्य पंचेन्द्रिय निरोध . १८ नातों का चौदाला
साह लोहट रूपचंद
जिनदास चेतनबत्तीसी
श्रवणपंडित उपदेशनचीसी मेषकुमारगीत मोहविवेककपन तत्त्वार्थस्त्र
उमास्वाति
संस्कल निर्वाणकांडगाया
प्राकृल
चनारसीदास द्वादशानुप्रैदा मक्तामरस्तोत्र भाषा .
हेमराज
हिन्दी पंचमगति की बेलि
हर्षकीर्चि बोगीरासो
जिनदास पदसंग्रह चाणक्य नीतिशास्त्र
चाणक्य
* साधुवंदना
संस्कृत
बोधपंचासिका
प्राकृत
८४३ गुटका नं०३५। पत्र सं० २७५ । साइज-XL इस । लेखनकाल-सं० १६५२ | पूर्ण एवं सामान्य द। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३१९ । विषय-सूची कर्ता का नाम
विशेष चामुंडराय
संस्कृत पहावदान विधि
हिन्दी
माषा
र भावनासंग्रह
।
Page #106
--------------------------------------------------------------------------
________________
=४
उपवासदानविधि
सिद्धस्तुति
चतुर्विंशतिजिन स्तवन
दर्शनपाठ
नित्यनियमपूजा
क्षेत्रपाल पूजा
सिद्ध पूजा
षोडशकारणपूजा
कलिकुडपूजा.
अष्टाहिकापूजा
दशलक्षण पूजा
स्वयंभू स्तोत्र
रत्नत्रयपूजा
शांति जिनस्तोत्र
रत्नत्रयपूजा
शास्त्र पूजा पाश्र्वनाथस्तोत्र
वमानस्तोय
चैत्यवंदनस्तोत्र
चौबीसी जिनस्तवन
सुप्रभातस्तोत्र
परमानंद स्तोत्र
श्रनित्यपं चालिका
कल्याणमन्दिरख्तोत्र
विषय-सूची
देवपूजा
श्रा० समन्तभद्र
चतुर्विंशतिपूजा
सिद्ध. पूजा
सार कवि
त्रिभुवनचंद बनारसीदास
हिन्दी
संस्कृत
31
19
22
हिन्दी
"
37
"
""
संस्कृत
"
33
aa
23
हिन्दी
33
23
हिन्दी
संस्कृत
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१३
"
33
"
=४४ गुटका नं० ३६ | पत्र सं० १९९ | साइज - १६x४ च । लेखनकाल- सं० १००८ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ३१६ ।
कर्त्ता का नाम
प्राकृत
संस्कृत
भाषा
संस्कृत
[ गुटके
विशेष
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________________
i
गुटके ]
सोल कारणपूजा
दशलापूजा
रमत्रयपूजा
पंचमेरूपूजा
श्रष्टादिकापूजा
श्रनन्तपूजा
पंचमंगल
संबोधपंचासिका
पार्श्वनाथ पूजा
भक्तामर स्तोत्र
तत्त्वार्थपूत्र
पच्चीसी
निर्वाणकोट भाषा
शांतिपाठ
दशा - सामान्य 1 वेष्टन नं० ३२० ।
भूधरदास
रूपचंद
द्यानतराय
विषय-सूची
मनज्ञान संग्राम
श्रा० मानतुल
उमास्वाति
भगवतीदास
विशेष – पूजाओं का संग्रह है ।
उपदेशांन
भक्तामर स्तोत्रीत्पत्ति कथा
स्तोत्र महात्म्य
जैनशतक
पार्श्वनाथस्तोत्र
बारह भावना
प्राकृत
कर्त्ता का नाम सेवाराम
כ
पं० बुधजन
नयमल लालचंद
संस्कृत
हिन्दी
भूधरदास
यांनतराय
भगवतीदास
प्राकृत
संस्कृत
हिन्दी
हिन्दी
23
संस्कृत
४५ गुटका नं० ३७ | पत्र सं० ६० | साइज - ४५ इव । लेखनकाल x | पूर्व एवं सामान्य शुद्ध ।
""
हिन्दी
33
८४६ गुटका नं ३ | पत्र सं० २०३ | साइज २४३ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - जीर्ण | वेष्टन नं० २२० ।
विशेष – पूजाओं का संग्रह है ।
संस्कृत
= ४० गुटका नं० ३६ । पत्र सं० १३२ । साइज - ७९५ ६ | लेखनकाल- सं० १८६४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ३२० ।
रचनाकाल १०
欢
भाषा
हिन्दी
======
विशेष
श्रपूर्व
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________________
२६
[गुटके
मजनसंग्रह
LandhyA
कलियुग बत्तीसी कर्मचरित्र बाईसी पद संग्रह सम्मेदशिखर कवित्त गुरुयों की स्तुति सवाई जयपुर के मंदिरों की सूची
लापन सं० । साहज-६४६ इन। लेखनकाल-सं० 25601 पर सामान्य शुद्ध । दशा--सामान्य । वेष्टन ने० ३२१ ।
विशेष--चौबीस लीगरों के भिम है हज के प्रति कि कोई उन्लेननीय सामग्री नहीं हैं।
४६ गुटका नं० ४१ । पत्र सं० १ ३ । 'साइज-४५ इन | लेखनकाल x। पूर्ण एत्र सामान्य शुद्ध । । दशा-सामान्य | वैटन नं. ३२१ ।
विशेष पूजा एवं स्तोत्र संग्रह है।
८५० गुटका नं.४२। पत्र सं० २१ । साइज-2x५ इञ्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।। दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ३२१ । विषय-सूची
कर्ता का नाम
भाषा धर्म को बारहखडी
हिन्दी उपदेशबत्तीसी
तिलोकचंद ८५१ गुटका नं. ४३ । पत्र सं० १४ | साइज ७X'५ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३२३ ।
विशेष- एकोमात्रस्तोत्र एवं वाईसपरीयह पाठ हैं ।
८५२ गुटका नं. ४४ । पत्र सं० ३८ । साइज-७४५ इञ्च | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३२३ ।
HARAPATATAR
KOLHA
"
पद
ARE.
.. ANALY
---
TE
विषय-सूची
कर्ता का नाम
भाषा विषापहारस्तोत्र भाषा
धचलकीति कल्याणमन्दिरस्तोत्र भाषा
बनारसीदास पद व भजन
जात शिरोमणि ५३ गुटका नं. ४५ । पत्र सं. ८ । साइज-७४५ च । लेखनकाल ४। पूर्ण एवं अशुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं. ३२३ ।
Page #109
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________________
-
0
गुटके]
विशेष--कोई उल्लेखनीय सामत्री नहीं है।
८५४ गुटका नं. ४६। पत्र सं. १३ । साइज-X' इञ्च । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । रा-सामान्य । वेष्टन नं. ६२३ ।
विशेष-पूजात्रों का संग्रह है।
८५५ गुटका नं०४७ । पत्र सं० : 1 साइज-७:४४ इन्च | लेखनकाल-सं० १.६६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १२४ ।
विशेष-कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
८५६ गुटका नं०४८ । पत्र सं०१८ | साइज-४x हश्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-जीर्ण । वेरन नं : ३२४ । विषय-सूची
का का नाम
भाषा
विशेष देवपूजा
संस्कृत सिद्धपूजा पार्श्वनाथपूजा नारत्नकवित्त
नवरत्न पार्श्वनाथस्तोत्र
संस्कृत रूपाणमन्दिास्तोत्र
बनारसीदास
हिन्दी सोलहकारणपूजा
सस्कृत ८५७ गुटका नं० ४६.। पत्र सं० ६५ 1 साइज--४४ इश्च । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य । वेष्टन नं. ३२ । विषय-सूची ___ कर्ता का नाम
माषा
विशेष निश्चर कया
संस्कृत औरोस नीर्य कर जयमाल पालपचीसी
हिन्दी पद व मजन संग्रह
८५८ गुटका नं. ५ । पत्र सं० १ ० । साइज-७६४.६ च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । या सामान्य | वेटनं नं ० ३२६ ।
८५६ गुटका नं०५१ । पत्र सं० २४ । साइज-६४५ इञ्च । लेखनकाल-सं. १८३० 1 पूर्ण एवं सामान्य गुर। दशा-सामान्य । वेष्टन मं०३३: । - विशेष-पूजा पाठ के अतिरिक्त पद एवं भजनों का अच्छा संग्रह है।
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________________
८६. गुटका नं-५२। पत्र सं० ४५ | साइज-२४५ इञ्च | लेखन काल - । पूर्ण एवं सामान्य शर दशा-सामान्य 1 वेरन नं. ३२२ ।
विशेष-कोई उल्लेखनीय संगह नहीं है।
८६१ गुटका नं०५३ ! पत्र सं १६ । साइज-ix५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६५६ । पूणे एवं सागर शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं. ३२२ 1
विशेष—पंचमंगल एवं इकटछत्तीसी के पाठों का संग्रह है।
६. गुटका नं०५४ । पत्र सं० ४० । साइन-५४४ इन्न । लेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य । वेन्टन नं२२० ।
विशेष-रत्नत्रय एवं षोडशकारण पूजाओं का संग्रह है।
२६३ गुटका नं.५५ । पत्र सं० १.१ । स इज-x इत्र । लेखनकाल-सं० १७१ | पूर्ण एवं सामान शुद्ध । दशा-सामान्य । वैप्टन नं० २५ ।
विशेष –पूजा एवं स्तोत्र संग्रह है।
८६४ गुटका नं. ५६ ! पत्र सं० १६ । साइज--x१६ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टम नं० २५ । विषय-सूची
कत्ता का नाम
माषा पार्वजिनस्तुति
हिन्दी बालोचना पाठ सामायिकपाठ पद व मजन
८६५ गुटका नं-५७ । पत्र सं० : | साइज--४७ इञ्च | लेखनकाल-सं० १९:। पूर्ण एवं सामाद शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३२५ ।
विशेष-नित्य अभिषेक विधि एवं क्षेत्रपालाष्टक है।
२६६ गुटका नं ५७ (क)। पत्र सं० ३४ | साइज-Exi च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सा शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३६६ ।
विशेष-शनीचर की कथा एवं भजनों का संग्रह है।
२६७ गुटका नं०५८ । पत्र सं० १.०१ | साइज-५३xi च । लेखनकाल–सं० १८१६ । पूर्ण एवं सागर शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं. ३२६ । विषय-सूची
कर्ता का नाम बहदाला
धानतराय
हिन्दी राडलपच्चीसी
विनोदीनाल
RROR
माषा
- t
POT
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________________
गुटके !
हिन्दी
पदसंग्रह निर्वाणकाण्ड माषा
भगवतीदास
पद व भजन
बननाभिचक्र मावना पंच परमेष्ठीस्तोत्र
पूजाष्टक
सिद्विग्रिगोत्र
संस्कृत पद संग्रह
गुमनन्दि
हिन्दी बारहमासा र साधु वंदना कल्याणमन्दिर माषा
बनारसीदास मारह मावना
८६८ गुटका नं०५६ | पत्र सं० १५ । साइज--X५ इन्च । लेखनकाल XI पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । . दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १२६ ।
८६६ गुटका नं०६० | पत्र सं० ८८ | साइन--Yx इद । लेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा--सामान्य । वेष्टन नं. १२६ । विषय-सूची
कर्ता का नाम
भाषा
विशेष - राजा नल की कथा
हिन्दी म. टोला मारूणी छैला पनिहारी का तमाशा
८७० गुटका नं०६१ । पत्र सं० २० । साइज-X६ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । - दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ३२७ ! लिपि अस्पष्ट ।। विषय-सूची कर्ता का नाम ।
माषा
विशेष * बढ़क भैरवस्तोत्र चौरासी जाति वर्णन
हिन्दी फुटकर दोहा सावित्री अष्टक
संस्कृत पद संग्रह
हिन्दी ८७१ गुटका ने०६२ । पत्र सं० २४ । साइज-७४५ इन्च । लेखनकाल X1:पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १२७ ।
संस्कृत
Page #112
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________________
[ गुट विशेष-स्तोत्र संग्रह है।
८७२ गुटका नं. ६३ । पत्र सं०६ | साइज-०४६ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८१२ । पूर्ण एवं सामा शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३२७ ।
८७३ गुटका नं०६४। पत्र सं० १२० | साइज-:४६ इन्च । लेखनकाल-सं० १७४.७ फागण पुदी | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १२८ । विषय-सूची
कत्ता का नाम
भाषा आत्मध्यान
-
गयधरों की जयमाल
NLOArtiM
-
हर्षकार्ति
रायमल्ल छीतर ठोलिया
रचना संवत् १७४७!
" १६२६
MEAPL
पदसंग्रह पंचगति वेलि नेमोश्वर जयमाल सदर्शनरासो होली चरित्र अष्टाहिका व्रत मुनियों की जगमाल नवरलकवित सहस्ननामस्तोत्र मट्टारक पट्टावली निदोषसप्तमी व्रत कथा बघेरवालों के २२ गोत्र खएडेलवालों के ८४ गोत्र
संस्कृत
-11
भट्टारकों के नाम
FiNP
८७४ गुटका नं०६५। पत्र सं. २३ । साइज-०४५ इश्व | लेखनकाल–सं. १७६ । पूर्ण एवं | सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २८ ।
विशेष-कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं हैं ।
७५ गुटका नं०६६ । पत्र सं० १५१ | साइज-Exञ्च । लेखनकाल-सं. १६६६ । पूर्ण एवं सामान्य । शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन ने० ३२६ । विषय-सूची
कर्ता का नाम
भाषा स्फुट दोहे
हिन्दी टोलामारूपी दोहे
" लिपि सं० १६६६ पथ २१० स्फुट दोहे
!
Page #113
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________________
गुटके
६१
,
कवि बोहल्ल कवि रूपचंद
८ दोहे रचना सं. १९७५ १०१ पच
१४ पथ
१० पध
पंचसहेली दोहापरमार्थों दरादानविधि मप्रकार पूजा गोरख दोहावली चारवर्ग के दोहे प्रतिमा लक्षण फुटकर दोहे बारहमानना
गोरखनाथ
पथ
१ पत्र
दाहे कबीर के दोहे गुडी पर्श्वनाथ अन्द शिवपच्चीसी ज्यान बचीसा
पाव चन्द्र सूरी
कबीरदास कुशल कवि बनारसीदास
५ दोहे २० पष
बनारसीदोहावली छोटा गीत
रुपचन्द
बन्द कबीर के दोहे अंगार के दोहे
कबरीदास
Sim
नमाहंस
.
.
.
"F
Y
फुरका पच द्विपंचासिका
काली कवित्व - अप माषा
घटकर पद्य अध्यात्म बचीसी कर्मछत्चीसी धर्म धमाल अध्यात्म पैडी फटका दोहे यभिनन्दनस्तुति
बनारसीदास
प
Page #114
--------------------------------------------------------------------------
________________
जिनगीत संग्रह
पाशचन्द्रसूर
गुरूपौत प्रमासपुराण गीतसंग्रह चतुर्विशति तीर्थकर गीत. मोत संग्रह
नमिकुमार गौत दोहा संग्रह
७६ गुटका नं. ६७ । पत्र सं०७० | साइज-kxiइश्च । लेखनकाल-सं० १७३ पूर्ण एवं सामान्य || शुद्ध । दशा-जीणं शोर्ण । वेष्टन में । विषय-सूची
का का नाम
साषा
विशेष चतुर्दश गुणस्थान पीठिका चतुर्विंशति तीर्थकर पग्लिय अध्यकर्म प्रकृति गुणस्थान चर्चा
प्राकृत सत्त्वार्यसूत्र
संस्कृत चौबीस ठाणा मस्तामर काव्य
नवीव काय नंद बत्तीसी
हिन्दी समयसार
बनारसीदास
फुटकर चर्चा
८ गुटका नं०६८। पत्र सं०६. | साइज-६x४ इश्च । लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीणे | वेष्टन नं. ३३० । लिपि-घसीट है।
विशेष—कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
15 गुटका नं. ६६ | पत्र सं० ६८ | साइज-६x४३ इन्च । लेखनकाल–सं० १८६६ । श्रपूर्ण एवं सामान्य । शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३३.।
विशेष----उल्लेखनीय संग्रह नहीं है।
E७ गुटका ०७० । पत्र सं० ७० । साइज-७६xi इश्च । लेखनकाल X । 'पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन ने० ३३० ।
Page #115
--------------------------------------------------------------------------
________________
गुटके ]
विशेष उल्लेखनीय संग्रह नहीं है ।
० गुटका नं० ७१ । पत्र सं० १२० साइज: x६ | लेखनकाल - सं० १७६८ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं. ३३१ |
कर्ता का नाम
विषय-सूची
सामुद्रिक शास्त्र म्नरासो
शील रासो
गुरावली
'पायुर्वेद के नुस्खे
सालहोत्री श्रश्व चिकित्सा
पुरुषस्त्रीलक्षण
नागानी जोगमाला
यद्भुतरससागर
श्रमरायमल
बेष्टन नं० ३३२ ।
भाषा
हिन्दी
विशेष – कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
नवल
भैय्या भगवतीदास
बुधजन
11
"
??
"
12
गुटका नं ७ | पत्र सं० = | साइज - ६५ इञ्च | लेखनकाल - सें० १९४२ चैत्र सुदी ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- जीर्ण | बेष्टन नं० ३३१ |
विषय-सूची
कर्ता का नाम
सामुद्रिक (स्त्री पुरूष लक्षण )
भाषा
हिन्दी लिपि
संस्कृत
हिन्दी
संस्कृत
गुटका ०७३ | पत्र सं० २० | साह - ६६ । लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य । वेष्टन नं० ३३१ |
विशेष-२६= स्फुट दोहों का संग्रह है।
गुटका नं० ७४ । पत्र सं० ३८ | साहन ६५ इन्च | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य ।
33
६३
माषा
हिन्दी
17
गुटका २५ पत्र सं० ० | साह ५४४ च । लेखनकाल- सं० १८६३ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा- जीर्ण । वेष्टन नं ० ३३२ | लिपि विकृत ।
कर्ता का नाम
विषय-सूची
तीन चौबीसी
जय पच्चीसी
निर्वाण कांड भाषा
संबोध अक्षर बावनी
"
विशेष
रचना सं० १६२=
विशेष
मं० १७४६ बाट सुदी १३
वशेष
Page #116
--------------------------------------------------------------------------
________________
१४
रूपचन्द
पंचमंगल एकीमावस्तोत्र बाईसपरीवह भक्तामरस्तोत्र भाषा कल्याणमन्दिरस्तोत्र भाषा विषापहारतोत्र भाषा
-
-
५ गुटका नं० ७६ । पत्र सं० ८२ , साइजx४ इन्त्र ! लेखनकाल x। अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य ! वेष्टन नं०३२२ ।
-
-
-
कर्ता का नाम
भाषा
विषय-सूची चिकित्सा संग्रह सर्वकार्य सिद्धि मंत्र राजवशीकरण मंत्र
संस्कृत
-
८६ गुटका नं०७७ । पत्र सं० १७० । साइज-५४४ इञ्च | लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुख . दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. ३३३ ।
विशेष-जिनसहस्त्रनामस्तोत्र भाषा एवं सिन्दुर प्रकरण प्रादि पाठों का संग्रह है।
७ गुटका नं. ७६ । पत्र सं० ११६ | साइज-४४ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८४५ भादवा सुदी १२ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध [ दशा-सामान्य । बेष्टन नं. ३३।
विशेष-स्तोत्रों का संग्रह है। समर गुटका नं०८० पत्र सं०६६ 1 साइज-.
x श्च । लखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १३४ ।
विशेष-कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
६ गुटका नं०८१ । पत्र सं. १४६ । साइज-४ इन्च । लेखनकाल-सं. १६०० ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४ । विषय-सूची
की का नाम मंगल गीत
जिनहर्षसरि रणमोकारस्तवन दानशीलतपमावना संवाद
समयसुन्दर इलापुत्र सिझाय सामाछत्तीसी
समयसुन्दर स्तवनसंग्रह
H
NATH
-
Page #117
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________________
मक्तामरत्तोत्र
था. मामनुग
-
प्राकृत
नवतत्वपकरण पद व स्तुति
haising
20 गुटका नं०२। पत्र सं. ८ ! साइज-५xx इन। लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३३.५। .
विशेष—कलियुग बीसी एवं हिन्दी पदों का संग्रह है।
६१ गुटका नं. ८३ । पत्र सं० २७ । साइज-५:४४ इन | लेखनकाल-सं० १.१ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । वेष्टन नं० ३:५
विशेष~-गुटर को नैणसागर ने लिखवाया तथा बखतराम ने लिखा । स्तोत्रों का संग्रह है।
८६२ गुटका नं.८४ । पत्र सं. ५.. । साइज-4x4 इन | लेखन काल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं.३५ । विषय-सूची
फर्ता का नाम
भाषा
विशेष पंचमंगल
रूपचंद
हिन्दी भक्तामर स्तोत्र
था मानतुन कवित
स्पोजीराम सहनसन्तों की पूजा
india
संस्कृत
हिन्दी
-::
८६३ गुटका न०९५१ पत्र सं० ४ । साइज-४४ इञ्च । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा__सामान्य । वेष्टन नं. १३५ ।
उल्लेखनीय संग्रह नहीं है।
८६४ गुटका नं०८६ । पत्र सं० ४ : साइज-५४४ ईन । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा- . . सामान्य । वेष्टम नं. ३५। । - ८६५ गुटका नं.८७ । पत्र सं० १ । साइज-४५ !ञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
देशा-सामान्य । धेष्टन नं. १३८ ।
AM
..
.
भाषा
विशेष
विषय-सूची रविवार कया योगीरासो बारह अनुप्रेक्षा पंथी गीत
कर्ता का नाम -.
भाउकवि पदि जिनदास
हिन्दी
हानमान कवि बोहल
--
"प्रादायत्रत
..
संस्कृत .
. .
Page #118
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________________
धनंजय
संस्कृत
विषापहारस्तोत्र संबोधपंचासिका हंससारंगई यशोधर जयमाल सुभाषितावली
पात
FFFFFFFF
संस्कृत
योगीन्द्र
Hin
परमात्मप्रकाश
प्राकृत बादिकु जरस्तोत्र
संस्कृत तत्वार्थसूत्र
उमास्त्राति ८६६ गुटका नं.८ । पत्र सं. २५ । साइज-६४५ च । लेखन काल-सं० १० | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण शीर्ण । वेटन नं. ३३७ विषय-सूची
कता का नाम
भाषा
विशेष ज्ञान पद
मनोहर श्राम नीच का झगड़ा बारहमासा स्तुति गोरखनाथजी का सरोधा
हिन्दी
LATTA
___ गुटका नं. ६ | पत्र सं० ७. J साइज-2x | लेखन काल-सं. १९४२ । पूर्ण एवं शुद्ध सामान्य । वेष्टन नं. ७ विषय-सूची
कत्ता का नाम
भाषा पंचकल्याग
रूपचंद भक्तामर स्तोत्र
श्रा० मानतुग तीन लोक चैत्यालय पूजा सिद्ध पूजा स्वयंभू स्तोत्र
श्रा समन्तभद्र दर्शन पच्चीसी जयपुर के मन्दिरों की बन्दना
बलराम पद व कवित
- गुटका नं०६०। पत्र सं० २२ । साइज-३४६ १३ । लेखन काल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। . दशा-सामान्य | वेष्टन नं. ७
विशेष--कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
--
-
-
-
Page #119
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________________
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..
भाषा
"
E EL गुटका नं०६१ । पत्र सं० १५० । साइज-१२६४४६ इञ्च । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-जीर्य । वेष्टन नं० ३३७ । विषय-सूची कर्ता का नाम
विशेष भाशीर्वाद मुनीश्वर जयमाल
हिन्दी समरततीर्थ जयमाल
सुमतिसार चतुर्विशति तीर्थकर जयमाल सरस्वतीस्तुति नदीश्वरपूजा
संस्कृत
है. भगिनती
"
(प्राकृत)
प्रोषधपारणा विधि प्रेषठशलाकापुरूष नाम गुणस्यान वर्णन अवसर्पिणी उत्सर्पिणी काल का चित्र पदप्रतिक्रमण क्रिया विधि
राजनीति शास्त्र 2. पट्टीपहाडे
प्राकृत
।। । । । । । । । । । । । । ।
संस्कत
वेदकांडी
संस्कृत
हिन्दी संस्कृत
बचनकवली रानावली पाशा केवली
आदिनापरतवन E. सिद्धपूजा
त्याणमन्दिर स्तोत्र में देव दर्शन
स्तुति संग्रह मट्टारक पट्टावली हदास्नपन विधि
हिन्दी
। । । । ।
संस्कृत
2. सलीकुण्डस्तवन
१०० गुटका नं० २। पत्र सं० १७० । साइज-Ex६ इञ्च । लेखनकाल–सं. १७२९ । पूर्ण एवं सामान्य 'शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं. ३३.
Page #120
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________________
25
विषय-सूची
समवशरण स्तोत्र
मक्तामर भाषा
धन्ना सेठ की कमा
सती दूती की कमा
गीत
शील बत्तीसी
गुणवेलि
सिंहासन बत्तीसी
मुस्लिम शासकों का राज्यकाल वन
जीवक्रम संवाद
चन्द्रगुप्त के सोलह स्वपन
पंचपरमेष्ठी रास
सोलह कारणरास
लघुशील रास
बादशाही राज्य के सूबे
कर्ता का नाम
ब्रह्म गुलाल
हेमराज
विषय-सूची
पक्षी रमल
स्तुति संग्रह
E. T
रूपचंद
वैष्टन नं० ३३८ |
T
ठक्कुरसी
कर्ता का नाम
भाषा
हिन्दी
भाषा
हिन्दी
विशेष- मट्टारक पट्टावली एवं पूजा पाठ संग्रह है ।
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31
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17
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31
रचनाकाल सं० १५८५
"
१०१ गुटका नं० ६३ | पत्र सं० ६० । साइज७३ - ६३ । लेखनकाल x । श्रपूर्ण प्रारम्भ के ४१ पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य ! वेष्टन नं० ३३८ ।
विशेष -- पूजा पाठ संग्रह है ।
27
६०२ गुटका नं० ६४ । पत्र सं० २४ । साइज - ७३७३ । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-. सामान्य | वेन्टन नं० ३३८ ।
""
[ गुटके
विशेष
पथ सं० ३१६
सं० १२०६ से प्रारम्भ
རྗ}ཊྛཾ
६०३ गुटका नं ६५ | पत्र सं० २० | साइज - ६६ × ६३ । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य
विशेष
पक्षियों के नाम का यंत्र है ।
६०४ गुटका नं० ६६ । पत्र से० ५६ | साइज ३० च । लेखनकाल सं० १७८०। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- जी | वेष्टन नं० ३३८ |
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________________
गुटक]
...
की का नाम
विषय-सूची
विशेष
भाषा
मझ दयाल
-
दुनरी नेमीन्दरगीत
सकलकीर्ति मल्लिनाथजी की पूजा विनती
दीपचन्द दिप्रकाश * मल्याणमन्दिरस्तोत्र मजन व पद संग्रह
६०५ गुटका नं०६७ । पत्र सं० ४३ । साइज-१०४४३ हश्च । लेखनकाल–सं. १८४८ । पूर्ण एवं शुद्ध । - दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३३६ । विषय-सूची
कर्चा का नाम
माषा
विशेष पंचमेरुजा
सुखानन्द
हिन्दी चतुर्विंशतितीर्थकरपूजा
रामचन्द्र
.'
१०६ गुटका नं० १८ । पत्र सं० ५६ । साइज-६x६३ इम्च । लेखनकाल x ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३३८ ।
विशेष-उल्लेखनीय संग्रह नहीं हैं।
६०७ गुटका नं | पत्र सं० ३२ । साइज-2x.श्च । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० ३३६ । विषय-सूची
कर्ता का नाम
माषा
विशेष उपवास और पारणा विधि
हिन्दी चार मूखों की कथा जीवनमायाचन
१० गुटका नं० १००। पत्र सं० १६ । साइज-६x६ इन्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । या-जीर्ण । वेष्टन ने० ३३६ ।।
विशेष---उल्लेखनीय संग्रह न
६०६ गुटका नं० १०१। पत्र सं० ८ | साइज-=x७ दश्च | लेखनकास x । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। सा-सामान्य । वेष्टन नं० ३४० ।
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-
. --
-
[ गुटके 28: गुटका : १०६ । नत्र ०६ । साइज-x च । लेखनकाल-सं० १७१०। पूर्ण एवं शुद्ध।। दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३२५ । विषय-सूची
कर्ता का नाम -
भाषा रसिकप्रिया
महाकवि केशवदास पद संग्रह
१११ गुटका नं. १०३। पत्र सं०७२। साइज-१x६ च । लेखनकाल X । पण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३४० ।
विशेष—मंत्रों और औषधियों का संग्रह है।
११२ गुटका नं-१०४ । पत्र सं० ४० । साइज-४४४ इन। लेखनकाल । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४.।
विशेष उल्लेखनीय संग्रह न
६१३ गुटका नं० १०५ । पत्र सं० ४० | साइज-xx४; इश्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य । बेष्टन नं०३४१ । विषय-सूची
कर्ता का नाम
माषा पार्थ नाथस्तवन
हिन्दी विषापहार स्तोत्र शांतिनाथपूजा ३४ प्रतिपाठ
६१४ गुटका नं० १०६ । पत्र सं० २२ | साइज-३४५ | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा--] सामान्य । वेष्टन नं० ३४१ ।
विशेष-पूजा पाठ संग्रह हैं।
६.१५ गुटका नं. १०७ । पत्र सं0 20 | साइज-६४५ इञ्च | लेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं०३४१ ।
भाषा
विषय-सूची कर्ता का नाम
विशेष मत हरि शतक
भतृहरि
संस्कृत .. । भृगार मंजरी
सवाई प्रतापसिंह . वैराग्य मंजरी
१६ गुटका नं० १०८ । पत्र सं० १.८ | साइज-६x४३ इन | लेखनकाल । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३४२ ।
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________________
]
विषय-सूची
वैद्यमनोत्सव
त्रिकाल चौबीसी के नाम
पाकशास्त्र
मंत्रादि संग्रह
वेष्टन नं ३४२ ।
विषय-सूची
मंत्रादि संग्रह
महादेवपार्वती संवाद
विषय-सूची
छहढाला
छहढाला
"
विशेष उल्लेखनीय संग्रह नहीं है ।
33
कर्चा का नाम
केशवदास नयनसुख
६१७ गुटका नं० १०६ । पत्र सं० १६ | साइज - ६४४ इञ्च । लेखनकाल X। पूर्ण एवं शुद्ध दशा - जीर्णं ।
भारह भावना समाधिमरण
स्तुति संग्रह
६१८ गुटका नं० ११० | पत्र सं० ४४ | साइज - ६४ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ३४२ |
दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ३४३ |
विशेष -- पूजाओं का संग्रह है ।
कर्ता का नाम
दशा - सामान्य | वेष्टन नं ० ३४३ ।
कर्ता का नाम
पं० चानतराय
६१६ गुटका नं० १११ | पत्र सं० २४१ साइज - ६४३ श्व | लेखनकाल Xx । श्रपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य | वेष्टन नं ० ३४३
३१
-
"
विशेष – उल्लेखनीय संग्रह नहीं है ।
भाषा
हिन्दी
श्री कृष्ण
भैय्या भगवतीदास
पं० धानतराय नवल कवि
כן
37
बुधजन
दौलतराम
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""
33
भाषा
हिन्दी
39
भाषा
हिन्दी
33
59
१०१
विशेष
55
५५
६२० गुटका नं० ११२ । पत्र सं० ५-६१ । साइज - ७४४३ इन्च | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध 1
विशेष
39
विशेष
रचनाकाल १७५८
१८५६
६२१ गुटका नं० ११३ | पत्र सं० १८ | साइज - ६३४३ ह । लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्धं ।
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१०२
[ गुटक
-
:-
६२२ गुटका नं. ११४ । पत्र सं० २८ । साइज-६३४४, इश्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य । श्रेष्टन गं० ३४० ।
विशेष-श्रायुर्वेदिक नुस्खों का संग्रह है।
६२३ गुटका नं० ११५ । पत्र सं० १६५ [ साइज-८४६ इन्न । लेखनकाल-सं० १७७६ ! पूर्ण एवं सामान्य । शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० ३४४ । विषय-सूत्री
कर्ता का नाम
माषा तत्त्वार्थसूत्र
विशेष उमास्वाति साधु वंदना पंचमंगल
रुपचन्द स्तवन
संस्कृत
समपसार
बनारसीदास जोगीरासो
जिनदास ६२४ गुटका नं०१२६ । पत्र सं० ३५ । साइज-७३४६ इञ्च | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. ३४४ ।
विशेष-पूजा पाठ संग्रह है।
१२५ गुटका नं० ११७ । पत्र सं० २७ । साइज-६x६ च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशाजीर्ण शीर्ण । वेटन नं. ३४० ।
विशेष-भक्तामरस्तोत्र ऋद्धि मंत्र सहित हैं।
६२६ गुटका नं० १२८ । पत्र सं० ७७ । साइज--५:४५ इञ्च । लेखनकाल ४ | थपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ३४५ ।
विशेष-मंत्रों का संग्रह है।
६२७ गुटका नं-११६ । पत्र सं० १३ | साइज-१४५३ इन | लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध।। दशा-जीर्ण । बेष्टन नं० ३४५ ।
विशेष उल्लेखनीय संग्रह नहीं है।
६२८ गुटका नं० १२० । पत्र सं० १३-१३५ । साइज-६४५ इछ । लेखनकाल X। अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । बेष्टन ने० ३४५ ।
विशेष-आयुर्वेदिक नुस्खों का संग्रह है।
१२ गुटका नं० १२१ । पत्र सं० ८ । साइज-१९x४ इञ्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३४५ |
विशेष-हिन्दी में पार्थ नाथ के जीवन का वर्णन है।
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________________
।
गुटके ]
भाषा
संस्कृत
६३. गुटका नं. १२२ । पत्र सं० २७ | साइज ६x४ इञ्च । लेखनकाल X अपूर्ण-प्रारम्भ का पत्र नहीं है। दशा-जीर्छ । वरन नं० ३४५ ।
विशेष--- चरनदास कृत हिन्दी में ज्ञानस्वरोदय है ।
६३१ गुटका नं. १२३ । पत्र सं० २४-१६४ ! साइज-:४२ । लेवनकाल । अपूर्ण एवं सामान्य . शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेष्टन ० ३४६ । विषय-सूची की का नाम
विशेष जिनदर्शन घटाकर्णमंत्र नौ का बन्ध
विनोदीलाल
हिन्दी स्तुति संग्रह
६३२ गुटका नं. १२४। पत्र सं०१४-५ । साइज-४४४ इन्च | लेखनकाल ४। पूर्ण एवं सामान्य E. शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३४६ ।
विशेष-हिन्दी के पदों का संग्रह है।
६३३ गुटका नं० १२५ । पत्र सं० २२ । साइज ४४३ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८६५ । पूर्ण एवं शुद्ध 1: दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३४६ ।।
विशेष – हिन्दी के पदों का संग्रह है।
६३४ गुटका नं० १२६ । पत्र सं० ८५ 1 साज--६x६ इञ्च । लेखनकाल x ] अपूर्ण-प्रारम्भ के ६ पत्र नहीं हैं । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३४७ । विषय-सूची की का नाम
विशेष बिहारी सतसई
महाकवि बिहारी सुन्दर श्रृंगार
सुन्दरदासजी १३५ गुटका नं. १२७ । पत्र सं० १६ ! साइज-८६x६ इञ्च । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा१. सामान्य । वेष्टन नं० ३४३।। . विशेष-भतृहरि कृत वैराग्य शतक है।।
१३६ गुटका नं. १२६ । पत्र स० ६ । साहज-७४५३ च ! लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३३३ ।
ब्रह्मदेव कृत आदिनाथ से लेकर सुमतिनाय तक स्तुति संग्रह है।
६३७ गुटका नं-१२६ | पत्र सं० २२ । साइज-७४५ इञ्च । लेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । देशा-सामान्य | वेष्टन नं. ३३३ ।
माषा
हिन्दी
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________________
विषय-सूची
कर्ता का नाम
मावा पदसंग्रह
पं० भूधरदासजी
हिन्दी
, वृधजन पंचमंगल
रूपचन्द पद संग्रह
पं. धानतरायजी ६३८ गुटका न. १३० १ पत्र सं० ३७ । साइज Exk इन् । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३४७ ।
विशेष उल्लेखनीय संग्रह नहीं है।
१३६ गुटका नं० १३१ । पत्र सं० ४० । साइज-६x४ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८७३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३४ । विषय-सूची
मर्जा का नाम कोकशास्त्र शनिश्चर देव की कथा जमाल के दोहे
जमाल कवि निर्वाणकांड भाश
भैय्या भगवतीदास पद संग्रह
१४० गुटका नं० १३२ । पत्र सं० ३६ । साइज-६x४ इञ्च । लेखनकाल ४ ! पूर्ण एवं जीर्ष । लिपि- . विकत । वेष्टन नं. ३४८ !
वशेष---सहस्त्रनामस्तोय एवं पूजा संग्रह है।
६४१ गुटका न० १३३ । पत्र सं० १४ । साइज-६x४ इञ्च । लेखन काल XI पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- - सामान्य । वेष्टन नं. ३४८ ।
विशेष उल्लेखनीय संग्रह नहीं है।
१४२ गुटका नं. १३४ । पत्र सं० ५६ | साइज-६x४ इञ्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य। वेटन नं०३४८। विषय-सूची
कर्ता का नाम हनुमान जति ( मंत्र)
संस्कृत डाकिन का चदावा झाडा देने का मंत्र पुरुषस्त्रीवशीकरणमंत्र
मंत्र संग्रह
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________________
च । लेखनकाल-सं. १८४७ । पूर्ण एवं
१४३ गुट नं० १३५: पत्र सं० २ १ साइज-७४५ शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३४८ |
की का नाम
भाषा
विशेष
मेय परीक्षा
सार को विधि
की विधि पौत का मंत्र
दंड यंत्र विधि अमर ऋद्धिमन्त्र मनी मन्त्र पूजा विधि पर चाण्डालिनि मंत्र मिष मंत्र नाकर्षण मंत्र
11
। । । । । । । । ।
६४४ गुटका नं०१३६ । पत्र सं. १५ । साइज-८४५३ च । लेखनकास-सं० २८५४ जेठ मुदि १४ । पूर्व-प्रारम्भ के पत्र नही है। शुद्ध ! दशा-जीर्ण । बेन्टन नं ० ३४६ । - विशेष-निल कविकृत सामुद्रिक शास्त्र भाषा है । रचनाकाल सं० १७४५ है ।
६४५ गुटका नं०१३७ । पत्र सं.३४ | साहज--x५ इच। लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० ३. |
विशेष-मिलकवि कृत हिन्दी के पदों का संग्रह है। .
१४६ गुटका नं० १३८ । पत्र सं० ६५ । साइज-७६४५ इन्च । लेखनकाल–सं० १८४६ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा सामान्य । वेष्टन नं ० ३४६ |
विशेष-लेखनीय संग्रह नहीं है । जैनबद्री देश की चिठ्ठी २०१८८४ की है 1 .
६४७ गुवका नं० १३९ । पत्र सं० १५ । साइज-६४४३ दश्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-- सामान्य । बेष्टन नं ० ३६० ।
विशेष-उल्लेखनीय संग्रह नहीं है।
६४८ गुवका नं० १४० । पत्र सं. १७ । साइज-६x४३ रन्च । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन ने ३५० |
कर्ता का नाम
माषा
विशेष कवि छीडल
रचनाकाल सं० १५८४
हिन्दी
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________________
Amp47
बावनी
मुनि कल्याण कीर्ति
स्फुट पद्य
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६४६ गुटका नं० १४१ । पत्र सं० १२ | साइज-६६x४, इव । शैखनकाल X । माषा--हिन्दी । अपूर्ण सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३१ । विषय-मची
कर्ता का नाम
माषा श्कान्द
हिन्दी कवित्त
पाकर कवि
"
छप्पय
गंग कवि
..
गुदा
स्फुट पथ
१५० गुटका नं० १४२ । पत्र सं० १३५ | साहज-६४ इव | लेखनकाल x 1 पूर्ण तु सामान्य गर । दशा-नानाम्य । वेष्टन नं. ३५० । विषय-सूची
कर्ता का नाम
माषा चमत्कारचिंतामणि (ज्योतिष) गजजिनेशा-टक यमकबद्भस्तुति नवग्रहस्तवन सुपार्श्वस्तवन
अभाचन्द्र शतिनायस्तुति पार्श्वनाथस्तवन
राजसेन रावणपार्श्वनाथस्तवन
प्रभाचन्द्र देव
सोमसेन कल्यायकीर्ति
पार्श्वनामस्तवन जीरावलि पार्श्वनाथस्तवन नवग्रह स्तवन पार्श्वस्तुति मंगलाष्टक चतुर्विध संघ वर्णन सल्लेखना समाधि मरण
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________________
गुटके ]
:
४ जातियों के नाम
राजवंशों के नाम
नित्य प्रतिक्रमण विधि
पट्टावलि ( बलात्कार गुरावली )
जिनस्तोत्र
भक्तामर स्तोत्र
भूपालचतुर्विंशति
एकीभावस्तोत्र
विषापहार स्तोत्र
इष्टोपदेश
जिनदर्शन स्तवन
श्रुतदेवतास्तवन
शतिनामस्तवन
करुणाष्टक
क्रियाकाण्डचूलिका
एकत्वमात्रना दशक
परमार्थविंशति
सज्जन चित्तवल्लभ स्तोत्र
कलंकाष्टक
काष्टक
वितमणि पार्श्वनाथ स्तवन
सुखमानुप्रेक्षा
समाविशतक
पीकपाण
नाथ स्तोत्र
पद्मावती स्तवन तिविधि
समुखमंडन
ज्योतिष
जिनचंद्र
मानतु गाचार्य
भूपाल कवि
वादिराज
धनंजय
पद्मनंदि
रविषेणाचार्य
-
श्रम रकीर्त्ति
पूज्यपाद
अमरकवि
1 1 1
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ाकत
संस्कृत
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प्राकृत
संस्कृत
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प्राकृत
संस्कृत
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२०७
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________________
१०८
[ गुटके'
अंतराय चर्चा बट मत चर्चा
६५१ गुटका नं. १५३ । पत्र सं० ४३ । साइज-५३४५३ रश्च । लेखनकाल x पूर्ण एवं अशुद्ध | दशा- - जीर्ण । वेष्टन नं.:३७ । लिपि-विकृत ।
भाषा
विशेष -
विषय-सूनी
कता का नाम पीपाजी को परपई पृथ्वीनाथजी को साधुपृच्छा ज्ञानचौतीसी राजा गोपीचन्द के पद ( सबदी) गरीबदासजी के पद
६५२ गुटका नं. १४४। पत्र सं० १६० । साइज--३४५३ इञ्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३५१ । विषय-सूची
कर्ता का नाम
माषा रोहिणी व्रत विधान
विशेष . पंडित तुलसो दक्षणी अष्टक
हिन्दी
स्फुट पद एवं कवित्त सकलीकरण विधि मक्तामर भाषा
संस्कृत हिन्दी
हेमराज ब्रह्म दीप
नाममाला
हिन्दी संस्कृत
श्राध्यात्म बावनी कलिकुण्ड पार्श्वनाथ पूजा सिद्ध पूजा पारस अणुपेक्खा समयसार प्रामृत परमात्मप्रकाश फुटकर कवित
अपभ्रशं
कुन्दछुन्दाचार्म योगीन्द्र
प्राकृत
१५३ गुटका नं० १४५ । पत्र सं• ३४ | साहज-sxe च । लेखनकाल x 1 | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । सामान्य | वेरन नं. ३१२ ।
विशेष-पूजात्रों का संग्रह है। १५४ गुटका नं० १४६ । पत्र सं० ४८ । साइज-३४४ इञ्च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
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________________
गुटके ]
दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ३५२ ।
विषय-सूची
पप संमह
भजित शांति स्तवन
शासनदेवतास्तोत्र
शांतिस्तोत्र
कन्यायामन्दिर स्तोत्र
मायें । लिपि - विकृत | वेष्टन नं० ३५२ ।
विशेष --- मंत्रादि का संग्रह है ।
चर्चा का नाम
• 122
कुमुदचंद्र
६५५ गुटका नं० १४७ । पत्र सं० ४१ | साइज - ३७ च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं अशुद्ध | दशा
चम्यातमबत्तीसी
राञ्चल के पद
सच्चार्थसूत्र
कोक सार
-
भाषा
हिन्दी
प्राकृत
६५६ गुटका नं० १४८ पत्र सं० १४ | साइज ६-५३इन्न । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ३५२ ।
विशेष – उल्लेखनीय संग्रह नहीं है ।
कर्ता का नाम बनारसीदास
- रूपचन्द
66
उमास्वाति
संस्कृत
६५७ गुटका नं० १४६ | पत्र ० ३२ । सहज - १x६ इव । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं ० ३५३ ।
विशेष - स्तोत्र संग्रह है ।
६५६ गुटका नं० १५० | पत्र ४३ साइज -- ५४४ इम्च । लेखनकाल x पूर्ण एवं जीर्ण । लिपिविकृत | वेष्टन नं० ३५३ ।
विशेष – मंत्रादि का संग्रह है ।
::
"
१.
६५६ गुटका नं० १५१ । पत्र से ८० | साइज - ६४६ इ । लेखनकाल- से० १७७८ श्रपूर्ण प्रारम्भ के १० पत्र नहीं हैं । वेष्टन नं ० ३५३ |
विषय-सूची कल्याणमन्दिरस्तोत्र
मक्तामर स्तोत्र
पंचकल्याण
भाषा
हिन्दी
53
१०६.
।
39
विशेष
ג
संस्कृत
ל
ম
Page #132
--------------------------------------------------------------------------
________________
[ गुटक ६६० गुटका नं० १५२ । पत्र सं. १२ । साइज-६x४, रञ्च | लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।। दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३५४ |
विशेष-जिनसेनाचार्य कृत सहरत्रनामस्नोत्र है।
६.६१ गुटका नं० १५३ । पत्र सं० २.८ । साइज-४४३ इम्च । लेखनकाल x | पुणे एवं सामान्य शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन मं० ३५४ ।
विशेष-उल्लेखनीय संग्रह नहीं हैं।
६६२ गुटका नं० १५४ । पत्र सं० २० साइज-६x४ ६ । देवनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० ३५४ ।
विशेष उल्लेखनीय संग्रह नहीं है।
१.६३ गुटका नं० १५५ । पत्र सं० २० । साइज-1४४ इन | लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३४४ ।
विशेष-स्तोत्र संग्रह है।
१४ गुटका नं. १५६ । पत्र सं० ४. | साइज-1४६ इन्न । लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा- । मामान्य । वेष्टन नं० ३१५।
विशेष-पूजा एवं स्तोत्र संग्रह है।
६.६५ गुटका नं० १५७ । पत्र सं० २६ । साइज-x६ । लेखनकाल-सं. १७८४ । 'पूर्ण एवं पामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३५५ । विषय-सूची कर्ता का नाम
विशेष बिनती एकोमावस्तोत्र साधु वंदना मोतपैडी
बनारसीदास एकोमावस्तोत्र बावनी
मोहन
वैद्य लक्षण
बनारसीदास
मवसिंधुचतुर्दशी बावनी चौरासीबोल कल्याणमन्दिरस्तोत्र मक्लामरस्तोत्र माषा
हेमचन्द्र
Page #133
--------------------------------------------------------------------------
________________
कवि वृन्द
गुटके
६६ गुटका नं० १५८ } पत्र सं० २२३ । साइज-८४६१ । लेखनकाल-सं० १८३३ श्राषाढ सुदी १० ॥ क एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३५६ । तीन गुटकों को मिलाकर एक गुटका कर दिया गया है।
कर्ता का नाम
भाषा
विशेष कृद सतसई
रचना सं० १७१२ सामुद्रिक मूल संस्कृत टीका हिन्दी
ले. १९२२ नाममाला गृहहान जातक ताजकसार
सवाई प्रतापसिंह
हिन्दी
कवि शेखर पादशाही समय के प्रान्तों के नाम शकुनसारोद्धार
माणिक्यसूरि
संस्कृत
संस्कृत
हिन्दी
H
६६७ गुटका नं० १५६ ! पत्र सं० ७६ । साइज-६x४३ इश्व | लेखनकाल-म• १८ एवं सं० १८१८ 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा सामान्य । वेष्टन नं० ३५६ ।
विशेष-पूजात्रों का संग्रह है। ।
६६८ गुटका नं० १६० । पत्र, २५ । साइज-६xछ । लेखनकाल X । पूर्ण एक सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३५५। .
विशेष उल्लेखनीय संग्रह नहीं है । . १६६ गुटका नं० १६१ : पत्र सं० १.६६ । साइज-४६x४ इव । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वैप्टन नं० ३५७ ।।
विशेष-दो गुटकों का संग्रह है। विषय-सूची कर्ता का नाम
विशेष हन्दसतसई
कवि वृन्द रासीवोल ( श्वेताम्बर) रात शास्त्र मैरूजी की पाट गीत
भाषा
शनिश्चर कथा बदलकवित पामावलीसी
करपद संग्रह
NATO
Page #134
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________________
११२
[ गुट
हिन्दी
लि. से. १८३
एकीभावरतोष भूषण चौबीसी विषापहारस्तोत्र निर्वाणकांड.माषा निर्वाणमंगल वारहमावना पदसंग्रह नेमिनाभस्तुति जुत्रा निषेध छप्पय कुकविनिंदा
भगवतीदास विषभूषण जगदीश
'रचना १७२६
। । । । ।
त्रिभुवनचन्द
जिनदास
भूधरदास
संस्कृत
छह नस कया पदराग संग्रह मुनीश्वरी की जयमाल विनती संग्रह पनित्यपंचाशिका स्तुति विषापहारस्तोत्र भूपालचौबीसी महालक्ष्मी स्तोत्र परमानन्द स्तोत्र भक्तामरस्तोत्र कल्याणमन्दिरस्तीन ऋषिमंडलस्तोत्र लघु सहस्रनाम सिदनियस्तोत्र एकीमावस्तोत्र भूपालचतुर्विशति विवापहारस्तोत्र तस्वार्थसूत्र कल्याणमन्दिरभाषा
श्रा० मानतुग
कुमुदचन्द्र ।..
देवनं दि वादिराज .. भूपाल कवि :
धनंजय उमास्वाति - बनारसीदास .
HIFF
मसामर भाषा
Page #135
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________________
११३
। गुटकं ]
हिन्दी
मादित्यवार को कया
। । । । । । । । ।
-
-
गयेशाष्टक सीमधरस्वामी स्तवन पार्श्वनाथाष्टक
संस्कृत विजयसेउविजयासतीरास
हिन्दी जोत्पत्ति वर्णन
तिवार को कथा . : जिनमक्ति का पद संग्रह
६७० गुटका नं० १६३ । पत्र सं० ४३ । साइज-३४४३ इन्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन में. ३५८ |
विशेष-हिन्दी के पदों का संग्रह है। . ७१ गुटका नं० १६४ । पत्र सं० ८२ । साइज--३४६ ६म्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं० ३५८ । :. विशेष-मैय्या भगवतीदास की स्फुट रचनाओं का संग्रह है।
७२ गुटका नं० १६५ । पत्र सं० ५० । साइल-३३१ इन्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । पा-सामान्य । चेष्टन नं० ३५८ ।
विशेष उल्लेखनीय संग्रह नहीं है।
६७३ गुटका नं० ९६६ । पत्र सं० ४४ । साहज--४६ दश्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य । बेष्टन नं ० ३५६ ।
विशेष
माषा
का का नाम
संस्कृत
-
-
पलिकडदंड विधि प्रदर रूकने का मंत्र हाँडी बंधन मंत्र गायत्री मंत्र
रामचन्द्र
.
(ब्रह्मांशपुराण से)
सचित्र
बासामालिनी वापंजर यंत्र
INE
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________________
मंत्र घर जयपताका मंत्र यंत्र पूजा होमविधि फुटकर मंत्र संग्रह
१७४ गुटका नं. १६७ । एत्र सं० १३ । साइज-६४६ इन्च । लेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३५४ ।
विशेष-गुगारयान सम्बन्धी चर्चायें हैं ।
६७५ गुटका नं-१६८ । पत्र सं० ५४ | साइज-3x५ इञ्च | लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-सामान्य | वेटन नं० २५४
विशेष-हिन्दी के पदों का संग्रह है।
६७६ गुटका नं० १६६ 1 पत्र सं० १४ | साइज-५४४ इञ्च | लेखनकाल x 1 सामान्य । वेष्टन नं.१४[
विशेष-उल्लेखनीय संग्रह नहीं है |
६७७ गुटका नं० १७० । पत्र सं० १०० । साइज-६४५ इञ्च | लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं०३४८ । विषय-सूची
की का नाम
भाषा शांतिनामस्तोत्र
संस्कृत मक्तामर भाषा
हेमराज
हिन्दी कल्याणमन्दिर स्तोत्र
बनारसीदास विषापहारस्तोत्र भाषा
अचलकीति नेमीश्वर स्तुति तत्त्वार्यसूत्र
उमास्वाति
संस्कृत पंचमंगल
रूपचंद
हिन्दी दृ'द सतसई
वृद कवि ६७८ गुटका नं० १७१ । पत्र सं० ३६ ! साइज ६x६ इञ्च । लेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्धा दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १०० ।
विशेष-मंत्रादि संग्रह है।
६७E गुटका नं० १७२ । पत्र सं० ४६ । साइज-६x४ इञ्च । लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।।। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६१ ।
८० गुटका नं०१७३ । पत्र सं० १६२ । साइज-६x४ इश्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन ने ० ३६१ ।
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________________
भाषा
गुटके ]
१ गुटका नं० १७४ । पत्र सं० ५ ० । साइज-६४५ इज | लेखनकाल x। पूर्ण एवं प्रशुद्ध । दशाजीर्ण । वेष्टन नं० ३६१ ।
विशेष-त्रादि का संग्रह एवं श्रा
६८२ गुटका नं० १७५ । पत्र सं० ४५ । साइज-६x६ इच्च ! लेखनकाल - । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। २. दरा-सामान्य । वेष्टन ने० ३६१ ।
विशेष-श्री रामचन्द्र कृत हिन्दी में रामविनोद है। .
१३ गुटका नं० १७६ । पत्र सं० २७१ | साइज-Ex. ६च 1 लेखनकाल सं० १७२६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन मं० २५८ । विषय-सूची
फर्ता का नाम - . अध्यात्मोपनिषनियोग
हेमचन्द्रसूरि -
संस्कृत - एकादरी नाममाला - चित्रबन्ध दोहा
जोधराज गोदीका
हिन्दी केशरीस्तोत्र
मालामालिनी स्तोत्र - महालक्ष्मीस्तोत्र
प्रश्नोचरस्नमाला भुतबोध
कालिदास पनीश्वरों की सप्लाई व्यसंग्रह
का नेमिचन्द्र चौरासी श्रछादन सामायिक बत्तीस दोष
संस्कृत सोमंधरस्वामी स्तवन निक्रियाकर्म हद प्रतिक्रमण
प्राकृत आचर्य प्रतिक्रमण लयमूस्तोत्र
समन्तभद्र
संस्कृत
संस्कृत
प्राकृत
"
कहानि
.
....... भ. सोमकीर्धि तक
साततिक्रमणपाठ संबंध विनाश भावना -
स्वार्थसूत्र
उमास्वाति
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________________
११६
सामायिकपाठ
स्थावरजीवों की श्रायु
पृथ्वी के भेद षट् द्रव्य वर्णन
सप्ततत्त्ववर्णन
शठशलाका पुरुष वर्णन
तीन लोक रचना
कम विवरण
पंचषष्टी अतिचार
तत्त्वादि वर्णन
परमसुखद्वात्रिंशिका
परमानंदलक
अष्टप्रकार पूजा
अध्यात्मस्तवन
नाभिकमल अध्यात्मप्रकाश
दश दृष्टांत काव्य
पार्श्वनाथ स्तोत्र
वस्तुसंख्या
वस्तुविज्ञान रत्नकोश
बादशाहों की श्रायु वर्णन
सूर्यसहस्रनाम
पंचरतबन
पद्मप्रभुवाजस्तवन
एन्दप्रभस्तवन
यंत्रादि सचित्र
शांतिनाभस्तवन लघुचाणक्य नीतिशास्त्र
वृहदचाणक्य नीतिशास्त्र
चाणक्य
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हिन्दी
संस्कृत
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[ गुटके
लिपि स० १६४०
लिपि १६६७
सं० १६६२.
६६४ गुटका नं० १७७ | पत्र सं० १६० | साइज - १०७३ दश । लेखनकाल X ! अपूर्ण प्रारम्भ के पत्र नहीं हैं । सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन ० २६१ | विशेष - पूजा संग्रह एवं बनारसीदास कृत समयसार हैं ।
ran
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________________
सुटके ]
६५ गुटका नं० १
समान्य शुद्ध दशा- सामान्य बेटन नं. ३३१ ।
देश दशा सामान्य वेष्टन नं० ३६१ ।
विशेष पूजा पाठ संग्रह है।
विशेष सवालों के गोत्रों की सूची एवं उनका सामान्य परिचय है। ६२६ गुटका नं० १७६० १०६ साइज
६८७ गुटका नं० १८०० १२०० लेखनकाल पूर्ण पूर्व सामान्य शुद्ध सामान्य वेष्टननं० २८० |
विशेष किसने ही रोगों के नमखे दिये हुये है। शरम्भ और अन्त में कुछ मंत्र मोदिये है जिनसे भी रोगों की शांति होती हैं ।
विषय-सूची
सिकमिया
CURसमा 'जन
गार प्रम
गुटका नं० ११ पत्र सं०-६० लेखनकाल पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य वेष्टन नं० २०५ ।
११७
० ३० साइज १०० लेखन सं० १८८२ पूर्व एवं
दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २५५
विशेष – पद संग्रह है।
दिशा - सामान्य । वेष्टन नं ० २५४ ।
विषय-पूची
लेखनकाल- सं० १७०४ पूर्व एवं सामान्य
कर्ता का नाम केशवदास
विशेष उल्लेखनीय संग्रह नहीं है ।
शुद्ध दशा- सामान्य वेष्टन नं० २५४ | I
चिंतामणि
गुटका नं० १८२० ३२१११ लेखनकाल X पूर्य एवं सामान्य शुद्ध
भाषा
हिन्दी
६६० गुटका नं० २०३ पत्र ०६६-१३५ इस लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
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६६१ गुटका नं० १८४ 1 पत्र सं० ७३ | साइज - ५३५ इन्च | लेखनकाल X | अपूर्ण प्रारम्भ के पत्र नहीं हैं। दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २५४ ॥
विशेष पूजा पाठ संग्रह है।
Addr
कर्ता का नाम मनोहरदास
विशेष
६६२ गुटका नं० १८५ पत्र २७ साइज ४३५ इञ्च लेखनकाल सं० १८२१ पूर्व एवं सामान्य
भाषा
हिन्दी
विशेष
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________________
११८
[गुटो
खंडेलवालजाति उत्पति वर्णन मट्टारत पट्टावलि
बिरोष
६६३ गुटका नं. १८६ । पत्र सं० २० 1 साज-१.xs | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा सामान्य । वेष्टन नं० १४५ ।
विशेष-गुटके में मंत्रादि का संग्रह है।
६६४ गुटका नं० १८७ । पत्र सं. ७५ | साइज-४६ इन 1 लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-जोर्स ! वेष्टन नं० ३४७ |
विशेष-२० प्रकार के साधरण मंत्र हैं कुछ नुसखे भी हैं।
६६.५ गुटका नं०१८ पत्र सं० ६० | साइज १४ च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं अशुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं. १४३ । विषय-सूची
कर्ता का नाम
मापा पद संग्रह
जगतराम औषधादि संग्रह
" अलग २ नुसखे दिये हुये है। ६६६ गुटका नं० १८६ | पत्र सं० १७४ । साइज-६x४, इन | लेखनकाल | पूर्ण एवं प्रशुद्ध। दशा-सामान्य । लिपि-विकृत । वैप्टन नं. १७४ ।
विशेष-मंत्रादि का संग्रह है।
६६७ गुटका नं० १६० । पत्र सं० १६. 1 साइज-:४४ च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन ने १४ । विषय-सूची
कर्ता का नाम
माषा श्रावकों के ८४ गोय
हिन्दी पद संग्रह मक्तामर भाषण
हेमराज चौबीस ठाणा की गाया
प्राकृत नरकों का यंत्र
विशेष
हिन्दी "मित्र तो धर्म सनेही की ज्य।
खएडेलवालों के चौरासी गोत्रों के नाम खण्डेलवालों की उत्पत्ति वर्णन पद संग्रह चौबीसदसडक चौपई बका और श्रोता के गुण
दौलतरामजी
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गुटके ]
पदसंग्रह
वनाभिराजा का वैराग्य
लक्ष्मीस्तोत्र
पदसंग्रह
राजुल पच्चीसी
मन ज्ञान का संग्राम
आगम मंगल
मेघकुमार की विनती
पद व सजन संग्रह
लालचन्द
-
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29
19
दशा- सामान्य ! वेष्टन नं० १६४ ।
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विशेष ---- हेमराज कृत हिन्दी में चौरासी बोल है।
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६६८ गुटका नं० १६१ । पत्र सं० १४२ | साइज - ६४३३ ख | भाषा - हिन्दी । लेखनकाल- सं० १८८३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा- जी । केष्टन नं० १७७१
विशेष – गुटके में पूजा और स्तोत्र संग्रह हैं ।
११६
६६६ गुटका नं० १६२ | पत्र सं० २० | साइज - ६x४ च । भाषा - हिन्दी । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- जीर्णे । वेष्टन नं० १७७ ।
विशेष-- उल्लेखनीय संग्रह नहीं हैं ।
१००० गुटका नं० १६३ | पत्र ० ६० | साइज - ६x४ इञ्च | भाषा - हिन्दी । लेखनकाल x । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - जीर्ण । वेष्टन नं० १७७ ।
विशेष – हिन्दी के पदों का संग्रह हैं ।
१००१ गुटका नं० १६४ । पत्र सं० ६० | साइज - X४ इन्च | लेखनकाल X। पूर्ण एवं शुद्ध । प्रति नवीन है । वेष्टन नं० २०६. ।
विशेष – पूजा पाठ संग्रह है ।
१००२ गुटका नं० १६५ | पत्र सं० ३ | साइज - X४ च । भाषा-संस्कृत । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २०६
१००३ गुटका नं० १६६ । पत्र सं० ५ | साइज - ३४४ इम । लेखनकाल x । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- जीर्ण वेष्टन नं० २०६ ॥
1
२००४ गुटका नं० १६७ पत्र सं० ६ | साइज - १X५ इव । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
१००५ गुटका नं० १६ । पत्र ०४ साइज - ६x४३ इञ्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दिशा - सामान्य । वेष्टन नं० १६४ ।
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________________
{ गुटके १९५६ गुटका - १६ । पत्र सं. 20 | साइज- x इम | लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं ११४
१८८७ गुटका नं० २००। पत्र सं. १ । साइज-७६४५ इन्च । लेखनकाल x) पूर्ण एवं शुद्ध।। दशा-सामान्य । बेन्टन २० १६४ ।
१००८ गुटका नं.२०१ । पत्र सं० २८७ । साइन-5xइन । लेखनकाल-सं० १६६६ | अपूर्ण-प्रारम्म के १६४ यत्र नहीं हैं । सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. ३६२।।
विशेष--गुटके में पूजा एवं स्तोत्र संग्रह है।
१८०६ गुटका नं० २०२। पत्र सं० २ | साइज-१४५३ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य । शुद्ध । दश-सामान्य । वेष्टन नं ० ३६३ ।
विशेष-पूजा पाठ संग्रह है।
१०२० गुटका नं० २०३ । पत्र सं० ३६ । साइज १४४३ इश्च । लेखनकाल-सं. १८३२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३६२ ।
विशेष-उल्लेखनीय पाठ नहीं है ।
१०११ गुट का नं० २०४ । पत्र सं० २४० । साइज ६x४ च । लेखनकाल x | अपूर्ण-प्रारम्भ के १५ पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३६२ । विषय-सूची
कर्म का नाम
माष। ब्रह्माण्डपुराण मल्लारिकवच भल्लारिसहस्त्रस्तोत्र सुन्दरलहरी महिमाख्य स्तोत्र धानन्दलहरी
शंकराचार्य त्रिप्रपराध स्तोत्र
पुतदंगचाय . शंकराचार्य पांडवर्गाता
पांडव शिवाष्टक हरनाममाला मंगलाष्टक गंगाष्टक
शंकराचा रामचन्द्र स्तुति
संस्कृत प्रश्नाचरत्नमाला
शकराचार्य
विशेष
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________________
१२१
मनिजतत्त्वप्रकाश
संस्कृत मयादि संग्रह
१०१२ गुटका नं०२०५ | पत्र सं० ३० । साइज-६x४ इन लेखनकाल x | भाषा-संसत सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन २०६३ ।
शेष-पूजा पाठ संग्रह है।
१०१३ गुटका नं० २८६ । पत्र में. ६ ! | साइज-ix: इञ्च । लेबनकाल X | भाया-हिन्दी । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं०३६।
१.१४ गुटका नं० २०७ । पत्र में० ५४ । साइज-xi इव । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । श्रेष्टन नं. ३ ।
विशेष—पद संग्रह एवं आयुर्वेदिक नुसखों का संग्रह है।
१८१५ गुटका नं० २०८ । पत्र सं० = I साइज-:४३ इन्न । लेखनकाल X} पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन नं० २६३ ।
विशेष-उल्लेखनीय संग्रह नहीं है ।
१८१६ गुटका नं० २०६ ) पत्र सं० २६ । साइन-ix४ च । लखनकाल ४ | पूण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३६४ |
१८१७ गुटका नं. २१० । पत्र , २५ | साइज =X४ इन्न | लेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । लिपि-विकृत । वेटन नं ६५ |
विशेय-फुटकर पद व स्तुति संग्रह है।
१.१८ गुटका नं० २११ । पत्र सं १५ | साइज-X४ इन्न । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६५ ।
१०१६ गुटका नं० २१२ । पत्र सं० ८ साइज +x५ इन्न । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । पशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६५।।
१०२८ गुट का नं. १३ । पत्र मं० १८ । साइन-६४७ इञ्च । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । रा-सामा य । श्रेष्टन नं०६५ ।
विशेष---उल्लेखनीय संग्रह नहीं है ।
१०२१ गुटका नं० २१४ । पत्र सं० २७ । साइज-६४७ इञ्च । लेखनकाल x 1 अपूर्ण-प्रारम्म के २ पत्र जहाँ हैं । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० ३६६ ।
विशेष पूजा संग्रह है।
१०२२ गुटका नं० २१५ । पत्र सं० ३५ । साइज-५४६ इन्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन नं० ३६६ ।
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________________
१२२
विशेष - भक्तामर स्तोत्रमंत्र
है।
१०२३ गुटका नं० २१६ । पत्र सं० २७ | साइज - x इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ३६६ ।
विशेष उल्लेखनीय संग्रह नहीं है ।
१०२४ गुटका नं० २१७
सामान्य | वेष्ठन नं० ३६६ |
विषय-सूची
पंचपरमेष्टी स्तवन
विशेष - श्रभयनन्दि कत स्नपनविधि हुई है।
० ३ । साइज - ३x६ इ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दश
१०२५ गुटका नं० २१ पत्र मं० २० साइज - १x६ इस । लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य | वेष्टन नं० ३६७॥
विशेष कल्याणमन्दिरस्तोत्र तथा भक्तामर स्तोत्र ऋद्धि मंत्र सहित हैं ।
१०२६ गुटका नं० २१६ । पत्र सं० १० | साइज - ६ : इव । लेखनश्चल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य | वेष्टन नं ० ३६७ ।
विशेष-पद व स्तुति संग्रह हैं।
१०२७ गुटका नं० २२० | पत्र मंत्र १०० | साइज - ८५ इन्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- जीर्ण । वेष्टन नं० ३६७ ।
विशेष पूजा संग्रह है।
१०२८ गुटका नं० २२१ । पत्र मं० २६६ | साइज - x५ इन्च । लेखनकाले । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं ० ३६८ |
ate विचार
अंगस्पंद विचार
शुभशकुन विचार
यात्रा प्रकरण विचार
स्वर विचार
जिनसहस्रनाम स्तोत्र
चक्रेश्वर स्तोत्र
ज्वालामालिनी स्तोत्र
चिंतामणी पार्श्वनाथ स्तोत्र
ऋषिमंडलस्तोत्र
कर्ता का नाम
श्राशावर
गौतम स्वामी
31
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25
भाषा
ाकत
संस्कृत
12
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17
37
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गुटके ]
पावतीस्तोत्र
पिंजरस्तोत्र
. पटचत्वारिंशतऋद्धिस्तोत्र
खघुसहस्रनामस्तोत्र
स्वयंभू स्तोत्र
सिद्धप्रिय स्तोत्र
दर्शनप्रभृत
दोहाष्टक
नवरलकाव्यचन्यय
मालन विधि
भारतीस्तोत्र
निरंजनस्तोत्र
श्रावक दीक्षा पटल
भारती अष्टोत्तर शत नाम
चौरासी जाति की जयमाल
पंडित जयमाल
देवागम स्तोत्र
गायत्री (वैष्णव )
शनिस्तोत्र
बृहस्पतिस्तोत्र
पंचपरमेष्ठिस्तोत्र
चैत्यवंदना
प्रायश्चित विधि
33
जिन मंगलाष्टक
सरस्वतीस्तोत्र
गृहशांतिस्तोत्र
बैनरक्षास्तोत्र
षद्ध मानाष्टक
महालक्ष्मीस्तोत्र वालामालिनीस्तोत्र
---
कमल प्रभापूरि
आ० समन्तभद्र
देवनंदि
प्रा० कुन्दकुन्द
,
श्र० समंतभद्र
एकसंधि
जिनसेनाचार्य
सिंहनंदि
मद्रबाहु
संस्कृत
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37
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हिन्दी
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संस्कृत
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हिन्दी
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संस्कृत
संस्कृत
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RARARA
१२३
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[ गुदई
शांतिनाथाष्टक नत्रकारमंत्र ऋद्धि मंत्र सहित लक्ष्मीस्तोत्र महालनीप्रभावकन्तोत्र जैनस्यावाद मत गायत्री मंत्र विधान त्रिपुरसुन्दरीस्तोत्र अन्नपूर्णास्तोत्र गुरावली स्वस्त्पनविधान ज्योतिषसागेदार श्रादित्यस्तोत्र
वेदव्यास
चन्द्राष्टक . मंगलस्तोत्र बुधस्तोत्र वृहस्पतिस्तोत्र शुक्रस्तोत्र शनिस्तोत्र सूर्यस्तोत्र वृहत्स्वयंभूस्तोत्र पार्श्वनाथारक
१०२६ गुटका नं० २२२ | पत्र सं० २५-७ । साइज-४४ इन्च । लेखनकाल-सं. १८१० । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६८ । विषय-सूची
कर्ता का नाम
भाषा
विशेष ज्ञानचिंतामणि
मनोहरदास
हिन्दी 'पापीडा' गीत प्रेम सोनी
रनना सं. 10 बावन वचन भट्टारक पट्टावलि पातिस्याही को न्योरा श्रामेर के राजा की वंशावलि चन्द्रगुप्त के सोलहस्वप्न चार मित्रा की कथा
। । ।
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शास्त्र--भण्डार श्री दि० जैन मन्दिर बडा तेरहपंथियों ( जयपुर )
ग्रन्थ
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विषय-सिद्धान्त एवं चर्चा
अन्य संख्या-२५२ १ श्रावश्यक चूणि......"। पत्र सं० ४-३: । साइज-१०४४ इन्च । भाषा-प्राकृत । विषय-मानम | (चनाकाल X । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-उत्तम | वेष्टन नं. १४६ ।
२ आवश्य सहत्ति ......"| पत्र सं०:५२-३६५ । साइज-११३४४ इञ्च | माषा-प्राकृत । - श्रागम | रचनाकाल X | लेखनकाल सं०-१५२३ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दश-जीर्ण । वेटन नं ० १४ ।
विशेष-प्रति सटीक है । टोका संस्कृत में है।
जिनहर्ष सूरि के उपदेश से मंडपदुर्ग निवासी साह मंडलिक, साह इंडपा, साह कुरुपाल श्रादि श्रावकों ने इस प्रय की प्रतिलिपि कात्राई थी ।
३ श्रावश्यकहबृत्ति..."। पत्र सं० ४५ ० । साइज-१०x४३ इञ्च । भाषा-प्राकृत-संस्कृत । विश्यपागम ! रचनाकाल x ! लेखनकाल x | अपूर्ण । सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० १३४ |
४ आवश्यक सूत्र......"पत्र सं० १४-३७ । साइज-१.१४४३ इञ्च 1 भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धान। रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १५.७८ ज्येष्ठ सुदी ११ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७१।
विशेष-प्रति प्राचीन है।
५ अावश्यकालंकारवृत्ति... | पत्र सं. १२६-१७ | साइज-११३४४३ इञ्च ! माषा-संवत । विषय-सिद्धात । रचनाकाल ४ । लेखनकाल ४ | अपूर्ण । दशा-सामान्य एवं शुद्ध । वेष्टन नं० १४४ । ।
६ आश्रवत्रिभंगी-नेमिचन्द्राचार्य । पत्र सं० १५ । साइज-११४५ इन्च | भाषा-प्रायत । विषय-सिद्धाल ! - रचनाकारत X । लेखनकाल X । पूर्ण । शुद्ध । दशा-उत्तम । वेटन नं० १३५ ।
७ उत्तराध्ययनसूब....'! पत्र सं० २२-६१ । साइज-१०४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत | विषय-प्रागल । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ | थपूर्ण । दशा-जीर्ण एवं शुद्ध । वेष्टन नं० १७६ ।
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[ सिद्धान्त ___ = उत्रिभंगी.........। पत्र सं० २७ । साइज---१x६ इश्च । भाषा-हिन्दी । विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७७ ।
६ श्रोधनियुक्त्य वचरि........ | पत्र सं० ३१ । साइज-१४३४४ च । भाषा-संस्कृत 1 विषय-आगम । रचनाकाल X | लेखनफाल x | पूर्ण । दशा-सामान्य एवं शुद्ध । बेष्टन नं० १५६ ।
१० कर्मकांडटीका-मूलका था. नेमिचन्द्र-टीकाकार-मुमतिकोतिं । पत्र सं ८ । साइज-२११४४३ च । भाषा प्राकृत-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त । टीकाकाल-सं० १६२० । लेखनकाल–२० १८५४ चैत्र चुदी ५ । पूर्ण । शुद्ध । दशा-उत्तम । वेग्टन नं० १२३ ।
विशेष-५० सदासुखजी ने निगोल्यों के मन्दिर ( जयपुर ) में सं० १८६६ बैशाख बुदी ६ को प्रतिलिपि की भी।
११ प्रति नं २ पत्र सं० २-४- | साइज-१०३४४६ इन्न । लेखनकाल–२० १ ५८६ शाग्य बुदर्दी ८ । पूर्ण-प्रथम पत्र नहीं हैं । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० २२४ ।
विशेष-द्रप्रस्थनगरे तन्मध्ये जयसिंहपुरा नाग्नि तत्र पातिसाह मुहम्मदसाह राज्यमवर्गमाने..."मांत्रसा गोत्र, मूल चंपापुरी वास्तव्ये साह बिहानैदास.......साह सुखरामजी इदं पुस्तकं लिखाप्य हकीत्त ये शिष्य मायाराम सदाराम मनराम पठनाय दत्त
१२ प्रति नं. ३ । पत्र सं० ४-५ | साइज-१०x४, इछ । लेखनकाल X | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशाउत्तम । वेष्टन २२५ ।
१३ प्रति नं. ४ । पत्र सं० । । साइज-१२४५१ इञ्च । लेखन काल ४ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-जाणं । वेष्टन नं० २२६ ।
४ कर्मकांड भाषा-हेमराज 1 पत्र सं० ८१ साइज-०४६ इञ्च | भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-सिद्वान्त । रचनाकाल x : लेखनकाल X पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम | वेधन नं. १२ ।
१५ प्रति नं० २१ पत्र सं० ५.६ । साइज-११३४५६ इञ्च । लेखन काल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० २२८1
१६ प्रति न० ३। पत्र सं० ५७ । साइन-१०६x४३ ४ | लेखनकाल–सं० १.२१ कार्तिक सुदी ७ . पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २२९ । ___ विशेष-कोटा निवासी श्री समरथ के पुत्र साह महेश श्रोसवाल ने ग्रथ को प्रतिलिपि करवाई थी।
१७ कर्मप्रकृति-प्राचार्य श्री नेमिचन्द्र । पत्र सं० १८ । साइज-६x४, श्च । माषा -प्राकृत । विषयसिद्धान्त । रचनाकाल x | लेखनकाल–सं० १७०२ फाल्गुण शुक्ला २ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा--सामान्य । वेष्टन नं०६।।
विशेष-श्री चारुकोर्ति ने जोधा (जोधरराज) के पास मंच की प्रतिलिपि करवायो यो।
१८ प्रति नं०२। पत्र सं० १५ । साइज-११४४३ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा--जीर्ण। । देण्टन नं० २३७ ।
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सिद्धान्त 1
१२७
१६ प्रति नं ३ | पत्र सं० २० | साइज - ११ इव । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । रन नं० २६८ |
२० प्रति नं ४ | पत्र ०६ | साइज - ११४४३ इञ्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | देन नं० २३६ |
२१ प्रति नं ५ | पत्र सं० २४ । साइज - १०० ३ इस । लेखनकाल - सं० १६५७ चैत्र सुदी १२ | पूर्ण | सामान्य शुद्ध दशा- जीर्ण | वेष्टन नं ० २३६ |
१७१ साइज १०x४५ इञ्च । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य |
२२ प्रति नं० ६ । पत्र सं
वेष्टन नं० २३६ ।
२३ प्रति नं० ७ | पत्र से० १४ । साइज - १२४४५ इन्च | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य ।
प्टन नं० २४० ।
२४ प्रति नः । पत्र सं० २१ | साइज - २००४ च । लेखनकाल - सं० १६३६ माघ बुदी २ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं ० २४० |
विशेष – कहीं २ संस्कृत में शब्दार्थ दिये हुये हैं ।
२५ प्रति नं० ६ । पत्र सं० ११ | साइज - १९९५ | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशासामान्य | वेष्टन नं० २४० ।
पूर्ण
२६ प्रति नं० १० । पत्र सं० ११ | साइज - १०x४३ । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
सामान्य | वेष्टन नं० २४१ ।
२७ प्रति न० ११ । पत्र सं० १४ | साइज - १२९५ १ । लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध |
- सामान्य | वेष्टन नं० २४१ ।
२० प्रति नं० १२ । पत्र सं० १३ | साइज - ११३४५३ इत्र | लेखन काल - सं०
सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २६५ ।
२६ प्रति नं० १३ | पत्र सं० ११ पूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं०
१७५५ उयेष्ठ बुदी ४ ।
साइज - १२५३ ६श्व । लेखनकाल - सं० १० ११ माह सुदी १० । २४२ ।
३० प्रति नं० १४ । पत्र सं० ११ | साइज - ११९५ इ । लेखनकाल । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा
उत्तम | वेष्टन नं० २४२ |
पत्र सं० ३४ | साइज - ११४४ च । भाषा - संस्कृत | विषय - सिद्धान्त |
३१ कर्म प्रकृति टीका रचनाकाल x १ लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं सामान्य शुरू | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २४३ ॥ ३२ कल्पसूत्र | पत्र ० ३-६६ | साइज - १०३४६ च । भाषा - प्राकृत | विषय - श्रागम । चनाकाल x | लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । जीण । वेष्टन नं ० २४६ ।
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१२८
animiliaNEEMAKER
३३ कल्पसूत्र भापा..""| पत्र सं0 115 | साइज-!x५ च । भाषा-हि दी ( गुजरातो मिमित विषय-यागम | पिनास X । लेखनकाल-. १८३२ | अपूर्ण-प्रारम्भ के ५ पत्र नहीं है। सामान्य शुद्ध । दश सामान्य । वेष्टन नं० २४०
३४ क्षपणासार-प्राचार्य नेमिचन्द्र । पत्र सं० ११२ । सारज-११५४५५ इञ्च । माषा-प्राकृत । विषय सिद्धान्त । रचनाकाल X । लेखनकाल X 1 अपूर्ण-1 से ५२ तक के पत्र नहीं हैं । शुद्ध | दशा-सामान्य । बेष्टन नं० २५.
विरे-नाथचन्द्र विद्य कृत संस्कृत टीका सहित है ।
३५. प्रति नं० २। पत्र सं० १.०७ । साइज-११:४५, इञ्च । लेखनकाल x | अपूर्णं । सामान्य शुद।। दशा-सामान्य | देन नं० २६२ (क)।
___३६ प्रति न० ३ । पत्र सं० ५ ० | साइज-११x१ इञ्च । लेखन काल ४ । अपूर्ण एवं सामान्य युद्ध ।।। दशा-सामान्य । मन . २:।
विरे.प–शान्तिनाय कृत संस्कृत टीका सहित है।
३७ खंडग्दर्विशिकावृत्ति-पुसकी.....। कृतिकार-श्री मनसिंहरि । पत्र सं० : | साइज-१०४४५ इन्च ।। भाषा-ऋत-संतक । विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल x; लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामा-1 वेष्टन ०१
__३८ नोमसार (जीवकांड)-पा० नेमिचन्द्र । पत्र सं० ४६ । साहज-३४६३ इन्च । भाषा-प्राकृत । । वैश्य-निवन्त । रचनाकाल X । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तन । वेष्टन नं ० ३६० ।
विशेष-- प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है।
३६ प्रति ०२१ पत्र सं० २२ । साइज-११४५ इञ्च | लेखनकाल X | अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य 15 वेष्टन ०३:01
४० प्रति नं. ३ । पत्र सं. ७ : । साइन-१:४५ ८ । लेखनकाल X | अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य ! . बेष्टन में० २०
४१ प्रति न ४ । पत्र सं. 11:-: (फुटकर पत्र)। साइज-१०३४४३ इञ्च । लेखनकाल x | अपूस एवं अशुद्ध । दशा-जाणे । वेटन नं० २२० ।
४२ प्रति ०५। पत्र सं० २६-८८ | साइज-१०४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत | विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल X | लेखनकाल-सं० १५५४ ज्येष्ठ सुदी २ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण शीर्ण । वेष्टन नं० ३२१ | .
विशेष-स्नकीति के शिष्य ब्रह्म रतन ने प्रप की प्रतिलिपि की थी ।
४३ प्रति २०६। पत्र सं. १07 1 साइज-१९४७ इञ्च | लेखनकाल-सं० १८८७ पोष सुदी 11 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३२२ ।
विशेष – कर्मचन्द साइ के पुत्र इन्द्रचन्दजी गोधा गांधी बोसवाल ने सवाई जयपुर में प्रथ की प्रतिलिपि की मी । ।
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४४ प्रति नं० ७ । पत्र सं० २४-१०६ | साइज - १२X४३ इञ्च । लेखनकाल - सं० १५८३ भादवा सुदी ५ | अपूर्णं | दशा-सामान्य | वेष्टन नं० ३२१ |
विशेष प्रति सटीक हैं । टीका संस्कृत में है। चंपावती में प्रतिलिपि हुई थी । .
११
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निं०
सामान्य | वेष्टन नं ० ३२६ |
विशेष - प्रति टीका सहित हैं । टीका संस्कृत में हैं । पत्र सं० ६३ | साइज - १६६
४६ प्रति नं०
दशा- सामान्य | वेष्टन नं ० १५१ ।
दशा सामान्य । वेन्टन नं० ३२७ |
१ -५ इन्च | लेखनकाल x | पूरी एवं शुद्ध । दश!
विशेष – फुटकर पत्रों का संग्रह है । हिन्दी अर्थ सहित हैं ।
४७ प्रति नं ६ | मंत्र सं० २७२ | साइज - १०x४ इञ्च | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध |
मं
विशेष – प्रति सटीक है। टीकाकार भयचन्द्रमूरि
-
सामान्य । वेष्टन नं ३२८ ।
इश्छ | लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
..
४५ प्रति नं० १० | पत्र सं० १२३ | साइज - १२५३ इम् | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध दशा
विशेष – संस्कृत में श्रन्वयार्थं दिया हुआ है।
४६ प्रति नं० ११ । पत्र सं० ५० | साइज - १०४ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य । वैष्टन नं ३२ |
५० प्रति नं० १२ | पत्र सं० ७८६ | साइज - १३४५ इन्च । लेखनकाल- सं० १५७६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ३३० |
विशेष प्रति सटीक हैं। टीकाकार-मयचन्द्रसूरि है । प्रतिलिपि नागपुर नगर में हुई थी । खण्डेलवाल जाति उत्पन्न पाउनी गोत्र वाले श्री लूना के पुत्र भरत एवं पौत्रादि जिनदास श्रादि ने प्रतिलिपि करवाई थी ।
५१ प्रति नं० १३ । पत्र सं० २६५ । साइज - १२÷४६ इञ्च । लेखनकाल X | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दुशा- सामान्य । वेष्टन नं० ३३१ |
विशेष – प्रति सटीक है। टीकाकार श्री सुमतिकीति है ।
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५२ प्रति नं० १४ । पत्र से० ५२६ | साइज - १३७ इञ्च । लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य | वेष्टन नं ० ३३२ |
1
विशेष - प्रारम्भ के ४ पत्र फिर लगाये गये हैं । प्रति सटीक है।
५३ गोम्मटसार (कर्मकांड ) - श्राचार्य नेमिचन्द्र | पत्र सं० १२६ | साइज - १२० इन्च | भाषा - प्राकृतं
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१३०
JANVAR
विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल X! दार काल-सं० १ - ७ महासुदो ७ । पूर्ण एवं शुद्ध : दशा-सानाय । वेटन २० ३२
विशेष -दन्द्रचन्द्र के त्रिचन्द्र बोसवाल ने मकसूदाबाद में अन्य लिखवाया था।
५४ प्रति नं । ल . २६६ । साइज-१०४४३ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण ; शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं. ३२४ ।
विशेष-प्रति सटीक है. कला-संस्कृत में है । टोका का नाम तत्त्रप्रदीपिका है।
५५ प्रति नं०३। ०१:-३७६ | साइज-२४२ इन्च । लेखनकाल X । प्राय एवं सामान शुद्ध | दशा-सामान्न । वेष्टन नं. :::।
विशेष-प्रति सटीक है :का का नाम तत्त्वदीपिका है ।
५६ गोम्मटसार (क ) भाषा"....."। पत्र सं० ११३ । साज-१२४५६ इन्न । माषा-हिन्द । विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल X । बस्नु x | अपूर्ण सामान्य शुद्ध । दशा सामान्य ! बेटन नं ०३:५।
५७ गोम्मद सार भाषा-- पं० टोडरमला । पत्र सं. ८६ | साहस-१२४३ इन्च | भाषा-हिन्दी | गद्य । विषय-सिद्धान । रचनाकाल-नं .१८ १ लेखनकाल–सं० १८४० । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य | वेष्टन ! नं. ३६६
५८ प्रति नं. २ । पत्र, १४ | साइज-६४८३ इन्च । लेखनकाल X । अपूर्ण-स्फुट पत्रों का संग्रह। सामान्य शुद्ध | दशा सामान्य | वेष्टन - २३८ |
____५६ प्रति नं० ३ । पत्र , २६ । साइन-१२४७ इन्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ।। वेष्टन न० ३३७।
विशेष-जीवकार की भाषा
६० प्रति २०४। पय पं. ८३ । साइज-१४x७३.१च । लेखमकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उनम।। वेष्टन नं.३३४ |
विशेष-जोत्रकांड भाषा है।
'६१ प्रति नं०५। पत्र सं. ३५६ । साइज-५४७ इन्च | माषा-हिन्दी । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा--उत्तम । वेष्टन नं० ३३४॥
६. गोम्मटसार संदृष्टि-महापंडित टोडरमलजी । पत्र सं० १२५ ! साइज-१०३४७ इन्च । माषा-हिन्दी गध । विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल x | लेग्युनकाल-सं० १८८४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३३९ ।
विशेष-श्री नाथूलालजी गोधा ने इस ग्रन्थ को बड़े मन्दिर में चढाया था।
- ६३ गोम्मटसार भापा"....."| पत्र सं० १९७ / साइज-१२४६३ इञ्च । भाषा-प्राकृत-हिन्दी। विषय सिद्धान्त ! रचनाकाल X । लेखनकाल x | अपूर्ण-आगे के पत्र नहीं है । शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३४० |
विशेष-सम्यग्ज्ञान चन्द्रिका संसत टीका की हिन्दी टीका है ।
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सिद्धान्त
१३१
Animadity
hindimbirthd
६४ गोम्नटसार (कर्मकांड ) भाषा-मूलका-श्री नेमिचंद्राचार्य ! भाषाकार-पं० हेमराज 1 पत्र सं. =५ : माइज-:४५६ इञ्च | भाषा-हिन्दी (गद्य) । विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल x 1 लेखनकाल-सं० १.१७ प्राप्तोज बुदी ११ । पर्ण एवं शुद्ध ! दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० ३४१ ।
विशेष-श्रीकल्याया पहाड्या ने अन्य को रामपुर में लिखवाया था।
६५ प्रति नं०२। पत्र सं... । साइज-१२४२, इन्न । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान ! वेन. ३४२ ।
६६ चतुर्दश गुणस्थान भाषा-अखयराज । पत्र सं० ५१ । साइज--१२४६३ रन । भाषा-हिन्दी | विषय-- चनी । रचनाकाल x | लेखन काल ४ । अवणे -प्रारम्भ के २ तथा अन्तिम पत्र नहीं है । वेष्टन नं0 3८ : 1
६७ प्रति ०२ । पत्र सं० ६.१ । साइज-१.०४६ इञ्च । 'लेखनकाल-सं, १७६।। पूर्ण एवं शुद्ध E. दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. ३८४ । ६प्रति नं. ३ ० ७२ : ना..:
टगाल-सं० १७३१ चैत्र सुदो । ___अपूर्ण-प्रयम पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३१७ ।
विशेष-राइमल्ल के पुत्र श्री विहारीदास द्वादका ने महात्मा गरसो के पास लिखवाया था। - ६६ गुणस्थानचर्चा..... पत्र सं १०४ ! साइज-१४४८ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषय-चर्छ । चना' काल x | लेखनकाल–सं. १८५० माह बुदी २ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ने० ३१८ । "
विशेष-विषय का वर्णन अंकों में किया गया है । सांगानेर में गोदोकों के मन्दिर में प्रतिलिपि हुई थी।
७. चरचाशतक-धानतराय । पत्र सं० ८७ ! साइज-१२३४५६ इञ्च । माषा-हिन्दी । विषय-चर्चा । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ४.७१
विशेष- चरचा शतक के हिन्दी पद्यों का अर्थ श्री हरजोमल पानीपत वाले का दिया हुआ है ।
७१ प्रति नं. २१ पत्र सं० ४१ । साइज १३x८ इश्व ! लेखनकाल सं० १६० । अपूर्ण-प्रारन्म के २० पत्र नहीं है । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं० ४०६ ।
७२ चरचासमाधान । भूधरदासजी । पत्र स० 1 साइज-१२४५३ । भाषा-हिन्दी । विषय-चर्चा | रचनाकाल-सं० १८०६ । लेखनकाल-सं० १८१५ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य ! वेष्टन नं ४०८ ।
विशेष-सामाप्ति के पक्षात् यह लिखा हुआ है कि भूधरदासजी ने १२८ के प्रश्नों का उत्तर लिखे जिनमें प्रश्न जोस तीस का उत्तर अभ्यास के अनुसार है शेष प्रश्नों का उत्तर अभ्यास के अनुसार मिलता नहीं ।यह मत टोडरमलजी ने निश्चित किया है । अन्त में यह भी लिखा है कि भूधरदासजी से टोडरमल जी शास्त्रों के अधिक झाता है इसलिये उनकी बात पर विश्वास करना चाहिये।
७३ प्रति न०२। पत्र सं० ७८ | साइज-12x म । लेखन काल-सं० १८२३ । पूर्थ एवं शुद्ध । दश-जीर्ण । वेष्टन नं. ४०६ |
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Wr
१३२
७८ चर्चासंग्रह
|
एवं शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन २०४१० ॥
विशेष सोम्मटसार, लमार, अपवार यादी की ७५ वर्षासंग्रह
r-fgrá; fago-qui |
स्वम्-१० १०११ पूर्ण १६ नहीं है। समय-सामान्यननं० ४११
F:
विशेष संवद १७२१ वर्ष
नये दानामा लिखित मन्त्र
मे।"
७६ प XX शुद्ध
७७ धा
लेख १६
न
शिक्षा | रचना
इशा वेधन २०३ |
विशेष-श्री
[ सिद्धान्द
पत्र सं० ३६ | साइज: २ - हिन्दी विषय वर्चा रचनाकाल x।
ॐ तत्त्वज्ञानतरंगिणी महार
641
3
२०२१०
एवं शुद्ध ०५८१
७६ प्रति नं २ पत्र ३२-२२२ पूर्ण शुद्ध दशा सामन्य
g०२०१ |
३०२११२१४१ पूर्ण एवं शुद्ध
दशा सामान्य वै ।
=२
दिक पात
सत्मान्य | वेटन नं० २०२ ।
111-1
9-10-143 | Acq-faara | (951
४६०
सार- १९४२ मात्रा प्राकृत
समय
१० खनाल
चन्द्र ने प्रतिलिपि को यी ।
का
है।
↓
विषय-धाम
दवेष्टन नं० २०६६
प्रति पूर्ण एवं सामान्य शुद्र ।
४ तरवसार देवसेन पत्र सं०१२-१३
हुश्च । भावा-संस्कृत ।
प्रति०५ सामान्य शुद्ध दशा
त्रमंड
प्रतिनं ६ | लेखनकाल । यखं एवं शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन नं ० ५८२ |
का
भाषा - प्राकृत विषय सिद्धान्त ?
रचनाकाल × | सैम्बनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य ) वेष्टन नं० ५== | स्वार्थरत्नप्रभाकर मुनि श्री प्रपत्र सं०] १९६४ त्रिषय-सिद्धान्त | रचनाकाल x | लेखनकाल - मं० १७०१ चैत्र वदी १२ सोमवार | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशासामान्य | वेष्ठन नं०/
भाषा-संस्कृत ] इन्छ । 1
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सिद्धान्त ]
१३३
प्रति नं० २ । पत्र से साइज - ६३x४३ इन्च । लेखनकाल | पूर्ण प्रारम्भ के ३० पत्र नहीं | दशा - सामान्य । वेष्टन नं ० २२० ।
प्रतिनं ३ | पत्र सं० ११
1
| साइज - ११६४४ च । लेखनकाल - सं० १००८ बैशाख सुदी १३ |
पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य वेष्टननं ५६२ ।
I
विशेष-दी में प्रतिलिपि को गयी थी ।
तत्त्वार्थरत्नाकर
काल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध 1 दशा - समान्य | वेष्टन नं० ५६१ । = तत्त्वार्थराजवार्त्तिक- महाकलंकदेव 1 पत्र सं० ४०१ | साइज - ११ सिद्धान्त | रवनाथल × 1 लेखनकाल सं० १५ पौष सुदी १२ | अपूर्ण । सामान्य शुद्ध ११७ पत्र नहीं है । वेष्टन नं० ५६३ ।
विशेष - महात्मा रहनाथ ने जयपुर ६० प्रति नं० २ | पत्र सं० ५१ दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २४ ।
| पत्र [सं० ६४ । साइज - १२४७ इस । भाषा संस्कृत । विषय- सिद्धान्त । रचना
| भाषा-संस्कृत | विषय - दशा - सामान्य । प्रारम्भ के
प्रतिलिपि की थी ।
से २१= | साह - ११४६ इव । लेखनकाल । अपूर्ण एवं शुद्ध 1
६१ प्रति नं
३ | पत्र सं० १ १३१ तक | साइज - ११७३६ । लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं शुद्ध | दशा- सामान्य । वेष्टन ५९५ ।
१२ प्रति नं० ४ । एष सं० २०६०३११ | साइज - ११४७३ | लेखनकाल - सं० १८७७ द्वितीय ज्येष्ठ सुदी २ अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ५६६ |
विशेषयति माणकचन्द्र ने जयपुर नगर में प्रतिलिपि की थी।
६३ तत्त्वार्थसार - मृतचन्द्र । पत्र से० ३८ । साहज - १०x४३ इञ्च | माया - संस्कृत | विषय - सिद्धान्त । रचनाकल । लेखनकाल --सं० २०६६ मंगसिर सुदी १२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं ० ५६८ |
विशेष – लिपिकर्ता श्री नेमिचन्द्र सोनी हैं । .
६४ प्रति नं २ | पत्र सं० २८ | साइज - १०९४३ इव । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा- सामान्य । वेष्टन नं ० ५६७ ।
६५ तत्वार्थ सूत्र - उमास्वाति । पत्र सं० २१ | साइज - १०७ रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १८६२ | पूर्ण एवं शुद्ध दशा- जीर्ख । वेष्टन नं ० ५६६ ।
विशेष - दीवाण रतनचन्द वधीचन्द ने प्रतिलिपि करवायी थी ।
। भाषा-संस्कृत । विषय- सिद्धान्त ।
६६ प्रति नं० २ । पत्र सं० २० 1 साइज-१X५ इञ्च । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- जीर्ण | बेष्टन नं ० ५६६ ।
६७ प्रति नं ३ | पत्र सं० १० | साइज - x ५३ च । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा
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१३४
जीर्ण | वेष्टन नं० ५६६
वेष्टन नं० ५६६
६८ प्रति नं० ४ । पत्र सं० १६ | साइज - ६x४ इन | लेखनकाल X| पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य |
सामान्य | वेष्टन नं ० ४६६
६६ प्रति नं० ५ । पत्र | साइज - ६
वेष्टन नं ० ६०० १
वेस्टन नं ० ६०१ |
[ सिद्धान्ते
१०० प्रति नं० ६ | पत्र सं० १७ | साइज - ६x४३ इव । लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य
वेष्टन नं० ६०६ ।
१०१ प्रति नं० ७ । पत्र सं० २२ | साइज - ११९५ इव । लेखनकाल X। पूरा एवं शुद्ध दशा- सामान्य ।
- ६३x४१- इव । लेखनकाल - सं० २००४ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा
विशेष – हिन्दी में अर्थ दिया हुआ हैं।
१०२ प्रति नं० ८ | पत्र सं० २३ | साइज - ६x४ इव । लेखनकाल- सं० १९१० । पूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य | वेष्टन नं० ६०२ ।
विशेष -- फलटण ग्राम में हु बढ जातीय साह रामचन्द्र ने प्रथ को भेंट दिया था।
१०
वेष्टन नं ० ६०७ ।
१०३ प्रति नं० ६ | पत्र सं० २२ | साइज - ११९५ इस । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण | वेष्टन नं० ६०३ ।
विशेष -- हिन्दी अर्थ भी दिया हुआ है।
१०४ प्रति नं० १० । पत्र सं० ३० | साइज - ३x४३ इव । लेखनकाल सं १८४८ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ६०४ ।
विशेष- हिन्दी अर्थ भी दिया हुत्रा है
1
१०५ प्रति नं० ११ । पत्र सं० ३२ | साइज - ८४ च । लेखनकाल । पूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशासामान्य । वेष्टन नं० ६०४ ।
J
१०६ प्रति नं० १२ | पत्र सं० ४००-४३२ | साइज - १०३४६ च । लेखनकाल X। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं ६०५ |
विशेष - विस्तृत हिन्दी टोका सहित है ।
१०७ प्रति नं० १३ । पत्र सं० १६ | साइज - ई५ इश्च । लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य
विशेष -- भक्तामर स्तोत्र भी है ।
प्रति नं० १४ । पत्र सं० ३० । साइज - x६ इञ्च । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य
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MT
१३५
.
.
PARADHE.
ANA
१०६ प्रति नं० १५ । पत्र सं० १०७ । साइज-११:इन्च । लेखनकाल-सं० १६३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य 1 वेष्टन नं. ६१७ ।
विशेष-- प्रति सटीक है । टीकाकर श्री योगदेव हैं । टीका संस्कृत में है।
.११० प्रति नं०१६ । पत्र सं० १७८ | साइज-१४५ इञ्च । लेखनकाल सं० १६५६ प्रासोज मुदी १० मंगलवार । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ६१८ ॥
विशेष-लेखनस्थान-गट रणथंभौर ( जयपुर ) ऋषभदेवजी अग्रवाल ने प्रतिलिपि करवायो भी । प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है
१११ प्रति नं०१७ । पत्र सं० २१ । साइज-११४५३ इम्च । लेखन काल-सं० १६६. ज्येष्ठ युदी १४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य ! वेष्टन नं ० ६२३ ।
वशेष---प्रति सटीक है । टोका संस्कृत में हैं। .
११२ प्रति नं. १८ । पत्र सं० १७६ । साइज-1:४५६ इन्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० ६२२ । ... विशेष प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है।
११३ तत्त्वार्थसूत्रटीका-श्रुतसागर । पत्र सं० . । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-- सिद्धान्त । रचनाकाल x 1 लेखनकाल-सं० १७२ ० 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम ! वेष्टन नं ० ६ ०८ |
११४ प्रति नं० २। पत्र सं० २८१ । साइज-११३४५६ इञ्च । रचनाकाल ४ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०६।
११५ प्रति नं. ३ । पत्र सं० २६५१ साइज-१०४५ इन्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं. ६१० |
. ११६ प्रति नं०४। पत्र सं० १४८-२१० । साइज-११४५ इञ्च । लेखनकाल .. । अपूर्ण एवं सामान्य युद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० ६११ ।
११७ तत्त्वार्थ सूत्र भाषा..'। पत्र सं० १६७ | साइज-११६x४६ इन | माषा-हिन्दी । विषयमें सिद्धान्त । रचनाकाल x | लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टम नं० ६१४ ।
११८ तत्त्वार्थसूत्र भाषा....."| पत्र सं० १६० । साइज-१४४७५ इन्च | भाषा-हिन्दी-गद्य | विषयसिद्धान्त । रचनाकाल x | लेखनकाल X । अपूर्ण-दो प्रतियों का मिश्रण है। सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन
११६ तत्त्वार्थसूत्र भाषा-जयचन्द्रजी छाबड़ा । पत्र सं० २८६ । साइज-१२४७६ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल-सं० १८५६ | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ६ १६ ।
१२० तत्त्वार्थसूत्र भाषा-पं० सदासुखजी । पत्र सं० ६१६ । साहज-११४५ इ 1 भाषा--हि-दी। विषय
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१३६
[ सिद्धान
सिद्धान्त रचना १२.१४ लेखनकाल । वपू एवं शुद्ध दशा-सामान्य २० से ८ तक तथा ६१३ से ६५३ तक के पत्र नहीं है। वेष्टन नं० ६९३१
विशेष प्रति स्वयं लेखक द्वारा लिखी गयी है।
१२१ प्रति ०२२-१३ लेखन अपूर्ण एवं शुद्ध दशा सामा
बेटन नं० ६२२
१२२ प्रति नं ३ पत्र ०३५१६-११ पूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य टन नं० ६९२ ।
१२३ तत्त्वार्थसूत्र भाषा - वेतनदास पत्र सं
विषय-विव्दान्त | रचनाकाल
विशेष-स्वार्थसार वचन १२४ तत्त्वार्थसूत्र भाषा | पत्र सं० रचनाकार लेखनकाल सं० १७०२ पूर्ण एवं शुद्ध
श्रायक रामदत्त ने प्रतिलिपि की ।
भाषा - चेतनदास | पत्र ०७० १६५४ लिपिकाल- १६०५ पूर्गा एवं शुद्ध का नाम है। अन्य लेखन में ४२ ॥ १०७ | साइज - १२४
दशा सामान्य वेष्टन ०६२४ ।
विशेष-माचन्द्र के तत्त्वार्थ सूत्र की हिन्दी टीका है। लेखक प्रशस्ति विस्तृत दी हुई है। स्वर्णप्रस्थननगर में
१२५ तत्त्वार्थ सूत्र - प्रमाचन्द्र | सं०] ११० | - ११३४ | भाषा-संस्कृत | विषय - सिध्दान्त | रचनाकाल x | लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जोग । बेष्टन नं० ६१२ । विशेष प्रति सटीक है । टीका संस्कन में
1
१०६ तवानुशासन-ग्रमसेम पत्र सं
2
रचनाकाल × । लेखनकाल सं० १५० अवाद बुदी
उत्तम वेष्टन नं. ६२० ।
I
१२७ प्रति नं २०१४सा१२०
वेष्टन नं० ६५०
विशेष हिन्दी धर्म सहित है।
साइज - १६x२० इन्च | भाषा - हिन्दी गद्य | दशा-उथम वेशन नं ११ । पर्च हुये थे ऐसा उल्लेख है।
इन्च भाषा - हिन्दी | विषय- सिद्धान्त |
१४ साइज - ११९५३ इ
पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ६२६ ।
१३० प्रति नं० ३
शुद्ध दशा सामान्य जी वेष्टन नं ६५
F
भाषा-संस्कृत विषय सिद्धान्त ।
१२३ त्रिभंगीसार चाचार्य नेमिचन्द्र पर ०६८-१२५ भाषा रचनाकाल x 1 लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा सामान्य । वेष्टन नं० ६४६
त्रिशेष—विवेकनदि कृत संस्कृत में टीका भी दी हुई है।
खनाल । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
१२६ प्रति नः २ पत्र सं० १०२ | साइज १०२ । लेखनकाल पूर्ण एवं शुद्ध दशा-समस्य
०११-१४४ इन्च लेखनकाल सं० १६६४ पूर्व एवं सामान
प
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सिद्धान्त ]
विशेष—अमल ने प्रति
१३१ प्रति नः ४
सामान्य वेष्टन मं० ६५२
दिशा-अर्थ वेष्टन २०६४३ ।
I
१३२ प्रति नं० ५ ० ११० साइज EX४ लेखन- १६०५ पूर्ण एवं शुद्ध
विशेष- स्मरपुर के महाराज जयसिंह के शासनकाल में प्रतिलिपि की गयी भी
३३ प्रति नं० ६ पत्र ०४४-१६४३ सेनकाल सं०] १६२१ फागुपू
शुद्ध व जी वेष्टन नं० ६५४१.
I
की थी।
प
० ० -१२४ । पूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशा
विशेष सांगानेर में पं० रतनसी ने प्रतिलिपि की थी।
--
१३४ प्रति नं० ७ पत्र ०४
पूर्व शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं ० ६५६ |
1
विशेष- कम्पास महाब्या ने प्रतिलिपि करवाई थी।
१३५ त्रिभंगीसार था० नेमिचन्द्र पत्र [सं० ४२११५
भाषा
विषय सिद्धान्त ।
वनाच्छ लेखनकाल अपूर्ण ३० से २४ तक के पत्र नहीं है। शुद्ध दश उद्यम वेष्टन नं ० ६५० ।
विशेष हिन्दी धर्म सहित है।
-
पत्र से
१३६ विभंगीसार तपन साइज ०६१ रचना लेखनकाल सं० २६०१ पूर्ण एवं सामान्य शुभ्द दशा उत्तम वेष्टन मं० ६५५ ।
दिन नं० ७१४ ।
११३७
११ खनकाल- ०१००३ पौष २४ पूर्ण
४
९४० प्रति नं० २०६
१३० दशकालिक सूत्र
पत्र सं० ३५ | साइज - ११४४ इञ्च । भाषा - प्राकृत | विषय - श्रागम | रचना लेखनकाल पूर्ण १४ से ३६ तक पत्र हैं। सामान्य शुद्ध दशा-जीर्ण
वेष्टन नं० ७११।
विशेष- संस्कृत टीका सहित हैं ।
" पत्र सं०६४
१३८ दशवेकालिक सिद्धान्तवचूरि श्याम रचनाकाल X| लेखन x | पूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन नं ७११ १३६ द्रव्यसंग्रहाचार्य नेमिचन्द्र पत्र संसार | रचनाका लेखनकाल X पूर्व एवं शुद्ध
भाषा प्राकृत विषय सिद्धान्त
सा६६४ भाषा-संस्कृत
१०३४३ | भाषा-पाकृत विषयदशा सामान्य वेष्टनं०७१४।
११ इन्च लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य ।
१४१ प्रति नं० ३ । ०४१४५ इन्च । लेखनकाल X पूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशा
वेष्टन नं० ७१४ १
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[सिद्धान्त १४२ प्रति नं० ४ । पत्र सं. १४ । साइज - १.१४.३ इञ्च । लेखनकाल X| अपूर्ण एवं शुध्द । दशासामान्य | वेन्ठन नं. ७१५ ।
विशेष-हिन्दी अर्थ सहित है ।
१४३ प्रति नं० ५। पत्र सं० १६ । साइज-११४५६ इम्च । लेखनकाल-सं. १७२ वैशाख बुदी १२। अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ७१।
विशेष-प्रति हिन्दी अर्थ महित । ग्रा. कनककीत्ति के पटने के लिये पं० का हजी ने प्रतिलिपि की भौ ।
१४४ प्रति नं.६। पत्र सं० १६ । साइज-११४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १७०३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. ७१।
विशेष-प्रति हिन्दी टीका सहित है। पं० गुणराज ने पांडे नेताके पउनार्थ प्रतिलिपि की थी।
१४५ प्रति नं० ७ । पत्र सं० १ ० | साइज-८४७१ च ! लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १
विशेष-प्रति सटीक है। टीकाकार पं. बंशीधर जी है । ये प० टोडरमलजी के गुरु थे।
१४६ प्रति नं०८ । पत्र सं०८४ । साइज-२३४६ इन । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६
विशेष- प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है।
१४७ प्रति नं । पत्र सं० ७ । साइज-१०४४३ इञ्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा- । सामान्य । वेष्टन नं. ७२० ।
१४८ प्रति ने०१०। पत्र सं० १०३ | साइज-१०x४३ इन्च । लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध | दशाजीण । वेष्टन नं. ३२८ ।
१४६ प्रति नं० ११ । पत्र सं० १ । साहज-६x४ इम्च । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । । बेष्टन नं. ३२%
१५० प्रति नं०१२ | पत्र सं० ६ । साइज-११४५ इन्च । लेखनकाल-सं० १७६३ । पुणे एवं शुद्ध। . दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ७२० ।
विशेष - हिन्दी अर्थ दिया हुधा है।
१५१ प्रति नं. १३ । पत्र सं० ३ | साइज-१०४ इश्च । लेखनकाल–सं० १७२१ माच मुदी ५ । पूर्ण एवं राद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ७२० ।
१५२ प्रति नं०१४ । पत्र सं. ४ । साइज-१.१४५ इन्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । म बेष्टन नं. ७२०।
१५३ प्रति नं०१५ । पत्र सं० ४ । साइज-१२३४६ इव । लेखनकाल-सं० १८२३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ७२०।
-
-
H
TE
..
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सिद्धान्त ]
विशेष – संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं।.
प्रतिबंत्र ६०
१३६
बैप्टन नं० ४६ ।
१५५ प्रति नं० १७ । पत्र सं० १४ | साइज - १२३ ई ह । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य वेष्टन नं० ७२० ।
साइज ४ श्व । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य
विशेष - प्रति सटीक है। टीक संस्कृत में हैं ।
१५६ प्रति नं० १८ | पत्र [सं० ३०३ साइज - १०३ ६म्व | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं ० ७२० ।
विशेष --- प्रति सदीक है। टीकाकार प्रभाचन्द्र है ।
१५७ प्रति नं० १६ । पत्र सं० १३ | साइज - १२x६ इञ्च | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । बेहन नं० ७२० ।
विशेष प्रति सटीक हैं। टीका हिन्दी में हैं।
१५ प्रति नं० २० । पत्र सं० १०२ | साइज - ११४५३ इन्च । लेखनकाल - सं० १६६७ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं ० ७३० ।
बिशेष-प्रति सदीक है । टीका संस्कृत में है ।
१५६ प्रति नं० २१ । पत्र [सं० ४१ | साइज - ८६ इम्ब | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं ० ७३१ ।
विशेष -- प्रति सटीक है। टीका हिन्दी में है ।
१६० प्रति नं० २२ । पत्र सं० १६ | साइज - ११४४ इन्च | लेखनकाल X | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | आशा - सामान्य । वैष्टन नं० ७३५ ।
सामान्य । वेष्टन नं० ७३६ ।
बिशेष – हिन्दी अर्थ सहित हैं ।
१६१ प्रति नं० २३ | पत्र सं० ३४ | साइन- १ ० ४५ च । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा
विशेष – हिन्दी अर्थ सहित है
१६२ प्रति नं० २४ । पत्र सं० २० साह ११७३ । रचनाकाल x | लेखनकाल । अपूर्ण आगे के नहीं हैं। सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ७३७ |
विशेष – हिन्दी अर्थ सहित है ।
१६३ प्रति नं० २५ | पत्र सं० ६ साइज - १३४८ इ । लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध । वसा सामन्न्य । पेष्टन नं ० ७३८ |
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१४०
विशेष हिन्दी अर्थ सहित है। माषाकार बाबा बन्द है।
१६४ प्रति नं २६ । पत्र सं० दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ७०५ |
विशेष— दूसरे पत्र तक गायाथी के नीचे संस्कृत में टीका भी दी हुई है।
१६५ प्रति न० २७ पत्र सं० | साइज १०x४ दशा- उत्तम | वेष्टन १०७५
शेषाओं के ऊपर संस्कृत में टीका दी हुई है।
१६६ प्रति नं० २८०१३
मा
सामान्य । न मं ७७५।
साह - १०५ इन्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
एवं शुद्ध | दशा सामान्य श्रेष्टन नं० ७०५ |
विशेष-जयपुर में टेकनन्द ने प्रतिलिपि की भी ।
विशेष संस्कृत में टीका दी हुई है।
१६७ प्रति नं० २६ ॥ पत्र ६०४ लेखन-२०१११२ पूर्ण
। लेखनकाल- सं० १७६३ |
१६ द्रव्यमं सटीक लाभानेमिचन्द्र टीकाकार श्री
इन्छ भाषा-प्राकृत-संस्कृत विषय सिद्धान्त रचनाका लेखनका सं० १९९३
सामान्य वेटन नं. ७२६ ।
पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्यष्टननं ७२३ ।
|
७० प्रति नं० ३
पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं ०७२४ ।
[
विशेष श्री कल्याण पहाड्या ने प्रतिलिपि की थी। १७१ प्रति नं० ४
[ सिद्धान्त:
१०४ काल X पूर्व एवं शुद्ध दशा
पूर्ण एवं शुद्ध
देव
नानार्थं हदं प्रम्यं सिखापित। लिखितं पं
१६६ प्रति नं० २ प ० १२१ साइज ११४ इ० २०११
i
पत्र सं० १३-११
पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा
'
० १०३ साइज १२x६ च लेखनाल० १०० १०।
०१०५११४३ इन्न। लेखनकाल सं० १८६८ अषाद बुद्दी २१
पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य वेष्टन नं० ७२४ |
1
विशेष राजा वीरमदेव के राज्य में गोवाच दुर्ग पर लिपि हुई भी श्रोतकाम्यय साधु नरदेव पुत्री देवसिरी बसी पुत्र धनपाल
२७२ प्रति नं० ५। पत्र ०७६-१०-११४ लेखनकाल सं० १४८४ कार्ति अपूर्ण एवं सम्मान्य शुद्ध दशा सामान्य बैष्टननं०७२६
विशेष—- सारषपुर में यतिकान्त्रय गोयल गोत्र वाली प्रियवदा ने प्रतिलिपि करवायी थी ।
१७३ द्रव्यसंग्रह वृहद् वृत्ति" ॥ पत्र ६६ । साइज - ११५ इन्च | भाषा - प्राकृत संस्कृत विषय- सिद्धान्त रचनाकाल × । लेखनकाल × | पूर्ण एवं शुद्ध । अन्तिम पत्र नहीं हैं । सामान्य शुद्ध ! दशा - सामान्य । वेंश्टन नं ७२६ ।
F
ह
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१४१
१७४ प्रति न०२। पत्र सं० ११७ | 5ाइज-१२x६ इञ्च । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन
१७५ व्यसंग्रह भाषा-पर्वतधमाधी। पत्र सं १७ । साइज-१.९x४ इञ्च । भाषा-गुजराती। विषयद्वान्न । रचनाकाल x | लेखनकाल–स. १७६४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ७३२ ।
विशेष—सांगानेर में प्रतिलिपि की गयी थी।
१७६ द्रव्यसंग्रह भाषा-प. जयचंदजी छाबडा । पत्र सं० । साइज-Ex: इन्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-सिद्धात । रचनाकाल X | लेखन काल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ७३३ ।
विशेष –प्रति स्वयं भाषाकार के हाथ से लिखी हुई है ऐसा मालूम परता है।
१७७ प्रति नं.२। पत्र में, २२ | साइज -१0३४४१ १ञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा- उत्तम । वेष्टन नं ४ ।
१७८ नवतत्त्वप्रकरण......"। पत्र सं५ | साइज-xx E | भाषा-प्राकृत | विषय-सिद्धान्त । ननाकाल X । लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण 1 वैपन नं० ८५६ ।
विशेष-हिन्दी में अर्थ दिया हुअा है ।
१७६ प्रति नं २ । पत्र सं• ६ 1 साइज-१.०४४६ इश्च 1 लेम्वनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ६0 |
विशेष-संस्कृत में टीका भी दी हुई है।
१-० नवतत्त्वसूत्र.....। पत्र सं. ६ | साज-११४४ इन्च ! भाषा-प्राक्त । विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल x | लेखन काल X | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन मं० ८६२ ।
विशेष –प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है।
१८१ प्रति नं.२। पत्र सं० १४ । साइज-१०x४३ सम्च । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुध्द । दशा-सामान्य । बेष्टन न. ८६२ ।
विशेष-प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है। .
१८२ पंचसंग्रह-श्रा० नेमिचन्द्र । पत्र सं० ६८ | साइज-१२४४३ इञ्च । भाषा-प्राकृत ! विषय-सिद्धान्त | रचनाकाल x । लेखनकाल–सं० १५२६ कार्तिक मुदी ५ । पर्ण एवं शुध्द | दशा-जीर्ण । वेष्टन ने० १००४ ।
१८३ प्रति नं. २ ! पत्र सं० १३१ । साइज-११४४ इम्च । लेखनकाल-सं० १७४४ भाषण सुदी १। पूर्ण एवं सामान्य शुध्द । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १००५ ।
विशेष-सांगानेर में पं० विहारीदासजी के पठनार्थ प्रतिलिपि की गयी थी।
१८४ प्रति न० ३। पत्र सं० ७८ | साइज-११४५३ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुध्द । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० १००६ ।
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[सिद्धार १८५ प्रति नं. ४ । पत्र सं० १२ । साइज-१०४५६ इञ्च । लेखन काल X; पूर्ण एवं शुध्द | दशासामान्य । वेटन न .७ ।
विशेष-केवल १६ वा अधिकार है । प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है।
१८६ पंचाध्यायी-राजमल्ल । पत्र सं० १११ । साइज-१०६.५३ इञ्च । भाषा-संस्कृन । विषय-सिदान्ता रचनाकाल x | लेखनकाल X । पुर्ण एव सामान्य शुध्द दशा-सामान्य । वेटन नं० १०६० ।
१८७ प्रति नं०२। पत्र स. ६२ | साइज-१४६x६ इञ्च । लेखन काल ४ । पुर्ण एवं सामान्य शुध्द। दशा-मामान्य । वेटन नं. १०११ ।
१- पंचास्तिकाय-या कुन्दकुन्द । पत्र में है। साइज-१०४४३ इञ्च । भाषा प्राकृत । विषय-सिध्दान्त । रचनाकाल x | लेखनकाल x । पूर्ण एका सामान्य शुध्द ! दशा-सामान्य । वेटन नं० १.१२ ।
१८६ प्रति नं० २ । पत्र सं० १ ०४ | साइज-१०४५३ इञ्च । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन
NDIGAR
विशेष-हेमराज पांडे कृत हिन्दी टीका भी है ।
१६० प्रति नं० ३ । पत्र सं० । साइज-१२x६ इञ्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुब्द । दशा-सामान्य बेष्टन नं०११४!
विशेष-ग्रा० अमृतवन्द्र कृत संस्कृत टीका सहित है।
१६१ प्रति नं. ४ । पत्र सं. १८८ । साइज-६x२३ इञ्च । लेखनकाल-सं० १३२६ चैत्र बुदी १. । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं० १.१५ ।
विशेष-प्रति सटीक है । टीकाकार अमृतचन्द्र सूरि हैं । प्रशस्ति निम्न प्रकार है।
"संवत् १३२६ चैत्र ब्रुदी दशम्या बुधवासरे अथेह योगिनीपुरे समस्तराजावलिसमाकृतश्रीगयासदीन राज्ये ।। अवस्थित अप्रोतक परमश्रावक जिरचरनकमल"..|
१६२ प्रति नं. ५। पत्र सं० १५५ । साइज-११४५ इञ्च । लेखनकाल–सं. १६५३ : पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १०१६।
विशेष-प्रति सटीक है । दीकाकर--अमृतचन्द्र पूरि है ।
१६३ प्रति नं०६ । पत्र सं० १७ । साइज-११३४५३ हश्च । लेखनकाल-सं० १७७४ फागुग्ध बुदी १३ ॥ पूर्ण एवं शुद्ध । मूल मात्र है । वेष्टन नं० १०१७ ।
१६४ प्रति नं०७ । पत्र सं० १७ साइज-१२४५३ इञ्च । लेखनकाल–सं० १८६० । अपूर्ण एवं शुष्द ।। दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १०१८!
विशेष-प्रति सटीक है । टीकाकार अमृतचन्द्र सूरी है।
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सिद्धान्त ]
१६५ प्रति नं० ७ प ५२१०० इस लेखनकाल पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य बेननं २०१६
विशेष---- अमृतचन्द्र सूरि कृत संस्कृत टीका सहित हैं ।
!
१६६ प्रति नं० पर ०५६ साइज १ ४ । लेखनकाल पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन नं० १०२०१
विशेष
टीका सहित है।
१६७ प्रति नं० पत्र [सं० ५५ साइज १०१४ लेखनकाल पूर्ण एवं शुद्ध दशा जीवं
बेस्टन नं० २०२१
विशेष - घा० अमृतचन्द्र कृत संस्कृत टीका सहित हैं ।
१६८ प्रति नं० १० । पत्र सं० ७० । साइज - ११४५ इ | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य वेष्टन नं० २०२० ।
विशेष प्रति सटीक हैं | टीकाकार श्रमृतचन्द्र है ।
१६६ प्रति नं० २१
अन्तिम पत्र नहीं है | सामान्य शुद्ध दशा सामान्य । वेष्टन नं० १०२६
२०० पंचास्तिकाय भाषा- यदि हेमराज पत्र ०४ साइज - १२४६ इस रचनाकाल x लेखनफल × । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २०२७ ।
दशा- जी वेष्टन नं ० १०२
I
पत्र सं० १९२ साइज १५ हम लेखनकाल अपूर्ण प्रारम्भ के ३२ तथा
२०१ प्रति नं० २ | पत्र सं० २१३ | साइज - ११x४ इञ्च । लेखनकाल x । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
२०२ प्रति नं० ३ पत्र सं० १४६ साइज १३
तथा अन्त के पत्र नहीं हैं। सामान्य शुद्ध दशा सामान्य बेटन नं० २०२६ ।
१४३
२०३ प्रति नं० ४ पत्र सं० १२२ साइज ११३५३
दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २०३० ।
लेखना० १७२१ पूर्ण एवं शुद्ध ।
विशेष - साह जोधराज गोदीका ने पढने के लिये श्रानन्दराय तथा रामचन्द महात्मा के पास प्रतिलिपि करवायी थी २०४ प्रति नं० ५। पत्र सं० १३१ साइज - १२५
। लेखनकास X पूर्ण एवं शुद्ध दशा
|
सामान्य | वेष्टन नं ० १०२३१
विशेष – लिपि सुन्दर है ।
दशा- सामान्य | वेष्टन नं० १०२४ ।
लेखनकाल x अपूर्ण प्रारम्भ के १००
२०५ प्रति नं० ६ पत्र ० २२६-११३४६ १ लेखनकाल- सं० २०१० पूर्ण एवं शुद्ध ।
विशेष प्रथम दी पत्र फिरसे लिख कर जोड़े गये हैं।
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४२८
आचार्य हेमचन्द्र
मुनि हेमचन्द्र
हेमचन्द्र सूरि
देमनन्दन
हेमप्रभ सूरि
शब्दानुशासन २८, २६०
श्रभिधानचिंतामयि नाममाला ३०,२६६ हेमराज -
प्रमाण मीमांसा १६८
श्रुतस्कंध २५५
कार्य संग्रह २६५
त्रिषष्टिशलाका पुरुष चरित्र २२१
हेमाष्टकन्याय ३८७
नेमकुमार की बूँदडी २३७
अध्यात्मोपनिषनियोग
श्रानन्दश्रावक संघ २३१
भुवनदीपक २७३
ओपसपास २
नयचक्रभाषा ४, ११६
श्वेताम्बर मंत के ८४ भेद
प्रवचनसार भाषा ११, १८३
भक्तामर स्तोत्र भाषा ४६, ७५, ८३, ६८, १०८
११०, ११२, ११४, ११५, २६६, ३३०
३४२, ३४५
चौरासी बोल ११०, १५४, ३६०
कर्मकाण्ड भाषा १२६, १३१
पंचास्तिकाय मात्रा १४३
परमात्म प्रकाश भाषा १८२ हितोपदेश बावनी २६१
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१४४
[ सिद्धान्त
| पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । |
२०६ प्रति न० । पत्र सं० १.१ । साइज-१४ इन | लेखनकाल वेटन नं. 14
1
चास्तिकाय भापा-पं. हीरान द । पत्र सं० ८३ । साइज i•xs रुच । भाषा-हिन्दी। विषयसिद्धान्न । रचनाकाल में 7 ११.१ । लेखनकाल १ | अपूर्ण एवं शुद्र । दशा-सामान्य । बेष्टन नं ० १ ०३१ ।
८ प्रति नं० २ । पत्र सं० १ ० . ! साज-११३४५ । लेखनकाल–सं० १७२ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशामामाल वेटन नं १२४२ ।
२० प्रभव्याकरण".....पत्र सं० २७ । साइज-१२४१ १ | भाषा-संस्कृत । विषय-ग्रागम । लेखन कालसं० १९६१ चैत्र वुदी । पूर्ण । शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० ११६ ।
विशेष-प्राचार्य देवकीर्ति ने प्रतिलिप करवायी थी।
२१. प्रति नं०२ पत्र स० । साइज:४८ इञ्च । लेखन काल x | पूर्ण पर शुद्ध । दशा-उत्तम।। वेष्टन नं. १
विशेष--प्रति सटीक है। संस्कृत में टीका है।
२११ भगवनीसूत्र........! पत्र सं० । माइज-१०x४ च । भाषा-प्राकृत । विषय-सद्धान्त । . रचनाकाल X । लेखन काल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १९८७ ।
२१२ भगवनीसूत्र.......! पत्र में० १-४३. । साइज-१०४५ इञ्च । भाषा-प्रारुत | विषय-यागम। चनाकाल x | लेखनकाल X । अपूर्ण सामान्य एवं शुद्ध (स्फुटपत्र) । दशा-जीणं । वेष्टन नं० १२८६ ।
२५३ भावत्रिभंगी-ग्राचार्य नेमिचन्द्र । पत्र पं० : ४ । साइज-१३४५६ इञ्च । भाषा-प्राकृत । रचनाकाल | लेखनकाल-सं० १६० गदत्रा मुदी २ । अपूर्ण-प्रारम्भ के ?. पत्र नहीं हैं। सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । बेन्टन नं. १३२।
२१४ प्रति नं. २१ पत्र सं. ४८ साइज-५:४३ च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. १३:४ ।
२१५ प्रति नं. ३ पत्र सं०३: । साइज-32xt इन्च । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशाजीर्ण । बेटन नं. १३३५ ।
२१६ प्रति न.४। पत्र सं० ५५ । साइज-१४६ इञ्च । लेखन काल X| पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं0-1
२१७ प्रति नं०५। पत्र सं. १६ । साइज१०१-४४३ च । लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं. १३४० ।
२१८ भावाविभंगी-श्रुतमुनि । पत्र सं० ५५ । साइज-११४५ श्च । माषा-प्राकृत | विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल X । लेखनकाल - । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १३३६ ।
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विशेष-संस्कृत में संक्षिप्त टीका है।
०१६ लब्धिसार-प्राचार्य नेमिचन्द्र । पत्र सं० १४१ | साइज-१२४५ ५ । भाषा-प्राकृत | विषयसिद्धान्त । रचनाकाल x | लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १५७२ ।
२२० प्रति नं. २१ पत्र सं० १६ । साइज-१२x६ च । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्यशुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १५७१।
२२१ प्रति नं. ३ । पत्र से ० ८६ ! साइज-१३४६३ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम एन नं. १६७४ ।
विशेष-प्रति सटीक है। टीका संस्कृत में है।
२२२ प्रति नं.४। पत्र सं. ४ । साइज-१६५७ इश्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्सम । टन नं० १५७५ ।
त्र...."। पत्र सं. ६ | साइज-६x४६च | भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल | खनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १५३८ ।
२२४ वचनकोश-बुलाकीदास | पत्र सं० १५ । साइज-११४६३ इन्च । भाषा-हिन्दी विषय-सिद्धान्त | पनाकाल-सं० १७०६ । लेखनकाल-सं० १८५३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६७० ।
विशेष ---प्रन्य प्रशस्ति विस्तृत है।
२२५ विशेषसत्तायंत्र-पांडे उपचन्द | पत्र सं० २३ | साइज-११४५३ च | भाषा-हिन्दी । विषयसिद्धान्त । रचनाकाल X । लेखनकाल–सं० १७२१ । अपूर्ण-प्रारम्भ के १२ पत्र नहीं हैं । दशा-जीर्ण । वेटन नं० १६४१ ।
२२६ विशेषसत्तात्रिभंगी......पत्र सं. ५ | साइज-१:४५ इञ्च | भाषा-प्राकृत । विषय-सिद्धान्त । नाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. १६४२ ।
२ विशेषसत्ताविभंगी........। पत्र सं० ५४ । साहज-११४५३ च । माषा-प्राकृत | विषय-सिद्धान्त । चनाकाल x | लेखनकाल–सं. १७१९ । पूर्ण एवं सामान्य शुध्द । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६४४ |
२२८ श्लोकार्तिक-प्राचार्य-विधानंदि । पत्र सं० | साइज-१३x, इश | भाषा-संस्कृत । विषयसिद्धान्त । रचनाकाल x | लेखनकाल–सं० १७६३ चैत्र सुदी २ मंगलवार । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेरन
-
-
विशेष - पत्रों का जीर्णोद्धार किया हुआ है । सूरत में प्रतिलिपि हुई थी । तत्त्वार्थसूत्र की एक टीका है।
२२६ प्रति नं० २। पत्र सं• ६४२ । साइज-११४६ च ! लेखनकाल–सं. १८१८ पौष शुक्ला । । पूर्व शुद्ध । दशा-उत्तम | बेष्टन नं. १७१८ । . . .
२३० प्रति न०३। पत्र से • ५६ । साइज-१०४५ हम | लेखनकाल X । अपूर्ण एवं अशुध्द | दशासामान्य । वेष्टन १.१
.
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[ सिद्धान्त २३१ शीलप्राभूत-कुन्दकुन्दाचार । पत्र सं० ३ 1 साइज-२०६४ सश्च । माषा-प्राकृत । विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल x | लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । श्रेष्टन नं० १७७४ ।
२३२ सत्तात्रिभंगी......। पत्र सं० २० । साइज-०४५ इन । भाषा-प्राश्त । विषय--सिद्धान्त । रचनाकाल।। लेखनकाल-सं० १.०४ पासोज सुदी । । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं. १८१६ |
२३३ संदृष्टि लब्धिसार क्षरणासार-पं० टोडरमलजी । पत्र सं० २| साइज-१२३४८ इश्च । भाषाहिन्दी-गद्य | विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल-सं० ११ । लेसन काल-सं० १८:। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । बेष्टन नं. १२।
२३४ सर्वार्थसिद्धि-पूज्यपाद । पत्र सं० 1 - * ! साइज-११४४३ ५ । भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल x ! लेखन काल-सं० १६१० वैशास्त्र बुदो है । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६४७ ।
विशेष-अमरसर ग्राम में कछवाहा मूर्यमल के शासन काल में प्रतिलिपि हुई यो ।
२३५ प्रति नं०२। पत्र सं० १.१५ । साइज-११४५, इन : लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १९५८
विशेष प्रति का जीगोंद्धा लिया गया है।
२३६ प्रति नं. ३ | पत्र सं०६ । साइज-११४५६ इञ्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-उत्तम । वेष्टन नं ० १६१६ ।
विशेष-तीसरे अध्याय तक है।
२३७ प्रति नं०४ ! पत्र सं० १०१-१६६ | सार-११४४, इव | लेखनकाल x। अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६५६ ।
२३८ प्रति नं. ५ । पत्र 4 | साइज-:४४३ । लेखनकाल-सं० १८१४ यासोज चुदी ५१. पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० १६५५ ।
विशेष-सांगानेर में चौधरी दुलीचंद ने प्रतिलिपि की यो।
२३६ सर्वार्थसिद्धि भाषा-40 टोडरमलजी । पत्र सं० ३५.३ । साइज-१०४७ दश्च । माषा-हिन्दी | विषयसिद्धान्त । रचनाकाल ४। लेखनकाल--सं. १८६: । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य 1 वेष्टन नं. १६६०
विशेष-दयाचन्दजी ने जयपुर नगर में अन्य की प्रतिलिपि की भी ।
२४० सर्वार्थसिद्धि भाषा-६० जयचन्द्रजी छाबडा । पत्र सं० २८६ । साइज-११४७६ इन्च । माषा-हिन्दी । विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल-सं० १८६१ । लेखनकाल–सं० १८७१ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं ० १६६१ 1
२४१ प्रति नं०२ । पत्र सं० २७६ । साहज-८३४ इन्च । लेखनकाल–सं०१८८५ । पूर्व एवं शुद्ध । पशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६६२ ॥
विशेष-प्रति स्वयं माषाकार के हाप की लिखी मालूम देती है।
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सिद्धान्त ]
१४०
२२ प्रति नं ३ | प ० १६१ |इन । लेखनकाल X ! अनू-तीन प्रतियों का
मिश्र है। सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | बेटन नं० १६६३ ।
२४३ सिद्धान्तसार
काल × | लेखनकाल-सं० १७१६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं २०७६ ।
विशेष - प्रथम तीन पत्रों में त्रिलोकसार की गाथायें हैं बिहारीदास वाडा ने लिखवाया था । महात्मा इंगरसी ने लिखा था ।
२४४ सिद्धान्तसार - आचार्य सकलकोत्ति | पत्र सं० विषय - सिद्धान्त | रचनाकाल x | लेखनकाल X | श्रपूर्ण एवं शुद्ध २४५ प्रति नं० २ । पत्र सं० ३१२ साइज - ११६३ च । लेखनकाल - सं० १८३५ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०८७ | नथमल बिलाला कृत हिन्दी भाषा है ।
२४६ सिद्धान्तार्थसार - पं० रहनु । पत्र सं० १३५ | सिद्धान्त । रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १५६३ वैशाख मुदौ १३ । मं० २०६८ |
लेखक प्रशस्ति विस्तृत है ।
भौमदिने कुरुजांगलदेशे श्री सुवर्णसुभदुर्गे पातिसाहि बन्चर मुगलु काविला तस्य पुत्र पातिसाहि हुमायू तस्व राज्यमाने काठाचे माथुरान्त्रये पुष्कगणे मुनि क्षेमकीर्ति - "एवं गुरणाम्नाये श्रोतकान्वये गर्गनोत्रे श्रसिवास एतेषांमध्ये साधु गूजर पुत्रा लिखापितं ।
योगिनोपुरि वास्तव्यं
१ पत्र सं० १२ | साइज - १.१०९६ इन्च | भाषा प्राकृत | विषय - धर्म । रचना
१०८१६६ | साइज - १२४६ ईन्च | भाषा-संस्कृत । दशा- सामान्य | केटन नं० २०८४ |
२४७ सिद्धान्तसार - भंडारी नेमिचन्द्र । पत्र सं० २५ सिध्दान्त | रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १८१६ | पूर्ण एवं शुद्ध
साइज - १०x इछ । माषा - अपभ्रंश | विषय - पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा जी । वेष्टन
साइज - EX५ इन्च भाषा - प्राकृत विषयदशा जीर्ण । वेष्टन नं० २०७६ ।
विशेष – संस्कृत में अर्थ दिया हुआ हैं । पत्र १६ से पीछे लिखे गये हैं । इसका दूसरा नाम सिद्धान्तधर्मोपदेशरतमाला भी है।
२४६ सिद्धान्तसारदीपक भ० सकलकीर्त्ति । पत्र सं० विषय - सिद्धान्त | रचनाकाल x | लेखनकाल- ६० १७२६ माघ सुदी
बेष्टन नं २०८५ |
२४८ सिद्धान्तसार
1 पत्र ० ७ साइज - ११४४३ इव । भाषा प्राकृत | विषय - सिद्धान्त | रचना
काल X | लेखनकाल - सं० १५२५ ज्येष्ठ सुदी ४ । पूर्ण एवं सामान्य शब्द | दशा- सामान्य । श्रेष्टन नं० २०८० । विशेष- चालू ( जयपुर ) में खण्डेलवालान्वय साधु पाल्ही ने प्रम की प्रतिलिपि करवायी थी ।
२५६ | साइज - १०४५ इन्च । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
भाषा-संस्कृत 1 दशा - सामान्य |
२५० प्रति नं० २ । पत्र सं० १५६ साइज - १२x६ च । लेखनकाल x । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध देशा- सामान्य । वेष्टन नं० २०८१ ।
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[धर्म एवं प्राचार शास्त्र,
२५१ प्रति नं०३ । पत्र सं० २३५ । साइज-२४ इन्च । लेखनकाल-सं० १८२३ अबाद वुदी १। पूर्ष एवं सामान्य शुद्ध । दशा- उत्तम । बैप्टन नं० २०८२ ।
. २५२ प्रति नं०४ पत्र सं० १७१ साइज-१२x६ इञ्च । लेखनकाल-सं. १७०६ माह बुदी १३
जीर्ण । वेष्टन नं
.
वशेष--मनोहर के शिष्य नेजपाल ने प्रतिलिपि कार्या।
२५३ सिद्धान्तसारदीपक नथमलविलाला । पत्र सं० २१६ । साइज-११४७ च । भाषा-हिन्दी । विषय- । सिद्धान्त । रचनाकाल . सं. १८२८ । लेखनकाल- १८८४ । पृय एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । चेप्टन नं० २०८६ । ।
।
विषय-धर्म एवं आचार शास्त्र
अन्य संख्या-२५४-५४८ २५४ अनगारधर्मामृत-१० पाशाधर । पय सं० २६ ! साइज-१२x६ इन्च | भाषा-संस्कत । विषयभनि धर्म वर्णन | रचनाकाल x | लेखनकाल-२०१५५३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य वेष्टन नं. १ | र
विशेष--:ति में सामान्य का भी दी हुई है । लेक प्रशस्ति इस प्रकार है
संवत् १५१ : वर्षे ज्येष्ठ सुदी १० षंड जातीय दोसी इमा मार्ग हाच मत दोसी, भूचर भार्या लंगो मुत नाया जीवएतो लेख यित्वा दत्त पुस्तकमिदं मुनिविजयकीर्ति पठनार्थम् ।
१५ अनुभवप्रकाश-पं. दीपचन्द काशालीवाल | पत्र =। माज-=x६: च । मात्रा-हिन्दी वियम्-धर्म । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १७ पौष मुकी है। पूर्व एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । बेएन नं० १५ ।
विशेष-लेखनरमान बसका { जयपुर )
५६ अरहंतों के गुरण..."। पत्र से ० ५ | साइन-३४६, इन | भाषा-हि-दी। विषय-धर्हतों के गुणों का वर्णन । रचनाकाल - । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० २६ ।
२५७ आचारसार वृत्ति-प्राचार्य सुनदि । पत्र सं. ३ । साइज-११४१ इन ! भाषा-प्राकृत-संस्कृत ।। 1. दिषय-प्राचार धर्म का वर्णन | रचनाकाल x | लेखनकाल–स. १६.१। अपूर्ण-एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य ।
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स एवं प्राचार शास्त्र]
१२
ननं०६४ । र विशेष-अन्तिम पत्र नहीं है । इस ग्रन्थ के मूलकर्ता श्री वट्टकेराचार्य है।
२५८ श्राराधनासार-देवसेन । पत्र सं० ! साइज-10४४३ इन्च | माषा-प्राकृत । विषय-धनं । पुरचनाकाल - । लेखन काल X । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १२७ ।
विशेष - संस्कृत में टीका दी हुई है।
२५६ प्रति नं०२ । पत्र सं० २. । साइज-१०४ च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-कार्य। न न. १४०।
विशेष-संस्कृत में टीका दी हुई है। पानी में भीगने से प्रति के पत्र गल गये हैं । .. २६० प्रति नं. ३ । पत्र सं० । । साइज-१०x१३ | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । टन नं. १४।।
२६१ इष्टछत्तीसी-६० बुधजन । पत्र सं० ६ । साइज-८४४ इन्च | भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । रचनापाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४ । .
. २६२ पदेशरत्नमाला---० सकल भूषण ! त्र हं० ११८ ! साइज... १२४५.३ इन्च । भाषा-संस्कृत विषयजन साधारण के लिये कमों पर उपदेश । रचनाकाल-स. १६२७ । लेखनकाल–सं० १७४७ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं ० १७६ ।
२६३ प्रति नं० २ । पत्र सं० ११ । साइज-१०३४५३ च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध । दसाजीये । वेष्टन नं० १८०। ... २६४ प्रति नं. ३ 1 पसं. १ । साइज-१०x४३ इन्च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण-प्रारम्भ के ... पत्र नहीं है। सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. १८१।
२६५ प्रति २०४। पत्र सं० ३६-१३१ । साइज-११४५ इन्च । लेखनफाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध शा-सामान्य । वेष्टन नं० १८२ ।
२६६ प्रति न० ५। पत्र सं० १-७१, १०१-3 तक | साज-१.६x४३ इम्प । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १८३ ।
२६७ प्रति नं०६ । पत्र सं. १७१ । साईज-१३४ इन्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुर। शा-सामान्य । बेएन नं. १८४ ।
: Pr: : : : .. २६८ प्रति नं० । पत्र सं० २३. | साइज-txer | लेखनकाल–सं० १६८६ भादवा सुदी ।। पूर्व एवं सामान्य शुद्ध | रंशा-और्ण शीर्ण । वेष्टन नं. १८५ ।
२६६ उपदेशरत्नमाला भाषा..'। पत्र सं० ३६ | साइज-१०६४७ रन्च । माषा-हिन्दी गध । विषय
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धर्म एवं श्राचार शाम जनसाधारण के लिये कर्मों पर उपदेश । रचनाकाल-स. १६७२ । लेखनकाल-सं० १६६४ / पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । बेग्टन नं. १८८
विशेष -लेखक बाबा दुलीचंद । धर्मदासगसि द्वारा रचित उपदेशरत्नमाला का तिप्त अनुवाद है।
२७. प्रति नं. २ । पत्र : ५५-५१६x४, इम्च । लेखनकाल x ] पूर्ण एवं शुद्ध । दशाउत्तम । बेष्टन नं० १८६।
२७१ उपदेशसिद्वान्तरत्नमाला-मागचन्द । पत्र सं. ४ । साइज-१:३४८ इञ्च | माषा-हिन्दी।। विषय-धर्म । रचनाकाल-सं. १६१३ । लेखनकाल-सं० १३५ । पूर्ण एवं शद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १६ ।
२७२ प्रति नं. २ । पत्र सं० :४ । साइज-१२४६३ इञ्च । लेखन काल x | पूर्ण एवं सामान्य युद्ध। दशा-सामान्य जीर्ण । वेष्टन ने० १८७ ।
२७३ उपदेशरत्नमाला-बाबा दुलीचन्द । पत्र सं० ४ | साइज--x६ इन्च | माषा-हिन्दी । विषयफर्मों पर उपदेश । रचनाकाल-सं. १६६४ । लेखनकाल–सं. १६७४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा--सामान्य । वेष्टन नं ० १६० 1
२७४ उपासकाचार-पूज्यपाद स्वामी । पत्र सं० ६ । साइज-१०४५ इन्च । माषा-संस्कृत । विषय-प्राचार धर्म का वर्णन | रचनाकाल x | लेखन काल-सं० १६३८ चैत्र चुदी १० । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १११
२७५ प्रति नं० २। पत्र सं० : ! साइज-१.१४४३ इन्च । लेखनकाल-सं० १७२५ । पूर्ण एवं राम। । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६३ ।
विशेष- सांगानेर में जोधराज गौदीका ने प्रतिलिपि करवायी थी ।
२७६ प्रति नं०३ | पत्र सं० २ । साहज--१३४७ इन्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । मेष्टन नं. १६४ ।
२७७ प्रति नं०४ । पत्र सं. ४ | साइज-१२४४३ इन्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुस । दशासामान्य । वेटन नं. ११५
९७८ प्रति नं० ५। पत्र सं० ७ । साइज-११४६ इञ्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य । शुद्ध दशासामान्य । वेष्टन न. १६६ |
२७६ उपासकाध्ययन-वसुनंदि। पत्र सं०३५ साइज-११४४३ च। माषा-पाकत । विषय-धर्म! रचनाकाल X । लेखनकाल--सं० १७०३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६८। .
२८० प्रति नं० २ | पत्र सं० ४४ : साइज-१०६x४३ च । लेखनकाल–सं० १६११ पौष सुदी ११।। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न. १६६ ।
विशेष-लेखक प्रशास्ति का एक संश।
"पौरवारान्वये चौदहागोत्रे सा माधो तदभार्या मोजी...... एतेषा मध्ये सा• राजा तदमार्या मुहाई इदं लिखाप । मंडदाचार्य श्री धर्मचंद्राय दत्त ।"
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KAISE
धर्म एवं प्राचार शाम्ब]
२८१ प्रति नं० ३ । पत्र सं० २-२८ |साइज-१०x१५ च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १६७।
२८२ प्रति नं-४! पत्र सं० २४ I साइज-१०४४ इव | लेखनकाल-सं. १५७२ फाल्गुण हुदो । । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेष्टन नं० २००१
विशेष-श्रीहरिसिंह ने प्रतिलिपि करवायी थी।
१३ एकत्वसति-पधनन्दि | पत्र सं० २१ । साइज-६x४ इञ्च | भाषा-संस्कृत | विषय-धर्म । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेटन नं० २०६।
विशेष-हिन्दी अर्थ सहित है।
२८४ कर्मविपाक.....'। पत्र सं० ११२ । साइज-१२३४६३ इञ्च | भाषा-हिन्दी पद्य । विषय-कर्मों का वर्णन । लेखनकाल-सं. १८३६ : पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४४ ।
विशेष-गुटके के रुप में है । संग्रह ग्रन्थ है। श्री देवकर्ण ने कर्मविपाक प्रध लिखवाया था ।
२८५ कर्मविपाकसारचूर........! पत्र सं० । साइज-१०x४६ इञ्च | माषा-प्राकृत | विषय-धर्म । नाकाल x | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४५ ।
विशेष-हिन्द अर्थ भी दिया हुआ है।
२८६ क्रियाकलाप-प्रमाचन्द्र । पत्र सं० १०२-१२५ । साइज-६x४ इञ्च 1 माषा-संस्कृत । विषय-धर्म। चनाकाल X । लेखनकाल–सं० १६४८ अषाढ वदी । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । प्रारम्म के १०१ पत्र नहीं हैं दिशासामान्य । वेटन नं. १७१।
विशेष-देवापांडे ने प्रतिलिपि की यो।
२८७ प्रति न०२ । पत्र सं० १ . | साइज-१०६x४६ इन्च । लेखनकाल–सं० १७२७ । पूर्ण एवं शुद्ध । सा-जीर्ण । वेष्टन नं० २७२ ।
२८८ क्रियाकलापवृत्ति.....पत्र सं० १ ० । साइज-१०x४ इञ्च । माषा-प्राकत-संस्कृत । विषय-धन । रचनाकाल X ! लेखनकाल-सं० १४१८ श्रापार बुदी १३ बुधवार । पूर्ण । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २७३ ।
विशेष-प्रशस्ति निम्न प्रकार है।
___ २८६ क्रियाकोश-किशनसिंह । पत्र सं० १०० | साइज-१०६x६५१क्ष | भाषा-हिन्दी | विषय-प्राचार १. शास्त्र । रचनाकाख-सं० १७८४ । लेखनकाल-सं० १८२० सावण बुदी १४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन
विशेव-दौसा राणोली निवासी जीवराजजी पांच्या ने प्रतिलिपि को यो । र २६० प्रति नं. २ | पत्र सं० १५२ साज-११४५ इन्च । लेखनकाल–सं. १९३० । अपूर्व-तीन प्रतियों
मिश्रण है। सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन न० २७६ ।
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१५२
{ धर्म एवं आचार शास्त्र २६१ प्रति नं. ३ । पम सं० १६ । साइज-४४ च । लेखनकाल-सं. १६ । पूर्ण एवं शुष्ट । दशा सामान्य । वेष्टन न० २... !
विशेष-गुटके में है। बांसखी (जयपुर) निवासी श्री भरसी के पुत्र सदाराम ने प्रतिलिपि की थी।
२६२ प्रति नं.४। पत्र सं. 53 । साइन--१२४ इन्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुध्द । दशा-सामान्य । पेटन न. २७० |
विशेष-दो प्रतियों का मिथरण हैं।
२६३ क्रियासार"""1 पत्र सं. 1 साइज-०४४ इन्च । भाषा-प्राकृत । विषय-धर्म । रचनाकाल | नैखनकाल ४ ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य 1 बेटन नं. २ ।
विशेष-८० गायायें है।
२६४ कंवलमुक्तिनिराकरण-प. जगन्नाय । सं० १: | साज-10x५ इञ्च | माषा-सस्कृत | विषयधर्म । रचनाकाल X । लेखनकात ४ । अपूर्ण एवं सामा य शुष्द । शा-सामान्य । वेष्टन नं ० २८६ ।
२६४ गुण वर्णन........... पत्र सं० ५ । साइज-११४५ ६८ | भाषा-हिन्दी । विषय--धर्म । रचनाकास । लेखनकल X । पूणं एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ० ३१६ ।
विशेष-प्रात्मा, सिध्द तथा नरकों के दुःस्व का वर्णन ।
२६६ चउसरण बालावबोध...."| पत्र सं. = 1 साइज-१.x४ इन्च । भाषा-प्राकृत | विषय-धर्म । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० 15५ चैव मुदी । । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ६६ ।
विशेष – हिन्दी में गाथाओं का अर्थ दिया हुआ है । ६, इन्द्र सागर ने प्रतिलिपि की थी।
२६७ चारित्रसार ( भावानासार संग्रह)-श्रीमच्चामुड महाराज । पत्र सं० ६ ० । साइज-११६४५ इमा! माषा-संस्कृत | विषय-धर्म । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं. १५२१ वैशाख सुदी १० शनिवार । पूर्ण एवं शद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं ० ४१३ ।
२६८ प्रति नं०२। पत्र सं० ३४ । सारज-१६x च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । | बेप्टन नं. ४१३।
. . विशेष-खण्डेलवालान्वय ठोल्या गोत्र में उत्पन्न संधई ना। भार्या नागसिरी संघही चाहड की पुत्री ने मुनि जयकीर्ति को यह प्रन्म प्रदान किया था।
२६ प्रति नं०३ । पत्र सं० ८ १ । साइज--१२४५ हज । लेखनकाल-सं० १५६३ अषाद पुदी १४ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४१४ |
- विशेष-लेखक प्रशस्ति का संक्षिप्त अंश-मंडलाचार्य धर्मचन्द्रदेवाम्नाये महाराणा संग्रामदेवराज्ये चंपावती नगरे । मोलको गोत्रे श्री रामचन्द्रप्रतापे खण्डेलवालान्बपे रोग्या गोत्रे सा. रेडा इंद शास्त्रं लिखाष्य अर्जिका बाई पद्मसिरिय दत्त।
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प्रम एवं आचार शास्त्र]
३०० चारित्रसार पंजिका.....! पत्र . | साइज-10x इम्च । माषा-संस्कृत । विषय-धर्म । नाकाल X 1 लेखन काल X | पूर्ण एवं शुध्द । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ४१६ ।
३०१ चारित्रसार भाषा"..."| पत्र सं० २०७ । साइज-Ex६३ इन्च । भाषा-हिन्दी गद्य । विषय-आचार शास्त्र । रचनाकाल x | लेखनकाल X ! दूसरे अध्याय तक पूर्ण । शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन न. ४१५ ।
विशेष - चामुंडराय कृत चारित्रसार की भाषा है।
३०२ चारित्रसार भाषा-मन्नालाल । पत्र सं० २.. 1 साइज- १०४५ हच । भाषा-हिन्दी ( गघ : | विषयचारित्र । रचनाकाल-२० १७८१ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम | बेष्टन में. ४१७ । ... . विशेष - अन्य प्रशस्ति विस्तृत हैं ।
३०३ चिविलास-दीपचन्द कासलीवाल । पत्र से० ४३ ) साइज १२४५ इन्च । माषा-हिन्दी गय । विषयधर्म | रचनाकाल-सं० १७७६ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं ० ४१८ |
३०४ प्रति नं० २ । पत्र सं० ६८ । साइज--१.३४५ इव । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४१६ |
३०५ चतुःशरण प्रवृत्ति..। पत्र सं. ७ | साइज-१-४४३ इम्च । माषा-प्राक्त । विषय-धर्म । रचनाकाल X । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-जी । वेटन नं. ४. ।
विशेष-हिन्दी में टवा टीका दी हुई है । ___ ३८६ चौवीसठाणाचर्चा-पा० नेमिचन्द्र । पत्र सं० २ । साइज-११४६ इन्च । माषा-प्राकृत । विषयधर्भ । ननासल X । लेखनकाल-सं० १७८२ फागुण युदी ६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४३४ ।
३.७ प्रति नं० २। पत्र सं० १५ | साइज-२०४५ 11 लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । पेटन नं. ४२५ ।
३०८ प्रति नं० ३ । पत्र सं. १५ | साइज-१२४५ इन्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुष्द | दशा-सामान्य । टन नं० ४२.७ ।
३०१ प्रति न०४। पत्र सं०३२ साज-.x६च | लेखनकाल-सं. १७॥ दशा-सामान्य । बेष्टन नं. ४२६ ।
३१० प्रति नं० ५। पत्र सं० १६ । साज-ex५३ हश्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- . सामान्य । वेष्टन नं. ४२८ ।
. ३११ प्रति न०६। पत्र सं• ३३ । साइज-१२४५ इय । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेटन नं० ४२६ ।
३१२ प्रति न० । पत्र सं० २१ साहड-1.६x४३ च । लेखनकाल-सं० १८१२ । अपूर्ण एवं शुध्द । शा-सामान्य । वेष्टन नं. ४३. . .
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१५४
[धर्म एवं आचार शाम
विशेष-बासत्रा नगर में चन्द्रप्रभ चैत्यालय में पं० परसराम के पठनार्थ प्रतिलिपि की गयी थी।
३१३ प्रति नं०८१ पत्र सं. ७ । साइज-१११४५३ इन्न । लेखनकाल-सं० १७०२ ज्येष्ठ युदी १२ | एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४३१ ।
३१४ प्रति नं.पत्र सं० ४२ । साइज-१२४४ च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दश सामान्य । वेष्टन नं. ४३२ ।
३१५ प्रति न०१०। पत्र सं० ४४ । साइज-11xइ । लेखनकाल-सं० १७६८। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४३३ ।
__३१६ प्रति नं०११ । पत्र सं० १२ । साइज-११x६ इन्च | लेखनकाल x | अपुर्ण एवं शुष्द । दशासामान्य । वेष्टन नं० ४३३ ।
३१७ प्रति नं०१२ । पत्र सं . ४३ । साइज-,१४५ इन्च । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं. ४३३ ।
३१८ चौबीस ठाणाचा ...! सत्र ६. ! १३-११४६५ च । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म। रचनाकाल ४ । लेखनकाल-सं० १७०४ पौष शुक्ला ८ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० ४३६ । विशेष-- सीलोर में जोसी भीपति ने प्रतिलिपि की मी ।
क-लक्ष्मीवल्लभ गणि । पत्र सं. २४ | साइज-१२x६ इञ्च | माषा-प्राकृत | विषय-चर्चा | रचनाकाल x | लेखन काल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्धः । दशा-जीर्ण । वेष्टन में. ४३५ ।
विशेष-हिन्दी अर्थ भी दिया हुआ है।
३२० चौरासीबोल-हेमराज । पत्र स. I साइज-१०४४ इञ्च | भाषा-हिन्दी। विषय-धर्म । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १७२३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. ४४१ ।
विशेष-स्वामी वेणीदास ने औरंगाबाद में सं० १७२३ पौष सुदी ५ को इस ग्रन्थ की प्रतिलिपि की थी।
३२१ छहढाला-40 बुधजन | पत्र सं० ६ । साइज-१०३४५ च । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । रचनाकाल-स० १८५० | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ४५३ ।
३२२ छेद सूत्र....."| पत्र सं. १०। साइज-10४४ इश्च । भाषा-प्राकृत । विषय-श्रावकाचार | रचनाकाल | लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेष्टन नं. ४५४ |
विशेष-प्राकृत से संस्कृत में अर्थ दिया हुआ है।
३२३ जीव विचार.....। पत्र सं० ७५ । साइज-१२४५ इन्च । मावा-प्राकृत । विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल X । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ५०२ । - विशेष-गाथाओं का अर्थ पहिले संक्षिप्त रुप से संस्कृत में और फिर विस्तृत रूप से हिन्दी में दिया हुआ है। यह क्रम केवल १० गापा ( १५ पत्र ) तक है । फिर स्वतन्त्र रूप से वर्णन है।
है
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धर्म एवं प्राचार शास्त्र]
३२४ जैनगायत्री.....'। पत्र सं० । । साइज-१२४.४३ । माषा-संस्कृत । विषय-धर्म । रचनाकाल ४ । लेखनकाल-सं० १६८५ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. ५०४ ।
३२५ जैनमतभाषा.....1 पत्र सं० ६८ 1 साइज-१०३४४६ च। माषा-हिन्दी। विषय-धर्म । रखनाफाल x | लेखनकाल-से० १८४६ { पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ५०५ ।
विशेष-सालिगराम भावसा ने पटने के लिये महात्मा गोविन्दराम के द्वारा प्रतिलिपि करवायो यो ।
३२६ जैनागारप्रक्रिया-बाबा दुलीचन्द । पत्र सं०४८ । साइज-११४५ इश्व ! माषा-हिन्दी । विषय - धर्म । रचनाकाल-सं० १९२५ । लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ११३ ।
३२७ प्रति नं०२१ पत्र सं० २५ । साइज-:x८ । लेखनकाल-१० ११६ । पूर्ण एवं शुद्ध । शा-उत्तम । वेष्टन नं. ५१४ ।
३२८ धर्मोपदेशरत्नमाला- सुखाच६ । पत्र. १४ | साइज-११४६ इच । मामा-हिन्दी । विषयधर्म । रचनाकाल-सं० १६६४ । लेखनकाल-सं० १९६४ फागुण बुदी २ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ०२३
विशेष-लिपिकार स्वयं बावा दुलीचंद है । उसका दूसरा नाम उपदेशरत्नमाला मी है ।
३२६ धर्मोपदेशश्रावकाचार-भ. रतभूषण । पत्र सं. | साइज-१२४६ इछ । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म । रचनाकाल X 1 लेखनकाल-सं० १.२० । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न० ८२४ ।
३३० झानानंदश्रावकाचार-६० टोडरमलजी । पत्र सं० १४४ । साहज-१३४७६ | भाषा-हिन्दी गथ । , विषय-प्राचार । रचना संवत् ४ । लेखनकाल-सं० १६३० । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० ५६१ ।
विशेष-जयपुर नगर में पालम निवासी श्री गोविन्दराम ने प्रथ की प्रतिलिपि की घी :
३३१ तेरहपंचखंडन-पं० पन्नालाल । 'पत्र सं० २४ साइज-११४७ इद । भाषा-हिन्दी 1 विषय-धर्म । र रचनाकाख x | लेखनकाल X ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा--सामान्य । वेश्न . ६४० ।
३३२ धर्मदास दुलीचंद का पत्र व्यवहार-दुलीचंद । पत्र सं० ६ । साइज-११६x४६ इञ्च | भाषाकी हिन्दी गध । विषय-चर्चा | रचनाकाल-६० १६४६ । लेखनकाल-सं० १६४६ अषाट सुदी २ रविवार । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. ८१४ ।
३३३ त्रिवर्णाचार-भट्टारक सोमसेन । पत्र सं० १२४ । साइज-१२४५३ इन्च । भाषा-संस्कृत | विषयपर्म । रचनाकाल | लेखनकाल-सं० १७६७ श्रावण सुदी १ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न. ६८१ ।
विशेष - संग्रामपुरमध्ये महाराजाधिराज श्री सवाई जयसिंहजी विजयराज्ये पुस्तकं लिखापितं ।
३३४ धर्मरनाकर...! पत्र सं० ११५ । साइज--१०३४४३ च ! माषा-संस्कृत । विषय-धर्म । रचनाकात x + लेखनकाल ४ | थपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८१०॥
... ३३५ धर्मरसायन-पनानंदि । पत्र सं० १० । साहज-१.४५ इन्च । माषा-प्राकृत । विषय-धर्म । रचनाYRX | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न. १५
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. धर्म एवं आधार शाम . .. .६६६ वेपनक्रिया वर्णन ..."। पत्र सं० २४ । साइन-१०x४, इन्न । भाषा-हिन्दी । विषय-श्राचार।। रचनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण सुन्दर तथा शुद्ध । दशा-सामान्य बेष्टन नं. ६८५ |
३३७ पनक्रियाकोश-दौलतरामजी । पत्र सं० १.४ । साइज-११४६ इच्च । माषा-हिन्दी विषय- प्राचा शास्त्र । रचनाकाल-सं. १७६५ | लेखनकाल-०१८४४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न. ६८५। ..
३३८ प्रति नं०२। पत्र सं. २०१ साइज-११६४ । लेखनकाल ४ । अपूर्ण १८ को, २१ का तथा २३ चे पत्र से आगे नहीं है। ।३१ गायाया तक है। हिन्दी गथ में अर्थ दिया हुआ है 1 बीच ६ में अर्थ कटा हुधा मो है। शायद प्रति का पोछे संशोधन किया गया है । लिपि-सामान । दशा-जीर्ण ! वेष्टन ने० ८११ | .:
३३६ धर्मरासो....। पत्र सं० १६ । साइज-११४४ इन्न । माषा-हिन्दी । विषय-धर्म । स्वनाकाल । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण-शीर्ण । वेष्टन नं. ८१२ .
. . .: ३४० प्रति नं. २ । पत्र सं० २१ । साइज-११४७ इन्च | लेखनकाल पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन ने 7 ६८६ ।
३४१ धर्मरासो....... | पत्र में० ३. | साइज-३४४ इश्च । माषा-हिन्दी । विषय-धर्म । रचनाकाल x} लेखनकाल-सं० १५८ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ८५
विशेष- सांगानेर में दुलीचंद जी श्रावक ने प्रतिलिपि की मी ।
३४२ प्रति न.३। पर मं. ६ ! साज-१.४५ च । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । बेटन नं. २
३४३ दशलक्षणधर्म वर्णन...."। पत्र. ४४ । माइज-१२४७ । श्व | भाषा-हिन्दी गद्य । विषयधर्म । रचनाकाल ४ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्र । दशा--सामान्य ! वेष्टन नं. ७०५ ।
३४४ धर्मसार-पंडित शिरोमणि । पत्र सं० ७५ । साइज-६x४: श्च । माषा-हिन्दी । विषय-धर्म । । रचनाकाल-सं. १७३२ । लेखनकाल-सं० १८६६ : पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन ने ० ८२१ ।
३४५ धर्मोपदेशपीयूष-ब्रह्मनेभिदत्त । पत्र ६.० १२६ । साइज-११४४३ ४ञ्च । भाषा-संस्कृत । विष:प्राचार-शास्त्र । रचनाकाल ४ ! लेखन काल ४ । पूर्ण एवं मामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. ८२२ । ..
.३४६ धर्मसंग्रह श्रावकाचार-पं. मेधावी । पत्र सं० ७२ । साइज-१०३४४ च । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म । रचनाकारल-सं० १४४० ! लेखनकाल XI पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्या । बेटन नं० ८१ - ... .:. ३४७ प्रति नं०३ । पत्र सं०६ • । साइज-११६४५ इन्च : लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं. १८ ।
३४- प्रति नं. ३ । पत्र सं० : | साइज-१२४५६ इन्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्य ! बेटन नं.८२.।
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म एवं प्राचार शास्त्र
३४६ निगोदषद निशिका.......! पत्र सं० । साइज-१०४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विश्य-धर्म । रचनालेखन काल-सं० १६५३ कात्तिक बुदी। पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं.
२५० नियमसार-या. कुन्दकुन्द । पत्र सं० ११२ । साहज-११४४ इभ | माषा-प्राकृत । त्रिश्य-धर्म । कालं X । लेखनकाल- ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन मं०६८ |
विशेष-पद्मप्रभमलघारिदेव कृत संस्कृत टीका भी है।
३५१ प्रति न०३ । पत्र सं० १२ ! साइज-११४५६ इञ्च | लेखनकाल-सं० १७७ । माह सुदी १० । गर्व एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं ।
विशेष—सांगानेर में साह बगसीराम के पठनार्थ लिखी गयी थी।
३५२ पद्मनंदिपंचविंशति-पद्मनन्दि ! पत्र सं० १.१ । साइज-११३४५६ ४श्च । भाषा-संस्कृतं । विषय-धर्म । दिनाकाल X । लेखनकाल-सं० १६१३ वैशाख युदी : ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा--सामान्य । वे टन नं० ६५१ ।
३५३ प्रति नं. २ । पत्र सं० १०१ । साइज-१.१४४३ इन्च । लेखनकाल-सं० १७१० । पूर्ण एवं शुद्ध। रशां-सामान्य । बेष्टन नं ० ६५२ ।
३५४ प्रति नं. ३ । पत्र सं० ८५ । साइज-१४४३ इञ्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । रन नं० ५३ | . .. ३५५ प्रतिनं०४। पत्र सं ० ८ ० | साइज-११४४३ इन्च : लेखनकाल-सं० १५८० । अपूर्ण एन सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं. ६५४ |
३५६ प्रति नं. ५। पत्र सं० ११ । साइज-११४५ इन्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १५५ ।
३५७ प्रति नै०६। पत्र सं० १४१ साइज-६x४३ इन्च । लेखनकाल–सं० १७६० माघ शुक्ला २ बुधवार । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ६५६ । .
. : .....: ..विशेष-संस्कृत में साधारण टीका भी है । धनराज ने प्रतिलिपि की पौ।
। ३५८ प्रति नं. ७ । पत्र सं. २१ । साइज-११४६ इञ्च । लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । देशा-सामान्य 1 वेष्टन नं.६५६ ।
३५६ प्रति नं.८ । पत्र सं० २५ । साइज-२२४५ ५८च । लेखनकाल x । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन नं.६५७ |
३६० प्रति नं०६ | पत्र सं० २-१३० 1 साइज-१.१४५ ६म्च । लेखनकाल-सं० १५७५ फाल्गुण सुदी ७ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं० १५८ ।
विशेष-बीजापुर में प्रतिलिपि हुई थी। और शिवराम ने प्राचार्य श्री गुणचंद्र को प्रदान को यो । ३६६ प्रति न० १० । पत्र सं० ६४ । साइभ-१२४५ इञ्च । लेखनकाल-स० १८४५ श्रासोज बुदी १४
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१६०
शुद्ध दशा-उत्तम | टन नं० १९०२
विशेष - जयपुर में सवाई रामसिंहजी के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई थी ।
पुरुषार्थसिद्धच पाय भाषा महापंडित टोडरमलजी । पत्र ० हिन्दी गद्य । विषय-धमं । रचनाकाल मं० १ २ | लेखनकाल x पूर्ण एव शुद्ध ३० पुरुषार्थसिद्धय पाय भाषा पत्र स०|स धर्मं । रचनाकारण × ! लेखनकाल । श्रपूर्ण - याग के पत्र नहीं है। पूर्ण एवं शुद्ध
दशा जो वेष्टन नं ११२६ ।
६६ प्रति नं० २ । पत्र ०९ | साइज - १० इञ्च । लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध |
:
२८ प्रतिक्रमण-पं प्राचंद्र । रचनाकाल × । लेखनकाल । पूग एवं शुद्ध प्रतिक्रमण
पत्र काल × । लेखनकाल × ' पूर्ण एवं शुद्ध दिशा- सामान्य । वेष्टन नं० १९४२ | ३८६ प्रतिक्रमण
काल × | लेखनकाल × । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ११४१ |
[ धर्म एवं आवार शास्त्र
० | साइज - ११४० च । माशदशा - सामान्य । वेष्टन नं ११२ } | भाषा - हिन्दी | विषय
११६
दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ११२६ ।
पत्र ०४ । साह - १२३४३ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म | दशा- सामान्यष्टननं० ११४३ ।
२४ | साइज - १०x८३ इन्च | भाषा प्रांत । विषय-व्यान | रचना
पत्र ०३ साइज - १२९६३ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय -धमं
विशेष - मालवदेश सारंगपुर में प्रतिलिपि हुई थी ।
,
रचना
३६० प्रतिक्रमण
कारद्ध × | लेखनकाल × । श्रपूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ११४३ (क)
विशेष - हिन्दी अर्थ भी हैं।
३६१ प्रश्नोत्तरोपासकाचार - सकलकीर्ति । पत्र सं० १३९ | साइज - १०३४४३ इश्च | भाषा-संस्कृतं । विषय-श्रावक धर्म वर्णन | रचनाकाल । लेखनकाल सं० १६४५ पौष शुक्ला ६ पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य ॥
वेष्टन नं० १२०० |
पत्र० १० | साइज - १०x४६ इन्च | भाषा - प्राकृत विषय-धम | रचना
१ :
३६२ प्रति नं २ । पत्र स० १०१ | साइज १०३ इञ्च । लेखनकाल । अपूर्ण प्रारम्भ के ६८ प नहीं हैं | शुद्ध | दशा - सामान्य । वैष्टन नं० १२१६ /
३६३ प्रति नं ३ | पत्र सं० २३३ | साइज - १९४५ इञ्च । लेखनकाल - सं० २०२५ । पूर्ण एवं सामान्य शुध्द | दशा - सामान्य | वेष्टन न० १२०२ |
विशेष - आमेर में जयसिंहजी के शासककाल में श्री महेन्द्रकीति ने श्रीधरजोशी के पास प्रतिलिपि करवायी थी ।
३६४ प्रति नं० ४ । पत्र सं०६८ साइझ ११३५ इञ्च । लेखनकाल X | अपूर्ण एवं शुध्द | दशा सामान्य | वेष्टन न० १२३८ |
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धर्म एवं आचार शास्त्र ]
१६१
३६५ प्रति नं० ५ | पत्र सं० १०० | साइज - ११३७३ इश्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन मं० १२०१ ।
३६६ प्रति नं० ६ | पत्र सं० १२४ | साइज - ३०३ : ३ इन्च | लेखनकाल- सं० १८१५ मंगसिर बुदी १ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १२११
३६७ प्रति नं ७ | पत्र सं० ६८ | साइज - ११३४५३ इश्व | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशाजी | वेष्टन नं० १२०५ |
३६८ प्रति नं० ८ | पत्र सं० १९ | साइज - १२९५ ६ञ्च | लेखनकाल - सं० १६०७ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- जीर्णं । वेष्टन नं० १२८४ ।
३६६ प्रति नं० ६ । पत्र सं०७४ | साइज - १२४४३ इञ्च | लेखनकाल - सं० १८१२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य | वेष्ठ १२०२
1
४०० प्रति नं० १० । पत्र सं० ६२ | साइज - १२४६ इश्व | लेखनकाल - सं० १७८५ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १२०८ ।
विशेष – मोजमाबाद जयपुर में प्रतिलिपि हुई थी ।
४०१ प्रति नं० ११। पत्र से० १३२ । साइज - ११३४६ इच । लेखनकाल- सं० १७१७ ज्येष्ठ सुदी ७ । पूर्व एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १२०३ ।
४०२ प्रति नं० १२ | पत्र सं० ७७ साइज - ११९५ इञ्च । लेखनकाल - सं० १८८६ । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुध्द | दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १२०६ ।
४०३ प्रति नं० १३ | पत्र सं० ५७ | साइज - १२७३६ । लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १२०७ ।
४०४ प्रति नं० १४ | पत्र सं० ८२ । साइज - ११३५५३ इन्च | लेखनकाल - सं० १६ फागुण वृदी है। अपूर्ण-२ से ६० तक के पत्र नहीं हैं । सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १२१० |
विशेष — श्री रत्नसीराज्यप्रवर्तमाने कुवर श्रीसंग्रामप्रतापे सांगानयरि नाम महापत्तने श्री वृद्ध मान चैत्यालये सोनी गोत्रे ली नाम श्राविका हदं शास्त्रं लिखाप्य श्रा० प्रतापश्रियै घटापितं ।
४०५ प्रति नं० १५ | पत्र सं० १५६ ३ साइज - १०३५ । लेखनकाल - सं० ११०० पौष बुदी ४ । पूर्ण शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १२१२ |
४०६ प्रति नं० १६ | पत्र सं० १२५ | साइज - ११५५३ इन्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशाअन्य वेष्टन नं० १२१३ ।
विशेष - तीन प्रकार को प्रतियों का सम्मिश्रण है ।
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१६२
[धम एवं प्राचार शास्त्र ४०७ प्रति नं० १७ । पत्र सं0 2017- ४ इन्च | लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १२१४ ।
४८८ प्रति नं० १८ । पत्र सं० २-० :२४५१ इञ्च । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य बेष्टन नं० १२१५ ।
४८६ प्रश्नोत्तरोपासकाचार-बुलाकोदाल . । ११ । साइज-१२४१३ इञ्च । भाषा--हिन्दी । विषय-1 प्रश्नोत्तर के रुप में श्रावक धर्म वर्णन । स्वनाकाल-सं० ):... वनकाल-सं. १८३५ फागुण बुदी ६ । पूर्ण एवं सामान्य । शुद्ध । दशा-सामान्य । बैप्टन नं. १२१८ ।
४१० प्रति नं. २ । पत्र सं० ११ । सा- इञ्च । लेखनकाल-सं० १८५१ । पूर्ण एवं शुद।।। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १.१।
४११ प्रति नं०३ । पत्र सं० १३८ । साद ..2 इच्च । लेखनकाल-सं० १८४५ । अपूर्ण-प्रारम्म के ७१ पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेष्टन : .. २३ । ४१२ प्रति ०४
साइज-इञ्च । लेखनकाल–सं० १८०६ । अपूर्ण-प्रारम्म के ७५ पृष्ठ नहीं है । सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं. :: . .
४१३ प्रति नं० ५। पत्र सं० ११० । साइज-2/ इश्व ! लेखनकाल X । अपूर्ण-११० से श्रागे के पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १२२ः ।
४१४ प्रति नं०६। पत्र सं० ११० । साइज- 1 इम्च । लेखनकाल-सं० १८०७ । पूर्ण एवं सामान्य दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १२२२ ।
४१५ प्रति नं०७ । पत्र सं० १३५ । साइज-11 :श्च । लेखनकाल-सं० १७३३ । पूर्ण एवं सामान्य शुध्द । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १२२२ ।
४१६ प्रति नं.८ । पत्र सं० १११ । साइज-१४ । लेखनकाल-सं० १८२० । पूर्ण एवं शुद्ध। दशा-सामान्य ! वेष्टन नं० १२२१ ।
४१७ प्रति नं० पत्र सं० ११४ । साइज-१२४ : | लेखनकाल-सं० १६१३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १२१७ ।
४१८ प्रति नं० १०१ पत्र सं०६६ । साइज-११४ च । लेखनकाल-सं. १८६३ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १७३४ ।
४१६ प्रायश्चितविनिश्चय वृत्ति-नन्दिगुरु । पत्र सं० २३ । साइज-११४७३ इन्च । माषा-संस्कृत । विषयधर्म । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १८५५ चैत्र शुक्ला १२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १२३३ ।।
विशेष--जयपुर में तेरहपंथियों के चैत्स्यालय में प्रतिलिपि हुई थी।
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धर्म एवं श्रावार शास्त्र }
१६३
४२० प्रति नं० २ । पत्र सं० २६ | साइज - १२५३६ | भाषा-संस्कृत | विषय - धर्म । रचनाकाल X दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ४२० ।
बिखनकाल - सं० १८२= | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
४२१ प्रति नं० ३ | पत्र सं० २१ | साइज - १०३४५ इञ्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० ४२१ ।
४२२ प्रति न० ४ | पत्र सं० ४३ | साइज - २५ इन्च | लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य ! बेष्टन नं० ४२२ ।
४२३ प्रति नं० ५ । पत्र सं० ३३ | साइज - १२x६ इञ्च | लेखनकाल । पूरा एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । पेष्टन नं० १२३४ ।
४२४ प्रति नं० ६ | पत्र सं० ४४ | साइज - १२५ इव । लेखनकाल सं० १८२८ भात्रण बुदी : पूर्ण पूर्व शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १२३५ |
४२५ बाईस श्रभय - बाबा दुलीचन्द | पत्र सं० १२ | साइज - १०७ इन्च | भाषा - हिन्दी | विषय- भक्षण करने के योग्य पदार्थों का विवरण | रचनाकाल x 1 लेखनकाल सं० १९४१ । पूर्ण एवं शुद्ध
दशा - सामान्य | वेष्टन
नं० १२६६ ।
४२६ प्रति नं० २ । पत्र सं० १२ | साइज - ०३ ६ ३ इञ्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १२६६ ।
४२७ बारह भावना'
सं० १६०७ | लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं श्रशुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १२७२ ।
विशेष - नाथा महात्माने दशोर नमर में लिख मा । ४२- बारह भावना (सिद्धान्तोद्वरितप्रबंध ) | पत्र सं० २-६ | साइज १०x४ इन्च | भाषाहिन्दी | विषय- धर्मं । रचनाकाल । लेखनकाल - सं० १६०७ चैत्र बुदी १२ । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य | वेष्टन नं० २०६३ ।
| पत्र सं० २-६ । साइज - १०x४इञ्च । माषा - हिन्दी | विषय-धर्म । रचनाकाल
४२६ भगवती आराधना - श्रा० शिवकोटि । पत्र सं० १३६ | साइज - १०३x४३ इश्व | भाषा - प्राकृत | विषय-धर्म | रचनाकाल x | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं० १२८९ |
४३० प्रति नं० २ | पत्र सं ४७-१०२ | साइज - ११४५ ६ । लेखनकाल X | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य | वेष्टन नं० १२८२ |
त्रिशेष—संस्कृत में कहीं २ शब्दार्थ दिया हुआ है ।
४३१ प्रति नं० ३ । पत्र सं० १-१४६ | साइज - १०x४ इन्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा
: सामान्य । वेस्टन नं० १२०३ ।
विशेष- प्रति सटीक हैं। टीका संस्कृत में हैं ।
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[धर्म एवं श्राचार शास्त्र ४३२ प्रति नं. ४। पत्र सं० ११२ । साइज-६.४ इञ्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद।। दशा-सामान्य । वेष्टन नं०१२-४ ।
विशेष-संस्कृत में टीका भी है।
४३३ प्रति नं०५ ! पत्र सं० २२५-४६१ । साइज-११४५३ इन्न : लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १२५ ।
विशेष प्रति सटीक है । रोका कार अपजितमरि हैं। टीका संस्कृत में हैं । टीका का नाम विजयोदया है।
४३४ भगवतो आराधना भाषा-पं. सदासुखजी कासलीवाल । पत्र सं० ८०४ । साइज-११९४५६ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । भाषाकाल-सं. १३०८ भादवा सुदी २ । लेखनकाल-सं० १६०८ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य । वेष्टन नं. १२७६ ।
विशेष---प्रति स्त्रयं भाषाकार के हाथ की लिखी हुई प्रथम प्रति है।
४३५ प्रति नं०२। पत्र सं० ५७५ | साइज-११४ इञ्च । लेखनकाल-सं० १९१० । अपूर्ण प्रारम्भ के 2 ३३१ पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १२७ ।
५३६ प्रति नं. ३ | पत्र सं० ४-३ । साइज-१x१ च । लेखनकाल-सं० १६०८ | अपूर्ण- | ११.१ से १२० तक के पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १२७८ |
४३७ प्रति नः ४ । पत्र सं० २१ । साइज-११४७१ इच। लेखनकाल ४ । अपूर्ण-प्रारम्भ के १ से १०० ।। तथा २८१ से आगे के पत्र नहीं है । सामा न्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १२७६ |
४३८ प्रति नं०५ । पत्र सं० ३३१ । साइज-११४८ इश्च | लेखनकाल x | अपूर्ण-अन्तिम पत्र नहीं हैं। ।
सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य। वेष्टन नं० १२० ]
५३६ भावदीपक-जांधराज गोदीका पत्र सं० १५% साइज-१x६ इश्व। माषा-हिन्दी-गद्य | विषय-धम । ।
रचनाकाल-सं० १८, ७ । लेखनकाल-सं० १८५७ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. ११५ ।
४४. प्रति नं.२। पत्र सं० ४६ 1 साइज-१०६x६३ इञ्च | लेखनकाल X । अपूर्ण-अन्तिम पत्र नहीं । है ! दशा- सामान्य । वेष्टन नं. १३१६ ।
४४१ भावसंग्रह-वामदेव । पत्र सं० । साइज-१०x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-धर्म 1 रचनाकाल । लेखनकाल XI पूर्य एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन में १३४२ ।
४४२ प्रति नं० २। पत्र सं० १ | साइज-८३४४ इञ्च | लेखन काल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा सामान्य । वंदन नं. १३४३ ।
४४३ प्रति नं०३ | पत्र सं० १६-४३ । साइज-१०x४३ इश्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण-फुटकर पत्र है। सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ५३४४ ।
MP:
४४४ प्रति नं.४। पत्र सं० ४३ । साइज-११४५ -इन्छ । लेखनकाल-२० १६४३ भादवा मुदी
5
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. -
ama
..
म एवं प्राचार शास्त्र] पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १३४८ |
४४५ प्रति नं. ५। पत्र सं० ४. 1 साहज-२४४ इश्च । लेखनकाल-२० १७२५ भादवा बुदी ७ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १३५: 1
४५६ भावसंग्रह-देवसेन । पत्र सं० ४६ । साइज-१०x४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-धर्म । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १५८२ । पुर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य | लिपि-विकृत । वेष्टन नं. १३४५ !
विशेष-खंडेला नगर में प्रतिलिपि हुई थी। प्रशस्ति अपूर्ण है।
४४७ प्रति नं०२। पत्र सं० ११ । साइज-११४५ इश्च । लेखनकाल-सं० १५६१ कार्तिक मुदी ।। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । वेष्टन नं० १३४६ ।
४४८ प्रति नं०३ । पत्र सं० ३६ | साइज-११६x४३ इञ्च ! लेखनकाल-सं० १५७१ माघ सुदी १। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० १३४७ ।।
४४६ प्रति नं० ४। पत्र सं० ३८ ! साइज-१०४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६२२ कार्तिक बुदी । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ०१:४८ |
४५० प्रति नं. ५। पत्र सं० ४६ । साइज-१०६x४३ च । लेखनकाल-सं० १६१६ यासोज बुदी २ । एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ११४४
४५१ प्रति नं. ६ । पत्र स० ४६ । साइज-११५४५३ इन्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १३४ ।
४५२ प्रति नं. ७ । पत्र सं० ६.७ । साइज-४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६२१ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १३५० ।
४५३ भावसंग्रह-श्रुतमुनि । पत्र सं० ५४ । साइज-१.६४५३श्च । भाषा-प्राकृत । विषय-धर्म । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १७१६ भादवा बुदी | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १३५१ ॥
४५४ प्रति नं० २ । पत्र सं० ४६ | साइज-१०x४३ इञ्च | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । रा-सामान्य । वेष्टन नं. १३५२ ।
४५५ प्रति न० ३ । पत्र सं० २७ । साइज-१०x४६ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६०५ कार्तिक मुदी २ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १३५४ ।
४५६ मिथ्यात्वखंडन-वखतराम | पत्र सं० ११० | साइज-११४५ श्च 1 भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । उपनाकाल-सं० १८२१ । लेखनकाल-सं० १८५२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं. १३६४ ।
विशेष सदासुख भावसा ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी।
४५७ मिध्यात्वनिषेध"....पत्र सं० २६ । साइज-१२४८ इन्च । माषा-हिन्दी । विषय-धर्म | रचना४ । लेखनकाल-० १८५२ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं० १३६५ ।
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[धर्म एवं श्राचार शास्त्र ४५८ प्रति ०२। पत्र सं० ३४ | साइज-१०३४६ च । लेखनकाल-सं० १८५२ । पूर्ण एवं शुद्धा दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १३६६ ।
४५६ मूलकर्मप्रकृतिवर्णन"...। पत्र सं० है | साइज-१२४५१ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म। रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० १४०५ ।
४६० मूलाचार-श्रीमद्वहेरफाचार्य । पत्र सं० २४ । साइज-१३४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत | विषय-धर्म। रचनाकाल ४ | टीकाकाल-० १६०५ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १४०७ ।
विशेष-ग्रा. वसुनन्दि कृत संस्कृत टीका सहित है ।
४६१ प्रति नं० २ | पत्र सं० ११ । साइज-!xx, इश्च | लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-मामान्य । वैन्टन नं० १४०६ ।
४६२ प्रति न. ३ । पत्र सं० १६७ । साइज-११३४५ इभ । लेखनकाल X| अपूर्ण अन्तिम पत्र नहीं हैं। दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४०१ ।
विशेष-या वसुनंदि कृत संस्कृत टीका सहित हैं ।
४६३ मूलाचारप्रदीप-म• सकलकीर्ति | पत्र सं० १२० | साइज-१२४५ च। भाषा-संस्कृत । विषयश्राचार धर्म का वर्णन | रचनाकाल X । लेखनकाल–सं. १८२० मंगसिर सुदी ५ । अपूर्ण-प्रारम्म के २ पत्र नहीं है। सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं ० १४०८ १ .
विशेष-बसवा (जयपुर) में प्रतिलिपि हुई थी।
४६४ मोक्षमार्गनिरूपण....."। पत्र २० ६ । साइज-१२४१३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-धर्म । रचनाकाल x | लेखन काल x | पूर्ण एवं शुध्द । दशा-जीर्ण । वेटन नं० १४२४ ॥
विशेष~ भाषा श्रालंकारक है।
४६५ मूलाचार भाषा....''| पत्र सं. ४६४ | साइन-१०४८ इञ्च | भाषा-प्राकृत-हिन्दी-गद्य) । विषय धर्म । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ | अपूर्ण-५१-१०० तथा ३४६ से ४६४ तक के पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध | दशासामान्य । वेष्टन नं० १४१० ।
४६६ मोक्षमार्गप्रकाश-महापंडित टोडरमलजी। पत्र सं० २८३ 1 साइज-१०३४७ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-सिद्धान्त | रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १८७३ 1 पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-जीर्ष प्रथम तथा अन्तिम पत्र कटे हुये हैं। बेष्टन नं. १४२१।
. विशेष --सवाई जयपुर में लालू- महात्मा ने प्रतिलिपि की भी।
४६७ प्रति नं० २ । पत्र सं० ६० । साइज-१३४६३ इञ्च । लेखनकाल X.1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा सामान्य । वेष्टन नं० १४२२ ।
४६८ प्रति नं०३ । पत्र सं० १० । साइज-११४५३ इञ्च । लेखनकाल | अपूर्ण-प्रथम पत्र तथा प्रन्ति पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४२३ ।
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धर्म एवं आचार शास्त्र ]
४६६ यत्याचार - वसुनन्दि । पत्र सं० ६६ | साइज - १५४६ ६ ६ वर्धन | रचनाकाल X | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - उत्तम । वेष्टन ने० विशेष-संस्कृत में टीका है ।
१६७
। भाषा - प्राकृत । विषय-साधु धर्म का
१४३२ ।
४७० यति प्रतिक्रमण - गौतमस्वामी । पत्र [सं० ७८ | साइज - ६३४३ प । भाषा - प्रकृत | विषय - धर्म । रचनाकाल । लेखनकाल - सं० १७२६ श्रासोज सुदी । श्रपूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १४३१ | विशेष संस्कृत में टीका सहित हैं ।
४७१ याज्ञवल्कीयधर्मशास्त्रग्रंथ - अपरादित्यदेव | पत्र सं० ४५६ | साइज - १३४८ ३ संस्कृत विषय-धर्म | रचनाकाल x | लेखनकाल x 1 श्रपूर्ण तीसरे अध्याय तक समाप्त | सामान्य शुद्ध वेष्टन नं ० १४६७
इन्च 1 भाषादशा - सामान्य |
४७२ रत्नकरण्डशास्त्र - पं० श्रीचन्द्र । पत्र सं० १३६ | साइज - १०३५ इन्च भाषा - श्रपभ्रंश विषय- धर्मं । रचनाकाल । लेखनकाल × । श्रपूर्ण एवं शुद्ध दशा- जीर्ण-शीर्णे । वेष्टन नं० १४६० ।
४७३ प्रति न० २ । पत्र सं० १२२ | साइज - ११४५ इन्द । लेखनकाल x 1 श्रपूर्ण एवं शुद्ध 1 दशाजीर्ण । वेष्टन नं० १४६० |
४७४ प्रति नं० ३ | पत्र सं० १४० - २४२ | साइज - १०३४६ ३ । लेखनकाल X | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं ० १४६१ ।
४७५ रत्नकरण्ड श्रावकाचार - श्र० समन्तभद्र । पत्र सं० ८ | साइज - १२५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय - शावक धर्म वर्णन । रचनाकाल । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम | वेष्टनं नं० १४६२ ।
४७६ प्रति नं० २। पत्र सं० | साइज - १२४५ च । लेखनकाल x | पूर्णं एवं शुद्ध 1 दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १४६२ ।
४७७ प्रति नं० ३ । पत्र सं० १ - २५ | साइज - १२४५ इञ्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुध्द | दशासामान्य । वेष्टन नं० १४६३ ।
विशेष - प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है।
४७८ प्रति नं० ४ । पत्र सं० ४ । साइज - ११४५ इन्च | लेखनकाल X | श्रपूर्ण एवं शुध्द | दशा - सामान्य । केप्टन न० १४६३ |
४७६ प्रति नं० ५ | पत्र सं० ५६ | साइज - ११३५ इन्च | लेखनकाल - सं० १८७६ प्रथम चैत्र बुदी ३ | पूर्णं एवं शुद्ध । दश!- सामान्य । वेष्टन नं० १४६४ |
विशेष- प्रति सटीक है। टीकाकार प्रभाचन्द्र हैं। जयपुर में संपतिराम छाबडा ने प्रतिलिपि की थी ।
४८० प्रति नं० ६ । पत्र सं० १५ | साइज - ११४४३ इन्च | लेखनकाल - सं० १८०७ पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १४६५ ।
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१६=
४८१ प्रति नं ७ पत्र ०८१०३४ इन्च । लेखनकाल x । अपूर्ण एवं शुद्ध
।
सामान्य | वेष्टन नं० १४६४
४८२ प्रति नं० ० १४१०४ व लेखनका सं०] १६५६ | अपूर्व पूर्व शुद्ध दशा उत्तम वेष्टन नं० १४६६
[ धर्म एवं आचार शात्र
ब
४८३ प्रति नं० ६ पत्र ० ४११०१न्द लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशउतम वेष्टन नं० १४९
- है। विशेष हिन्दी धर्म भी दिया।
४४ प्रति नं० १०
सामान्य | वेष्टन नं १४
वेष्टन नं० १४९८ |
०७३ सा३ इथ लेखनकाल पूर्ण एवं शुद्ध दशा
विशेष- हिन्दी अर्थ सहित है।
४५ प्रति नं० २१ | पत्र सं० ७६ | साइज - x५ इन्च | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य ।
विशेष हिन्दी अर्थ सहित है।
४६ प्रति नं० १२ पत्र १२ साइXX इन्च । लेखनकाल x पूर्व एवं शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन नं० १४६८ ।
४८७ प्रति नं० १३ । पत्र ०२ - इम लेखनकाल पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन नं० १४६८ ।
४८ प्रति नं० १४ । पत्र सं० १२ | साइज - ६४५ १ | लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशासामान्य | वेष्टन नं० १४६८ ।
४६ प्रति नं० १५ | पत्र सं० ६.३ | साइज - १ X १ञ्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशा -- सामान्य ! वेष्टन नं० १४२८ ।
विशेष हिन्दी अर्थ सहित है।
४६० प्रति नं० १६ । पत्र सं० ६६ | साइज - १X५ इव । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुध्द । दशा - सामान्य ! बेटन नं० १४६८ |
विशेष हिन्दी अर्थ सहित है।
४६१ प्रति नं० १७ पत्र ०१४- १२० लेखनकाल | अपूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशा-जीचं वेष्टन नं० १५०८ ।
विशेष- हिन्दी अर्थ सहित है।
४६२ प्रति नं० १८० ११ साद १११ | लेखना० १४०६ जेठ सुदी १५.
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धर्म एवं आचार शास्त्र ]
पूर्व एष शुद्ध दशा उत्तम वेष्टन नं० १५०१ ४६३ प्रति नं० १६ | पत्र एवं शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन नं० १५९० /
विशेष- हिन्दी अर्थ पन्नलालजी कृत है । ग्रन्थ की प्रतिलिपि में १ || - खर्च हुई थे ऐसा भी लेख हैं ।
४६४ प्रति नं० २० पत्र सं० २२-३१ साइन- १०६५ इन्च ! लेखनकाल । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन नं० १४०६ ।
४६५ प्रति नं० २१ । पत्र सं० ३६ | साइज - X५ इव । लेखनकाल - सं. १६२० फाल्गुन बुदी १३ । पूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशा जीर्ण-शीर्ण वेष्टन नं० १५०० । I
विशेष -- प्रभाचन्द्र कृत संस्कृत टीका सहित है।
० ३१ साइज १२x६ इच लेखनकाल सं० १६३४ वैशाख मुदी ४ पूर्ण
।
४६६ रत्नकरण्ड श्रावकाचार भाषा पं० सदासुखजी कासलीवाल । पत्र सं० ६१५ । साइज - १२४५ इन्च माषा - हिन्दी] | विषय - श्रामक धर्म दर्सन । रचनाकाल सं० १६२० । लेखनकाल- सं० १६५० पूर्ण एवं शुद्ध दशा
सामान्य वेष्टन नं० १५०१ ।
विशेष प्रति स्वयं माषाकार के हाथ से लिखी गई है।
-
४६७ प्रति न० २ शुद्ध । दशा- सामान्य वेष्टन नं०
१६६
पत्र सं० २०४ साइज १२४० इव । लेखनकाल- सं० १९३३ | पूर्व एवं सामान्य १५०२ |
४६८ प्रति नं० ३
० ४५२ साइज ११६५३
लेखनकाल- १६२६ असोज बुदी १० ।
अपूर्ण-पत्र १८५ से २६२ तथा ३०१ से ३८६ तक के पत्र नहीं है। शुद्ध । दशा--सामान्य | वेष्टन नं० १५०४ ।
लेखनकाल X अपूर्ण ५२ से ६ तक
४६६ प्रति नं ४ पत्र सं० के पत्र नहीं है। सामान्य शुद्ध दशा- जीर्ण
२२३ | साइज - २२३०१६ बेष्टन नं० १५०३ ।
I
विशेष- नीले कागज पर हैं।
५०० प्रति नं० ५ पत्र ० ५१४ साइज ११५३ च लेखनकाल । अपू २३४ से २३३ तक के पत्र नहीं हैं। शुद्ध सामान्य । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १५०५ १
साइज - ११७३ इव । लेखनकाल ९० १२३५ । पूर्ण पूर्ण शुद्ध |
५०१ प्रति नं० ६ । पत्र ० ५२२ दशा-उचन । न नं० १५०६ |
५०२ प्रति नं० ७ पत्र सं० ४३२ ० १६२५ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा सामान्य बेष्टन नं० १५०७
साइज - ११०३ इन्च रचनाकाल सं० २०२० । लेखनकाल
५०३रसार कुन्दाचार्य पत्र सं० रचनाकाल X | लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
साइज - १०३५ इन्च मात्रा प्राकृत विषय-धर्म | दशा सामान्य | वेष्टन नं० १५२१ ।
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१७०
[धर्म एवं श्राचार शास्त्र ५०४ प्रति नं०२ । पत्र सं० १७ । साइज-११४४ इन्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य । वेष्टन न० १५२१ ।
५०५ प्रति नं. ३ । पत्र सं० ६ | साइज-1१x१६व । लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य ।। वेष्टन नं० १५२१ ।
५०६ प्रति नं.४ । पत्र सं० १४ । साइज-६x४ इश्व । लेखनकाल X| पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य ! वेष्टन नं० १५२२ ।
५.७ प्रति नं०५ । पत्र सं. 11-(४६-५६) । साइज-Ex४ इन्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध . दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १५२३ ।
विशेष—हिन्दी अर्थ है । हिन्दी भाषाकाल-सं० १७६८ है।
५८८ लघुसंग्रहणीसूत्र-मलहरसूरि । पत्र सं. २१ । साइज-१०४४३ इव । माषा-प्राकृत । विषय-धर्म । रचनाकाल ४ | लेखनका x । पूर्ण एव सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १५६४ ।
५०६ लब्धिसार क्षपणासार भाषा-५० टोडरमलजी । पत्र सं० २८६ । साइज-१.३४७१ इन्च | भाषा हिन्दी गद्य । विषय-धर्म । रचनाकाल-सं. १८१८ | लेखनकाल–सं. १८५० । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन :नं. १५७१।
विशेष-- श्री हीरालालजी ने अन्य की प्रतिलिपि करवायी । तभा संवत् १८८५ में रामरायजी गोधा ने प्रथ को मन्दिर में चढाया । माषाफार द्वारा अन्त में विस्तृत प्रशस्ति दी हुई है।
__५१० प्रति नं. २ । पत्र सं० ८३१-१०८३ । साइज-१२३४६३ इन्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध | । दशा-उत्तम | वेष्टन नं. १४७६ ।
५११ लाटीसंहित (श्रावकाचार)-राजमल्ल | पत्र सं. १३ । साहज-११४५ इश्व | भाषा-संस्कृत । विषय श्रावक-धर्म-वर्णन | रचनाकाल--सं० १६४१ । लेखन काल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० १५७८ |
५१२ प्रति न०२। पत्र सं० ५४ । साइज-१२४५३ इश्च । लेखनकाल-सं० १६४१ । पूर्ण एवं शुद्ध।।। दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. १५७६ ।
५१३ वणाश्रमप्रकाशिका-पत्र सं० १८५ । साइज-८४४ इच । भाषा-संस्कृत | विषय-वर्णाश्रम धर्म 'पा । प्रकाश । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १८३२ । पूर्व एवं प्रशुद्ध । दशा-सामान्य जीर्ण । वेष्टन ने. १६०६१
__५१४ बसुनंदिभावकाचार-वसुनंदि । पत्र सं० १-२४ ! साइज-१०x४३ इम्च | भाषा-प्राकृत । विषम भावक धर्म वर्षन | रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । अपूर्ण-अन्तिम पत्र नहीं है । सामान्य शुद्धः। दशा-उत्तम | देएन । नं. १६१८ | ' ५१५ प्रति नं० । पत्र सं० १५ । साइज-१३४६ इञ्च | लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य वेष्टन नं. १६८० (क) !
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१७१
धर्म एवं आधार शास्त्र]
५१६ प्रति नं० ३ । पत्र सं० २० | साज-१५४ च । लेखनकाल x 1 अपूर्य एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १६८० (क) ।
५१७ प्रति न ४ । पत्र सं० १२ । साइज-११४४६ च । लेखनकाल–सं० १५६४ वैशाख सुदी ११ शुक्रबार । पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७२८ ।
५१८ प्रति नं० ५। पत्र सं० ११ । साइज-११६४७३ श्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं में सामान्य । वेष्टन नं. १७२३ ।।
५१६ प्रति नं०६। पत्र सं० २-२८ । साइज-१०४४३ इन्च । लेखनकाल x 1 पूर्ण में सामान्य । वेष्टन नं. १७२७ ।
५२० प्रति नं. ७ । पत्र सं० २५ । साइज--१०x४३ च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । बेटन नं० १७२७ ।
५२९ प्रति नं०८ । पत्र सं० ११ । साइज-१४४५ इञ्च । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ! पेटन नं. १७२६ ।
विशेष- हिन्दी अर्थ दिया हुआ है।
५२२ प्रति नं०९ । पत्र सं० २० | साइज-१५,४५३ इन्च । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं अशुद्ध । दशाहै बीयं । वेष्टन मं० १७२६ ।
विशेष—इस प्रति को दीमक ने खा रखा है।
५२३ प्रति नं०१० । पत्र सं० २० । साइज-१५४५ इश्च । लेखनकाल ४ ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशाआर्य । वेष्टन नं. १७२५ ।
विशेष-हिन्दी में अर्थं दिया हुआ है।
५२४ प्रति न० ११ । पत्र सं० ११ । साइज-१०४६ इञ्च । लेखनकाल x। अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-जीर्ण । वेष्टन नं. १७२५ ।
५२५ प्रति नं० १२ । पत्र सं० २०८ | साइज-११६४५ इञ्च । लेखनकाल x | अपूर्ण-१६५ तक के पत्र नहीं है । सामान्य शुध्द । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७२४ ।
५२६ प्रति नं० १३ । पत्र सं. ३४८ | साइज-११४५३ ६ | लेखनकाल -सं० १६०५ कार्तिक सुदी ५ । ये एवं शुद्ध । दशा-जीर्थ । वेष्टन नं० १७२३ । ... विशेष-लेखक प्रशस्ति अलग दी हुई है। वह भी संस्कृत में है।
५२७ प्रति नं० १४ । पत्र सं० १५८ । साइजः-१२४६३ इम्च । लेखनकाल-सं० १८७६ । अपूर्ण-प्रारम्भ तमा अन्त के पत्र नहीं है। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १.७३-७.1:. . . .. ! . : ::
विशेष-मैनपुरी में भूरामल ने प्रतिलिपि की थी । हिन्दी अयं सहित है। . . . . ::
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[ धर्म एवं आधार शास्त्र
३२६ विचारसत्तरी महेन्द्र
पत्र [सं०
साइज - १०x४ इश्व |
भाषा - अपभ्रंश
विषय
|
गुणस्थान चर्चा | रचनाकाल । लेखनकाल सं० २०१० वैशाख शुक्ला १ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा भी । जीर्ण वेष्टन नं० १६२१ ।
विशेष - हिन्दी में टब्बा टीका मी है ।
१७२
| ।
५२६ वृहद् प्रतिक्रमण
रचना | लेखनपाल x पूर्ण ०११२९ तक पत्र है। सामान्य शुद्ध वेष्टन नं० १६६५
× |
| ।
५३० किमी
साहस- १०३४३ भाषा प्राकृत विषयपूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य | वेष्टन नं० १६६६ । । प्रति गौथली माम में हुई थी।
धर्मे । रचनाकाल x | लेखनकाल सं० १५४५ पेड सुदी १२ विशेष प्रति सटीक है। टीकाकार श्री प्रमाचन्द है
-
1
| पत्र सं० १२३ । साइज - १९९५ इन्च | भाषा - प्राकृत । विषय-धर्म |
—
नकल है।
५३१ व्रतविधानरांसो संगही दौलतराम पत्र मं० २३ साइज १२४५ १
भाषा-हिन्दी विषय
धर्म | रचनाकाल - सं० २७६ आसोज सुदी १० । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य ! वेष्टन नं० १६६१ पत्र [सं० ७ साइज ६३६ इन्च भाषा हिन्दी विषय-श्रावार रचनाकाल-सं० १९५६ | लेखनकाल - सं० १३५६ | सूर्य एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १६६१ ।
५३२ व्रत समीक्षा
विशेष श्रृंगार बाई ने मंदसौर जनकपुरा में श्री महावीर स्वामी के मन्दिर में जो व्रतों को प्रतिक्षा की भी उसकी
५३३ आवकाचार नदि पत्र [सं०] १२० साइज ११६३ भाषा-संस्कृत विषय शावक - । | - इ | । धर्म वर्णन रचनाकाल x लेखनकाल x अपूर्ण एवं शुद्ध दशा सामान्य रेटन नं० १०१२ |
५३४ श्रावकाचार भाषा । मूलकर्ता - श्री गुणभूसा स्वामी । भाषाकार | पत्र सं० ६६ | साइज - १२३८ इश्च | मात्रा - हिन्दी गद्य । वित्रय-त्रक धर्म वर्णन । रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १६१४ | पूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य वेटन नं० २०३१ ।
५३५ श्रावकाचार-म० लक्ष्मीसेन पत्र [सं० ५५-११३४ इन्च भाषा-संस्कृत विनयभ रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १५४० श्रावण बुदी ७ गुरुवार पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १७३१ । विशेष – गिरिपुर में रावल गंगदास के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई थीं ।
-
५३६ श्रावक प्रायश्चित
धर्म । रचनाकाल x | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा उत्तम । वेष्टन नं० १७२२ |
सं० २४ साइज - १९४६
च
५३७ सत्तास्वरूप " भाषा - हिन्दी गद्य विषय-धर्म रचनाकाल × । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १८२० ।
५३= प्रति नं० २ | पत्र सं० २० | साइज - ११x६ इञ्च । लेखनकाल X| अपूर्ण ६ से ११ तथा २१ । पत्र नहीं है । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १८२० |
स्वामी पत्र ०५ साइज १०३४५ हथ भाषा-संस्कृत विषय
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धर्म एवं श्राचार शास्त्र]
५३६ सागारधर्मामृत-याशाधर । पत्र सं० ५८ 1 साइज-१२४६ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-श्रावक धर्म वर्णन | रचनाकाल-सं० १२६६ । लेखनकाल-सं १७२७ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बैटन नं. १६४७ X. विशेष प्रति सटीक है । लेखक प्रशस्ति है । मट्टारक नरेन्द्रकीर्ति के शिष्ण प्राचार्य कनकीर्ति ने प्रतिलिपि की थी'
५४० प्रति नं०२ । पत्र सं० ४७ । साइज-१:४५३ इञ्च । लेखनकाल–सं० १.१३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० १९७७ ।
५४१ प्रति नं० ३१ पत्र सं० ५० । साइज-१०x४ इच्च । लेखनकाल-सं० १५८: । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६७८ |
विशेष-मंडलाचार्य श्री धर्भव-मानाय सर लवासावर्षे चंपावतीवास्तव्ये राब श्री रामचन्द्रराज्ये सोलंकीराध्ये पाटणी गोत्रे साह कान्हा हदं शास्त्रं लिखापितं ।
५४२ प्रति नं०४ । पत्र सं० १४ । साइज--१०x४३ इन्च ! लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य । वैप्टन नं० १६७६ 1
५४३ प्रति नं० ५। पत्र सं० २-२१८ । साहज-११३४५ इञ्च | लेखनकाल ४ !अपूर्ण-प्रयम पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६८० |
५४४ प्रति न०६1 पत्र सं० ६७ । साइज-०३४४३ इन्च । लेखनकाल-सं० १६१३ पासोज सुदी ११ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं० १९८१।।
विशेष- अागरा नगर में इस ग्रंथ की प्रतिलिपि हुई थी।
५४५ प्रति नं०७ । पत्र सं० ५५ | साइज-११४५ च । लेखनकाल–सं० १६३२ । पूर्ण एवं शुष्द | दशासामान्य । वेष्टन नं० १९८२ |
विशेष-लेखक प्रशस्ति विस्तृत है। "मंडलाचार्य चंद्रकीर्तिदेवाम्नाये खण्डेलवालान्वये वैद गोरे साह श्री चूचा तेन ईद अथ लिखापितं ।”
५४६ प्रति नं०८। पत्र सं० २८ | साइज-११४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १५५४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १९८२ ।
विशेष-ब्रह्म स्न ने प्रस्तक की प्रतिलिपि की थी।
५४७ प्रति 10 है। पत्र सं० ४२ | साइज-११३४५ इञ्च | लेखनकाल–सं० १५६.५ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६८२ । . ... विशेष- लेखक प्रशास्ति विस्तृत है । "मंडलाचार्य धर्मचन्द्राम्नाये अजमेरवास्तव्ये गोधागोत्रे सं० पारस....... एतेषां मध्ये संघवी कान्हा भायों फल्हासिरि इंद शारणं लिखापित धर्मचंद्राय दत्त । ....... ५४८ प्रति न०१० पत्र सं० ६६ । साइज-११३४५३ इञ्च | लेखनकाल x | अपूर्ण-२६-७५ तक |
सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १९८३ ।
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[ धर्म एवं आचार शाम
५४६ प्रति नं० ११ । पत्र सं० ८३ । साइज-१०६x६ अ | लेखनकाल-सं० १७२८ अधार बुदी १।। पूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. १९८४ ।
५५. प्रति नं. १२ । पत्र सं० ३३ | साइज-१०x४३ च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं प्रशुद्ध । दशानार्ण । वेष्टन नं० १६८५ ।
५५१ प्रति नं० १३ । पत्र सं० १२६ । साइज-११४४३ इञ्च । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुर। ) दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १९८६ (क)।
५२२ प्रति नं०१४ । पत्र सं० २ । साइज-१०x४ इम्च । लेखनकाल x। अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १९८६ (क) ।
५५३ प्रति नं० १५ । पत्र सं० ४६ ( साज-११x६ इञ्च । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध।। दशा-उत्तम । वेन्टन नं० १६.८७ |
विशेष-संसत टीका सहित है।
५५४ साधुप्रतिक्रमणसूत्र....! पत्र सं० - | साइज-१०४४ इञ्च । भाषा-प्राकृतः । विषय-धर्म। रचनाकाल x | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १९८६ |
५५५ सारचौबीसी...."1 पत्र सं. ६३ । साइज-१२४८ एम्च । भाषा-संस्कृत | विषय-धर्म । रचनाकालX | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा--सामान्य । वेष्टन नं० २०२४ ।
विशेष-लिपिकर्ता महात्मा पन्नालाल । लेखनस्मान जयपुर ।
५५६ प्रति नं. २१ पत्र सं. ७५ | साइज-१०४५ इन्न । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेटन नं० २०२५ ।
५५७ सारचौवीसी......। पत्र सं० १२ । साइज-१२३४५ इन्च | माषा-हिन्दी । विषय-धर्म | रचनाफाल X | लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०२६ ।
५५८ सिद्धान्तधर्मोपदेशरत्नमाला-मएडारी नेमिचन्द्र । पत्र सं० १२ । साइज-१२४५ इश्च । भाषाप्राकृत | विषय-धर्म । रचनाकाल x | लेखनकाल X} पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०७४ ।
५५६ प्रति नं० २ । पत्र सं० १२ । साइज-- ३४६३३श्च । लेखनकालx | पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० २०७३ |
विशेष---७ वें पत्र से परमात्माकाशदोहा है ।
५६० प्रति नं० ३ । पत्र सं० १२ । साइज-१२३४५ इन्न । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामा- वेष्टन नं० २१६ |
५६१ सुदृष्टितरंगिणी ....."| पत्र सं० ४१७ । साइज ११४७६ इम्च । माषा-हिन्दी । विषय-धर्म । रचना-". . काल X । लेखनकाल-सं० १८६२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेपन नं० २१.|
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अध्यात्म
५६२ प्रति नं.२। पत्र सं० १०७ | साइज-१२४७ च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य । टन में० २१०७।
५६३ प्रति नं० ३। पत्र सं० ५१२ । साहज-११३४६ इन्च । लेखनकाल–सं० १९५३ | अपूर्ण एवं शुद्ध । -सामान्य । वेष्टन नं० २१०८ |
विशेष-प्रारम्स के १-१०० पत्र नहीं हैं ।
विषय-अध्यात्म अन्य संख्या--५६४-७६४
५६४ अध्यात्मबारहखडी-६० दौलतरामजी । पत्र सं० ४३. 1 साइज-६३४५६ इन्च । भाषा-हिन्दौ । विषय-अभ्यात्म । रचनाफाल-सं० १७१८ । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ८ ।
५६५ प्रति नं.२ । पत्र सं. १६७ । साइज-११३४५३ इन्च । लेखनकाल-सं० १८०० मादवा बुदी । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । बेष्टन नं. ६ ! - विशेष-ग्रन्थ प्रशस्ति विस्तृत है । लेखक श्री मायाराम महात्मा है । यह अभ्याम बारहखडी का संक्षिप्त माम है। मुख्य २ पचों का ही इसमें संग्रह है।
५६६ अध्यात्मसंग्रह..."| पत्र सं० ४ । साइज-१०४४ इन्च । मावा-हिन्दी । विषय-अध्यात्म । रचनाकाल । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन न. १३६ ।
विशेष - श्राध्यात्मिक पचों का संग्रह है।
५६७ अध्यात्म पद्य संग्रह...| पत्र सं०४ । साइज-११४६ इन्च | भाषा-हिन्दी । विषय-अभ्यात्म ! -सनालाल ४ | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११४ ।
५६ अष्ट्रपाहुख-श्री कुन्दकुन्दाचार्य । पत्र सं० ३७ ! साइज-१०३४५३ इम्प | भाषा-प्राकृत | विषरअध्यात्म । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १७६३ पौष बुदौ ११ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेपन नं० ३३ !
विशेष-सेठ गिरधारीलाल ने 40 प्रेम से इस ग्रन्ध की प्रतिलिपि करवायी थी।
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१७६
| अध्यात्म
५६९ प्रति न०२। पत्र सं० । साइज-१२४४५ इञ्च । लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं०३४ |
विशेष-शरफ्त में सामान्य अर्थ दिया हुआ है।
५७, प्रति नं. ३ । पत्र सं० ४४ । सारज-१.४५ इश्व | लेखनकाल–सं० १८१२ फागुग्ण सुदी १४।। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन ०३।
विशेष-संस्कृत में सामान्य टीका है। लिपिस्थान-जयपुर है ।
५७१ अष्टयाहुद्ध भाषा-पं० जयनन्दजी छाबडा । पत्र सं० २२४ । साइज-११४५ इश्व | भाषा-हिन्दी ।। विषय-अध्यात्म । माषाकाल-सं० १८६ | लेखनकाल-सं. १८८१ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ३७। ।
५७२ प्रति नं०२। पत्र सं० १.० । साइज-१४४७ इन । लेखनकाल X । अपूर्ण-प्रारम्भ के ५० पत्र तथा १०. मे मागे के पत्र नहीं है । वेष्टन नं० ।।
५७३ प्रति नं०३ | पत्र स०१७ साइज-११x: इञ्च । लेखनकाल-सं. १८४४ देशा-मानान्य । वेटन नं. 2 |
विशेष-लिपिकती-पं० मन्नालाल छाबडा। लिपिस्थान-जयपुर ।
५७४ प्रति नं० ४ । पत्र सं० १६२ । साइज-८३x इन्च । लेखनकाल-सं० १८६५ | अपूर्ण एवं शुद्धा. दशा-सामान्य | वेष्टन न०१६ |
विशेष-प्रति स्वयं भाषाकार के हाथ की लिखी हुई है।
५७५ प्रति नं०५। पत्र सं० २६-८ । साइज-११४ इन्च | लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ४० ।
५७६ प्रति नं०६। पत्र सं० १८६ । साइज-१०४७३ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८८१ श्रासोज मुदी १३॥ पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ४१ ।
विशेष-तीन प्रतियों का सम्मिश्रण है।
५७७ आत्मानुशासन-गुणभद्राचार्य । पत्र सं० ३६ । साइज-१०५.५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषा । अध्यात्म | रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १५५५ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा जीर्ण । वेष्टन नं ० ६८ ।
विशेष - बोझा सेठी की भार्था गौरी ने शास्त्र की प्रतिलिपि बाई वीरणि के लिये करवायी थी।
५७८ प्रति नं० २। पत्र सं० ४० । साइज-११४१३ इञ्च । लेखनकाल ४ ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-और- वेष्टन नं. ६ ।
५७६ प्रति ने० ३ । पत्र सं० १५२ | साइज-१२३४६ इन्च । लेखनकाल-सं० १७८३ भादवा हुदी १४ ।। अपूर्ण-प्रारम्भ के ७४ पत्र नहीं हैं । शुध्द । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ७० ।
विशेष-श्री प्रभाचन्द्र कृत संस्कृत टीका सहित है। .
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१७७
५८० प्रति ०४ । पत्र सं० ४६ । साइज-०१४५ इञ्च । लेखनकाल–सं० १६.०६ । अपूर्ण-प्रारम्भ के २५ व नहीं हैं 1 शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७ |
५८१ प्रति नं० ५। पत्र सं० ४० । साइज-१०३४४३ इन्च । लेखनकाल x। अपूर्ण २५ पत्र नहीं हैं। मामा य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ६
५८२ प्रति नं०६। पत्र स०५: । साइज-१.३४५ इन्न । लेखनकाल–सं० १६०६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद। दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १३६ ।
. ५८३ प्रति नं०७ । पत्र सं० ५० 1 साइज-११४५, हन्न । लेखनकाल ४ । श्रपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १३७ ।
५८४ प्रति नं. 1 पत्र सं. ११-५% 1 साइज-11३४५६ इन्च | लेखनकाल-० १६१४ मंगसिर सुदी ।। अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेप्टन नं०७१।
विशेष-लेखक-१० लाला है । व शांतिपद्मश्री के लिये प्रतिलिपि की गयी थी ।
५८५ प्रति नं०६ | पत्र सं० १० 1 साज-११४५३ च । लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । सा-सामान्य | वेष्टन नं. ७२ ।
५८६ प्रति नं० १० 1 पत्र सं० २६ । साइज-१०४३, इश्च । लेखन काल x | पूर्ण रच अशुद्ध | दशासामान्य । वेष्टन नं. ७२ ।
___५८७ प्रति नं० ११ । पत्र सं० ७४ । साहज-१२६४५३ इन्च । लेखनकाल x | अपूर्ण-धागे के पत्र नहीं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं० ७२ । . विशेष-प्रमाचंद्र कृत संस्कृत टीका सहित है।
५८८ प्रति नं० १२ । पत्र सं० ४७-६ = } साइज-१२६४५५ इन्च ! लेखनकाल-सं० १८६३ । अपूर्ण एवं । दशा-सामान्य । बेटन नं० १३८ ।
विशेष –प्रति सटोक है । टीकाकार महात्मा कालूराम है । टीका हिन्दी में है । श्री मोतीरामजी पाटनी ने प्रतिलिपि
५८६ आत्मानुशासन भाषा-पं० टोडरमलजी 1 पत्र सं० १७२ । साहज-१०४५ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-अध्यात्म । रचनाकाल X । लेखनकाल x ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ७४ ।
. ५० प्रति नं०२ । पत्र सं० १४० | साहज-११४४३ इश्च । लेखमकाल X| पूर्ण एवं शुद्ध । दशामान्य । वेष्टन नं. ७५ ।
५६१ प्रति नं० ३ । पत्र सं० १ । साइज-१३६४८ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध। दशामान्य । वेष्टन नं ० ७६ ।
५६२ प्रति नं०४। पत्र सं० १२.५ 1 साइज-१.३४७३ इन्च । अपूर्ण-५६ से १०० तथा आगे के पत्र नहीं
.
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१७८
[ अध्यास हैं । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ० ७७ ।
५६३ प्रति ०५ | पत्र सं० 1.0 | साइज-१४ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दरासामान्य । पैटन नं ।
५६४ प्रति नं.६। पत्र सं2 1४६ । साइज-०४५३ इन्च । लेखनकाल-स. १८४, कागुण सुदी पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन • ।
विशेष-चंदाणी निवासी श्री शंभूराम ने प्रतिलिपि की थी । लेखनस्यान लश्कर ( मध्य भारत ।।
५६५ प्रति नं०७। पत्र सं० १३८ । साइज-११४: श्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं 1
विशेष-अन्तिम पत्र फिर तिस्त्रा गया है। ।
५६६ प्रति नं. ८ । पत्र सं० ११४ ! साइज-१२४५६ च । लेखनकाल X| अपूर्ण-स्कुट पत्रों का संग्रह। सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं. ८१ ।
५६७ प्रति ०६ | पत्र सं० १७ । साइज-३४६३ इत्र | लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामन्य शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८२ ।
५६% प्रांत नं०१०। पत्र स. १०. । साइज-११३४८ इन्च | लेखनकाल-सं० १६१४ । अपूर्ण ख सामान्य शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २
Y६६ प्रति नं०११ । पत्र सं० ३६ । साइज-११४, इव । लेखनकाल x । श्रपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन न.२ |
६०० आत्मावलोकन-दीपचन्द कासलीवाल । पत्र सं० २५ । साइज-११३४५ इञ्च | भाषा-हिन्दी गध। विषय-अध्यात्म । रचनाकाल-स. १७७७ । लेखनकाल-सं० १८.२ फागुण सदी । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य || वेष्टन नं०८३।
विशेष-साह सुखरामजी पांड्या चाटसू निवासी ने ऋषि दयाराम के पास प्रतिलिपि करवायी थी।
६.१ प्रति नं० २१ पत्र सं० ६१ । साइज-५२४५ हाच । लेखनकाल ४ । पर्म एवं शुद्ध । शा-सामान्य। ४॥
वैश्टन नं.
१-१०x४
| भाषा
।
६०२ आत्मसंबोध काव्य-श्री पं० रइधृ । पत्र सं. २५ । साहज-१०x४ इञ्च | भाषा-अपभ्रंश । विषयअध्यात्न । लोक्नकाल-सं. १५५२ ज्येष्ठ चुदी १३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं०६५। . ६०३ प्रति नं०२ । पत्र सं० २५ | साइज-१०६x४३ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ६६ ।
६०४ अध्यात्म बिंदु-हर्षवर्धन | पत्र सं० १४-३० । साइज-१:४७३ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषयअध्यात्म | रचनाकाल ४ । लेखनकाल-१० १५८६ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११५ ।
..
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में अध्यात्म ]
१७६
६०५ चेतनविलास-जौहरीलाल । पत्र सं० १६६ | साइज - १२४७३ च । भाषा-हिन्दी | विषय-वध्यात्म | रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १९८३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं ० ४२३ ।
विशेष - इसके अतिरिक्त १५ पत्रों की सूची और दे रखी हैं । लिपि स्थान-जयपुर
६०६ जैनशतक-पं. भूधरदासजी । पत्र सं. १६ । साइज-x च । भाषा-हिन्दी 1 विषयप्रगाम । रचनाकारल-सं० १९८१ । लेखनकाल X | पूगः एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ५११।
६०७ प्रति नं.२। पर स... | साइज-१९४५ इश्च । लेखनकाल-सं. 10६५ ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ११२ ॥
६०८ प्रति नं. ३ । पत्र सं. : ४ ! सारज- इव | लेखनकाल x | पूर्म एवं अशुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. ११०
६० प्रति नं०४। पत्र सं० २३ 4 साइज--४५ इत्र । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं. ५०६ ।
विशेष-नवरत्न कवित्त एवं घंटाकर्णस्तोत्र, चर्चा शतक श्रादि रचनाओं का भी कुछ अश है।
६१० प्रति नं० ५। पत्र सं० ३५ । साइज-६४५ च । लेखनकाल-सं० १८४६ वैशाख युदी । में पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ५०८ ।
६११ ज्ञानचिंतामणि-मनोहरदास । पत्र सं० १२ । साइज---x४ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषय-अध्यात्म । बिनाकाल-सं० १७२८ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ५३० |
६१२ ज्ञानदीपक...""। पत्र सं० ३४ | साइज-१२४५ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषय-अध्यात्म । रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ५३१ ।
६१३ ज्ञानप्रकाशविलास-बाबा दुलाचन्द | पत्र सं० = | साइज---xस्थ। माषा-हिन्दी । विषयअध्यात्म | रचनाकाल x | लेखनकाल X | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ५३२ ।
६१४ ज्ञानसमुद्र-जोधराज मोदीका | पत्र में, ३३ | साइज-१०x४, इन । भाषा-हिन्दी । विषयभयात्म । रचनाकाल x | लेखनकाल–सं. १७२२ चैत्र सुदी १० । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-जीर्ण। बेष्टन नं. ५३३ ।
विशेष-स्त्रयं जोधराज गोदीका ने सांगानेर में प्रतिलिपि की थी।
६१५ ज्ञानानन्दपूरितनिर्भरनिजरस..। पत्र सं. ३३ : साइज-१२६५ इञ्च | माषा-हिन्दी | विषय-- अध्यात्म । रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ५६.।
६१६ प्रति नं. २ । पत्र सं० ३४ । साइज-१६x४ इन्च | लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । प्टन नं. ५६.।
६१७ दर्शनमाभृत-पा० कुन्दकुन्द । पत्र सं० २-६ | साइज-११४४ व 1 भाषा-प्राकृत | विषय-- अध्यात्म । रचनाकाल x | लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ७७४ |
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६१८ द्वादशानुप्रेक्षा दमौवन्द पत्र [सं० २ साहस- ११३६ द भाषा पत्र चितन रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १७३६ | पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा - सामान्य | वेष्टन नं ० १४ । विशेष पं० लक्ष्मीदास ने प्रतिलिपि को थी ।
| पत्र [सं०
६१६ द्वादशानुप्रेक्षा साइज ११४४ रचनाकाल X I सेवनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टननं० ७४५ ।
"
६२० द्वादशानुप्रेक्षा"
काल X| लेखनकाल सं० १५५
ने नभ लिखवाया था।
सं० २० साइन-१६ इस भाषा प्राकृत विषय-संसार चिन १० पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- वेष्टन नं० ७४६ ।
!
विशेष - कासिली नामक ग्राम में प्रतिलिपि हुई थी । खण्डेलवालान्वय माँसा गोत्र वाले श्री चाहा की पुत्री सीता
६२१ परमहंस चौपई"
रचनाकाल X। लेखनकाल x |
६२२ परमार्थ दोहा शतक रूपचंद पत्र [सं० ६
अध्यात्म | रचनाकाल x लेखनका
[
विषय संचार
-
मा विषयसंसार तिन ।
1
पत्र सं०-१६ | साइज - १२४५ ह । भाषा - हिन्दी | विषय-अध्यात्म ॥
एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २०३२ ।
पूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशा-जीकेटन नं० २०१४
पत्र०१२
साइज | |
६२३ परमार्थविशति - १९६६ च भाषा-संस्कृत विषय अध्यात्म | रचनाचल × | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य । केन्टन नं० १५०८ ! विशेष - - इसके अतिरिक्त एकत्वभावना, अनिश्चय पंचाशत आदि भी हैं। ६२४ परमात्मप्रकाश-योगीन्द्रदेव पत्र संसा२०३६
|
इन्द !
भाषा-अप विषयआध्यात्म | रचनाकाल × । लेखनकाल - मं० १८२२ | पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं० १०३५ ।
विशेष संस्कृत के पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं।
११३०३ एम माला-हिन्दी विषय
६२७ प्रति न० ४ पत्र ०१८ साइज ११x६
तथा अन्तिम पत्र नहीं है सामान्य युद्ध दशा-जर्थ वेष्टन नं. १०३८ ।
• । ।
६२५ प्रति नं० २ । पत्र सं० ७८ | साइज - ११४४ ६ च । लेखनकाल - सं० १८६४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | इशा-उत्तर | वेष्टन नं० १०३३ ।
विशेष – संस्कृत में टीका है।
६२२ प्रति न० ३ ०६२ साइ-१२२ इन्च लेखनकाल X पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशासामान्य वेष्टन न० १०२० ।
विशेष-संस्कृत में टोका है।
लेखनकाल x १-११, २०-२२ क
६२८ प्रति नं० ५ पत्र सं० २६ | साइज - १२०५६ इन्च | लेखनका पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य / वेष्टन नं० १०३८ ।
I
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विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं ।
६२६ प्रति नं०६ । पत्र सं० २०६१ साइज-११४५३ इन्च । लेखनकाल-सं० १५१८ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १०४० |
विशेष-प्रांत सटीक है । यौका संस्कृत में है।
६३० प्रति नं०७ । पत्र सं० १५ | साइज-११४६ इन्च | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं० १०४१ ।
विशेष-कहीं २ संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं ।
६३६ प्रति नं०८ | पत्र सं० ३४ | साइज-१२४५३ इञ्च ! लेखनकाल x अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । टन २० १०४२ ।
६३२ प्रति नं०६ । पत्र सं० २३ । साइज-१२४५३ इन्च | लेखनकाल-६० १.२० । पूर्ण एवं अशुद्ध । रा-सामान्य । वेष्टन नं. १०४३ ।
६३३ प्रति नं०१० । पत्र सं० १८ । साहज-EX४ ६श्च । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । बेष्टन ने० १०४१।
६३४ प्रति नं. ११ । पत्र सं० १४४ | साइज-११४४३ इन्च । लेखनकाल-सं० १७१६ श्रासोज सुदी १३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १०४४ ।
विशेष-जेतपुरा में साह श्री सुन्दरदासजी ने लिखयाया।
६३५ प्रति नं० १२ । पत्र सं० २:१ | साइज-१०६४५ इञ्च | लेखनकाल X| पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं. ११४५ ॥
विशेष - प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है । प्रक्षेपक गाथाओं को निकाल कर टीका की गई है । ऐसा टीकाकार
६३६ प्रति नं० १३ । पत्र सं० १६ | साइज-११६४५३ श्च | लेखनकाल -सं० १७१६ मंगसिर सुदी ६ | पूर्ण एवं शुद्ध । केवल मूल प्रति है । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १०४६ ।
विशेष महात्मा इंगरसी ने प्रतिलिपि की थी।
६३७ प्रति नं० १४ । पत्र सं० २५ । साइज-१०३४५३ इन्च | लेखनकाल x} पूर्ण एवं शुद्ध । दशावीर्ण । वेष्टन नं० १०४७ ।
६३८ प्रति नं० १५ । पत्र सं० १८ । साइज-६x६ इञ्च । लेखनकाल XI पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १०४ ॥
६३६ प्रति नं०१६ । पत्र सं० १००-१५२ | साइज-1३४५ इन्च । लेखनकाल र । अपूर्ण एवं शुध्द । देश-सामान्य । वेष्टन नं० १०४६ ।
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१८२
[ अध्यात्म
विशेष --अति संस्कृत का सहित है।
६४० प्रति नं. १७ । पत्र सं० २५८ । साइम-११x६ इन्च । लेखनकाल-सं• १६०१ । पूर्ण एवं शुद्ध। दशा-उत्तम । वेष्टन ने० १०५० ।
विशेष-श्री ब्रह्मदेव कृत संस्कृत टीका तथा दौलतरामजी कृत हिन्दी भाषा सहित है।
६४१ परमात्मप्रकाश भाषा-मूलक -योगीन्द्रदेव--भाषाकार...."| पत्र सं० १६१ । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत-हिन्दी । विषय-अध्यात्म । रचनाकाल ४ | लेखनकाल X| पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । बेष्टन नं० १०५२ ॥
६४२ प्रति न० २। पत्र सं० १६ । साइज-१२४५३ इञ्च । मूल प्रति है। लेखनकाल-सं० १७१६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वैप्टन नं० १०५३ ।
६४३ परमात्मप्रकाश भाषा-हेमराज । पत्र में० २६ । साइज-१०४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयश्राध्यामिक । रचनाकाल X । लेखन काल x | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ० १०५१ ।
६४४ प्रवचनसार-या. कुन्दकुन्द । पत्र सं० १४३ । साइज-20४४, इश्च । भाषाप्राकत । विषयआध्यात्मिक । रचनाकाल ४ | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० ११७६ ।
विशेष-अमृतचन्द्र कृत संस्कृत टीका सहित हैं ।
६४५ प्रति नं० २१ पत्र सं० १२७ । साइज-११४५ इंच | लेखनकाल x। पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० ११७८।
विशेष-अमृतचन्द्र कृत संस्कृत टीका सहित है।
६४६ प्रति नं. ३ 1 पत्र सं० २१-८४ । साइज-१२४११ इन्च | लेखनकाल-सं० १७६३ वैशाख सुदी ६।। अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११८३ ।
विशेष-अमृतचन्द्र कृत संस्कृत टीका सहित है।
६४७ प्रति नं. ४ । पत्र सं० २२ । साइज-१२३४५६ इञ्च । लेखनकाल x। अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० ११८४ ॥
विशेष- अमृतचन्द्र कृत संस्कृत टीका है । हिन्दी अर्थ मी दिया हुआ है।
६४८ प्रति नं०५। पत्र सं० १०० । साइज-११६४५ इन्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्धः ।। . दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. ११७ ।
विशेष-अमृतचन्द्र कृत संस्कृत टीका सहित है।
६४६ प्रति न०६। पत्र सं०६१ । साइज-११४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६१: फागुण बुदी ७ । पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ११७१ ।
विशेष-अमृतचंद्राचार्य कृत संस्कृत टीका सहित है । ६५० प्रति नं०७ । पत्र सं० २४३ । साइज-१०३४१३ च । लेखनकाल-सं० १७४० अषाढ शुक्ला
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अध्यात्म ]
चतुर्थी । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १९८० |
विशेष - अमृतचंद्राचार्यं कृत संस्कृत टीका एवं हेमराज कृत हिन्दी अर्थ सहित हैं ।
६५१ प्रतिनं
'दशा- उत्तम । वेष्टन नं० ११५१
सामान्य । वेष्टन नं ० ११-२ |
१=३
। पत्र सं० १५० | साइज - ११७३ इव । लेखनकाल - सं० १८७६ | पूर्ण एवं शुद्ध ।
।
६५२ प्रति नं० ६ । पत्र सं० १३९ | साइज - ११x४३ इव । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा
विशेष-संस्कृत टीका सहित है
1
६५३ प्रति नं० १० । पत्र सं० ६० | साइज - १२३४५ इन्च | लेखनकाल - सं. १५६१ श्रावण बुदी १ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य | वेधन नं० ११८६ |
विशेष - श्री दूलदुर्ग में श्री ठाकुर ने प्रथ की प्रतिलिपि की थी । अमृतचंद्राचार्य कृत संस्कृत टीका सहित हैं ।
६५४ प्रवचनसार - मितिगति । पत्र सं ० ३४ | साइज - १५३७३ इव । भाषा संस्कृत | विषय - श्राध्यात्मिक १चनाकाल × ३ लेखनकाल | अपूर्णं एत्र शुद्ध । दशा सामान्य | वेष्टन नं० १९८५ ।
६५५ प्रवचनसार भाषा पांडे हेमराज पत्र सं० २४७ | साइज - ६३४३ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषय -- धर्म | रचनाकाल - २० १७०२ | लेखनकाल - सं० १७२६ । पूवं एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ११५७ | ६५६ प्रति नं० २ । पत्र सं० ४७ | साइज - १०३४ २ इन्च । लेखनकाल- सं० १७४६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- जीर्ण | वेष्टन नं० १९८८ ।
६५७ प्रति नं २ | पत्र सं० २०० | साइज - ६ इञ्च । लेखनकाल - सं० १८०६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य । वेष्टन नं० ११८६ |
६५८ प्रति नंः ३ | पत्र सं० १०१ | साइज - ११६५३६ | लेखनकाल - सं० १७१७ वैशाख ख़ुदी ७ मंगलवार । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- जीर्णे । वेष्टन नं० ११६० ।
६५६ प्रति नं० ४ | पत्र सं०६८ साइज - ११३५ इन्च । लेखनकाल । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १९९१ १
६६० प्रति नं० ५ | पत्र सं० १०३ | साइज - १०३५ इन्च | लेखनकाल X। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दिशा - सामान्य । वेष्टन नं० ११९२ ।
६६१ प्रवचनसार भाषा । पत्र सं० ७२ | साइज - ११x६ इन्च । भाषा - हिन्दी | विषय- श्रध्यात्म 1 रचनाकाल X | लेखनकाल - स० १८०३ | दर्शनाचार तक | पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १९६३ ॥
६६२ प्रवचनसार - जोधराज गोदीका पत्र सं० ६० साइज - ६३x४३ इश्व । माषा - हिन्दी | विषय - श्रध्यात्म | रचनाकाल-सं० १७६६ । लेखनकाल - सं० १७२६ कार्त्तिक बुदी ११ भृगुवार । श्रपूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य : वेष्टन नं० ११६४ ।
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१८४
[ अध्यारम विशेष-प्रथम तीन पत्र नहीं हैं।
६६३ प्रवचनसार भाषा-पं० देवीदास । पत्र सं० १०५ | साइज-8x५ इन्च | माषा-हिन्दी । विषय . धर्म । रचनाकाल-२० १८२४ । लेखनकाल-सं. १८२८ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टम नं. ११३१।
. विशेष- "लिखतं प्रधान अमानरार स्थान छत्रपुर पठनार्थ माई मनसाराम पठनार्थ जयपुर वासी ।
६६४ मोहविवेक-बनारसीदास | पत्र सं. १२ । साइज--१०x४ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-अध्यात्म ! रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । पूर्ग एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सानान्य । वेष्टन नं० १४२५ ।
६६५ प्रति न० २। पत्र सं० १२ । साइज-१०३४४३ इश्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य ! वेष्टन ने० १४२७ ।
६६६ वीसरागशास्त्र...."| पत्र सं. ८ | साइज-१०x४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-अध्यात्मिक । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । श्रता एवं सामान्य पुर। देशा-जीर्ण । वेष्टन नं० १६४७ ।
६६७ वैराग्यशतक"....! पत्र सं० । साइज-१-४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत | विषय-अध्यात्म | रचनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । इशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० १६५७ ।
६६८ ब्रह्मानन्द-पं० श्री रामकृष्ण । पत्र सं० - • । साइज-१०४५३ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय-प्राभ्यास्मिक । रचनाकाल ४ । लेखनकाल / पूर्ण-विषयानन्द प्रकरण तक ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६६२ ।
६६६ षटपाहुइ-श्रा० कुन्दकुन्द । पत्र सं० ७६-२७. । साइज-१२४५३ इञ्च । माषा-प्राकृत | विषयप्राध्यात्मिक । रचनाकाल ४ । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७६२ ।
विशेष-प्रति सटीक है। टीका संस्कृत में है। टीकाकार श्रुतसागर है ।
६७० प्रति नं०२। पत्र सं० ५८ । साइज-१०३४५६ इच । लेखन काल-सं. १८५० फाल्गुण शुक्ला १२| अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७३।
६७१ प्रति नं० ३ । पत्र सं० ३५ । साइज-10६x४ इच्च । लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७६४ |
६७२ प्रति ०४ । पत्र सं० ३३ । साइज-६x४ इञ्च । लेखनकाल X । श्रपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ।। - वेष्टन नं. १७६५ |
६७३ प्रति न०५ । पत्र सं० ३ । साइज-१२४४३ इञ्च । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं. १७४६ । - विशेष-- केवल शील पाहुद ही है।
६७४ प्रति नं०६। पत्र सं० ३ | साइज-:०३४६ इञ्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं० १७६६ ।
विशेष-शील पाहुड है।
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यात्म ]
६७५ प्रति नं०७१ पत्र सं० १६ ! माइल-1 रुन । लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं शुद्ध [ दशासामान्य । वेष्टन नं० १८११ ।
विशेष-संस्कृत में अर्थ भी दिया हुआ है।
६७६ प्रति नं0८ । पत्र सं. ५६ | साइज-१०३४४३ इन्च । लेखनकाल-सं० १७१४ मंगसिर चुदी अमावस । से पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १७६७ ।
६७७ प्रति नं० । पत्र सं० १३ । साइज-१०x४ इन्च | लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । में दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. १७६८ |
६७८ प्रति नं. १०१ पत्र सं० ५४ | साइज-१२४६ इञ्च । लेखनकाल-सं० १७१४ फागुण बुदी ११ बुधवार पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८०१ ।
विशेष – कल्याण पहाच्या ने प्रतिलिपि की थी।
६७६ प्रति नं० ११ १ पत्र सं० ५५ । सादज-११४१३ इन्न । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १८०२ ।
६८० प्रति नः १२ | पत्र सं० ७६-२०० । साइज-१२४५३ इञ्च । लेखनकाल X । अपर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८०४ ।
विशेष-श्रुतसागर कृत संस्कृत टीका सहित है ।
६८१ प्रति नं० १३ । पत्र सं० १ ४ ३ साइज-११६४५.३ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशाहै. जीर्ण । वेष्टन नं ० १८१३।। । विशेष-श्रुतसागर कृत संस्कृत टीका सहित है । प्रत्येक पृष्ठ पर यह लिखा हुआ है “ या टीका झूठी है" "गाथा । सांची 2" "या टीका प्रमाण झूठी 2 कुमार्गी किया ।" इत्यादि ।
६ ८२ प्रति नं० १४ । पत्र सं० १३३-१८२ | साहन-१०४७३ इञ्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन न० १८१४ !
विशेष-हिन्दी अर्थ सहित है ।
६८३ प्रति नं. १५ । पत्र सं० ४१ । साइज-११४८ इन्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध | दशाउत्तम | वेष्टन नं० १८१५ ।
विशेष-हेन्दी टीका सहित है ।
६८४ प्रति नं०६६। पत्र सं० २-३६ | साइज-१०३४५३ इन्च । लेखनकाल X। अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १८१५ (क) ।
विशेष-संस्कृत टीका सहित है।
६८५ प्रति नं०.१७ । पत्र सं०७४ ! साइज-१२४५३ इञ्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं. १८०० ।
L
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[अध्यात्म
६८६ प्रति नं०१८ | पत्र सं० ११ । साइज-१०६x२ १श्च । लेखनकाल-सं० १८०१ पौष चुदी ७ । पूर्ण __ एवं शुद्ध । दश:-सामान्य । वेष्टन नं. १७६ |
विशेष--संस्कृत में टीका सहित है।
६८७ प्रति नं० १६ । पत्र सं. ५० | साइज-१०४४ इन्च । लेखनकाल-सं० १५४२ ज्येष्ठ मुदी १४ । पूर्ण एवं शुध्द । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८०३ ।
विशेष- मूलमात्र है।
६८८ समयसार-कुन्दकन्दाचार्य । पत्र सं० २२ । साइज-११४६३ इञ्च । माषा-प्राकृत | विषय-अध्यात्म । रचनाकाल X । लेखनकाल–सं० १७७८ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । बेष्टन नं. १८६२ ।
६६ प्रति न०२। पत्र सं०१-१५१ । साइज-१३४६ इन्च | भाषा-प्राकृत | विषय-प्राध्यामिक । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं. १६३२ पौष बुदो १ । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वैप्टन नं. १८६१ ।
विशेष - ब्रह्मदेव कृत संस्कृत टीका सहित है । प्रतिलिपि मध्यप्रदेश के अग्रलपुर नगर में हुई भी ।
६६० प्रति नं. ३ । पत्र सं० ११२ । साइज-१२४५ च । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० १८५६ ।
विशेष-मुतचन्द्र कृत संस्कृत टोका सहित है।
६६१ प्रति नं.४। पत्र सं० ६४ . १६० । साइज-११४५ इन्च । लेखनकाल-सं० १४४६ धैशाख बुदी १० - मङ्गलवार । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन मं० १८६ ० ।
विशेष-अमृत चन्द्र की संस्कृत टीका सहित है । योगिनीपुर में पिरोज साह के राज्य में हुई थी।
६६.२ प्रति नं० ५। पत्र सं० ६४ । साइज-११४५३ इश्व । लेखनकाल-सं० १६५३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८५८ |
विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं।
६६३ प्रति नं०६। पत्र सं० १.७२ | साइज-११५४१३ | लेखनकाल x। पूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य | वेरन नं. १८४७ ।
विशेष-अमृतचन्द्र कृत संस्कृत टीका सहित है ।
६६४ प्रति २०७। पत्र सं० १३१ । साइज-११४५ इञ्च ! लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १८४८7
६६५ प्रति नं०८। पत्र सं० ५६ | साइज-१२३४६ इन्च | लेखनकाल X| पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १८४६ ।
६६६ प्रति नं०६। पत्र सं० १७१ । साइज-१०x४३ च । लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुध्द । दशासामान्य | वेष्टन न.१४
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अध्यात्म ]
६६७ प्रति 10 १० | पत्र सं० १३ ! साइज ११४४६ इञ्च | लेखनकाल–२० १८०४ ज्येष्ठ बुदी १२ । एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८४४ ।
विशेष-पद्यों का हिन्दी अर्थ भी दिया हुधा है। -
६६८ प्रति नं० ११ । पत्र सं० ५० । साइज-१०४४३ इञ्च । लेखनकाल x १ पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । गेष्टन न. १८४५ ।
६६ प्रति नं०१२। पत्र २०५८ साइज-१०४५ इञ्च । लेखनकालx। पूर्ण एवं शुद्ध । दशाउत्तम । वेष्टन नं० १८४६ ।
७०० प्रति नं० १३ । पत्र सं० १४८ | साइज--३४६ इञ्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । पशा--सामान्य । वेष्टन नं० १८५२ ।।
७०१ प्रति नं०१४। पत्र सं० १७८ । साइज-११३४५ इञ्च | लेखनकाल-सं० १८२८ पौष सुदी १४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १८५६ ।
७०२ प्रति नं. १५ । पत्र सं० १७६ । साइज-१०x४३ इञ्च । लेखनकाल x | प्रारम्भ के १०१ पत्र पण जहाँ है । शुद्ध । वेष्टन नं० १८५० |
७०३ प्रति नं० १६ । पत्र सं० १२३ । साइज-११४५ इन्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | शा-सामान्य । वेष्टन नं. १८५३ ।
७०४ प्रति ० १७ । पत्र सं० ३६ । साइज-१२xk रम्न । लेखनकाल–सं० १७३१ मंगसिर बुदी १४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८१४ ।
विशेष---काउद मध्ये शीतलनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि हुई थी।
७०५ प्रति नं०१८ पत्र सं० २३ ! साइज-११x६ इम्च । लेखनकाल–सं० १७०८ चत्र सुदी पूर्णिमा । एष एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १८६१ ।
७०६ प्रति २०१६ | पत्र सं० २-१६ | साइज-११४५३ इन्च । लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन नं० १८६३ ।
७७ प्रति नं० २० । पत्र सं० ३७५ | साइज-१०४४३ इञ्च । लेखनकाल–सं० १५२२ पौष चुदी ३ । पूर्व एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० १८४० |
विशेष-संग्रामपुर में प्रतिलिपि हुई थी।
७०८ प्रति नं० २१ । पत्र सं० १०१ । साइल-११४४३ इञ्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । सा-सामान्य । वेष्टन नं० १८४१ ।
. ७०६ प्रति नं० २२ । पत्र सं० १७ । साइज-१०x४३ इम्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशाआमान्य । वेष्टन नं० १८४२ ।
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[ अध्या
७१० प्रति नं० २३ | पत्र सं० २११ | साइज - ११४४३ इन्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य | वेष्टन नं ० १६४ ।
1
विशेष --- कलशों का हिन्दी गद्य अनुवाद भी दिन हुआ है। प्रति प्राचीन हैं माषाकार राजमल्ल हैं । ७११ प्रति नं २४ | पत्र सं० ३७ । साइन- २१४४३ इञ् । लेखनकाल x । पूर्वं एवं शुद्ध । दशा - सामान्य वेष्टन नं० २००३ ।
विशेष- प्रति संस्कृत टीका अहित है ।
१८८
७१२ समयसारकलशा ढीका राजमलजी | पत्र सं० २६६ | साइज - ११३५ इन । माषा - हिन्दी | विषय-- श्रध्यात्म । रचनाकाल X | लेखनकाल x । पूर्ण- प्रथम पृष्ट तथा १६६ से आगे के पत्र नहीं है । सामान्य शुरू | दशा- जीणं । वेष्टन नं० १८६६ ।
12
७१३ प्रति नं २ | पत्र सं० २३७ | साइज - १२९५३ हश्च । लेखनकाल - सं०] १.०४६ | पूर्ण एवं शुद्ध ।
दशा- सामान्य । वेष्टन नं०६६।
विशेष- बनारसीदास कृत मात्रा भी इस में है ।।
७१४ प्रति नं ३ | पत्र सं० २०४ | साइज - ११३४५ इन | लेखनकाल - सं० १७६२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १८६५ ।
७१५ समयसार नाटक- महाकवि बनारसीदास पत्र सं०७४ | साइज - १२९५ इव । माषा - हिन्दी । विषयअध्यात्म | रचनाकाल - सं० १६६३ | लेखनकाल सं० १६० | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १८७१ | साइज - १३X६ इच | लेखनकाल - सं० १९५० । पूर्ण एवं शुद्ध ।
७१६ प्रति नं० २ । पत्र नं १२६
दशा- उत्तम | वेष्टन नं० १०७० |
विशेष- हिन्दी गद्य टीका पंडित रूपचन्दजी कृत है। रूपचन्दजी द्वारा लिखित प्रशस्ति नहीं दी हुई हैं। ७१७ प्रति नं ३ | पत्र सं० ३६ | लाइज - ११३५ च । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य | वेष्टन नं० १०७२ |
७१८ प्रति न० ४ । पत्र २ १४२ | साइज - x६ इव । लेखनकाल - सं० १८३४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं० १८७३ |
७१६ प्रति नं० ५ । पत्र सं० २०४ | साइज - २३२४ | लेखनकाल - सं० १८३० । पूर्ण ४७ तक पत्र हैं । दशा - सामान्य । वेष्टन नं २ १८७४ |
७२० प्रति नं० ६ | पत्र सं० ५१ | साइज-इन् । लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १८७४ /
७२१ प्रति नं० ७ । पत्र सं० २३ । साइज १०४ इन्च | लेखनकाल x अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य | वेष्टन नं० १८७५ ।
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१८६
७२२ प्रति नं० ८ पत्र [सं० २०१८ साइज १०४ लेखनकाल सं० २०१३ आसोज ।
वर्ग एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं. १८७६ ।
विशेष – चौधरी वखतराम के श्री दुलीचन्द ने प्रतिलिपि की थी । पुत्र
-
। | इव ७२३ प्रति २०६ पत्र [सं० ६० साज-२६ । लेखन
न नं० १८७७ ।
दशा- जीर्ण | वेष्टन नं० १८७८ |
७२४ प्रति नं० २० पत्र स० १२५ | साइज - ११० । लेखनकाल २००६ पूर्ण एवं शुद्ध
विशेष - प्रति का जीयोंद्धार हो रखा है ।
७२५ प्रति नं० ११
पत्र से
गिद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं ० १८७६ ।
विशेष – रूपचन्द कृत समयसार को हिन्दी गद्य टीका मी है।
७२६ प्रति न० १२ र ०५०
- सामान्य वेष्टन नं० १०८०।
दशा-सामान्य वेन्टन नं० १०८१ ।
x ।
दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १५०२ ।
। 1 पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम
१४० साइज - १०x४ | लेखनकाल- सं० २०६६ पूर्व एवं सामान्य
७२७ प्रति नं० १३ | पत्र सं० १५१ | साइज - १०x१ च । लेखनकाल - सं० १६२७ | पूर्ण
सामान्य वेष्टन नं० १८८४ |
साइ- १०२ पूर्ण शुद्ध
७२ प्रति नं० १४ पत्र सं० ७५ | साइज - ११४५ । लेखनकाल सं० २००१ । पूर्ण एवं शुद्ध
एवं शुद्ध
७२६ प्रति नं० १५ पत्र ०७५ साइज ११ इन्च लेखनकाल सं० २०६७। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- जीर्ण | वेष्टन नं ० १८०३ ।
विशेष- बूंदी ( राजस्थान ) में भावसिंहजी के राज्य में प्रतिलिपि की गयी थी । ७३० प्रति नं० १६. पत्र ० १३२ | साह-१०४३
विशेष – ब्रह्म रूपजी ने पडसोलानगर में ग्रन्थ की प्रतिलिपि करवायी थी ।
। लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं शुद्ध दशा
७३१ प्रति नं० १७ । पत्र सं० १५४ | साइज - १२४३ इव । लेखनकाल - सं० १७०५ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन नं० १८८५
७३२ प्रति नं० १८० १६० साइज ७३४ इथ लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य केप्टन नं० १०८ ।
७३३ प्रति नं० १६ । पत्र ०७५ | साह - १२० । लेखनकाल । अपूर्ण एवं शुद्ध दशा| सामान्य । वेष्टन नं० १८८० ।
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१६०
विशेष-रूपचन्द कृत हिन्दी गद्य टीका सहित है।
७३४ समयसार भाषा-पं० जपचन्द्रजी छापडा। पत्र सं० २४८ । साइज-१४४६ इञ्च ! भाषा--हिन्दी । विषय-अध्यात्म । रचनाकाल-सं० १८६४ । लेखनकाल-. १८६६ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १
७३५ प्रति नं८२ | पत्र सं० २.५ । साइज-११x१ इन्च । लेखनकाल-सं० १६६४ । अपूर्ण एवं दशा-सामान्य । बेटन नं. १८:५।
७३६ प्रति ने.३) पत्र सं० ३५२ । साइज--03x+ इन्च । लेखनकाल-सं. ११३८ । पूर्ण एवं गुहार दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १८८८ |
विशेष -बखताबरलाल छाबडा ने भीवराजजी की प्रेरणा से प्रतिलिपि की थी।
७३७ प्रति नं०४। पत्र सं० २८०१ साइज- इश्च । लेखनकाल-सं० १८६४ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८५७/
विशेष प्रति स्त्रय जयचन्दजी द्वारा लिखी गयी है । इसलिये स्थान २ पर प्रति संशोधित की हुई है।
७३८ समयसार नाटक भाषा-मूलकर्ता-महाकवि बनारसीदास । माषाकार-सदारखजी कासलीवाल | 4 सं० २०८ ! साइज-११४७५ इञ्च । भाषा-हिन्दी पच-गद्य | विषय-अध्यात्म । रचनाकाल-सं० १९१४ । लेखनकालसं० १६३ : फागुण वृद्धी ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १
७३६ समयसार भाषा.....""। पत्र सं० १६० । साइज-१:३४६३ इञ्च । माषा-हिन्दी । विषयअभ्यात्म । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १८४२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न० १८ !
७४० समयसार भाषा....... | पत्र सं० ७६ । साइज-Exiइन । माषा-हिन्दी गध | विषय-अध्यात्म । रचनाकाल x | लेखनकाल x | अपूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० १८४ |
७५१ समयसार भाषा......! पत्र सं० १.४ साइज-१०६x४३ इन। माषा-हिन्दी गथ | विषयअभ्याम । रतनाकाल x | लेखन काल ४ ! जीवाधिकार तक पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं १८६२।
७४२ समयसार भापा..." | पत्र सं० २०० । साइज-११३४७५ इश्च । रचनाकाल X । लेखनकाल xi अपूर्ण-प्रथम पत्र तथा अन्तिम पत्र नहीं है । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १८५५ ।
७४३ संवेगामृतभावना-श्री रत्नसिंह मूरि । पत्र सं० ६६ । साइज-१०४६ । भाषा-संस्कृत ! विषयअध्यात्म । रचनाकाल X । लेखन काल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १६५२ ।।
विशेष--40 तिलकसागर ने बगडी नगर में प्रतिलिपि की थी।
७४४ स्वामीकात्तिकेयानुप्रेक्षा-कार्तिकेय । पत्र सं० ४० ! साइज-८३४६३ छ । भाषा-प्राकृत | विषयअध्यात्म । रचनाकाल ४ | लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन मं० २१६६ । .
७४५ प्रति ०२ । पत्र सं० २६ । साइज-११३४५६ इन्च । लेखनकाल ४ ! अपूर्ण-आगे के पत्र नहीं । है। सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न० २१७० ।
•RM
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A
अध्यात्म
१६१
-
७४६त्रात नं.३। पत्र सं०२० साइज-११४५ इञ्च । लेखनकालx | श्रम
। दशासामान्य । वेष्टन नं० २१७१ ।
७४७ प्रति नं.४। पत्र सं० ७०-१०४, २७३-२३० [ साइज-१२४५ इन्च । लेखनकाल-सं० १८६१ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१७३ ।
विशेष-भट्टारक शुमचंद्र कृत संस्कृत टीका सहित है।
७४८ प्रति नं०५ | पत्र सं०६७ | साइज-११६४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६०७ पासोजशुक्ला १२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम | वेष्टन ने०२१७२ ।
विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं।
७४६ प्रति ने०६। पत्र सं०६७ | साइज-११३४५६ इञ्च । लेखनकाल x | अपूर्ण-पागे के पत्र नहीं हैं। सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१७४ |
विशेष-भ. शुभचंद्र कृत संस्कृत टीका सहित है।
७५० प्रति नं०७ । पत्र सं० १५ । साइज-५.३४५ इञ्च ! लेखनकाल ! पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । बेष्टन नं० २१७५ ।
विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शन्द दिये हुये हैं।
७५१ प्रति नं.८! पत्र सं० १६ । साइज-११४४३ च | लेखनकाल ४ ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं०२१७६ ।
७५२ प्रति नं.६ । पत्र सं० २५ | साइज--११६४५३ इश्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन नं० २१७७ ।
७५३ प्रति नं० १० ( पत्र सं० २६ ! साइज-१२४५ इच । लेखनकाल । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० २१७८ ।
७५४ प्रति नं. ११ । पत्र सं० १०१-२१५ । साइज-११३४५३ च । लेखनकाल–सं० १७६६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१७६ | - विशेष-भ. शुभचन्द कृत संस्कृत टीका सहित है। ' .
७५ प्रति नं० १२ । पत्र सं. ३२ । माइज-१०x४३ च | लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशाघामान्य । वेष्टन नं. २१००।
.
७५६ प्रति नं० १३ । पत्र सं० २१६ । साइज-१०३४७३ ६श्व । लेखनकाल X । पूर्व एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० २१८१1
विशेष-स. शुभचन्द्र कृत संस्कृत टीका सहित है। -
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१६२
- [अध्यात्म
७५७ प्रशि नं. ६. 1 पत्र सं० २६ । साज-१०x४६ इञ्च | लेखनकाल ४। अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।। दशा-सामान्य । वेष्टन न. २१८१ ।
७५८ प्रति नं-१५ । पत्र सं. ६६ । साइज-१३४६ हश्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य। वेष्टन नं० २१८२। विशेष – भट्टारक शुभचन्द्र कृत संस्कृत टीका सहित है।
७५६ प्रति नं० १६ । पत्र सं० २०६ । साइज-x६ इन्च । लेखन काल x | पूर्ण एवं शुम्द । दशासामान्य । वन्टन नं० २१-३ ।
विशेष-भ. शुभचन्द्रकन संस्कृत टीका सहित है।
७६. स्वामीकात्तिकेयानुप्रेक्षा भाषा-जयचंदजी बावड़ा । पत्र सं० १०६ । साइज--- १x६ इन्च । भाषाहिन्दी गय | विषय-धर्म । रचनाकाल-सं० १८६३ । लेखनकाल-सं. १८६३ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य | वेष्टन नं. २११ ।
विशेष प्रति स्वयं जयचन्द्रजी द्वारा लिखी गई है ।
७६१ प्रति नं० २। पत्र सं० ७३ । साइज-११४८ च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं शुद्ध । श्रागे के पत्र | नहीं है । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१८४ |
७६२ प्रतिनं० ३। पत्र सं० १२७ । साइज-११४ इञ्च । लेखनकाल–सं. १९१६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१८७ ।
उ६३ प्रति नं. ४ । पत्र सं० १५५ । साइज-१०४ इञ्च | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य । वेष्टन नं० २१८८ }
७६४ प्रति नं. ५। पत्र सं० ३०१ । साइज-११३४६ इश्च । लेखन काल-सं० १८८८ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २१८ |
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विषय - न्याय एवं दर्शन
ग्रन्थ संख्या -- ७६५-८७२
= | साइज - ११३५५३ इश्च । भाषा - संस्कृत 1 विषय याय । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ४२
७६६ प्रति नं० २ | पत्र ० ३४ | साइज - ११८ इच। लेखनकाल- सं० १०२ माघ बुदी है | पूर्ण एवं
७६५ अष्टशती - मट्टा कलंकदेव | पत्र सं० रचनाकाल x | लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ४३ ।
विशेष - जयपुर नगर में महात्मा कालूराम ने प्रतिलिपि की भी ।
७६७ प्रति नं० ३ | पत्र सं० ४३ | साइज - ११४५३ इञ्च । लेखनकाल - सं० १८६८ वैशाख बुदी ७ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ४४ |
७६८ प्रति नं० ४ । पत्र सं० २४१ साइज - १०३५ इव । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दश-सामान्य । पेप्टन नं० ४५ ।
७६६ सहस्त्री - विधानन्दि | पत्र सं० २३२ । साइज - ११३४५ इन्च भाषा-संस्कृत | विषय - न्याय । रचनाकाल x | लेखनकाल- सं० १४२० फाल्गुण सुदी २ । पूणे एवं शुद्ध । दशा सामान्य | वेष्टन नं० ४७ । ७७० श्राप्तपरीक्षा - विधानदि । पत्र सं० ११० | साइज - १२५ इन्च | लेखनकाल - सं० १९७८ मंगसिर सुदी पूर्ण प्रारम्भ के ५० पत्र नहीं हैं | सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १९८ |
विशेष – श्रहमदाबाद के समीप राजपुर ग्राम में उपाध्याय अभयचन्द्र के पटनार्थं प्रतिलिपि की गयी थी । ६ जातीय श्री हर्षमदे ने प्रण को प्रतिलिपि करवायी थी ।
७७१ प्रति नं० २ । पत्र से० ५ | साइज - १३७ इम् | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । पेष्टन नं० ११७ ।
७७२ प्रति नं० ३ । पत्र से० ७ | साइज - x५ च 1 लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य ।
'वेष्टन नं ० ११६ |
७७३ श्राप्तमीमांसा भाषा पं० जयचन्दजी छाबडा । पत्र सं० ८ | साइज - ६ ३७ ३ इन्च | भाषा - हिन्दी | विषय - न्याय | रचनाकाल - सं० १८६७ । लेखनकाल x १ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ११६ । ७७४ मीमांसालंकृति
रचनाकाल × | लेखनकाल × । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | बेष्टन नं० १२० |
विशेष – संस्कृत टीका मी है।
" पत्र सं० २२५ | साइज - १५९७ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय- न्याय ।
2
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१६४
[न्याय एवं दर्शक
७७५ पालापपद्धति-देवसेन । पत्र सं० ११ । साइज-१.६४४३ इथ | माषा-संस्कृत । विषय-न्याय । रचना काल x | लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १३३ । .
७७६ प्रति नं. २ । पत्र सं. २ . | साइज-:२४५३ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८७७ वैशाख युदी १२ पूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-उत्तम । बेष्टन नं. १२८ |
७७७ प्रति नं० ३ ! पत्र सं० १ | साइज-१०x४६ श्च । लेखनकाल-सं० १८१२ मंगसिर सदी ४ । पूर्व एक शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १२६ ।
७८ प्रति न०४ । पत्र सं० १३ । साइज-११६x४६ इञ्च । लेखनकाल–सं0 11८४ मंगसिर जुदी । पूर्व एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । बेष्टन नं. १२६ ।
७ प्रति नं०५ । पत्र सं० ११ | साइज-१०x४इव । लेखनकाल-सं० १८११ फागुण बुदी । पूर्व एवं शुद्ध । दशा--सामान्य । बेष्टन नं. १२६ ।
७८० प्रति नं०६ । पत्र सं० ६ । साइज-:१६५४३ इन्च । लेखनकाल X I पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य। वेस्टन नं० १२६ ।
७.१ प्रति नं ७ । पत्र सं० ६ । साइज-११४१ इञ्च । लेखनकाल x I पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । । वेष्टन नं० १२६ ।
७८२ प्रति नं०८ । पत्र सं० १२ । साइज-10६४४३ च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य। वेष्टन नं. १२६ ।
७८३ प्रति नं. ६ । पत्र सं १२ । साइज-१०३४४ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य। : वेष्टन नं. १२६।
७८६ प्रति नं० १० । पत्र सं० ६ ! साइज-११४३३ च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । .. वेष्टन नं ० १२६ ।
७८५ प्रति नं०११ । पत्र स० । साइज-१०x४ इश्च । लेखनकाल-सं० १७२२ चैत्र शुक्ला १११ पूर्ण एवं शुद्ध | दशा--सामान्य ! वेष्टन नं. १३०
विशेष—यह प्रति सांगानेर में साह जोधराज गौदीका के पउनार्थ लिखी गई थी।
७८६ प्रति नं० १२ । पत्र सं० ११ । साइज-१२४४३ इन्न । लेखनकाल-सं० १८०३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १३१ । ।
७८७ प्रति नं० १३१ पत्र सं० ११ । साइज-१०४६ इन्च । लेखनकाल-स. १६५५ कार्चिक शुक्ला १२| पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १३२ ।
- किरणावली प्रकाश-महामहोपाध्याय श्री मंगेश्वात्मज उपाध्याय श्री वदमान | पत्र सं० ४. ! साज
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नाय एवं दर्शन ]
१६५
ना.
इस | भाषा-संस्कृत | विषय-न्याय । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं. १८२५ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ।
*,
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...
७८ खंडनसूत्र..."। पत्र सं० ४ | साइज-११४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-न्याय । रचनाकाल x 1 निकाल । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ३०३ ।
७० खंडसूत्र-यी हर्ष । पत्र सं० ११६ । साइज-११४६ इञ्च । माषा-संरकत । विषय-न्यार । रचनाकाल x सनकाल । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० ३०४ इसका दूसरा नाम खंडन खाद्य भी है।
७६१ चन्द्रावलोक...| पत्र सं० १३ । साइज-१०४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-दर्शन । रचनाल x | लेखन काल-सं० १६६६ श्रावण कृष्णा ४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा- सामान्य । वेष्टन नं०४०।।
७६२ जीवास्तित्ववाद.......! पत्र सं० ८ ! साइज-१४५ । भाषा-संस्कृत । विषय-दर्शन | रचनात X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । श्रेष्टन नं० ५०३ ।
७६३ तत्वबोध...] पत्र सं० ६ । साइज--४५६ इभ | भाषा-संस्कृत | विषय-न्याय । रचनाकाल x : खनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं०५७।
७६४ तर्कदीपिका-योगी विश्वनाथ । पत्र सं० ७ | साइज-११४५ इन्च । माषा-संस्कृत । त्रिषय-न्याय । नाकाल X । लेखनकाल x } पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ६२८ |
७६५ तकेभाषा-श्री केशचमिश्र । पत्र सं०३६ साइज-1०x४ इञ्च | माषा-संस्कृत | विषय-याय । रचनाहाल X । लेखनकाल-सं० १७५७ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ६२८ |
७६६ प्रति नं० २। पत्र सं० ३३ । साइज-१०६x४ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६६८ फाल्गुन सुदी १.। एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ६२६ ।
७६७ तर्कसंग्रह-पन्न भट्ट । पत्र सं. ६ | साइज-१२४५ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय--न्याय । रचनापल । लेखनकाल X | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ६३० ।
७८ प्रति नं० २१ पत्र सं० ७ । साइज-११४४ इन्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । पएन ०६६१। व ७ प्रति नं. ३। पत्र सं० ३२ 1 साइज-११४५ इञ्च | लेखनकाल x। अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | मा-उत्तम । वेष्टन नं. ६३१।
विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है। * . ८०० तृप्तिदीपिका.....! टीकाकार पं० रामकृष्ण । पत्र सं० २-८४ | साइज-१०x१३ इन्च | ‘माषास्त । विषय-दर्शन । रचनाकाल x / लेखनकाल X । श्रपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन मं० ६४१ ।
८०१ दर्शनसार-देवसेन । पत्र सं० ३ । साइज-११३४५ इन्च । भाषा-प्राकृत । विषय-दर्शन । रचनामच ४ । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ७०४ । .
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[ न्याय एवं दर्शन ८८२ प्रति नं८२। पत्र सं० । साइज-११३४५ इञ्च | लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध | दश सामान्य । वेष्टन नं. ७०४ ।
८०६ देवागमस्तोत्र-प्राचार्य समन्तभद्र ] पत्र सं. ५ | साइज-१:१४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय न्याय । रचनाकाल X | लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ७६४ ।
विशेष-ग्राम का दूसरा नाम प्राप्तमीमांसा भी हैं |
८०४ प्रति नं-२ । पत्र सं० ३२ ! साइज-१०३४६ इ ! लेखनकाल-सं० १८६ | पूर्ण एवं शुद्ध।। दशा-उत्तम । वेष्टन नं. ७६७ ।
विशेष-प्रतिलिपि जयपुर में हुई थी । ग्रन्थ का दूसरा नाम अाफ्मीमांसा भी है। प्रति सर्टीक है। टीकायावस्तुत्तन्दि हैं।
५५८ देवारामस्तोत्र भाषा- जयचन्द्रजा छाबड़ा ! पत्र सं. ४५ | साइज-८४६ इन्च | भाषा-हिन्दी गए | विषय-न्याय । रचनाकाल-सं० १८६१ । लेखनकाल-सं० १६६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा--सामान्य । वेष्टन नं. 1E
विशेष--प्रति स्वयं माषाकार के हाथ की है।
२०६ प्रांत नं०२। पत्र सं० ८४ | साइज-१२४७६ इन्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम ।। वेष्टन नं० ।
८०७ द्वैतविवेकपदयोजना-श्री रामकृष्ण । पत्र सं० १४ | साइज-१ १४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषयन्याय । रचनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्द । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ७७३।
८८८ नयचक-श्री देवसैन | पत्र सं० ३५ | साइज--१०६४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत | विषय-दर्शन शास्त्र । लेखनकाल x I पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य } बैप्टन नं. ८४४ ।
८८६ प्रति न०२। पत्र सं० २४ । साइज--४४३ इञ्च । लेखनकाल-सं. १८६२ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ८४५ |
८१० प्रति नं.३ । पत्र सं० २१ । साइज-१२४६ इञ्च । लेखनकाल - | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशाजीर्ण । वेष्टन नं० ८४६ ।
विशेष-संस्कृत में संक्षिप्त टीका दी हुई है।
११ प्रति नं०४ ! पत्र सं० १% | साइज--:०६x४ इन्च | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान वेष्टन नं. ८४६।
८१२ प्रति नं०५। पत्र सं०E | साइज-०४४ इत्र । लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । . वेष्टन नं० १४७ ।
विशेष-हिन्दी अर्थ साहेत है। ८१३ नयचक भाषा-हेमराज | पत्र सं० १४ | साइज-१२४५३इन । माषा-हिन्दी | विषय-न्याय । रचना
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न्याय एवं दर्शन
१३७
ल-सं० १७२६ । शेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेष्टन मं० ८४७ ॥
८१४ प्रति नं० २ । पत्र सं० २३ । साइज-६३४६३ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दश:-सामान्य । टन नं० ८४८ |
८१५ प्रति नं० ३ । पत्र सं० २१ । साइज-८४४ इन्न । लेखनकाल-सं० १७५६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दश:सामान्य । वेष्टन नं. ८४६ |
विशेष-मालपुरा नगर में साधु हंसगिरी ने करमचंद के लिये प्रतिलिपि की थी ।
८१६ नयवर्णन..."। पत्र सं० ५ | साइज-११४५३ इश्च । माषा-संस्कृत । विषय-दर्शन । रचनाकाल । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ८५० । __ विशेष-तत्त्वाचं सूत्र के 'नैगमसंग्रह' श्रादि सूत्र की ही विस्तृत रीका है ।
८१७ नवतत्त्वनिदानोपनिषत्... । पत्र सं० ७२ | साइज-१२४६३ इश्च । भाषा-संस्कृत | विषयगाय । रचनाकाल X 1 लेखनकाल X । अपूर्ण एवं गुरु दशा-सामान्य ८.६६६ :
८१८ न्यायध......'| पत्र सं० १२२ । साइज-१०३४३ इश्च | भाषा-संस्कृत | विषय-न्याय | रचनाकाल X |लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन ० ८८७ ।
८१६ न्यायदीपिका-अभिनवधर्मभूषण । पत्र सं• ४१ । साइज-११४५ इन्च । भाषा-संस्कृत 1 विषयमाय । रचनाकाल x / लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेटन नं० ८८८ ।
८२. प्रति न०२ । पत्र सं० २६ । साइज-१०१४५ इन ! लेखनकाल X 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । टन नं. ८८।
८२१ प्रति नं० ३ । पत्र सं० ३१ । साइज-१०५४५ ६८५ । लेखनकाल–२० १८४५ । पूर्ण एवं शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन नं० ८६० |
८२२ प्रति नं० ४ । पत्र सं० ३८ | साइज--१०४४३ इन्च | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य टन नं० ८११ ।
८२३ न्यायमञ्जरी पत्र सं० १६. | साइज-११४६ इन्च । माषा-संस्कृत । विषय-न्याय । रचनाचाल X । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ८६२ ।
८२४ न्यायसार-पं० मावशर्मा । पत्र सं० १० | साइज-२०३४५ इञ्च । माषा-संस्कृत | विषय-यय । चनाकाल X | लेखनकाल-सं० १६३२ अषाद युदो १ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८६३ ।
८२५ न्यायसूत्र-गौतम मुनि ! पत्र सं० ८ । साइज-१०x४३ इन्च | माषा-संस्कृत | विषय-न्याय | रचनाकाल । लेखनकाल–सं० १७४१ पैशाख सुदी १० । पूर्ण एवं शुद्धः । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ८६४ ।
८२६ प्रति नै०२ | पत्र सं० १२ । साइज-१०६x४३ इव । लेखनकाल - । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं०६४ !
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[ न्याय एवं दर्शन २७ प्रति नं०३। पत्र सं० १० । साइज-xt इन । लेखन काल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-RAI बेटन नं. ५ |
८२ प्रति नं०४। पत्र सं० १ । साइज-११४६ एम्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामा-च! वेष्टन नं. ५
२६ प्रति नं०५ । पत्र सं० ७ ! साइज--१२४. इञ्च । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य। वेष्टन नं. ८ .
३. परीक्षामुख-माणिक्यनींद । पत्र सं० ७ | साइज-१०३४५ इन्च । माषा-संस्कृत । विषय-न्याय । रचनाकाल X I लेोजनकाल X | पुर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न० १०५६ ।
८३१ प्रमाणनिर्णय-वादिराज । पत्र सं० ३८ । साइज-१२४५३ रञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-न्याय । रचनाकाल-सं० १२ । लेखनकाल–भ० १७६.५ अषाढ'बुदी ११ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ११६५ /
३२ प्रमाणनिर्णय-श्री जगसिंह सूरि । पत्र सं० १६१ | साइज-१२४४ च । भाषा-संस्कृत | विषयन्याय । रचनाकाल x | लेखनकाल–सं० १८१२ वैशाख शुक्ला पूर्णिमा । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम | वेष्टन न० ११६४
८३३ प्रमाणपरीक्षा-विधानन्दि । पत्र सं० ४० । साइज-१२४१३ इश्व । माषा-संस्कृत । विषय-न्याय । रचनाकाल ४ | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ११३८ ।
८३४ प्रमाणपरीक्षा भाषा-श्री मागचन्द । पत्र सं० ४७ । साइज-१४४७५ इन्च । भाषा-हिन्दी गध। विषय-न्याय । रचनाकाल ४ । लेखनकाल x | अपूर्ण-४७ से आगे के पर नहीं हैं । सामान्य शुद्ध । बेप्टन नं० ११६७।।
८३५ प्रमाणप्रमेयकालका-श्री नरेन्द्रसेन । पत्र सं० २४ | साइज-११३४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-न्याय । रचनाकाल X । लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन में० ११६६ ।
३६ प्रति नं० २ । पत्र सं० २६ । साइज-१०३४४ हम । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध। दशाउत्तम । वेष्टन नं. १७४।
८३७ प्रमाणमीमांसा-हेमचन्द्राचार्य । पत्र सं० ४४ । साइज-१९४५ इन्च : माषा-संस्कृत | विषय-न्याय । रचनाकाल X । लेखनकाल–सं० १७६५ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११६६।
३८ प्रमेयकमलमार्तण्ड-प्रा. प्रभाचन्द्र । पत्र सं० ३५४ । साहज-२०३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत ! विषय-न्याय । रचनाकाल ४ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ११७० ।।
८३६ प्रति नं० २ । पत्र सं० ३१६ । साइज-११४८ इन्च । लेखनकाल-सं० १६२५ । पूर्ण एवं शुरल दशा-उत्तम । वेष्टन नं. ११७१।।
४० प्रमेयरत्नमाला-अनन्तवीर्य । पत्र सं० ७१ । साइज-१२४५३ इञ्च । भावा-संस्कृत । विषय-न्याय । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १८५६ चैत्र सुदी ५ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेटन नं० ११७२ ।।
विशेष-जयपुर में नंदलाल ने नय की प्रतिलिपि करवायी थी।
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न्याय एवं दशन ]
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८४१ प्रति २०२। पत्र सं० ८० | | साइज-१९४५ इञ्च | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. ११७३
८४२ प्रमेयरत्नमाला भाषा-4. जयचन्दजी छाबडा। पत्र सं० १ ३ | साइज--३४६ इञ्च । माया-हिन्दी गय । विषय-न्याय । रचनाकाल-सं०.१८६३ । लेखनकाल–सं० १८६३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११७५
विशेष-प्रति स्त्रयं माषाकार के हाथ की लिखी हुई है।
८४३ प्रति नं०२। पत्र सं० १२० । साइज-११४५३ च । लेखनकाल X| अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन नं. १०५७ |
८५४ भाषापरिच्छेद-पंचानन भट्टाचार्य । पत्र सं० ११ । साइज-६x४ इम्च | भाषा-संस्कृत । विषय-दर्शन | रचनाकाल x | लेखनकाल ४) पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १३५५ ।
८४५ मीमांसाभाष्य-शबर स्वामी ! पत्र सं. ४६५ । साइज-१६४६ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-दर्शन। रचनाकाल ४ । लेखन काल-सं०१८५६ पौष बुदी १३ । पूर्ण-१२ अध्याय । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं १३६.
८४६ मीमांसावात्तिक-कुमारिल भट्ट । पत्र सं० ३६३ । साइज--१०x४ इश्व । भाषा-संस्कृत | विषयन्याय । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूई एवं शुद्ध । दश: सामान्य । वेष्टन ने० १२१८ ।
८४७ मुक्तावली । पत्र सं० ६१ | साइज-८४४३ इञ्च | भाषा-संस्कृत्त । विषय-न्याय | रचनाकाल x लेखनकाल X 1 अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १४०२ ।
८४८ प्रति २०२१ पत्र सं० २७ । साइज-११४४३ इन्च । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १४०० ।
विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है।.
८४६ रनकरातारिका-रत्नप्रभाचार्य । पत्र सं० २६१ साइज--१०x४ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय-क्याप । रचनाकाल - । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४८८ । ।
विशेष—प्रति प्रमाणनयतत्त्वालोकालंकार की लघु वृत्ति है।
८५० प्रति नं० २ । पत्र सं० ५ ० ! साइज-१०x४ इञ्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं. १४८६ ।
८१ वेदान्तसार-परमहंस परिव्राजकाचार्य सदानंद । पत्र सं० १ ० | साइज-११४६ इन्च । माषा-संस्कृत । विषय-दर्शन । रचनाकाल ४ । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १६५६ ।
८५२ वेदान्तसंग्रह...... | पत्र सं० ३८ ! साइज--१४४६ हश्च । भाषा-संस्कृत ! विषय-दर्शन । रचनाल X । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १६५५ । .
___८५३ वृत्तिदीपिका-श्री कृष्ण भट्ट । पत्र सं० ३२ । साइज-१२३४४ ६च । माषा-संस्कृत । विषय-न्याय | बुरचनाकाल ४ | लेखनकाल-सं. १८४० । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । बेष्टन नं ० १६६७ ।
८५४ शास्त्रदीपिका"...""| पत्र सं० ५६ | साइज-१०४३६ इन्च । भाषा-संस्कृत | विषय-न्याय । स्वना
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[ न्याय एवं दर्शन
काल ४ । लेखनफाल ४ | अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-जोर्गा । वेष्टन ० १७१।
विशेष-पत्र ५४-५५ नहीं हैं।
८५५ शारीरिकभाष्य-भगवदानंद । पत्र सं० १३२ । साइज-१२४६ ईश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-न्याय रचनाकाल ४ । लेखनकाल–सं० १८५४व्येष्ट शुक्ला १३ । प्रथमाध्याय पूर्ण । दशा-सामान्य । वेटन नं.० १७०१।
६५६ शारीरिकमीमांसा-भगवान शंकर | पन नं ० २६७ । साइज-१६x४ इव | भाषा-संस्कृत ! विषयन्याय । चनाकाल X । लेखनकाल x | तृतीय अध्याय तक । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १७०२
८५७ प्रति नं०२। पत्र स. २७६ । साइज-१०१x६ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशाउत्तम । वेष्टन नं० १७०३।
___८५८ षट्दर्शनसमुच्चयवृत्ति-वृत्तिकार श्री देवसुन्दर तरि । पत्र सं० १०५ । साइज-१९४३३ इञ्च । माषासंस्कृत । विषय-दर्शन । रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १७८८ ।
५६ षद दर्शनसमुच्चयसूत्र | पत्र सं० २-४ | साइज--१२४४, इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-दर्शन | रचनाकाल x | लेखनकाल X | अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १८१२ ।
विशेष-जयपुर में तेरहपंथियों के मन्दिर में प्रतिलिपि हुई थी।
८६० सप्तपदार्थी-श्री दिव्यादित्वाचार्य ! पत्र सं. ५ | साइज-१२३४७ इञ्च । माषा-संस्कृत ! विषय-न्याय । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा--उत्तम । वैटन नं० १८३२ ।
८६१ प्रति नं० २ । पत्र सं. २८ | साइज-१.५४५, प्रश्न । लेखनकाल-सं० १५३२ भादवा मुदी १४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८३२।
विशेष-बहुद्रव्यपुर में महीक ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि की मी ! प्रति संस्कृत टीका सहित है। टीकाकार शिवादित्य है।
८६२ प्रति नं० ३ । पत्र सं० २६ । साइज-१०६x४३ इन्च । लेखनकाल-सं० १७७५ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८३१ ।
विशेष-शिवपुरी में पं० विद्याकीति मुनि द्वारा प्रतिलिपि की गयी थी।
२६३ सन्मतितर्क-सिद्धसेन । पत्र सं० ५५ । साइज-११३४६ इन्छ । भाषा-प्राकृत । विषय-याय । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेपन नं ० १८३६ ।
विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है ।
८६४ सांखायन श्रौतसूत्र........! पत्र में० १.५ [ साइज-8x४ इश्च । माषा-संस्कृत । विषय-न्याय | रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६६१ ।
८६५ प्रति नं० २। पत्र सं०६५ | साइज-३४४ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८०५ पासोज चुदी 2 | पूर्वाद्ध पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६६१ ।
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the
प्रतिष्ठा एवं अन्य विधान ।
८६६ प्रति नं०३ । पत्र सं० ८ ० | साइज-३४८ इञ्च | लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशातम | वेष्टन नं. १७०।
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८६७ प्रांत नं.४। पत्र सं० १८१ । साइज-६x४ इन्च । लेखनकाल-सं० १८०२ फाल्गुण शुक्ला । पूर्वा एवं शुल्द । सा-सामाः । वे रन । १६ ।
विशेष-~-पुण्डरीक दिवाकर ने प्रतिलिपि की थी। प्रति संस्कृत टीका सहित है।
८६८ सांख्यतत्त्वकौमुदी वाचस्पति मिश्न । पन्न सं०६७ | साइज-१०६x४३ भ | भाषा... दर्शन । रचनाकाल x | लेखनकाल-स. १८६८ | पूर्ण एव शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १६६२ ।
८६९ सांख्य सप्तति'....."। पत्र सं०३ । साइज-Rxts इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-दर्शन ! रचना*हाल x | लेखनकाल–२० १८६० । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६.६.३ ।
२७. सारसंग्रह-वरदराज | पत्र सं० ५१ । साइज-१२४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-दर्शन । रचनाहाल ४ । लेखनकाल-सं. १५६४ श्रावण बुदी ५ । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य । वेष्टन नं० २०२७ ।
विशेष-प्रथम पत्र नहिं है।
८७१ स्याद्वादमंजरो-मल्लिषेण । पत्र सं० ६३ । साइज–१०४.५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-न्याय । - रचनाकाल X । लेखनकाल x | अपूर्ण । त्रुटित पत्र हैं । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१५६ }
८७२ प्रति नं० २। पत्र सं० ८५ । साइज-११४६ २३ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं अशुद्ध । . न्य। रन नं० २१६० ।
विषय-प्रतिष्ठा एवं अन्य विधान
ग्रन्थ संख्या-११ ६७३ जिनसंहिता-भगवजिनसेनाचार्य । पत्र सं. २-३७ । साज-१०३४४३ इच। माषा-संस्कृत । रचनाकाल x | लेखनकाल X । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४१४ ।
८७४ दीक्षापटल-प्राशाधर । पन सं० ८ | साइज-५४५ इन्च । भाषा-संस्कृत | विषय-प्रतिष्ठा । रचनाकाल x! लेखनकाल x| पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. ७५३1 .--:":-:
८७५ प्रतिष्ठासार-महापंडित श्राशाथर । पत्र सं० ६७ | साइज-१२x६ च । माषा-संस्कृत । विषयप्रतिष्ठा । रचनाकाल-सं० १२८५ । लेखनकास-सं० १८५० । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ११४४ ।
विशेष-इसका दूसरा नाम प्रतिष्ठासारोद्धार एवं जिनयज्ञकल्प है।
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ܕܘ ܺ
६ प्रति नं
दशा- जीर्ण शीर्ण । वेष्टन नं० ११०७ ।
विशेष – स्फुट पत्र है ।
२
पत्र सं० ४२ साइज
प्रति०६५ । लेखनकाल X | श्रपूर्ण आगे के पत्र नहीं है।
दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ४७७ ।
प्रति नं ४ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेदन नं ० विशेन - लेखक प्रशस्ति अपूर्ण हैं ।
[ योग शास्त्र
३५) लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
० १९५११ | साइज - १६x२३ इञ्न । लेखनकाल - १५३४ फागुण बुदी १०
४७८ |
६ प्रतिष्ठासारसंग्रह- नंदि । पत्र ०२ | साइज - १४५ इन्च | भाषा-संस्कृत विषय प्रतिष्ठा । रचनाकाल × । लेखनकाल । पूर्ण - ६ अध्याय तक हैं । सामान्य शुद्ध दशा उच्चभ | बेटन नं० ११४५ | प्रतिनं । पत्र ० ३१ | साइज - १२०५३ हच | लेखनकाल - ९० १७५३ चैत्र शुक्ला प्रतिपदा । पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य । नन० ११४६ ।
विशेष - सांगानेर में जोशी केशवदास ने बासीराम मंत्री के पनार्थ प्रतिलिपि की थी।
=
महाभिषेक - आशाधर पत्र [सं० २२ । साइज - १२४५३ इन्च ! मात्रा - संस्कृत | विषय - प्रतिष्ठा । रचनाकाल × । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १३०१ | ब्रह्म नेमिदत्त के लिये लिपि किया गया था।
विशेष
विवाह पद्धति वात्रा दुलीचन्द । पत्र सं० १२ | साइज - ६ इव । भाषा - हिन्दी-संस्कृत | विषय - विधि-विधान | रचनाकाल x । लेखनकाल × । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं०] १९३३ |
प्रतिनं० २ । पत्र मं० ११ | साइज - ६३६ इन्च । लेखनकाल | अपूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य | वेष्टन नं० १६३४ ।
विषय - योग शास्त्र
ग्रन्थ संख्या - ६५
४ ज्ञानार्णव- श्राचार्य शुभचन्द्र । पत्र सं० १२ । साइज - ११३४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषययोगशास्त्र | रचनाकाल x । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य । वेष्टन नं ० ५३६ ।
इन्च | लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं शुद्ध । दशा
६५ प्रति नं० २ । पत्र सं० १२२ | साइज - १२५ जीर्ण | वेष्टन नं० ५४० |
पू
BID
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योग शास्त्र ]
ૐ
प्रति नं० ३ पत्र [सं०] १०१ - ११४ इन्च लेखनकाल | पूर्ण प्रथम पत्र नहीं है सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य बेटन नं० ५४२१
प्रति नं ४ | पत्र सं० १०३ | साइज - ११४४३ इञ्च | लेखनकाल x । श्रपूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य वेष्टन ०४४० |
प्रति नं० ५ सं० २००४- अपूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य । वेष्टन नं० ५४० ।
प्रतिनं ६ | पत्र सं० १०१ | साइज - १०३४४३ इ । लेखनकाल - स० १६१० माघ सुदी २ । पूर्ण एवं शुद्र | दशा - सामान्य जी | वेष्टन नं० ५४१ |
विशेष - तक्षकगढ में महाराजा श्री कल्याण के शासनकाल में खण्डेलवालान्वय बाकलीवाल गोत्र वाले सदस्य ने शास्त्र लिखवाया था ।
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६० प्रति नं० ७ पत्र १२१-१२४ इस लेखनकाल २०१०८४ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं ० ५४२ |
विशेष लेखक प्रशस्ति पर स्पाही की हुई है।
८६१ प्रति नं०
पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य वेष्टन नं० ४४२
-
विशेष रामपुर में सुखदेव पाटनी ने लिखवाया या संन् १७६० में हरितनापुर से यह प्रय जयपुर भेजा गया । ८६२ प्रति नं० 1 पत्र सं० १४६ | साइज -~९१९५ इव । लेखनकाल - सं० १५६= कार्त्तिक सुदी ११ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य बेटन नं० ४४४ |
विशेष - हिसार नगर में फिरोजसाह के शासनकाल में प्रतिलिपि की गयी थी।
३ प्रति नं० १० पत्र [सं०] १७ सा१००
सामान्य वेष्टन नं० ५४५ ।
पत्र सं० १३६ | साइज - ११x६ इञ्च । लेखनकाल - सं० १७२२ वैशाख सुदी २ |
सामान्य । वेष्टन नं ० ५४६ ।
लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशा
६४ प्रति नं० ११०५१-१२०५ इन लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा
८६५ प्रति नं० १२ । पत्र सं० १२१ | साइज - १६४५ इन्च | लेखनकाल - सं० १५६२ मंगसिर बुदी ३ | एवं शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन नं० ५४० ।
विशेष- इस प्रति को श्री सेमी ने मंडलाचार्य धर्मचन्द को भेंट में दी थी।
६६ प्रति नं० १३ पत्र सं० ११२ | साइन- १२५ च लेखनकाल सं० १६३७ मादवा सुदी ११ । शुद्ध दशा सामान्य वेष्टनं० ५४०
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[ योग शास्त्र
८९७ प्रति नं०१४। पत्र सं० १७ । साइज-११४४११च्च । लेखनकाल-सं० १६ : 'फागुण बुदी है। पूर्ण एवं शब्द । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं०1४1
८६८ प्रति नं० १५ । पत्र सं० १२६ । साइज-१२४६ इञ्ज । लेखन काल x। पूर्ण एवं शुद्ध । दशाजीगणे | प्रति प्राचीन है । देष्टन २०५५० ।
SEE प्रति नं०१६ । पत्र सं० ६५ । साइज-११:४४३ इडन । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेटन नं० ५५ ।
१०. ज्ञानार्णव गद्य टीका-श्रुतसागर । पत्र मं०६ । साइज-१०-४४ इन्च । माषा-संस्कृत । विषययोग ! रचनाकाल X| लेखनकाल–सं० १६५६ श्रावण शुक्ला प्रणेदशी। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टर
१०१ प्रति नं० २। पत्र सं० ७ । साज-११४४, इन्च | लेखनकाल–सं० १६७४ कार्तिक युदी ५। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ५५२ ।
विशेष--पं. केशव ने प्रतिलिपि की थी ।
१८२ प्रति नं०३ । पत्र सं० ५ । साइज-१०५४४५४ । लेखन काल-सं० १६६० | पूर्व एवं सामान्य । शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० ५५४ ।
६०३ ज्ञानार्णव भाषा-40 जयचमजी छाबड़ा । पत्र सं० ४१ । साइज-११६४८ इन्च | भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय-योग । रचनाकाल-सं. १८६ । लेखनकाल X । अपूर्ण-प्रारम्भ के:५० पत्र नहीं है । शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. ५५५ ।
१०४ प्रति नं०२। पत्र सं० २८४ | साइज-११६४८ इन्च | लेखनकाल-सं० १९२३ । अपूर्ण-प्रारम्भ में ५ पत्र नहीं है। पूर्ण एवं शुद्ध । देशा-सामान्य । वेष्टन नं. ५५६ ।
६५ प्रति नं. ३ । पत्र सं० २५५ । साहज-१.६४७३४७ | लेखनकाल-स. १८ । पूर्ण एवं शुद्ध।। दशा-सामान्य ! वेष्टन नं० ५५५ ।
विशेष-जयपुर में महात्मा राधाकृष्ण ने प्रतिलिपि की थी।
१०६ प्रति ने०४। पत्र सं० २४६ । साइज-४६ इन्च । लेखनकाल-स. १८६६ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य । वेप्टन नं. ५५८ ।
विशेष-प्रति स्वयं भाषाकार के हाथ की है।
६०७ प्रति नं.६। पत्र सं० ३१९ । साइज-११४७५ इश्च । लेखनकाल ४। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य । वेष्टन नं० ५५६ !
१०८ पातंजल योगशास्त्र-वेदव्यास । पत्र सं० ० । साइज-१०x४३ इन्च । भाषा--संस्कृत । दिषप- । योग । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १.६८ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा--उत्तम ! वेटन नं. १०६८ |
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योग शास्त्र]
२०५ ६०६ प्रति नं० २ | पत्र सं० १८ । साइज-:४६ इश्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशाउत्तम । वेष्टन नं. १४६१ ।
११० योगदृष्टि-प्राचार्य हरिभद्रसूरि : पत्र सं० २७ । साइज-१०x४६ रुच | भाषा-संस्कृत । विषय-योग शास्त्र । रचनाकाल x | लेखन काल-सं० १७२० पौंष बृदी ।१ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा- सामान्य ! वेष्टन नं. : ४६८ |
६११ योगसार-योगान्द्रदेव | पत्र सं०६ माइज-2, ४५ इश्च । भाषा-अपभ्रंश | विषय-योग । रचनाकाल x | लेखन काल-० १८६६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १४५ ३ ।
६१२ प्रति नं०२। पत्र सं० १७ । साइज--३४५ हन । लेखनकाल-60 १८३५ । पूणं एवं सामान्य * शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन मं० १४७१ ।
__ विशेष-हिन्दी गध में गायात्रों का अर्थ दिया हुआ है।
___६१३ प्रति नं. ३ | पत्र सं० १ ० | साइज-१६x४ इन्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४५८ |
६१४ प्रति नं.४। पत्र सं० १५ । साइज-६x६ इञ्च | रचनाकाल ४ । लेखन काल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेन्टन नं. १४५१।
विशेष-हिन्दी अर्थ दिया हुआ है। __११५ प्रति नं. ५। पत्र सं० ८ | साइज-११xt इश्च । लेखनकाल-सं० १७१४ । पूर्ण एवं शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन नं० १४६४ ।
६१६ योगसार.......| पत्र सं० २० । साइज-११४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-योग । रचनाकाल x। लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शद्ध 1 दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४१ ।
६१७ योगसार-श्री श्रुतकीर्ति । पत्र सं०६५। साइज-12x५ इञ्च । माषा-अप.श | विषय-योग | रखनाकाल X । लेखनकाल-सं० १५५२ । एवं एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. १४६६ ।
विशेष-लेखक की यह रचना अभी प्रकाश में आयी है ।
६१८ योगीन्द्रसार भाषा-बुधजन । पत्र सं. ८ | साइज-७४५ इञ्च । माषा-हिन्दी। विषय-योग । रचनाकाल-सं० १८६५ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १४६३ ।
१६ प्रति नं०२। पत्र सं० ७ । साइज-११४५ इञ्च । लेखनकाल x / पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । रेष्टन नं० १४६३।
६२० प्रति नं०३। पर सं० ११ । साइज-७४५३ इश्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेटन नं. १४६२।
६२१ योगिनीहृदयदीपिका-श्रानन्दनाय | पत्र स. १०४ । साइज-१०३४४ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-योग शास्त्र । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १६६६ ज्येष्ठ मुदी १४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य ।
बेटन नं. १४७० ।
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२०६
६२२ समाधितंत्र - पर्वतधर्मार्थी | पत्र सं० १६६ | रचनाकाल × । लेखनकाल - ००८ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध विशेष – दो तीन प्रतियों का सम्मिश्रण है। प्रारम्भ के ६२३ प्रति नं० २ | पत्र [सं०] १३३ | साइज - ११४५ दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १३१२ ।
६२४ प्रति नं० ३
पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- जी- शी। वेष्टन नं
[ योग शास्त्र
साइज - १०x६ इव । भाषा गुजगती विषय योग | दशा - सामान्य । वैष्टन नं० १६११ । पत्र फिर जोड़े गये हैं ।
इन्च । लेखनकाल - स० १७३६ | पूर्ण एवं शुद्ध |
० १६५ | साइज - १२९६ इन्च | लेखनकाल - सं० २०१३ फाल्गुन सुदी ।
१७०३ |
६२५ प्रति नं० ४ । पत्र० १४१ | साइज - Ex६ च । रचनाकाल X। लेखनकाल - सं० १८७०
पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ११०८ ।
६२६ प्रति नं ५ | पत्र सं० २४३ | साइज - ई५ इन्च । लेखनकाल - सं० १८०५ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्ठन नं० १६०० ।
६२७ प्रति नं० ६ । पत्र मं० २०४ साइज - १०५ इत्र | लेखनकाल - सं० १७७२ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - समान्य | वेष्टन नं ० १११३ ।
२ प्रति नं० ७ | पत्र सं० २०९ | साइज-लेखन पूर्व एवं सामान्य शु दशा- सामान्य । वेष्टन नं ० १९१४ ।
विशेष प्रति प्राचीन है ।
-
६६ प्रति नं० ८ पत्र सं १६२ साइज १०४५ इव । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशाउत्तम । न नं १६१५ ।
६३० प्रति नं० ६ । पत्र सं० ० | साइज - १२४६ इञ्च । रचनाकाल । लेखन काल - सं० १५०८ | अपूर्ण प्रारम्भ के पत्र नहीं है। शुद्ध दशा - सामान्य | लिपि - विकृत | वेष्टन नं० १६०६ ।
६३१ प्रति नंद १० । पत्र स० १४२ | साइज - १२४६ इव । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । लिपिविकृत । दशा - जीर्णं । वेष्टन नं ० १६०७१
६३२ प्रति नं० ११ | पत्र सं० २०२ | साइज - १२x१३ | रचनाकाल x । लेखनकाल - सं० १७२४ ॥ पुर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १६०४ |
६३३ प्रति नं० १२ । पत्र सं० २३२ | साइज - ११४५ इन्च | लेखनकाल सं० १७०६ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- जीर्ण । वेष्टन नं० १६०५ |
६३४ प्रति नं० १३ | पत्र सं० १७५ | साइज - १२४१३ इन्च । लेखनकाल X| अपूर्ण दो प्रतियों का मिश्रण हैं । सामान्य शुद्ध | दशा - जीर्णे । वेष्टन नं० १६०२ |
६३५ समाधितन्त्रभाषा
पत्र सं० ११ । साइज - १२४६ इञ्च । माषा - हिन्दी | विषय - योग ।
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योग शास्त्र
]
1. रचनाकाल X | लेखनकाल x | अर्गा एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं ०६१७१
६३६ समाधितन्त्र भाषा
X। श्रपूर्ण प्रथन ६ पत्र नहीं हैं। शुद्ध
विशेष – इसके पूर्व नेमीचंद भंडारी कृत उपदेश - सिद्धान्तरत्नमाल आदि हैं।
६३६ समाधिमरणस्वरूप
| पत्र सं० ४४ | साइज - २X४ इञ्च । रचनाकाल १३७७/ दशा- सामान्य । वेष्टन न० १६१८ |
वनाकाल | लेखनकाल
६३७ समाधितन्त्र भाषा | पत्र से० १५१-३०२ / साइज - १०६४० इञ्च । भाषा - हिन्दी मिथित गुजराती विषय-योग | रचनाकाल x | लेखनकाल X | अपूर्ण । सामान्य शुद्ध वेष्टन नं० १६१० । ६३ समाधिमरणभाषा | पत्र सं० २१ । साइज - १०३४ इन्च रचनाकाल x 1 लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १९२० । बिशेष – श्री मगनलाल लुहाडिया जयपुर लिपिकर्ता हैं ।
भाषा - हिन्दी | विषय-योग !
૨૦૯
६४० समाधिमरण स्वरूप -
रचनाकाल x | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीये | वेष्टन नं० १६२१ ।
लेखन-
। पत्र स० १२ । साइज - १x६ इव । भाषा - हिन्दी | विषय-योग | पूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १६१६ ।
पत्र सं० १९ / साइज - १२x६ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषय - योग ।
६४२ समाधिमरण स्वरूप
योग । रचनाकाल x | लेखनकाल । पूर्ण एवंशुद्ध । दशा उत्तम । त्रैष्टन नं० १०२२ ।
पत्र सं० १५ | साइज - १२४७३ इथ | भाषा - हिन्दी | विषय -
I
६४२ समाधिशतक - पूज्यपाद पत्र सं० ५ साइज - ११४६ ३ इव । भाषा-संस्कृत | विषय - योग रचनाकाल × | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं १६२४ |
६४३ प्रति नं० २ । पत्र सं० १० | साइज - १२x२३ ६ च । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | : रेष्टन नं० १६२७ |
६४४ प्रति नं ३ पत्र सं० २२ । साइज - ६५३ इञ्च । लेखनकाल - सं० १७२६ । पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा उत्तम वेष्टन नं० १६२८ ।
विशेष प्रति हिन्दी अर्थ सहित है। बसवा ( जयपुर ) में गोरधनदास ने प्रतिलिपि की थी ।
६४५ प्रति नं० ४ पत्र सं० १० | साइज - ११४५ इव । लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | टिन नं० १२०१ ।
६४६ प्रति नं० ५ । पत्र सं० ७ साइज - ११९४ । लेखनकाल- सं० १५६२ भावण बुदी १४ । पू शुद्ध दशा- जी । वेष्टन नं० १९९५ |
विशेष - मुनि प्रभाचन्द्र के पठनार्थं लिखा गया था ।
६४७ प्रति नं० ६ | पत्र सं० ३६ | साइज - ११४५ श्व | लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशा उत्तम | न नं० १६२६ |
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विशेष----प्रमाचन्द्र न संस्कृत टीका सहित है।
६४८ समाधिशतक भाषा--ब्रह्मचारी शीतला सादजी । पत्र ५० १६:। साइज-२४७६ इन्च | मा हिन्दी। विषय-योग । रचनाकासन्म १७ लेखनसाल-सं. ११... पूर्ण एवं शुरू। दशा-उत्तम । वेष्टन नं।
.
विषय-पुराण
अन्य संख्या-११७ ६४६ अदादरापुराए कथन.."; पत्र सं॥ । साइज-cx. इठच । माषा-संस्कृत । विश्वपुरुस । रचनाकाल ४ ! लेखनकाल ४ ! 'पूर्ण युदं । दशा सामान्य : बेष्टन नं० ४८ |
विशेग-अठारह परःणों का संक्षिप्त कथन है ।
६५० आदि पुराण-महाकवि पुष्पदंन । पत्र सं० १४ । साइज-१:xi इञ्च । माषा-अपभ्रश | विषयपुराण । रचनाकाल x 1 लेखनकाल-सं० १५३ ६ फाल्गुन सुदी । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन ने I
. विशेष - संक्षिप्त प्रशस्ति निम्न : कार है
संबत् १५३५ फागुण सुदी ६ रविवारे उत्तरा नक्षत्रे मुरत्राण गयासुद्दीनरायप्रवर्त्तमान टोडागटदुरों पार्दनार चैत्याल काष्ठासंघ..अनौत कान्वये गोइलगोत्र मिलिक यशोधर..."शाह दाजु इद शास्त्रं लिखापित | अजिंका शांटिक योग्य दत्त ।
६५१ प्रति नं.२ . पत्र सं० २१२ | साइज-११३४५ इञ्च । लेखनकाल–सं० १.२६ अपार युदी १३ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण-शीण । वेटन नं. ८६ ।
विशेष--- लेखन प्रशस्ति अपूर्ण हैं । उसका संक्षिप्त भाग इस प्रकार है
संवत् १५२६ वर्षे अषाढ वुदी : ३ गुरी दिने... भट्टारक श्री सिंहकीत्ति देवान तस्याम्नाये गोलापूर्वान्वये श्वावशसमायुक्त मूलसंघोसनुभवः जिनधर्म सदाचारमुद्भूतो उत्तम कुलं । "!
६५२ प्रति न.३। पत्र सं० १७७ | साइज-१२४१ च । लेखनकाल-सं. १६४८ माघ शुक्ला पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ८७ ।
विशेष-खंडेलवालजाति में उत्पन्न साह घिरपाल के पठनार्य ग्रन्थ लिखा गया। लेखक-श्वेताम्बर अमरसि सं० १६५1 में थिरपाल ने इस ग्राम को मुनि नेमचंद्र को भेंट किया था ।
६५३ प्रति नं०४। पत्र सं० २६५ 1 साइज-११४५ इञ्च | लेखनकाल–सं०१६५ : ज्येष्ठ शुक्ला शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. 1
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पुराण]
२०६
विशेष- लेखक प्रशस्ति विस्तृत है । संग्रामपुर में महाराजा मानसिंह के शासनकाल में अग्रवाल जाति में उपन साह श्री लूपा ने इस अन्य को लिखवाया था।
१५४ प्रति नं ५। पत्र सं० ३४४ । साइज-१११४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १५६७ फागुण सुदौ १३ ॥ पूर्व एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८ ।
विशेष-प्रति सचित्र है। चित्र सं० १०० से अधिक है। चित्र अच्छे हैं। चित्रों में मुगलकालीन कला न होकर भारतीय कला के दर्शन होते हैं । चित्रों के पास संस्कृत में संक्षिप्त परिचय दिया हुआ है। चौधरी राइमन्ल ने सचित्र प्रतिलिपि करवायी थी। तथा हरिनाय कायस्य ने प्रतिलिपि की थी।
६५५ प्रति न०६। पत्र सं. २०८ | साइज-1.४५श्व | लेखन काल-न. १६०६ माष बुदी ३ । सोमवार । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा--सामान्य । वेष्टन नं. ६.
विशेष-बादशाह जहांगीर के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई मी ।
६५६ प्रति नं० ७ । पत्र स. ८२ । साइज-:४४ इश्च । लेखनकाल-सं० १४७७ वैशाख वुदी २ । पूर्व एवं शुद्ध । दशा-सामान्य जीर्ण । वेष्टन नं० ११ ॥
___विशेष-लेखक प्रशस्ति महत्त्वपूर्ण है। श्री नरेन्द्रकीर्ति ने प्रतिलिपि की मी । संवत् १५६५ में संगही माधो ने ET पुस्तक बुडाकर पं० छीतर को पठनार्थ दी थी।
एक नवीन पत्र पर सं० १६५२ चैत्र बुदी ३ को भी लेखक प्रशस्ति लिखी गई है लेकिन वह अपूर्ण है।
६५७ प्रति नं०८ । पत्र सं० १७१ । साइज-११४४, इश्च । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २ |
विशेष-संस्कृत में संकेत दिये हुये हैं।
१५८ आदिपुराण टीका-प्रमाचन्द । पत्र सं. ८४। साइज-११४५३ इन्च | माषा-संस्कृत । रचनाकाल ४ । लेखनकाल-सं० १५६६ माघ सुदी १२ । पूर्ण एच शुद्ध । दशा-सामान्य । वैटन नं० ६३ ।
विशेष-ग्रन्थ का एक भाग फटा हुआ है।
६५६. आदिपुराण-जिनसेनाचार्य । पत्र सं. ४६६ । साइज-१२४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषयपुराण । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा--सामान्य । वेष्टन ने. १५ |
. विशेष-~अन्तिम ४५ पत्र फिर लिखाये गये हैं । अन्तिम ५ अध्याय प्रा० जिनसेन के शिष्य श्रा० गुणभद के रचे दुर्य है।
६६० प्रति न०२। पत्र सं० ७६३ । साइज-१३४६ इन्च | लेखनकाल-सं० १६६३ चैत्र सुदी ।। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न० ६४ |
विशेष-प्रति सचित्र है। २०० से अधिक चित्र है। महाराजा मानसिंह के शासनकाल में मट्टारक श्री देवेन्द्रकीर्ति तस्माता प्राचार्य खेमचन्द के प्राम्नाय में खण्डेल
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[ पुराण
२१०
बालान्वय दोसी गोवाले साह श्री लोहर के वंश में थी कैसी ने इस पुराण की प्रतिलिपि करवाकर बा० खेमचन्द्रको की थी । प्रशस्ति में नानु संघी का भी उल्लेख ग्राम हैं । तथा उसके नाम के पूर्व जिनपूजापुरंदरात् संघभारपुर धरान् यात्रा प्रतिष्टाकरणकारावणसमर्थान् दान दानेश्वर श्रेयासविताराम् राजसभा गारहारात् " आदि विशेषण दिये हुये हैं ।
६६१ प्रति नं० ३ | पत्र सं० ४७५ | साइज - ११४५३ इब्च | लेखन काल-सं० १७८६ मादवा सुदी १ | पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं ० ६६ |
विशेष- चार प्रकार की लिपियां हैं। श्री घासीरान ने सांभर में प्रतिलिपि को धी ।
६६२ प्रति नं० ४ । पत्र [सं० ६७६ । साइज - ११४४ इव । लेखनकाल- सं० १६४२ कार्तिक बुदी १३१ पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ६७ ।
विशेष - श्रमेर में महाराजा भगवंतदास के राज्य में रेखा अजमेरा को स्त्री राइब ने प्रतिलिपि करवायी थी । ६६३ प्रति नं ५ | पत्र [सं० ३०६ | साइज - १२९५ इ । लेखनकाल | पूर्ण - २८२ - ३०६ पूर्ण एव शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ह
६६४ प्रति नं० ६ । पत्र सं० ३२७ | साइज - ११X५ इव । लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य | वेन्टन नं० १३७७ ।
६६५ प्रति नं० ७ । पत्र सं० २६-५३३ | साइज - १२४५ इन्च । लेखनकाल । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन न० १३७८ ।
६६६ आदिपुराण - मट्टारक, सकलकीत्ति | पत्र सं० १०४ | साइज - १३५३ । भाषा-संस्कृत । विषयपुराण । रचनाकारत x | लेखनकाल - सं० २७०५ वैशाख सुदी २ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । बेष्टन नं० ६६ | विशेष - सांगानंर में गुजरमल पोहोकरण व्यास ने प्रतिलिपि की थी ।
६६७ प्रति नं० २ १ पत्र सं० १५१ | साइज - १२४५३ इञ्च । लेखनकाल × । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेदन नं० १०० |
६६६ प्रति नं ३ | पत्र सं० १४२ | साइज - १२ ई०६ इ । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १०१ ।
१६६ प्रति नं० ४ | पत्र सं० २३६ । साइज - १०४५ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण- त्रुटित पत्र हैं। जीर्ण। वेष्टन नं० १०२ ।
६७० आदिपुराण भाषा - पं० दौलतरामजी पत्र सं० ७३४ | साइज - १०३४६३ इन्च | भाषा - हिन्दी गद्य विषय-पुराण | रचनाकाल - सं० १८२४ | लेखनकाल - सं० २०५४ मंगसिर सुदी ४ पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १०४ ।
1
विशेष- कामवननगर में सीनूराम छाबडा ने प्रतिलिपि करवायी भी तथा मोतीराम सेठी ने प्रतिलिपि की थी। प्रारम्भ के ३२ पृष्ठ दूसरी प्रति में से निकाल कर जोड़े गये हैं ।
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पुराण
२११ १७१ प्रति ०२। पत्र सं. १५४ 1 साइज-१५xइन । लेखनकाल ४ ! अपूर्ण-प्रारम्म के १०० पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १०: 1
विशेष-दो प्रतियों का सम्मिश्रण है । सम प्रति में ४० वा सर्ग अधिक है। -
1 ते । पत्र:०३५: । साइज-१०१x६ इञ्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं अशुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं. 01
६७३ प्रति नं० ४। पत्र सं... । साइज-१ : ४७५ इञ्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १०६ ।
१७४ प्रति नं. ५। पत्र सं० ४.६ । साइज-१४४: श्च । लेखनकाल x पुर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । श्रेष्टन नं. १..।
७५ प्रति नं. ६ ! पत्र सं. :-48 1 साइज-१:४५ इश्व | लेखनकाल ४ | अपूर्य एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं, १०८ |
१७६ श्रादिपुराण भाषा.......! पत्र सं० २: माइज-११४६१ इञ्च | भाषा-हिन्दी 1 विषय-पुराण । चनाकाल x | लेखनकाल X 1 अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १०६ |
१७७ प्रति नं०२ । पत्र सं० १६. | साइज-१२xk इक | लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १.६ |
७८ प्रति नं. ३ । पत्र सं. ३३ से तक। साइज-११४ हल । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १०१।
६७E श्रादिपुराण भाषा..."| पत्र सं० ४४-२६६ । साइज-११५४४ इञ्च । रचनाकाल | लेखनबाल-सं० १७६८ | अपूर्ण-प्रारम्भ के ४३ पत्र नहीं है । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११० |
विशेष –२४ सर्ग तक ही है।
१८० आदिपुराण भाषा ( पद्य )-अजयराज | पत्र सं० २२५ । साइज-६x६ । भाषा-हिन्दी। विषय--पुराण । रचनाकाल-सं० १७६ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १११ ।
६८१ श्रादिपुराण की सक्षिप्त कथा.......। पत्र सं० २७ । साइज-११४७३ इञ्च भाषा-हिन्दी-गध । नवय-कथा | रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ११२ ।
६८२ उत्तरपुराण-महाकवि पुष्पदंत । पत्र सं० ४६३ | साइज-१.३४५ च । भाषा-अपभ्रंश । विषयपराप । रचनाकाल X । लेखनकाल–सं. १६४१ चैत्र वदी ११ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १५७,
विशेष-संक्षिप्त प्रशस्ति इस प्रकार हैसंवत् १६४१ वर्षे चैत्र बुदी एकादशी ११ मौमवासरे श्रीमत्काष्ठासंघे माथुरगच्छे पुष्करगणे लोहाचार्यान्वये
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[ पुराण
भट्टारक श्री कुमारसेसि तदान्नाये श्रोतकान्वये बसलो साह चदि तद् मा साम्रा श्री तिलोकचंद इदं उत्तरपुराशास्त्रं लिखापितं कर्मक्षयनिमित्तं ।
६२३ प्रांत नं० २ १ पत्र [सं० ६-६३ | साइज - १०४३ हन्च | लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा
११२
मट्टारक श्री मलय कीचि देवा
जिपदासही...साश्रु
सामान्य | वेष्टन नं० १४८ ।
६८४ प्रति नं ३ | पत्र सं० ४२३ | साइज - १२३४५ इन्च | लेखनकाल - सं० १६१५ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सानाम्य । वेष्टन नं० १३७६ |
विशेष – बाई हो के पटनाथ प्रतिलिपि को गयी थी ।
-
६८५ उत्तरपुराण टिप्पण - प्राचार्य प्रभाचन्द्र । पत्र सं० ४३
विषय-पुराण | रचनाकाल ! लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध दशा- जी |
विशेष— महाकवि पुम्पदंत इसके मूलकती हैं ।
६६६ उत्तरपुराण-गुणभद्राचार्य | पत्र सं० १२८ | साइज - ११६३ । माषा-संस्कृत । विषय-पुराण | रचनाकाल × | लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १६० ।
साइज - ११५ ११ माषा-रस्कृित | वेष्टन नं ० १५९ |
६२७ प्रति नं० २ । पत्र सं० २०७ | साइज - १२४५ इन्च | लेखनकाल - सं० १६१० पाष बुदी एवं एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीये | वेष्टन नं ० १६१ |
विशेष — केवल निम्न प्रशस्ति ही है
संवत् १६९० वर्षे पौषमासे कृष्णपक्ष अष्टम्यां तियों शुक्रवासरे देवरोद्रमा शुभस्थाने लिखितं ।
६ प्रति नं० ३ | पत्र सं० ३५० | साइज - १२४६ इञ्च । लेखनकाल X अपूर्ण-पत्र नहीं है । श्रशुद्ध
दशा- जीर्ण वेष्टन नं १६२ ।
'
६ प्रति नं० ४ । पत्र सं० ३६१ | साइज - १०३x४ इन्च | लेखनकाल x । पूर्मा एवं शुद्ध दशसामान्य | वेष्टन नं. १६३ ।
६६० प्रति नं० ५ पत्र सं० १७१ | साइज - ११४४ इञ्च । लेखनकाल - सं० १७४६ कार्त्तिक बुदी २ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १६४ |
विशेष – श्री लालवद्धनमणि ने प्रतिलिपि की थी।
६६१ प्रति नं० ६ । पत्र सं० १७२ | साइज - १३x६ इञ्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ? दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १६५ ।
६६२ प्रति नं० ७ । पत्र [सं० २२१ | साइज - ११३५ इन्च । लेखनकाल स० १५६७ वैशाख सुदी १०१ एवं शुद्ध । दशा - सामान्य ! वैश्वन नं० १६६
विशेष
-७६ सर्ग तक है। प्रति अल्लावलपुर में अल्लावलखां के शासनकाल में धाना ने पुराण की प्रतिलिपि वाई भी । संक्षिप्त प्रशस्ति निम्न प्रकार है
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पुराण ]
२१३
संवत् १५६७ वर्षे वैशाख सुदी १० गुरूदिने धल्लावलघुरशुभस्याने अल्लावल खान राज्यमवरमाने श्री काटासंघ माथुरावये पुष्करगणे भट्टारकगुणकीर्तिदेवा.... श्री गुणभद्रदेवाः तदाम्नाये अप्रोतकान्वये मीतनगोत्रे...'साधु पद्मसिंहनामधेयान ... मध्ये याम ना गयो पाप निखापितं इत्तं श्री ब्रह्म सारू तस्य पठनार्थ ।
६६३ प्रति नं०८ | 470 २४ । साइज-१२४६ इञ्च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एक सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७ |
Re
६६४ प्रति न पत्र सं० २६३ 1 साइज-१३४६ इश्व । लेखनकाल-० १७६२ भादवा बुदी ११ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६ = |
६६५ प्रति नं०१०। पत्र सं० ३७३ । साइज-१ः४५३ इञ्च | लेखनकाल x | अपूणु एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं. १६ ।
६६६ प्रति नं०११ । पत्र सं० २८७ । साइज-११३४५३ सश्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य | वेटन नं. १७० ।
विशेष—प्रति शुद्ध की हुई है।
६६७ उत्तरपुराण टिप्पण..... | पत्र सं० ११५ । साइज-१०३४१ च । भाषा-संस्कृत 1 विषयर पुराण । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १५६६ कार्तिक सुदी २ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७१ ।
___विशेष—प्रा० मुणभद्र कृत उत्तरपुराण का टिप्पण हैं । प्रतिलिपि खण्डेलवाल वंश में उत्पन्न नेमा ने करवाई थी। संक्षिप्त प्रशरित निम्न प्रकार है।
संवत् १५६६ कार्तिक सुदी २ सोमवारे श्री मूलसंघे नद्याम्नाये श्री कुदकुदाचार्यान्वये बलात्कारगणे सरस्वतीगच्छे E मट्टारक श्री पानं दिदेवा तस्पट्ट भं० शुभचन्द्रदेवा'"""तपासाप्रतिपालक मुनि विशालकोत्ति श्री खण्डेलवालवंशे पापल्यागोत्र
स० भोजा भार्या मेंदू..."एतन्मध्ये सं० नेमाख्येन ज्ञानावरणाचटविधकर्मक्षयार्थ पंजिकास्यं शास्त्रमिदं दत्त । लिखितं तिवारी / इलू तस्य पुत्र पं० रतनू ।
६Eउत्तरपुराण-भ० सकलौति । पत्र सं० २३४ | साइज-१२४५३ च । माषा-संस्कृत | विषयपुराण | रचनाकाल X । लेखनकाल-० १७६६ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा सामान्य । वेष्टन नं० १७२ ।
विशेष-पं० सुखराम ने देहली में प्रतिलिपि की पी ।
E६६ उत्तरपुराण भाषा-पंडित खुशालचन्द | पत्र सं० २६२ | साइज-१३४७ इञ्च । माषा-हिन्दी । विषय-पुराण । रचनाकाल-सं० १७६६ | लेखनकाल-सं० १८६६ | अपूर्ण-प्रारम्भ के ३६ पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७५ ।
१००० प्रति नं०२ । पत्र सं० १९.१ । साइज-१२४७३ च । लेखनकाल X । अपूर्ण-स्फुट पत्रों का संग्रह है। अशुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७४ |
१००१ प्रति नं०३ । पत्र सं० २२५ । साइज-१४४६३ च । लेखनकाल x। अपूर्ण-अन्तिम पत्र नहीं
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२१४
[ पुराण है। सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं ० १७३ ।
विशेष-दो प्रतियों का सम्मिश्रण है |
१००२ नेमिनाथपुराण-ब्रह्म नैमिदत्त । पत्र सं० ४७६ । साहज-१०४४३ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषयपुराण । रचनाकाल x | लेखनकाला . १७८ ? बैशाख सुदी ११ ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । श्रेष्टन नं ०६१५
विशेष-हिन्दी टवा शंका सहित है । उदयपुर नगर में ब्रह्मरम के शिष्य ब्रह्म हीरा के पठनार्थ पुराण की लिपि हुई री । उस समय वहाँ महाराज संग्राम सिंहजी राज्य करते थे । बाषि मागचन्द ने प्रतिलिपि की मी ।
१००३ प्रति नं.। पत्र सं० ११ । साइम-१२४५१ इन्न । लेखनकाल-स. १७५: । पूर्ण एक सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य | वेटन नं. ३१६ |
विशेष--दिवसा ( दौसा ) नगर में प्रतिलिपि की गयी थी।
१८८४ प्रति नं. ३ । पत्र सं० १९८ | साइज-2१३४५ इञ्च ! लेखनकाल-सं० १६४२ प्रासोज सुदी १० पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. 218 |
विशेष-कुली ( जयपुर ) ग्राम में समस्त श्रावकों ने प्रतिलिपि करत्राफर मडलाचार्य नेमिचन्द्र को भेंट दिया था।
१५०५ प्रति नं.४। पत्र सं० १६१ । साइज-११x१३ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६४८ भादवा सुदी ८ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ० ६.२० ।
१०.६ प्रति नं.५। पत्र सं० १२३ । साहज-१1xs इन। लेखनकाल-सं० १८७१ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं. ६२१ ।
विशेष--प्रतिलिपि जयपुर में हुई थी ।
१०.७ प्रति न०६ । पत्र स. १६० । साइज-१०६x४६ च । लेखनकाल-स. १७५१ भादवा बुदी ६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १२२ ।
विशेष-हिन्दी रचा टीका सहित हैं । उदयपुर में प्रतिलिपि की गयी थी। ब्रह्मराम के पठनार्य टीका की गयी थी।
१००८ नेमिनाथ पुराण-भागचंद । पत्र सं० १३३ । साइज-२३४६३ इञ्च । मापा-हिं दो-गध | विषय-चरित्र । रचनाकाल-सं० १६०७ | लेखन काल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ६२३ ।
विशेष-प्रशस्ति दी हुई है । लेखक ने ६३ दिन में ही अन्म रचना समाप्त की भी ऐसा उल्लेख है ।
१००६ पद्मपुराण-रविषेणाचार्य । पत्र सं, ८३६ | साइज-१२४६ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं. १८२२ वैशाख सुदी १४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं ० १७४ ।।
विशेष-अंजमेर में खुशालचन्द ने प्रतिलिपि की मी !
१०१० पद्मपुराण-भट्टारक श्री सोमसेन । पत्र सं० १४७ । साइज-६३x६६ इन्च । मात्रा-संस्कृत । विषय-' पुराण । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १७१६ असोज मुदी ५ ! पूर्व एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेश्टन नं. ६७
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पुराण]
.
२३
I
विशेष-पानीपत में प्रतिलिपि हुई थी।
१०५१ प्रति नं० २। पत्र सं० १६७-१२६ । साइज-:४५ इञ्च । लेखनकाल-सं. १७४५ श्रावर मुदी ५ । अपूर्ण एवंद | दशामान्य । न ० ६७ |
विशेष-नेवरा में लक्ष्मीसेन ने प्रतिलिपि की थी।
१०१२ प्रति नं ३1 पत्र सं० १९ | साइज-१०x४ इञ्च | लेखनकाल-० १८८३ धावण मुद्रो ६ . M प्रारम्भ के १ पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध | जीर्ण । वेष्टन नं. ६ ७५ ।
विशेष प्रारम्भ के १२-११७ तक के पत्र किसी दूसरी प्राचीन प्रति के हैं।
१०१३ पद्मपुराण भाषा-खुशालचंद । पत्र सं० २३५ । साइज-१९४५ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषय-पुराण | रचनाकाल-सं० १७८३ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य बेष्टन नं. ६७८ ।
१.१४ प्रति नं०२। पत्र सं० १२४ । साइज-१२X४ इन्न । लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य ! वेष्टन नं ६ |
१०१५ प्रति नं. ३१ पत्र सं. २२४ । साइजः-१२x६ इन्च । लेखनकाल-सं० १८१५ । पूर्ण एवं सामान्य गुद । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८२ ।
विशेष-जिहानाबाद में मायाचन्द्र ने पापुराण की प्रतिलिपि की थी।
१०१: पद्मपुराण भाषा--पंडित दौलतरामजी । पत्र सं० ४१५ । साइज-१४x७ इञ्च । भाषा-हिन्दी । | विषय-पुराण । रचनाकाल-स० १८२३ । लेखनकास-सं० १८३२ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ६८०
विशेष-जयपुर में श्वेताम्बर जैन श्री जयरामदास गोविन्दराम ने प्रतिलिपि की थी ।
१०.७ प्रति नं०२। पत्र सं० ५२६ । साइज-१५४६३ इन्न । लेखनकाल-० १८५४ । अपूर्ण-प्रारम्भ के ५२ पत्र नहीं है। सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं.१८१ ।
१०१८ प्रति नं. ३ । पत्र सं० ६५: । साइज़-१०३४७ इश्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण ५१६-६०२ तक तथा अन्तिम पत्र नहीं है । शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ६३ ।
१०१६ प्रति नं० ४ । पत्र सं० १८ । साइज-१२४७' हाच । लेखनकाल x। अपूर्ण-तीन प्रतियों का सम्मिश्रण है। श्रागे के पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १८४ |
१०२० प्रति नं ५। पत्र सं० ६६७ । साहज-१२४१३ हश्च । लेखनकाल–सं. १८३० 1 अपूर्ण-प्रारम - ४०१ पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. ५ ।
विशेष—जयपुर नगर में नंदराम नवलराम घाबड़ा ने प्रतिलिपि की थी।
१०२१ प्रति नं०६। पत्र सं० ५४५ । साइज-१३३४५ इञ्च | लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । या-सामान्य । वेष्टन न. ६८६ ।
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२१६
[पुराण
r m
PARTMENT
१०२२ प्रति नं. ७१ पत्र सं० २६०-३७, | साइज-१:५४८ इन्च । लेखन काल ४ । अचूर्ण एवं शुदा । दशा-सामान्य । वेपन नं. ६ ।
१०२३ पद्मपुराण-मगवानदास । सं. ::: ताश्व- इन्ध । भाषा-हिन्दी । विषय-पुराण ।। रचनाकाल x | लेखन काल-सं. १७५५ । पूण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. ६८७ |
२०२४ पाण्डवपुराण-भट्टारक शुभचन्द्र । पत्र सं. १४% | साइज-१२४ इश्च । भाषा-संस्कृत | विषयपसल । रचनाकाल-सं० १६०८ । लेखन काल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १०६२।
१.२५ प्रति नं०२। पत्र सं० २५६ | साइज-३०४४ इश्च । लेखनकाल-सं० १६७४ वैशाख । मुदी : । पूरी एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १०६३।
विशेष-जहाँगोर के शासनकाल में साह पीभा काला ने मुनि श्री भूषण को प्रदान की थी।
२०२६ प्रति नं.३। पत्र सं० २७५ | साहज-१०.४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६: ज्येष सुदी ।। पुणं पूर्व सामान्य शुद्ध । दशा-सामाग । वेष्टन नं० १०६५।
विशष -- भैलसा नगर में बाई दानां श्रादि ने प्रतिलिपि करवायी यी ।
१०२७ पाण्डापुराण-बुलाकीदास । पत्र सं. ३०७ । साइज-१.६४५ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषयसाग । रचनाकाल-मं० १७५४ । लेखनकाल-सं० ११.५ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-टत्तम । श्रेष्टन नं ० १०६६ । ।
१०२८ प्रति नं० २१ पत्र सं० : ५० | साइज-१०x४, च । लेखन काल ४ । अपूर्ण-पारम्भ के १४. तया ५१ से बाग के पत्र नहीं है। शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १०६७ ।
१०२६ पासणाहपुराण-पं. रब्बू । पत्र सं० २८ | साइज-१.३४४३ इञ्च | भाषा-अपभ्रंश । विषष-2 पुराण । रचनाकाल X । लेखनकाल–रा० १६५५ मंगसिर बुदी ५ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-मामान्य । श्रेष्टन नं. ११.01
विशेष- लेखक प्रशस्ति पूर्ण है।
१०३० भागवत महापुराण"....."। पत्र सं. १५ । साइज-:४४५: इम्च । भाषा-संस्कृत । विषयपुराण । रचनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १२८८ |
विशेष- ११ वां स्कंध है।
१०३१ भविष्योत्तर पुराण" ...| पत्र सं० २-१५ | साइज-८४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय पगा। रचनाकाल x लेखनकाल | अपणे एवं शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १३६४ ।
१०३. महाभारत"..."| पत्र सं० ११ । साइज-१०३४४५ इछ । माषा-संस्कृत । विषय-पुराण रचनाकाल ४ [ लेखनकाल X । पूण-शांति पर्व है । वेष्टन नं. १३८० ।
१०३३ वर्तमानपुराण सूचिनिका-पं. बुधजन । पत्र सं० १० । साइज-१०४५ इञ्च | माषा-हिन्दी विषय-पुराण । रचनाकाल-सं० १८१५ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न० १६१५ |
१०३४ विमलनाथपुराण भाषा....""। पत्र सं० १३१ । साइज-१४४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी-गा।
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पुराण]
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विषय-पुराण | रचनाकाल ४ । लेखनकाल–सं. १६६० | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम | वेष्टन नं० ११ ।
१९३५ विमलनाथपुराण-रत्नचन्द्र | पत्र सं. ११ । साइज-१०४४३ इन्च | भाषा-हिन्दी । विषय1. पुराण । रचनाकाल x | लेखनकाल x । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० १६३२ ।
१०३६ बद्ध मानपुराण भाषा"...."पत्र सं० २६४ । साइज-११३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषयपुराण | रचनाकाल ४ । लेखनफाल-८२-८ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६1
विशेष- मट्टारक सकलकीर्ति इस
१०३७ शांति पुराण-महाकवि अशग । पत्र सं० • ६४ | साइज-१२३४६ च । भाषा-संस्कृत | विषयपुराण | रचनाकाल ४ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७०० ।
विशेष- अन्तिम पत्र फिर से लिखा गया है ।
१८३८ शालिग्रामपरीक्षा...""| पत्र सं० १ | साइज-१०xk इन्च | विषय-पुराण | रचनाकाल ४। लेखन काल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १७०६ ।
विशेष-वामनपुराण में से लिया गया है।
१०३६ हरिवंशपुराण-जिनसेनाचार्य । पत्र सं० २२२ । साइज-१४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपुराण । रचनाकाल x | लेखनकाल x | अपूर्ण-प्रारम्भ के. ११० तथा २२२ से भागे पत्र नहीं है। शुद्ध । दशा-सामान्य ।
टन मं० २२२५। - १८४० प्रति नं०२ । पत्र सं. १५८ | साइज-११४४३ १ञ्च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन नं. १२२५ ।
१०४१ प्रति नं०३। पत्र सं० ३५२ । साइज-, १४४ इञ्च | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा। सामान्य । प्रति प्राचीन है । षेप्टन नं. १२२६ ।
१०४२ प्रति नं.४। पत्र सं० ४.३१ । साइज-१११४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १७६७ माघ शुक्ला ११ पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २२२० ।
१०४३ प्रति नं.५। पत्र सं० १४० । साइज-१२४६ इञ्च ! लेखनकाल ४ | श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन न० २२२८ | - १०४४ प्रति नं०६। पत्र सं०८७ | साइज-१४४ च । लेखनकाल X) पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । रा-उत्तम । वेष्टन नं० २२२६ ।
१०४५ हरिवंशपुराण-महाकवि धवल । पत्र सं० ४७५ | साइज-१२४५६ इन्च । माषा-अपभ्रंश । विषयपुराय । रचनाकाल X । लेखनकाल–सं. १५७६ कात्तिक सुदी ५ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २२३०१
विशेष-पुनि माधनन्दि के लिये प्रतिलिपि की गयी थी । १०४६ हरिवंशपुराण-पुनि यशःकीर्ति । पत्र सं० १७४ | साइज-११४४३ इञ्च । माषा-अपभ्रंश विषय
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२१८
PAGP
पुराण । रचनाकाल X । लेखनकाल x i पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन में० २२३१ ।
विशेष-अन्तिम पत्र फिर मे लिखा हुआ है ।
१.४७ प्रति नं० २ । पत्र सं० ११ । साइज-१२३४५६च । लेखनकाल–सं० १६१८ वैशाख । ११ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २२३२ ।।
विशेष-सम्राट अकबर के शासनकाल में अलवर में प्रतिलिपि की गयी थी ।
१०४८ प्रति नं. ३ । पत्र सं० १४३ । साइज-१२४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १५४० दौशाख बुदी श्रमावा। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा--जीर्ण । वेष्टन नं. २२३३ ।
विशेष-हिसार नगर में बहलोल साह के शासन काल में प्रतिलिपि हुई थी। शलं गोत्र वाले श्री चन्द ने प्रतिलिपि करवाया था।
१०४६ हरिवंशपुराण-ब्रह्म जिनदास | पत्र सं. १४४ [ साइज-१०४६ है। भाषा संस्कृतं । विषयपुराण । रचनाकाल ४ । लेखन काल-सं० १६४३ पौष सुदी ३ शनिवार । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य वेष्टन में० २२३५।
१८५६ प्रति नं०६। पत्र सं० २१५ । साइज-१३४६ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६१६ वैशाख सुदी । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ने ० २२३६ ।
विशेष-रामसेना-क्ये ब्रह्मचारी श्री क्षेमराजाख्येन स्वयं लिखितं ।
१०५१ प्रति नं०३। पत्र सं०६७ साइज-१२४५१ इञ्च । लेखनकाल - | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २२३४ ।
१०५२ प्रति ०४। पत्र सं० १७६ । साइज-११४६ इञ्च | लेखनकाल ४ । पुणे एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । बेटन नं० २२३॥
१०५३ हरिवंशपुराण-भट्टारक भी भूषण । पत्र सं० ११७ । साइज-१०४६ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषयपुराण । रचनाकाल-२० १६७५ चैत्र शुक्ला १३ । लेखनकाल-स. १७६८ ज्येष्ठ चुदी ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टम नं० २२३८ (क)
विशेष-पंडित खेतसी ने प्रतिलिपि की भी ।
१०५४ हरिवंशपुराण-पं० दौलतरामजी । पत्र सं० ४४८ । साइज-१३३४६३ ६श्च । भाषा--हिन्दी । विषयपुराग्य । रचनाकाल-२०१८२६ । लेखनकाल–सं० १८६६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेष्टन नं ० २२३८ ।
१०५५ प्रति नं० २१ पत्र सं० ४७२ : साज-१०६x४३ इस्त्र । लेखनकाल–सं. १८७५ | अपूर्ण-.. प्रारम्भं के ३०१ पत्र नहीं है । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २२४०।।
विशेष-सवाईराम गोधा ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी।
१०५६ प्रति नं. ३ । पत्र सं० ५०२ । साइज-२०३५० श्च । लेखनकाल-सं० १९५४ । पूर्ण एवं शुद्ध | देशा-जीर्ण । वैप्टन न. २२४ ।
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1 दुराल
विशेष - जीर्णोद्वार हो रखा है। गुमानीराम के पुत्र भूराराम ने प्रतिलिपि की भी ।
१०५७ प्रति नं० ४ । पत्र सं० रं | सहज - १२ - सामान्य । वेष्टन नं० २२४२ ।
विशेष - गुमानीराम के पुत्र भूराराम ने प्रतिलिपि की भी ।
। लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
२१६
१०५८ प्रति नं० ५ । पत्र सं० ४६३५१५ तक 1 साईज - १३x६ इन्च । लेखनकाल - सं० १८०१ |
पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २२४२ |
१०५६ हरिवंशपुराण भाषा - खुशालचंद काला । पत्र विषय-पुराण | रचनाकाल - सं० १७८० । लेखन काल - सं० १८२४ । वेष्टन नं. २२४३ |
० २३४ | साइज - १२x६३ ह | भाषा - हिन्दी | पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य | लिपि सुन्दर ।
विशेष - करौली नगर मैं श्री फकीरदास पापडीवाल ने पुराण की प्रतिलिपि करवायी थी ।
१०६० प्रति नं० २ | पत्र सं० २५६ | साइज - १२९६ इन्च । लेखनकाल - सं० १८०६ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य वेष्टन नं ० २२४४ |
विशेष - सूरतगढ में पुराण की प्रतिलिपि हुई थी ।
१०६१ प्रति नं० ३ । पत्र सं० २११ | साइज - १२x६ इ । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० २२४५ ।
१०६२ प्रति नं० ४ | पत्र सं० १२१ | साइज - ६÷६ इव । लेखनकाल - सं० १८२६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २२४६ |
१०६३ प्रति नं० ५ | पत्र सं० २०१ | साइज - ११६४५ इन्च | लेखनकाल - सं० १८२८ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २२४७ |
१०६४ हरिवंशपुराण-श्री जैन । पत्र सं० २४२ । साइज १०९५ इन्च भाषा गुजराती - मिश्रित-हिन्दी वध | विषय - पुराण | रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १८५७ फागुण सुदी ११ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन
० २२४०
विशेष- पं० हरि ने प्रतिलिपि की थी ।
१०६५ हरिवंशपुराण भाषा
पुरा । रचनाकाल x | लेखनकाल x १ पूर्ण - २५२-४६६ तक के पत्र नहीं हैं । वेष्टन नं० २२३६ ।
| पत्र सं० ४६६ | साइज - ११४७३ ६ | भाषा - हिन्दी | विषय
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विषय - चरित्र
ग्रन्थ संख्या -
१०६६ करकंडुचरित्र - भ० शुभचन्द्र । पत्र सं० १६० १ साइज - १०४४३ इन्च भाषा-संस्कृत विषय-चरित्र । रचनाकाल - सं० १६११ | लेखनकाल - सं० १६६१ माह बुदी है। पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | बेन नं० २२९ ।
विशेष - शिवपुरी में राव श्री शत्रुसाल के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई थी । बघेखालान्वय मोडागोत्र वाले भी नानू ने इस शास्त्र को लिखवाकर म० देवेन्द्रकीत्ति के शिष्य मुनि पद्मकीर्ति को प्रदान किया ।
१०६६ प्रति नं २ । पत्र सं० ८६ | साइज - १० ३x४३ इ दशा- सामान्य | वेष्टन नं० २२२ ।
। लेखनकाल -सं० १६६३ । पूर्ण एवं शुद्ध ।
विशेष – आमेर में महाराजा मानसिंहजी के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई थी । संघी डालू ने इ शास्त्र को पम्प विधान उद्यापन के अवसर पर भ० श्री देवेंद्रकीत्ति को भेट दिया था।
२०६८ गौतमस्वामी चरित्र-मंडलाचार्य धर्मचन्द्र । पत्र सं० २० | साइज - १२x४] इव । भाषा संस्कृत | विषय-चरित्र | रचनाकाल x | लेखनकाल- सं० १६.०६ सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य | वेष्टन नं० ३४६ |
।
१०६६ चैनसुख लुहाडिया का जोवन मास्टर मोतीलालजी संघी । पत्र से० ६ भाषा - हिन्दी | विषय-जीवन चरित्र । रचनाकाल | लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- उत्तम
२०७० जम्बूस्वामि चरित्र - ब्रह्म जिनदास । पत्र सं० ४५ चरित्र । रचनाकाल × । लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं अशुद्ध
१०५
दशा- जीर्ण | वेष्टन २० ४६९ ।
साइज - १२= ।
वेष्टन नं० ४२४ |
|
भाषा-संस्कृत । विषय
१०७१ जिनदत्तचरित्र - गुणमद्राचार्य । पत्र सं० ७८ । साइज - १२०५ इम । भाषा-संस्कृत । विषयचरित्र | रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १७४६ ज्येष्ठ बुदी २ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य | नेष्टन नं० ४६८ | विशेष – नंदावृत्ती नगर में चंद्रश्रम चैत्यालय में पं० भगवान प्रवाल ने स्वयं लिखा ।
1
१०७२ प्रति नं० २ | पत्र सं० २०३५ | साइज - १२५ १श्व | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा जी । वेष्टन नं० ४६६ |
१०७३ प्रति नं. ३ | पत्र सं० २०-३० | साइज - १०३४५३ इन्च | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशाजीर्ण | वेष्टन नं० ४७० |
१०७४ प्रति नं० ४ । पत्र सं० ४३ | साइज - १०४ इन्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ४७१ ।
१०७५ प्रति नं० ५ । पत्र सं० ४४ | साइज - ६x४ इच। लेखनकाल - ० ११२ चैत्र ७ !
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परित्र
२२१ एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ४७२ ।
१०७६ प्रति नं०६। पत्र सं. ४६ । साइज-११४५ इन्च । लेखनकाल-सं० १७०५ भादवा सुदी ११ । एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ४५३ ।
विशेष-दिवसान नगर में सुमतिनाथ चैत्यालय में प्रतिलिपि की गयी थी।
१८७७ जोचंधर चरित्र-भट्टारक शुभचन्द्र । पत्र सं० १४० । साइज-१०३५४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । य-चरित्र 1 रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-पामान्य । बेन्टन नं. ४ |
१०७८ जीवंधर चरित्र-नयमलविलाला । पत्र सं० १२५ | साइज-१२४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषयपरित्र । रचनाकाल-सं० १८३५ । लेखनकाल-सं० १७० । अपूर्ण-दो प्रतियों का सम्मिश्रण है-५१-१२४, १०१-१६१
दु। दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४ः।
१०७६ प्रति नं० २। पत्र सं० १६१ | साइज-११३४५६ च । विषय-चरित्र । लेखनकाल–सं० १८६४ । पूर्व एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेस्टन नं० ५.० ।
१०८० प्रति नं.३ । पत्र सं०६६ | साइज-१.३४७१ इञ्च । लेखन काल X । अपूर्ण-2 से प्रागे के पत्र यहाँ है । सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेटन नं० ५.१ ।
१०८१ प्रति नं०४। पत्र सं० १६४ । साइज-११४५ इश्श | लेखनकाल–सं० १८१२ । पूर्ण एवं सामान्य गद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ने ० ५ ०२ (क) ।
विशेष-इसी मन्दिर में पं० रूपचंदजी चादवाड़ ने अन्य की प्रतिलिपि को ।।
१०८२ जैतरामविलास-जैतराम बापना । पत्र सं. ६ | साइज-१२४६३ इञ्च। भाषा-हिन्दी । विषयधि । रचनाकाल-सं० १११६ । लेखनकाल-सं० १९७६ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वैप्टन नं. ५०३ (क) 1
विशेष- मूलचंदजी डागा श्रीकानेर के श्राग्रह से ग्रन्य रचना की गयी थी।
१०८३णेमिणाह चरिउ-महाकवि दामोदर । पत्र सं० ३-४४ । साइज-१.४४३श्च । भाषा-अपनश । बिदा-चरित्र | रचनाकाल X । लेखनकाल x | अपूर्ख । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० ५७७ ।
विशेष-३२-४३ पत्र भी नहीं है।
१०८४ त्रिषष्टिस्मृतिशास्त्र-महापंडित श्राशाधर | पत्र सं० २१ साइज-१०६x४३ इञ्च । भाषा। यस्कृत | विषय-चरित्र । रचनाकाल-सं० १२६१ । लेखनकाल-सं० १५५७ चैत्र पुदी = | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशासामान्य । वैप्टन नं. ६८४ ।
विशेष-संक्षिप्त प्रशस्ति निम्न प्रकार है
"खण्डेलवालावये कुवारतिया गोत्रे श्रीपथ वास्तव्ये सा० कबरू हेम गजा एते शास्त्रमिदं लेखयित्वा मुनि मचन्द्राय प्रदत्त ।"
१०८५ त्रिषष्टिशलाकापुरुषचरित्र-प्रा० हेमचन्द्र । पत्र सं० २१-१०५ । साइम-११४३३ इन्च ।
.
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२२२
भाषा-संस्कत | विषय-चरित्र । रचनाकाल X । लेखनकाल XI पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेटन ने
विशेष--फुटकर पत्र हैं।
१०६६ धन्यकुमारचरित्र-ग्रा० गुणभद्र ! पत्र सं० ४३ । साइज-११४५ इञ्च । माषा-संस्कृत । कि चरित्र । रचनाकाल X । लेखनकाल–० १६५ ३ कात्तिक मुदी १३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन
विशेष-खंडेलवालान्त्रय गंगवाल गोत्र वाले मह तेजा की स्त्री साध्वी तेजपाल ने मंडलाचाी नेमिचन्द्र को प्रा किया था।
१०.७ प्रति नं. २ । पत्र : । साइज-११४५ ३ । लेखनकाल-सं० १५६४ फागुण सुदो । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन में !
विशेष-मंडलाचार्य यशः कीति के प्रान्नाय में ना० रूपसी भार्या साध्वी स्वरूपदे ने लिखवाया था। १.८८ प्रति नं० ३ । पत्र सं० २०'। साहज-२०४४ इञ्च । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामाग
१८६ धन्यकुमारचरित्र-भट्टारक यशःनीति । पत्र सं० १११ । साइज-११x६ इन्च । माषा-संस्कृत . विषय-चरित्र । रचनाकाल X । रोखनकाल-सं० १६८० । प गा एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ७ ।
विशेष-प्रतिलिपिकर्ता श्री करमसी हैं ।
१०६. धन्यकुमारचरित्र-म, सफल कीति । पत्र सं० ४६ | साइज-१०४४३५ । भाषा-संस्कृत । विषयवन्धि ! रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १६३६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं०७४।
विशेष- प्रतिलिपि फागुई नगर में हुई थी।
१:६१ प्रति नं० २ । पत्र सं० ४५ | साइज-१:४५ इञ्च । लेखनकाल X! पुर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-मामान्य । वेष्टन नं ० ७८ !
१८६२ धन्यकुमार चरित्र-ऋय निदत्त । पत्र सं० २१ । साइज-१०x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत ! विषयचरित्र । रचनाकाल । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सानान्य । वेष्टन नं. ७८७ ।
१९६३ प्रति नं.२। पत्र सं० २० ! साइज-१०.४४३ इन | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-। सामान्य । वेष्टन नं० ५८६ ।
१०६४ प्रति नं. ३ । पत्र सं० २३ । साइन-११३४४ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । सासामान्य । वेष्टन नं ७८८ |
१०६५ प्रति नं० ४ । पत्र सं० २० । साइज-११४४३ इन्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य | वैटम नं. ७८६ !
१८६६ धन्यकुमारचरित्र-खुशालचंद | पत्र सं० ७६ | साज-:४५१ च । भाषा-हिन्दी । विषचरित्र । रचनाकाल ४ ! लेखनकाल-स. १८६२ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं. ४६०।
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चरित्र ]
विशेष – दयाचंद चदिवा जयपुर ने बड़े मन्दिर में प्रतिलिपि की थी। मंथ के मृतक १०९७ प्रति नं० २ । पत्र सं० ६ | साइज - ३७ इव । लेखनकाल - नं० सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं ०७१। विशेष – लेखनस्थान-जयपुर हैं।
शुद्ध
विशेष – सवाई जयपुर में ग्रन्थ की प्रतिलिपि हुई थी ।
२०६८ प्रति नं० ३ | पत्र ०१ | साइज - १०४ इञ् । लेखनकाल - सं० २०४० | पूरा एवं सामान्य
| दशा-सामान्य वेष्टन नं ० ७६२ ।
१०६६ धन्यकुमारचरित्र भाषा
साइज - ११४४
। पत्र सं० ४७ | श्वरित्र । रचनाकाल × | लेखनकाल X | अपूर्ण अन्तिम पत्र नहीं है। शुद्ध ११०० प्रति नं० २ । पत्र सं० ४० | साइज - ११८५ इन्च | लेखनकाल X।
दशा - सामान्य | वेष्टन मं० ७६३ ।
११०३ प्रति नं ३ | पत्र सं० ३५ | साइज - ७
दशा सामान्य ।
दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ८७१ |
११०१ नागकुमारचरित्र"
| पत्र [सं० ३३ । साइज - १०३४४३
चरित्र | रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १६६७ ज्येष्ठ बुर्दा ५ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं०
विशेष- चंपावती में पंडालू ने अन्य की प्रतिलिपि की थी।
११०२ प्रति नं २ | पत्र सं० २६ साइज - १०३x४ई इम्च । लेखनकाल x 1 अपूर्ण अन्तिम पत्र नहीं सामान्य शुद्ध दशा- जीर्णा । वेष्टन नं० ७० |
1
२२३
मभित हैं ।
१६०५ पूर्ण एवं
। भाषा - हिन्दी विषयवेटन नं० ७१३ ।
पूर्ण-अन्तिम पत्र नहीं है ।
- ७३४ इन्च | लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध !
| भाषा-संस्कृत । विषय
११०४ प्रति नं ४ | पत्र सं० २६ | साइज - १०४३ इन्च । लेखनकाल- मं० १६६७ पौष सुदी ३ रविवार । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य | वेष्टन नं०८७२ |
विशेष – आचार्य श्री अनन्तकोर्तिरि के शिष्य पंडित वस्तुपाल ने प्रतिलिपि की थी ।
- नराणा नाम नगरे चन्द्रप्रभजिन चैत्यालये श्री मं धर्मचन्द्राम्नाये खण्डेलवालान्वये
११०५ नागकुमार चरित्र धर्मघर | पत्र सं० १४ । साइज - १० ३x४ इब्न | भाषा-संस्कृत । विषयचरित्र । रचनाकाल १ लेखनकाल १० १५६= | पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य | वेष्टन नं० ८७३ |
विशेष - प्रशस्ति निम्न प्रकार है
***********
संवत् १५६८ वर्षे चैत्र मासे कृष्ण पक्षे दिवसे बुधवारे रात्र श्री मालदे राज्यप्रवर्तमाने कवर श्री. महेशप्रतापे
विशेष - श्री कमलकीर्ति ने रामसर स्थान पर प्रतिलिपि करवायी थी ।
११०६ प्रति नं० २ । पत्र सं० ६१ । साइज - ११४५ इव । लेखनकाल - सं० १५१६ | पूर्ण एवं सामान्य
शुद्र | दशा - जीर्ण | वेष्टन नं ० ८७४ ।
1
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________________
་་
[ चरित्र
१९०७ नागकुमार चरित्र भाषा - नथमल बिलाला । पत्र सं० १२ । साइज - ११४४ ५ इव | विषय - चरित्र | रचनाकाल - सं० १८१० । लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ८७५ |
1
०६२-२४
पूर्व एवं शुद्ध । दशा
૪
११० प्रति नंः २ ।
उत्तम । वेष्टन नं ०७६
११०६ नागकुमार चरित्र भाषा
चरित्र | रचनाकाल × 1 लेखनकाल - सं० १३६४ । पूर्ण एवं शुद्ध १९१० नेमिनाथरास-याचायें जिनसेन | पत्र सं० हिन्दी | विषय- चरित्र | रचना मं० १५५० | लेखनकाल - सं० सामान्य | वेष्टन नं० ६२४ ।
११
१९९२ पार्श्वनय चरित्र - पं० श्री पद्मसुन्दर | पत्र [सं० ४० साइज - १०३४ इञ्च । माषा-संस्कृत | विषय - चरित्र | रचनाकाल x लेखनकाल - सं० १६१५ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य बेष्टन नं ० १०७३ । विशेष – बादशाह कबर के शासनकाल में मंडलाचार्य कुमारसेनदेव के ग्राम्नाय में अग्रवाल वंशोत्पन गोयल गोर स्वदेशपरदेशविख्यात मानुचौधरी के 'ने प्रतिलिपि करवाई |
दशा - सामान्य । वेष्टन नं ० १००४ ।
| पत्र सं० २० | साइज - १२३८ इव । भाषा - हिन्दी गद्य विषयदशा उत्तम | वेष्टन नं० = ०७ |
१११२ पार्श्वनाथचरित्र भ० सकलकीत्तिं । पत्र सं० १२४ | साइज - ११४५ इन्च । माषा-संस्कृत विषय - चरित्र | रचनाकाल x लेखनकाल x । पूर्णप्र -प्रारम्भ के पत्र नहीं हैं । शुद्ध 1 दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १७०१ ० | साइज - २३५ इञ्च । लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
.
१११३ प्रति नं २ । पत्र मं०
१९१४ प्रति नं० ३
शुद्ध दशा-जीयं |प्टन नं १०७६ ।
साइज - १०३४४३ इन्च मात्रा गुजराती मिश्रित १६१३ पोष सुदी पूर्णिमा | पूर्ण एवं शुद्ध दशा
१११५ प्रति नं ० ४ |
दशा- जीर्ण | वेष्टन नं ० १०७३।
० ५१-७७ | साइज - १३५५३ इन्च | लेखनकाल X। श्रपूर्ण सामान्य
० ११७ साइज - १०x४१ इ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
१९१६ प्रति नं० | पत्र ० = | साइज ११४५ इन्च | लेखनकाल X ! श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- उत्तम | वेष्टन नं० १०७८ ।
१११७ पार्श्वनाथ चरित्र - पं० असवाल | पत्र [सं० १०६ । साइज - १२x६ इच। भाषा श्रपश | विषय - चरित्र । रचनाकाल × | लेखनकाल - सं० १८२६ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- उत्तम | वेष्टन नं ० १०७२ |
१११= प्रद्युम्नचरित्र - महाकवि सिंह | पत्र सं० १४४ | साइज - १०x४३ इश्व | मात्रा - अपभ्रंश | विषय - चरित्र । रचनाकाल × । लेखनकाल - नं० १६४६ श्राश्विन ख़ुदी ६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं. ११४०
विशेष-मौजमाबाद में आदीश्वर चैत्यालय में जोशी ऊदा ने प्रतिलिपि की थी।
१९१६ प्रति नं २ | पत्र सं० १४० | साइज - १२५१ इन्च | लेखनकाल - सं० १६०४ श्रषाद बुदी १३,
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परित्र ] पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११४६ । ___विशेष- लेखक प्रशस्ति विस्तृत है । संक्षिप्त निम्न प्रकार है
रतिवासा वास्तव्य दौलतिखानराज्य में खण्डेलवालान्वय छाबडा गोत्र वाले संघहो रणमल के प्रथमपुत्र साह वह तथा उसकी मार्या तिहुणधी ने इस शास्त्र को मुनि श्री जयकीर्ति को प्रदान किया था।
११२० प्रति नं०३ । पत्र सं० ३४-१०१ | साइज-११४५ श्च । लेखनकाल-सं० १६४५ पौष सुदी १२ : अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ११५० |
११२१ प्रद्यानचरित्र-प्राचार्य सोमकीर्ति | पत्र सं० १७२ । साइज-११४५ इश्व | भाषा-संस्कृत । षकचरित्र । रचनाकाल x 1 लेखन काल-सं० १७४६ माघ सुदी पूर्णिमा । अपूर्ण-प्रारम्भ के ५० पत्र नहीं है । सामान्य मुद्ध। दशा-सामान्य । वेन्टन नं. ११५१ ।
विशेष-बगरू ( जयपुर ) में सबलसिंह के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई थी।
११२२ प्रति नं.२। पत्र सं० १७४-१५६ । साइज-२४४इम्च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं शुद्ध ' शा-सामान्य । वेष्टन नं० ११५२ ।
११२३ प्रति नं.३। पत्र सं० १०-१२। साइज-१२४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । लेखनकाल-सं० १. अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११५३ ।
विशेष-जयपुर में केसरीसिंह कासलीवाल ने प्रतिलिपि करवायी थी।
-
११२४ प्रति नं०४। पत्र सं० १४० | साइज-१२४५३ इच। लेखनकाल अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! पशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११५४ ।
. ११२५ प्रद्युम्नचरित्र.....! पत्र सं० १७ । साइज-१३४४ इञ्च । माषा-संस्कृत | विषय-दलि। रचनाकाल x | लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११५५ ।
११२६ प्रद्युम्नचरित्र-भट्टारक सकलकीति । पत्र सं. ३८६ | साइज-१११४५३ इञ्च । माषा-सतत । विषय-चरित्र । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ | अपूर्ण । १०० से पूर्व तथा श्रागे के पत्र नहीं है। दशा-सामान्य । वेष्टन
.
११२७ प्रद्युम्न चरित्र भाषा-बालाप्रसाद बखतावरसिंह । पत्र सं० २४४ | साइज-१२३४८ इञ्च । माषाहिन्दी गद्य | विषय-चरित्र । रचनाकाल-२० १६१४ । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेटन न० ११५७ ।
विशेष-विस्तृत प्रशस्ति दी हुई है।
११२८ प्रद्युम्नचरित्र भाषा...""| पत्र सं० १७४ | साइज-११४८ इञ्च । भाषा-हिंदी गद्य । विश्यपरित्र । रचनाकाल X । लेखनकाल x 1 अपूर्ण-केवल १०१ से १७४ तक के पत्र हैं। शुद्ध | दशा-सामान्य | बेन न० ११५८ ।
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-"
[ चरित्र
पत्र ० ५४६x४
माघ-हिन्दी विषय-चरित्र
रचनाकाल सं०] १७२२ | लेखनका
1
१८४० पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन नं० ११५६ | विशेष- " महेश्वर नाहि रचना रची चंद्रनाथ गृहद्वार रे ।" किरिसर में नंदलाल ने प्रतिलिपि की थी। ११३० प्रीतिकरचरित्र-मित पत्र ०१७ चरित्र का एवं सामान्य शुद्ध
भाषा-संस्कृत विषय
११३१ प्रति नं० २ | पत्र सं० ७२ | साइज - १X१
२२६
११२६ प्रद्युम्नप्रबन्ध- देवेन्द्रको
सामान्य वेष्ठन नं० १२३७ ।
चरित्र रचनाकाल x | लेखन
११३२ भद्रबाहु रित्रयाचार्य सननंदि पत्र सं० २३ साइज १०३४ इन्च भाषा-संस्कृत विषयसं०] १६२७येष्ठ बुर्दा १४ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य वेष्टनं० १३०५ विशेष – सांगानेर में राजा भारमल के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई थी । १९३३ प्रति न०२ पत्र ०२३
साइज - १११
लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दश
सामान्य वेष्टन नं० १३०७ । १९३४ प्रति नं० ३ पत्र [सं० २६ साइज १० इय लेखनकाल २०१६२६ वैशाख सुदी १ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन नं० १३०० ११३५ प्रति सं० ४
० २१ साइ १०३x२ लेखनकाल x पूर्व एवं सामान्य शुद्ध
दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १३०३ |
११३८ प्रति नं० ७
० २५ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य । त्रैष्टन नं०
साइज १०५ इन्द
१९३६ प्रति नं० ५० ६७११ लेखनकाल सं० १६३४ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य वेष्टन नं १३११/
११३७ प्रति नं० ६ पत्र [सं० ३३ | साइज - १२= 1 लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा-उद्यम | बेटन नं १३१२
विशेष – रूपचंद बिलाला कृत हिन्दी टीका सहित हैं ।
दशा- जी
वेष्ठन नं० १२३६
इन्च | लेखनकाल x | पूर्मा एवं जीर्ण । दशा
रचनाकाल X। लेखनकाल । चपूर्ण एवं शुद्ध
-
साइज ११३८ इन्च लेखनकाल १६४५ पौष सुदी १३१४ ।
विशेष – साह सहसा भार्या साहिदे ने इस शास्त्र की प्रतिलिपि करवाकर श्री विनयसागर को प्रदान किया था 3 ११३६ भद्रबाहु चरित्र | पत्र सं० ३५ | साइज - ११४४ इञ्च । भाषा - हिन्दी] | विषय - चरित्र | दशा सामान्य वेष्टन नं० १३५२ ॥
१९४० भद्रबाहु चरित्र " पत्र सं० ५६ | साइज - १२४१३ रचनाकाल ×। लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं०
विशेष लेखक का नंदिमित्र की कृपा वर्णन का प्रमुख लक्ष्य हैं ।
| भाषा - हिन्दी गद्य विषय-चरित्र । १३१० |
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२२७
११४१
दत्त चरित्र-वनपाल । पत्र सं० १११ । साइज-१X इम्च ! भाषा-अप' विषयरित्र । रचनाकाल x / लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १३२४ ।
११४२ प्रति नं०२। पत्र सं० १२८ | साइज-११५४ इश्च । लेखनकाल-सं. १६५४ । पूर्ण एवं - किमान्य शुद्ध । दशा-जाणे । वेष्टन नं. १३:५ ।
११४३ प्रति नं. ३ । पत्र सं०६१-११५ । साइज-२४ इन्त्र । लेखनकाल X । अपुर्ण एक सामान्य - राद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० १:२६ ।
११४४ प्रति नं० ५। पत्र सं० १५२ । साइज-११४४ इञ्च । लेखनकाल-सं० १४६४ | पूर्ण एवं शुद्ध । - शा-सामान्य । वेष्टन न. १३२।
विशेष गोयाचल नगर में श्रीगेंगद के शासनकाल में बारहसेशी जाति में उत्पन्न श्रावक ने प्रतिलिपि जन्खायी थी।
-
११४५ भविष्यदत्तचरित्र-० श्रीधर 1 पथ सं० १,८-= | साइज-१.३४४३ इन्च । भाषा संस्कृत । षय-चरित्र । रचनाकाल X । लेखनकाल X । अपूर्ण । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १ ३२६ ।
११४६ प्रति नं०२। पत्र सं०५-५० । साइज-१०x११ च । लेखनकाल-सं० १६४१ । श्रपूर्ण । शा-सामान्य ! वेष्टन में 2 |
११४७ प्रति नं. ३ । पत्र सं० २० ! साइज-१०x४ इञ्च । लेखनकाल-सं. १७२६. माघ शुक्ला पूर्णिमा । कर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १३२% |
११४८ महोपाल चरित्र-चारित्र भूषण मुनि । पत्र सं० ३५ | साइज-१०६x४३ इन्च | माषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । रचनाकाल x | लेखनकाल--२० १६१२ माह सुदी १ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं १३८८२ ।
११४६ महीपाल चरित्र भाषा.....! पत्र सं० १५ । साइज-11४४३ इञ्च | भाषा-हिन्दी। विषयचरित्र । रचनाकाल x - लेखनकाल X! अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १३८३ । ।
११५० महीपालचरित्र-नथमल ! पत्र सं० ६१ । साइज-११६४५३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-चरित्र | खनाकाल-सं० १६१८ | लेखनकाल-सं० १:२८ । पूर्ण एवं सामा य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १३८४ ।
११५१ प्रति नं०२। पत्र सं० ५८ । साइज-११४८ इत्र । लेखनकाल-. १९३५ । पूर्ण एवं शुद्ध । शा-उत्तम । वेटन नं० १३८५ ।
११५२ मेचेश्वर चरित्र-पं० रहधू । पत्र सं० १३ । साइज-११३४५३ इच । भाषा--अपभ्रश । विषयरित्र । रचनाकाल x लेखन काल-सं० १६१० चैत्र सुदी २ वृहस्पतिवार । अपूर्ण-प्रथम दो पत्र नहीं है। सामान्य शुद्ध | या सामान्य । वेष्टन नं० १४२० । 1 विशेष- अलवर नगर में बादशाह सलीम ( जहांगीर ) के शासनकाल में प्रतिलिपि की गयी थी ।
११५३ यशोधर चरित्र-म० सकलकीर्ति । पत्र सं० ४५ । साइज-११४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयत्रि । रचनाकाल x 1 लेखनकाल-सं० १६६० पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. १४४० ।
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[ चरि
विशेष मोजमाचन्द में महाराजा मान सिंह के शासनकाल में थी पिसना पाटनी ने अन्य की प्रतिलिपि की पर ०३८१२३४१७२३२॥ पूर्ण एवं सामान्यशुद्ध । दशा- सामान्य | वेस्टन नं० १४४१ ।
११५४ प्रति नं०
१२५५ प्रति नं०३
२००४
- ११३५ खनाल पूर्व सामान्य शुद
दशा- सामान्य | वेष्टन नं० १४४२ ।
22
११५६ यशोधर चरित्र रचनाकाल ०१२३६ लेखनकाल x १६५७ प्रति नं २ | पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम वेष्टन नं
कार्ति पत्र नं ३५१०३५ माघ। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्यननं० १४४३ | मं० ५५ | साइज - १५९७ इञ्च | लेखनकाल - स० १७७८ १४४४
पत्र
चैत्र बुदी १|
विशेष—प्रति सटीक है। टीका हिन्दी गद्य में है। प्रति के अन्त में निम्न शब्द लिखे हुये हैंपुत्र का रुपया ३|| दीया सूरत मध्ये पत्र ५५ दिया | लिखावी का रुपया ४) दिया। लिखायो श्री उदयपुर मध्ये भट्ट सनजी हरजी मल्लेन लिखापितं पुस्तकं इदं । १९४८ यशोधरचरित्र-म० सकलकीर्ति पत्र ०४ साइज ११४५ इन्च मात्रा संस्तव चरित्र | रचनाकाल-सं० १६५० माघ शुक्ला ५ | लेखनकाल - सं० १६६१ मंगसिर सुदी ६ । पूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य | वेष्टन नं ०१४४१ ।
I
विशेष - मौजमाबाद वास्तव्य सं० पेसी ने लिखवाया |
११५६ यशोधरचरित्र
पत्र ०१२३ साइज - १. ३४५ इ । भाषा-संस्कृत । विषय-चरिण । रचनाकाल X। लेखनकाल० १८०२ द्वि० चवाट बुदी पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन नं० १४४६ । विशेष—संक्षित रूप से कम है।
€
११६० प्रति नं० २०१६-११ लेखनात पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १४४७ ।
१९६१ यशोधर चरित्र
पत्र [सं०] [२] साद३४३
रचनाकाल | लेखनकाल X पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन नं० १४४८ |
२६
१९६२ यशोधर चरित्र - श्री श्रुतसागर पत्र नं चरित्र | चनाकाल x | लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ११६३ यशोधर चरित्र | पत्र सं० २१ । लेखनकाल ०१०१२ कार्त्तिक बुदी २ पूर्व एवं शुद्ध १९६४ यशोधर चरित्र वादिराज सूरि चरित्र । रचनाकाल x 1 लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध
पत्र
I
साइज - ११३५५ इव भाषा-संस्कृत विषयदशा- सामान्य वेष्टन नं० १४४६
[सं० २२
दशा-अर्थ
भाषा-संस्कृत विषय है
साइज - ११४४ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-दरित्र ! दशा सामान्य जेन नं० १४५० ।
Į
साइज १०३५ इन्च भाषा संस्कृत
वेष्टन नं० १४५९ ।
ܩܦܝܘܣ
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२२६
1
=
११६५ यशोधर चरित्र-कायस्थ श्री पद्मनाभ -! पत्र सं० =2 ( साइज--१०४५ इश्च । माषा-संस्कृत ! विषयचरित्र । रचनाकाल ४ । लेखनकाल-सं० १.०६ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण शीर्ण । बेष्टम नं० १४५२ ।
विशेष-लेखक प्रशस्ति का संक्षिप्त भाग निम्न प्रकार है
संवत् १७०६ वर्षे वैशाख सुदी षष्टी दिवसे सौमत्रासरे वियोगे श्री द्रव्यपुरमध्ये राजा श्री अर्जुनगौड राज्ये श्री मलसंधे नंद्याम्नाये बलात्कार गणे सरस्वती गच्छे श्री कुन्दकुन्दाचार्यान्वये भट्टारक श्री चन्द्रकीर्ति देवास्त पट्टे श्री देवेन्द्रकीर्तिदेवा तत्प? मट्टारक ....."ब्रह्मचीतर तेनेदं स्वहस्तेन लिखितं ।
११६६ यशोधर चरित्र-पंडित लक्ष्मीदास | पत्र सं0 ४८ | साइज-११४८ इन्च | भाषा-हिन्दी विषयचरित्र । रचनाकाल-सं० १७८१ । लेखनकाल--सं० १३०६ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-दशा-सामान्य । वेटन नं. १४५३ ।
१२६७ प्रति नं०२। पत्र सं० ५१ । साइज-१०५४७३ इअ । लेखनकाल X 1 पूर्ण एवं शुद्ध। दशासामान्य वेष्टन नं: १४५४ ।
११६८ प्रांत नं०३। पत्र सं० ७४ | साइज-१२४५३ इञ्च । लेखनकाल–सं० १८८८ | पूर्ण एवं शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १४१५ ।
११६९ यशोधर चरित्र भाषा... | पत्र सं० ४४ । साइज-११४५ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषय-- परित्र । रचनाकाल ४ । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १४५६ ।
११७० घद्धमानकथा-नरसेन । पत्र सं. १७ | साइज-१०४४ इन्च । भाषा-अपन श । विषय-चरित्र । रचनाकाल X | लेखनकाल । चूण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६७७ ।
११७१ बर्द्धमानचरित-भट्टारक सकलकीर्ति । पत्र सं० २१ । साइज-३१३४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय- चरित्र । रचनाकाल x | लेखन काल X | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं ० १६०६ ।
११७२ प्रति नं० २। पत्र सं. ५-७ | साइज-१२३४५३ इश्च | लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १६७६ |
११७३ प्रति नं. ३ । पत्र सं० १७६ / माइज-११६४५ इञ्च । लेखनकाल X । अपूर्ण ३-६८,१०, ११० 2 तक पत्र हैं । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६३१ ।
११७४ प्रति नं०४ । पत्र सं० १०७ । साइज-११४५ इथ । लेखनकाल X| पूर्मा एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेटन नं. १६१२ ।
११७५ प्रति नं० ५। पत्र सं० २-१ 1 साइज-१२४५ हन | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन .
।
११७६ प्रति नं०६। पत्र सं० ११५ । साइज-११४५३ इञ्च | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-जीगई । वेष्टन नं० १६१४ ।
विशेष-ब्रह्म रायमल्ल ने प्रतिलिपि की थी।
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२३०
११७० प्रति नं० ७
शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन नं.
[ चरित्र
पत्र सं० १६४ | साइज - १०३९५ इन्च | लेखनकाल - सं० १८६४ | पूर्ण एवं १६१० ।
विशेष - हिन्दी गद्य टीका सहित है।
११७८ विक्रमचरित्ररास - श्री विमलेन्द्र । पत्र ०३४ साइज - १०३४४५ इन्च । विषय-चरित्र । रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १६६६ चैत्र सुदी १३ । पूर्गा एवं सामान्य शुद्ध नं० १६१६ ।
भाषा - पुरानी हिन्दी दशा - जीर्ण | बैष्टन
२१७६ विक्रमप्रबन्ध - रामचन्द्र । पत्र सं० ४६ । साइज - १०४ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-वरिं । रचनाकाल-सं० १४६० | लेखनकाल - सं० १६६४ ज्येष्ठ सुदी । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १६२० ।
विशेष – १, २, ३, ३६ के पत्र नहीं है ।
११८० शांतिनाथचरित्र -+ 1-म० सकल कीर्ति । पत्र सं० २०७ । साइज - ११३४५ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय-चरित्र । रचनाकाल x 1 लेखन काल - सं० १६५६ भादवा बुदी १ रविवार | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १६६४ |
१९८१ प्रति नं २ | पत्र सं० १ १३३-२३१] साइज १०० इञ्च | लेखनकाल - सं० १७६० चैत्र बुदी ३ | अपूर्णं । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १६६५ ।
विशेष - पं० बिहारीदास ने, दयाराम लवांगस ने लिखवाया। कोटा में जोशी फल्ने प्रतिलिपि की थी ।
११=२ प्रति नं० ३ । पत्र सं० १७-०१, १००-१६२ | साइज - १०६ इ । लेखनकाल - सं १८११ कार्तिक खुदी । पूर्ण त्रुटित पत्र | दशा - सामान्य । केप्टन नं ० १६६६ ।
वाया था ।
१९८३ प्रति नं ४ | पत्र सं० ३२२ ३ साइज - १०६ इञ्च । लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध 1 दशासामान्य | वेष्टन नं ० १९६३७ ।
विशेष – हिन्दी टीका भी दी हुई है।
११८४ शालिभद्र चरित्र - जिनसिंहपूरे । नत्र [सं०
१६ | साइज - ६३४३ इञ्च । माषा - हिन्दी विषयचरित्र | रचनाकाल - सं०] १६७८ । लेखनकाल - सं० १०३= | पूर्ण एवं शुद्ध दशा-जीणं । वैप्टन नं० १७०५ | विशेष-लाडनूं नगर में प्रतिलिपि की गयी थी ।
१९८५ श्रीपाल चरित्र - पंडित धू । पत्र सं० १०८ | साइज - ११४५ इव । माषा - अपभ्रंश | विषय - काव्य | रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १६०५ कार्त्तिक सुदी ६ पूर्ण एवं शुद्ध । दशा जी । वेष्टन नं० १७३७ । विशेष- बादशाह जहांगीर के शासनकाल में हिसार पैरोजा कोट में सिंघल गोत्र वाले साधु कौसल सी ने लिख
११६ प्रति नं २ | पत्र सं० ७१ | साइज - १०४५ इञ्च । लेखनकाल - सं० १७२२ चैत्र सुदी शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १७३८ |
पूर्ण 1
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चरित्र ]
२३१
११८७ श्रीपाल चरित्र - सकलकीर्त्ति पत्र सं ० ५२ | साइज - ११४४३ इ | माषा-संस्कृत | विषय - चरित्र । रचनाकाल x ३ लेखनकाल - सं० १६७५ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १७३६ ।
११ प्रति नं० २ । पत्र सं० ४७ | साइज - १२X४ इञ् । लेखनकाल - सं० १५४८ श्रासोज सुदी १३ । पूर्व एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १७४० ।
११८६ श्रीपाल चरित्र - ब्रह्मनेमिदत्त | पत्र सं० ५३ | साइज - १०÷४५ इव । भाषा-संस्कृत | विषय - चरित्र । रचनाकाल - सं० १५ =५ अषाढ शुक्ला ५ । लेखनकाल- सं० १६६८ कार्तिक सुदी ५ पूर्ण एवं श्रशुद्ध । दशः - सामान्य । वेष्टन नं०] १७४१ ।
११६० प्रति नं० २ । पत्र [सं० ६२ । साइज - १२५३ इल । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशाबेटन नं० १७४२ ।
•
११६१ प्रति नं० ३ । पत्र सं० ७२ | साइज - १०x४३ इन्च | लेखनकाल - सं० १६४० श्रावण सुदी ३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १७४३ |
विशेष – सांखिग्या ग्राम में प्रतिलिपि हुई यो । प्रशस्ति अपूर्ण है ।
-
१९६२ श्रीपाल चरित्र - पंडित श्री नरदेव । पत्र सं० ३६ | साइज - ११४४६ इच | भाषा - अपभ्रंश |
• विषय - चरित्र रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १६२४ फाल्गुण बुद्धी ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १७३६ ११६३ श्रीपाल चरित्र परिमल्ल । पत्र सं० ७० | साइज - १०३x६ इन्च | भाषा - हिन्दी | विषय - चरित्र | {चनाकाल × | लेखनकाल X अपूर्ण । अन्तिम पत्र नहीं हैं। शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं० १७४४
११६४ प्रति नं० २ | पत्र सं० १४३ | साइज - १०३७२ इ | लेखनकाल नं० १८८१ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- उत्तम वेष्टन नं ० १७४४ ।
११६५ प्रति नं० ३ | पत्र सं० ११४ | साइज - १०७ इन्च । लेखनकाल पं० १८८२ । पूर्ण एवं शुद्ध । देशा- सामान्य । वेष्टन नं० १७४६ ।
११६६ प्रति नं० ४ । पत्र सं० ६६ | साइज - १३x६ इम्च | लेखनकाल -२० १८६१ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा उत्तम वेष्टन नं० १७४७ ।
विशेष – चुन्नीलाल सौगाणी ने जयपुर में प्रतिलिपि की ।
११६७ प्रति नं० ५ | पत्र सं० १५८ | साइज - ६६ इन्च | लेखनकाल - सं० १७७२ जेष्ठ सुदी ११ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा- जीर्ण शीर्ण । वेष्टन नं० १७४८ ।
विशेष गुट के रूप में हैं ।
10
११६३ श्रीपाल चरित्र " - पत्र सं० २०२ । साइज - १०३७३ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषय - चरित्र | रचनाकाल × । लेखनकाल | पूर्ण श्रागे के पत्र नहीं हैं । सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १७४६ |
१९६६ श्रीपाल चरित्र | पत्र सं० २१६ | साइज - १०३५ ६न्च | भाषा - हिन्दी गद्य | षित्रय
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चरित्र । रचनाकाल ४ । लेखनकाल-पं० १८१: । अपूर्ण-प्रारम्भ के ६. पत्र नहीं है। शुद्ध | दशा - सामान्य ।
१२०० श्रीपालचरित्र.......", पत्र सं० । माइज-१x६३ च । भाषा-हिन्दी । विषय-च रचनाकाल X । लेखनकाल ४ ! अपूर्ण-पारो के पत्र नहीं है । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ने १७५१ ।
१२०१ श्रीपालचरित्र......... पत्र सं० २-२० । साइज-११५.५ इन्च । माषा-हिन्दी | विषय-वति । एननाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्र । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७५२ ।
१८०२ श्रेणिकचरत्र-भट्टारक थी यशःकीर्ति पत्र सं० ६४ | साइज-:४१ इम | भाषा संस्कृत । विवापाव चिनाात ४ । लेखनकाल-सं० १६.? । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं० १७५६ ।
१२०३ श्रेणिकचरित्र भट्टारक शुभचन्द्र । पत्र सं० १२० । साइज-१०४५ इन्च | म.षा-संस्कृत | विषयचरित्र । रचनाकाल ४ | लेखनकाल-सं० १७:१ अषाढ बुदी ४ । पूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७१।
१२०४ प्रति नं. २ । पत्र सं० २८ | साइज-१.४५ इत्र । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शृद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७६२ |
१.०५ प्रति न०३ । पत्र सं० १२० [ साइज-१४५ इन्च । लेखनकाल पूर्ण एवं सामान्य शु।। दशा-जोगी । वेटन नं १७६१ ।
१२०६ श्रेणिकचरित्र-मदारक विजयीत्ति । पत्र सं० १४१ । साइज-२०५४५ इन्च । भाषा-हिन्दी । विवाचरित्र ! रचनाकाल-सं० १८२० । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७६: । पथ संख्या २८८
१२०७ इति नं०२। पत्र सं० २ । साइज-- १x६, इञ्च । लेखनकाल x | अपूर्ण-अन्तिम पत्र न है । सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. १७६४।
१.०८ प्रति नं0 · । पत्र मं । साइज-१२४५ इञ्च । लेखनकाल-सं. १६२० । पूर्ण एवं . सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं. १४६२ ।
२२८६ प्रति नं । पत्र सं० २६ । साइज-१४ इञ्च । लेखन काल-सं० ११११ | अपूर्ण-२-। तक के पत्र नहीं है । शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १.७६५ ।
१२१० प्रति नं. ५ । पत्र सं० ८१ । साइज-११४७१ इन । लेखनकाल x | श्रपूर्ण-प्रयम तथा ८२ में। अागे के पत्र नहीं है। सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १७६६ ।
१२११ प्रति नं.६। पत्र मं० २८-: । साइज-१२४५ इञ्च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य । वेष्टन नं० १४६७ ।।
१११२ पति नं ७ । पत्र सं० ५ | साइज-१५४६ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६५७ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वैप्टन नं ८ १.७१ ।
१२१३ श्रेणिकचरित्र...... | पत्र सं० । साइज-१११x६ इश्च । भाषा-हिन्दी ! विषय-चरित्र ।
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X लेखनकाल X अपूर्ण १६ अधिकार तक सामान्य शुद्ध दशा-मामायनं० १९८
१२१४ श्रेणिक चरित्र
नाकाल १६६५ । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १७६६ । विशेष दस्खतराम के पुत्र दुलीचंद चौधरी ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि बनायी थी । २२१५ श्रेणिकपरिभाषा
नाथ लेखनकाल X वपूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम विशेष - प्रथम और अन्तिम पत्र नहीं है।
पत्र सं० २२ । साइज - १०x४३ इश्च । माषा - हिन्दी | विषय - चरित्र |
पत्र सं० ११३१ साइज १२४६ इन्च भाषा-हिन्दी विचरिष | । वेष्टन नं १७७०
२३३
२२१६ संभवनाथ परिश्री तेजपाल पर ०३४ चरित्र रचनाकाल x | लेखनकाल । श्रपूर्ण थाने के पत्र नहीं है १२१७ प्रति नं० २ पत्र ० ४०४ साइज १०२४४६ शुद्ध दशा- जी वेष्टन नं० ११३२ ।
I
१२१= सगरं प्रबन्ध रास- नरेंद्रकीर्ति । पत्र मं० १३ | साइज - ६३x४ इञ्च | भाषा - हिन्दी । विषयरचनाकाल १६४३ | लेखनकाल सं० १९६३ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन नं० २०१६ १२१६ सीताचरित्र - रामचन्द्र पत्र [सं० १६६ साइज ११४४ इन्च भाषा हिन्दी रचना-सं०] १७७३ । लेखनकाल सं० १७७८ पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य वेष्टन नं० २०६५ |
विषय-चरित्र ।
3
साइज - ११५
दशा सामान्य
। भाषा विषयबेहन नं० १९३२ ।
लेखनकाल x अपूर्ण एवं सामान्य
१२२० प्रति नं० २ । पत्र सं० १३६ । साइज - १०३५३६ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दश: - जीर्ण । वेष्टन नं० २०६६ ।
१२२१ प्रति नं० ३ ० ५ १२४६ लेखनकाल [सं०] १८१७ पूर्ण एवं शुद्ध दशा सामान्य बेष्टन नं० २०६४ |
१२२४ प्रति नं २ पत्र सं०
पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २०६६ ।
१२२२ प्रति नं०४ । पत्र सं० २१३ | साइज - ६३ इञ्च । लेखनकाल सं० १७६५ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - जीर्ण शीर्ण । वेष्टन नं० २०६७
विशेष – किसनदास सोनी, सवाईराम पाटनी, और वखतराम गोधा ने प्रतिलिपि की भी । दौलतराम ने लिखनायी थी । विषय
रचनाकाल
१२२३ सुकुमाचरित्र पं० श्रीधर पत्र [सं० ३६ साइज - ११४३ इन्च भाषा अपन' १२०० लेखनकाल १४६ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य बेटन नं० २०६० । विशेष— श्रीगरसिंह के शासनकाल में गोपाचल दुर्ग में श्री यशःकीर्ति ने इसकी प्रतिलिपि की थी ।
र लेखनकाल सं० १६२६ चैत्र बुदी
साइज ६३
-
१२२५ सुकुमालचरित्र - कलीति पत्र
०४६ साइज - ११४४३
चरित्र ! रचनाकाल x 1 लेखनकास X पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन नं० २१०० ।
भाषा-संस्कृत विषय
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२३४
[ चरित
१२२६ सुकुमालचरित्र भाषा...] पत्र सं० ३४ । साइज-८१४६३ इत्र | भाषा-हिन्दी गए | विशचरित्र । रचनाकाल ४ ! लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दश सामान्य । वेष्टन नं० २१०१ ।
१२२७ सुदर्शनचरित्र-म० सकलकीर्ति । पत्र सं० ४६ | साइज-११५५ इत्र । माषा-संस्कृत । विश्वचरित्र । रचनाकाल X । लेखनकाल- १७१० श्रावण बुदी ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० २ १०५।
१२८ सुदर्शन चरित्र-ब्रह्मने मिदत्त । पत्र सं० ७२ । साहज-१.६x४३ च । माषा-संस्कृत । विक्ष-1 चरित्र । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्गा एवं सामान्य शुद्र । दशा-सामान्य | वेष्टन नं. २१०६ ।
१२२ सुभौमचरित्र-म० रनचन्द्र | पत्र सं. ५४ | साइज-१०१४५ इन्च । माषा-संस्कृत । विषयचरित्र । रचनाकाल X । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेयन नं० २१३: ।
१२३० स्थूलभद्रचरित्र......1 पत्र सं० १७ । साइज-- ४४२ इन्ज । माषा-संस्कृत | विषय-चरिष। रचनाकाल x | लेखनकाल x। पूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१५८ |
१२३१ हनुमच्चरित्र-ब्रह्म अजित । पत्र सं० ५८ | साइज-१२४५३ इश्च । माषा-संस्कृत । विषय-चरित्र । ] रचनाकाल x | लेखन काल-सं० १.५ ६ ७ | पूर्ण । सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० २.१६ ।
विशेष-नत्रसाल ग्राम में सा० देवा झांझरी ने प्रतिलिपि की थी ।
१२३२ प्रति नं०२। पत्र सं० १४ । साइज-:४२ इन्च । लेखनकाल X| पूर्प एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । कैप्टन नं० २२२० ।
१२३३ प्रति नं० ३ । पत्र सं० १०२ । साइन-11४४३ इन्न । लेखनकाल-म० १६५ : कात्तिक बुदी है। पूर्ण एजे शुद्ध । दशा-सामान्य । देष्टन मं० २२:१ ।
१२३४ हरिबलराजर्षिचरित्र...) पत्र सं० :१। साइज-१०४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषयचरित्र । रचनाकाल x | लेखनकाल–सं० १७८८ माघ सुदी १ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २२२४ ।
१२३५ हरिषेणचरिउ.....। पत्र सं० २-२४। साइज-६x४३ इञ्च । भाषा-अपभ्रश । विषय- 1 चरित्र । रचनाकाल X । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २२४६ । '
१२३६ प्रति नं० २। पत्र सं० १७ । साइज-११४४३ इन्च । लेखनकाल-सं० १५५१ मंगसिर बुदी - गुरुवार । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २२५० ।
विशेष-40 अचल ने प्रतिलिपि करवाई भी।
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विषय-कथा साहित्य
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ग्रन्थ संख्या--११६ १२३७ अकांकरित्र-श्री ग्लन । पत्र#. २' ! हाइ-१४७६ इञ्च । भाषा-हिन्दी | विषयअलक स्वामी का जीवन । रचनाकाल X । लेखनकाल–सं. १९६३ । पर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १।
विशेष-गोविन्दराम देहली वाले ने प्रतिलिपि की थी।
१२३८ अनंतव्रतकथा-श्रुतसागर | पत्र स० १० । साइज-१०४४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । रचनाकाल x | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १२ ।
१२३६ अष्टाह्निकाकथा-श्री नयमल । पत्र से. १४ | साइज-११४५३ इञ्च । माषा-हिन्दो | विषयया | रचनाकाल-सं० १६२१ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ५१ ।
१२४० प्रति नं० २। पत्र सं० २४ ! साइज-१२४४, इञ्च । लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध । दशाउचम । वेष्टन नं. ५२ । R १२४१ आकाशपंचमीप्रतकथा...""। पत्र सं० ६ । साइज-१.३४४३ च । भाषा-संस्कृत , विषय- रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ६१ ।
१२४२ आदित्यव्रतकथा-केशवसेन | पत्र सं० . | साइज-१२४५३ हश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा | रचनाकाल | लेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. ११३ ।
१२४३ आराधनाकथाकोष-ब्रह्मनेमिदत्त । पत्र सं. १२ | साइज-१२४४३ इश्च । माषा-संस्कृत । विषय-कथा । रचनाकाल X| लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० १२४ ।
१२४४ प्रति न०२ | पत्र सं. साइज-१०६x४ इन्च । लेखनकाल । अपूर्ण | सामान्य शुद्ध । सामान्य । वेष्टन नं. १२५ ।
१२४५ प्रति नं. ३ पत्र सं. १२६ । साइज-११४५ इज । लेखनकाल | अपूर्ण । १.-५८ तक तमा अन्तिम पत्र नहीं है। सामान्य शुद्ध । दशा-जीणं । वेष्टन नं. १२६ ।
१२४६ प्रति नं०४। पत्र सं० २० । साइज-१२४५३ इश्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं अशुद्ध । दशावीर्ष । वेष्टन नं. १२२
१२४७ प्रति नं० ५। पत्र सं० १६५ | साइज-११३४५३ हश्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । रा-सामान्य ! वेष्टन नं. २१७।
१२४८ आराधनाकथाकोश-पत्र सं० ५५ । साइज-१२४५६ इश्व । माषा-हिन्दी गय । विषय-कया । रचनाकाल ४ । लेखनकाल x / पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१६ ।
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- FARMITTER
१२४ प्रति नं । पत्र सं० १७ । साइज--१.१४.१६च : लेखन यात ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा.. सामान्य । वेष्टन नं. :२०
विशेष—पात्र केशरी बामगर, अकलंकदेव, समंतभद्र, सनत्कुमार चक्रवर्ति, मंझयमनि की कथानों का संग्रह है।
१२५० आराधनाकवाकोश'..."। पत्र स. ४० । साइज-११४४रम भाषा-हिन्दी । विषा:-कया।। रचनाकाल x | लेखनकाल ४ | अपूर्ण-समान्य शुद्ध । दशा-सामान्य : वेष्टन नं० १२ ।
१२५१ कथाकोश-हरिषेणाचार्य : पत्र सं १७ । साइज-१२४. इन्च | विषग-कथा । रचनाकाल* : ८६ लेखन काल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१६ ।
विशेष ---१५- कयाओं का संग्रह है।
१२५२ कथासंग्रह....."। पत्र सं. २२ । साइज-१?x. इन्न : भाषा-संस्कृत । विषय-संग्रह। रचनाकाल x 1 लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-मामान्य 1 वेष्टन नं० २१ -
१२५३ कलिकापंचमी कथा-श्री भद्रसेन | पत्र सं० १% | साइज-१०४४ च । भाषा--हिन्दी । विषयकथा ! रचनाकाल X । लेखनकाल–२० ११८८ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन मं० २५२ ।
विशेष-कथा श्वेताम्बर सम्प्रदाय की मान्यता के अनुसार है । प्रारम्भ के १: पत्रों तक राजा गजसिंह नरिय है।। इसको रचनाकाल-सं० १५५३ है। क्या का दूसरा नाम चंदनमलयगिरि कमा है ।
१२५४ चतुर्दशीकथा-टीकम । पत्र सं. २ ! साज-:०x४६ इन्न । माषा-हि-दो । विषय-कथा रचनाकाल-मं० १.१२ । लेखनकाल–स. १७६४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन ने० ३८५ |
विशेष-देहली में यात्रार्य विमलकीचिं ने प्रतिलिपि की थी । इसका दूसरा नाम चतुर्दशी चौपई भी है ।
१२५५ चन्द्रहंस की कथा-टीकम । पत्र सं० ४४ । साइज-७:४४ इन ) भाषा--हिन्दी। विषय-कपा। रचनाकाल-सं० १३०.5 लेखनकाल-सं० १.८६ | पूर्मा एवं सामान्य शुद्र | दशा-जीर्ग वेटन नं० ३८६ ।
विशेष-- बखतराम के पुत्र दुलीचंद चौधरी ने गाजी के थाना में प्रतिलिपि की यरे।
१२५६ चन्द्रायण्त्रतकथा ......! पत्र स८ ४ } साइज-१०:४ इश्व | माषा-संस्कृत । विषय-कथा ! रचनाकाल x | लेखन काल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं ३६६ |
१२५७ चारमिन्त्रों की कथा-अजैराज । पत्र सं० ६ : साइज-,६४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-कथा ! | रचनाकाल-सं० १७८१ । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेश्टन नं ० ४१२ ।
१२५८ जम्बूस्वामीचरित्र-पांडे जिनदास । पत्र सं० १८ । साइज- इन्न । भाषा--हिन्दी । विश्वकया । रचनाकाल-सं. १६४२ । लेखनकाल-सं० १८२७ । पूर्व एवं सामान्य शुद्ध | दशा-मामान्य । वेष्टन नं० ४६३१
१२५६ त्रिकालचौवीसी कथा-अभ्रदेव । पत्र सं० १ | साइन-११४५ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय कथा : रचनाकाल x | लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ६४२ ।
विशेष-मुनि ज्ञानभूषण ने प्रतिलिपि की थी ।
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१२६० दर्शनकथा-भारमल्ल । पत्र सं० २३ । साइज-१०३४७ इञ्च । माषा-हिन्दी । विषय-कया । काल x 1 लेखनकाल x | अपूर्ण-अन्तिम पृष्ठ नहीं है । शुद्ध । दशा-उत्तन । वेष्टन नं. ७०१ ।
१९६१ प्रति नं.२ । पत्र सं० ११ : साइज-१-x= इश्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । नन७०२ ।
१२६२ प्रति नं८३६ पत्र स २४ । साइज-१२४८ इन्च : संखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम | न नं: ०? |
१२६३ प्रति नं.४। पत्र सं० २१ । सारज-१२४६३ च । लेखनकाल-सं० १९२६ । पूर्ण एवं शुद्ध । शा-सामान्य । वेटन नं. ७३ . ।
१२६४ नंदीश्वरकथा-म० शुभचन्द्र । पत्र सं. : | साइज-१२४५६ इन्च । भाषा संस्कृत । विषयमा। रचनाकाल x लेखनकाल X ! पूर्ण एव शुद्ध । ६शा-सामान्य । श्रेष्टन नं० ८३७ ।
१२६५ नागकुमारकथा । पत्र सं० १८ । साइज-६४६, इश्व । भाषा-हिन्दी गय | विषय-कथा । नाकाल ४ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । लिपि-विकत 1 वेष्टन नं. ८७८ ।
१-६६ नागश्रीकथा-ब्रह्म ने मिद । पत्र सं० ११ । साइज-१०४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयमा ! रचनाकाल X| लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८७E |
१२६७ प्रति नं०२। पत्र सं० २-१५ । साइज-१ ०४५ इञ्च । लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन न. ८८.1
१.६८ प्रति नं. ३ । पत्र सं० : ५ । साइज-१०x४ इन्च | नये एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । रन नं० ८८11
१२६६ निर्दोषसप्तमोकथा-ब्रह्मरायमल्ल | पत्र सं० ४ । साइज-११३४४३ इन्छ । माषा-हिन्दी। विषयया । रचनाकाल x | लेखनफाल x | पूणे एवं सामान्य शुद्ध । दश!-सामान्य । श्रेष्टन नं ११ ।
१२७० निशिभोजनकथा-चारमल्ल ! पत्र सं० १२ | साइज-१२४८ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषम-कथा । रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा--सामान्य । वेष्टन नं. १३ ।
१२७१ प्रति नं०२। पत्र सं० १० । साइज-१२३४८ इञ्च । माषा-हिन्दी । विषय-कया । रचनाकाल XI सेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ६१४ ।
१२७२ नेमिकुमार की बूंदा-मुनि हेमचन्द्र । पत्र सं० | साइज-७६x४३ इश्य । भाषा-हिन्दी । विषय-कथा | रचनाकाल x 1 लेखनकाल X 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११५ |
१२७३ नेमिचंद्रिका-खुशालचंद पल्लीवाल | पत्र सं० १९ । साइज--४६३ इन्च । भाषा-हिन्दी। विषय-कथा ! रचनाकाल-सं० १८८० 1 लेखनकाल-सं० १८८३ | पूणे एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन
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२३८
[ क
विशेष - लेखक प्रशस्ति विस्तृत है । खुशालचंद के पूर्वज का देश के रहने वाले थे । मत्रलाल श्रावक
प्रतिलिपि की थी।
१२७४ निशल्याgमीकथा"
1
कथा पत्र ५ तक प्राकृत में लिखी हुई है।
काल × | लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० : ३० । विशेष- निशल्य अष्टमी कथा पत्र ३ तक तथा आगे मोक्ष १२७५ पंचपर्व कथा साइज ७४४ उ लेखनकाल - सं० १५= | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० विशेष - सांगानेर में दुलीचंद चौधरी ने प्रतिलिपि की थी ।
| पत्र [सं०
।
भाषा - हिन्दी | विषय-कया । रचनाकाल ४ |
६.६७ ।
१२७६ पल्यविधानत्रतकथा - श्री श्रुतसागर सूरि । पत्र सं=२ | साइज - १०३४४५ इन्च । भाषा सं । विषय - कथा | रचनाकाल x 1 लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं० १०५६ |
। पत्र सं० ५ | साइज - x३ हच । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । रचना
१२७७ पुण्याश्रवकथा-मुमुक्षु रामचन्द्र । पत्र सं० १५१ । माइज - १०४ च । भाषा संस्कृत । विषयकथा | रचनाकाल × I लेखनकाल - सं० २००६ मंगसिर बुदी 8 । पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ११०= |
विशेष- श्री प्राणंदजी के शिष्य पचाइण ने प्रतिलिपि की थी ।
१२७ प्रति नं० २। पत्र सं० १७५ १ साइज - ११४५
अपूर्ण प्रारम्भ के पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन नं०
विशेष-संग्रामपुर में जगराम गौदीका ने प्रतिलिपि करवायी थी ।
१२७६ प्रति नं० ३ । पत्र सं० ६ | साइज - ११३५३ इन लेखनकाल | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा
जीर्ण | वेष्टन नं० ११०६
कथा | रचनाकाल - सं० १७७७
नं० १११० ।
| लेखनकाल सं० १७८०२ कार्तिक मुदी १६ ११०७ ।
१२८० पुरयाश्रवकथाकोश- दौलतरामजी पत्र सं० २२२ नाइज लेखनकाल-सं० १८०५ चैत्र बुदी ६
-८३७२ च पूर्ण एवं शुद्ध ।
। भाषा - हिन्दी | विषय
दशा - सामान्य | त्रैष्टन
विशेष-जम् तपुरा में प्रतिलिपि को गयी थी ।
१२= १ प्रति नं० २ | पत्र [सं० २०० | साइज - १३३५ इल्म | लेखनकाल - सं० १८३५ | अपूर्ण पत्र प्रतियों का संग्रह है । सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १९९१ |
विशेष - १ - २६, ५१-१००, १०१-१८०, ४२-५८ तथा ४१ से २०० तक प्रत्येक प्रति के पत्र हैं। १२=२ प्रति नं० ३ | पत्र सं० १७६ | साइज - १२३४६ इन्च । लेखनकाल - सं० १८८४ । पूर्ण-शीन प्रतियों का मिश्रण है। शुद्ध दशा सामान्य | वेष्टन नं ० १११२ ।
१२३ प्रति नं ४ | पत्र सं० ३२६ | साइज - १२९४३ इञ्च | लेखनकाल - ० १७७६ मंगसिर सुदी ६ सोमवार | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीयं । वेष्टन नं० १११३ ।
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+
कथा ]
विशेष - सांगानेर में प्रतिलिपि की गयी थी |
१२८४ प्रति नं० ५ पत्र सं० २०५ | साइज ११३४४ । लेखनास सं० १७०४ पूर्ण एवं शुद्ध दशमा वेष्टन नं ११५२
१९८५ प्रति नं० ६ | पत्र सं० २६४ | साइज - १२९६ इन्च | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध दशप्रति फोन है। न नं० १२१२ ।
१२८६ प्रति नं ७ पत्र
लेखनकाल अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य | वेष्टन नं०] १९१६ | १२८७ प्रति नं०८ पत्र सं० २५७ साइज १२६६ के पत्र नहीं है। शुद्ध दशा समय वेष्टन नं. १०१७ ।
१२ प्रति नं०
श्री वेटन नं० १११८ |
J
सामान्य । वेष्टन नं ० ११३८ ।
५४१२४२ इस भाषा हिन्दी विषय-कया। रx
। लेखनकाल x १३ से ५०
१२८६ प्रति नं० १० ० १२६-१२०-१०० लेखनकाल x अपूर्ण दशा
पिय-कथा रचनाकाल
पत्र ० १५९ साद-१२६ खनाल x अपूर्ण एवं शुद्ध इशः
१२६० प्रति नं० ११ पत्र १२०-१२० तुक साइज १२४६ लेखनकाल x अपूर्व शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १११६
१२६१ पंचबंध मयचन्द्र हि पत्र सं० २४६ साइज १०४ ६ १४६० माघ सुदी १४ लेखनका
२३६
१२६२ भरटक द्वात्रिंशिका
|
पत्र सं० ११ | साइज - १०x४ इञ्च । भाषा संस्कृत । विषय- च्या । दशा सामान्य वेष्टन ०१२३१४
रचनाकाल × । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
विशेष- ३२ कमाओं का संग्रह है। १२६३ भीमबलीकथा
रचनाकाल × । लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । त्रैष्टन नं
भाषत । १६६४ अपूर्ण दशा जीवेष्टननं० १२४०
| पत्र सं० ११६ | साइज - ६३४७ ६ | भाषा - हिन्दी | विषयमा ।
११५६ |
१२६५ मुक्तावली विधानकथा
कथा रखनाफात x | लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध
१२६४ मधुपिंगल मुनि की कथा । पत्र सं० १२ साइज इन्य भाषा-हिन्दी विषय"" । - EX७३ । | कथा | रचनाकाल x | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १३७४ |
।
पत्र सं० ५ १ साइज - १०३४४ इन्च | भाषा - प्राकृत । दशा सामान्य वेष्टन नं १२ १२६६ मेघमालात्रतोपाख्यान - श्रुतसागर । पत्र सं ०
कथा | रचना | लेखनकाल सं० १७६३ | पूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन नं १४१० ॥
विषय
३ | साइज - १२०२३ इन्च भाषा-संस्कृत । विषय
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१२६७ माक्षसप्तमीकथा-गुणभद्र । पत्र सं० ५ । साइज-४ इन | भाषा--प्राकृत ! विषय-कया। रचनाकाल X । लेखनकाल X | पुन एवं शुद्ध । दशा-सामाय । वेप्टन नं १३७१ ।
१२१८ मृगापुध कथा....."| पत्र सं० १ः । साइज-१०x४३ इञ्च । भाषा-अपभ्रंश : विषय- कया । रचनाकाल X | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शद्ध । वेष्टन नं० १४२६ ।
विशेष-हिन्दी अर्थ मी
१२६ रात्रिभोजनकथा- भ. मल्लिभूषण । पत्र में २७ । साइज--x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयकथा ! रचनाकाल X । लेखन काल-६० १६७८ - पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेश्टन नं० १५३ = !
विशेष-५० सावलदास ने वाहटा ग्राम में अन्य की प्रति लपि करवाई थी।
१३०० रूपसेन मुजाण दे चरित्र-भीम । पत्र सं० २० | साइज-: : : भाषा--हिन्दी । विषय-कया। रचनाकाल ४ । लेखनकाल-स। १७ श्रासोज खुदी । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन न. १५४० ।
१३०१ रदत्रत कथा-गगिण देवेन्द्रनीति पत्र सं.। साइज-१०४४ इञ्च | भाषा-सस्कृत : विषय-कया । रचनाकाल X । लेखन काल-१.८०२ | पृ वं शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेश्टन नं० १५४६ ॥
१३०२ रोहिणोविधानकथा-मुनि देवनंदि । पत्र सं० १३ । साइज-१४ इञ्च | माषा-अपनश । विषय-कथा । रचनाकाल ४ ! लेखनकाल X 1 'पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६४२ |
१३०३ रोहिणोव्रतकथा-या भानकीर्ति पत्र मं । साइज-८३४ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषयकथा । रमनाकाल X । लेखन काल x पूर्ण बिं शुद्ध दशा--सामान्य । वैश्टन नं, १५ । ।
विशेष-सिकंदरसर निवासी पं० डालू विलाला के पुत्र गेलू ने इसको मेंट में दिया था।
१३०४ लधुजातक....."| पत्र सं. १ । साइज-१५:४५: इच। भाषा-संस्कृत ! विषय-कथा । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ ! पूर्ण एटा सामान्य शुद्ध ! दशा-दशा-सामान्य । वेटन नं. १५६२ ।
१३०५ प्रति नं.२ । पत्र सं. २-१ | साइज-६x४ इञ्च । लेखनकाल ४ । अपूर्य एवं सामान्य शुद्ध। दशा-सामान्य वेष्टन नं० १५६३ ।
१३०६ लब्धिविधान कथा.....! पत्र सं० १० । साइज-११४४३ इञ्च | भाषा-संस्कृत | विषय-कथा । रचनाकाल ४ । लेखन काल X । पुरी एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १५१७ ।
१३०६ प्रति नं.२ । पत्र सं.-१७ | साइज-१०x४३ इन्न । भाषा-संस्कृत । विषय-कया । रचनाकाल ४ | लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामा-य । वेष्टन.नं. १५६७ ।
१३०८ लधिविधान कथा-पं. अभ्रदेव । पत्र सं० १२ | साइज-११४४ इञ्च । माषा-संस्कृत | विषयकथा । रचनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १५६८ }
१३०६ प्रति नं०२। पत्र सं० १० । साइज-११३४४३ इञ्च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।। दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. १५६८ ।
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१३१० वैराग्यकल्प......."पत्र सं. २-१३५ । साइज-१०४४ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-कया । काल x 1 लेखनकाल - | अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६८० (ग)।
विशेष प्रति प्राचीन है।
१३११ शत्रुजयोद्धार-पं० भानुमेरू । पत्र से, १४ | साइज-१४५ इन्च । माषा-हिन्दी । विषय--कमा । सदाकाल X । लेखन काल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० १६८३ |
१३१२ शिखरमहात्म्य-मनसुख । पत्र सं० १.३ | साइज-१५४६ च । माषा-हिन्दी । विषय-कथा । नाकाल-सं. १८४५ । लेखनकाल-सं० १८५८ ! पूर्ण र माग-य गद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७०८ ।
१३१३ शीलकथा-भारमल्ल । पत्र सं० २१ | साइज-१२४८ इञ्च । भाषा-हिन्दी | विषय-कया। रचनाग्रल ४ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १७१६ ।
१३१४ श्रीपालकथा.......) पत्र सं० २६ । साहज-kxiइन । भाषा-हिन्दी | विषय-कथा । रचना1'पल x | लेखनकाल-सं० १८२७ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं. १७३५ ।
१३१५ सप्तपरमस्थानक कथा-श्रुतसागर | पत्र सं. ५ | साइज-१२४५३ इन्च | रचनाकाल x। लेखनल x पूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १८३४ ।
१३१६ सप्तव्यसनकथा.....। पत्र सं० १८ । साइज-१०४४३ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । रचनाकाल X । लेखनकाल । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १८३५ ।
१३१७ सप्तव्यसन कथा-प्राचार्य सोमकीर्ति । पत्र सं०७४ । साइज-२४४५ इश्व | माषा-संस्कृप्त । विषयध्या । रमनाकाल | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण | वेष्टन नं. १८३६ ।
१३१८ प्रति नं०२। पत्र सं. ११३ । साइज-०५४५ इञ्च । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशावीर्य । वेष्टन नं० १८३७ ।
१३१६ सद्वछसा लिंगा की वार्ता...। पत्र सं० १७० | साइज-Exk इञ्च । माषा-हिन्दी । विषयया | रचनाकाल X | खेखनकाल–सं. १८३० । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८२१ ।
......पत्र सं० १२७ | साइज--8x3 इच । भाषा-संस्कृत विषयया | रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १४६० । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । लिपि-विकृत | वेष्टन नं. १६३३
विशेष-राजा वीरम्मदेव के शासनकाल में गोपापल दुर्ग में मुनि धर्मचन्द्र के पटने के लिये प्रतिलिपि की गयी यो ।
१३२१ सम्यक्त्वकौमुदी....'| पत्र सं० २१ । साइज-१०x४३ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय-कपा । स्वनाकाल X । लेखनकाल X| अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६३४ ।
१३२२ प्रति नं०२ । पत्र सं० १४२ ॥ साइज-११४५ इञ्च | लेखनकाल x) पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-जीर्ण । वेष्टन नं. १६१४ ।
१३२३ सम्यक्त्वकौमुदी"....! पत्र सं० ४७ । साइज-१०४४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा.
7.
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२४२
रचनाकाल × | लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- जीर्ण | वेष्टन्द नं० १६३५ ।
१३२४ सम्यक्त्वकौमुदी - गुणसूत्र सं० ४१ | साइज - १०४ | भाषा संस्कृत विषयमा रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १६६७ माघ शुक्ला | श्रपू- प्रथम पत्र नहीं हैं। सामान्य शुद्ध दशा- जीर्यं । वे नं. १६३६ ।
विशेष- पं० श्रीचन्द ने प्रतिलिपि की थी ।
१३२५ सम्यक्त्वकौमुदी
रचनाकाल X। लेखनकाल x | धनुर्गा
दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १३३८ |
| पत्र [सं० ६४ | साइज - १२३४५ इत्र | भाषा-संस्कृत | विषय | सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १६३७
१३२३ प्रति नं० २ । यत्र ० ४१ | साइज ११० च । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्धा
१३२७ सम्यक्त्वकौमुदी"
" पत्र सं० १३० | साइज - १०३x४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | त्रिश कथा | रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १७६२ वैशाख सुदी शनिवार पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ११३३ विशेष इन्द्रगढ़ में मुनि मेघत्रिमल ने पंडित नगजी के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी ।
[
१३२८ प्रति नं २ | पत्र [सं० ६ | साइज - १९३४५ इन्च । लेखनकाल - सं० १९६७ वैशाख मुडी १५ पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं १६५०
विशेष - १० १७६ में विजयपुर में मुदरदास और उसकी माने० ऋषभदास को यह प्रति भेंट की थी। १३२६ प्रति नं० ३ | पत्र सं० २५ | साइज - १०३ इञ्च | लेखनकाल ० १७५० मंगसिर बुदी १३ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टननं ६४१ ॥
१३३० प्रति नं ४ | पत्र सं० २०३ | साइज - १२५ ३ प्रारम्भ के ५० पत्र नहीं हैं। सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य | वेष्टन नं १६४२ |
च | रचनाकाल X | लेखनकाल X | अपूर्ण
१३३१ सम्यक्त्वकौमुदीकथा"
| ०४६ | साइज - १०४ इञ्च | मात्रा - संस्कृत | विषय -कया। रचनाकाल × । लेखनकाल X | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६४३।
१३३२ प्रति नं २ | पत्र सं०४६ साइज - १०३४५ इञ्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । न नं० १६४४ |
१३३३ प्रति नं ३ | पत्र सं० २० | साइज - ११x१ इञ्च । लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १६४५ |
१३३४ प्रति नं ४ | पत्र सं० ५२ | साइज - १०x४ ३ | अपूर्ण । सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १६४५
१३३५ सम्यक्त्वकौमुदी - जोधराज गोदका । पत्र [सं० कथा | रचनाकाल-सं० १५२४ | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध
= | साइज - ११४५ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषयदशा सामान्य | वेष्टन नं० १६४६ ।
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२४३
१३३६ प्रति २०२। पर सं० २२ । साइज-१२१x६ इन लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तन 1 कंगन नं. १६४७
१३३७ प्रति नं० ३ । पत्र सं० ६६ । साइज-११४५३ इञ्च । लेखनकाल-सं० १७४६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जोगे । वेष्टन नं० १६.४८ !
विशेय-दासा (जयपुर ) में साह श्री भावसिंह ने प्रतिलिपि करवायी थी ।
१३३८ प्रति नं० ४। पर सं० ७२ । साइज-X०६४ । लेखनकाल- १८३२ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेटन नं. १६४६
१३३६ सम्यक्त्वकौमुदी-लालचंद विनोदोलाल | पत्र सं० १९६ | साइज-११४५ श्च । माषा-हिन्दी । विषय-कथा । रचनाकाल-सं. १८७६ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १९५० ।
१३४० प्रति नं०२। पत्र सं. ११० । साइज-२०१४५ इञ्च । लेखनकाल x | अपूर्ण-आगे के पत्र नहीं है। सामान्य शुद्र । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६५१ ।
१३४१ प्रति नं०५। पत्र सं० ५० | साइज-३४८ इञ्च । लेखनकाल ४। पूर्ण एवं शुद्ध । दशाउत्तम | वेष्टन नं. २१६६ ।
१३४२ सिंहासनबत्तीसी".""| पत्र सं. ३० । साइज-१०x४ इत्र | साषा-हिन्दी | विषय-कथा ! रचनाकाल x | लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २०६२ ।
विशेष-यागे के पत्र नहीं हैं।
१३४३ सोलहकारणकथा.....! पत्र सं० ४ | साइज-११६४४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । रचनाकाल x | लेखनकाल x } पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१५३ ।
१३४४ हनुमतकथा-ब्रह्मरायमल्ल | पत्र सं० ५६ | साइज-१२४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-चरित्र । नाकाल--सं० १६८१ । लेखनकाल–सं १७२५ । पूर्ण एवं अशुद्धं । दशा-सामान्य । बेष्टन नं० २२१६ ।
१३४५ प्रति नं.२। पत्र सं०५३ | साइज -११४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-चरित्र | रचनाकाल०१:५७ । लेखनकाल-स० १२५ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन ने० २२१ ।
१३४६ प्रति नं०३1 पत्र सं० ३. | साइज-१२४७ इन्च | लेखनकाल-सं0 411 पूर्ण एवं शुद्ध | देशा-उत्तम । वेष्टन नं२२१८ ।
१३४७ होलिकाचरित्र.....'। पत्र सं० ४ 1 साइज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत 1 विषय-कथा । रचनाकाल x 1 लेखनकाल-सं. १७६६ । पूर्ण एवं अशुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २०५२।
१३४८ होलिरेणुका चरित्र-पं० मिनदास | पत्र सं० ६३ । साइज-:४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कथा । रचनाकाल ४ । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २२५४ ।
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[ काव्य
१३४६ प्रति नं०२। पत्र सं० ३५ । साइज-१३३४५३ च । लेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य राद्ध । दशा-सानान्य । वेष्टन नं० २२५५ !
१३५० प्रति ०३ । पत्र सं० २५ । साइज-११४५ च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शद्ध । का सामना न १६१६ ।
१३४१ प्रति नं०४। पत्र स. ६१ । साइज-;.x५ इम | लेखनकाल–सं० १६१, कात्तिक बुदी १२॥ पूर्णए शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं. २२५७ ।
चिशेष-नक्षकार में प्रतिलिपि हुई थी।
१३५२ प्रति नं०५ | पत्र सं० ५८ । साइज-६३४४३ इन्च । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २२५३ ।
विशेष- अन्तिम पत्र नहीं है।
विषय-काव्य
ग्रन्थ संख्या-५२० १३५३ काव्यकल्पलता-अमरचन्द्रसूरि । पत्र सं० २१४ | साइज--१०४४ इम्ब । माषा-संस्कृत | विषयकाव्य : रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १७३३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीणं । वेष्टन नं० २५६ ।
विशेष-चंपावती में प्रतिलिपि की गयो यो । प्रति संस्कृत टीका सहित है।
१३५४ किरातार्जुनीय-महाकवि मारवि । पत्र सं० ७२ । साइज-१०x४९ इञ्च | माषा-संस्कृत । विषयकाव्य । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० २६८ ।
विशेष—प्रति संस्कृत टीका सहित है । दोकाकार श्री विनय सुन्दर हैं।
१३५५ प्रति नं० २ । पत्र सं० १६५ । साइज--:४६ इन्च । लेखनकाल–सं. १८४५ । पूर्ण एवं शुद्ध। । दशा-सामान्य । वेटन में० २६६ ।
विशेष-प्रति संस्कृत रीका सहित है । येकाकार श्री एकनाथ भट्ट हैं।
१३५६ प्रति नं०३। पत्र सं०३७ | साइज-१२४५३ इन्च । अपूर्ण-नवम सर्ग तक । सामान्य शुद्ध।।। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २७०।
१३५८ कुमारसम्भव-महाकवि कालिदास । पत्र सं० ३४ । साइज-११६x४५ च । भाषा-संस्कृत | विषय काव्य । रचनाकाल ४ | लेखनकाल-सं० १९६४ भादवा जुदी १४ । पूर्ण-सप्तम सर्ग तक । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य। बेटन नं० २८०
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काव्य ]
विशेष - नारायणा नगर में व्यास जड ने प्रतिलिपि की थी ।
१३५ प्रति नं० २ |
पत्र
सात सर्ग तक । शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २८१ ।
विशेष- बूंदी में प्रतिलिपि की गयी थी ।
०५६ | साइज १०३४४३ इन्च | लेखनकाल - सं० १०२१ फाल्गुण सुदी ११
१३५६ गीतगोविन्द - महाकवि जयदेव | पत्र सं० = | साइज - X६ इन्च | भाषा-संस्कृत विषय - काव्य | रचनाकाल × । लेखनकाल × । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ३१४ । विशेष व पत्र पर तंतरत्यच गुज्जरी राग के दो गांत हैं |
१३६० गोवर्द्धन सप्तसती टीका टीकाकार-आचार्य त्रिलोचन पत्र सं ८४ साइज - ११३२ इच । विषय-काव्य | रचनाकाल X | लेखनकाल - सं० १८३६ पौष सुदी २ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - उत्तम | वेष्टन नं० ३४३ । १३६१ घटकर काव्य-वटकर पत्र सं० ३ | साइज - १२x६ इन्च भाषा संस्कृत विषय-काव्य | दशा- सामान्य । वेष्टन नं ० ३३१॥ ०३ | साइज - १०३४३ इञ्च । लेखनकाल - सं० १८४३ फागुण बुद्दी ७ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा-उत्तम | वेष्टन नं ० ३६१ ।
रचनाकाल x | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध
१३६२ प्रति नं २ | पत्र
१३६३ चन्द्रप्रभचरित्र-वीरनंदि । पत्र सं० २८ साइज - ११५ इष्च | भाषा-संस्कृत | विषय - काव्य | धनाकाल x | लेखनकाल X। पूर्ण - तृतीय सर्ग तक । सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ३०० |
·
१३३४ प्रति नं० २ । पत्र सं० २५६ | साइज - ११३५ इत्र | बेखनकाले । श्रपूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य | हेष्टन नं० ३८ ।
विशेष - प्रति सटीक है। टोका संस्कृत में हैं ।
६४५
१३६५ प्रति नं० ३ | पत्र ०८१ साइज - ११९४ इञ्च । लेखनकाल सं० १८८३ श्राषाढ बुदी १० हस्पतिवार पूर्ण एवं शुद्ध । दशा उत्तम वेष्टन नं ३८२
विशेष - महात्मा राधाकृष्ण ने जयपुर में प्रतिलिपि की मी ।
सामन्य । वेष्टन नं ० ३११ ।
१३६६ प्रति नं ४ | पत्र ०८५ | साइज - १४४३ हम । लेखनकाल x । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ३६०
विशेष – प्रथम सर्ग ही है ।
१३६७ प्रति नं ५ | पत्र = | साइज - १०५३ हञ्च । लेखनकाल x | श्रपूर्ण एवं शुद्ध । दशा
१९३६ प्रति नं ६ | पत्र सं० २०४७ | साइज - १३५५३ इन्च | लेखनकाल x । श्रपूर्ण एवं शुद्ध । शा- सामान्य । वेष्टन नं० ३६२ ।
१३६६ प्रति नं० ७ | पत्र सं० ५० १ साइज - १०३८५ इन्च | लेखनकाल x | पूर्ण-तोसरे
सर्ग तक |
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सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य वैन नं. : ।
१३७० प्रति नं. ८ | पत्र सं० १११ । साइज-१०१४५ ३श्च । लेखनकाल X । अपुगई एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान | वेटन नं. ३:४ ।
१३७१ प्रति नं । पत्र सं० ५७ । साइज-१०x१ इञ्च | लेखनकाल । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० ३६ ।
१३७२ प्रति नं-१०। पत्र सं० ८ | साइज-10:४५ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-उसम वेटन नं. ६ ।
विशेष-प्रथम सर्ग ही है।
१३७३ चन्द्रप्रभचरित्र-श्री रशः कीर्ति । पत्र सं० ८२ । साइज-११४५ इत्र । माषा-अपभ्रश । विषयकाव्य ! रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० ३६७ ।
१३७४, चन्द्रप्रभकाव्य भाषा.......! पत्र सं० ११ 1 साज--x६ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विषकाव्य : रचनाकाल x | लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३६८ ।
विशेष- केवल द्वितीय सर्ग के ६ : पद्य की ही भाषा है। राजा पद्मनाय ने श्रीधर मुनि के पास तत्त्र का रूप कहा उराका वर्णन है।।
१३७५ जम्बूस्वामिचरित्र-महाकवि श्रीवीर । पत्र सं० १०६ । साइज-३४४इन ! माषा-अपभ्रश।। विषय-काव्य । (चनाकाल-सं० १०७६ । लेखनकाल–सं० १५४१ असोज बुदी । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशासामान्य जीर्ण । वेटन नं ० ४५६ ।
___ विशेष-खण्डेलवालान्त्रय पाटणी गोय संघही धनराज भार्या कोडी तथा उसके पुत्रों ने विशालकात्ति मनि के लिये प्रतिलिपि करवायो यो।
१३७६ प्रति नं. २ | पत्र सं० १८ । साइज-११४५ इन्च | लेखनकाल x। अपूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य । वेष्टन नं. ४६० ।
विशेष-- ५१ पत्र के प्रागे फिर १ से बन संख्या लगी हुई है।
१३.७७ जम्बूस्वामिचरित्र टिप्पण......"। पत्र मं० २१ । साइज-११४५ इन्च । भाषा-अपनश संस्कृत । विषय-चरित्र । रचनाकाल x 1 देखनकाल–सं० १५६५ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ४६।।
___ विशेष-वीर कवि कृत जम्यूस्वामिचरिय का टिप्पण है । प्रशस्ति अपूर्ण हैं । खंडेलवालान्बय टोंग्या गोत्र वाले उन ने प्रतिलिपि करवायी थी।
१३७८ विभुवनदीपक प्रबन्ध-जयशस्वर सूरि । पत्र सं० २० । साइज-१०x४३ इछन । माषा-संस्कृत। विषय-काव्य । रचनाकाल x | लेखन काल-सं० १५५ 7 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ६२८ ! .
विशेष ---भट्टारक सोमकांति के शिष्य व गुणराज के लिये सूर्यपुर में प्रतिलिपि की भी ।
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काव्य ]
१३७६ द्विसंधानकाव्य - महाकवि धनंजय | पत्र ०६६ | साइज - १०३८ इव । भाषा-संस्कृत | विषय-काव्य | रचनाकाल x 1 लेखनकाल - सं० १८४७ पाद सुदी ६ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ४४७ | विशेष—प्रति सटीक है। टीकाकर नेमिचंद्र है ।
१३०० प्रति नं २ | पत्र ०२५० - ११४४ इञ्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा- सामान्य | वेष्टन नं० ७०५ |
१३८१ प्रति नं ३ | पत्र
दशा - सामान्य । तीन प्रतियों का मिश्रण है। वेष्टन नं०७४ |
विशेष—प्रति सटीक है। टीकाकार नेमिचन्द्र हैं ।
१३८२ प्रति नं ४ |
उत्तम / वेष्टन नं० ७५०
०४ साइज - १९२४३ इञ् । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य युद्ध ।
२४७
पत्र सं२२३ | साइज - ११२ इच | लेखनकाल - १८१६ चैत्र बुदी । पूर्ण
शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं ० ७४६
विशेष- श्री नेमिचन्द की टीका भी है। ब्राह्मण नागादास ने तेरहपमियों के मंदिर में प्रतिलिपि की माँ। ६ |साइज - ११x४३ इव । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध दशा
१३८३ प्रति नं ५ |
विशेष – प्रति संस्कृत टीका सहित हैं।
१३४ प्रति नं ६ | पत्र
पूर्ण ६१-५६ तक पत्र हैं। दशा - सामान्य ।
| साइज - ११३४४ ३ १ | लेखनकाल - सं० २००४ माघ सुदी ११ | ष्टन नं० ७५१ ।
१३८५ प्रति नं ७ | पत्र सं
के पत्र है। सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वैश्न नं० ७५१ ।
विशेष—प्रीत सटीक हैं। टीकाकर नेमीचन्द्र हैं।
१६३ । साइझ - ११x४३ इञ्च । लेखनकाल X | अपूर्ण - २१ से १६३ त
१३=६ प्रति नं० पत्र सं० ३-३४ | साइज - ११४६ ३ इत्र | लेखनकाल ४ । श्रपूर्ण एवं शुद्ध । दशा
/ सामान्य । वेष्टन नं० ७५२ ।
१३८७ धर्मशर्माभ्युदय - महाका हरिचन्द्र । पत्र सं० १२२ । साइज - ११४५३ इन्च । भाषा–संस्कृत । विषय-काव्य | रचनाकाल x | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध | दशा उत्तम | वेष्टन नं ०
१७ ।
१३८८ नागकुमार चरित्र - महात्रिपुष्पदंत | पत्र सं० ७१ | साइज - ११३४४९ विषय-काव्य | रचनाकाल । लेखनकाल - सं० १६०३ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा- सामान्य | वेष्टन नं० ८६५ । विशेष – राजाधिराज श्री रामचन्द्रराज्ये तक्षकपुरवास्तव्यं खण्डेलवालान्वये बाकलीवाल गोत्रे सा. वाल्हा
मध्ये सः नेता भागी लाउमदे तथा इदं शास्त्रं लिखापितं धर्म्मचन्द्राय दत्त | तक्षकपुर ।
| भाषा - पत्र श ।
एतेषा
१३८६ प्रति नं० २। पत्र सं० ४३ | साइज - ११x४३ इल । लेखनकाल - सं० १५५८ । पूर्ण एवं शुद्ध । देशा- सामान्य 1 टन नं०६६ ।
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वि--संक्षिप्त प्रशान्ति निन्न
संतद ?:५८ वर्षे श्रावण मुदी १२ भौमे श्री गोपाचलगट दु, टोमवंशे अश्वपति गजपतिनरपति प्रयाधिक महाराजाधिराज श्रीमानसिंह देवाः तद्राव्यपवर्तमाने मट्टाररजी चन्द्राम्नाय जैसवालान्यये साधु सा. चाह माफ करमा............ एतेषां मध्ये श्रोमा इदं नागकुमारं लिखापिनं ।
१३६ प्रति नं. ३ ! पत्र सं० . ! साइज-- च । लेखनकाल-म, १५५४ भादवा मुदी ।। पूर्ण शुद्ध । दरा-सामान्य । वेष्टन नं ८६ ।
विशेष-वाहतपुर में प्रतिलिपि की गयी थी।
१३६१ प्रति नं.४ । पत्र सं०५५ । साइज- x.:च । लेखनकान-नां० १.१६ श्येष्ठ बुदी २२ । नुहम्पतिवार । पूर्व सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८६८ |
विशेष-ति लिपि मुझ में हुई थी । वहाँ श्रादीश्वर का न्यालय मा । लं वेचू वंश में उत्पन्न चौधरी भीखम ने प्रतिलिपि करवायां ।।
१३९२ नलोदय काव्य-महाकवि कालिदास । पत्र सं. २ | साइज-१:४४ इञ्च | भाषा-संस्कत ! विषय-काव्य । स्वनना X । लेखनकाल-सं० १८४४ शास्त्र वदी 2 । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य : वेष्टन नं ० ८५२।।
विशेष- प्रति सटीक है।
५३६३ प्रति नं०२। पत्र सं० १.७ । साइज--x इन्च । लेखन काल-गं. १७५५ । पूर्गा-प्रथम पत्र । नहों है । शुद्ध । दशा-मामान्य । वेटन नं० ८५ |
विशेष-:समें कर्ता का नाम रविदेव दिया हुआ है।
१३६४ मिनिर्यारण-श्री बाम । पत्र सं० । साइज-११x६ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य । रचनाकाल X । लेखनाल- १८७५ । पूर्ण एव शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन ने २५ |
विशेष--मांगर निवासी विजैराम पारीक में प्रतिलिपि की थी।
१३६५ नैषधचरित्र-कविराज-हर्ता । पत्र सं० ११५ । साइज-१२:४५ च । भाषा-संस्कृत । विषयकाव्य । रचनाकाल X । लेखन काल X । अपूर्ण । सामान्य शुद्ध । दशा- मामान्च । वेष्टन नं. १२६ ।
विशेष-काव्य सटीक है । नारायणी टीका है।
१३६६ प्रति नं०२। पत्र सं० १४१ साइज-१२३४४ इन्च । लेखनकाल ४ | पूर्व खण्ड पूर्ण शुद्ध ।। दशा-सामान्य । प्रति प्राचीन है । वेष्टन नं. ६२७
विशेष—प्रति सटीक है । टीकाकार-चारित्र बर्द्धन हैं । टीका का नाम चारित्र बर्द्धनी है।
१३६७ प्रति नं०३। पत्र सं० ४५: । साज-१२४५ इञ्च ! लेखनकाल x ! अपूर्ण-१२ सर्ग के ५१३ पथ तक । शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं. ६२८ |
विशेष---प्रति सटीक है । जिनराज मूरि टीकाकार है।
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२
ᄏ
भाषा
१३६८ पउमचरिय - महाकवि स्वयंभु त्रिभुवनस्वयंभू पत्र सं० ४६३ । साइज - १२४५६ इन्च | २४ विषय-महाकाव्य रचनाकाल x | लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं ० ६४१ | १३६६ पउमचरिय टिप्पण" | पत्र सं० ५६ । साइज - ११४४ च । भाषा-संस्कृत | विषय - काव्य | र X। लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - जीर्ण 1 वेप्टन नं'० १४२ | विशेष – स्वयंभु कृत पउमचरिय पर टिप्पण है ।
१४०० पार्श्वनाथपुराण - मुधरदासजी | पत्र सं० ६३ ० १७८६ । लेखनकाल - सं० १८३६ । पूर्ण एवं शुद्ध
विशेष - महात्मा कौजूराम ने जोबनपुर में प्रतिलिपि की थी ।
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| साइज - १२५३ इञ्च | भाषा - हिन्दी | विषय-काञ्च । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १०५० ।
२४०० प्रति नं २ पत्र सं० ६६ | साइज - ११४७ इन्च | लेखनकाल । अपूर्ण धागे के पत्र नहीं है ।
शुद्ध दशा सामान्य । वेष्टन नं १०८१ ।
१४०२ प्रति नं० ३ | पत्र सं० २७ | साइज - १०३४४ इञ्च । लेखनकाल - सं० १८३३ | अपूर्ण - पाँच पूर्ण कामिश्रण है। शुद्ध दशा - सामान्य | श्रेष्टन नं० १०८२ ।
१४०३ प्रति नं० ४ | पत्र [सं० १०५ | साइज - १०x६ इन्च | लेखनकाल x | पूर्ण पुत्रे सामान्य शुद्ध । सामान्य । वेष्टन नं० १०८३ |
१४०४ प्रति नं० ५ | पत्र ० =६ | साइज - ११६५३ ह । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । - सामान्य । वेटन नं० २०७४ |
१४०५ प्रति नं० ६ | पत्र सं० ११६ | साइज - १६६४६६ इच। लेखनकाल - सं० १०६ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं० २०८५ |
विशेष – संगही भूयाराम ने लिखवाया तथा श्री सिमनराम बाकलीवाल ने लिखा था ।
I
१४८६ प्रति नं ७ | पत्र सं० ३६ साइज - १४६७ इन्च | लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध दशाकेप्टन नं० २०८६ |
१४०७ प्रति नं० पत्र सं० ५७ | साइज - १४३७ इव । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | सामान्य । वेष्टन नं० १०७ ।
१४० प्रति नं ६ | पत्र सं० ७६ | साइज - ११३५ इन | लेखनकाल सं० १८४४ | पूर्ण एवं शुद्ध सामान्य वेष्टन नं० १०
विशेष – जयपुर में दयाराम ने प्रतिलिपि की थी।
विशेष—दो प्रतियों का मिश्रण है ।
१४०६ प्रति नं० २० | पत्र सं० ११४ | साइज - १०१०३ इव । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध ।
सामान्य वेष्टन नं १०६० ।
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[ कान १४१० प्रति नं० ११ । पत्र सं० १० । माइज-१.xs | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शक्षा दशा सामान्य । टन नं. १०११ ।
विष-दो प्रतियों का सम्मिश्रण है। प्रथम :: पत्र एक प्रति के हैं तथा फिर १५ से अन्य प्रति के पत्र है।
११११ प्रति २०१२ | पत्र सं० ७ । साइज-१३४६१ । लेखनकाल-सं० १४ । पूर्ण सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १०६२ |
___ विशेष-दो प्रतियों का सम्मिश्रण है। प्रथम शनि के ४० तथा दसती प्रति के ४० से आगे के पत्र है।
१४१२ प्रति नं०१३। पत्र सं० ११४ । साज-११:४५ इञ्च । लेखनकाल-सं. १८६४ । पूर्व ए ! शुद्ध | दशा-उत्तम । वेपन नं. १०१।
विशेष-जयपुर में सन्नालाल छाबजा ने प्रतिलिपि की घी ।
१४१३ प्रति नं०१४। पत्र सं० ११७ ! साइज-१०३४५ | लेखनकाल-सं। १६ । पूर्ण एवं शद्ध । दशा-इत्तम । बेटन नं० १.६४ ।
विशेष - नवनन्दराम विन्दका ने प्रतिलिपि को भी ।
१५१४ प्रति नं० १५ । पत्र सं० । साइज- ३४६ च । खिन काल-सं. १८३३ | पूर्ण एवं शुद्ध। दशा-सासाश्य । वेष्टन नं० १०६५ .
विशेष-जीवराज पांच्या दामणोली वाले ने जयपुर में प्रतिलिपि का यो ।
१४१५ प्रति नं० १६ । पत्र सं० २. | साइज-१०४४३.इन । लेखनकाल-सं. १८६ | पूर्ण एवं शुद। दशा-सामान्य । वेटन नं. 10३६ (क)
२११६ प्रति १७१ पत्र१५ माइज-११४५ इन लेखनकाल-०१-६६ । पूर्ण एवं शुद्ध। दशा-मामान्य । वेष्टन नं0 1 |
विशेष प्रकार की पतियों का सम्मिश्रण है ।
१४१७ प्रति नं० १८ । पत्र सं०६६-० | साइज-१०५४७ इन्न । लेखनकाल-सं० - १९४५ कात्तिक । बुदी ६ शुक्रवार । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १०५६ ।
१४१८ प्रति नं०१६ । पत्र सं० १-७ । साइज-११.४१४३ । लेखनकाल-०-११ । अपूर्ण एवं | शुद्ध शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १०६ ।
विशेष-यावक बुशालचंद साह ने प्रतिलिपि करवायी थी ।
१४१६ प्रति नं०२०। पत्र सं० -2 | साइजxi: इश्च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं शुद्ध । सामा दशा-सामान्य । वेटन नं. १०१८ |
१४२० प्रति नं०२१ । पत्र सं०८४ । साइज - १२४१६ इन्च । लेखन काल-रा० १८५६ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । बेटन नं. १३१ ।
म
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२५१
।
१५२१ प्रबोधन्द्रिका-वैजलभूपति । पत्र सं० २६ । साइज-१.४५, इञ्च । मामा-संस्कृत । विश्यया रचनाकाल X ! लेखनकाल X ! पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टग नं. ११६० ।
१४२२ मावशतक-नागराज | पत्र सं० १२ । साइज-१०४५ छ । भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य । रचनाx} लेखन काल । १र्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं ० १:४१ ३
१४२३ भामिनी बिलास-पंडितराज जगन्नाथ । पत्र सं० = } साइज-१२४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । य-काव्य ! रचनाकाल x | लेखन काल X 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं. ५३३७ ।
१४२४ प्रति संक। पत्र सं० ५ । साइज-४ इन्च । लेवनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशासामान्य : वैटन नं० १९३७
१३२५ मेघदूत-महाकवि कालिदास । पत्र सं० १४ । साइज-२४६ च । माषा-संस्कृत । विषय-जव्य । वनाकाल X ! लेखनकाल-सं. १८२२ पौष बुर्दा २ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-मामान्य । वेष्टन नं. १४११ ।
विशेष प्रति सटीक है ! प्रतिलिपि जयपुर में सवाई माधोसिंहजी के शासन काल में हुई यो ।
१४२६ प्रति न०३ । पत्र सं० १% | साइज-१२४६ च । लेखनकाल-० १.८२२ फागुण सुदी ! पूर्थ एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य : श्रेष्टन नं. १४१२ ।
विशेष प्रति सटीक है।
१४२७ प्रति नं०३ । पत्र सं० २३ । साइज-2-६x४३ इञ्च । लेखनकाल-१.७७ | 'पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । श्रेष्टन नं. १४१ ।
१४२८ प्रति नं. ४। पत्र सं० ४६ । साइज-१८४४३ इन्न । लेखन काल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | - दशा-जाणे । वेष्टन नं० १४१४ ।
विशेष –प्रति सटीक है।
१५२६ प्रति नं.५। पत्र सं० १४ । साइज-3.४ इञ्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन २० १४१५ ।
१४३० प्रति ०६। पत्र सं० १८ । साइज-१२४६ इञ्च । लेखनकाल-सं० १.१८१ 1 पूर्ण एवं सामान्य : शूद्र । दशा सामान्य । वेष्टन ० १४१६ ।
विशेष प्रति सटीक है।
१४३१ प्रति नं. ७१ पत्र सं० १० | साइज-११४५ इञ्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य । बेष्टन १४१७ ।
विशेष-प्रति सटीक है।
१४३२ यशस्तिलक चम्पू-श्री सोमदेव मूरि । पत्र सं० ३४४ । साइज-१२४५, इच ! भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य । रचनाकाल X 1 लेखनकाल–सं० १७१६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १४३३ ।
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२५२
[ काव्य
विशेष-श्रामेर में महाराजाधिराज ......."ग्राय को प्रतिलिपि करवाई भी । जोशी टोडर ने प्रतिलिपि की थी।
१४३३ प्रति नं०२। पत्र सं० ४४१ । साइज-५११४५३ इम्च । लेखनकाल X| अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १४३४ |
१४३४ यशोधरचरित्र-महाकवि पुष्पदंते ! पत्र सं० ६:। साइज-03x+ इ । भाषा-अपभ्रंश । विषय-काव्य । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा--सामान्य । वेष्टन नं १४३५ ।
१४३५ प्रति नं०२। पत्र सं.. । साइज-१०४४ इन्च | लेखनकाल-सं० १७२. प्रासोज सुदी ५ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-मामान्य । वेपन नं. १४:
१४३६ प्रति नं. ३ । पत्र सं० १७साइज-१०.४५ अ । माषा-अपनश | विषय-काव्य । रचनाकाल ४ । लेखनकाल-सं० १.६१ : भादवा बुदी ८ ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४७ ।
विशेष.... :शियाका सहित है। प्रत्येक शब्द का संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिया हुआ है। जयपुर नगर में प्रतिलिपि हुई थी।
१४३६ प्रति नं.2। पत्र सं० ४१-:: साइज़-१०४४ इन्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. १४३८ ।
१४३८ प्रति नं०५। पत्र में । माइज-x च । लेखनकाल-सं० ११३८ सुदी ७ ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४३ !
विशेष-हिसार जिले में रोजानगर में कुतुबखां के शासनकाल में अमोतकान्वय गोयल गोत्र वाली सात्री नाही ने ग्रात्मकर्मायार्थ ग्रन्ध की प्रतिलिपि करवायी थी ।
१४३६ रघुवंश-महाकवि कालिदास । पत्र सं० १५८ । साइज-११४६ इश्श । भाषा-संस्कन । विषय-काव्य । रचनाकाल X । जेवनकाल X| १= सर्ग तक पूर्गा । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं. १४७ ।
१५४० प्रति नं । पत्र में० २१ । लाइज-.-x इग्न । लेखन काल x। सर्ग तफ पगा। वेष्टन नं १४७७।
१४४१ प्रति नं. ३ । पत्र सं. १२८ [ साइज-११४ इश्च । लेखनकाल ४ | १२ सर्ग तक पूर्ण | दशासामान्य । वेष्टन नं. १४५८
विशेष-~-प्रति संस्कृत टीका सहित है।
१४५२ प्रति नं०४। पर सं० १३७ । साइज-११४: इन। लेखनकाल-सं. १७२८ फागुण सुदी ७ शनिवार । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य जोग । बेष्टन नं० १४७६ |
विशेष-सीलोराख्य ग्राम में पं० लिखमा में प्रतिलिपि की थी ।
१४४३ प्रति नं: ५। पत्र सं० ७ | साइज-१.१४४३ इन्च ! लेखनकारत ४ | १: सर्ग तक पूर्ण । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४८० ।
१४४४ प्रति नं.६! पत्र सं० ६२ । साइज-१२४५३ इञ्च । लेखनकाल x | चार सर्ग तक । शुद्ध ।
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२५३
LA
Sm-सामान्य | वेष्टन नं. १४८१
विशेष-संस्कृत टीका सहित है । टीकाकार समयसुन्दर गणि है।
१४४५ प्रति नं०७ । पत्र सं० १५. ! साइज-१०x४३ इश्च । लेखनकाल-सं० १८४८ चैत्र शुक्ला १२ । E -प्रारम्भ के १८ पत्र नहीं हैं । शुद्ध । दशा-सामान्य । वैप्टन नं. १४८२ ।
१४४६ प्रति नं. १ पत्र सं० ८५ | साइज-१०३४५६ इञ्च । लेखन काल-६० १६०८ } अपूर्ण-प्रारम्भ १० पत्र नहीं हैं। शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४८३ ।
१४४७ प्रति नं । पत्र सं० १६४ । साइज-११४४३ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६५१ । अपूर्ण । २ पत्र नहीं है । टीका पांचत्रे सर्ग से है। सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४८४ ।
विशेष-संस्कृत टीका सहित है । टीकाकार चारित्रवर्द्धन गणि हैं ।
१४४८ प्रति नं० १० । पत्र सं० ५.१ | साइज-१०x४ इञ्च | लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४८५ |
१४४६ प्रति नं०११। पत्र सं० । साइज-०४५३ इञ्च । लेखनकाल x। अपूर्ण एवं अशुद्ध | पशा-जीर्ण । वेटन नं. १४८५ ।
१४५० प्रति नं०१२। पत्र सं० १७१ साइज-११६x४३ इञ्च । लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्य । वेष्टन नं. १४६५ ।
१४५१ प्रति नं०१३ । पत्र सर १२ । साइज-१०४४३ इन्च । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य | वेटन २०१४ ।
१४५२ वरांगचरित्र-भट्टारक, वर्द्धमानदेव | पत्र सं० ४: साइज-१०२४४६ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-काव्य | रचनाकाल X । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६० ।
१४५३ प्रति नं.२ । पत्र सं०६२-१.० । साइज-१२४४३ इत्र । लेखनकाल x ! अपूर्ण एवं शुद्ध । देशा- सामान्य | वेटन नं० १६०२ ।
१४५४ प्रति नं. ३ । पत्र सं. = १ । साइज-१११४४६ इम्ता । लेखनकाल- १५६४ कार्तिक बुदी = | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं ० १६० ।
१४५५ प्रत्ति नं. ४ । पत्र सं० । साइज २३,४६३ इम्ब । लेखनकास x 1 पूर्ण-तेरह सर्ग तक। शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६१४ |
१४५६ प्रति नं ५। पत्र सं० ६६ । साइन-11xi इन्च । लेखनकाल-सं० १७५६ भादवा बुदी ६ । , पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेपन नं. १६५।
५४५७ वर्द्धमानकाव्य-जन्यमित्रहल | पर सं०७१ | साइज-१०९x४३ इञ्च | माषा-अपनश । विषयकाय । रचनाकारत - । लेखनकाल–सं. १६७४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य | वैप्टन नं० १६०८। .
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२५४
[काला
विशेष - बादशाह सलीम के शासनकाल में मेकर ( सीकरी ) में जसवाल जाति में उपन गुणमाला ने प्रतिविमि
करवायी थी ।
१४५८ विदग्धमुखमंडन-वाचा धर्मदास विषय - काव्य | रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध
१४५६ प्रति नं० २। पत्र ०२२- १०५
दशा सामान्य | बेहन नं० १३२३ ।
दशा- जी वेस्टन नं० १६२४ ।
I
२४६० प्रति नं ३ | पत्र सं० १९ | माइ ३४ । लेखनकाल- मं० १५५१ | पूर्ण एवं शुद्ध ।
१४६१ प्रति नं० ४ । पत्र सं० २०३७ | साइज - ११X५ इन्च । लेखनकाल - सं० १९७४ माघ बुदी ७ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- जी | बेष्टन नं० १२५१
१४६२ बिहारीसतसई - महाविहारी श्रृंगार रस | रचनाकात
पत्र सं० २० साइज १०३४ इन्च भाषा दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १६२२ |
लेखनकाल सं० १३० पूर्ण एवं शुद्ध
०२-११३८
। माषः हिन्दी विषय
लेखन-२०१३४ पूर्ण एवं शुद्ध दशा सामान्य
J
१६४३
नं -६ इच भाषा-संस्कृत विश्वकप रचनादशा सामान्य । केष्टन नं० १६३५ ।
१४६३ विहारकाव्याला पत्र [सं० २ X सेवनकाल सं० २०४४ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध १४६५ शिशुपालवध महामात्र०२२-१४२६x४ काव्य रचनाकाल x | लेखन १४२५ मात्र सुदी १३ पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य विशेष दो प्रकार की तिमि है। माघ के पिता का नाम 'दत्तक' लिखा हुआ है। १४६६ प्रति नं० २ | पत्र सं० ७२ साइज - ११९४
दशा-उद्यम पेस्टननं० २०१२ |
विशेष प्रति सटीक है। टीकाकार मल्लिनाथ र है।
१४६६ प्रति नं० ५
सामान्य शुद्ध । दशा- जीर्णं । वेष्टन नं० १७१५ |
१४०० प्रति न० ६
|
गामा-संस्कृत विष नं १०११ ।
१४६७ प्रति नं० २०३५ साइज हम्द लेखनकाल x अपूर्व एवं सामान्य शुद्ध ।
सामान्य वेष्ठन नं० १७७३ |
। लेखनकाल पूर्ण है। शुद्ध
दशा - सामान्य | नेष्टन नं० १७१३ |
F
विशेष - प्रति सटीक है ।
१४६६ प्रति नं० ४१०२८ नाज- १०९४ । लेखनकाल x एवं शुद्ध दशासामान्य वेष्टन नं० १०१०
०५८ - १०x४ लेखनकाल x अपूर्ण २० स त
I
०१६-१ इन्च लेखनकाल अपूर्ण एवं शुद्ध दश
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२५५
१४७१ षट्कर्मोपदेशरत्नमाला - महाकवि श्रमकीर्ति । पत्र सं० १०० | साइज - १०९४३ इन्च | भाषाअपन श | विषय - काव्य | रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १५५२ मंगसिर बुदी ६ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन ० १७६ |
विशेष — प्रशस्ति अपूर्ण हैं और वह निम्न प्रकार हैं
रणस्यंमगढ वास्तव्ये राणा संग्रामराज्ये पार्श्वनाथ चैत्यालये खंडेलवालान्वये वैदगोत्रे''''''''''
[इतिहास]
१४७२ प्रति नं० २ | पत्र सं० ७ १०७ | साइज - १२x४ इञ्च | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशाजीर्थ । वेष्टन नं ० १७८७ ।
विषय - इतिहास
प्रन्थ संख्या -६
१४७३ खंडप्रशस्ति' काल x लेखनकाल x | पूर्ण एवं श्रशुद्ध १४७४ राजवंशवर्णन " रचनाकाल × । लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १५३७ |
विशेष – भारत में होने वाले प्रायः सभी राजवंशों के नाम व शासनकाल दिये हुये हैं ।
| पत्र से० ३ | साहजे - ११४४३ इन्च भाषा संस्कृत | विषय - इतिहास | रचनादशा- जीर्णे । वेष्टन नं० ३०२ !
१ पत्र सं० २-६३ साइज - ६x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय - इतिहास |
१४७५ श्रुतस्कंध - हेमचन्द्राचार्य । पत्र सं ६ | साइज - १२४६ इन्च | भाषा - प्राकृत | विषय - इतिहास | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य | वेष्टन नं० १७६६ ।
१४७६ प्रति नं० २ | पत्र [सं० ६ | साइज - १३x६ इन्च | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा उत्तम । वेष्टन नं० १७५६ १४७७ श्रुतावतार - पं० श्रीधर पत्र ०५ साइज - १० ३४४ ई इ | भाषा-संस्कृत | विषय - इतिहास | दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १७५८ ।
चिनाकाल >< | लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध
१४७८ संघपट्ट - जिनवल्लभरि । पत्र सं० १२ । साइज - १२४३ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय - धर्म |
रचनाकाल - सं०] १० = ० | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य | वेष्टन मं० १८२७ ।
2
विशेष – प्रति सटीक है। लेखक प्रशस्ति है ।
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विषय-नाटक
अन्य संख्या-६ १४७६ ज्ञानसूर्योदय नाटक-वादिच-छ। पत्र मं० ४५ । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विष - नाटक । रचनाकाल-सं० १६४८ । लेखनकाल–सं० १८:५। पूर्व एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ५३५ ।
विशेष-- मालवदेश में सुसनेर नगर में प्रतिलिपि हुई थी।
१४८० बानसूर्योदय नाटक भाषा-पाश्व दास निगोत्या । पत्र सं०५८ | साइज-१२४७ इश्च । भाषा-हिन्म विषय-नाटक । रचनाकाल-म० १६१.७ लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ५६ ।
१४८१ प्रति नं० २ । पत्र सं० ४० । साइज-२x६ इन्च । लेखनकाल–सं० १९३६ ज्येष्ठ शुक्ला १.। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा--उत्तम ! वेटन नं. १३७ ।
विशेष-श्री हीरालाल छाबडा ने लिखवा कर इस प्रति को बड़े मन्दिर चटायी भी ।
१४८२ ज्ञानसूर्योदय नाटक-जिनवरदास । पत्र सं० ५६ । साइज-११३४५ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषयनाटक । रचनाकाल-सं, १८१४ ! लेखनकाल-सं० १४: पूर्ण
म । टन नं. ५२८ | विशेष- दयाचन्द चांदवाड ने इसो मन्दिर में प्रतिलिपि की थी।
१४८३ लदकमेलक नाटक-कविराज शंखधर । पत्र सं. ५ | साइज-'x४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत ।। विषय-नाटक । रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. १५६६ ।
१४८४ सभासार नाटक-कवि खुराम । पत्र सं० १८ | साहज-६x४ इश्व ! भाषा-हिन्दी | विषय-नाटक । । २चनाकाल X । लेखनकाल–सं० १८४५ भादवा बुदी - । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य | वैप्टन नं. १८३८ |
विषय-व्याकरण
प्रत्य सख्या-१११ १४८५ अष्टाध्यायीसुत्र-ग्रापाणिनी । पत्र सं० २६ । साइज-१२४६ इत्र | भाषा-संस्कत । विषयव्याकरण । रचनाकाल x 1 लेखनकाल x | अष्टम अध्याय के चतुर्थ पाद तक । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन • "
१४८६ प्रति नं.२ । पत्र सं० २१ । साज-११४४३ इञ्च । लेखन काल ४ । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य : वेपन नं 101
१४८६ कातन्त्र व्याकरण महावृत्ति-मूलक -शिववर्मा। टीकाकार-दुर्गसिंह । पत्र सं० ५२१ ।
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FAST
१६x४३ इन्च । भाषा-संस्कृत | विषय-व्याकरण । रचनाकाल X । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । सामान्य । वेष्टन नं० २५५ ।
१४८८ कारकप्रकरण ...! पत्र सं० १५ । सारज-१४५३ इम्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण माल X| लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य 1 वेष्टन नं. ६५७।
१४८६ कारकवाद-श्रीमज्जयराम भट्टाचार्य । पत्र सं० १ । साइज-१०४३ इञ्च । माषा-संस्कृत 1 विषयaरण ! रचनाकास ४ । लेखनकाल-सं० १.७६ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५८ ।
१४६० काशिकावृत्ति-वामनाचार्य । पत्र सं० ३१६ ! साइज-१०४४ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण माल X ! लेखनकास x , अपूर्ण-१०१ मे पत्र है । सामान्य शुद्ध | दशा-- सामान्य 1 वेष्टन नं० २६५ ।
विशेष-अप्टाध्यायी की एक टीका का नाम काशिका नृत्ति है ।
१४६१ प्रति नं०२। पत्र मं० ३२६ । साइज--२०१४ इन्न । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । -उत्तम । वेष्टन नं० २६६ ।
२४६२ क्रियाकलाप-विजयानंद । पत्र सं० ६ । साइन-१०:४४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । काल X ! लेखनकाल X । अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २७४ । प्रथम पत्र नहीं है।
१४६३ गुणरत्नमहोदधि..। पत्र सं० ११० | साइज-१०६x४६ इन्च । भाषा-संस्कृत | विषयमाकरण । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० ३१५ ।
विशेष-गोबिन्दसूरि के शिम्य पं० वर्धमान कत वृत्ति दी हुई है। सारस्वत को टीका है।
१४६४ जैनेन्द्रव्याकरण-देवनन्दि । पत्रमं०३८ । साइज-१0४७६ इञ्च । माषा-संस्कृत 1 विषयमाकरण । रचनाकाल x | लेखनकाल-मं+ १८७३ कार्तिक बुदी . ! पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ५१५ !
विशेष-प्रति श्रमयनन्दि कृत संस्कृत टीका सहित है।
१४९५ प्रति नं०२। पत्र सं. २.७३ । साइज-१०x४३ इश्व । लेखन काल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासमान्य । वेटन नं० ५१६ ।
१४६६ प्रति ने० ३। पत्र सं० ५.७७ । साज-१०X८ इन्च । लेखमकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशाR | चैप्टन नं. ११७ ।
विशेष--अमयनन्दि कृत संस्कृत टीका सहित है।
१४६७ प्रति नं०४। पत्र रा. ४३-६० । साइज-११x* इश्च । लेखनकाल X । अपूर्ण एन शुद्ध । या-उत्तम । बेष्टन नं. ५१८ ।
१४ प्रति नं०५१ पत्र सं० २६-४६ | साइज-११४७३ च । लेखनकाल x। अपूर्ण एवं शुद्ध । -उत्तम | वेष्टन नं. ५१६ ।
विशेष प्रति मरीक है । टीकाकार श्री मेघविजय है।
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| ( ৰায়
१४६६ प्रति नं.६। पत्र सं०६० | साइज-४६ च । लेखन कान X । अपूर्ण एवं सामान्य का दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ५२० ।
१५०० प्रति नं.७। पना , | साइन-१६५, दुश्च । लेखनकल XI पूर्ण-पंचपाध्याय तक } दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ५२।।
विशेष—पति सटीक है।
१५०१ जैनेन्द्रप्रक्रिया......। पत्र मं, १६ । साइज-2:४४न । भाषा-संस्कन । विषय-गाया रननाकाल x 1 लेखनकाल X । पूर्ण एवं गाय शुद्ध । देशा-सामान्य । वेष्टन नं. १२२ ।
२५०२ धातुपाट..| पं१: । साइज-१.४४, इन्न । भाषा-संस्कत । विषय-व्याकरण । रनमःकाल X । लेखन काल x | पूर्ण पर्व सामान्य द्र। इशा-सामान्य । वेष्टन नं० - २५ |
विशेष-कातन्त्र व्याकरण के अधार पा धातु पाठ की रचना हुई है।
१५.०३ धातुपाट..."। पत्र में 2 | साइज-१०:४६ इथ । भाषा-संस्कृत । विग-व्याकरण | रचन' । काल X ! लखमकाल X । पूर्ग एवं शुद | दला- सामान्य । येष्टन नं०:२६ ।
१५०४ थातुपाठावली-बोपन छ । पत्र में, ३० । साहज-2.४४ इन् । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरणः। । सनाकाल X । लेखनकारन X ! पूर्ण एवं मददगा- देश - २ ।
। २५०५ धातुमंजरी-काशीनाय । पत्र सं, ४७१ साइज- इन । मास-सस्कृत ! विषय-व्याकग।। रचनाकाल ४ । लेखनकाल x ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बटन नं० २।
१५०६ पंचसंधि..."पत्र मं7 १ | साइज-६x४ च । भाषा संभात । विषय-व्याकरण । रमना- L.. भारत x | लेखन काल- १८५, आसोज नदी , ? ! पूरी एवं शुद्र ! दशा-उत्तम । बटन नं. १० !
१५०७ परिभापेन्दुशेखर-नीमा ५व सं सारज-x न । भाषा-संस्कृत | विषयन्याकरण । रक्तनाकाल - । देखनकाल–रा, १८६६ ! पूर्ण एवं सामान्य शद । दशा-जीर्ग | अक्षर मिट गये हैं। उन । नं० १०५५ ।
१५ पाणिनीयभाष्य वेष्ट । मप्र सं. २०४ | साइज-०३४५, श्र। भाषा - संस्कृत । विषयव्याकरग्य । रचनाकाल x | लेखनकाल x | अपूर्ण सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन न. १०६
विशेषः-पातंजलि त पाणिनी व्याकरण पर भान्य है।
१५०६. पातलिमहाभाष्य-यी पतंजलि । पत्र सं० १६५ 1 साइज-१६x. इञ्च 1 भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण । रचनाकाल x | लेखनकाल-० १.५५ बालोज बुदी ११ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण शीण । दीमक च सा रक्खा है। बेटन नं ० . १-६६ । .
१५१० प्रति नं०२। पत्र सं० १५ । साइज-१२४५ इञ्च । लेखनकाल ४ [ प्रथम अध्याय का द्वितीय ५५ तक पूणे । जीपी-शीरी । पत्र चिपके हुए हैं । वेष्टन नं. ०६६ ।
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________________
व्याकरण ]
१७७० १
१५१९०३ पत्र साइज ११४६ एवं शुद्ध दशा-उन
I
१५१२ प्रति नं० ४
सामान्य शुद्र दशा उत्तम वेष्टन नं० २०७० (8)
१५१३ प्रक्रियाकौमुदी पाचार्य रामचन्द्र पुत्र ०६०। १०४३ समजे - १०४४३ इव । भाषा-संस्कृत | विषय-व्याकरण | रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं ११३८ ।
--
०४२ साइज - ११४५ इञ्च । लेखनका x 1 प्रथम अध्याय के द्वितीय पटल
१५१४ प्रक्रियाकौमुदी - नृसिंहाचार्य | पत्र सं० १९७ | साइज - १२x४ ३६ मात्रा-विषयशुक्ला २ शुद्ध दशा-सामान्य रेष्टन नं० ११३
रचनाकाल देखना-०१६
विशेष पत्र सं०] [४०] से प्रारम्भ की गयी है।
१२९४ प्राकृतदीपिका
रचना लेखनासं०] १८७२
I
पत्र २६८११ मा विषयक गुणा मुदी १० पूर्ण शुद्ध नं० १०२४ । विशेष प्रति संस्कृती सहित] है टीकाकार सोमाभ्यमणि है साई राम गोधा ने प्रतिलिपि की भी १५१६ प्रति नं २ प ० १०० १६३ | साइज - २०२४ = इव । लेखनकाल x अपूर्ण एवं शुद्ध । उत्तम नेननं १२२५
विशेष-संस्कृत टीका सहित है।
सामान्य नं १२२१
२५६
१५१७ प्राकृतप्रकाश-१२ सय १६ इश
रचनाकाल × | लेखनकाल- सं० २०४३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-लानान् । श्रेष्टन नं० १२२६
१५१ प्रति नः २०६
-
सामान्य शुद्ध दशा सामन्य मं० १२२७ ।
माषा-संशय विषयवा
१५१६ प्राकृतव्याकरण-यंत्रकर्षि पत्र सं० १६ । साइज - ११४४ इञ्न । भाषा वा 'रचनाकाल x लेखनका १२ चैत्र ११ पूर्ण एवं शुद्ध दशा सामान्य न० १२२= |
१५२० प्रति म २०१८
- १२४६
देशासन वेष्टन नं० १२३२ ।
1
इन नहीं है
विषय-व्याकरण
लेखनफल पूर्गा शुद्ध दशा
१५२१ प्रति नं ३ ० १५१ साइज १०४ इन्च लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध राष्टननं० १२३० ।
१५२२ प्रति नं० ४० १४-११२ । लेखनकाल सं० १९५२ पूर्ण सामान्य 'शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १९३१ |
२५२३ प्रति नं० ५ पत्र मं० ३१-१२-१४४ लेखनकाल पूर्व शुद्ध
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________________
{व्याकरस १५२१ माधवीयधातवृत्ति सायणाचार्य । पत्र सं० १६४ । साइज-१०x४ इम्च । माषा-संसत । विषयव्याकरण । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ने० १३८ ।
विशेष—यह ग्रन्म स्खविशाल मणि के बाचनार्थ लिखा गया था। इसकी अंतिम पुष्पिका इस प्रकार है।
हात श्री पूर्वदक्षिणपश्चिमसमुद्राधीश्वरकपरराजसुतसंगममहाराजमंत्रिया मायणसुतेन माधवमहोदरेण सायणाचार्य विरचितायां माधवीयां धातु वृत्तौ चुरादयः संपूर्णाः ।
१५२५ लघुसिद्धान्त कौमुदी-वरदराज | पत्र सं० १५८ । साइज-Ex५५ च । भाषा-संस्कृत । विषयव्याकरण | रचनाकाल X । लेखनझारल ! अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १५६१ ।
विशेष-समास पर्यन्त है । वरदराज भट्टोजीदीक्षित के शिष्य थे । लघुसिद्धा त कौमुदी सिदान्तकौमुदी का संक्षिप्त
१५२६ वाक्यप्रकाश......! पत्र सं. !! साइज-१०४४ इञ्च | माषा-संस्कृत | विषय-व्याकरण । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६५२ ।
विशेष-प्रति सटिक है । टीका संमत है।
१५२६ (क) प्रति नं०२ । पत्र सं० ११ । साइज-१०४४ सच | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६५३ ।
१५२७ वैयाकरण भूषणसार-श्री कारभट्ट । पत्र सं० ४२ । साइज-११४६ इन्च । भाषा-संसत । विषयव्याकरण । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १३६३ 1
विशेष-केवल स्फोट तस्व का निरुपण किया गया है।
१५२८ प्रति नं०२। पत्र सं०-२२--५ । साइज-१४४ च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामा-य शुद्ध । दशा-मामाग्य । वेष्टन नं० १६१८।
१५२६ प्रति नं०३ । पत्र सं० ३८ | साइज-११४४३ । लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामाग्य 1 दो प्रतियों का मिश्रण है । वेष्टन नं. १६५६ ।
१५३० व्याकरणसूत्र । पत्र सं० ४ | साइज-१२४६ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । रचनाकाल X । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६८० ( ख )।
१५३१ शब्दशोभा-कवि नीलकण्ठ । पत्र सं० २३ । साइज-Ex५३ इञ्च । माषा-संस्कृत | विषय-- व्याकरण । रचनाकाल ४ । लेखनकाल-सं० १८२४ श्रावण बुदी अमावस । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६८५
१५३२ शब्दसंग्रह...। पत्र सं० ।। साइज-१०x४६ १श्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण | रचनाकाल x | लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६८६ ।
१५३३ शब्दानुशासन-हेमचन्द्राचार्य ! पत्र सं० १.० । साइज-१०x४६.६४च । भाषा-संस्कृत । विषय-- व्याकरण । रचनाक.स X । लेखनकाल X । सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । बेष्टन नं. १६८७ ।
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________________
१५३४ प्रति नं २ । पत्र सं० १५ । साइज-१०४४ इम्च । भाषा-संस्कृत । रचनाकाल x | लेखनअपूर्ण-मप्तम अध्याय तक । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६८८ । विशेष-लघु वृत्ति सहित है।
१३.३८ प्रति नं.३। पत्र सं. ५६ | साइज-10xt इञ्च | भाषा-संस्कृत | विषय-व्याकरण । रचनाinxलेखनकाल-सं० १८ बैशाख सुदी ५ । अष्टम अध्याय तक 1 शुद्ध ! दशा-उत्तम । बेन्टन ० १६८६ !
१५.३६ प्रति नं.४। पत्र सं० । साइज-१२४१ इन्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशासाय । वेष्टन नं० १५८० ।
१५३७ सारस्वत चन्द्रिका ....."। पत्र सं० ३४-६ । साइज-२x६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयण । रचनाकाल x 1 लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं शुद्धः । दशा-सामान्य । श्रेष्टन नं ० .०४% ।
१५३८ प्रति नं. २ । पत्र सं० : | साइज-:४५, १८ । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । घेष्टन नं०२.४% |
१५३६ प्रति नं० ३ । पत्र सं० ३३-६ ० साइज-१२x६ इञ्च । लेखनकाल x। अपूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-जोर । वेष्टन नं०:१४८ ।
१५४० प्रति नं. ४। पत्र में :१ साइज-१०४४. इन । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । पशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०४८ ।
१५४१ सारस्वतदीपिका--टीकाकार-श्री चन्द्रकतिपूरि । पत्र सं० १६५ 1 साइज-१०x४३ इव । भाषा। रमत ! विषय-व्याकरण । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं. १८४८ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०२८ ।
‘विशेष - तक्षकपुर में श्री माणिक्यच-द्रजी ने प्रतिलिपि की थी।
१५४२ प्रति नं०२। पत्र सं० १३२ । साहज-१७४४ इतु । लेखनकाल X| पुणे एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन २० २०२६ ।। - १५४३ प्रति नं. ३ । पत्र सं. ७८-२१६ । साइज-१०४४६ इन्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामाग्य । देशन नं० २०१० !
१५४४ सारस्वतप्रक्रिया-अनुभूतिस्वरूपाचार्य । पत्र सं० २६ । साहज-८३४५ च । भाषा-संस्कृत | विषययाकरण । रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० २०३६ ।
१५४५ प्रति नं. २ । पत्र सं० १०८ । साइन-१०४५ इञ्च ! लेखनकाल ४ | अपूर्ण-प्रथम पत्र नहीं है। सामान्य शुद्ध । दशा--सामान्य । वेष्टन नं ० २०२६ ।
साइज-१.१.४५ इश्व । लेखनकाख x अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
13.
११४६ प्रति नं०३१ पत्र सं. २-- दशा-उत्तम । वेष्टन नं, २० ।
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________________
२६२
१५४७ प्रति नं० ४ । पत्र सं० १०४ । साइज - ११३४४ इञ्च खनकाल सं० ३७७६ नहीं है। दशा सामान्यश्न नं० २०१४ |
12
१५ प्रति नं ५ | पत्र पं० ५ | साइज - ११९५ इव । लेखनकाल x । श्रपूर्ण - पंचधि मात्र
समान २० २०३४ ।
१५४६ प्रति नं ६ प २ | साइज - १६
दानाय न नं० २०३३।
शेल ही हैं।
१२४१
१५२० प्रति नं०७४ काल X पूवं शुद्ध दशामा
२०३२।
०८०-३] इमकाल मं०] १०६० पूर्व
तक शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन नं० २०३
१५५९ प्रांत मं०
दशा- सामान्य वन मं० २०३६ ।
-११-०१७ न । लेखनकाल- सं० १७ । पूर्ण एवं
[ व्याकरण
१५५५०२२
पर ०१३-१२-१४ खनाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
२०५३ प्रति ०१००२-२०१० लेखन X बर्ण एवं सामान्य शुद्ध
दश:- सामान्य प्नं० २०३६
१५५४ प्रति नं० ११
प
० १ ३२ | साइज - २०३ इञ् । लेखनकाल X | अपूर्ण एवं सामान्य
शुद्ध दशा- सामान्य न० १०३ ।
शुद्ध दशा-सामान्य २०३६
० १ ३६ | साइज - ११४२ इम उसनकाल | अपूर्ण एवं सामन्य
१५५६०२३ २०२५२१०१५ लेखन एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य न नं० २०६७।
J
१५५७ प्रति नं० १४ प ० २७ -x खनकाल X वपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन २०३७ ।
१५५ प्रति नं १५ | पत्र सं० १३ | साइज - १०४ इञ्च । लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । सामान्यष्टन० १०२० ।
१५५६ प्रति नं० १६ । पत्र ०६५ साइज - १०३४२ इञ्च । लेखनकाल x दशा-लामान्यननं० २०४३ ।
पूर्ण सामान्य शुद्ध !
पूर्ण
१५६० प्रति ०१७ पत्र से० ७ साइज १० खनाल २०६२ पूर्ण एवं शुद्ध । सामान्य प्टन नं० २०४० ।
自
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________________
व्याकरण ]
२६३ विशेष-केवल मूत्र है।
१५६१ प्रति नं. १८ ! पत्र सं० २१ । साइज-६४४३ इभ ! लेखनपाल-सं० १६६३ अासोज मुदो १ । पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा--सामान्य । वेष्टन नं० २०५० |
१५६२ प्रति नं. १६ । पत्र सं० १३ । साहज-१०४६३ इत्र | लेखनकाल ४ । श्रपूर्ण एवं शुद्ध | दशाउत्तर । वेष्टन ० २०४६ ।
१५६३ प्रति नं०२० । पत्र सं० = | साइज-१४४ इञ्च । लेखनकाल | अपूर्ण-प्रधमसंधि पर्यन्त । सामा य शुद्र । दशा-सामान्य । वेष्टन नं: २०४० ।
१५६१ प्रति नं० २१ । पत्र सं० १३-- । साइज-१२४६ ईञ्च । लेखनकाल-. १६३३ चाबाद सुदी है | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २२०४ !
विशेष-लिपिकार गौरीलाल नकलीवाल है ।
१५६५ प्रति नं० २२ । पत्र सं० ३४-८६ | साइज-१२४५१ इन्च | लेखनकाल-सं० १९३३ श्राबाट मुदी : ' अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०३१ ।
१५६ प्रति नं० २३ । पत्र सं० ६३ । साइज-१०६x४३ उच्च । लेखनकाल-सं० १९४५ । पूर्वी एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | बेप्टन नं० २०४१ ।
१५६७ प्रति नं०२४। पत्र सं. ४६ I साइज-१०x४६च | लेखनकाल–सं. १९४३ मंगसिर सुदी १३ | अपुर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जी । बेष्टन मं० २०४२ ।
१५६६ प्रति नं. २५ । पत्र सं० 2 | साइज-१४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८४८ | पंचशंधि पूर्ण । शुद्ध। दशा-सामान्य । बेष्टन नं०२०४२ ।
१५६६ प्रति नं०२६ । पत्र सं. ६ | साइज--१४५. इश्व । लेखनकाल x | पंधि तक । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेप्टन नं. ०४२ !
५५४७ प्रति नं० २७ । पत्र सं० ५५ । साइज-- हश्च । लेखन काल ४ | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य | वेष्टन नं० २०४ः ।
५५७१ सारस्वतप्रदीप-भट्ट धनेश्वर । पत्र सं. है । साइज-१०x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण कोश । रचनाकाल X 1 लेखनकाल x | पृर्ण रवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीणं । बेष्टन नं० २०४६ ।
विशेष-धातुओं के रूप हैं।
१५७२ सारस्वतरूपमाला.... | पत्र ६० ४ | साइज-१०x४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २८४५ |
२५७३ सारस्वतटीका-टोकाकार-पुजराज । पत्र सं० २-६३ । साज-१०४ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण | रचनाकाल x | लेखन काल [ अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीणे । वेष्टन नं० २०४४ ।
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________________
[ व्याकरण
१५७४ सिद्धान्तकौमुदी-मोदीक्षित
० १४१०३५
भाषा-संस्कृत विश्व
व्याकरण रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्वार्द्ध पूर्वं । सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं० २०५६ | १९७५ प्रति० १२० १०३६ हथ लेखनका उत्तरार्द्ध पूर्ण एवं सुद्ध ! X ! |
!
| साइज -
दश] उसन वेष्टन नं.२०६०।
२६४
+
१५७६ प्रतिनं ३ १४०-२२६ इम्ल लेखनकाल पूर्ण पूर्वार्द्ध तक सामान्य | दशा-थम २०६१ ।
१५४१२१४९ । लेखनकाल X पूर्ण एवं शुद्ध दशा
सामान्य वेशन नं० २०१२ |
१५७ प्रति नं० ५। पत्र मं० १९७१ लेखनकाल । अपूर्व एवं पशु
दशा- जी वेन्टन नं० २०६३ ।
१४०६ पनि नं० ६
४५ नहीं है
·
-
०१६ मा १४ लेखन सं० २०३१ घरम
०२०६४ |
सामान्य
विशेष संस्कृत टीका सहित है। टीकाकाराने सरस्वती है।
टीका का नाम तत्त्वबोधिनी टीका है।
१५८० प्रति नं० ७ पत्र ०१६ साइज - १०३४४३ इव । लेखनकाल - ० १७९२ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा- सामान्य बेटन नं० २०६५
१५८१ प्रति नं० पत्र मं७१०४ई इन्न। लेखनकाल | पूर्व एवं शुद्ध तिङन्त स्वर प्रकरण तक पूर्ण एवं शुद्ध दशा- उदम ०२०४१ ॥
i
विशेष- संस्कृत टीका सहित है। टीकाकार जयकृष्ण है ।
१४८२ प्रति नं० | ० | साइज - १०x४ च । लेखनकाल x । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दश्य सामान्य वेष्ठन सं० २०६७।
१४८२ प्रति नं० १० | पत्र सं० २५ | साइज - १०x४ ६ । लेखनकाल | सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २०६= |
१५ प्रतिनं० ११ पत्र सं० २०५३ साइज-११८] लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य वेष्टन नं० २२०१ ।
१५८५ प्रति नं० १२० १०२ - १०६४६ नकाल x पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा- सामान्य | वेष्टन नं० २२०२ ।
विशेष—प्रति संस्कृत टीका सहित है। टीकाकार ज्ञानेन्द्र सरस्वती है। १५८६ सिद्धान्तका श्री रामचन्द्र पत्र [सं०]
१९४३ इन्च भाषा-संस्कृत वि
订
पश
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________________
"
.
दोश]
२६५
..
.
.
....
40M
सका। रचनाकाल लेखन काल x [तीय वृत्ति तक पुणे
। दशा-उत्तम । बेष्टन नं० २०६४। १५८७ प्रति नं०२ | पत्र सं० ८ । साइज-१०x४५ इ9 | लेखनकाल x ! अपूर्ण-प्रारम्भ के १० पत्र वहाँ हैं | सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०.१ ।
१५८८ प्रति नं. ३ । पत्र सं० २७ । साइज-२०३४४५ इन्च | लेखनकाल-सं. १८४३ अषाढ शुक्ला ४ । पई एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०७२ ।
१५८६ प्रति नं०४। पत्र सं० ५२ | साइज-११४५ इञ्च । लेखन काल x। पूर्ण पूर्वार्द्ध । शुद्ध । दशासामान्य । बेश्टन नं. २०७२ । ।
१५६० प्रति २०५। पत्र सं० १५० | साइज-१०५४४६ हश्च । पूर्ण-पूर्वार्द्ध | शुद्ध | दशा-सामान्य । न नं० २०७३।
५६१ प्रति नं०६। पत्र सं० १० | सास- १२४५ इञ्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । |शा-जीर्ण शीर्ण । वेष्टन नं० २०७४ :
१५६२ सिद्धान्तचन्द्रिका टीका-टीकाकार-सदानंद । पत्र सं० १२४ । साइज-२०६x६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-व्याकरण । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ । पूर्वद्ध । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २०७० ।
१५६३ स्वरोदय ......! पत्र सं. २१। साइज-११४४३ इञ्च | भाषा-संस्कृत | विषय-व्याकरण | स्वनःकाल < । लेवन कारा-सं० १८४२ | पूर्गा ए शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं. १६८ | विशेष-हिन्दी टीका भी है।
यास"""| पत्र सं.४०१ ! साइज १.४४ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-व्याकरण । रचनासन X । लेवनकाल-मं० १५०१ श्रावण वदी २ | अपुर्ण एवं सामान्न शुद्ध | दशा-सामान्य । वेटन नं० २२५८ |
विशेष – लिपि बहुत बारीक हैं | २:में पूर्व के पत्र नहीं हैं।
१५६५ हेमन्यास दीका... "| पत्र सं ० ४: । माइज-x' इन · भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण | स्वनाशाल x लेखनकाल x ! अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-उत्तम : बेटन नं. २२५६ ।
विषय-कोश
ग्रन्थ संख्या--३० १५६६ अनेकार्थसंग्रह-हेमनन्द्राचार्य । टीकाकार श्री महेन्द्र मार । पत्र से १६३ | साइज-१.३५४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कोस । रचनाकाल ४ । लेखनकाल- १७६२ माघ शुक्ला सप्तमी । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य | वेपन नं. १ |
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________________
२६६
विशेष विक्रमपुर में मुनि सुजानसिंह ने अपने पटने के लिये प्रतिलिपि की मी । " पत्र ०७ साइन- १२४२३
१०१२ माघ
१५६७ अनेकार्थध्वनि मंजरी कोश | रचनाकाल x [ लेखनकाल
वेष्टन नं ० १७ ॥
ク
विशेष - जयपुर में प्रतिलिपि की गयी थी ।
१५६ प्रति नं० २०१० - भाषण-संस्कृत विषयको रचना x नकाशा सामान्य वेष्ठन नं. १०१
१५६६ प्रति ० ३ ०१४२००४ च । भाषा-संस्कृत | रचनाकाल x | लेकाल अपूर्ण शुद्ध दशा सामान्य २०५४
१६०० अभिधानचिंतामणिनाममाला बाचार्य हेमचन्द्र पत्र सं० २०९ साइज १०४३ भाषा-संस्कृत | विपय- कोश ! रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण-६ कांड तक । सामान्य शुद्ध दशा-जीये | वेटन नं० ३० ।
विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है।
१६०१ प्रति नः २ | पत्र सं००६ | साइज - २०४८३ ६ । लेखनकाल x | तीसरे कांड तक पू सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन
१ ० २१ ।
माषा-संस्कृत | विपर
१ तृतीय अध्याय तक पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य
१६०२ प्रति नं ३ पत्र सं० १० साइज १४ च लेखनकाल | अपूर्ण शुद्ध दशासामान्य वेष्टन नं० २२ ।
१९०३ प्रति नं० ४ ०६-१०० फल पूर्व एवं शुद्ध दशा- जी ॥ वेष्टन नं० ३२ ।
विशेष- श्री इगर ने प्रतिलिपि की थी ।
२६०४ अमरकोश- अमरसिंह पत्र मं० ६० - ६४ इन्च भाषा-संस्कृत विषय कोश रचनाकाल । नेन४२ शुद्ध दशा सायम्य ब्रेटन नं० २३
विशेष-- खीमसी ऋषि के छोटे भाई नेतसी ने कोटा नगर में प्रतिलिपि को यो।
दशा-सामान्य | वेष्टन २४
१६०५ प्रति नं २ प ० १३ | साइज - ११३४
दशा- सामान्य वेष्टन नं० २५ ।
१६०६० ३। पत्र ४१६४२३ इन्च लेखनकाल सं० १८४२ पूर्ण एवं शुद्ध
विशेष-जयपुर में अपनी ने प्रतिशि की थी।
१६०० प्रति ० ४ पत्र
[ कोश
सामान्य | टन नं० २६ ।
ञ्ज । ले अनकंज़ × । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध !
३६-१२ X अपूर्ण एवं शुद्ध दश
6
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________________
FT
कोश ]
विशेष - प्रति संस्कृत टीका सहित J
१६०८ प्रति नं० ५ | पत्र सं० २३ | साइज - १०३५ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय- कोश | रचनाकाल x | बेनाल अपूर्ण पूर्व सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ६० ।
१६० प्रति नं० ६
- १०५ लेखनका २०६५ चैत्रबुद
० ५१-११६ १३ | श्रपूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ६० |
१६१० प्रति नं०
७
शुद्ध | दशा सामान्य | वेष्टन नं० ६० ॥
१६११ प्रति नं० पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ६० ॥
१६१२ प्रति नं० ६ पत्र से० ११ साइज १०४३ | लेखनकाल पूर्व एवं सामान्य शुद्ध
२६७
०२३ मा लेखनकाल X वपूर्ण एवं
दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ६० ।
१६१३ अमरकोश सटीकता श्री अमरसिंह टीकाकार श्री मानुजीवित पत्र ० ४४२ / साइज - ११x१६ च । भाषा संस्कृत । विषय-कोश | रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १६० माघ शुक्ला १। तीसरे तक पू । सामान्य शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन मं० २७ ।
I
विशेष—खक लक्ष्मीनाथ कोश की एक पुष्पिका निम्न प्रकार है।
इति श्री वरवाशोदमव भी महीपरवियाधिपतिसिहदेवाज्ञया श्री ५ मट्टोजिदीक्षितात्मजश्री भानुजीदीक्षित विरचितायां मावाख्या द्वितीयक वनौषधि वर्गः विवर समाप्तं ।
,
पत्र ०४ - १२५ इन्च भाषा संस्कृत लेखनकाल x |
१६१४ एकाक्षरीनाममाला | पत्र सं० ३ साइज - १०३४ इन्च | भाषा-संस्कृत विषय - कोश | रचनाकाल × । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - समान्य | वेष्टन नं० २०७ ।
i
सामान्य वेष्टन नं ०२ ।
१६१५ एकाक्षर नाममालिका मुनि विश्वशंभु प ० ११ साइज १०x४६ इस भाषा संस्कृत | विषय- कोरा । रचनाकाल X | लेखनकाल - सं० १७२१ माह मुदी ५ पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २०८ | पुस्तक जोधराज मोदीका ने पटने के लिये लिखी थी ।
विशेष
१६१
सामान्य । वेष्टन नं०
१६१६ नाममाला - धनंजय | पत्र सं० १३ साइज - ११४५ च । भाषा-संस्कृत विषय कोश | रचना
द्ध लेखनकाल[सं०] १८२७ पूर्ण एवं शुद्ध
दशा सामान्य वेष्टन नं० ७२४ ।
1
२६१७ प्रति नं० २
पत्र [सं०] १६
साइज १०३४काल पूर्ण एवं शुद्ध दशा
-
प्रति नं० ३ पत्र ०१ साइज ४ लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा
१६१६ प्रति नं० ४ १ ० १३ साइज १० X ३ इम लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा
मन onl
Page #289
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________________
[आयुर्वेद १६. प्रति नं. ५ । सं. १६ । साइ-११४५ इञ्च । लेखनकाल x | अपर्ण एवं शुद्ध । दशा. जा । वेष्टन ०६१०।
१६६५ नानार्थकोश........: पय मं. ५० । साइज-१,१४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषर-कोश । रचनाकाल x | लेखनकाल x | अपूर्ण-प्रथम तथा अन्तिम पत्र नहीं है। पूर्स एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ।
१६२२ मानमंजरी- नन्ददास । पत्र सं० १२ । साइज-१.१४.३ इभ . माषा-संस्कत । विषय-कोश । रचनाकाल | लेखनकाल- १७५४ मात्र मुदी २ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं. १३६ ।
१६.३ विश्वलोचन-पडित धर्मसैन । पत्र २० ५१-८२ | साइज-१-३४४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कोश । रचनाकाल x | लेखन काल-H० १६:२ अषाढ शुक्ला , अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेपन xxy
१६२४ शब्दकौस्तुभ-मट्टोंजीभट्ट । पत्र सं० २०६ । माइज-x४३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-कोश । रचनाकाल X । लेखनकाल x M-प्रथम अध्याय के प्रथम पाद तक । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६८४ ।
१६२५ हैमीनाममाला सूची ......"। पत्र सं० ५ । साइज-१०x४३ ४ञ्च । नाषा-संस्कृत ! विषय-फोश । रचनाकाल X लेखनलाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० २.६१ ।
विशेष- केवल मुची मात्र है।
विषय-आयुर्वेद
प्रन्थ सख्या-१
१६९६ जनादरीप्रयोगमाला-पनि गशःकीति । पत्र में... | माज-११६४५, इष । माषाअपनश । विषय- अायुर्वेद । रचनाकाल x | लेखनकाल x | अपर्ण-अन्तिम पत्र नहीं है : शुद्ध । दशा-जीर्ण वेष्टन
१३२७ पथ्यापथ्य......"। पत्र सं. ५: । साइज-८४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-अायुर्वेद । रचनाकाल X । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-जीर्ण । बंटन नं ०६४: ।
१६२८ मधुकोशल.......। पत्र सं० ४१ । साइज-१२४५ इञ्च । भाषा-संस्खन । बिश्य-श्रायुर्वेद ! रचनाकाल x | लखन काल x / पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा--सामान्य । वेष्टन नं. १३७ ।
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________________
T
'ज्योतिष ]
१६२६ योगसार | पत्र सं० ३४-२०३ | साइज - १२X४ इञ्च रचनाकाल × । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- जी | वेष्टन नं ० १४८० |
१६३० योगरत्नावली - परमशिवाचार्य पं० श्रीकृष्ण | पत्रसं० २ | साइज - ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय- आयुर्वेद । रचनाकाल x 1 लेखनकाल : पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सानाम्य | वेष्टन नं ० १४६६ | विशेष — केवल रसायन विधि नामक लडा परिच्छेद है ।
१६३२ योगचिन्तामणि हर्षकीर्ति । पत्र सं० ६० साइज - १०x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय - श्रायुर्वेद | रचनाकाल × । लेखनश्चल-सं० १६६३ पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १४७२ ।
-
१६३२ शतश्लोकवैद्यक व्योपदेव | पत्र सं० | साइज - १०३४४३ इन्च | भाषा-संस्कृत विषय त्रायुर्वेद | रचनाकाल X लेखनकाल x । पूर्ण एव शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १६०२ ।
१६३३ शार्ङ्गधर संहितः शाङ्ग घर । पत्र सं० ५६ | साइज - १०x४ इव । भाषा-संस्कृत | त्रिषत्र — षायुर्वेद ' रचनाकाल X | लेखनकाल | एवं सामान्य शुद्ध । दशा जीर्ण । वेष्टन नं० १७०४ | १६३४ शार्ङ्गधरदीपिका - श्री भावसिंहात्मज "नारमल्ल” | पत्र सं० १५१ साइज - १२४६ इञ्च । भाषासंस्कृत । विषय-आयुर्वेद | रचनाकाल x 1 लेखनकाल X। पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १७०४ । १६३५ सुश्रुतसंहिता - श्री सुश्रुत | पत्र सं० २२० - २३२ | साइज - १२४५ इ | भाषा–संस्कृत । वित्रय— श्रायुर्वेद । रचनाकाल x । लेखनकाल X | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- जीर्ण | बेष्टन नं० २१३७ |
२६३६ प्रति नं २ । पत्र सं० २०३ | साइज - १२५५ इञ्न | लेखनकाल - ० १६४ फागुण सुदी ७ | शरीराध्याय तक सामान्य शुद्ध | दशा-साना व त्रेप्टन नं० २१३६ ।
विशेष—प्रति संस्कृत टीका होत है टीकाकार श्री जयदास हैं।
:
२६६
भाषा-संस्कृत विषय- त्रायुर्वेद |
विषय - ज्योतिषादि निमित्त - ज्ञान साहित्य
ग्रन्थ संख्या - ६६
"
१६३७ अजदकेवली रचनाकाल ×। लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध
पत्र सं० २ | साइज - १०३४५ इञ्न । भाषा - हिन्दी | विषय - ज्योतिष | दशा सामान्य | वेष्टन नं० १६ |
१६३= अरिष्टाध्याय रचनाकाल X। लेखनकाल - सं० १९८० माघ
विशेष – हिन्दी में शब्दार्थ दिया
पत्र सं
कृष्णा
हुआ है ।
२४ साइज - १२४८ इव । भाषा प्राकृत | विषय - ज्योतिष शास्त्र | पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम 1 वेष्टन नं० ३० ।
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[ ज्योतिष
१६३६ प्रति नं २ प ०२२ - २२४ इन्च लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य राय दशा - सामान्य | वेटन नं० ३० ।
201
।
१९४० प्रति नं० २ पत्र ०११-२१४० इन लेखनकाल X अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य बेहन नं० ३१ ।
१६४१ गणपाठ
खनाल x पूर्ण सामान्य शुद्ध दशा-समन्वेष्टननं००८
१६४० गर्भपहारपत्रदेवमंदि०६-१० इन्च भाषा-संत विषयोतिष रचनाकाल X | सेवनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामम्यष्ट नं०३१२
१६४३ गुलावदेव
|
पत्र सं० २१ साइज - १०x४३ इन्च भाषा-संस्कृत । दशा उत्तम प्रथम पत्र नहीं है। वेष्टन नं० २४७ |
ज्योतिष | रचनाकास्ट x | लेखनकाल x पूर्ण पूर्ण शुद्ध
पत्र०१४ साइज - १०४५ मा संस्कृतविषयति रचना
विषय
१६४४ प्रति नं० २ । पत्र सं० २२ | साइज - १०x४ च । लेखनकाल - सं० १७६० | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-जीगां वेष्टन नं.३४
I
विशेष
-
प्रति संस्कृत टीका सहित है।
१६४५ गृहफिल
|
० ६-११८५
काल × | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ३४६ । १६४६ गृहगोचरफल ------ | पत्र सं० २ | साइज - १२४४ रचनाकाल × । लेखनकाल पूर्ण सामान्य शुद्ध दशा सामान्यननं ३५० १६४७ चन्द्रोन्मीलन
रचनाकाल x | लेखनकाल-०१-२२ पूर्व १६४८ चन्द्रोन्मीलन टीका पत्र सं०६६ साइज - ११४५ च | भाषा-संस्कृत | विषय - ज्योतिष । रचनाकाल । लेखन सं० १७५४ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन नं० ४०३ । विशेष- संभामपुर में भट्टारक जगत्कीति ने टीका लिखवायी थी ।
भागा-संस्कृत विषय ज्योतिष रचना
| भाषा-संस्कृत विषय-ज्योतिष |
०२७ साइज - ११४२ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय - ज्योतिष | सामान्य शुद्ध दशा सामान्य वेष्ठन नं० ४०२ |
1
५ सा
१६४६ चमत्कार चिंतामणि- श्रीनारायण विषय - ज्योतिष | रचनाकल x | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ४०४ ।
१६५० चमत्कार चिंतामणियाणवर्मा पत्र सं० १२४ । भाषा-संस्कृत विष ज्योतिष | रचनाकाल x ! लेखनच्चल x पूर्ण पूर्व सामान्य शुद्ध दशा सामान्य श्रेष्टन २०४०५ ॥ पत्र ०६-१० ज्योतिष | रचनाकाल × | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | नेष्टन नं० ४६४ | १९५२] काकपद्धति श्रीपति म
१६५१ आवकपद्धति
व
प
० १३१००३इस भाषा संस्कृत विश्
१०४ इन्च भाषा-संस्कृत
माषा-संस्कृत विषय
1
सा
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न
योतिष ]
२७१
भौतिष | रचनाकाल X ] लेखनकाल x ! पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन मं० ४६५ ।
१६५३ जातकालंकार-गणेश देवा । पत्र सं० १७ । साइज-१०३४४, १च्च । भाषा-रांत । विषययोतिष ! रचनाकाल x | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । बैष्टन नं० ४६६ ।
विशेष-लेखक श्री गोपाल के पुत्र थे ऐसा स्वयं लेखक ने लिखा है ।
१६५४ ज्योतिष खंड".......! पत्र सं० ४ । साइज--१०४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । जि-ज्योतिष | एननाकाल x | लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-उत्तम ! वेटन नं. ५२५ ।
विशेष-दूसरे पत्र से इसी छन्द शास्त्र का विषय वर्णित है।
१६५५ ज्योतिषरत्नमाला-श्रीपति : पत्र सं० ११ । साइज-१०३४४३ इश्व | भाषा-संस्कुन । विषयज्योतिष | रचनाकाल X । लेवनकाल ४ । यपूर्ण-आगे के पत्र नहीं हैं ! सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन ० ५२५ |
१६५६ प्रति नं० २ । पत्र सं० २५ । साइज़-१२४५३ च | लेखनकाल–सं० १८०३ वैशास बुदी १३ । पूर्ण एवं शुद्र । दशा--सामान्य । वेष्टन नं. ५ २६ ।
विशेष--रामचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी।
१६५७ प्रति नं. ३ । पत्र सं० १६ । साइज-१-४५ इन्न । लेखन काल-मं० ११५६ श्रावण पंचमी । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० ५२६ ॥
विशेष-निदानपुर में भारमल्ल के शासनकाल में अन्य की प्रतिलिपि की गयी थी।
१६५८ ज्योतिपशास्त्र"....."। पत्र सं० १F 1 साइज-११४४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष 1 | रचनाकाल x ' लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ५२७ ।
१६५६ ज्योतिष्करएड ...."| पत्र सं. ५-६७ । साइज-१०५४४५ इञ्च | भाषा-प्राकृत | विषययौतिष | रचनाकाल x 1 लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ५२= | ___ विशेष-संस्कृत में टीका दी हुई है । टीकाकार श्री मलयगिरि है।
१६६० ताजिकशास्त्र-श्री विश्वनाथ | पत्र सं० ५१ । साइज-११४५ न | भाषा-संस्कृत | विषयज्योतिष : रचनाकाल X । टीकाकाल-सं० १५५६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ६|
विशेष – प्रति संस्कृत टीका सहित है ! टीकाकार श्री नीलकण्ठ हैं ।
१६६१ प्रति नं० २१ पत्र सं० ७४ । साइज-११४५३ इन्च । लेखनकाल X ! अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-उत्तम | वेटन न० ६३२ ।
. १६६२ प्रति नं. ३ । पत्र सं० २६ । साइज-30६x४३ इञ्च । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशासामान्य चेष्टन नं०६३३॥
१६६३ प्रति नं. ४ । पत्र सं० = | साइज-१०x४६ इन ! लेखनकाल - | अपृा एवं सामा य शुद्ध । देशा--सामान्य । वैप्टन नं०६१।
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२७२
१६६४ प्रति नं ५ | पत्र सं० २७ | साइज - १२३x४. इस । लेखनकाल -२० १६६७ | पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम वेष्टन नं० ६३४ ।
विशेषप्रति संस्कृत टीका सहित है। टीकाकार श्री हर्षन है।
१६६५ दशायक''''''''० २६ साइज - ११४४३
रचनाकाल × । लेखनकाल X | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य | वेष्टन नं ० ५१२ ।
१६६६ दिवाकरपद्धति--दिवाकर पत्र संसार १४ भाषा-संस्कृत विषय रचनाकाल-सं० १३४७ ( शक ) । लेखनकाल- सं० १८३० | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ७४० ।
० ६
भाषा-संस्कृत विषयति
१६६७ दिशाफल - रचनाकाल x लेखनकाल पूर्व एवं शुद्ध दशा- सामान्य विशेषयन्ति पत्र पर पिता का चक्र भी है।
1
د
साइज - १ ईई इ
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वेष्टन नं० ७४१ ।
१६६८ नवग्रह विचार
पत्र ०२
साइज २४ इन्च मात्रा-हिन्दी विषय
1
दशा सामान्य
वेष्टन नं००५७।
रचना । लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध १६६६ नृपतिजयच नरपति | पत्र सं० ४६
इञ्च । ।
न
१०३४ नाफा X लेखनकाल सं० २०२०। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य १६७० नारचन्द्र ज्योतिषशास्त्र-नारचन्द्र पत्र सं० १६ साइज १०४३ भाषा-संस्कृ विषय-ज्योतिष रचनाका लेखनकाल x व-प्रथम पत्र नहीं है। शुद्ध दशा सामान्य १६७१ निमित्त शास्त्र ज्योतिष रचनाकाल देखन- १० १६७२ पद्मकोशांग ७ साइज ०३४ इन्च भाषा-संस्कृत विषय ज्योतिष | रचनाकाल x | लेखनका पूर्ण एवं युद्ध दशा-सामान्यष्टननं० ९४० ।
० १० साइज १०३
भाषा - हिन्दी (पुरानी) विषयपूर्ण एवं सामान्य युद्ध | दशा-सामान्य वेष्टन नं. १००।
I
पत्र
.
१६७३ पाशा केवली' रचनाकाल × । लेखनकाल- सं० १६४० १६७२ पाशाकवली -
रचनाकाल × लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध
भाषा-संस्कृत विषय
१ पत्र स० १० | साइज - ८x४३ पूर्ण एवं शुद्ध दशा सामान्य
पत्र० ११
मात्रा-संस्कृत विषय-ज्योतिष ।
वेष्टन नं० १२६ ।
I
१२०३ । इन | भाग - हिन्दी । त्रिषय ज्योतिष |
माषा-संस्कृत विषय
दशा सामान्य वेन नं ११०४ ।
"
१६७५ प्रश्नदीपिका पत्र सं० ४ । साइज - १०३४ई इञ्च | विषय - ज्योतिष | रचनाकाल x नाल पूर्व एवं शुद्ध दशा सामान्यनं० ११२६ ॥
१६७३ प्रति नं २ ० ४ ११६ लेखनकाल X पूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्यननं० ११६७
१६७७ भद्रबाहु संहितामा पत्र ०८ मा ६४ भाषा-संस्कृत विषय वन
C
전
रच
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________________
A
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1
मोतिष ]
२७३
खन । रचनाकाल x 1 लेखनकाल - मं० १६७१ मंगसिर सुदी । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- जीर्च । वेष्टन नं० १३१५
विशेष-- सुनि पद्मनन्दि ने गोपाचल में प्रतिलिपि की थी ।
१६७५ प्रति नं० २ | पत्र सं० ६ | साइज - १०३५ इन्च | लेखनकाल - सं० १६०० मादवा सुदी ७ । २०६० तक | सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १३१६ |
१६७६ भुषनदीपक - श्री पद्मप्रभरि । पत्र सं० १६ । ज्योतिष । रचनाकाल - सं० ११३४ | लेखनकाल - सं० १९३२ : ( बेटन नं ० १३५.७ |
साइज - ११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय - ३२ ) । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य ।
१६८० भुवनदीपक - हेमप्रभरि । पत्र सं० ३६ | साइज - १३x६ इन्च | भाषा संस्कृत विषय ज्योतिष ।
रचनाकाल × । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम | वेष्टन नं० १३५८ ।
१६८९ मानसागरीपद्धति
| पत्र सं० १७१ । साइज - १०३४४३ इव । माषा-संस्कृत | विषय - वनकाल × | लेखनकाल—सं ० १.३० चैत्र शुक्ला १४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १३६१ । | पत्र सं० १ | साइज - १०३४४३ इश्च । भाषा-संस्कृत विषय - ज्योतिष | (रनाकाल × । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन मं० १३६३ ।
१६२ मासेश्वरफ्ल
१६८३ मुहूर्त्तमुक्तावली - परमहंसपरिवाजकाचायें । पत्र सं० ६ | साइज - १२४५३ इन्च | भाषा-संस्कृत 1 विषय- ज्योतिष | रचनाकाल x । लेखनकाल - सं० १८७५ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १४०४ । २५ | साइज - १९९४ इन्च | भाषा-संस्कृत विषय ज्योतिष । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १४०३ ।
१६८४ मुहूर्त्ततामणि
पत्र सं इनन [काल × १ लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
|
९६६५ रत्नदीपक पत्र सं० = साइज - १०x४२ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय - ज्योतिष | रचनाकाल × | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन बं० १५१६ |
१६६६ रत्नमञ्जूषा --पत्र सं० १७ । साइज - १०४४ इन्च | भाषा-संस्कृत विषय ज्योतिष | रचनाकाल X | लेखनकरल | अपूर्ण प्रारम्भ के १२ पत्र नहीं हैं। दशा - सामान्य । वेष्टन नं ० १५२० ।
१६६७ राजयोगवर्शन | पत्र सं० ३ | साइज - १०६४३ च | भाषा - संस्कृत | विषय - ज्योतिष | रचनाकाल × | लेखनकाल X। श्रपू एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १५३६ ।
१६ वर्षतस्त्र - श्री नीलकण्ठ | पत्र सं० ३४ | साइज - ११४४३ इच | भाषा-संस्कृत | विषय - ज्योतिष | रचनाकाल X ! लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य वेष्टन नं० १६१६ |
साइज - १०३४४३ हच । भाषा - संस्कृत | विषय - ज्योतिष दशा - सामान्य | वेष्टन नं ० १६१७ |
१६८६ वर्षविनोद - रामविनोद | पत्र सं० १३ | रचनाकाल - शं० १५५० । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
१६६० बृहज्जातक - श्री वराहमिहर | पत्र सं० ३७ । साइज - १०३x५ इञ्च | भाषा-संस्कृत | विजयमोतिष | रचनाकाल < | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा उत्तम | न नं० १६६४ |
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२७४
विशेष – प्रति ११ ५ तक
१६६१ वराहसंहिता
रचनाकाल | लेखन
क
पत्र संसाद - १०३८४
दशा सम्मान् प्रेष्टन नं० १६०२ ॥
। पूर्ण एवं शुद्ध
विशेष - केवल स्त्रीमात्र फल हैं।
१६६२ शकुनशास्त्र
पत्र
०५३ | साइज - १०÷४५ इ | सावा संस्कृत विषयोतिष | रचनाकाल × ! लेखनकल पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १६०१ |
१६६३ पसिकात्तिमहात्पलपत्र १०-२१०
मात्राकृत विषय
ज्योतिष | रचनाकाल × | लेखनकाल - मं० १२= वैशाख सुदी १० । पू एवं शुद्ध दशा - सामान्य नं० १५९० ।
विशेष – महान ने पटनायें लिलो मी |
१६६४ प्रति २ । पत्र सं० | साइज - ११४ इ | लेखनकाल - सं० २०८२ । एवं शुद्ध । दशा सामान्य वेष्टननं० २०२०
विशेष- हिन्दी अकीदा गया है।
१६६६ सर्वतोभद्रक
1
रचनाकाल × १ लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध
[ ज्योतिष
इक्ष ! मावा-संस्कृत | विषय - ज्योतिष | |
१६६५ प्रतिनं ३ पत्रलेखनासं० २०२५५ पूर्व एवं शुद्ध दशाननं १८६ |
"
पत्र ०५
साइज ११४५ इन्च भाषा संस्कृत विषय ज्योतिष दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १९५३ ।
१६६७ लामुद्रिक"
०१४ | सहज-६६
भाषा
विषय
चनाकाल x | लेखनकाल २०१०३३१३ पूर्ण एवं शुद्ध दशा-जी पत्र एक दूसरे से ये हुये है। वेष्टन नं० २०२२
I
१६६५ स्वर्णविचार पत्र मं० ५। सा- ११४५ इव रचनाकाल x डेवनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य बेहन नं ११३१ ॥ १६६६ स्वप्नाध्याय | पत्र सं० रचनाव्यलेखनहाल पूर्ण पूर्व सामान्य शुद्ध
I
१७०० होराष्ट्रपंचासिका टीका
पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २२६० ।
पत्र २०
२ | साइज - १०३ ४ ४ ३ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-ज्योतिष | दशा-सामान्य वेष्टन नं० २१६२ |
व लेखन काल सं०] १००० ।
भाषा-विषय-ज्योतिष |
१७०१ प्रति नं० २ । पत्र सं० ५ | साइज - १०x४३ इन्च | लेखनकाल - सं० १८६८ वैशाख सुदी १० । पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य | वेस्टन नं० २२६० ।
१७०२ प्रति नं० ३ । पत्र ०८ | साइज - १०३x४३ इन | लेखनकाल - तं० १८२८ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य एन ० २२६० ।
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१७०३ उन्मत्त भैरवो
रचनाकाल X ! लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-जीवन नं० १७८ ॥
विषय - मंत्र तंत्रादि
ग्रन्थ संख्या - १२
पत्र सं०३७ साइज - १२४३ इन्च | भाषा - संस्कृत | विषय - मंत्रशास्त्र ।
१७०४
धवलय मंत्र
| साइज - ११५३ इन्च | भाषा-संस्कृत विषयमंत्रशास्त्र । रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १३१३ माह बुद्धी । श्रपूर्ण एवं शुद्र | दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ३०६ ।
विशेष --- श्रन्य मंत्र मी हैं।
१७०५ ज्वालामालिनीकल्प - मूलकर्ता इन्दनंदि योगीन्छ । भाषाकार - चंद्रशेखर शास्त्री | पत्र सं० ५३ | साइज - १०x८ । भाषा-तस्कृत हिन्दी | विषय - मंत्रशास्त्र | रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १६६१ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा उत्तम | वेष्टन नं ० ५२३ ।
विशेष-- विषय सूची अतिरिक्त पत्रों में दे रखी हैं। श्री जमनालाल शर्मा ने तिलिपि की थी ।
१७०६ णमोकार कल्प' "1 पत्र सं
१
रचनाकाल × | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम
वेष्टन नं ० ५७४ |
हुआ है।
१७०७ प्रति नं० २ । पत्र मंत्र : 1 साइज
|
। भाषा - प्राकृत | विषय - मंत्रशास्त्र |
साइज - ११३८ वेष्टन नं ० ५७४ ३
इन्च । लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य ।
विशेष – १०८ बार णमोकार मंत्र लिखा हुआ है। दूसरे पत्र पर णमोकार मन्त्र विद्या सिद्धि के लिये लिखा
१७०८ मोकारकल्प-बहार सिंहनंदि पत्र ४ | साइज - ११५ भाषा-संस्कृत विषयमंत्रशास्त्र । रचनाकाल --स० १६६७ | लेखनकाल - सं० १६५६ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम । वेष्टन नं० ५७५ । १७०६ भक्तामर स्तोत्र | पत्र ० ६६ । साइज - ११३८ इ | भाषा-संस्कृत | विषय - मंत्रशास्त्र । रचन:काल ×1 लेखनकाल-रॉ० १२.३६ वैशाख शुक्ला १२ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १२१८ |
विशेष- प्रति मंत्र सहित है।
१७१० प्रति नं २ | पत्र सं० २०४७ | साइ- ८३x६ इव । लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १२६७
विशेष – प्रति मंत्र सहित है। मंत्रों के यंत्रों के खाके भी दिये हुये हैं ।
१७११ भक्तामर स्तोत्र''''
रचनाकाल × । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा जीर्णे । वेष्टन नं० १२१३ |
पत्र सं० २ | साइज - १०३९५ इन्च | भाषा - संस्कृत | विषय - मंत्रशास्त्र |
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[ छन्दशास्त्र
| भाषा-संस्कृत । विषय
१७१२ मन्त्रमहोदधि - श्री महीवर | पत्र सं० १०५ । साइज - १०३६ मंत्रशास्त्र । रचनाकाल × । लेखनकाल- ०१८५७ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १९७५ । १७१३ विद्यानुशासन- मतिसागर । पत्र सं० १७८ | साइज - १२x६ इन्च । माषा-संस्कृत विषयमंत्रशास्त्र | रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १४३२ पौष सुदी १४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १६३० । विशेष प्रति यंत्रों सहित हैं। मतिसागर संग्रहकर्ता हैं । उन्होंने मिन्न भिन्न श्राचार्यों द्वारा निर्मित मन्त्रों संग्रह करके विधानुशासन नाम दिया है। इसका दूसरा नाम विधानुवाद भी है । श्रायुर्वेद का भी विद्यानुशासन में समावेश है। १७१४ सौभाग्यरत्नाकर - श्री विधानंदनाथ । पत्र [सं० ५०० १४० | साइज - १२३४५ इञ्च । माषासंस्कृत । विषय-मंत्रशास्त्र | रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १७३६ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध वेष्टन नं० : १५७ !
दशा - सामान्य |
विशेष - हृदयराम ने प्रतिलिपि की थी।
२७६
विषय - छन्दशास्त्र
ग्रन्थ संख्या-- १७
१७१५ बंद कोश | रचनाकाल X | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं ० ४५१ ।
१७१६ प्रति नं० २ । पत्र सं० ६ | साइज - १२९१ इञ्च लेखनकाल सं० १७६३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ४५२ |
पत्र सं० ७ । साइज - १०३४४२ दश्च । भाषा प्राकृत विषय - द्रन्दशास्त्र ।
१७१७ द्वात्रिंशद्गुण भेद" | पत्र सं० २ | साइज - १०३x६ इ । भाषा प्राकृत विषय छन्दशास रचनाकाल × | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं० ७४९ |
१७१८ पिंगलछंदशास्त्र - श्री नानूराम । पत्र सं० ६६ । साइज - ६४६ इन्च | भाषा - हिन्दी | विषय -- छन्दशास्त्र | रचन]काल X | लेखनकाल x | पूर्ण अन्तिम पत्र नहीं है। शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ११०५ ! विशेष - प्रति के मध्य में से दो तीन स्थानों के पत्र फटे हुये हैं। पद्य सं० १०५ है ।
१७१६ चिंगलशास्त्र ---| पत्र सं० ३७ । साइज - १२५३ इन्च भाषा - प्राकृत | रचनाकाल X लेखनकाल-सं० १७६६ कार्तिक ख़ुदी । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ११०६ ।
विशेष - प्रति हिन्दी टीका सहित है ।
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छिन्दशास्त्र]
१७२० वृत्चरत्नाकर-भटकेदार । पत्र ०६ । साइज-१०४४३ इ । भाषा-संस्कृत | विषय-छन्दःशास्त्र । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ । पूर्ण एन शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १६६६ ।
१७२१ प्रति नं०२। पत्र सं० ८ १ साइज-१०१४४६ इश्च । लेखनकाल–सं० १६४४ माह सुदी २॥ पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६७ ।
१७२२ प्रति नं. ३: पत्र सं० १ । साइज--१.४५ इन्च | लेखनकाल X ! पूर्ख एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । बेटन नं० १६७४ ।
१७२३ प्रति नं. ४ । पत्र सं० १८ | साइज-१०x४६ इन्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६७४ ।
१७२४ प्रति नं.५। पत्र सं० १० | साइज-११४४ इञ्च | लेखनकाल–सं० १-२३ श्रावण मी ८ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेप्टन नं० १६७५ ।
विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है।
१७२५ प्रति नं०६। पत्र सं० १२ । साइज-.१४५३ इन्च । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । न नं० १६७५ । हो.. १७२६ प्रति नं०७। पत्र सं० २० 1 साइज-११३४१६च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० १६७५ ।
१७२७ प्रति ने०८ । पत्र सं० ११ । साइज-ex४ इन्च । लेखनकाल–सं० १८३७ फागुण बुदौ ।। # पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६८०
१७२८ प्रति नं0 1 पत्र सं० ५ 1 साइज-१२x६ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८२३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य 1 वेष्टन ने० १६८० ।
१७२६ प्रति नं० १० ! पत्र सं० १४ | साइज-२x६ इञ्च । लेखनकाल XI पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६८० |
१७३० श्रुतबोध-कालिदास । पत्र सं. ४ | साइज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-छन्दशास्त्र । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १८६५ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं० १७५४ ।
१७३१ प्रति नं० २। पत्र सं० ३ | साइज-१२x६ इन्च । लेखनकाल X । श्रपूर्ण एवं अशुद्ध । दशाजीर्ण । वेष्टन ने० १७५५ ।।
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विषय-रस एवं अलंकार
प्रन्थ संख्या-३०
१७३२ श्रमरूकशतफ-मूला -अमुरू! पत्र सं० ५। साइज--११४११ इन। मामा-संस्कृत विषय--अलंकारशास्त्र । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा--सामान्य । वेपन नं० २८ ।
विशेष प्रति संमत टीका सहित है। टीकाकार श्री चतुर्भुज हैं।
१७३३ कविकल्पलता-वाग्भट्ट सुत श्री देवेश्वर । पत्र सं० २२। साइज-१०४४३ इञ्च । माषा-संस्कृत। विषय-अलकारशास्त्र । रचनाकान। लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २५३ ।
विशेष-प्रथम पध-इस प्रकार है । मालवेंद्रमहामात्यः श्रीमद्वाग्भट्टनंदनः । देवेश्वरः अतनुते कविकल्पलतामिम ।।
१७३४ कविमुखमंडन-4 बानमेरुमुनि । पत्र सं० १, | साइज-2x४ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषयअलंकारशास्त्र । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ ! अपूर्ण-प्रथम पत्र नहीं है । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २।४।।
विशेष-दौलतखा के लिये शास्त्र रचना की गयी थी ऐसा कवि ने उल्लेख किया है। फतहपुर में इसकी प्रतिलिपि हुई थी।
१७३५ काव्यप्रकाश-मम्मट । पत्र सं. १४६ ! साइज-१०४४ इन। भाषा-संस्कृत। विषय-अलंकार । शास्त्र । रचनाकाल ४ । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २६१ ।
विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है। टीकाकार श्री वैद्यनाथ है । टीका का नाम उदाहरण चन्द्रिका है।
१७३६ प्रति नं.२ । पत्र सं० ७ । साइज-१.४५ इन्च । लेखनकाल ४। पूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य । वेष्टन नं ० २६२ ।
विशेष--मूल कारिकाओं का संग्रह है।
१७३७ प्रति नं०३ । पत्र सं० ४१-६६ | साइज-११४ इञ्च । लेखनकाल-in ११ फाल्गुण शुक्ला प्रतिपदा । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २६ ।
विशेष--जय चन्द्रजी ने नन्दलाल के पठनार्थ प्रतिलिपि की थी।
१७३८ काव्यप्रदीप-महामहोपाध्याय श्री गोबिन्द | पत्र सं० १५० | साइज-१३४६५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-अलकारशास्त्र । रचनाकाल X । लेखन काल-सं० १८४० वैशाख सुदी १० । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २६३।
विशेष-गोविन्दराम दधीचि ने जयपुर में प्रतिलिपि की थी। प्रति संस्कृत टीका सहित है । टोकाकार श्री वैधनाम है। रीकाकार विठ्ठलसूरि के पौत्र एवं रामभट्ट के पुत्र थे।
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२७६
१७३६ काव्यादर्श-महाकवि दण्डी । पत्र सं० ४२ । साइज- १.४४६ इश्व। माषा-रस्कृित । विषयतकारशास्त्र | रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १५७३ मंगसिर बुदी ।। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २६४ । . विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है।
खण्डेलवालान्वय पापल्यागोत्रे सा घडसी ने इसकी प्रतिलिपि करवाकर मनि धर्मचन्द्र को प्रदान की थी।
१७४० कुवलयानन्द-अपयदीक्षित | पसं. ६. साइज-११४५ इन्च भाषा-संस्कृत। विषयकारशास्त्र । रचनाकाल X । लेखनकाल X । श्रपूर्ण-१-१५ तक के पत्र नहीं हैं। सामान्य शुद्ध । दशा सामान्य । न २०२।
१७४१ प्रति ०२१ पत्र सं० १-२४ । साइज-११४, इव । लेखन काल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-जीर्ण । वेष्टन नं० २८२ ।
१७४२ प्रति नं०३। पत्र सं० १-२५ । साइज-१०६x४३ इन्च । लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं सामान्य युद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २८२ ।
१७४३ प्रति नं. ४ । पत्र सं० साइज-१०४४६ इन्च । लेखनकाल-सं. १८१६ । पूर्ण एवं शुद्ध । पशा-सामान्य । वेष्टन नं० २८३ ।
विशेष-सवाई जयनगर में पं० सुखराम ने प्रतिलिपि की यी । १७४४ प्रति नं०५। पत्र सं. ७ । सहज-६x६ च | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २८.
१७४५ प्रति नं०६। पत्र सं०६ साइज-१०३४५३ इन्च | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० २८५।
१७४६ प्रति नं० ७ । पत्र सं० ६ । साइज-१०३४१३ च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं ० २८५ |
१७४७ रसगंगाधर टिप्पण......."। पत्र स० ३१ । साइज-EX इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-अलंकारशास्त्र । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १५२४ । ___ विशेष-रसगंगाधर के कठिन स्थलों का टिप्पण है।
१७४८ रसतरंगिणी-श्री भानुदत्त । पत्र सं. ३६ । साइज-१०३४६ इ । भाषा-संस्कृत | विषय-अलंकार रास्त्र । रचनाकाल ४ । लेखनकाल-सं० १८३५ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्धः । दशा-सामान्य । वेन्टन नं ० १५२५ ।
१७४६ प्रति नं० २ । पत्र सं० २२ । साइज-११४५३इन । लेखनकाल-सं० १८५३ वैशाख शुक्ला १० । य एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १५२६ ।
१७५० प्रति ने० ३ | पत्र सं० १-२६ | साइज-१.३४५ रश्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध | -सामान्य । वेष्टन नं. १५२७ ।
१७५१ रसमंजरी-भानुदत्त । पत्र सं० २५ | साइज-११६४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय--अलंकार
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शारत्र | रचनाकाल x 1 लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १५२८ |
१७५२ प्रति नं. २१ पत्र सं० २६ । साइज-१०४४३ इञ्च | लेखन काल-सं० १८५३ पौष सुदी १३ पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन मं० १५२ |
१७५३ रसतर गिरणी काय वेणीदत्त शभा । पत्र सं० ६६ । साइज-१:४४६ इन | भाषा-सस्टम विषय-रस । रचनाकाल XI लेखनकाल ४ | थपूर्ण एवं सामान्य शद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं.१५१०।
१७५४ रसमंजरी भाषा-भी रघुनाम | पत्र सं० २३ । साइज-११-४४३ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषयअलंकारशास्त्र । रचनाकाल ४ ! लेखनकाल-सं० १७७१ पौष बुदी १ः। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य। वेष्टन नं. ०५:१।
विशेष-लाहौर नगर में प्रतिलिपि हुई थी।
१७५५ रसमंजरी । पत्र सं०१८ साइज-१x६ इन्च | माषा-संस्कृत | विषय-रस । बनना काल xलंबनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्धादशा-सामान्य। वेटन नं. १५३२ ॥
१७५६ रसरहम्य-श्री कुलपति मिश्र । पत्र सं. । साइज-१.१४६ इन्च ! भाषा-हिन्दी । विषयआलंकारशास्त्र । रचनाकाल-सं० १७२७ । लेखनकाल-सं०५-८६ । श्रपूर्ण-रारम्भ के पत्र नहीं हैं । सामान्य शुद्ध । दशासामान्य | वैप्टन नं. १५३१।
विशेष -लालजीमलजी कायस्थ के पठनाथ प्रतिलिपि की गयी थी।
१७५७ वाग्भट्टालंकार-वाग्भट्ट ! पत्र सं० १६ ! साइज-१२४ इन्च । माषा-संस्कृत । विषाअलंकारशास्त्र । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. १६५४ ।
१७५८ प्रति नं०२ ! पत्र सं... माइज-१.१४४३ इश्च । लेखनकाल X| अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-जीण | वेष्टन नं. १६६०
विशेष-प्रति संस्कृत का सहित है।
१७५६ श्रृंगारवैराग्य तरंगिणी-सोमप्रमानार्य । पत्र सं० १२ । साइज-१०:४५ इत्र । भाषा-संस्कृत। विषय-रस | रचनाकाल X । लेखनकाल X { पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य | वेष्टन नं. १७२० ।
१७६० श्रृंगार रातक...। पत्र सं० ४ । साइज-१०५४४५ श्च । माषा-हिन्दी । विषय-भृगारस । रचनाकाल X ! लेखनकाल-सं. १७२१ चैत बुदी १ ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७२१ ।
१७६१ संदेशरासक-दहमाण । ( अब्दुल रहमान ) । पत्र सं० ३१ । साइज-११४४३ इन्च ! भाषाप्राकृत | विषय-शृंगाररस । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १६०८ बैशाख सुदी १४ । अपूर्ण-प्रारम्भ के पत्र नहीं है। शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १८२८ ।
विशेष-सरस्वती पत्तन में बादशाह सलीम के शासनकाल में वाचनाचार्य माणिवयराज ने लिखा। संस्कृत टोका दी हुई है । संस्कृत अर्थ स्पष्ट है।
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विषय-गणित शास्त्र
प्रन्ध सख्या-१४ १७६२ बीजगणित...."! पत्र सं०१६ | साइज-८४४ इञ्च | विषय-गणित । रचनाकाल ४ लेखनल x | अपूर्ण एवं श्रशुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० १२६८ |
१७६३ बीजगणित सटीक "..."। टीकाकार-श्री कृष्ण गणक। पत्र सं० १०७। साइज-१०३४५३ च | भाषा-संस्कृत । विषय-गणित । रचनाकाल ४ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा--सामान्य । वेष्टन नं० १२६६
१७६४ लीलावती सूत्र-भास्कराचार्य । पत्र सं० १६ । साइज-१०४१३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपणित । रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य ! वेष्टन नं० १५८१ ।
१७६५ प्रति नं०२१ पत्र सं० २४ । साइज-१३४५६ १च्च ! लेखनकाल-सं. १८४४ पासोज बुदी ।। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न० १५८५ ।
१७६६ प्रति नं०३ । पत्र सं० १०८ | साइज-११३४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १९३४ वैशाख सुदी ७ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० १५८८ | १७६७ प्रति नं०४| पसं. १३० । साइज-१२३४५३इन । लेखनकाल x
द्ध | दशासामान्य । वेष्टन नं० १५-६ | .
२७६८ प्रति नं.५। पत्र | साइज-६x४ इञ्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १५600
१७६६ प्रति नं० ६ । पत्र सं० १ । साइज-१४४ इञ्च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | शा-उत्तम । वैप्टन नं ० १५१० । L, १७७० प्रति नं. ७ । पत्र सं० १०० | साइज-४५ ३श्व ! लेखनकाल ४ ! यपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं. १५६१ ।
१७७१ प्रति नं०८ । पत्र सं० ७८ । साइज-११४५ इन्न । लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वैप्टन ० १५१२ ।
१७७२ प्रति न०६ । पर सं० ३४ । साइन-15x५३ इल्च । लेखन काल x। अपूर्ण-प्रारम्भ के तमा पन्त के पत्र नहीं हैं । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १५६३ ।
१७७३ लालावती भाषा | पत्र सं० २-साइज-१२४५ एम्च। भाषा-हिन्दी। विषय-गणित | रचनाकाल ४ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० १५६४ ।
१७७४ प्रति नं०२ । पत्र सं० १८ । साइज-११६४५ इञ्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं शुद्ध १ दशा
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२६२
सामान्य । वेष्टन नं० १५६६ ।
विशेष- प्रति प्राचीन है।
१७७५ लीलावती भाषा-लालचं । पत्र सं० २१ । साइज-१२४१३ च | भाषा-हिन्दी | विषय-गफिट रचनाकाल-सं० १७३० । लेखनकाल-सं० १७४६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १५६५।
विशेष-प्रशस्ति सुन्दर एक महत्त्वपूर्ण है।
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विषय-कामशास्त्र
ग्रन्थ संख्या-४ १७७६ कोक प्रबन्ध....."। पत्र सं० २० । साइज-६४६ इञ्च | भाषा-हिन्दी । विषय-कामशास्त्र ।। रचनाका१ X | लेखनकाल--सं. १७६५ श्रावण शुदी ८ | पूर्ण एवं अशुद्ध | दश:-जोर्ण । वेष्टन में० २८७ |
१७७६ कोकसार-यानंदकवि । पत्र सं० १७ । साइज-६x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी विषय-कामशास्त्र । रचनाकाल X । लेखनकाल–सं० १७६५ श्रावण सुदी १३ । पूर्ण एवं श्रशुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन ० २८८ ।
१७७८ रतिरहस्य दीका......। पत्र सं० ५ । साइज-१०४४३ इञ्च । भाश-संस्कृत | विषय-कामशास्त्र । रचनाकाल X| लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १४८७ ॥
विशेष-हिन्दी अर्थ सहित है।
१७७६ सामुद्रिकशास्त्र.....! पत्र सं० ४२ । साइज-2x५३ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-कामशास्त्र । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन मं० २०२१
विशेष-प्रति सटीक है । टीका हिन्दी गद्य में है।
विषय-लोकविज्ञान
ग्रन्थ संख्या--३३ १७८० अकृत्रिम चैत्यालय वर्णन-बाना दुलीचंद पत्र सं० ४ । साइज-१०६x६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-लोकविज्ञान । रचनाकाल-रा० १६५१ । लेखनकाल-सं० १६११ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं०६।
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लोकविज्ञान ]
विशेष – त्रिलोकसार ग्रन्थ में से लिया गया है !
१७८१ जैन यात्रा दर्पण - बाबा दुलीचंद पत्र सं० २७ | साइज - ११४७३ | भाषा - हिन्दी | विषय- भूगोल | रचनाकाल । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य वेष्टन नं० ५०६ |
विशेष प्रथम माग है |
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१७८२ प्रति नं० २ । पत्र सं० ४३ | साइज - १०÷४७ इन्च । लेखनकाल - सं० १९५८ | पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं ० ५०६ ।
विशेष- षष्ठ माग तक पूर्ण है ।
१७८३ जैनयात्रा दर्पण - बाबा दुलीचंद | पत्र [सं० ७० | साइज - १०६ इञ्च | भाषा - हिन्दी 1 विषय- भूगोल | रचनाकाल × । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य वेष्टन नं० ५०७ |
विशेष - जैन तीर्थो की यात्रा का पूर्ण विवरण दिया हुआ है ।
१७८४ त्रिलोकदीपक - इन्द्रवामदेव पत्र ०८ भाषा-संस्कृत विषय - लोकविज्ञान | रचनाकाल x | लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ६५६ ।
१७५ प्रति नं० २ दशा जीर्ण । वेष्टन नं० ६६० ।
। पत्र [सं० ८१ साइज - १३३४०३ ह । लेखनकाल । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
१७८६ त्रिलोकदीपक"
पत्र सं० १६-६७ | साइज - १२९५ इव | भाषा-संस्कृत | विषय - लोकविज्ञान | रचनाकाल × । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ६६१ ।
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१७ त्रिलोक प्रज्ञप्ति
१७८७ त्रिलोक प्रज्ञप्ति “। पत्र सं० १०२ | साइज - १२५ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय -लोकविज्ञान | रचनाकाल × | लेखनकाल × । अपूर्ण प्रारम्भ के ३ तथा अन्तिम पत्र नहीं हैं। शुद्ध दशा - सामान्य | वैष्टन नं ० ६६२ । । पत्र सं० २६५ | साइज - १२९५३ इञ्च । भाषा - प्राकृत । विषय-लोकविज्ञान | रचनाकाल Xx | लेखनकाल - सं० १७६८ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं ० ६६३ । १७८६ त्रिलोक प्रज्ञप्ति " " पत्र सं० ४२४ । साइज - १०४५ ३ । भाषा प्राकृत विषय-लोकविज्ञान | रचनाकाल × । लेखनकाल—सं १७८७ | ज्येष्ठ शुक्ला १४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | केप्टन नं० ६६४ । विशेष - नृ दावती नगरी में रावराजा बुधसिंहजी के राज्य में मुनि रामविमल ने प्रतिलिपि की थी ।
१७६० त्रिलोकसार - श्राचार्यनेमिचन्द्र । पत्र सं० ७१ | साइज - ११X५ इन्च | भाषा - प्राकृत | विषय - लोकविज्ञान | रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- जीर्णं । वेष्टन नं० ६६६ ।
१७६१ प्रति नं० २ | पत्र सं० १३३ | साइज - १०३५ । लेखनकाल - २० १८८४ । पौष शुक्ला ३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ६६७ ।
१७६२ प्रति नं० ३ । पत्र सं २१४ | साइज - १२५३ इश्व | लेखनकाल सं० १८७३ सादवा बुदी ७ अपूर्ण प्रारम्भ के २५ पत्र नहीं हैं। शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ६६८ ।
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[ लोकविज्ञान
१७६३ प्रति नं० ४ | पत्र सं० २६ | साइज - १०४४३ इन्च । लेखन काल - सं० १९४२ चैत्र बुदी ११ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ६६६ ।
विशेष-मुनि विशालकीर्त्ति के निमित्त व्याघ्र रेखालाभ्यय देवराया गोम वाले सं० तीक्म के पुत्र शंकर एवं उसकी भार्या धानी ने शास्त्र की प्रतिलिपि करवायी थी ।
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१७६४ प्रति नं० ५ । पत्र सं० ६४ | साइज - १५७ इन्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ६७०
१७६५ प्रति नं० ६ । पत्र सं० ५७ | साइज - १२९५ इन्च | लेखनकाल । पूर्ण प्रारम्भ का १ पत्र नहीं | दशा- जीर्ण | वेष्टन नं ० ६७१ ।
विशेष - सागरसेन कृत संस्कृत टीका सहित है ।
१७६६ प्रति नं० ७ । पत्र सं० २६ । साइज - १०४३ इन्च | लेखनकाल - सं १७६६ वैशाख बुदी है | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेटन नं० ६७९ ।
विशेष -- नरसिंह अग्रवाल ने प्रतिलिपि की थी |
१७६७ प्रति नं० । पत्र सं १ | साइज - १०५ इन्च | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य । वेष्टन नं० ६७२ |
विशेष- प्रति संस्कृत टीका सहित है । टीकाकार श्री सहस्रकीर्त्ति हैं ।
१७६८ प्रति नं० ६ । पत्र [सं० ६२ | साइज - १०४३ इस । लेखनका - ० १३२६ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ६७३ |
विशेष -- प्रति सरगरसेन कृत संस्कृत टीका सहित है । १७६६ त्रिलोकसं
रचनाकाल × । लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं शुद्ध ! दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ६.६५ । विशेष—रेखाओं द्वारा विषय को समझाया गया है।
पत्र सं १४ | साइज - ११३८ । भाषा - प्राकृत | विषय -लोकविज्ञान |
१८०० त्रिलोकसार भाषा | पत्र सं० लोकविज्ञान | रचनाकाल x । लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध
२०६ । साइज - १२ ९ ६ २ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषयदशा - उत्तम | वेष्टन २०६७४
१८०९ त्रिलोकसार भाषा- पंडित टोडरमलजी । पत्र सं० ३०३ | साइज - ११३४६६ इव । भाषा - हिन्दी । विषय-लोकविज्ञान । रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १८३६ । अपूर्ण प्रारम्भ के १०८ पत्र नहीं हैं। सामान्य शुद्ध । दशासामान्य | वेष्टन नं ० ६७ |
१८०२ त्रिलोकसार भाषा-स्वरूपचंद बिलाला | पत्र सं० १८ | साइज - १०४४३ इ । भाषा - हिन्दी । विषय-लोकविज्ञान । रचनाकाल - सं० १६०१ । लेखनकाल X 1. पूर्ण एवं शुद्ध । दशा उत्तम ! वेष्टन नं० ६७६ । विशेष – संवत् १६२७ में सुमतिकीर्ति सूरि कृत मैलोक्यसार की गुजराती भाषा के आधार पर उक्त मंच की
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लोकविज्ञान ]
रचना की गयी । पद्म सं० २३२ |
१५०३ प्रति नं० २ । पत्र०१५ | साइज - ११४५३ इव । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य | वेष्टन नं ० ६७७ ।
२८५
१८०४ प्रति नं० ३ | पत्र सं० १८ | साइज - १०३ x ५ इन्च | लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० ६७५ ।
१६०५ त्रिलोकसार भाषा" | पत्र सं० ३१ | साइज - १४६७ ह । माषा - हिन्दी | विषय-लोकविज्ञान रचनाकाल x | लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ६७१ (क) ।
१८०६ त्रिलोकसार दर्पण कथा - श्री खड नसेन । पत्र सं० १२० | साइज - १३४६ इन्च | भाषा - हिन्दी । विषय-खोकविज्ञान | रचनाकाल - सं० १७०८ । लेखनकाल - १८०४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | लिपि - विकृत । दशासामान्य । वेष्टन नं० ६७६ ।
१८०७ प्रति नं० २ । पत्र सं० १०५ | साइज - ११४५ इन्च | लेखनकाल - सं० १७३८ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ६८० ।
१८०८ त्रिलोकदीपक - इन्द्रवामदेव पत्र ०८६ | साइज - १०४४३ च । भाषा-संस्कृत | विषय - लोकविज्ञान | रचनाकाल x 1 लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य | वेष्टन नं० ६८६ |
१८०६ त्रिलोकदीपक गुणभूषण 1 पत्र सं० १ १ साइज - १५x१० इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषय-लोकविहान | रचनाकाल >x | लेखनकाल - सं० १८६३ वैशाख सुदी १ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा उत्तम । वेष्टन नं० ६१० | विशेष – विषय को रेखाचियों द्वारा समझाया गया है । रेखाचित्र रंगीन हैं ।
१८१० त्रिलोकस्थिति
पत्र सं० ६ । साइज - १०x४ इञ्च । भाषा - संस्कृत - प्राकृत | विषय - लोकविज्ञान | रचनाकाल > । लेखनकाल । त्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ६६१ ।
१८११ मजलसराय पानीपत वाले का पत्र १ पत्र सं० १ | साइज - १२४७ इव । माषा - हिन्दी । विषय-यात्रावर्णन | रचनाकाल - सं० १८२२ | लेखनकाल- सं० १५२२ | पूर्णं एवं शुद्ध । दशा- जीर्णं । वेष्टन नं० १३७२ | विशेष-श्री मजलसराय गोमट्ट त्वामी की यात्रा करने गये थे । यात्रा से लौटने के पश्चात् हैदराबाद ( दक्षिण )
से उन्होंने भा० उनसेन पानीपतवालों को अपनी यात्रा का वर्णन लिखा है । पत्र महत्त्वपूर्ण है ।
१८१२ सूर्यप्रज्ञप्ति टीका" - पत्र सं० १३६ | साइज - १०x४३ ख | भाषा-संस्कृत | विषय - लोक विज्ञान | रचनाकाल x | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
दशा- जीर्ण । वेष्टन नं० २१५२ ॥
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विषय-सुभाषित
प्रन्य संख्या--३० १८१३ उपदेशशतक-यानतरायजी । पत्र सं. २२ । साइज-११४५१ श्चि । भाषा-हिन्दी । विषयमुभाषित | रचनाकाल-सं० १७५८ । लेखनकाल x । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । चेष्टन नं० १६१
१८१४ प्रति नं० २। पत्र सं० १६ । साइज-११४५ इश्व । लेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध : दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६१ ।
१८१५ दुर्घटकाव्य-कवि कालिदास । पत्र सं० २२ | साज-:०३४५ इश्च | भाषा-संस्कृत । विषयसुभाषित । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १८६४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ७५४। ..
१८१६ प्रति नं०२। पत्र सं० ६ । साइज--११४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६००। पूर्ण एवं शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ७५५।।
१८१७ बुधजन सतसई-बुधजन । पत्र सं० ८ । साइज-८४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी | विषय-सुभाषित । रचनाकाल ४ | लेखनकाल ४ ! पूर्ण-नीति अधिकार तक । सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य ! वेष्टन नं० १२:७० ।
१८१८ बावनी-किशनदास | पत्र सं० १८ | साइज-११४५ इश्च । भाषा-हिन्दी ! विषय-सुभाषित | रचनाकाल-सं० १७६३ । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १२६७ ।
विशेष-बनारसीदास कृत बावनी मी इसी में है।
१८१६ भत् हरिशतक-मनु हरि । पत्र सं० १६ | साइज-१०x४३ इञ्च | भाषा-संस्कृत | विषयसुभाषित । रचनाकाल । लेखनकाल-सं० १८२३ द्वितीय चैत्र शुक्ला ११ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन ०१११८
१८२० प्रति नं० २। पत्र सं० ३४ । साइज-१०६x६ ! च । लेख नकाल-सं० १९१० चैत्र बुद्दी ।। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं०१३१७ ।
१८२१ मान बावनी- मनराज | पत्र सं० १२ । साइज-६x४ ५श्व । भाषा-हिन्दी । विषय-सुभाषित । रचनाकाल ४ | लेखनकाल x I पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा--सामान्य । वेष्टन नं. १३८८ !
१८२२ विवेकविलास-श्री जिनदत्त सूरि । पत्र मं० ८६ | साइज-=x३६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयसुभाषित ! रचनाकाल x | लेखन काल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य जीर्ण । वेष्टन ० १६३८ ।
१८२३ प्रति नं. २ । पत्र सं० ४३ । साइज-१०१४४६ इञ्च ] लेखनकाल X| प्रथम पत्र नहीं है। सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. १६३६ ।
१८२४ प्रति नं०३। पत्र सं. १२ से १७ तक । साइज-१०३४४३ च । लेखनकाल ४] अपूर्ण एवं सामान्य शद्ध। दशा-जी । रेष्टन नं० १६४०॥
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सुभाषित ]
१८२५ वारक्खरी दोहा - ( बारहखडी दोहा ) श्री महचंदं । माश-पत्र | विषय - सुभाषित | रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० शा- सामान्य । वेष्टन नं ० १६५३ ।
विशेष-- श्री चाहड सौंगाणी ने प्रतिलिपि करवाई थी ।
९८७
पत्र सं० १२ | साइज - १०९४३ इश्च | १५६१ पौष सुदी १२ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
१८२६ षष्टशतप्रकरण-भंडारी नेमिचन्द । पत्र सं० ७ | साइज - १०९४ च । भाषा प्राकृत विषयमाषित । रचनाकाल x | लेखनकाल X | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १८०६ |
१८२७ सज्जनचित्तवल्लभ ---पत्र सं० ४ | साइज - १०३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय - समापित । रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं ० १८१७ | १८२ प्रति नं० २ पत्र सं० ४ | साइज - ३५३ इ | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा उत्तम
टिन नं० १८१७
१८९६ प्रति नं० ३ १ पत्र सं० ४ | साइज - १०३x४३ इ | लेखनकाल X। पूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य वेष्टन नं० १८१८ |
१८३० प्रति नं० ४ । पत्र सं० ४ । साइज ८५३ इन्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध दशाबचम | वेष्टन नं० १=१८ |
१८३१ सद्भाषितावली - पनालाल चौधरी । पुत्र सं० ६० | साइज - १३४० इञ्च | भाषा - हिन्दी | विषयसुभाषित | रचनाकाल - सं० २०१० | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उतम । वेष्टन नं० २१२= |
१८३२ संबोधपंचाशिका - गौतमस्वामी । पत्र सं० १७ | साइज - १०३४४३
| भाषा प्राकृत | विषय- श्रात्मबोध सम्बन्धी गाथायें । रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | केप्टन नं० १६३० |
विशेष प्रति सीक है । टीका संस्कृत में है ।
१:३३ प्रति नं २ | पत्र ०५ | साइज - ११४३ इञ्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | बैप्टन नं० १०३०॥
१८३४ सिंदूर करण -कौरपाल बनारसीदास | पत्र सं० १६ | साइज - १०३x४ इ । भाषा - हिन्दी | विश्य भाषित | रचनाकाल - सं० १६६६ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २०८६ |
१०३५ प्रति नं० २ । पत्र सं० २६ | साइज - ६५ इञ्च । लेखनकाल - सं० १८१८ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- जीर्ण | वेष्टन नं० २०६० ।
१८३६ प्रति नं ३ | पत्र [सं० २३ | साइज - ६ इन्च | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । बेटन नं० २०६१ |
१८३७ सुभाषितकोश --------| पत्र सं रचनाकाल । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
४ | साइज - १०४४३ इन्च | भाषा संस्कृत | विषय - सुभाषित | दशा - जी । वेष्टन नं ० २१३५ ।
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( सुभाषित
मावि
एवं
A.
१८३८ सुभाषितरत्नमाला..."। पत्र १२ । साइज-१३४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी | विषय-समापिन । रचनाकाल x ! लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २१२६ ।
१८३६ सुभाषितरत्नसंदोह-यमितिगति । पय सं० ३१-७५ । साइज-१०४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-सुभाषित । रचनाकाल ४ । लेखन काल-सं० १८६३ फाल्गुण १ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । श्रेष्टन नं० २१३३१
१८४० सुभाषिताएंव-म० शुभचन्द्र | पत्र सं० ६५ ! साइज-११६x४ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषयमुभापित । रचनाकाल x | लेखनकाल--सं० १७७४ ज्येष्ठ सुदी ८ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेद । नं० २१११ ।
१८४१ प्रति नं० २। पत्र सं० १७ । साइज-११४४३ इश्व । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. २११० ।
१८४२ सुभाषितसंग्रह..."| पत्र सं० १८ । साइज-१२४४३ इन्न । भाषा-संस्कृत | विषय-सुभाषित । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । देशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१३० ।
१८४३ सुभाषितसंग्रह.....। पत्र सं० ६ । साइज-१०३४४३ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय-मुमषित । रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध 1 दशा-सामान्य 1 वेष्टन नं ० २१३१ ।
१८४४ सुभाषितारत्ती-भट्टारक सकलकीर्ति । पत्र सं० २४ । साइज-१०४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-मुभाषित । रचनाकाल ४ | लेखन काल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २११२ ।
१८४५ प्रति नं० २। पत्र सं० १४ । साहज-१०६४५ इन्न । लेखनकाल-सं० १९२३ माघ शुक्ला १३ । । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० २११३ ।
१८४६ प्रति नं. ३ । पत्र सं० २६ । साइज-१.४४३ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८४१ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २११४ ।
१८४७ प्रति नं०४। पत्र सं० २२ । साइज-१०४५ इन्च । लेखनकाल ४ (पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य पैष्टन नं० २११४ ।
१८४८ प्रति नं० ५। पत्र सं० २१ । साइज-१२४५ इन्च । लेखनकाल ४ ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशाजीर्ण । वेष्टन नं० २११४ ।
१८४६ प्रति नं०६। पत्र सं० २० । साइज-११४५ इन्च | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम १ वेष्टन नं. २११४ ।
१८५० प्रति नं०७। पत्र सं० २० | साइज-१.६x६ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-1 उत्तम | वेटन नं० २११४ ।
१८५१ प्रति नं०८। पत्र सं० २६ | साइज-११४५ इञ्च । लेखन काल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण | अपूर्ण वेप्टन नं० २११४ ।
शा-नी
माग
अपूर्ण
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भाषित]
ति।
२८६ १८५२ प्रति नं०६ । पत्र सं० ३० । साइज-६x६ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८३८ । पूर्ण एवं अशुद्ध । शा-जीर्ण । वेष्टन नं० २११४ |
१८५३ प्रति नं० १०१ पत्र सं० ५. । साइज-११३४५ इश्व | लेखनफाल-सं० १८३२ अषाढ शुक्ला २ एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २११५ ।
विशेष-जयसिंहपुरा में हीरानन्द ने प्रतिलिपि की थी।
१८५४ प्रति नं० ११ । पत्र सं०६० । साइन-११४५ इञ्च | लेखनकाल-सं० १७२६ कात्तिक बुदी । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २११५ ।
१८५५ प्रति नं. १२ । पत्र सं० ४४ | साइज-२२४५ इश्व । लेखनकाल-सं० १८२० मंगसिर मुदी १० | पुर्श एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २११६ ।
१८५६ प्रति नं० १३ । पत्र सं० ६५ । साइज-१२४४ इम्च । लेखनकाल-सं० १७७४ । पूर्ण एवं शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन नं० २११७ ।
१८५७ प्रति नं०१४। पत्र सं० ३२ । साइज-१२x६ इञ्च | लेखनकाल–सं. १८१. वैशाख सुदीह । पूर्ण एवं शुद्ध । बेरन नं० २११७ ।
१८५८ प्रति नं० १५१ पत्र सं० २२ । साइज-१४४३ इन्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २११८ ।
१८५६ प्रति नं० १६ । पत्र सं० ३, | साइज-१.४४३ इञ्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं जीर्ण । वेष्टन नं० २११६ ।
१८६० प्रति नं० १७ । पत्र सं० १६ । साइज-१०६x४ इन्च । लेखनकाल x / पूर्ण एवं शुद्ध । सामान्य । वेष्टन नं० २१२० ।
१८६१ प्रति नं०१८। पत्र सं. ११ | साइज-११४४६ञ्च । लेखनकाल-सं. १७१ । पूर्ण एवं सामाग शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१२३ ।
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१८६२ प्रति नं० १६ । पत्र सं० २१ । साइज-१०१४४३ । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । देशा-सामान्य । बेष्टन नं० २१२२ ।
१८६३ प्रति नं० २० । पत्र सं० २६ । साइज-१०३४४३ इञ्च | लेखनकाल–सं० १८११ फाल्गुण बुदी । । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१२१ ।
१८६४ प्रति नं. २१ । पत्र सं० ३७ । साइज-६x४३ इञ्च | लेखनकाल-सं० १६८९ चैत्र सुदी २ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा--सामान्य । वेष्टन नं० २१२४ ।
विशेष-महात्मा नरायण ने साह भीखा के पठनार्थ तदकपुर में प्रतिलिपि की थी।
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[ सुमानित
१८६५ प्रति नं. २२ । पत्र सं० ३७ । साइज-६x४६ प । लेखनकाल-सं० १५६२ फागुण सुदी । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । श्रेष्टन नं० २१२५ |
विशेष-हुमायु बादशाह के शासन काल में सिंहनंदन स्थान पर गरिच विनयसुन्दर ने प्रतिलिपि की थी।
१८६६ प्रति नं.२३ । पत्र सं० २१-११३ । साइज-८४ इन्न । लेखनकाल-सं० १९२७ फालाण शुभ १५ । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | वेधन नं० २१२६ ।
१८६७ प्रति नं० २४ । पत्र मं० ५१ । साइज-१०३४१ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्र । दशा-- सामान्य । वेष्टन नं० २१२७ ।
१८३८ सूक्तिमुक्तावलो-या० सोमप्रभ । पत्र सं० ६ । साइज-१०५८ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषयमुभाषित ! रचनाकाल ४ । लेखनकाल-सं० १७५६ कार्तिक मुदी १४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१३॥
१८६६ प्रति नं. २ । पत्र सं० २० । साइज-११६x६ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । बेन्टन नं० २१३८ ।
१८७० प्रति नं. ३ । पत्र सं० १७ । साइज-x४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६१४ । पूर्ण एवं सामान्य । शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन न. २१४० ।
१८७१ प्रति न० ४। पत्र सं ० ५ ० ! साइज-१०३४५ इञ्च । लेखनकाल X । अपूर्ण एनं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २१४१ | .
विशेष-प्रति हर्पीति कृत संस्कृत टीका सहित है।
१८७२ प्रति नं. ५। पत्र सं ० ५ । साइज-1२४५ इञ्च । लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१४१ ।
१८७३ प्रति नं०६। पत्र सं० १३ । साइज-१०४४६ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध।। दशा-सामान्य ! बेष्टम नं० २१४२ !
१८७४ प्रति नं०७ । पत्र सं0 1 | साइज-६x२ इञ्च । लेखनकाल--सं० १.१६ । पूर्ण एवं सामान्य । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २१४३ ।
१८७५ प्रति नं० । पत्र सं० १३ । साइज-=x५ इञ्च । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० २१४४ ।
१८७६ प्रति नं० पत्र सं० ११ । साइज-६x४ इञ्च । लेखनकाल । पूर्व एवं अशुद्ध | दशाजोणं । वेष्टन नं० २१४४ ।
१८४७ प्रति न० १०। पत्र सं० ३२ 1 साइज-१२४५३ इञ्च । लेखनकाल ४ ! अपूर्ण एवं सामान्य दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१४५ ।
विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है ।
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सुभाषित ]
२६२
१८७८ प्रति ने० ११ । पत्र स० १२-४७ । साइन-१०४५ इञ्च । लेखनका X| अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २१४६ ।
विशेष.--प्रति संस्कृत का सहित हैं।
१८७६ प्रति नं. १२ । पत्र सं० २-१० | साइज-६x४३ इञ्च । लेखनकाल-सं० १७६४ श्रासोज मुदो पूर्णिमा । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१४ ।
१८८० प्रति नं. १३ । पत्र सं० २-१४ ! साहल-४४ हन । लेखनकाल-सं. १८४३ श्रावण मर्दा १२ । अपूर्य एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । बेष्टन नं. २१४७ ।
१८८१ प्रति नं० १४ । पत्र सं० १२ । साइज-३४५ इञ्च | लेखनकाल-सं. १७८६ ज्येष्ठ बुंदी ११ । लखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दश!-सामान्य । वेटन नं. २१५८ |
१८८२ प्रति नं० १५ । पत्र सं० १० । साइज-bx५ इञ्च । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । कन्टन नं० २१४६ ।
१८८३ प्रति २०१६ ] पत्र सं० १३ । साइज-१२४४६ इन्च । लेखनकाल X । अपूगी एवं सामान्य शुद्ध । -- दशा-जगई । वेष्टन नं. २१५० !
विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है । टीकाकार वाचनाचार्य चारित्रवर्द्धनसूर हैं ।
१८८४ प्रति नं० १७ । पत्र सं. १२ । साइज-१०३४५ च । सेखनकाल–सं. १८६४ चैत्र शुक्ला . प्रतिपदा | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य | वेष्टन नं० २१५१ ।
१८८५ प्रति नं० १८ 1 पत्र सं० ५८ । साइज-१०४६ इश्च । लेखनकाल x | अपूर्ण-प्रथम पत्र नहीं है। शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २२० ।
विशेष-प्रति हर्षकीर्ति कृत संस्कृत एवं कौरपाल बनारसीदास कृत हिन्दी टीका सहित हैं।
१८८६ हितोपदेश पावनी-हेमराज ! पत्र सं० १२ । साइज-१०x४ इश्च । भाषा-हिन्दी । विषय____भाषित । रचनाकाल X| लेखनकाल–सं० १७५७ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २२२२ ।
विशेष—इसका दूसरा नाम अक्षर बावनी भी है।
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विषय-नीतिशास्त्र
प्रन्थ सख्या-१५ १८ कामन्दकी नीतिसार-कामन्दक | पम सं० २२८ । साइज-११४५ इश्च । माषा-संस्कृत । विषयनीतिशास्त्र । रचनाकाल X । लेखन काल-सं० १८८१ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं : २५६ ।
१८८ प्रति नं.२। पत्र सं०६५ साइज-१.३५५ इन्च । लेखनकाल ४ | अपूर्गा-प्रारम्भ के ४० पर नही हैं । सामान्य शुन् । दशा-सानाम्य । वेष्टन नं० १०१ ।
१८ वचूडामणि-श्री वादीमसिंह | पत्र सं० ४ । साइज-११४५ इन | भाषा-संस्कृत | विषयनीतिशास्त्र । रचनाकाल X खन काल-सं० १६.१५ अषाढ सुदी ८ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २८६ ।
विशेष-- तक्षकमहादुर्ग में महाराजाधिराज श्री कल्याण के शासनकाल में पांडे मेधा खण्डेलवाल सोनी के वंशजों ने प्रतिलिपि करवायी थी।
१८६० प्रति नं०२। पत्र सं० ३५ | साइज-१२४५३ इञ्च | लेखनकाल-सं० १८०७ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६.।
१८४१ प्रति नं. ३ । पत्र सं० ३५ । साइज-१०४४३ इञ्च । लेखन काल x | अपूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य । वेष्टन नं. २११
१८६२ नीतिशतक-म हरि ! पत्र सं० ११ । माइज-११४४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-नीतिशास्त्र । रचनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८६८ |
१८८३ नीतिसार-इन्द्रनन्दि । पत्र सं० ७ । साइज-११४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-नीतिशास्त्र । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेष्टन नं. १६ |
१८८४ प्रति नं० २। पत्र सं० ४ । साइज-2x४ इश्च । लेखनकाल x | अपूर्ण-प्रथम पत्र नहीं है । शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं०००।
१८६५ पंचाख्यान-विष्णुशर्मा | पत्र सं० १०६ | साइज-१२४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-नीति-- शास्त्र । रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूरी एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १००६ ।
१८६६ भर्तृहरिशतकमत हरि । पत्र सं० ३० । साइज-१२४५ इञ्च । भाषा- संस्कृत । विषय-नीति एवं भृगार । रचनाकाल X । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १३१६ ।
१८६७ प्रति नं०२। पत्र म० ३४ । साइज-१:४५ इश्व । लेखनकाल-सं० १८२४ । पूर्ण एवं शुद्ध |* दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १३२० ।
विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित है।
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साइज - १०३४४३
१८६८ राजनीतिशास्त्र - चाणक्य । पत्र सं० १० | X 1 लेखनकाल - सं० १७६१ फागु सुदी ११ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १५३४१
विशेष सांगानेर में पंडित लक्ष्मीदास ने प्रतिलिपि की थी ।
१६०१ प्रति नं० ४
१८६६ प्रति नं० २ । पत्र सं० ६ | साइज - ६५३ इन्च | लेखनकाल x | अपूर्ण - तीन अध्याय तक शुद्ध दशा- सामान्य | केप्टन नं० १५३५ |
१६०० प्रति नं० ३ । पत्र स० २० | साइज ६५ इव । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १५३५ ।
सामान्य | वेष्टन नं० १५३५ ।
विषय - स्तोत्र
ग्रन्थ संख्या---२६३
२६३
| भाषा-संस्कृत | रचना
पत्र सं० १७ | साइज - ११४४ इञ्च | लेखनकाल । पू एवं शुद्ध दशा
| पत्र सं० | साइज - १०४४३
१६०२ अकलंकाष्टक (धनाकाल | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा- सामान्य | वेष्टन नं० २ | १६०३ प्रति नं २ । पत्र सं० ५ | साइज - ३४४ इन्च | लेखनकाल सामान्य | वेष्टन नं० २
| भाषा-संस्कृत | विषय - स्तोत्र |
| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा
१६०४ अलंकाष्टक भाषा-सदा कासलीवाल | पत्र सं० १६ साइज - ११४३३ इव । भाषा'हिन्दी | विषय - स्तोत्र | रचनाकाल - सं० १२.१५ । लेखनकाल- सं० १९४६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं ० ३ ।
१६०५ अध्यात्मस्तोत्र - श्रीकेशव । पत्र सं० ३ | साइज - ११३४३६ । मात्रा-रस्कृित | विषय - स्तोत्र । रचनाकाल X। लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १० ।
विशेष-यंत्र विधि सहित है। इसका नाम नामिकमल अध्यात्म प्रकाश भी है।
१६०६ अष्टमहाभय स्तोत्र" | पत्र सं० २ | साइज - ६x४ इन्च भाषा प्राकृत विषय स्तोत्र । रचनाकाल × | लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं ० ५७ ।
२६०७ अर्हन्नाम सहस्र - हेमाचार्य । पत्र सं० ७ साइज - १२x४३ इच | भाषा-संस्कृत | विषय -स्तोत्र | रचनाकाल × । लेखनकाल- सं० १५२६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- जीर्ण | वेष्टन नं ० ५८ ।
+
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२६४
विशेष - रामचन्द्र ने प्रतिलिपि की थी।
१६०८ श्ररह्ंतचौपई-गणि महिमासागर | पत्र सं० ४ | साइज - १०४ इन्च मात्रा - अपभ्रंश (माल हिन्दी) | विषय-स्तोत्र | रचनाकाल - २० १७०४ | लेखनकाल - सं० १७३३ श्रावण बुदी है। पूर्ण एवं शुद्ध दशा- जीर्थं । जे' टन नं ० ५३ ॥
विशेष- श्रमरा में दीपा नामक महात्मा ने इस स्तोत्र की प्रतिलिपि की थी।
१६०६ इष्टोपदेश सटीक । टीकाकार-चाराधिर । पत्र सं० १५ | साइज - १०३४४३ इ । माषासंस्कृत] | विषय - स्तोत्र | रचनाकाल x | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य | नेटन नं० १५१ । १६१० प्रति नं० २ । पत्र ०४ साइज - १२x४३ इन्च | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य
टिन नं० १५१ ।
१६११ प्रति नं ३ | पत्र सं० = | साइज - ६३x४ । लेखन काल - रा० १३१७ मादवा सुदी पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम | बेष्टन नं० १५२ |
च । माषा-संस्कृत विषय स्तोत्र ।
१६१२ इष्टोपदेश भाषा-शीतलप्रसाद पत्र सं० ११६ | साइज - १३४७ । भाषा - हिन्दी विषयस्तोम । रचनाकाल - सं० १६.३५ | लेखनकाल - सं० १३०३ | पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम | वेष्टन २०१५० । १६१३ एकीभावस्तोत्र वादिराज | पत्र सं० ३ साइज - ११४ रचनाकाल × । लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २०१ । १६१४ प्रति नं० २ । पत्र सं० १० | साइज - ६९५ ६ वेस्टन नं० २१० |
। लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य /
१६१५ एकीभावस्तोत्र भाषा-भूबरदासजी । पत्र ०४ स्तोत्र । रचनाकाल X | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - जीर्ण | वेष्टन नं ० २११ । १६१६ प्रति नं० २ । पत्र सं० 1 साइज - ३x४ सामान्य | वेष्टन नं ० २१२ |
[ खोज
साइज ६ ई च । भाषा - हिन्दी । विषय
| लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा
१६१७ कल्याणमन्दिरस्तोत्र - कुमुदचन्द्र । पत्र सं विषय-तोत्र | रचनाकाल । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | जेष्टन नं० २४० ।
विशेष -- प्रति संस्कृत टीका सहित है।
१४ | साइज - १०३x४३ इव । भाषा - स्कृित /
१६१ प्रति नं० २ । पत्र सं० ६ | साइज - ११४५ इव । लेखनकाल x | पुर्णं एवं सामान्य शुद्ध । दशा- जीर्यं । वेष्टन नं ० २४६ ॥
विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित हैं।
१६.१६ प्रति नं० ३ । पत्र सं० ८ | साइज - १०४५ इञ्च । लेखनकाल- सं० १८६६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २५० ।
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२६५
१६२० प्रति नं ४ । पत्र सं० २१३ साइज - ११३४५ इन्च | लेखनकाल x | पूर्णं एवं सामान्य शुद्ध 1 - सामान्य । वेष्टन नं० २५१ ।
विशेष — अस्वयराज श्रीमाल कृत हिन्दी टीका सहित है ।
स्तोत्र |
१६२१ गायत्री मंत्र
(चनाकाल × । लेखनकाल × । पूर्ण एवं शुद्ध 1 दशा उत्तम | वेष्टन नं० ३१३ |
पत्र सं० १० । साइज - ११४५ इञ्च । माषा-संस्कृत | विजय स्तोत्र |
१६२२ चतुर्विंशतिजिन स्तुति - श्री शोभन पत्र सं० १० | साइज - १०x४३ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । रचनाकाल x | लेखनकाल- सं० १६२४ कार्त्तिक सुदी १० | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | श्रेन नं ३७६ ॥
१६२३ चतुर्विंशति जिनस्तुति - पुण्यशीलमणि । पत्र सं० १४ | साइज - ८३६ | मात्रा-हिन्दी | विषयस्तवन | रचनाकाल × । लेखनकाल x | पूर्वं एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ३७७ १६२४ चतुर्विंशतिजिनस्तुति - श्री वप्प | पत्र सं० ४ । साइज - १००८ स्तीत्र | रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १५१४ पौष सुदी । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य ।
| भाषा-संस्कृत विषय०३७ |
-
विशेष - प्रति संस्कृत टीका सहित हैं। मुजिकपुर में तिलक कलशर्माणि ने प्रतिलिपि को थी ।
१६२५ चतुर्विंशतिजिनस्तुति - जिन लाममूरिं । पत्र सं२ ३ | साइज - ११६४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । वित्रयस्तोत्र | रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १८३३ | पूर्ण एवं शुद्ध दशा सामान्य । वेष्टन नं० ३७६ |
विशेष - श्री घासीराम ने प्रतिलिपि की थी ।
१६२६ चतुर्विंशतितीर्थंकर स्तोत्र - सकलकीर्ति | पत्र सं० त्रिषय - स्तोत्र । रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १८६३ श्रावण शुक्ला ३ वेष्टन नं ० ३८० |
१३ । साइज - १२९६ इन्च । माषा-संस्कृत | सोमवार पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य ।
१६२७ चतुर्विंशति तीर्थंकर स्तोत्र"
| पत्र सं ५ | साइज - ६४४ इस | भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । रचनाकाल × । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ३८१ ।
१६२८ चतुःषष्टियोगिनीस्तोत्र
स्तोत्र । रचनाकाल × । लेखनकाल | पर्णं एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ३८२ |
" पत्र सं० ११ । साइन-X४ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय
१६२६ जिनत्रिभुवनस्तोत्र
स्तोत्र । रचनाकाल X | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जी १ वेष्टन नं० ५६४ ।
पत्र सं० ३ । साइज - १०३४३ इन्च | भाषा प्राकृत | विषय -
१६३० जिनपंजर स्तोत्र - श्री कमलप्रभ । पत्र सं० १ साइज - १०६ इन्च भाषा-संस्कृत विषय - स्तोत्र । रचनाकाल x । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वैष्टन नं० ४७५ |
१६३१ प्रति नं० २ । पत्र सं० ५ | साइज - ३ x ३ इ । लेखनकाल x 1 पूर्ष एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ४७५ ।
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२६६
[ स्तोत्र
१६३२ जिनवरदर्शन स्तोत्र-प्राचार्य पद्मनंदि। पत्र सं० ६ ! साइज-५४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय स्तोत्र रिचनाकाल X | लेखनकाल X । पूर्व एवं शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन ० ४७६ ।
१६३३ जिनशतक-प्राचार्य समन्तभद्र | पत्र सं० २६ | साइज-११४५ इन्। भाषा-संस्कृत | विषयस्तोत्र । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद ! दशा-HIT IT . ४८४ ।
विशेष-प्रति संस्थत टीका सहित है।
१३४ प्रति नं । पच सं० ४३ | साइज-१०१४ च | लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य । वेटन नं. ४८१ ।
१६३५ जिनशतकपंजिका-जम्धु कति । एत्र सं० ४६ । साइन-:०४४३ इम । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । रचनाकाल ४ । लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जी । वेष्टन नं ० ४८२ ।
विशेषराब कवि कृत संस्कृत टीका सहित है ।
१६३६ प्रति न०२! पत्र सं० १.७ । साज-१०१४४३ इञ्च । लेखनकाल XI पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-सामान्य [ वैप्टन ०४-३ ।
विशेष-शंन कबि कुत संस्कृत टीका सहित है।
१६३७ प्रति न०३। पत्र सं० ६ । साइज-१०६x४३ इन्च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण | वेटन नं०१६
१६३८ जिनसहननाम-जिनसेनाचार्य । पत्र स. १८ । साइज-१x६ इंश्च | भाषा-संस्कृत | विषयस्तोत्र । रचनाकाल | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४८४ ।
१६३६ प्रति ०२। पत्र सं० १० । साइज- १२४५ इञ्च | लेखन काल ४ । पूर्ण एवं अशुद्ध | दशाजीर्ण । वेष्टन नं० १६७३।
१६४० प्रति नं०३। पत्र सं ० । साइज-१०१४४३ इन्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जोखं । वेष्टन नं० १९७५ ।
१६४१ प्रति नं०४। पत्र सं० २८ । साइज-७३४६३ इश्व | लेखनकाल X| पूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य । वेष्टन नं० १९७२ ।
विशेष-स्वयम्भू स्तोत्र और है ।
१६४२ प्रति नं०५ । पत्र सं० १३ । साइज-१२४५३ १श्च । लेखन काल x } अपूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य । वेटन नं० २१६८ |
विशेष-संस्कृत में श्लोकों के ऊपर टीका दी हुई है।
१६४३ जिनसहस्रनामस्तोत्र-पं० श्राशाधर । पत्र सं० १४ । साइज-१०x४ इठच । भाषा-संस्कृत। विषय-स्तोत्र । रचनाकाल X । लेखन काल XI पूरी एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० ४८५ ।
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सोन]
१६४४ प्रति नं०२। पत्र सं० ११७ । साइज-११५ च लेखनकाल-सं. १८५८ मा एवं द्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४८६ ।
विशेष- श्रुतसागर कृत संस्कृत टीका सहित है।
१६४५ प्रति नं. ३ ! पत्र सं० ४६ । साइज-१२४५३ इञ्च । लेखनकाल-सं० १७८६ चैत्र शुक्ला । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६७४ |
१६४६ जिनसहस्रनामस्तोत्र टीका-टीकाकार-अमरकीर्ति । पत्र सं० ७२ । साहज-११४५ ६ : भाषासंस्कृत । विषय-स्तोत्र । रचनाकाल x | लेखन काल-सं. १८१८ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं. ( 5 |
विशेष-अमरकीचि मल्लिभूषण के शिष्य थे।
१६४७ प्रति नं०२। पत्र सं० ४३ । साहन-५५४५ इञ्च । लेखनकाल X| पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य वैप्टन नं० ४८७ !
-
१६४८ प्रतिम०२। पत्र.३३ साज-१०४४ इ०६ । लेखनकाल-सं०१७ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ४८६ |
१६४६ जिनसहस्रनाममापा-बनारसीदाम | पत्र सं. 1 साइज-१०४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी : विषयस्तोत्र । रचनाकाल-सं० १६४० । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ४६२ ।
. १६५० प्रति नं०२। पत्र सं० २० । साइज-६४५ इन्च | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ४६३ ।
१६५१ प्रति नं. ३ । पत्र सं. ६ | साइज-२.४५ इञ्च । लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २११७।
१६५२ जिनस्तवन-जयानंद सूरि । पत्र सं० ५ । साइज-११४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत | विषम-स्तोत्र : रचनाकाल X । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४६६ ।
विशेष-कनककुशल कृत संस्कृत रोका सहित है।
१६५३ जिनस्तवन......"। पत्र सं० । साइज-१०x४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । रचनाकाल x | लेखनकाल x। पूणे सूर सामान्य शुष्ट्र।दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १९८८ ।
विशेष-प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है।
१६५४ णमोकार नियुक्त | पत्र सं० ६ । साइज-१०x४३ इन्च | भाषा-प्राकृत ! विषय-रतोत्र | रचनाकाल X । लेखनकाल । पुर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ५७६ ।
१६५५ तित्थागालीय.) पत्र सं. ३ । साइज-१०४४३ इन। माषा-प्राकृत । विषय-स्तवन । रचनाकाल x | लेखनकाल–सं० १६७४ श्रावण सुदी : भौमवार । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं०६३५
विशेष-जैसलमेर नगर के साह जीवा ने अन्य की प्रतिलिपि करवायी थी ।
thanity
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२६८
[स्तोत्र
१९५६ तीर्थराजस्तोत्र...."| पत्र में० १० । साइज-१०६x६ च । भाषा-संस्कृत । विषय-सी रचनावाल x 1 लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वैश्टन नं० ६३६ ।
विप-जैन गायवी स्तोत्र का दूसरा नाम है ।
१६५७ निवारणकाण्ड गाथा".....""! पत्र सं० ३ | साइज-११४८ इन्च । भाषा-प्राकृत । निय-स्तवन रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १६५१ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेटन नं० १२ ।
१६५८ पदसंग्रह-नेमीचन्दजी दरशी । पर सं० १४ । साहज-१२४८ इग्न | माषा-हिन्दी । विषय भजन एवं पद । चनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम | बेस्टने नं० ४४ ।
१६५६ प्रति नं.२। पत्र सं० ४५ साइज़-१२४.३ । लेखन काल xपू एवं शुद्ध । दशाउत्तम । वेटन नं. १२८ ।
१६६: पदसंग्रह-हीराचंद पत्र सं. १५ । साइज-११४५ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय-भजन संग्रह। रचनाकात X । लेखन काल-० १६३७ वैशाख मुवी ३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । ग्रेन्टन नं० १४५ ।
१९६१ पद व भजनसंग्रह ......."। पत्र सं० २०० । साइज-१२४६३ इच। भाषा-हिन्दी । विषयभजन स्तुति । रचनाकाल ४ । लेखनकाल-सं० १९८७ पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १४६ ।
विशेष--२६ जैन कत्रियों के ६१० पद व भजनों का संग्रह हैं ।
१६६२ पद संग्रह-जयचंदजो छात्रा । पत्र सं० ५३ । साइज-१२४७६ ३४ । माषा-हिन्दी। विषय-भजन । रचनाकाल-० १४ । लेखनकाल ४ | अपूर्ण-प्रारम्भ के ४० पत्र नहीं हैं। शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं ०.४७ ।
१६६३ पदसंग्रह.....'। पत्र सं० ५ । साइज-११४७ इन्च । भाषा-हिन्दी। विषय-स्तोत्र । रचनाकास ४ । लेखनकाल ४ । पूर्व एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ६४८ |
१६६४ पदसंग्रह-उदयलाल । पत्र सं० ३०-६० । साइज-६३४६३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-मजन संग्रह । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४६ /
विशेष - अन्त में द्रव्य संग्रह माषा मी दिया हुआ है ।
१६६५ पद संग्रह ....."। पत्र सं ० ३१ । साइज-११४५ १२ । भाषा-हिन्दा । विषय-मजन व स्तुति। रचनाकाल x | लेखनकाल-१८५१ । पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १७६१
विशेष प्रकार की रागों के पद व भजनों का संग्रह । इसका दूसरा नाम पट पाठ मी है।
१६६६ पंचपरमेष्ठी स्तवन"."। पत्र सं० ७ । साइज-१२४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तोत्र । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन • ६६ ।
- १६६७ पंचमंगल-श्री रूपचद । पत्र सं० १० । साहज-८४६ इ । माषा-हिन्दी । विषय-स्तुति । रचनाकाल X । लेखनकाल–सं. १८६५ । पूर्व एम अशुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ६६८ |
१६६८ प्रति नं०२। पत्र सं० ५ । साइज-११४५ इन्च | लेखन काल-सं. १७२ । पूर्ण एवं शुद्ध। दशा-सामान्य । त्रैष्टन नं. ६ |
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२६५
१६.६६ परमानंदम्तो..... सं. २ - १०४५ इनद । भाषा-संस्कृत । विश्य-स्तोत्र । रचनाल X । लेखनकाल X I पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं ० १.३३ ।
१६७७ पार्श्वनाथस्तोत्र-पलभ | पर सं० १ | साइज-१०x४६ इन | भाषा-संस्कृत । विश्य-स्तोत्र । नाकाल - लेखनकाल-सं० १४२५ फागुण सुदौ १० । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं.११.१ ।
विशेष—यह स्तोत्र साह जोधराज गोदीका का मा ।
१६७१ पार्श्वमहिम्नस्तोत्र-मुनि राजसिंह 1 पत्र सं० ४ । साइज-१२४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १९८७ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० १०६ ।
१९७२ पार्श्वनाथस्तोत्र-यन्नममदेव । पत्र सं० ५ ! साइज-१२३४५३ इञ्च । भाग-संस्कृत ! विषय - स्तोत्र । रचनाकाल ४ | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११०२ /
१६७३ भक्तामरस्तोत्र-प्रा० मानतुग । पत्र सं० ३ । साज-१०x४३ इन्च । भाष: संस्कृत ! विषयतोत्र । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १२६ ।
१६७४ प्रति नं०२। पत्र सं० २-२१ 1 माइज-११४४३ इञ्च । लेखनकाल-म. १०६ । प्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्र । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १२६० ।
विशेष-हर्षकीति सूरि कृत संस्कृत टीका सहित है।
१६७५ प्रति नं०३ । पत्र सं० २-१५ । साइज- इन्च ! लेखनकाल-सं. १८१२ पौष चुदी १० ! अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १२६१ ।
विशेष-प्रति मंत्र सहित है। मंत्रों का फल हिन्दी में दिया हुआ है।
१६७६ प्रति नं०४। पत्र सं० ७ | साइज-२०४४ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६३६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीणं । वेटन नं० १२६९ ।
विशेष-हिन्दी में अर्थ
१६७७ प्रति नं०५। पत्र सं. २ । साइज-10४४ इन ! लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । कैप्टन नं ० १२१२।
विरोष-हेमराज कृत हिन्दी अर्थ भी है।
१६७८ प्रति नं०६। पत्र सं० ६ । साइज-१०४५ इञ्च । लेखनकाल--सं० १५४७ अतिक मुदी है। । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १२६.४ ।
विशेष—प्रति सटीक है टीका संस्कृत में हैं । लेखनकाल–सं० १५३७ कार्तिक सुदी १२ मा दिया हुआ है। बारा (कोटा) में प्रतिलिपि हुई थी।
१६७ प्रति नं०७। पत्र सं०६। साइज-२०४५ इञ्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं. १२९४ ।
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[ स्वोश
१६८० प्रति नं ८ । पत्र सं० ५ | साइज - ११३*५३ इन्च | लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध । दशाजीर्ण | रेष्टन नं० १२९४ |
विशेष - मंत्र मी है ।
१६८१ प्रति नं० ६ | पत्र सं० साइज ८६ इन्च । लेखनकाल X। पूर्ण एवं शुद्ध दशा- उत्तम वेष्टन नं० १२६६
१६५२ प्रति नं० १० | पत्र सं० ५ | साइज - १२४४३ इव । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण | वेष्टन नं० १३६३ |
विशेष- प्रति मंत्र सहित है ।
१६५३ प्रति नं० ११ | पत्र ०४ | साइज - ३६६ च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उच्चम वेष्टन नं ० १३६३ |
३००
१६८४ प्रति नं० १२ पत्र सं० साइज - १२३४५ इस । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - उम वेष्टन नं० १३६३ ।
१६६५ प्रति नं० १३ । पत्र सं० १६ | साइज - १२३४५ इन्च ! लेखनकाल- सं० १९११ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- जी | बेचन नं० १३६३ ।
विशेष – तत्वार्थ सूत्र भी दिया हुया है I
१६५६ प्रति नं० १४ । पत्र सं० १९ | साइज - १०५ इञ्च । लेखनकाल - सं० १९११ श्रावण सुदी | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दश-जीर्ण । वेष्टन नं० १२६८ |
विशेष - श्रन्त में तत्वार्थ सूत्र भी है।
१६८७ प्रति नं० १५ | पत्र [सं० साइज - १३३४५ इव । लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य | वेष्टन नं ० १२६८ |
१६ प्रति नं० १६ । पत्र सं० ४ | साइज - x इव । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १२६८
१६६६ प्रति नं० १७ | पत्र सं० २४ | साइज - EX५ इन्च | लेखनकाल x / पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेन्टन नं ० १२६८ ।
विशेष - प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है ।
१६६० प्रति नं० १८ । पत्र सं० १३ | साइज - ८३x४ ३श्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य | वेष्टन नं० १२६७ ।
विशेष - प्रति सटीक हैं। टीका संस्कृत में है ।
१६६१ प्रति नं० १६ | पत्र सं० ४१ | साइज - ६३४४ ई ह । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १२६७ ।
रु
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1
विशेष — ब्रझरायमल्ल कृत संस्कृत टीका सहित है ।
१६६२ प्रति नं० २० | पत्र सं० ७ साइज - Xइन् । लेखनकाल x । पूयं एवं शुद्ध दशा- उत्तम । न नं० १२६७ ।
विशेष – कल्याणमन्दिर स्तोत्र भी इसी में है ।
३०१
१६६३ प्रति नं० २१ । पत्र सं० १४ | साइज - १२३४६ इच । लेखनकाल X | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध सी-सामान्य वेष्टन नं ० १२६५ |
विशेष --- प्रति संस्कृत टीका सहित है ।
१६६४ प्रति नं २२ | पत्र सं० ४० | साइज - ११ ५३ इव । लेखनकाल - सं० १७५० कार्तिक बुदी ११ । एवं शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १३००
विशेष - ब्रह्मरायमल्ल कृत संस्कृत टीका सहित है ।
१६६५ भक्तामर स्तोत्र वृत्ति- बहरायमल । पत्र ० ४३ | साइज - ११३५३ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय -- शो | रचनाकाल - सं० १६६७ श्राबाद सुदी ५ | लेखनकाल - सं० १७४६ वैशाख सुदी १ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य टिन नं० १२६६ ।
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१६६६ भक्तामर स्तोत्र भाषा - श्रखयराज श्रीमाल | पत्र सं० २५ | साइज - १२४६ इञ्च । भाषा - हिन्दी गद्य विषय - स्तोत्र । रचनाकाल x 1 लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १३०२ १. १६६७ प्रति नं० २७ पत्र सं० २२ | साइज - ११३५ई इव । लेखनकाल x 1 पूर्ण अन्तिम पत्र नहीं है । शुद्ध दशा - सामान्य 1 वेष्टन नं० १३०१ ।
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१६६८ भक्तामर स्तोत्र भाषा पं० जयचन्द्रजी धारा । पत्र सं० २६ | साइज - १०३x४ इन्च | भाषाहिन्दी | विषय - स्तोत्र | रचनाकाल - सं= १५७० | लेखन काल - सं० १६१५ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्धः। दशा-सामान्य नं. १३०३ ।
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१६६६ भक्तामर स्तोत्र भाषा" पत्र २१ | साइज - ६३x४ । भाषा - हिन्दी | विषय - स्तोत्र | रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १८०४ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १३०४ ।
२००० भक्तामर स्तोत्र कथा - नथमल लालचन्द | पत्र सं० ६२ | साइज - ८३५ इव । भाषा - हिन्दी | विषयस्तोत्र । रचनाकाल - सं० १८२६ | लेखनकाल सं० १८२६ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १३०५ |
२००१ भूपालचतुर्विंशति - भूपाल कवि । पत्र सं० १० | साइज - १०x४३ इञ्च । भाषा - संस्कृत । विषयस्तोत्र । रचनाकाल X | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १३६० ।
२००२ प्रति नं० २ । पत्र सं० ७ | साइज - १०३४५ इन्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं ० १३६५ ।
विशेष – सिद्धिप्रिय रतोत्र ( देवनन्दि ) एवं कल्याणमालास्तोत्र भी दिये हुये हैं ।
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[ स्व
२००३ भूपालचतुर्विशति भाषा - जिनंदात | पत्र [सं० ३ । साइज - १२५३ इन्च मात्रा - हिन्दी । स्तोत्र | रचनाकाल x | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १३६१ |
३०२
२००४ मालास्तोत्र
- १०३६ काल × । लेखनकाल × 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १३९२ ।
हुआ है।
मात्रा-रस्कृित | विषय - स्तोत्र । रचना
विशेष- हिन्दी में अर्म दिया हुआ है। स्तोत्र की समाप्ति के पश्चात् परमानन्द स्तोत्र हिन्दी अर्थ सहित दिन
२००५ ऋषि मंडलस्तोध गौतमस्वामी । पत्र सं० ११ साइज - ११३४५३ | भाषा-संस्कृत विश्वस्तोत्र | रचनाकाल × | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १५४७ |
२००६ प्रति नं २ | पत्र सं० १९ । साइज - ५३x४ इस । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य | वेष्टन नं० १५४७ ।
२००७ प्रति नं० ३ । १ ० ३ | साइज - ११९५ इञ्च । लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । देशा- सामान्य वेष्टन नं० १५४= |
२००८ प्रति नं० ४ | ० ३ | साइज - ११९५ इञ् । लेखनकाल X। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं० १५५० ।
-
२००६ ऋषिऋद्धि शतक - स्वरूपचन्द्र बिलाला | पत्र सं० १० | साइज-३५ । भाषा - हिन्दी स्तोत्र । रचनाकाल - सं० १६०२ । लम्कनकाल-सं० १९०३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १५५१ |
२०१० लघुस्तवन टीका - गोमतिलकसूरि । पत्र सं० १४ । साइज - १०२४ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषयस्तोत्र । रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १७१६ माघ बुदी ६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन नं. १६६५
२०११ लक्ष्मीस्तोत्र - पद्मदेव पत्र सं० २ साइज - ११४५ इश्व | भाषा-संस्कृत | विषय - स्तोत्र | रचनाकाल x | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं ० १५७७ ।
२०१२ विषापहारस्तोत्र-नंजय | पत्र सं० ६ | साइज - १०३४४३ इन्च | भाषा-संस्कृत विषय स्तोत्र ! रचनाकाल × ! लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १६३६ ।
५ । साइज - X४ इन्च । लेखनकाल x । श्रपूर्ण एवं शुद्ध । दशा
२०१३ प्रति नं० २ । सामान्य । वेष्टन नं० १६३६ ।
श्र
२०१४ विषापहारस्तोत्र - लकीचिं । पत्र ०३ | साइज - १२४५३ इव । माषा - हिन्दी | विषयस्तोत्र । रचनाकाल X | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम | वेष्टन नं० १६३७ ।
२०१५ वीरस्तवन- जिनवरि । पत्र सं० ३ साइज - ११५ । भात्रा - प्राकृत विषय - स्त्रोत्र । रचनाकाल × । लेखनकाल × । पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १६४६ |
F
照顧
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स्तोत्र
३०३
२०१६ विनतीसंग्रह-ब्रह्मदेव । पत्र सं० ४५ | साइज- १x६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-स्तवन । रचनाकाल X । लेखनकाल X 1 अपूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-उत्तम । वेष्टन नं० १६४८ ।
२०१७ वीरभक्ति........ | पत्र सं० : 'म-११५५ इत्त । मामा-भमान | वित्रए-स्तोत्र । रचना- काल X । लेखनकाल XI पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६५० 1
विशेष-निर्वाणभक्ति भी इसी में है ।
२०१८ शांतिनाथस्तवन-पद्मसुन्दर | पत्र सं०६ । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । रचनाकाल X । लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६६८ |
२०१६ प्रति नं० २। पत्र सं० ३ : साइज-2X४ इञ्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६६६ ।
२०२० समवशरणस्तोत्र-विष्णुसेन गणि । पत्र सं०६ । साइज-१०४४१ इन। भाषा-संस्कृत ! विषयस्तोत्र । रचनाकाज्ञ X । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८ ।
२०२१ समवशरणस्तोत्र-पंडित हीरानन्द । पत्र सं० ११ । साइज-१०:४५ इन्च । भाषा-हिन्दी 1 विषयस्तोत्र । रचनाकाल-सं० १७०१ । लेखनकाल-सं० १७७४ | पूर्ण एवं शुद्ध । पद्य-सं० ३०१ । दशा-सामान्य । वेष्टन न १६ ।
विशेष-कर्मविधानविशेषावरि २५ पयों में और है। लाभपुर नगर में विजयसूरि ने ग्रन्थ की प्रतिलिपि की थी ।
२०२२ सामायिकपाठ.....। पत्र सं० १७ । साइज=x४६ इञ्च । माषा-प्राकृत । विषय-स्तोत्र । रचनाकाल ४ । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १९८७
२०२३ प्रति नं० २१ पत्र सं० ४४ । साइज-१२४६ इन्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १६१८ ।
२०२४ प्रति नं.३। पत्र सं० २८ । साइज-1xk३ च । लेखनकाल ४ ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं. १६६६ ।
विशेष-हिन्दी में अर्थ दिया हुआ है।
२०२५ प्रति नं०४ पर सं० १५ । साइज-११४५३इन । लेखनकान-सं० १८४६ जेठ सुदी . मंगलबार । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० २०० - |
२०२६ प्रति नं० ५। पत्र सं० ३१ । साइज-11xk३ च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । I दशा-सामान्य । वेटन नं० २००१। ।
विशेष-संस्कृत टिप्पण मी है। .
२०२७ प्रति नं०६। पत्र सं० ३० । साइज-६x४३ इञ्च । लेखनकाल: । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेटन नं. १६६४ |
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विशेष-हिन्दी अर्थ भी दिया ह
२०२८ प्रति नं०७। पत्र सं०६४ । साइज-११६x४६ इन्च । लेखनकाल-सं० १७६३ । पूर्ण एक दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १९६६
विशेष-मारोठ में उदयराम ने प्रतिलिपि बनायो । प्रति संस्कृत एवं हिन्दी अर्थ सहित है।
२०२६ प्रति नं०८ । पत्र सं० १५ । साइज-१०३४४३ इन्च । लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य राद।। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २००२ ।
- २०३० प्रति नं०६। पत्र सं० १५ । साइज-१०x४३ इन्न । लेखनकाल x। अपूर्ण एनी सामान्य शुद्ध ।। दशा-मामान्य । वेष्टन नं० २००१।
विशेष-संस्कृत में अर्थ दिया हुआ है।
२०३१ प्रति नं० १० । पत्र सं० २८ । साइज-१ १४४ इञ्च । लेखनकाल ४ ! अपूर्ण-फुटकर पत्र है। दशा-जीर्ण । वैप्टन नं० २००४ ।
२०३२ प्रति नं०११ । पत्र सं० ५६ । साइज़-११४४, इञ्च । लेखनकाल-सं० १६१८ श्रावण सुदी १३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २००५ ।
विशेष-श्रानेर नगर में प्रतिलिपि हुई थी । संस्कृत टीका सहित है।
२०३३ प्रति नं० १२ । पत्र सं० ६३ । साइज-०x४३ इन्च । लेखनकाल-सं० १७२, मंगसिर सुदी १४ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २००६ ।
विशेष प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है । जोधराज गोदीका के पटने के लिये प्रतिलिपि की गयो यो ।
२०३४ प्रति नं० १३. पत्र सं० ७१ | साइज-Ex५ ६श्च । लेखनकाल-सं० १७८० । पूर्ण पूर्व सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २००८॥
विशेष-विस्तृत हिन्दी अर्थ है । अजबगढ ( राजस्थान ) में पांडे बिहारीदास ने प्रतिलिपि करवायो यो।
२०३५ प्रति नं० १४ 1 पत्र सं० २६ | साइज-११४५ इन्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशासामान्य | वेष्टन नं० २००६ |
२०३६ प्रति नं० १५ । पत्र सं० ५५ ! साज-१३४५६ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० २०१२ ।
२०३७ प्रति नं०१६। पत्र सं० ४४ । साइज--X४ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० २०११ ।।
विशेष--प्रति संस्कृत टीका सहित है।
२०३८ प्रति नं०१७ । पत्र सं० ३-१४० । साइज-११६x४६ इञ्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण-अन्तिम पत्र नहीं है। सामान्य शुद्ध दशान्जीणं | वेष्टन न० १६६५। . .
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रचना
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विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है। २०३६ सामायिक पाठ सूचनाकाल X। लेखनकात X पूर्ण एवं शुद्ध
विशेष – हिन्दी अर्थ भी दिया हुआ है।
पत्र
२०५० सामायिक पाठ श्री बहुमुनि पर ०१४ तो रचनाका । लेखनकाल X पूर्ण एवं शुद्ध दश-सामान्य - २०६४
प
० ४
दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २०१० १
२०४१ प्रति नं० २०२०
देश- सामान्य वेष्टन नं० २०१३ |
साइज - ११५६ भाषा-संस्कृत विषय
ई.
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वेष्टन नं० २०१३
पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध |
२०४२ सामायिकपाठ भाषा"" * पत्र [सं० २४ | साइज - १२६०० भाषा हिन्दी विषय-स्तवन । रचनाकाल x 1 लेखनकाल- सं० २००४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २०१४
३०५
- ११४ माषा-संस्कृत विषय स्तोत्र
२०४३ सामायिक पाठ भाषा जयचंदजी बाबड़ा । पत्र सं० ५२ । साइज - १०x४६ । भाषा - हिन्दी । विषय - स्तोत्र | रचनाकाल x । लेखनकाल-सं० १८६६ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २०१६ | २०४४ प्रति नं० २ । पत्र सं० ५ | साइज - १०३४४३ इन्च | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध | दशामान्यष्टनं० २०२०
२०४५ प्रति नं० ३ ० ५४ | साइज - १२८४ लेखनकाल २२० १००९ पूर्व एवं सामान्य दशा-सामान्य र्याकेट नं० २०१७ |
२०४६ प्रति नं ४ | पत्र सं० ४२ | साइज - ११३x६ इन्च | लेखनकाल x । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य वेष्टन नं० २०१० |
२०४७ सामायिक पाठ- सुखलाल पत्र संसाxx नाका-२०१८५१ | लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य वेप्टन नं० २०१६ |
२०५० प्रति नं० २ । पत्र ०६ मनं० २१६३ ।
भाषा हिन्दी विषय स्तोत्र ।
1
विशेष पं० सुखसाली के समय जयपुर के दीवान पद पर बालचंदजी जादा थे उनके पुत्र रामचंदजी छाबड़ा का भी कवि ने उल्लेख किया है।
२०४८ सुगुरुशतक - जिनदास | पत्र सं० ६ | साइज - ११४५३ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषय-स्तोत्र | रचनाकाल सं०] १८६२ | लेखनकाश x पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम वेष्टन नं ० २१०४ ।
२०४६ स्वयंभूस्तोत्र - समन्तभद्राचार्य पत्र ०१७ साइज 8३x४ ३ भाषा-संस्कृत विषयरचनाकाल x लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा सामान्यननं० २१६३ ।
साइज - १०९५ इव । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा उत्तम ।
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३०६
[ स्तोत्र:
२०५१ प्रति नं० ३ | पत्र सं०७४ | साइज - ११४५ इञ्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य ।
वैश्न नं० २१६४ ।
विशेष अन्य पार्टी का मी संग्रह है।
२०५२ प्रति नं० ४
उद्यम केप्टन नं० २१६४ |
पत्र ० ५० साइन ११४५ म लेखनकाल । पूर्व एवं शुद्ध दशा
विशेष- प्रति संस्कृत टीका सहित है ।
२०५३ प्रति नं० ५ । पत्र २० १२. साइज १२४५ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दस-सामान्य बेटन नं० २२६५ ।
विशेष--- प्रति संस्कृत टीका सहित है ।
२०५४ प्रति नं० ६ पत्र सं० २१-६१ सा१०६ लेखनकाल X वपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामयनं० २१६५
विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है।
२०५५ प्रति नं० ७ [सं०] ३१०१०१ - १०५ इन्च लेखनकाल अपूर्ण एवं सामान्य
शुद्ध दशाजी श्रेष्ठ नं २११५
1
विशेषप्रति संस्कृत टीका सहित है।
२०५६ प्रति नं००४ साज-११६४५ लेखनकाल x पूर्ण शुद्ध दशासामान्य । वेष्टन नं० २२६५ ।
२०५७ प्रति नं० पत्र [सं० २०३६ सा१२३३०१०१४४ पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य मं० २१३६ ।
विशेष - पंडित प्रभाद्रकृत संस्कृत डा सहित है।
२०५८ प्रति नं० २० प ० ० साइज देखनकाल पूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन नं० २१६० ।
२०५६ स्तोत्र टीका-मूलक-श्री विधानन्दि टीकाकार-पं याशावर माथा-संत विषय नती रचनाकाल × ' लेखनकाल-सं० १५७० | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा -सामाय । वेष्टन नं० २११० ।
२०६० स्तोत्र व नीति के पद्य - गुलाम मुहम्मद । पत्र सं० ४६ | साइज - ६३६ हव । भाषा - हिन्दी | विषय-स्तोत्र व नीति | रचनाकाल X | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २१६१ । विशेष-२१६ पद्य हैं । रचना उत्तम है।
३
२०६१ स्तोत्रसंग्रह---- पत्र सं० ११ - १४ | साइज - १०४४३ च | भाषा-संस्कृत । विषय-रतोत्र | रचनाकाल x लेखनकाल x अपूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम वेष्टन नं० २११२ ।
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२०६२ स्तोत्र-पात्रकेशरों । पत्र २० २ | साइज-१३४७६०च । भाषा-संस्कृत । विषय-स्तोत्र । महाHARI लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २११३ ।।
२०६३ प्रति नं० २१ पत्र सं ० ५ । साइज-११४४६ इञ्च । शेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । सामान्य । वेष्टन नं. २१६४ ।
२०६४ प्रति नं० ३ । पत्र सं० १ । साइज-१०६x४३ ५५ । लेख नकाल Xपूर्ण एवं शुद्ध । दशान्य | धेन्टन नं. ११ ।
विषय-पूजा साहित्य
ग्रन्थ संख्या-१५५ २०६५ अकृत्रिमचैत्यालयपूजा-चैनसुख | पत्र सं० ५६ ! साइज-१२३४७५ इन्च | भाषा-हिन्दी । विषय। रचनाकाल ४ ! लेखनकाल-सं० १९८५ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० ४ !
२०६६ अकृत्रिमचैत्यालय वर्णन-बाबा दुलीचद । पत्र सं० २३ । साइज-१०३४५६ इच । भाशसत | विषय-पूजा । रचनाकाल ४ | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ५ ।
विशेष-इसी में बाबा दुलीचंद ऋत मृत्युमहोत्सव ( हिन्दी ) भी है।
२०६७ अढाईद्वोपपूजा-धी डालूराम | पत्र सं० १४४ । साइज-१२३४८३ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विश्यजा। रचनाकाल-सं० १८७६ 1 लेखनकाल–50 १६५ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं ० ७ |
विशेष-~-महाराजा जयसिंह के शासनकाल में दीवान अमरचन्द्रजी के प्राग्रह से उस पूजा की रचना की गयी। पिनास्वान-माधोराजपुरा (जयपुर) लिपिस्थान-जयपुर । ईश्वरलाल चांदवाड ने जयपुर के बडे मन्दिर में प्रतिलिपि करवायी थी ।
२०६८ अनन्तनाथ पूजा-शांतिदास | पत्र सं० १२ । साइज-१०३४४३ इञ्च । भाषा-हिन्दी | विषयवा । रचनाकाल X । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १३ ।
२०६६ अष्टाह्निका पूजा..."। पत्र सं० ४ | साइज--x५ इञ्च । माषा-प्राकृत । विषय-पूजा । रचनाल X | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्यः । वेष्टन नं. ५३ ।
विशेष–अन्त में अष्टाटिका व्रत जाप्य विधि तथा अकृत्रिम चैत्यालयों के नाम दिये हुए हैं।
२०७०. अष्टाहिका जयमाल...''| पत्र स० ४ । साइज-१०३४५ इश्च । भाषा-प्राकृत | विषय-पूजा | जनाकाल x | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ६ ० (ख)।
२०७१ अक्षयनिधि व्रत पूजा.....! पत्र सं० १४ । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । नाकाल X| लेखनकाल : [ पूर्ण एवं शुद्ध | देशा-सामान्य । नेष्टन नं०५५।
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२०७२ व पूजा-मारक विश्वभूषण | पत्र सं० ८२ साइज-१२x६ इन्च । माषा-संस्कृत शि. पूजा । रचनाकाल ४ । लेखनकाल-सं० १८२४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४६ ।
विशेष-सवाई जयपुर में माधोसिंहजी महाराज के शासनकाल में प्रतिलिपि हुई थी।
२०७३ प्रति नं.२ पत्र सं० ४५ । साइज-१२४५३ ६ च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामाग शक्षा दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४।।
२०७४ प्रति नं. ३ । पत्र सं० १६-११-१२५. तक । साइज-११९४१ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८ पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं १४ |
२०७५ कर्मचूरबतोद्योतनपूजा.....", पत्र सं० ८ । साइज-१०x१ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विवरपूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २३८ ।
२०७६ कर्मदहनपूजा-शुभचन्द्र | पत्र सं० २० । साइज-cxx इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल ४ । लेखनकाल-सं. १७६५ । पर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २३१ ।
२०७७ प्रति नं०२। पत्र सं. १८ । साइज-१२४५ इञ्च । लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शह। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २३२१
२८७८ प्रति नं ३। पत्र सं० १६ । साइज-११६४५ इञ्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन १३ ।
२०७६ प्रति नं०४। पत्र सं० २८ । साइज-११४५, इश्च । लेखनकाल-सं० १९३० । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २३४ ।
२०८० कर्मदहनपूजा-टेकचंद । पत्र सं० १६ । साइन-१०४७ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषय--पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं. १८७४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २३५ ।
विशेष-तिपिफर्ता-लालचंद महात्मा । जयपुर में बड़े मंदिर में प्रतिलिपि हुई भी ।
२०८२ क्षेत्रपालपूजा......। पत्र सं० २२ । साइज-१२x६ इञ्च । भाषा--संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल ४ ! लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६४ ।
विशेष -- अन्य पूजायें भी हैं।
२८८२ गुरावली पूजा....."! पत्र सं० ३ । साइज-१०४५ इन् । भाषा संस्कृत | विषय-पूजा । रचनाकाल ४ ! लेखनकाल-सं० १८५० । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ३१ ।
विशेष-एक पत्र पर गुरु पूजा और है।
२०७३ चतुर्विशतितीर्थंकरपूजा-रामचन्द्र । पत्र सं० ६५ । साज-१२३४५३ च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा | रचनाकाल X| लेखनकाल-सं० १६४५ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ३६७ ।
२०८४ प्रति नं० २। पत्र सं० ७४ । साइज-१२४५३ ६ञ्च । लेखनकाल-सं० १६०१ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३६८।
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- २०८५ प्रति नं०३ । पत्र सं०७३ । साइज-१.३४५६ ५। लेखनकाल x। पूर्ण एवं शुद्ध । दशाप्टन नं० ३६६ !
२०८६ प्रति न०४। पत्र सं० २ | साइज--१२४५३ इन्च । लेखन काल X| अपूर्ण एवं प्रशुद्ध । दशा। वेष्टन न० ३७० !
२०६७ प्रति नं०५ । पत्र सं० १४ । साहज-११४५३ इन्च । लेखनकाल X! अपूणे अजितनाय को पूजा ही है । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ३७०।
२०८८ प्रति न०६ । पत्र सं० ६६ । साइज-११x१३ च 1 लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा। बेष्टन नं ० ३७२ 1
२०८६ प्रति नं० ७ । पत्र सं० ८२ | साइज-Ext इम्च ! लेखनकाल-सं० १८८० श्रावण बुदी १ । पूर्व शुद्ध | दशा सामान्य । वेष्टन नं. ३७३ ।
२०६० प्रति नं० । पत्र से० ७० । साइज-११३५१६ च । लेखनकाल–सं. १९१३ । पूर्ण एवं शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन नं०७४ |
२०६१ चतुर्विंशतितीर्थकरपूजा-वृन्दावन । पत्र सं० ८५। साइज-१:४५३ च । भाषा-हिन्दी | विषय-पूजा । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १६५२ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं० ३७१ ।
२०६२ प्रति नं०२। पत्र सं० ५= | साइज-११४३१ इन्च । लेखनकाल-सं० १९२४ । पूर्ण एवं शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन मं० २१ ।
विशेष – हीरालाल गंगवार ने प्रतिलिपि की गो ।
२०६३ चन्द्रायणव्रतपूजा-देगेन्द्रकीर्ति । पत्र सं० ४ । साइज-१०३४८ | भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा । 1 रचनाकाल्न X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध ; दशा-उत्तम । वेष्टन नं ० ४०० ।
२०६४ चौसठऋद्धिपूजा-स्वरूपचंद । पत्र सं० १ ! साइज-१२४८ ३ । भाषा-हिन्दी। विषयपुजा । रचनाकाल-सं० १६१० । लेखनकाल X! पूई एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४३.।
२०६५ जिनगुणसंपत्तिपूजा-श्री केशव वर्गी। पत्र सं० ८ । साइज-१०४४६ च । भाषा-संस्कप्त । विषय-पूजा । रचनाकाल XI लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ४६७ ।
२०६६ जिनस्नपन-महापंडित प्राशाधर । पत्र सं० १५ । साइज-४६३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विवयपूजा 1 रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४:५।
विशेष-अन्य पूजाय मी हैं।
२०६७ जिनसहस्रनाम पूजा-मुनिधर्म चन्द्र | पत्र सं० ६६ । साइज-११३४६ इन्च । माषा-संस्कृत । E विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल-स. १७६३ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेष्टन नं० ४८६ |
विशेष--जिहानाबाद में प्रतिलिपि की गयी थी ।
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२०६८ प्रति न०२। पत्र सं०७५ | साइज-११४५ श्च । लेखनकाल-सं० -१६२६ । पूर्ण एवं सामान शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ४६ ।
२०६६ प्रति नं०३ । पत्र सं० ६६ । साइज-११४१३५व | लेखनकाल–६० १५२६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं० ४६१ ।
२१०० जिनसहस्रनामपूजा-२० चैनसुखजी। पत्र सं. १७ । साइज-१२४ इञ्च | माषा-हिन्दी। विषय-पूजा । रचनाकारत ४ । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १६७१।
२१०१ तीनलोकपूजा-टेकचन्द । पत्र सं० ६०० | साइज-१२x= इव । माषा-हिन्दी । : विषय-जा। रचनाकाल-सं० १८२८ । लेखनकाल-सं० १६:२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० ६३ .
२१०२ तेरहद्वीपपूजा....... | पत्र सं ० ४२ । साइज-११३४५ इन्न । भाषा-संस्कृत । - पियय-पूजा। रचनाकाल ४ ! लेखन काल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ६३८ ।
२१०३ तेरहवीपपूजा..." | पन सं० १६२ । साइज-११३५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाफाल X । लेखनकाल-२० १६२१ । पूर्स एत्र सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १ ।
विशेष-विजयलाल काशलीबाल ने प्रतिलिपि की पी।
२१०४ त्रिंशच्चतुविशति पूजा-गुरासनद । -. : साज-५.६४१३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल | लेखनकाल-सं० १६ । पूर्ण एक सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेटन ने० ६४ ।
विशेष-पं. भात्रशर्मा भी अन्य रचना में सहायक थे ।
२१०५ प्रति नं० २१ पत्र सं० १२ । साइज-::४४, १ञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्थ । वेष्टन ० .४ ।
२१८६ प्रति नं. ३ । पत्र सं. ७७ । साइज-१०४४ इन्च | भाषा-तस्कृत | विषय-पूजा । रचनाकाल ४] लेखनकाल-नां० १७६४ भादत्रा बुदी = [ पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ०. ६४५ ।
विशेष-नि० लूणकर्ण के पढ़ने के लिये जिहानाबाद नगर में पं, खींवसीजी ने प्रतिलिपि की यी ।
२१०७ प्रति नं.४। पत्र में ७५ । साइज-20xइञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं.६४६ ।
२१०८ त्रिपंचाशतक्रियात्रतपूजा........। पत्र सं० ६ । साइज-१-४३ च । माषा-संस्कृत । विषयपूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ६.४७ ।
- २१०६ तीनचौबीसी पूजा......! पत्र सं० १२ । साइज--१२४६ इच । माषा-संस्कृत | विषय-पूजा । रचनाकाल x | लेखनकाल x ! पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ६४८ ।
२११० दशलक्षण पूजा"""""| पत्र सं• १० | साज-१२४६ सच | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनका x ! पूर्ण एक शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ७०६ ।
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२१११ दशलक्षणपूजा"। पर सं० १५ । साइज-११४५३ इञ्च | माषा-प्राकृत | विषय-पूजा । लाकाल ४ । लेखनकाल ४ । पूर्ण-एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ० ७.७ ॥
विशेष-प्रारम्भ में सोलहकारण जयमाल है ।
२११२ दशलक्षणपूजा-पं० मावशर्मा : पत्र सं० २५ । साइज-१०१४४ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषयरचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १७२४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य ! बेटन ने० ७०६ ।
२११३ दशलक्षणपूजा-रहधू | पत्र सं० ६ । साइज-1०x४इव । भाषा-अपभ्रंश । रचनाकाल ४ । नकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० ७० ६ ।
___ २११४ प्रति नं० २। पत्र सं. ३ | साइज-२११४४३ इञ्च । लेखनुकाल-१० १७५८ । पूर्ण एवं शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन नं ०७० ।
२११५ प्रति नं. ३। पत्र सं० ७ । साइज-१०३४५ इन्च । लेखनकाल X|. पूर्ष एवं शुद्ध । दशासन्य । वेष्टन नं०७० ।
२११६ द्वादशत्रतमंडलोद्यापन पूजा-श्री मट्टारक देवेन्द्रकीति । पत्र सं० १६ | साइज-१०:५५ इञ्च | मात्रा-संस्कृत | विषय-पूजा | रचनाकाल-सं० १७७२ माघ सुदी ११ । लेखन काल-मं० १८१३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-उत्तम । वेष्टन नं ० ७४३ ।
२११७ द्वादशांगपूजा-डालूराम | पत्र सं० १७ ! साइज-१.४४४३ इन्च | भाषा-हिन्दी | विषय-पूजा । नाकाल x | लेखनकाल-सं १ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य 1 वेटन नं. ७४४३
२११८ प्रति नं २ । पत्र सं० ७ । साइज-१३४६६च । लेखनकाल * । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उतम । रन नं. ७४४
२११६ देवपूजा ....! पत्र सं० २१ 1 साइज-१०४४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाहाल X लेखनकाल–सं० १८२३ । पूर्ण एका शुद्ध । दशा-सामान्य । देटन २० ७५६ ।
_ विशेष - संस्कृत के साथ हिन्दी भी दी हुई है।
२१२० देवपूजा पत्र सं. ६ | साइज-१.१४४३ १५ । माषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाबाल x | खेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ७५७ ।।
विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है।
२१२१ देवपूजा..।' पत्र सं० ३६ । साइज-१०३४५६ इन्च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । रचनाबाल ४ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन न ० ७५= !
२१२२ देवसिद्धपूजा..। पत्र सं० २० । साइज-१२४५ च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विषय-पूजा । रचनाकाल ४ । लेखन काल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ७१ ।
विशेष-- प्रतियों का एक संग्रह है।
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[ पूजा
। भाषा - हिन्दी |
२१२३ देवसिद्धपूजा - सदासुखजी कासलीवाल | पत्र मंत्र ४७ | साइज - ई६
विषय-पूजा | रचनाकाल-सं० १६५९ । लेखनकाल - सं० १९२२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ७६० ।
विशेष—नित्य नियम पूजा भी इस पूजा का नाम है ।
३१२
२१२४ प्रति नं० २ । पत्र सं० ८१ । साइज - १०x४ ३ ३ । लेखनकाल - सं० १२४३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य | वेष्टन नं० ६०३ ।
विशेष - पूजाओं का हिन्दी गद्य
में अभं दिया हुआ है ।
| पत्र सं० = | साइज - ५
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२१२५ देवसिद्ध पूजा' रचनाकाल x | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य | वेष्टन नं० ७६१ |
| भाषा-संस्कृत-हिन्दी ।
२१२६ देवसिद्ध पूजा"
पत्र सं० १५ | सहज - १०३६३
रचनाकाल × । लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं. ७६२ ।
विषय-पूजा |
| भाषा - संस्कृत विषय-पूजा |
२१२७ प्रति नं २ | पत्र सं० ३० | साइज - १०४५ च । लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन ७६३।
विशेष-- हिन्दी अर्थ भी दिया हुआ है।
२१२८ धर्म चकपूजा - यशोमंदिर । पत्र सं० २२ । साइज - १०३४०३ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय - पूजा | रचनाकाल × । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ७०५ |
२१२६ धर्मोचक पूजा महाकवि वीर ! पत्र सं० ३६ | साइज - ११३४५ इव । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा | रचनाकाल × | लेखनकाल - २० १५८६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं ० ७६.६ ।
विशेष-- प्रशस्ति दी हुई है । २१३० धर्मचक्र पूजा
रचनाकाल × । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
| पत्र [सं०] १८ | साइज - ६३४ इञ्च । माषा-संस्कृत ! विषय-पूजा | दशा- जी बेष्टन नं० ५६७३ विशेष - मोजमाबाद में प्रतिलिपि हुई थी ।
२१३१ धर्मचक्र पूजा-धर्म भूषण । यत्र सं० २३ | साइज - १०३४५ इ । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल × । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ७६८
२१३२ धर्मचक पूजा-पत्र सं० २० | साइज - १२४६ इन्च | भाषा - प्राकृत- संस्कृत । विषय-पूजा | रचनाकाल × । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ७६६ ।
विशेष पूजा का संग्रह है । जिनस हसनामस्तोत्र भी है । २१३३ धर्मचक्र पूजाविधान
पूजा ! रचनाकाल × । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन २०८०० |
| पत्र सं० १२ । साइज - ११३ ४ ३ ३ | भाषा-संस्कृत विषय
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२१३४ नन्दीश्वरपूजा ....." पत्र सं० १= | साइज-८४६६च्च ! भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । रचनाल x / लेखनकाल X ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामाम्य । वेष्टन नं. ८2८ ।
२१३५ नन्दीश्वरपूजा.......। पत्र सं० ३७ ! माइन- १२३४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । चनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८३६ ।
२१३६ नन्दीमरपंक्तिपूजा...."। पत्र सं० ६ । साइज़--३४४ इञ्च | भाषा-संस्म । विषय-पजा । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन में० २४१ ।
२१३७ प्रति न० २। पत्र सं० + | साइज-१०x४३ इन्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । बेष्टन नं० ८४२ ।
२१३८ नन्दीश्वरपूजा....! पत्र सं० १० ! साइज-१०३४५ ६१ | भाषा-संस्कृत ! विषय-पजा । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८४० ।
२००६ प्रति नं.२ पत्र सं० १० } साइज-११४५ इश्च । लेखनकाल x | पुर्य एवं शुद्ध ! दशासामान्य । वेष्टन नं. ८४० ।
२१४० नन्दीश्वरजयमाल...."। पत्र सं०७ । साइज १.६४ इश्व । भाषा-प्रान । विषय-पूजा । - रचनाकाल X लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० ८४३ ।
विशेष--हिन्दी में अर्थ
___२१४१ नवकारपंचविंशतिका-अक्षयराम । पत्र सं० १० । साइज-१०६x६३ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय--पूजा । रचनाकाल-सं० १८०८ । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १४ |
२१४२ नवग्रहपूजा....! पत्र सं० ६ । साइज-११४५ इव । भाषा-संस्कृत । विश्य-पूजा 1 रचनाकाल x लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन न० ८५५ |
२१४३ नवग्रहपूजा ..."| पत्र सं० १० 1 साइज-१२४४३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल ४ । लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८५६ ।
२१४४ नित्यनियमपूजा....'! पत्र सं० ३० । साइज-१२३४४३ च । भाषा संस्कृत | विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० १०४ ।
२१४५ नित्यनियमपूजा......। पत्र सं० १२ । साइज-१२४५३ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा ! रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १८१० । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ६०५ ।
विशेष-५ पत्र तक हिन्दी में अर्थ मी दि
२१४६ प्रति न० २ । पत्र सं० १३ । साइज-१२४७ इन्च । लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १०६ ।
२१४७ पंचकल्याणपूजा.....! पत्र सं० २८ । साइज-६x४३ इश्व | माषा-संस्कृत | विषय-पूजा।
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३१४
रचनाकाल X-। लेखनकाल- ०१११ पूर्व एवं शुद्धः- 1. दशा - सामान्य । वेष्टन ० विशेष - जयपुर में चाचार्य विजयकीने लिपि बनवायी थी ।
| पत्र. सं० १२ | साइज - ११३
२९४८ पंचकल्याणपूजा रचनाकाल × 1 लेखनकालसं० १८८० | पूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ६८६ ।... २१४६ पंचपरमेष्ठीपूजा-यशोनंदि । पत्र सं० ६२ । साइज ८२२४३ इन ! भाषा-संस्कृत रचनाकाल X | लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन, नं० ६६३ ।
....
*****
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२१५० पंचपरमेष्ठी पूजा जयमाल - शुभचन्द्र । पुत्र सं० २८ । साहृज - १२४४६ इन्च विषय-पूजा | रचनाकार x 1 लेखनकाल । पूर्व-प्रथम पत्र नहीं है । दशा- सामान्य | बेष्टन नं ० ६६३ :-२१५१ पंचपरमेष्ठांपूजा - डालूरान | पत्र. सं० ३० | साइज १ २४५ ई इष्ट । सानु - हिन्दी रवनाकल–सं० १=८० | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा उत्तम | बेटन नं १६५/
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०२१५२ पंचपरमेष्ठी पूजा - श्री टेकचन्द | पत्र सं० २१ | साइज १२४० इल । भाषा - हिन्दी विषय-पूजा । रचनाकाल-सं० १८=० । लेखनकाल - सं० १८० | पूर्व एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १६५
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/ भाषा - हिन्दी । विषय-पूजा ।
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च १ भाषा संस्कृत । विषय-पूजा !
२१५३, पंचमेरुपूजा। पत्र सं० ३६ | साइज १०३४०३
रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १६०० पूर्ण एवं सामा शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन न० १००१
२१५८ पूजा संग्रह
पत्र सं० ५२ । साइन- ११३५
: काल - × | लेखनकाल × । पूर्वं एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं. ११३०. / THE PH
विशेष- कुछ स्तोत्र भी हैं । २१५६ पूजा संग्रह "।
- रचनाकाल × । लेखनकाल X। पूर्ण एवं शुद्ध
विशेष -- कुछ स्तोत्र संग्रह भी है।
२१६० पूजा संग्रह"
ord विषय-पूजा |
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२१५४ पंचमेरुपूजा
पत्र ५६१ साइज - ११६४
संस्कृत विषय पूजा | रचना
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: काल X-4 लेखनकाल - सं० १६० २१५५ पंचमेरु जयमाल
पूर्ण एवं सामान्य युद्ध ! दशा - सामान्य ल नं० १०० १ पत्र सं० २ लाइ १२४५६ यः । भाषा-सात विषय-सूना । रचनाकाल × । लेखनकाल . पूर्ण एवं शुद्ध दशा -सामा वेष्टन नं ०१००३ । २१५६ पल्यविधान- शुभचन्द्र । पत्र मं० १०० साह भाषा संस्कृत... विषय- पूजा | रचनाकाल X--। लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- जीर्ण । वेष्टज्ञ नं० १०६.८
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२१५७ पत्यविधानपत्र
- ११३४५ आषा संस्कृत विषय-पूजा।
पूर्थं एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य | वेष्टन नं १०६०/
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भाषा-संस्कृत ।
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। विषय-पूजा 1
भाषा - हिन्दी विजय-पूजा की
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पत्र सं० १३० | साइज - ६४७- इस । भाषा-संस्कृत-हिन्द्राः । त्रिषय-पूजा । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ११३३ |
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पत्र २ १०-६३ । साइज - १२४५ इन्च | सात्रा संस्कृत, विषय-पूजा ।
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३१५
जनावाल IX लेखनकाल X| अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । मेष्टन नं. १११२।
२१६१ पूजा संग्रह..."। पत्र सं. २ । साइज-६x६ इश्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचना
लेखनकाल X|पणे एवं सामान्य शद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न. ११३॥ F- -. - -..-:. : " T1:16
... .. २१६२ पूजा संग्रह ......"। पत्र सं० २५-६५ । साइज-१०४५३ इन्न । भाषा-हिन्दी) विषय-पूजा । ..--
n.ni..: FIEEER: -R ! रचनाकाल-लेखनकाल) | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-जीय। वेष्टन नं ११४ ।
२१६३ पजा संग्रह"""] पत्र सं० २६ 1 साइज-1१६x४३ इन्न । माषा-सत्कृत । विषय-पूजा ! 17-05
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- IIF रचनाकाल x। लेखनकाल x! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण-शीर्ण । वेष्टन
२२६४ पूजा संग्रह । पत्र सं०३। साइज-10४५ इञ्च | भाश-संस्कृत | विषय-पूजा। रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा
दशा-सामान्य। नष्टन नं०111
नी ..२१६५ पूजा संग्रह ) पत्र
सं बाज- न . - स्वत : विल्य-पूजा । रचनाल लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य | वेष्टन नं. ११३७
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विशेष-१६ पूजायें तथा जिनसहस्रनामस्ता
निवाणकांड तथा रूपचन्द न जाखडी भी है।
नाशाह प: । २१६६ पूजासंग्रह र तास १ १६ । साहल-१३ । माघस्त । विष्य-पूजा । रचनाकाले ४ । लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध दिशा-सामान्य ! वेदान नं: १३.५.६० •g ! » ETFFAI | X R EF | 5 TE : २१६७ मेघमालावतजारन. साहज़ार संस्कृत .. विषय--पूजा । रचनाकाल x / लेखनकाल-सं० १७६६ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा सामान्य बेल ११४१TRIEF .. । २१६० रत्नत्रय पूजा :पत्र सं:३८ । साइज १२४७३ मास्कृत । विषय-पूजा ।
रचनाकाल ४ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य सुद्ध, इसा: मामात्या वेष्टन - EPा | - Fr Its Ex : ९२६६ रत्नत्रयपूजा . ३५ । साइN RAIN-मायः विधुय पूजा | रचनाकाल X लेखन काल-सं०; १७६१ :पूर्ण एवं शुद्ध । दशम-सामान्य । नेम्टन, न ; aikP-FPA 1
P TFEE विशेष-भगवतीदास गोदीकाने प्रतिलिपि करवाया थी ।
38 FiF....: २१७० रत्नत्रयपूजा । पत्र सं.४ ३.४: । साइजः- १२४- भाषा-हिही विषय पूजा । रचनाकाल X ! लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं ० १५१३ | ::::. -. IRE: {...::२१७१ रजत्रयपूजा पाई ०- १२.Lसाज-=X६ इन्च । भाषा संस्कृत के विषय-पूजा । रचनाकाल X | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य ! वेष्टने नं० १५१४ । ।
.. । --1-२१७२: रजन्यपूजा- पत्र सं ०.४३ साइज- मान-आत विषययूजा । रचना: काल x ! लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध द्या- सामान्य वेटन ग १५९१ ! - ETE | RETIRED I neg-Fri -:-२१७३. रत्नत्रयपूजा सं० २०..साहज-१४
। विषय पूजा । रचनाकाल X| लेखनकाल-स०
शा-सामान्य । वेष्टने नं.१५१६ ।
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२१७४ रनत्रयपूजा""! पत्र सं० २-2 | साइज-ox५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १५१७ ।
२१७५ रनवयपूजा । पत्र सं० २४ । साइज-१२४४३ इकन । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १८१४ भादत्रा बुदी १ : ! पुर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेप्टन नं० १५१८ !
२१७६ रोहिणीव्रतपूजा-मंडलाचार्य श्री केशव तथा कृष्णसेन । पत्र सं० १६ । साइज-१०५४५ इन्च भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल ४ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं ० १५४४ ।
२१७७ प्रति नं० २ । पत्र स. १२ । साइज-११४५ दश्च । लेखनकाल-सं० १८५५ । पूर्ण एवं शुद्ध।। दशा-उत्तम । वेष्टन नं० १५४५ ।
विशेष-अन्त में हिन्दी भाषा में प्रताविधान लिखा हुआ है।
२१.५८ रत्नत्रयजयमाल..."। पत्र सं० ४ । साइज-१२४५३ इञ्च | भाषा-अपभ्रश | विषय-पूजा ।। रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं पुमान्य शुरु । द::.- 1 टन नं० ५५५२ ।
विशेष-संग्रामपुर निवासी गंगाविशन ने प्रतिलिपि की थी।
२१७६ ऋषिमंडलपूजा-मुनि गुण नंदि । पत्र सं० १६ । साइज-११४५ इन्न । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । स्चनाकाल ४ । लेखन काल X । पूर्व एवं शुद्ध | दशा-सामान्य ! वेष्टन नं ० १५४६ ।
२१८० लब्धिविधानपूजा-वर्षकीर्ति । पत्र सं० ३ | साइज-११४५ इन्च । भाषा-सस्कृत | विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । बेटन नं० १५६६ ।
२१८१ लब्धिविधानपूजा..."पत्र सं. ६ । साइज-१२४८ इन्न । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखन काल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा--सामान्य । वेष्टन नं ० १५७० ।
२१८२ विदेहक्षेत्र के बीस तीर्थंकरों की पूजा-प० जौहरीलाल | पत्र सं० ७८ । साइज-१२४८ १३ । भाषा-हिन्दी | विषय--पूजा । रचनाकाल-सं० १६४६ | लेखनकाल-२० १६४६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. १६२६ ।
२१८३ प्रति नं०२। पत्र सं०६८ । साइज-१२४४३ च । लेखनकाल-सं० १४६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दश:- उत्तम | वेष्टन नं। १६२७ ॥
२१-४ प्रति नं०३। पत्र सं०६१ साइज-१२४ इन्च लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-उत्तम । वेटन नं० १६२८ |
२१८५ विद्यमानबीसतीर्थकर पूजा..."। पत्र सं० १६ । साइज-३४५३ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६२६ ।
२१८६ बृहतारावली पूजा-स्वरुपचंद । पत्र सं० ५६ । साइज-१.४५ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषयपूजा । रचनाकाल-२० १६१० । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६६३ !
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२१८७ वृत्सिद्धचक्रपूजा-पं०इबू | पत्र सं० ५ | साइज-१०६x४३ इन्न । भाषा-संस्कृत । विषय| रचनाफल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । बेटन नं ० १६७६ ।
२१८८ प्रति नं० २१ पत्र सं० ६ । साइज-१-४४ इञ्च 1 लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशासामान्य । वेष्टन नं० १६७६ ।
२१८६ शांतिचक्रपूजा....."| पत्र सं० ५ । साइज-१११४५३ च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । विमाकाल ४ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६६३ |
२१६० तज्ञानपूजा......। पत्र सं० १७ । साइज-०६४१ ३५न । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १७५३ ।
२१६१ श्रुतस्कन्धपूजा-श्रुतसागर । पत्र सं० ११ | साइज-१२४६ इन्च | माषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० १७५७ ।
२१६२ प्रति नं०२। पत्र सं. ६ | साइज-११४५ इन्च 1 लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । I बेटन नं. १७५७ ।
२१६३ षोडशकारपजयमाल...."। पत्र सं० १. 1 साइज-1१६x४, इञ्च । माषा-प्राकृत । विषय1. पूजा | रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १७५२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० १८०७ ।
विशेष प्रति सटीक है । आमेर में पं० लक्ष्मीदास ने प्रतिलिपि की भी।
२१६४ षोडशकरणपूजा"""""""| पत्र से. ६ । साइज-११४५६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । पन्नाकाल X । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामाम्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन मं० १८०८ 1
२१६५ षोडशकारणपूजा........! पत्र सं० २१ । साइज-११x१६ इञ्च | माषा-संस्कृत । विषय-पूजा | रचनाकाल X । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन न. १८०६ ।
१६६ पोखशकारणविधानपूजा...""। पत्र सं० ३८ । साइज-१९६४८ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १९४२ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य ! वेष्टन नं. १८१० ।
२१६७ सम्मेदशिखरपूजा .....! पत्र सं० ४० ! साइज--३४६ इञ्च । भावा-हिन्दी । विषय-पूजा । रचनाकाल ४ । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६२६ ।
२११८ समवश्रुतपूजा.......1 पत्र सं० ३१ । साइज-११४५ ३श्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल ४ लेखनकाल-सं० १८८३ पैशाख चुदो ११ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | चेन्टन नं० १६०० ।
२१६६ समवशरण पूजा-लाललालजी । पत्र सं० ६५ | साइज-१३४६३ इञ्च | भाषा-हिन्दा । विषयपूजा । रचनाकाल-रा० १८३४ । लेखनकाल-सं० १८६१ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८६७ ।
विशेष-ग्रन्थकार की विस्तृत प्रशस्ति है । श्री लालजी सकूराबाद निवासी पद्मावती पूवार गुलाबरायजी के पुत्र । थे। उणियारा में प्रतिलिपि हुई भो ।
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२२०० समवशरणपूजा-जवाहरलाल । पत्र सं० ५७ | साइज-११४७३ इत्र ! भाषा-हिन्दी | विषय-पूजा। रचनाकाल- सं० १९२१ । लेखनकाल ४ | पूर्व एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १८६६ ।
२२०१ सहस्रगुणीपूजा-मट्टारक शुभचन्द्र । पत्र सं० ३८ । साइज-१२४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत। विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६६६ ।
२२०२ प्रति नं.२। पत्र सं० ५७ । साइज-१२४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १७५: 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन २० १६६७ ।
२२०३ प्रति नं. ३ | पत्र सं० ४६ । साइज-१०१४५३ इञ्च | लेखनकाल-सं० १७५= माघ सुदी ।। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-मामा ! वेन्टर ६० १६१८ ।।
विशेष-पं० भीत्रमी के पठनार्थ गुरुजी केसीदास ने आमेर में प्रतिलिपि की थी ।
२२.४ प्रति नं०४१ पत्र सं० १२ । साइज-१२४६३ इञ्च | लेखनकाल–सं. १८१४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६६६ ।
२२०५ सहस्रनामपूजा-स्वरूपचंद बिलाला | पत्र सं० ६२ | साइज--१२३४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी।। विषय-पूजा । रचनाकाल- १६१६ । लेखनकाल-सं० १६१७ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६७० |
२२०६ सार्द्धद्वयद्वीपपूजा-शुभचन्द्र । पत्र सं० १४ । साइज-२०३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयपूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०५२ ।
२२८७ सिद्धकूटपूजा-विश्वभूषण | पत्र सं० १३ । साइज-१०४६३ इन्न । भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल ४ | लेखन काल X । पूर्ण एवं अशुद्ध | दशा-सामान्य । गेष्टन नं० २०५३ ।
२२०८ सिद्धपूजा । पत्र सं० ३ | साइज-१०३४४३ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-यूजा । रचनाकाल ४ । लेखनकाल XI पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । बेष्टन नं० २०५४ |
२२०६ सिद्धक्षेत्रपूजा..."| पत्र सं० २१ । साइज़-१२४७ इन्च । माषा-हिन्दी | विषय-पूजा । रचनाकाल ४ ! लेखन काल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०५५ ।
२२१० सिद्धजयमाल-चन्द्रकीति । पत्र सं० २ । साइज-=3xk३ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखन काल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम | वेष्टन नं० २०५७ ।
२२११ सुखसंपत्तिपूजा""] पत्र सं. ३ | साइज-११४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत-हिन्दी । विषयपुजा । रचनाकाल X । लेखन काल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१०२ ।
२२१२ सहलगुणितपूजा-पं० खासेन कवि । पत्र सं०६३ । साइज-१२४५३ च । गापा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल ४ । लेखनकाल-सं० १७६३ वैशाख सुदी ४ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन । । नं. १६४
विशेष-श्री साहिमल ने लवाण ग्राम में प्रतिलिपि की थी। वहां उस समय उदेराम का राज्य या।
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२२१३ प्रति न०२ पत्र सं० ८३ । साहज-१०९४५ इञ्च | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध तथा सुन्दर | शा-उत्तम । वेष्टन नं० १६६५ ।
२२१४ सायश्रीटोका-भट्ट बोसरी । पत्र सं० ४३ । साइज-११४५३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषयजा रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २०२३ ।
विशेष--प्रति की एक पुष्पिका इस प्रकार है:- इति दिगम्बराचार्य पं० श्री दामनन्दि शिष्य भट्ट बोसरी विरचिते | सायश्री टीका यज्ञानतिलके पायचक्रपूजाप्रकरणं पंचविंशतितम समाप्तं ।
२२१५ सोलहकारणपूजा। पत्र सं० १६ ! साइज-६x४३ इञ्च भाषा-प्राकृत । विषय-पूजा | रचनाकाल x | लेखनकाल ४ । अपूर्ण-धागे के पत्र नहीं हैं । सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१५४ ।
२२१६ सोलहकारणमंडल विधानपूजा....."पत्र सं० ५६ । साइज-११४७ इन्च 1 भाषा-हिन्दी । । विषय-पूजा | रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १६३६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २१५५ ।
२२१७ सौख्यउद्यापनपूजा-पं० अक्षयर:म | पत्र सं० २० । साइज-१.३४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-पूजा । रचनाकाल X । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं ० २१५६ ।
विषय-- प्राचीन लेख संग्रह
अन्य संख्या-५ २२१८ श्राबू मन्दिर के शिलालेखों की भापा-बाबा दुर्लीचंद । पत्र . १२ | साइज-८४६३ इञ्च । माषा-हिन्दी | विषय-प्राचीन लेख संग्रह । रचनाकाल ४ ! लेखनकाल X। पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं.
२२१६ हरसुखराय के मन्दिर देहली की अन्य सूची-बाबादुलीचंद ! पत्र सं० १५ । साइज-८६x६ । श्च । भाषा-हिन्दी । विषय-प्राचीन लेख संग्रह | रचनाकाल X ! लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ७६५ ।
२२२० प्रति न०२। पत्र सं० ११ । साइज-५३५६ इञ्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० १७७६ ।
२२२१ प्रति नं०३, पत्र सं० ११ । साइज-५६x६ इञ्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा। सामान्य । वेष्टन नं. १७७६ ।
Minainment
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३२०
[ दू
पत्र सं० १३ | साइज - १२३६३३६० | भाषा- स्कूल | विषय पात्रांन
२२२२ शिलालेखसंग्रह
लेख संग्रह | रचनाकाल x ३ लेखनकाल X | पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं १७०६ । विशेष—निम्न शिलालेखों का संग्रह है ।
चालुक्यावंशीभूत श्री पुलकेशिन का शिलालेख | ग्वालियर नगरोपकण्ठ स्थितगिरदुर्गे पद्मनाथ देवालये मुत्कीर्ण भद्रबाहु प्रशस्ति । मलिषेण प्रशस्ति ।
विषय - संगीत एवं नृत्य कला
प्रन्थ सख्या - ५
२२२३ नर्त्तनविचार - पुंडरीक विट्ठल । पत्र सं० ३३ । साइज - x५ इक्ष भाषा-संस्कृत विषय - नृत्य कला । रचनाकाल × । लेखनकाल X | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं०८५१ |
२२२४ राधागोविन्द संगोत सार- महाराजा सवाई प्रतापसिंहजी | पत्र सं० ६७ | साइज - १५३१०३ इस भाषा - हिन्दी | विषय-संगीत | रचनाकाल x i लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य न नं० १४३६ । विशेष—इसके आगे रागाध्याय है। उसके पूरे पृष्ठ २९२ तक है ।
२२२५ संगातरत्नाकर - लक्ष्मणाचार्य पुत्र श्री केल्लिनाथ | पत्र सं० १६६ | साइज - ११६ च । भाषासंस्कृत ! त्रित्रय-संगीत शास्त्र । रचनाकाल । लेखनकाल x । पूर्गों एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १८२२ २२२६ संगीतशास्त्रसार - श्री दामोदर | पत्र सं० ५३ | साइज - ११४५ च । भाषा - संस्कृत विषयसंगीत | रचनाकाल × । लेखनकाल x । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २२२७ संगीतरत्नाकर - श्री शाह देव | पत्र सं० २२० | साइज - ११x६ इच | माया - संस्कृत | विषय - संगीत शास्त्र । रचनाकाल X। लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १८२४ |
१८२३ |
२०२८ संगीतसार - महाराजा प्रतापसिंह | पत्र सं० २२२ | साइज - १२x१५ इञ्च भाषा - हिन्दी । लेखनकाल X ! अपूर्ण-पत्र के आगे रागाध्याय है। वेष्टन नं० १८२५ ।
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विषय-लक्षण एवं समीक्षा साहित्य
प्रन्थ संख्या--१५
२२२६ चौसठऋद्धि स्वरूप.....। पत्र सं० १३ | साइज-१०३४७ इच 1 भाषा-प्राकृत । विषयशिक्षण साहित्य । रचनाकाल X । लेखनकाल X । अपूर्ण-५४ गाथायें है। शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ४३८ ।
२२३० प्रति नं.२। पत्र ० ५ । साइज-१०x४३ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य | गाया संख्या १२३ । वेटन नं० ४३८ ।
२२३१ प्रति नं. ३ । पत्र सं. 12 | साइज-११४५ इन्च 1 लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशाउत्तम | बेन्टन नं० १५४६ ।
विशेष--एक पत्र में चार र पक्तियां हैं । अक्षर सुन्दर व मोटे हैं ।
२२३२ पंचरत्नपरीक्षा....."। पत्र सं० १३ । साइज-१.४४३ इन् । भाषा-अपभ्रश । विषय-समोता । चनाकाल X । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १०.३ ।
२२३३ सर्वरत्नपरीक्षा....... । पत्र सं० १३४३६ | साइज-१३४५ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषयलक्षण नथ । रचनाकाल - । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १९५४ ।
२२३४ प्रति २०२६ प स ४ । साहज-१.४५ च । लेखनकाल । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | शा-सामान्य । वेष्टन नं० १६५४ |
२२३५ धर्मपरीक्षा-श्रमितिगति । पत्र सं०६ | साइज-११३४५ इञ्च । भाषा-संस्कृत | विषय-समीक्षा साहित्य । रचनाकाल-सं० १०५० । लेखनकाल-सं० १६० । अपूर्ण-प्रारम्भ के ५३ पत्र नहीं हैं । सामान्य शुद्ध । दशाजीर्ण। वेष्टन नं. ८.१।
विशेष-सा• मल्ला पाटनी ने प्रतिलिपि करवाई थी।
२२३६ प्रति नं.२ । १० सं०६६ । साइज-११४५ ६ञ्च । लेखन काल । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं. ८०१।
२२३७ धर्मपरीक्षा भाषा-मनोहरलाल । पत्र सं7 ६५ | साइज-१२४६ इन्च । भाषा-हिन्दी । विषयसमीक्षा । रचनाकाल-सं० १६४: । लेखनकाल-सं. १८७१ | अपूर्ण-प्रारम्भ के ३१ पत्र नहीं हैं । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ०१
२२३८ प्रति नं०२। पत्र सं० १.०४ | साइज-११४५ इञ्च | लेखनकाल XI पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य 1 वेष्टन नं० ८०३।
विशेष-दो प्रतियों का सम्मिश्रण है ।
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[ स्कुट साहित्य
२२३६ प्रति नं० ३ | पत्र सं० २ | साइन- ११४७३ इ । खदकाल | पूर्व सामान्य युद्ध |
दशा- सामान्य | वेष्टन नं० ८०४ ।
२२४० प्रति नं ४ | पत्र सं० ६१ । साइज - १२३x६३ इञ्च । लेखनकाल - सं० २०२ । पूर्ण एवं शुद्ध. दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ८०५ ।
विशेष- जिहांनाबाद नगर में रूपचंदजी के शिष्य पं० दयाराम ने प्रतिलिपि की थी ।
२२४१ प्रति नं० ५ । पत्र सं० १५० | साइज - १६४५ इश्च । लेखनकाल - सं० २०३८ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं००६ |
२२४२ धर्मपरीक्षा भाषा-अ दशरथ निगेला पत्र [सं० ४७ | विषय-सनीक्षर । रचनाकाल - सं० १५१८ । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
साइज - ११६४४ इत्र । भाषा - हिन्दी । दशा - सामान्य । वेष्टन नं०८०७ |
२२४३ धर्मपरीक्षा भाषा - पन्नालाल चौधरी | पत्र सं० १६६ | साइज - १२९= इञ्च । भाषा - हिन्दी-नाथ । विषय-परीक्षा | रचनाकाल - सं० १६३२ । लेखनकाल - सं० १६४७ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन ०८०८ | विशेष-पत्र नं० १६ का १३७ की हो दूसरी प्रति है। प्रथम श्रठ पत्र नहीं हैं। लक्ष्मीचंदजी छाबड़ा पंसारी ने प्रतिलिपि करवायी भी ।
२२४४ धर्मपरीक्षा - मुनिरामचन्द्र । पत्र सं० ३४ | साइज - १९४५ इन्च भाषा-संस्कृत । विषय-परीक्षा | रचनाकाल × 1 लेखनकाल - सं० १७२१ मंगसिर सुदी ५ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य । बेष्टन नं०=० | विशेष - सरोजपुर नगर में पं० कामराज के शिव्य देवराज सुखदेव के पउनार्थ प्रतिलिपि की गयी मां ।
विषय - स्फुट एवं अवशिष्ट साहित्य
प्रन्थ सख्या -५=
। पत्र सं० ३, १६-६ | साइज - १४
| भाषा - हिन्दी | विषय-पुराण |
२२४५ अतरवाच्य रचनाकाल x | लेखनकाल- सं० १५८३ भादवा सुदी ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य । वेष्टन नं ६० (क) विशेष-- नेमिनाथ, पार्श्वनाथ तथा महावीर स्वामी की जीवनी वेताम्बर सम्प्रदाय के सिद्धान्तों के अनुसार हैं । पत्र सं० २० | साइज - १२४६३ दश । माषा - हिन्दी | विषय-पूजा - भजन
२२४६ अनुभवविलास
नं० १६ ।
व पद संग्रह | रचनाकाल X 1 लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम विशेष - प्रारम्भ के २२ पत्रों में पूजा संग्रह है ।
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!
कुद साहित्य ]
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२४७ आगम वाक्य संग्रह " | पत्र सं० २२१ | साइज - १२५३ इव । नाम-संस्कृत | विषय- धर्मं । रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १५७७ भादवा सुदी ७ पूर्ण एवं शुद्ध दशा-जी बेचन नंः ६३ । विशेष – संग्रह ग्रन्थ है । लेखक प्रशस्ति संक्षिप्त में निम्न प्रकार हैं। संवत् १५७७ वर्षे नाव चंद्रदिने बुरूजांगलदेशे श्री स्वर्ण ममहात्याने श्री सिकन्दरसाहिपुत्र सुल्लितान विरहिमुराज्यमत्रवर्त्तमाने " पांडे ईरा मीतकान्वये गर्ग गोत्रे फतहपुरू पुंडरीया कपिरथलि ( र्यालि ) वास्तव्यं तेषामध्ये सर्वज्ञध्वनिनिकादिदाषल्य पर्यायश्रद्धापरः शास्त्रदाननिरतः परोपकारी ब्रहाचारी चाह स्रत पांडे ईच्छा तेन इद कर्मकांड त्रिभंगी वापर प्र शास्त्रं लिस्वापितं ।
:
चौ
संवत् १५८४ तुहाग ब्रह्मचारि सी जोगदत्तं पांडे ईच्छे संवत् १६०५ वर्षे शास्त्र बुद्धी २ भोजराज का नोव० सी है प्रदत्त पठनार्थं ।
मदनसिंह
२२५=
गमवाक्य संग्रह | पत्र सं० १२ साइज १२५ इञ्च (भाषा - हिन्दी-विजय धर्म । रचनाकाल x | लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टननं २ |
| भाषा - हिन्दी विव्य-भजन रचना
२२४६ जखढी - मुधरदास | पत्र सं ६ | साइज - ५ दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ५६२ |
काल × । लेखनकाल × | पूर्ण एवं शुद्ध २२५० ढाढसी ...... पत्र ०४ साइज - १०x४६ दृष । भाषा प्राकृत । विषय-स्ट | खनाल x | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध 1 दशा-जीर्थं । बेष्टन नं० ४७१ ।
t
२०५१ ढोलामारूपी
पत्र सं० ३७ । साइज - १०x४ इञ | भाषा - हिन्दी | विश्य-कथा | रचनाकाल-सं० १६७७ । लेखनकाल - रु० १७६२ । पूर्णं एवं शुद्ध । २-३७ तक पत्र हैं। दशा-जोर्स वेटन नं०४०२ |
२२५२ थान विलास - कविवर यानजी अजमेरा । पत्र ० २२ | साइज - १२४७३ इञ्च । मात्रा - हिन्दी । विषय-कविता संग्रह | रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - उत्तम | वेष्टन नं० ७०० । २२५३ त्रिंशतचतुर्विंशतिनाम | पत्र सं०८ साइज - १२X४ ( अ ) भाग- हिन्दी | विषयस्फुट | रचनाकाल × | लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जोखे । वेष्टन नं० ६८२ |
२२५५ धानतबिलास यानतराय पत्र सं० ४०३ | साइज - ३६ । भाषा - हिन्दी ! विषय-संग्रह | रचनाकाल x | लेखनकाल - २० १६०३ । ७६ अधिकार तक पूर्णे । शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं०
२२५६ प्रति नं २ | पत्र सं० १५३ | साइज - ११x६ इन्च | लेखनकाल - सं० १८७७१ पूर्ण एवं शुद्ध । देशा- सामान्य । वेष्टन नं ७६६ ।
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विशेष - महात्मा राधाकृष्ण ने जयपुर में प्रतिलिपि की भी ।
२२५४ द्रव्यपूजास्थापक सिद्धान्त
| पत्र ०३ | साइज - ८३० | नाम-संस्कृत विषयखंडनमंडन | रचनाकाल x | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य । वेष्टन नं० ७१३ । विशेष -- श्वेताम्बर सम्प्रदाय में पूजा की स्थापना है । यही २२ सूत्रों में सिद्ध किया गया है।
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{ स्फुट साहित्य २२५७ प्रति नं. . सं० २४१ । साइज-११४७३ च । लेखनकाल ४ ! अपूरण-मारम्म के ११, तथा अन्तिम पत्र नहीं हैं । शुद्ध । दशा-उत्तम । रेष्टन नं ० ४७० । . २२५८ प्रति नं. ४ । पत्र सं० १-१ | साइज-८४६ इञ्च । लेखनकाल x | अपूर्ण-५०-११४ तक तपा यागे के पत्र नहीं है । शुद्ध | दशा-सामान्य । बेष्टन नं ० ४७ ।
२२५६ धर्मविलास-थानतराय । पत्र सं० १-५० ! साइज-१२४६ इञ्च । भाषा-हिन्दी । विषय -संगा प्रन्थ । रचनाकाल X । लेखनकाल X| अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ८१६ ।
२६. प्रति नं० २ । पत्र सं० १२०-१६५ । साहज-१२x६ ६श्च । लेखनकाल ४ । श्रपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० ८१६ ।
२२६१ प्रति नं ३। पत्र सं० १२०-१६५ । साइज-१२४६ इञ्च । लेखनकाल ५। अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं. ८१६ ।
२२६२ प्रति नं. ४। पत्र सं० २८ । साइज-१२४५३ इञ्च ! अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन न०८१६ ।
२२६३ नक्षत्रमालावतविवरण"...! पत्र सं. ४ । साइज-११३४५३ इन ! भाषा-हिन्दी । विषयव्रतों का वर्णन | रचनाकाल x | लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । बेष्टन नं ० ८३६ ।
२२६४ नवतत्त्वनिदान.....! पत्र सं० २१ । साइज--१४४ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-दर्शन । रचनाकाल ४ । लेखनकाल x / पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ८५८ |
विशेष-हिन्दी भाषा में अर्थ दिया हुआ है।
२२६५ नवरत्नकाव्य"....."| पत्र सं० १। साइज-११४४३ इञ्च । भाषा-संस्कन । विषय-स्फुट। रचनाकाल x लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ८६४ ।
विशेष-विक्रम राजा के ६ रनों का एक २ पध में परिचय है।
२२६६ पंचपरमेटोगुणस्तवन-डालूराम | पत्र सं० २५ । साइज-11४५ इञ्च । माषा-हिन्दी ! विषय- . स्तवन । रचनाकाल-सं. १८६५ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १६..
विशेष-स्तवन की समाप्ति के पश्चात् डालूराम कृत द्वादशानुप्रेहा तमा चौरासी लाख जखडी मी है। जखडी पूर्ण नहीं है।
२२६७ पंचपरमेष्टोजाप्य ....। पत्र सं० १० । साइज-१०४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत । विषय-स्तवन । रचनाकाल x | लेखनकाल X| पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ६११ ।
नोट-१०८ बार णमोकार मंत्र लिखा हुआ है।
२२६० प्रबोधसार-4 यशःकीर्ति । पत्र सं० १८ । साइज-१२४६ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-श्रोपदेशिक । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १८११ माघ शुक्ला । | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १९६१
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साहित्य
३२५ २२६६ प्रति नं०२। पत्र सं० १७ | साइज-१३४८ इञ्च । लेखनकाल-सं० १९८० फाल्गुण कृष्णा ५ । एवं सामान्य शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं० ११६२१
२२७७ प्रति नं. ३। पत्र सं० १२-१६ | साइज-१२४५३ इन्च | लेखनकाल-सं० १८१२ । अपूर्ण एवं दशा-सामान्य । वेष्टन नं० ११६३ ।
२२७१ बनारसीविलास-बनारसीदास | पत्र सं० १५६ | साइज-४६३६२ । भाषा-हिन्दी | विषय। रचनाकाल-२० १७.१ । लेखनकाल-सं० १६०३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १२६२ ।
विशेष-बनारसीदासजी की स्पु.ट रचनाओं का संग्रह है।
२२७२ प्रति नं०२। पत्र सं० ८८ ! साइज-१०४ इञ्च । लेखनकाल-सं. १८७० । पूर्ण एवं शुद्ध | शा-उत्तम । वेष्टन नं० १२६१ ।
२२७३ प्रति ०३ । पत्र सं० १२ । साहज-४४३ इञ्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य गा-सामान्य । वेष्टन नं. १२७३ 1
२२७४ प्रति नं.४। पत्र सं० १३० । साहज-१x६ च । लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध । दशामान्य । वेष्टन नं० १२६३ !
२२७५ प्रति नं०५ | पत्र सं० ८४ । साइज-10४० इञ्च । लेखन काल ४ । अपूर्ण-आगे के पत्र नहीं . सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १२६४ ।
२२७६ प्रति नं०६। पत्र सं० ५१-१४५ । साइज-Ex४ इश्च । लेखनकाल-सं० १८१४ श्रावय बुदी ५ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेप्टन नं० १२६५ 1
२२७७ भववैराग्यशतक......'। पत्र सं० १६ । साइज-१०५४४५ इन्च | भाषा-प्राकृत । विषयचनाकाल X 1 लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं १३२१ ।
२२७८ प्रति नं० २। पत्र सं० ७ । साइज-१०६x४३ इन्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-- सामान्य । वेष्टन नं० १३२२ । . विशेष--संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं ।
२२७६ प्रति नं. ३ : पत्र सं० ११ । साइज-१०x४३ इञ्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं. १३२३ ।
विशेष-हिन्दी टव्या टीका सहित है।
२२८० बृहदारण्यक सटीक-टीकाकार-प्राचार्य शंकर । पत्र सं० २६४ । साइज-१२४४ इन्च 1 माषाधकृत । विषय-सिद्धान्त । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं० १७८१ चैत्र शुक्ला पंचमी । अपूर्ण-१३०-१३६ तक पत्र नहीं
सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | घेष्टन नं. १६६८ |
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३२६
[ स्फुट साईल
पत्र ०४ । साइज - १०x४३ मात्रा-हिन्दी | विषय- शिल्पशास
२२८१ विनिर्माण
रचनाकाल × | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १६४
विशेष- विजय मत्स्यादिपुराण में से लिया गया है। २२८२ बिम्बनिर्माण
“पत्र सं० ४। साइज - १२x६ रचनाकाल × । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० पत्र सं० =
|
२२-३ मन्दिरनिर्माण विधि - बाबा दुलीचंद शिल्पशास्त्र | रचनाकाल X | लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध
इ । भाषा - हिन्दी | विषय - शिव्यशास्त्र |
1
१२७१ !
साइज - ११४० इञ्च । भाषा - हिन्दी । विषय
दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १३७६ |
पर
महाभट्टी- कवि मट्टी । पत्र सं० ५
रचनाकाल × । लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १३८६ ।
२२८५ प्रति नं २ | पत्र सं० २१-४० तक | साइज - ११५ इन्च | लेखनकाल X | अपूर्ण एवं सामान शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १३ |
।
साइज - ११९५ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय-व्याकरण ।
२२८६ मानमंजरी-संग्रहकर्ता - सागरगणि । पत्र सं० ४० | साइज - ११४५३ इश्व | भाषा-संस्कृत । विषयसंग्रह | रचनाकाल × । लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - उत्तम | वेष्टन नं० १६८६ १
२२८७ वस्तुविज्ञानरत्रकोश
पत्र सं० ५ | साइज - १०x४३ इन्च मात्रा - संस्कृत विषय- कोश | रचनाकाल X | लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं ० १६०७ । २२== शास्त्रदीपिका पत्र सं० रचनाकाल × । लेखनकाल x । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध २२=६ शांतिकपाठ - धर्मदेव | पत्र सं०६८ साइज - ५÷५ श्व। भाषा-संस्कृत विषय-स्तोत्र | रचनाकाल--सं> १६८२ | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १७७२ ।
५६ | साइज - १०x४ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषय-रोम । दशा- जीणं । वेष्टन ०१७०७ ।
२२६० शिवतांडवीय- नीलकंठ | पत्र सं० ५५ | साइज - १२४४३ च | भाषा-संस्कृत । विषय-स्फुटं । रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० २=६० । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | बेटन नं० १७१० ।
विशेष - प्रति संस्कृत टीका सहित है।
२२६३ संस्कृतमंजरी - हरिनाम मिश्र । पत्र सं० ६ सग्रह किये हुये लेख | रचनाकाल | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध
२२६१ श्वेताम्बर पराजय | पत्र ० ७ | साइज - ११४५३ इव । भाषा-संस्कृत विषय धर्म । रचनाकाल × 1 लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १७७१ |
२२६२ पट्प्रश्नी १ पत्र सं० ७२ | साइज-८x४ इन | भाषा - हिन्दी | विषय - सग्रह | रचनाकाल x 1 लेखनकाल × । श्रपूर्ण - स्फुट पत्र हैं। दशा-जीर्णे । वेष्टन नं० १८०५ ।
| साइज - ११३४५३ इञ्च | भाषा-संस्कृत । विषयदशा - सामान्य | वेष्टन नं० १८३० ।
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र स्फुट साहित्य ]
२२६४ सम्बन्धोद्योत-मसानंद । पत्र सं० १४ । साइन-१०४४ इन्च । भाषा-संस्कत । विषय-व्याकरण । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य | टन नं. १६३३
विशेष-- प्रति सटीक है । टीका संस्कृत में है।
२२६५ संग्रह ....."। पत्र सं० २४४ । साइज-११४७३ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-संग्रह । रचनाकाल x 1 लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । ५ ५२६ ।
विशेष- इस संग्रह में तत्त्वार्थ सूत्र, पुरूषार्थसिद्धय पाय, याप्तपरीक्षा, ग्रानानुशासन, प्रतिष्ठा पाठ, जिनसहस्रनाम स्तोत्र, सामायिक, श्रु तमक्ति श्रादि का संग्रह है।
२२६६ साधुवंदना-बनारसीदास | पत्र सं० २। साइन-Ex: इञ्च । माषा-हिन्दी | विषय-स्तवन । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० १९६० |
२२६७ सारवावनी....."। पत्र सं० = | साइज-10x6, इन्न । भाषा-संस्कृत | विषय-सुभाषित । 1 रचनाकाल । लेखनकाल-सं० १७४५ पौष बुदी १० शुक्रवार । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १२०३ ।
विशेष-बाराबड में कनक सागर ने लिपि की थी।
२२६८ सारस्वत व्याकरण-अनुभूति स्वरूपाचार्य । पत्र सं० ४३ | साइज-११३४५ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । रचनाकाल X । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन में० २०५१ ॥
विशेष-प्रति संस्कृत टीका सहित हैं।
२२६६ सिद्धहेमशब्दानुशासन वृत्ति...! पत्र सं० २५२ । साइज-१०४३३ इञ्च । भाषा-संस्कृत । विषय-व्याकरण । रचनाकाल x | लेखनकाल X | अपूर्ण-१-२ तथा २५० से २५१ तक पत्र नहीं हैं। सामान्य शुद्ध । देशा-सामान्य | वेटन नं० २०५८ ।
२३०० सिद्धान्तमुक्तावली-विश्वनाम पंचानन । पत्र सं० ६७ । साइज-६x४३ इन्न | भाषा-संस्कृत । विषय-न्याय शास्त्र । रचनाकाल X । लेखनकाल–० १८४६ माघ शुक्ला पंचना । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०७५ ।
२३०१ सुगढकदीपक........"। पत्र सं० ११४ ! साइज-११४४३ इञ्च | भाषा-प्राकृत | विषय-स्फुट | रचनाकाल X । लेखनकाल X| अपूर्ण-केवल मध्य के ३७ पत्र हैं। सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१०३ ।
२३०२ सिद्धिप्रियस्तोत्र-देवनन्दि ! पत्र सं० ७ | साइज-६३४४ च । भाषा-संस्कृत | विषय-स्तोत्र । रचनाकाल x 1 लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्णा । वेष्टन नं० २०५६ ।
विशेष-प्रति टीका सहित है। टीका संस्कृत में है।
२३०३ सुमति कुमति की जखडी-विनोदीलाल ! पत्र सं. ३ । साइज-६x४३ इव । माषा-हिन्दो । त्रियय-उपदेशात्मकवर्णन । रचनाकाल X । लेबनकाल-सं० १७८६ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१३४
२३०४ हितोपदेशी.....। पत्र सं० १३ । साइज-१०:४५ इन्च । भाषा-हिन्दी-संस्कृत । विषय-जैन धर्म का बैदिक ग्रन्यों में उल्लेख । रचनाकाल X । लेखनकाल X 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं. २२५१ !
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ल
२३०५ गुटका नं० १ । पत्र सं० ६ | साइज - १०x६ इञ्च । लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- जीर्ण | वेष्टन नं० २४०४ ।
विशेष – उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
विषय - संग्रह
गुटका संख्या - १५
२३०६ गुटका नं २ | पत्र सं० २० | साइज - १ इ । लेखनकाल X। पूर्खे एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० २४०७ ।
विशेष --- कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
विषय-सूची
अक्षर बावनी
सुदामाजी का कक्का
२३०७ गुटका नं० ३ | पत्र सं० १५ | साइज - ५X४ इन्च । लेखनकाल - सं० १४९ मादवा सुदी १५ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २४०६ |
कर्ता का नाम
साधा
हिन्दी
33
२३०६ गुटका नं० ४ । पत्र सं० १४ । साइज ८ इच। लेखनकाल - सं० १६.५४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २४०६ ।
विशेष-भक्तामर स्तोत्र तथा एकमात्र स्तोम हैं ।
दशा- जी । वेष्टन नं० २४१४ ।
विशेष
२३०६ गुटका नं ५ | पत्र सं० २० | साइज - ५x५ वृक्ष | भाषा - हिन्दी | लेखनकाल x पूपं एवं अशुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २४०६
विशेष – हिन्दी के पर्दों का संग्रह है।
। पयों की संख्या १४७ पद्य हैं ।
२३१० गुटका नं० ६ । पत्र सं० २० साइज - x१३ इन्च | लेखनकाल - सं० १७१६ माघ सुदी ३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २४१३ |
विशेष – चंद कवि कृत हिन्दी में रामायण है २३११ गुटका नं० ७ । पत्र [सं० २५ । शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं ० २४१४ |
विशेष – कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
साइज ५३४३ ६श्व भाषा - हिन्दी । लेखनकाल | पूर्ण एवं
२३१२ गुटका नं० ८ पत्र सं० २० साइज - ६५ इञ्च | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
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संह"]
विशेष – कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
२३१३ गुटका नं ६ |
दिशा सामान्य | वेष्टन नं० २४१४ ।
विशेष—कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २४१६ |
विशेष – हिन्दी पदों का संग्रह हैं ।
२३१४ गुटका नं० १० | पत्र सं० १३ | साइज - ६४४३ इन्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य
२३१५ गुटका नं० ११ | पत्र
पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य । बैप्टन नं० २४१६ ।
विशेष – कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है । सामान्य पाठों का संग्रह है ।
२० | सारे । उखनकाल X
- देशा- सामान्य । वेष्टन नं० २४१० ।
२३१६ गुटका नं० १२ | पत्र सं० २० १ साइज - ६६ ६छ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य युद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २४२३ ।
विशेष - गुटके में कोई विशेष उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
२३१७ गुटका नं० १३ | पत्र सं० ७ | साइज - ६४५ इञ्च । लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २४०३ ।
विशेष – हिन्दी पदों का संग्रह है ।
सं० ३५ | साइज - ६६ हब | लेखनकाल - सं० १५६४ चैत्र सुदी |
२३१८ गुटका नं० १४ । पत्र सं० २० | साइज - ६५ ६च लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
विशेष — पंच स्तोत्रों का संग्रह है ।
.
दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २४२४ ।
विशेष- स्तोत्रों का संग्रह है ।
३२६
२३१६ गुटका नं० १५ | पत्र सं० २३ | साइज - ७८५ ६ख । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २४०५ ।
पूर्वं एवं सामान्य शुद्ध |
विशेष उल्लेखनीय सामग्री नहीं हैं ।
२३२० गुटका नं० १६ | पत्र सं० २० | साइज - ६५ इन्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध |
विषय-सूची
संबोधपंचासिका
२३२१ गुटका नं० १७ | पत्र स० २७ । साइज - ६४५ इन्च | भाषा - हिन्दी | लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २४२६ ॥
कर्चा का नाम पं० बुधजन
माषा
हिन्दी
विशेष
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३३०
पद संग्रह
निर्वाणकांड भाषा
मैय्या भगवतीदास २३२२ गुटका नं०१-1 पत्र सं० १२ । साइज-११३४४३ इञ्च । लेखनकाल XI पूर्ण एवं सामान शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४१७ ।
विशेष-गुटके में बनारसीदास कृत मोहविवेक कथा दी हुई है।
२३२३ गुटका नं. १६ । पत्र सं० २१ । साइज-१२४६३ इश्च । लेखनकाल x। अपूर्ण एवं शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४२७ |
विशेष-गुटके में बनारसीदास कृत नाटक समयसार है ।
२३२४ गुटका नं० २० । पत्र सं० १७ । साइज-८४६ हाच । लेखनकाल–सं० १७२१ । पूर्ण एवं शुद्ध।। दशा-सामान्य | वेष्टन नं. २४२७॥
विशेष-गुटके में संस्कृत में रत्नत्रय पूजा है।
२३२५ गुटका नं० २१ । पत्र सं० २१ । साइज-७४७ सम । लेखनकाल-सं० १७६६ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-या वेष्टनमा २४२८ । विषय-सूची
कर्ता का नाम शनिश्चर की कया मक्तामर स्तोत्र भाषा
हेमराज कल्याणमन्दिर स्तोत्र माषा पंचमंगल
२३२६ गुटका नं० २२। पत्र सं. १६ । साइज-५३४४३ इञ्च । लेखनकाल X। पूर्ण एवं शुद्ध। . दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २४१६ ।
विशेष-पूजा संग्रह है।
२३२७ गुटका नं० २३ । पत्र सं० २३ । साइज-४६३ इञ्च । लेखनकाल X/ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेष्टन नं० २४२६ | विषय-सूची
कर्ता का नाम भक्तामर स्तोत्र मंत्र सहित पद संग्रह
२३२८ गुटका नं० २४ । पत्र सं० २५ । साइज-६x६ इन्च | लेखनकास । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २४३१ ।
विशेष-गुटके में ज्योतिष से सम्बन्धित साहित्य है।
ম हिन्दी
विशेष
बनारसीदास
रूपवंद
भाषा संस्कृत हिन्दी
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३३१
भाषा
३२६ गुटका नं० २५ । पत्र सं० ५२ । साइज-७४५ इञ्च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन नं ० २४३३ ।
विशेष-धार्मिक चर्चाओं का संग्रह है।
२३३० गुटका नं० २६ । पत्र सं० ३० । साहज-४५३ इञ्च । लेखनकाल ४ [ अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । रा-सामान्य । वेष्टन नं० २४३३ ।।
विशेष उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
२३३१ गुटका नं० २७ । पत्र सं० ६४ | साइज-s४५ च । लेखनकाल-२० १८१५ माघ सुदी ८ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वैष्टन नं० २४३४ । विषय-सूची कर्चा का नाम
विशेष सुति संग्रह मानपञ्चीसी
बनारसीदास बोधकाव्य ( प्राण्डिा गीत )
२३३२ गुटका नं०२८ । पत्र सं०६ । साइज-६४६ इञ्च । लेखन काल ४ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वेटन नं० २४०२।
विशेष-गुटके में हिन्दी पदसंग्रह है।
२३३३ गुटका नं०२६ । पत्र सं. ३५ । साइज-६४५ इश्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । सा-सामाग्य । वेटन नं० २४४३ ।
विशेष-कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
२३३४ गुटका नं० ३० । पत्र सं० ४० | साइज-६x६ हप | लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २४४४ । विषय-सूची कर्ता का नाम
विशेष पार्श्वजिनस्तुति
हिन्दी चिंतामणिपार्श्वनाथस्तवन योगीरासो नेमिनाथस्तवन
जिनदास मेधकुमारस्तवन
२३३५ गुटका नं०३१ । पत्र सं० ३३ | साइज-१०४६ इञ्च । लेखनकाल-सं० १८१२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४४५ । विषय-सूची कर्ता का नाम
নিহণ आनंदश्रावक संघ
हेमनंदन
-
माषा
Kamana
माषा
14
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३३२.
अनादि साधु संघ.
स्तवनसंग्रह
विमलकीसिं
२३३६ गुटका नं० ३२ | पत्र सं० ६ | साइज - १० X ६ ६ | लेखनकाल - सं० १७१८ माघ बुदी है। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जोर्ण । वेष्टन नं ०
विषय-सूत्री
षट्पाहुड
स्वरोदय
द्रव्यसंग्रह भाषा
दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २४४६ |
विशेष – कोई उल्लेखनीय सामारी नहीं है।
विषय-सूची
षोडशकारण जयमाल
दशलक्षण पूजा
सामायिक पाठ
कर्ता का नाम
कुन्दकुन्दाचार्य
विषय-सूची
अभिषेक पाठ
सिद्धप्रिय स्तोत्र
हीरानंद
२३३७ गुटका नं० ३३ । पत्र ० ४० । साइज - ४४४ इव । लेखनकाल x । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । ।
-द
२३३८ गुटका नं० ३४ | पत्र सं० ४४ | साइज - ८४६ ई इ | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २४४६ ॥
कर्ता का नाम भावशर्मा
गणधर जयमाल
शांतिनाथ जयमाल
मुनीश्वरों की जयमाल
"
"3
कर्ता का नाम
श्रमयनंदि
देवनंदि
प्राकृत
हिन्दी अर्थ सहित
२३३६ गुटका नं० ३५ | पत्र सं० ५० | साइज - ५x५ इञ्च । लेखनकाल - सं० १५८५ श्रासोज बुदी १३३ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २४५७ |
भाषा
प्राकृत
संस्कृत
साषा
>1
हिन्दी
संस्कृत
भाषा
संस्कृत
""
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"
"
"
भाषा
संस्कृत:
विशेष "
२३४० गुटका नं० ३६ | पत्र सं० ३५ | साइज - ५३४५६ | लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २४५७ |
विषय-सूची
कर्ता का नाम
नंदीश्वर जयमाल
विशेष
विशेष?
विशेषं
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________________
-
३३३.
३३३
ब्रह्मजिन दास
हिन्दी
लिण्याकड
नवकार गीत
से मुखावली गीत
मतानुप्रेक्षा
H
साषा
प्राकृत सदसणसार सकलकीर्ति
हिन्दी मुनि विषयसेन
प्राक्त २३४१ गुटका नं० ३७ । पत्र सं० १. । साइज-६४४३ इञ्च । लेखनकाल-सं० १७०४ । पूणे एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं. २४५६ ।
विशेष विषय-सूची कर्ता का नाम
माषा . नाममाला
धनंजय
संस्कृत शिवसाधन नाम .
जगन्नाथ जिनस्तोत्र
कादिराज हिन्दी पद
१५ पप पंचकल्याण
ठक्कुर २३४२ गुटका नं०३८ । पत्र सं० ४४ ! साइज-७४४ इन्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४६. ।
विशेष विषय-सूची
कर्चा का नाम घालूकवि
हिन्दी पाण्यात्मपैडी
बनारसीदास बनारसी विलास के अ'श स्फुट पद
२३४३ गुटका ०३.1 पत्र सं० ४५ | साइज-४६३ इञ्च | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध | दशाजीर्ण । बेष्टन नं० २४६२ ।।
. विशेष विषय-सूची
कर्ता का नाम स्वामीकार्तिकेयानुप्रेक्षा
स्वामी कार्तिकेय देवसेन
संस्कृत २३४४ गुटका नं०४०। पत्र सं० २० । साइज-मx५ इम्च 1 लेखनकाल--सं. १७५३ । अपूर्य एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-जीर्थ । वेष्टन नं २४६० ।
विशेष
भावा विषय-सूची कर्ता का नाम
हिन्दी जोगीरासो झाता को किया कपन
दादशानुप्रेक्षा
AASHWAMI TRAUMAULTU
भाषा
प्राकृत
तत्त्वसार
"
Aniindy.
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३३४
ध्यानवतोसी प्राचीन राजाओं का समय
२३४५ गुटका नं०४१ । पत्र सं० ४४ | साइज-x= इन्च । लेखनकाल-सं० १७२२ मंगसिर दी। अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २४६३ । विषय-सूची कर्ता का नाम
माषा शालिभद्र चौपई जिनसिंह सूरि
हिन्दी बीसविरहमान गीत
२३४६ गुटका नं०४२ । पत्र सं० ४३ । साइज-७४५ इश्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं शुद्ध । सामान्य | वेष्टन नं० २४६५ । विषय-सूची फा का नाम
माषा चरचाशतक
4. बुधजन द्रव्यसंग्रह भाषा
२३४७ गुस्कानं०४३ । पत्र सं० ५ ० । साइज-१०३४६ इश्च । लेखनकाल X| अपूर्ण व सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन ने ० २४६८ |
विशेष-गुटके में पूजात्रों का संग्रह है।
२३४८ गुटका नं. ४४ । पत्र सं० ४८ | साइज-८४५३ च 1 लेखनकाल-सं० १०१०। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४६६ । विषय-सूची कर्ता का नाम
माष जिनसहस्रनाम
अाशाधर
संस्कृत रत्नत्रयपूजा
"
..
शांतिचक्रपूजा
- पं. रड्यू
अपनश
पद्मावतीस्तोत्र
लेखनकाल सं० १८०५ ।
संस्कृत
अनंतत्रतपूजा
२३४६ गुटका नं०४५। पत्र सं० ४० । साइज-५३४५३ इञ्च । लेखनकाल-२० १८२० । अपूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं० २४५३ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा विनोद सतसई
कवि वृदं .
हिन्दी माहिरा
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संग्रह ]
३३५
२३५० गुटका नं० ४६ | पत्र ०३८ । साइज - १६x४ इन्च । लेखनकाल - सं० १६०३ कार्तिक सुदी ४ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेस्टन नं. २४५३ ।
विषय सूची लक्ष्मीस्तीन
मक्कामरस्तोत्र
दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २४७० | लिपि विकृत हैं ।
विशेष --- हिन्दी में सुकुमाल मुनि की कथा है।
विषय-सूची
कोकमंजरी
वैद्यमनोत्सव
२३५२ गुटका नं० ४८
दशा - जीर्ण | वेष्टन नं ० २४७४ |
मातु गाचाये
२३५१ गुटका नं० ४७ । पत्र सं० ४२ । साइज - ६४५ इव । लेखनकाल X। श्रपूर्ण एवं श्रशुद्ध ।
राजुल पच्चीसी
नवकार मंत्र केवली
कर्त्ता का नाम
पद्मप्रमदेव
दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २४७४ ।
कर्त्ता का नाम
कवि आनंद
केशवदास नयनसुख
लालचंद विनोदीलाल
विषय-सूची
कोसार
सामुद्रिकशास्त्र
पत्र सं० ५० | साह - ८६३ इन्त्र | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
-
विशेष -- तीर्थकरों के पूर्व भवों के नाम दिये हुये हैं ?
भाषा
संस्कृत
*
कर्ता का नाम श्रानन्दकवि
भाषा
हिन्दी
—
73
२३५३ गुटका नं० ४६ । पत्र सं० ७ साइज - ८६ इन्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
31
""
२३५४ गुटका नं० ५० १ पत्र सं० २२ | साइज - X६ हम । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २४५६ |
विशेष – समयसार नाटक का कुछ भाग है ।
विशेष
२३५५ गुटका नं० ५१ । पत्र सं० ४२ | साइज - ६६ इव । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - जीवं । वेष्टन नं० २४७५ ।
मांषा
विशेष
२७५ पच
हिन्दी
"
विशेष
२३५६ गुटका नं० ५२ । पत्र सं० २-४६ | साइक - ५४५ इन्च । लेखनकाल X | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा- जीर्ण | वेष्टन नं० २४७६ ।
विशेष - उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
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विशेष
३३६
[ संग्रह २३५७ गुटका नं०५३ 1 पत्र सं०६० । सारज-५४५ इन्च । लेखन काल X | अपूणे एक सामान्य शुद्ध। दशा-जीर्ण । वेटन नं. २४७७ ।
विशेष-उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
२३५८ गुटका नं०५४ ! पत्र स.-: इश्च । लेखनकाल x अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। . दशा-सामान्य ! वेष्टन नं. २ ।
विशेष-कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
२३५६ गुटका न०५५ । पत्र संच १२। साइज-६४४३ इव । लेखनकाल–सं. १८२८ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेटन नं० २४७७ । विषय-सूची कर्चा का नाम
भाषा जयपुर के मन्दिर चैत्यालयों की वंदना
हिन्दी आदिनाथस्तोत्र बाईस अमक्ष्य सरस्वतीस्तवन
२३६० प्रति नं०५६। पत्र सं०३८-५५ | साइज-६४५ इन्च | लेखनकाल X| अपूर्ण एवं शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४८१ । विषय-सूची कर्ता का नाम
माष। पंचपरमेष्ठीपूजा सरस्वतीपूजा चतुर्विशतिजिनपूजा
२३६१ गुटका नं०५७ । पत्र सं० २० । साइज५४५ इन्च | लेखनकाल X| पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं. २४१५ ।
विशेष--पूजाओं का संग्रह है।
२३६२ गुटका नं०५८ । पत्र सं० २५ । साइज-६४५ इञ्च | लेखनकाल-सं० १८६ मादवा सुदी ५। । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. २४२५ ।
विशेष-पूजात्रों का संग्रह है।
२३६३ गुटका नं०५६ | पत्र सं० ६० । साइज-६४४ इन्च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४८२ ।
विशेष-गुटके में शनिश्चरजी की कया है।
२३६४ गुटका नं०६० | पत्र सं० ५५ । साइज-५xt च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४८३ ।
संस्कृत
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संग्रह)
विशेष-कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है !
२३६५ गुटका नं. ६१ । पत्र सं० ५६ । साइज--१४५३ इञ्च । लेखनकाल X 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं०२४८४ |
विशेष-स्तोत्रों का संग्रह है।
२३६६ गुटका नं०६२ | पत्र सं• ४२ । साइज-६x६३ इञ्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एक सामान्य शुद्ध । दशा-जोर्स । वेष्टन नं. २४६१ । विषय-सूची फर्ता का नाम
माषा
विशेष योगसार योगीन्द्रदेव
अपभ्रश १० गाथा । हिन्दी में अधे प्रश्नदोहा
सुप्रभाचार्य
संस्कृत- दिया हुआ है। २३६७ गुटका नं. ६३ । पत्र सं० १० 1 साइज-६४५ च । लेखनकाल ४ ! पूर्ण एवं अशुद्ध । दशाजीर्ण । वेष्टन नं. १४५८ ।
विशेष-गुटका वर्षा में भीगा हुआ मालूम होता है । स्तुति संग्रह है।
२३६८ गुटका नं०६४ । पत्र सं० ५१ । साइज-६x४३ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-- 11 सामान्य । वेष्टन नं ० २४८५ ।
विशेष-नवल कवि कृत हिन्दी में चीनीस तीर्थकरों की स्तुति है ।
भाषा
२३६६ गुदका नं०६५ । पत्र सं० ५६ । साइज-ext च | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेपन नं० २४८६ । विषय-सूची फचों का नाम
विशेष अनन्त पूजा तथा विधान
संस्कृत अनन्तवतरास भक्तामरस्तोत्र मानतुगाचार्य
संस्कृत पार्श्वनायस्तवन
सिद्धसेन २३७० गुटका नं०६६। पत्र सं० २-५३ । साइज-५४५ च । लेखनकाल-सं. १५६६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २४८७ | विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष महारक गुरावली
संस्कृत पोषहरास
मानभूषण
गीत
कोष गीत
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Auraenim
[संग्रह
२३७१ गुटका नं. ६७ । पत्र सं० ५६ । साइज-११३४७ इन | लेखनकाल-सं. १७०४ पौष शकता अष्टमी । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २४८६ ।
विशेष---गुटके में चौबीस ठाणा चर्चा है।
२३७२ गुटका नं०६८ । पत्र सं० ६ । साइज-६x४६ हश्च । लेखनकाल X । पुर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४.१ ।
विशेष--गुटके में हिन्दी में वज्रनामि की स्तुति है।
२३७३ गुटका नं०६६। पत्र सं० १० ! x लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४०१ ।
विशेष-स्तोत्र पदसंग्रह है।
२३७४ गुटका नं०७०। पत्र सं० ४८ | साइज-८४७ इञ्च । लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध।। दशा-सामान्य । वेटन नं० २४७३ । विषय-सूची
कत्तों का नाम । समाधिमरण स्वरूप पूजा संग्रह नरको के दोहे चौबीस दंडक
दौलतराम २३७५ गुटका नं०७१। पत्र सं० ५७ / साइज-१०३४५६ इन्च | लेखनकाल X! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४६ |
विशेष---गुटके में चौबीस ठाणा चर्चा है।
२३७६ गुटका नं० ७२ पत्र सं० ६ ० । साइज-x६ इन्च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४६।। विषय-सूची कर्मा का नाम
विशेष मतामर स्तोत्र
मानतुन एकीभावस्तीन
वादिराज कल्याणमन्दिर स्तोत्र
कुमुदचन्द्र विषापहारस्तोत्र
धनंजय सिद्धिप्रियस्तोत्र
देवनंदी लक्ष्मीस्तोत्र
पप्रमदेव सामायिकपाठ बोगसारदोहा
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संग्रह
३३६
२३७७ गुटका नं०७३ । पत्र सं० २८ । साइज-६४४ १ञ्च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा। सामान्य । वेष्टन में० २४३६ ।
विशेष-~मजनों का संग्रह है।
२३७८ गुटका नं.७४ । पत्र सं०६० साइज-६x४ इन्च | लेखनकाल | पूर्ण एवं अशुद्ध | दशा- सामान्य । वेष्टन नं. २४९४ |
विशेष--कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं हैं।
२३७६. गुटका नं०७५ | पत्र सं० २२ । साइज--२४४ इन्च । लेखनकाल ४ ! अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० २४३७ ।
विशेष-पूजाओं का संग्रह है।
२३८० गुटका नं०७६ । पत्र सं० २७ । साइज-६x६ व 1 लेखनकाल-सं० १६५३ चैत्र मुदी अष्टमी । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २४३२ ।
विशेष-गुटके में पिंगल शास्त्र है।
२३-१ गुटका नं०७७ । पत्र सं० ७० | साइज-४४३ इन्च 1 लेखनकाल-सं० १८१५ फागुण बुदी १४ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य वेष्टन में० २४६५ । विषय-सूची -
कर्ण का नाम मोसपैडी
बनारसीदास गीत
पं. अखयराम पद संग्रह भनारसी विलास का कुछ अंश पनारसीदास
२३२ गुटका नं०७८ । पत्र सं० ६४ | साज-४३४४३ इश्व । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य। वेष्टन नं०२४६७ विषय-सूची कर्ता का नाम
माया
विशेष पंचांगुली मंत्र
संस्कृत नवग्रहस्तोत्र केवली
हिन्दी बालामालिनी स्तोत्र
संस्कृत श्रीपाल दर्शन
हिन्दी श्रामेर के राजाओं की पट्टावली
२३८३ गुटका नं. ७६ । पत्र सं० ७० । साइज-६x६३ च । लेखनकाल-सं० १७८५ श्राबाट बुदी १३ पूर्ण एनं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४६८
माषा
विशेष
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३४०
[ संग्रह
विशेष
विशेष-तुटके में बनारसीदास कृत समयसार नाटक है।
२३८४ गुदका नं.८0 ! पत्र सं० ६८ । साइज-६x६ इव । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-जीर्ण । वेटन नं० २४६६ । विषय-सूची कर्ता का नाम
माषा सुदर्शन श्रेष्ठी लष्पय जयसागर
रचनाकाल सं. १७३३ पंचवर्णतेईसा
पूनमचंद जखड़ी विहारीदास
" १७५६ पाराधना प्रतिबोधसार
सकल कीर्ति सुमति कुमति का झगडा पूजासंग्रह पंचमंगल
रूपचंद
२३८५ गुटका नं०११ पत्र सं०७० | साइज-x६ इन 1 लेखनकाल-सं० १७६३ अचाट पुदी १२ । । अर्म एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५०० |
विशेष-उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
२३८६ गुटका नं०२। पत्र सं० १.७ । साइज-६x६ इन्च ! लेखनकाल X । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशाजीर्ण । वेष्टन नं ० २५०१ ।।
विशेष-पूजा एवं स्तोत्र संग्रह है।
२३८७ गुटका नं. ८३ । पत्र सं... | साइन--2x५३ इञ्च । लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । । दशा-जीर्छ । वेटन नं० २४३५ ।
विशेष-गुटके में कोई उल्लेखनीय सामना नहीं है । हरिवंश पुराण सम्बन्धी कथायें है।
२३:८ गुटका नं०८४ । पत्र सं० ७६ ! साइज-७६४५३ इन्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५०५ | विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष सानपच्चीसी
बनारसीदास दोहा संग्रह नवरत्न कवित्त उपदेश पच्चीसी नाईसपरीषह
२३८६ गुटका नं.८५.। पत्र सं० ३८ ! साइज-x६ इञ्च । लेखनकास-सं. १६३४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४४७ ।
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। संग्रह]
संस्कृत
विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष जिनसहस्रनाम
श्रीशाधर सारा ही बलि
हिन्दी नाममाला
धनंजय
संस्कृत २३६० गुटका ने०८६ । पत्र सं० ७६ । साज-६x६ इन्च । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं अशुद्ध 1 दशाजीर्ण । लिपि-विकृत । वेष्टन नं. २५०६ ।
विशेष-कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
२३६१ गुटका नं०८७ । पत्र सं० ४० । साइज-१४५३६न | लेखनकाल x | अपूर्ण एवं अशुद्ध । 1. दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २४५५ ।
विशेष-मुनि भानुकीर्चि कृत श्रादित्यवार कया है ।
२३६२ गुटका नं.८८ | पत्र सं० ७२ । साइज-Ex५ हच । लेखनकाल x पूर्ण एवं प्रशुद्ध । दशासामान्य | वेष्टन न.२५-७।
कता का नाम
भाषा
विशेष
हिन्दी
विषय-सूची * शनिश्चरजी की कथा संबोध पंचासिका भाषा पंचमंगल श्रादित्यवार कथा
रूपचंद
२३६३ गुटका नं0 26 | पत्र सं. ७४ । साइज-४४४ ६ च । भाषा-हिन्दी । लेखनकाल-सं० १७३५ । पूर्ण एवं प्रशुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २१०८ । लिपि विकृत है।
विशेष--गुटके में श्रीपालरास है लेकिन अतर घसीट होने से श्रपाठ्य है।
... २३६४ गुटका नं०६०। पत्र सं० ४५ । साइज-१४४ इक । लेखनकाल-सं० १७४५ | पूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २४७२ । लिपि विकृत है।
विशेष – कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
२३६५ गुटका नं०६१ । पत्र सं० ७४ । साइज-४३४४३ इञ्च । लेखन काल x { पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २५०६ ।
विशेष-कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
२३६६ गुटका नं०६२। पत्र सं ८० | साइज-१४४३ इन्च | लेखनकाल । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन मं० २५१३ |
विशेष-कोई उल्लेखनीय विषय नहीं है।
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htipurnea
३४२
२३६७ गुटका नं०१३। पत्र सं० ८० | साइज-१०४६३ इञ्च ! लेखन काल XI पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । टन मं० २५१३ ।
[संग्रह
फनी का नाम
प्रमाचन्द
भाषा संस्कृत
विषय-सूची क्रियाकलाप टीका गुरावली श्रावकअतिक्रमण संबोध पंचासिका पाराधनासार गर्मषडारचक्र पाणपिंडपायही नेभिराजमति बेलि एकीभावस्तोत्र हंसा भावना
प्राकृत
देवसेन
देवनंदि
संतत
प्राकृत
उक्कुरसी कादिराज
संस्कृत
ब्रह्म प्रजित
हेमराज
२३६८ गुटका नं०६४। पत्र सं. ७६ । साइज-७३४५३ च । लेखनकाल XI पूर्ण एवं सामान्य गुड । दशा-सामान्य । वेष्टन ने० २५१४ ।
विशेष---गुटके में पूजात्रों का संग्रह है।
२३६६ गुटका न०६५ । पत्र सं० ७८ | साइज-:३४६ इछ । लेखनकाल-सं० १८०४-१८१२ तक | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० २५१५ । विषय-सूची कर्ता का नाम
माषा भक्तामरस्तोत्र सटीक
विशेष
संस्कृत लेखनकाल ७ मागशीर्ष " माया धर्मरासो
मुदी ।
" . .. एकीभावस्तोत्र
होरानंद प्रादिनाथस्तोत्र
१८१० पंचपरमेष्ठी स्तवन पदसंग्रह माता-कामी का विवाद एकौमावस्तोत्र टीका
संस्कृत योगसारदोहा सामायिकपाठ
संस्कृत
योगद
,
पंचर
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३४३
..
२४०० गुटका नं०६६। ०g-s: साइज-६x४३१च । लेखन कालx| अर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं० २५१६ ।
विशेष – गुर के में मुख्यतः हिन्दी पदों का संग्रह है।
२४०१ गुटका नं ६७ । पत्र सं० ५० । साइज-५५3३ इञ्च । लेखन काल X । युणे एवं शुद्ध । दशा- जीर्ण । वेष्टन ०२५२० ।
विशेष-गुटके में कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
२४०२ गुटका नं०६८। पत्र सं० ४५ 1 साइज--६x६ इन्न । लेखनकाल-२० १८२३ । पूर्ण एवं प्रशुद्ध । दशा-जीर्छ । वेष्टन ने ० २४६४ ।
विशेष-गुटके में धर्म संवाद वर्णन है।
२४०३ गुटका नं०६६ पत्र सं० ... 1 साइज-:४५६ इन्छ । लेखनकाल-स. १७६२ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं०२५२१ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष सामायिक पाठ वननिका
हिन्दी श्रादित्यवार कमा जोगीरासो .
माउ
२४०४ गुटका नं० १००। पत्र सं० ३६ | साइज-६४५ इन्च । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध . सा-सामान्य । वेष्टन नं० २४४२ ।
विशेष--कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
२४०५ गुटका नं. १०१ । पत्र सं०४० । साइज-१४५ इन्च । लेखनकाल–० १७८३ पासोज मुदी ११ अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन ने० २४५० । विषय-सूची कर्ता का नाम
माषा
विशेष गुणविवेक बार
केशवदास
हिन्दी हरिरस
लेखक ज्ञानकुशल २४०६ गुटका नं० १०२ । पत्र सं०८४ | साइज-५४५ इञ्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २५२२ । विषय-सूची
कर्या का नाम ' . माषा
विशेष समयसार नाटक बनारसीदास
हिन्दी पंचमी कमा स्नपनविधि
संस्कृत राजुलपच्चीसी लालचन्द विनोदीलाल
हिन्दी
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(संग्रह
संस्कृत
२४०७ गुटका नं० १०३ । पत्र सं. १४ | साइज-६x४ इञ्च । लेखनकाल ४ ! पूर्स एवं सामान्य शहर दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४१८ । विषय-सूची
की का नाम मेघकुमार गौत
विशेष भैरवस्तोत्र
२०१५ गीत
ब्रह्म जिनदास विशेष- इनके अतिरिक्त पूजा व स्तोत्रों का संग्रह है।
२४०८ गुटका नं० २०४। पत्र सं० ६. | साइज-६४५ इश्च । लेखनकाल ४ ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५२ ।
विशेष-गुटके में पूजा संग्रह है।
२४०४ गुटका नं. १०५ | पर सं० ८५ | साइज-Ex इश्च । लेखनकाल-१० १७६३ मंगसिर सुदी पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २५२४ ।
! विषय-एचो कर्ता का नाम
भाषा धर्मरासो
हिन्दी मांगीतुगी स्तवन
अभयचन्द्रसूरि पार्श्वनाथजी को निसाणी श्रीपालरास
अमरायमल्ल २४१० गुटका नं० १०६ । पम सं० २० | साइज-५४४ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । येष्टन नं. २४२२ ।
। विशेष-गार रस के हिन्दी पद्यों का संग्रह है।
२४११ गुटका नं० १०७ । पत्र सं० ८२ । साहज-८३४६ इञ्च । लेखनकाल-१० १७४ वैशाख बुद्दी । म पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वैप्टन नं० २१२५ । विषय-सूची कर्ता का नाम
माषा
विशेष | सिन्दूरप्रकरण
बनारसीदास परमात्मप्रकाश योगीन्द्रदेव
अपन'श योगसार सज्जनचितवल्लभ
संस्कृत सिद्धिप्रिय स्तोत्र देवनं दि
ऋषिरामजीकृत हिन्दी अर्थ सहित रोबोध पंचासिका
पाकत तत्वहार
देवसेन
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३१५
२४१२ गुटका नं०१०८ ! पत्र सं. 20 | साहज-६x६ इन्च । लेखनकाल-स. १८३५ । पूर्ण एच माय शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेष्टन नं० २१:२.. !
विशेष-कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
२४१३ गुटका नं. १०६ । पत्र सं. २६ | साइज-ix इञ्च । लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-जीर्ण । वेष्टन नं० २४०६ ।
विशेष उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
२४१४ गुटका नं० ११० । पत्र सं... ! साइज-११४५ च । लेखनकाल ४। अपर्ष एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण शीर्ण । वेष्टन नं० २५२८ ।
विशेष उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
२४१५. गुटका नं० १११ । पत्र सं० २७ | साइज-५४४ इञ्च । लेखनकाल-सं० १७२१ माघ बुदी १०१ पूर्ण एन सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण शीर्ण । वेष्टन नं० २५२६ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष स्वमणिकृष्णरास साधुबंदणा
पासनंद धावप्रतिक्रमम
प्राकृत लेखनकाल सं. १७२१ २४१६ गुटका नं०११२। पत्र सं. १७t साइज-.x६ इन्च । लेखनकाल–१० १७२४ फागण सुदी १० । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन ने० २५३२ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष मस्तामरस्तोत्रभाषा
हेमराज
हिन्दी प्रीतिकाचरित्र
जोधराज मनविकार विलास कथा
२४१७ गुटका नं. ११३ । पत्र सं० ७७ । साइज-६४७ ५श्च | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ष । वेष्टन नं० २६१.।
विशेष-गुटके में कोई उल्लेख मीय सामग्री नहीं है । केवल पूजात्रों का संग्रह है । तथा अन्त में शीघबीब है।
२४१८ गुटका नं० ११४ ! पत्र सं० ६४ | साइज-८४५६ इन्च । लेखनकाल-सं० १८८ बैशाख सुदी = | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं ० २५३३ ।
विशेष-गुटके में महाकवि बनारसीदास कृत समयसार नाटक है ।
२४१६ गुटका नं० ११५ । पत्र सं० ७. | साइज-exkr | लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५१६ ।
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३४६
विषय-सूची
गर्भपडारचक
शांतिनाथस्तोत्र
पार्श्व नामस्तोत्र
दर्शनसार
अनुप्रेक्षा
पद्मक्ति
'गुरावली
चुदी तथा १८४१ फाल्गुण बुदी १ विषय-सूची
समयसार
शालिभद्र चौपाई
२४२० गुटका नं० ११६ |
२४२२ गुटका नं० ११
दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २५३५ १.
विषय-सूची
पाखंड पंचासिका
मध्यप्रतिषोध
मोहविनेक
कर्ता का नाम
देवनन्दि
देवसेन लक्ष्मीचन्द्र
विशेष --- पूजाओं का संग्रह है ।
कर्ता का नाम बनारसीदास
--
"
विशेष
लेखनकाल सं० १७२६
१८४१
२४२१ गुटका नं: ११७ । ०६ । साइज १३४६ इन्च | लेखनकाल × । पूर्य एवं सामान्य शुद्ध । दशा- जीर्ण | वेष्टन नं० २५२६ |
विशेष-- गुटके में मनारसीदास कृत समयसार नाटक है ।
""
प्राकत
भाषा
संस्कृत
29
साज - १०x६ इञ्च । लेखनकाल - सं० १७२६ मंगल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २५ ३४ |
"
ور
37
: HIST
हिन्दी
भाषा
हिन्दी
35
२४२३ गुटका नं० ११६ | साइज-३५ इव । लेखनकाल X। पूर्ण एवं शुद्ध दशाजीर्ण शीर्य । वेष्टन नं० २५३६ ।
विशेष-- कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
पत्र सं १५ |ाइज - ६४६ इन्च | लेखनकाल X। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ।
२४२४ गुटका नं० १२० । पत्र सं० २४ | सदन - १३४४ ३श्च । लेखनकाल x । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २५४० ।
कर्चा का नाम
दरदास
33
| संग्रह
विशेष
बनारसीदास
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२४२५ गुटका नं० १२१ । पत्र सं० ६६ | ६ | लेखनकाल- सं० १७२८ मात्र ६. पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २५४१ ।
विशेष
६
61
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________________
संप्रह]
माया
विशेष
विशेष-गुट का सांगानेर में पांडे सुखराम ने लिखवाया था। विषय-सत्री
कर्ता का नाम दोहा संग्रह नवरत्न कवित्त
. हिन्दी
..
...
.
बनारसीमिलाम
बनारसीदास २४२६ गुटका नं०१२२ । पत्र सं०६६ साज-Ex इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० २५४२ ।
विशेष-गुटके में पूजा स्तोत्र आदि पाठों का संग्रह है।
२४२७ गुटका नं० १२३ । पत्र सं० १०० ! साइजx६ इम्ब । लेखनकाल-सं. १७७२ फागुण सुदी ६ । गए सामान्य शुद्ध । दशा-जागा ! १४३ ।
विशेष-गुटके में नेमिचन्द्र कृत हिन्दी भाषा में हरिवंशपुराण है । हरिवंशपुराण का रचनाकाल-रा १७६६ है।
२४२८ गुटका नं० १२४ । पत्र सं० १.१ । साइज५४५ इग्न । लेखनकाल x। अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५४४ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष केवलोपृश्छा
हिन्दी মাসুম।
गंगाराम
____, पूर्ण सुमाषित बावनी
उदयराब मन प्रशंसा दोहा पार्श्व स्तुति भारहखडी पार्श्वनायपुराण . अष्टपाहु श्रा० कुन्दकुन्द
, हिन्दी अर्थ सहित २४२६ गुटका नं. १२५ । पत्र सं० १.० । साइज-६४६ इञ्च । लेखनकाल xअंपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० २५४५ । विषय-सूची कर्मा का नाम
भाषा नेमिश्वररास चेतनपुग़लधमालि
कति बूचा जखरी
श्रीचंद भाषाभूतिमु मिचौपई कनकसोम
रचनाकाल १६२८ साधु वंदना
.......
।
KedaMARW
हिन्दी
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ntimes
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३४८
[ संग्रह
श्रादित्यवार लघुकमा समाधि
यश कीर्ति
धर्मदास रूपचंद हर्षकीर्ति
अपभ्रश हिन्दी
कर्महिंडोला श्रीपाल की स्तुति श्रुतपंचमी कया पदसंग्रह
संस्कृत
२४३० गुटका नं. १२६ । पत्र सं. ६ | साइज-5x५ इन्च । लेखनकाल-सं. १७८७ चेत्र नुदी ४।। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दश... बान्ध । वेटन नं० २५४६ । विषय-सूची कर्चा का नाम
भाषा मलामरस्तोत्र
নিছী मानतुगाचार्य फल्याणमन्दिर स्तोत्र
कुमुदचन्द्र सिदिमियरतोत्र
देवनंदि विषारहारस्तोत्र
धनंजय एकीमावस्तोत्र
वादिराज परमानंदस्तोत्र लक्ष्मीस्तोत्र
पप्रम देव सिवपूजा निर्णायकांड माश मगवतीदास
हिन्दी पद संग्रह सोबहस्वप्न फल
रूपचंद
२४३१ गुटका नं० १२७ । पत्र सं० १०८ । साइज-८४६ इश्च ! लेखनकाल X ! पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २५४८ ।
का का नाम
विषय-सूची मविष्णबस चौपाई प्रीतिकर चरित्र
माषा
ब्रह्मरायमल्ल
२४३२ गुटका नं. १२८ । पत्र सं० १०. । साइज-txइन्च | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य | शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५४९ |
विशेष-बनारसीदासजी कृत समयसार नाटक है ।
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संग्रह ]
३४६ २४३३ गुटका नं० १२६ । पत्र से, २ 5-6 } साइज-५६४६ इश्व | लेखनकाल X| अपूर्ण एवं | सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्य । बेष्टन नं० २५४६ ।
विशेष-गुटके में पूजा और स्तोत्रों का संग्रह है।
२४३४ गुटका नं० १२६ (क) 1 पत्र सं० ६५ | साहज-६४४३ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन नं० २५५० ।
विशेष-गुटके में पूजा व स्तोत्र संग्रह है।
२४३५ गुटका नं. १३० । पत्र स. १०५ । साइज-६x६ इञ्च | लेखनकाल ४ । पूर्व एक सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन नं. २५५१ ।
विशेष-बनारसीविलास के कुछ पाठों का संग्रह है।
२४३६ गुटका नं० १३१ । पत्र सं० १०६ | साइज--x५ इछ । लेखनकाले ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० २५५३ ।
विशेष-गुटके में शुभचन्द्र कृत त्रिलोकपूजा है।
२४३७ गुटका नं० १३२। पत्र सं० १०५ । साइज-१०x४३ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्व एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५१४ । -विषय-सूची
कता का नाम कर्मकांडगामा श्रा० नेमिचन्द्र
माहत विशेषसत्तात्रिभंगी मावत्रिभंगी शानार्गव श्रा० शुमचन्द्र
संस्कृत पनक्रिया गोमट्टसारगाथा टीका ( गुणस्थान )
प्राकृत स्वामीकार्तिकेयानुप्रेक्षा
कार्तिकेय उपासकाचार पूज्यपाद
संस्कृत २४३८ गुटका नं० १३३ । पत्र सं० २६-१.४ । साइज-६x६ इन्च । लेखनकाल ४। अपूर्ण एवं । शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २५५५ ।
विशेष—विभिन्न कवियों के पदों का संग्रह है।
२४३६ गुटका नं०१३४ । पत्र सं० ११२ । साइज-६x६ इञ्च । लेखनकाल ४ | अपूर्ण एक सामान्य - शुद्ध । दशा-सागान्य । वेष्टन नं० २५५८ । कर्ता का नाम
भाषा
विशेष सामायिक पाठ
संस्कृत
माषा
विषय-सूची
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________________
[ संग्रह
२४५४ गुटका नं.१४६ । पत्र सं० १२: ! साइज-४ इश्च | लेखनकाल X| अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-सामन्यो
।
कर्ता का नाम
भाषा
विषय-सूची पंचसंधि कर्मप्रकृतिविधान बनारसी पद
संस्कृत
बनारसीदास
हिन्दी
रचनाकाल से.१७००
२४५५ गुटका नं० १५० । पत्र सं. ५६ । साइज़-४४ इन्च । लेखनकाल-सं. १७८२ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४७६ |
विषय-सूची सूक्तिमुक्तावली नवरत्नकवित
कर्ता का नाम बनारसीदास
माषा
विशेष
२४५६ गुटका नं. १५१ । पत्र सं० २५ । साइज-६x६ । लेखनकाल X| अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४३६ ।
विशेष--कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं हैं !
२४५७ गुटका नं. १५२ । पत्र सं० १११ । साइज-sx७ इञ्च | लेखनकाल X | अपूर्ण एवं प्रशुद्ध । दशा-जोरी । वेष्टन नं० २५७१ ।
विशेष --पूजा और हिन्दी पदों का संग्रह है।
२४५८ गुटका नं० १५३ | पत्र सं० ११६ । साइज-६x६ इन्च । लेखनकाल-सं. १६१६ फागुण सुदी । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्छ । वेष्टन नं ० २५७२ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष स्वामीकार्तिकेयानमेवा
कार्तिकेय
प्रात अनस्त मितिव्रताख्यान
पं० हरिचन्द नीतिसार
संस्कृत पव्वयनरूपण
प्राकृत सज्जनचित्तवल्लम
संस्कृत
२४५६ गुटका नं० १५४ । पत्र सं० १२७ । साइज-७४१३ इन्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५७४ ।
विशेष-गुटके में कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
२४६० गुटका नं. १५५ । पत्र सं० १२६ । साइज-८४६ इन्च । लेखनकाल-सं० १७८ सावन मुदो ५ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं० २५७५ ।
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________________
३५३
विशेष
रचना-१७.
१०७.
संग्रह ]
विशेष—टोडाभीम में रामचन्द्र बजने दीपचन कासलीवाल के पठनार्थ गुटका लिखा था। विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा रत्नकरण्डश्रावकाचार समाधितंत्रमाषा स्यासार उपदेशरत्नमाला दर्शनशुद्धि प्रकाश प्रष्टऋद्धिचउसठिभेद कर्मबंधविधान ध्यानभेद वियफचौतीसी नमस्कारस्तोत्र दर्शनस्तोत्र सुगतवादिजयाष्टक चौरासी प्राग्छादन चैत्यालय सामायिक बचीसी
पायजयमावना प्रश्नोत्ररत्नमाला धर्मसाधनमंत्र परमार्थविंशतिका कलिकालपंचासिका फुटकर कवित्त कर्मविपाक धर्मरत्नप्रकरण विवेकविलास
२४६१ गुटका नं०१५६ । पत्र सं० १५२ । साइज-1xt च । लेखनकाल XI पूर्ण एवं शुद्ध | दयासामान्य । वेष्टन नं० २५७६ ।
विशेष-पूजा संग्रह है।
२४६२ गुटका नं० १५७ | पत्र सं० १..। साइज-६४५ इञ्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५३० ।
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________________
३५४
विषय-सूची
निर्वाकांड भाषा
खुतिसंग्रह
२४६३ गुटका नं० १५५
सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन नं० २५७७ |
युद्ध दशा-जीवेटन नं० २५७८ ।
विषय-सूची
मोकारमहात्म्य
शीतराम
नारदभावना
कर्ता का नाम भगवतीदात
विषय-सूची
योगसार
शील बत्तीसी
ानान
२४६४ गुटका नं० १५६०१२४ साद
विशेष - गुटके में बनारसीदासजी कृत समयसार नाटक है ।
गुटके को संवत् १७४१ माघ शुक्ला ११ के दिन साह सूरदास ने रामचन्द के पास लाया था।
२४६६ गुटका नं० १६१ मंगसिर बुदी ६ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध विशेष टोक नगर में महात्मा
विशेष -- कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है। अधिकांश पत्र बिना लिखे हुये हैं ।
२४६५ गुटका नं० १६० प ० १३० साइज ६x४ इन्च खेलनकाल x 1 एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन नं० २५७८
कर्ता का नान
पत्र ० १३० साइलेशन २०१०४१ १४
विशेष-- गुटके में अन्य पाठ बंगला भाषा में लिखे हुये हैं ।
पत्र १२५ दशा- सामान्य बेटन नं. २५०० । नारायण ने प्रतिशिषि को भी
का नाम
-
सुदी १० । पूर्ण एवं अशुद्ध दशा-जर्थ वेष्टन नं० २४६७ ॥
মাজা
हिन्दी
"
27
"
मात्रा
हिन्दी
माला
हिन्दी
23
४५ भाषा यात लेखनका ०.१६७२
खनाल । पूर्ण एवं सामान्य
विशेष
१०७ पद्य
३२
५३
33
२४६७ गुटका नं० १६२ प ० १२० साइ६६६ खनाल १७०१ माह सुदी १० पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २५८१
विशेष-गुटके में महाकवि अनारसीदासजी त समयसार नाटक है। २४६८ गुटका नं० १६३ । पत्र सं० ४७
विशेष
39
विशेष
अपूर्ण
१४ देखन० १७०४ कार्तिक
द
सि
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________________
संग्रह ]
३५५ विषय-सूर्चा की का नाम
भाषा
विशेष प्रतिक्रमणास्त्र
प्राक्त भवहरपार्श्वनाथस्तोत्र चतुर्थस्मरण
प्राक्त चतुर्विंशतिजिनस्तुति
२४३६ गुटका नं.१६४ । पत्र सं० ११५ । साइज-Ex१५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६६८ चैत्र सुदी २ । 1 अपूर्ण-प्रारम्म के १७ पत्र नहीं हैं। सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५.७३ !
विशेष-गुटके में बनारसीदासजी कृत नाटक समयसार हैं ।
२४.७० गुटका नं० १६५। पत्र सं० १२२ । साइज-६३४६ इन्न । लेखनकाल–० १६०६ पाट मुदी ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५८२ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष रत्नत्रयपूजा प्राचार्य नरेन्द्रसेन
संस्कृत पाश्चै नाम कमा
भाउ कवि
हिन्दी गुरुशाध्य पूजासंग्रह
संस्कृत-प्राकृत २४७१ गुटका ने०१६६ । पत्र सं० ११२ | साइज-८४६ इञ्च | लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-और्ण । वेष्टन नं० २५६८ ।
_ विशेष-गुटके में कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं हैं । हिन्दी पदों का संग्रह है।
२४७२ गुटका नं० १६७ । पत्र सं० १३६ 1 साइज-६४५ इ. 1 लेखनकाल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५८३ | विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष महाभिषक विधि
संस्कृत सिद्धचक्रपूजा
२४७३ गुटका नं० १६८ । पत्र सं० ६० | साइज-७४४१ इन्च । लेखनकाल–सं १८२५ मंगसिर बुदी ६ । पूर्ण एका सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २४८६ (क)
विशेष-हिन्दी पदों तथा पूजाओं का संग्रह है ।
२४७४ गुटका नं० १६६ | पत्र सं० १६ । साइज-६x६ इञ्च । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । "दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० २४६३ | विषय-सूची कर्ता का नाम
विशेष सिन्दूरप्रकरण
बनारसीदास
भाषा
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________________
३५६
कृपणकवित्त
पंचस्तोत्र
मानवावनी
सुप्पदोहा
विषय-सूची
अणस्तमितसंधि
नूनडीरास
सद्गुरूनामावलि
२४०५ गुटका नं० १७० | पत्र सं० १३५ | साइज - ६५ इन्च । लेखनकाल - मं० १७२० | श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २५८४ |
विषय-सूची
कर्ता का नाम
समयसार
बनारसीदास
भानबावनी
वीरचरित्र मांति
कर्म प्रकृति
विषय-सूची
देवागमस्तोत्र
चतुर्विंशतिजिनस्तवन
२४०६ गुटका नं० १७१
।
पत्र सं० ६४ | साइज - ६४५ इन्च | लेखनकाल सं० १६२० पौष सुदी २ ।
अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २५३८ ।
कर्त्ता का नाम
हरिचन्द्र
विनयचन्द्र
कर्ता का नाम समन्तभद्राचार्य
परीक्षामुख
जिनशतक
समाधितन्त्र
भाषा
हिन्दी
भाषा
हिन्दी
"2
अ
"
"
संस्कृत
नेमिचन्द्राचार्य
२४७७ गुटका नं० १७२ | पत्र सं० १३५ | साइज - ७७ इञ्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २५८५ |
प्राकृत
53
प्राकृत
भाषा
"
93
माषा
संस्कृत
$9
32
23
23
23
17
माणिक्यनंदि
समन्तमद्राचार्य
पूज्यपाद
२४७८ गुटका नं० १७३ | पत्र सं० १३१ | साइज - X४ इञ्च । लेखनकाल- सं० १५८० पौष सुदी ११ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन मं० २५०६ |
विषय-सूची
कर्त्ता का नाम
नागश्री कथा एकावलीवत कथा
विशेष
सं० १७२० फागुख सुदी ५
देवगिरि मध्य जगन्नाथ ने लिखवाया था।
1 संग्रह
विशेष
विशेष
विशेष
रचनाकाल सं० १७५० पच ४१७
पथ ७४
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________________
संग्रह ]
पद
नवकार रासो
गुरुभक्तिगीत
विषय-सूची
नियमसार सटीक
जम्बूस्वामी चौपई
२४७६ गुटका नं० १७४ | पत्र सं० १७ | साइज - २०४७ ६ । लेखनकाल X। श्रपूर्ण एवं शुद्ध दशा-उत्तम । देष्टन नं० २४०५ ।
विशेष --- कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
विषय-सूची
सामायिक पाठ
२४८० गुटका नं० १७५ । पत्र सं० १३२ । साइज = ८६ च । लेखनकाल- सं० १७७६ कार्तिक सुदी १० 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २५८७ ।
कर्ता का नाम टीकाकार पद्मप्रममलधारिदेव
पांडे जिनदास
स्वयंभू स्तोत्र
चतुर्विंशतितीर्थंकर जयमाल
सिद्धित्रियस्तोत्र
भावनाद्वात्रिंशिका
श्राराधनासार
तत्त्वसार परमानन्द स्तोत्र
दादसीमामा
ג
समन्तभद्राचार्य
नरदेव
देवनन्दि
ג
देवसेन
ג
२४८१ गुटका नं० १७६ | पत्र स० ४० | साइज ७५५ इन्च | लेखनकाल - २१० १७३७ मादत्रा सुदी १५ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण | वेष्टन नं० २४५१ ।
विशेष- स्तोत्र संग्रह है ।
२४६२ गुटका २०१७ | पत्र सं० १४५ | साइज - ६३४४
२४६२ गुटका नं० १७७ । पुत्र० १३२ साइज - ६४५३ | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- जीर्ण | वेष्टन नं० २५८८ ।
कर्त्ता का नाम
शुद्ध दशा- जीर्ण शीर्ष । लिपि विकृत है। वेष्टन नं० २५८१ !
विशेष -- हिन्दी पर्यो का संग्रह है।
माष
प्रकृत- संस्कृत हिन्दी
भाषा
प्राक्त
संस्कृत
३५७
लेखनकाल सं० १७८४ पुष ६३
अपन
संस्कृत
39
प्राकृत
विशेष
विशेष
23
संस्कृत
प्राकृत
। लेखनकाल - स० १०२५ । श्रपूर्ण ए
२४८४ गुडका नं० १७६ । पत्र सं० १०४ । साइज ७५३ इव । लेखनकाल - सं० १७६३ द्वितीय अषाढ सुदी २ मंगलवार । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २५५२ |
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________________
विशेष
प्राकृत
[संबर विषय-सूची की का नाम
भाषा नागदमन की कया
किशन खंडेलवालों के चौरासी गोय सांगानेर की जखडी
० १७६८ में सहस्राणित आदित्यवार कया
पूजा हुई उसका वर्णन है। विशेष- इनके अतिरिक्त पृजा व स्तुति संग्रह है।
२४८५ गुटका नं० १८० । पत्र म | साइज-६४५ इन्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २५३६ ।
विशेष-पूजा व स्तोत्रों का संग्रह है।
२४८६ गटका नं. १०१। पत्र सं १४३ । साइज-sxy च । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य सुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५६१ । विषय-सूची कर्ता का नाम
विशेष गोमसार चर्चा
प्राचार्य नेमिचन्द्र संबोधपंचासिका परमानंदस्तोत्र अनुप्रेक्षा पाणंदा
श्रानन्द कवि २४८७ गुटका नं. १८२ ! पत्र सं० १४६ | साइज-८१x६ इञ्च | भाषा-हिन्दी । लेखनकाल-सं १८२५ चैत्र बुदी १४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २५३ ३ ।
विशेष-गुटके में चौथे काल में होने वाले १६६, महापुरूषों का विशेष वर्णन दिया हुआ है।
२४८८ गुटका नं० १०३ । पत्र सं. १४८ ! साइज-६४५ इन्च । लेखनकाल-सं० १५७० बैशाख सुदी . अपूा-प्रारम्भ के १० पत्र नहीं है । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५६४ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा इटोपदेश पूज्यपाद
संस्कृत द्वादशानुप्रेक्षा मुनि लक्ष्मीचंद्र
अपाश . अभुषानुप्रेता सूतक गामा दुर्लभानुप्रेक्षा ( मूलाचार का एक भाग) - सामायिक पाठ
संस्कृत
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________________
संग्रह]
३५६
षड्भक्ति
स्वयंभुस्तोत्र सिद्धिप्रियस्तोत्र নানান शातिनाथस्तवन तत्वसार संबोधपंचासिका
समन्तभद्राचार्य
देवनन्दि पद्मप्रमदेव
गुणमद्र मुनि देवसेन
प्राकृत
अाराधनासार परमात्मराजस्तोत्र
प्रारत
देवसेन
पद्मनं दि मुनि विनयचंद
चूनही
संस्कृत प्राकृत
कल्याणक कथा
२४८६ गुटका नं. १८४ । पत्र सं० १४३ । साइज-१०४६ च । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २५१५ ।
विशेष-लिपि विकृत है । कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
२४६० गुटका नं० १८५ | पत्र सं० १४८ । साइज-७४५ इञ्च । लेखनकाल में०-१७७६ चैत्र सुदी ७ सोमवार । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्य । वेष्टन नं० २५८६ । विषय-सूची का का नाम
भाषा मिर्वाणकांड
प्राक्त तुति
रूपचंद
हिन्दी
दीपचंद स्तोत्रय
संसत नेमिनामगौत
पट्टावलि
पदसंग्रह तधुजिननामावलि पदसंग्रह
संस्कृत
२४६१ गुटका नं० १८६ । पत्र सं० १५० । साइज-४५ इन्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं. २५६७
.. कर्ता का नाम
भाषा
विषय-सूची दशनस्तुति परीषडवणन
Page #379
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________________
३६०
संस्कृत
नवरत्न
हिन्दी संस्कृत
प्राशावर
पूजा संग्रह अकृत्रिम चैत्यवंदना जिनपच्चीसी जिनसहननाम बहदाता पैराग्यपच्चीसी गुणस्मानपीठिका बिलोकसारपूजा
सुधजन मगवतीदास
२४६२ गुटका नं.१८७ । पत्र सं० २४-११० । साइज-६४५६ इन्च । लेखन काल •x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. २५१८ | विषय-सूची कर्ता का नाम
माषा शागतागामा
प्राकत सावयधम्मदोहा
अपनश द्वादशानुप्रेक्षा श्रा० कुन्दकुन्द
प्राकृत श्रावकाचार
पानंदि
संरकत
स्यपसार
प्राकृत .
चौदह मल
"
.." हेमकवि
अंतरापबत्तीसी चौरासीबोल दोहा परमामा राजलपच्चीसी मनरामविलास सूक्तिसंग्रह
रूपचंद लालचन्द विनोदीलाल
'बिहारीदास
सरकत
२४६३ गुटका नं० १८८ | पत्र सं० ११-१४६ । साइज-६६४६ इञ्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण शीर्ण । वेष्टन नं. ६ | विषय-सूची कर्ता का नाम
माषा कर्मप्रकृति पा० नेमिचन्द्र
प्राकृत श्रुतस्कंध
ब्रह्म हेम एकीमावस्तोत्र
वादिराज सज्जनचित्तवल्लभ
मस्लिषेश
शेस्कत
Page #380
--------------------------------------------------------------------------
________________
[संग्रह] ]
जिनवरदर्शन
बालोचना पाठ
भावनाबसीसी
दोहा पाहुड
स्वप्नाबली
व मानस्तवन
जिनकल्पमाला
शानसार
अनस्तमिति व्रताख्यान
रामचन्द्र चरित्र
विषय- तूची कनका बत्तीसी
मेघकुमार गीत
मुक्तावलिगीत
सुनिसुव्रत चरित्र
विषय-सूची
पार्श्वनाथस्तोत्र
पद्मनंदि
२४६४ गुटका नं० १८६१
सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २६०० ।
कर्ता का नाम
महावीर स्तुति
चंदनकसूत्र
श्रनिलप्रत्याख्यान
श्रमितिगति
उपवास प्रत्याख्यान
प्रतिकमया नमस्कार श्रावक प्रतिक्रमण पार्श्वनाथस्तोत्र
श्रजितशांति जिनस्तोत्र श्रजितशांतिलघुस्तोत्र
शध
BAA
पं० हरिवंद
संस्कृत
प्रावृत
संस्कृत
श्रमयदेवसूरि
| │
अपभ्रंश
संस्कृत
"3
發
प्राकृत
33
77
० १५९ | साइज - ६८६ इव | लेखनकाल - सं० १७५८ | अपूर्ण ए
भाष
हिन्दी
35
»
२४६५ गुटका नं० १६० । पत्र सं० १५४ | साइज - ६९५ इञ्च | लेखनकाल - २० १५५६ वैशाख सुदी १३ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य । वेष्टन नं. २६०१ ।
कर्ता का नाम
"
माथा
प्राकृत
संस्कृत
प्राकृत
* * * * * * *
""
३६१
37
९
17
विशेष
विशेष
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________________
३६२
भगहरपार्श्वनाथस्तो
स्मरणानि
मंगलीचंद
लघुमात्र विधि
महावीर कलश
आदिनाथ कलश
पंचपरमेष्ठि नमस्कार महामंत्र
गौतम पृच्छा गुरावली
गौतम स्वामी गणधर राम
नेविनाय बत्तीसो
महावीर बत्तीसी
महावीरस्तवन
मक्तामर स्तोत्र
जीव विचारप्रकरण
सीलोपदेशमाला
साठिसया
संबोधतरी
जीवविचारस्तोत्र
शत्रु जयस्तवन
पुष्पमाला सूत्र उपदेशमाला
महर्षिकुलक
केस गौतम संवाद
जिन भवतस्तोत्र
मानतु ग
मानतुग
जयकीत्ति
नेमिचन्द्र भंडारी
जयशेखर
विजय तिलक
विषय-सूची
मन-ज्ञान संगम
पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन नं० २४३४ ।
विशेष-गुटके में कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
12
भाषा
हिन्दी
"3
13
"3
"
"7
33
13
संस्कृत
সत
""
संस्कृत
33
"
भात
33
,"
31
31
RE
לי
17
27
"
२४६६ गुटका नं० १६१ । पत्र सं० २३ | साइज - ६x४३ इञ्च । लेखनकाल सं० ११३४ असोज मुझे १ ।
[. संम
( ४४ पद्म )
०२५६६
२४६७ गुटका नं० १६२ | पत्र सं० १५२ | साइज - २३४४३ इन्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- जीर्ण | वेष्टन नं० २६०२ ।
कर्ता का नाम
विशेष
६.४ पंच
Page #382
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________________
प्रह आदित्यवीर की कथा
१५२ पर राद्धलपच्चीसी
२४६८ गुटका नं० १६३ । पत्र सं० १५८ । साइज-६५५ इन्च । लेखनकाल-सं० १८०८ फागुण बुदी १३ पूग एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६०३६
विशेष-गुटके में हिन्दी पदों का संग्रह है।
२४६६ गुटका नं. २६४ | पत्र सं० ४० । माइज-५३४४ इचं । लेखन का x। पूर्ण एवं अशुद्ध । । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २४४१ ।
विशेष-कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
२५०० गुटका नं० १६५। पत्र से.१६३ । साइज-६४५३ इञ्च । लेखनकाल x। अपूर्ण एवं सामाप शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. २६०४ १ विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष जिनसहस्रनामस्तोत्र
आशायर
संस्कृत सकलोकरणविधान जिनपूजाविधान विधिविधानसंग्रह महाशांतिविधि
अर्हदेव रत्नत्रयपूजा विंशच्चतुर्विंशतिपूजा
पं. मावशर्मा २५०१ गुटका नं० १६६। पत्र सं० १६५ । साइज-४५ इच। लेखनकाल । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० २६०५ ।
विशेष-कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
माषा
२५०२ गुटका नं० १६७ । पत्र सं० १६३ । साइज-१०४ छ । लेखनकाल-सं. १७६६ । पूर्व एन शुद्ध दशा सामान्य । वेष्टन नं० २६.६ । विषय-सूची
___ कर्ता का नाम ब्रह्मविलास भैय्या मगवतीदास
हिन्दी रचनाकाल २०६५ बनारसीविलास
बनारसीदास २५०३ गुटका नं० १९८ । पत्र सं० १४८ । साइज-६४५ ६३ । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-जोणं । वेष्टन नं० २७०६ । विशेष--बनारसीविलास के मुख्य २ पाठ हैं।
..... .
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________________
३६४
स्तित
२५०४ गुटका नं. १६६ । पत्र सं. १७० | साइज-६४५ इन्च | लेखनकाल-सं० १७६० चैत्र पुदी। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २६०७ ।
विशेष-खङ्गसेन कृत त्रिलोकदर्पण कया है।
२५०५ गुटका नं० २०० । पत्र सं० १६६ । साइज-५x च । लेखनकाल x। अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६.८ । विषय-सूची कर्ता का नाम
मावा जिनसहस्रनाम
जिनसेनाचार्य सकलीकरण विधान स्नत्रयपूजा
ब्रह्मसेन मालारोहण दशलझणपूजा अष्टाहिकापूजा षोडशकारण विधान
अन पति इष्टोपदेश
पूज्यपाद जिनसहस्रनाम
श्राशाधर सिन्दूर प्रकरण
बनारसीदास कल्याणमन्दिर माषा
बखयराज २५०६ गुटका नं० २०१ । पत्र सं० १७७ । साइज--१x६ दश्च । लेधनकाल-सं० १७२३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २६०६ । विषय-सूची कर्चा का नाम
भाषा पंचस्तोत्र
विशेष
संस्कृत
अकलकारक
कल्यायामाला
प्राशाधर सज्जनचित्तवल्लभ
३५ पथ इष्टोपदेश
पूज्यपाद श्रा० कुन्दकुन्द
प्राकृत २० १७२३ वैशाख बुदी १३ परमात्मप्रकाश दोहा योगीन्द्रदेव
अपनश श्रीपालरासो अझरायमल्ल
१७२४ मंगसिर दी ३ मुदर्शनासो
१७२७ चैत्र बुदी ११ २५०७ गुटका नं० २०२ । पत्र सं० १७४ | साज-६३४५६ । लेखनकाल-सं० १७५६ श्रावण सुदी १३ पूर्ण एवं अशुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २६१०।
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________________
..संग्रह]
कत्ती का नाम
विशेष
बनारसीदास
रुपचंद
लेखन काल सं० १५५२
सं. १७५०
विषय-सूची पावनी कानपच्चीसी
दशप्रत्याख्यान पदसंग्रह मानबावनी जखडी | अध्यात्मपैडी | पंचमंगल विवेक युद्ध | दोहावली पंचेन्द्रिय की बेलि जोगीरासो
रुपचंद बनारसीदास
मनासीदास
रुपचंद
२५०८ गुटका नं० २०३। पत्र सं० १८० . साहज-६४१ इछ । लेखनकाल-सं० १५७० चैत्र बुदी ६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । बेष्टन नं. २६११ ।
विशेष--पं० राम वन्द्र ने स्वयं पटनार्थ प्रतिलिपि की थी।
भाषा
विशेष
संस्कृत
"
प्रावत
विषय-सूची
की का नाम जिनसहस्त्रनाम
प्राशाधर प्रतिष्ठापाठ ইনসাফলqদখুন।
या पानंदि ग्रादित्यवार कमा
इनके अतिरिक्त पूजात्रों का संग्रह है।
२५०६ गुटका नं० २०४। पा सं० १७८ । साइज-११x६ दशा-सामान्य । वेटन नं० २६१२। विषय-सूची
कती का नाम जिनसहस्रनामा
सुमतिसागर द्वादशव्रतपूजा त्रेपन क्रियापूजा पंवपरमेष्ठीवत पूजा
शुमचन्द्र पंचकल्याणकमाला
धाशाधर
च । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध ।
भाषा
विशेष
रचनाकाल सं० १८.
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________________
[ संग्रह
पंचकल्याणक पूजा
सुधासागर अष्टाहिकापूजा पार्श्वनामपूजा पंचमीव्रतोपापनपूजा स्नग्यपूजा जिनगुणसंपत्तिपूजा मुक्तावलीपूजा कांजीबारसनतपूजा
संस्कृत चौबीसतीर्थकरजयमाल
प्राकृत पुष्पांजलिव्रतपूजा
२५१० गुटका नं० २०५। पत्र सं० १७२ । साइज-८४६ इन्च । लेखनकाल-सं० १६११ ज्येष्ठ बुदी। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध 1 दशा-जीर्थ । वेष्टन नं० २६१२ ।
विशेष-लाडणू नगर में ब्रा डालू ने प्रतिलिपि करवायी भी। विषय-सूनी कर्ता का नाम
মাখা
विशेष কাবিলযুনাল
हिन्दी पुष्पांजलित्रत कथा
अपन'श चतुर्विशति जिनस्तुति होलीपर्वकथा
महत नेमिनापत्रसंतु सुगंधदशमीकथा सकल कीचि
संस्कृत योगसार योगीन्द्र देव
अपनश अनुप्रेक्षा
विसबसे गा नेमिनायवेलि
हिन्दी रयणसार
माक्त आदि जिनलबन
I. ।
२५११ गुटका नं० २०६ । पत्र सं० १७२ । साइज-६x४३ इन्च | लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेटन नं. २६१५ ।
विशेष-विभिन्न कवियों के पदों का संग्रह है।
२५१२ गुटका नं०२०७ । पत्र सं० ११२ । साइज-६x४३ इन्च । लेखनकाल-सं. १७६४ । पूर्य एक सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५६७ ।
विशेष-ब्रह्मरायमल्ल कृत हिन्दी में भविष्यदत्त चौपई हैं ।
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________________
अपूर्ण
"
संग्रह]
२५१३ गुटका नं० २०८ |पत्र सं० ८० | साइज-६४५ इञ्च । लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५१७ । विषय-सूची कता का नाम भाषा
विशेष समयसार नाटक
बनारसीदास জনহার
भूधरदास २५१४ गुटका नं० २०६ । पत्र सं०३८ । सारज-६४६ ६ञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६१६ ।
विशेष-भक्तामरस्तोत्र मंत्र सहित है।
२५१५ गुटका नं०२१०। पत्र सं. १८३ | साइज-EX६ इम्च 1 लेखनकाल-सं० १.१७ प्राषाढ बुदी १२ पुणे एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न. २६१७ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष यशोधरचरित्र खुशालचंद
रचनाकाल १७८१ धन्यकुमार चरित्र श्रेणिकचरित्र
लक्ष्मीदास २५१६ गुटका नं० २११ । पत्र सं० १६० । साइज-११४५ श्च । लेखन काल X । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६१८ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष रत्नत्रयकथा मक सनकीर्ति
संस्कृत पूजासंग्रह द्रव्यसंग्रह था नेमिचन्द्र
पाकृत द्रव्यसंग्रह भाषा
हिन्दी फुटकर पद
२५१७ गुद का ०२१२ । पत्र सं० १९४ | साइज-६४६ च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्थ । वेष्टन नं० २६१ १ .
विशेष-पूजात्रों का संग्रह है।
२५१८ गुटका ने० २१३ । पत्र सं० १८२ | साइज-७४५ इञ्च | लेखनकाल-सं० १५४३ चैत्र सुदी ५ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २६२० । विषय-सूची की का नाम
भाषा
विशेष द्वादशांगवु तपूजा
संस्कृत सामाणिकपाठ
" १७३३
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________________
-
देवसेन
३६८
[ संग्रह तत्त्वार्थसूत्र
एमास्वाति देवागमस्तोत्र
समन्तभद्राचार्य सप्तमांति অস্বনিন্য
प्राकृत बाराधनासार जिनसहस्रनाम
पाशाधर
संस्कृत शांतिनामस्तुति स्तुवन विधि पंचास्ति काय प्रा. कुन्दकन्द
प्राकृत २५१६ गतका 0.28 ५५-६१ । साइज-७४५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६१. पौष मुदी ८ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशः-जीर्ण । ईश्टन नं० २६२१ । । विषय-सूची की का नाम
माषा
विशेष रत्नत्रयपूजा
पद्मनंदिदेव कलिकुडपूजा सोलहकारणपूजा जिनसहरनाम
अाशाधर स्तोत्रय दशलक्षण पूजा परमात्मप्रकाश पंचस्तोत्र
संस्कृत द्रव्यसंग्रह
श्रा ने मिचन्द्र संबोध पंचासिका गुणस्थान चनी तत्त्वार्थ सूत्र
उमास्वाति सिद्धिमियरतोत्र
देवनंदि गोरक्ष शतक (अपूर्ण)
२५२० गुटका नं० २१५ । पत्र सं० १८-१८६ । साइज--१४६ इन्च । भाषा-हिन्दी । रचनाकाल ४ । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जोर्ग । वेष्टन नं० २६:२ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष शांतिपाट
संस्कृत
संस्तत
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________________
संग्रह ]
पदसंग्रह
विद्यमान बीसतीर्थंकर पूजा
सिद्ध पूजा
अनंतमतपूजा
पूजासंग्रह
तत्त्वार्थसूत्र
दंडक
श्रात्मवतीसी
विषापहारस्तोत्र
एकीमावस्तोत्र
संबोधचालिका
ज्ञानप्रतिमा
उपदेशपच्चीसी
बारह भावना
एकीभावस्तोत्र सूरत की बारहखड़ी
हस्ती संयम
जोगीरासो
ज्ञानपद
बहटाला
जैन शतक
बाईस परिषह
द्वादशानुप्रेक्षा
मनिबसी
दर्शनबत्तीसी
दर्शन कीसी
द्वादशानुप्रेच्चा
तीर्थ करपरिचय
जखडी
नेमिनाथ के दशमव
राजलपच्चीसी
दौलतराम
उमास्वाति
दौलतराम
ג
श्रचलकीर्त्ति
• हीरानंद
धानतेराय
भूधरदास
जिनदास
बुधजन
भूधरदास
I
डालूराम भगवतीदास
भूधरदास
लालचन्द
हिन्दी
2
33
33
23
संस्कृत
हिन्दी
ל
17
77
13
55
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F
१७८१
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________________
३७०
[ संग्रह पंचमंगल
रूपचंद
हिन्दी पदसंग्रह
द्यानतरस्य कर्मप्रकृतिवणेन
बनारसीदास कर्मदासी धानबत्तीसी उपगहन अंग कथा नेमिपार्श्वनाथपूजा
जालूराम २५२१ गुटका नं०२१६ । पत्र सं० १८३ | साइज-=xइञ्च | रचनाकाल X| लेखनकाल-सं० १७४६ भादवा मुदी ८ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-जोगा । घेदन नं० २६।।
विशेष-पूजा पाठ संग्रह है।
२५३२ गुटका नं० २१७ । पत्र सं. १८६ । साइज-७३४५ इञ्च । लेखनकाल–सं. १६७ ज्येष्ठ बुदो, अर्थ एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६२।।
विशेष-कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
२५२३ गुटका नं० २१८ । पत्र सं० १६४ । साइज--१४७ इञ्च । ले बन काल-० १८४३ आषाढ सदा १ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २३२५ ।
विशेष-खुशालचंद कृत कथाकोश हैं । प्रथम ४४ पत्र सं० १८४२ में लिखे हुये हैं ।
२५२४ गुटका नं०२१६ | पत्र सं० २०० । साइज-८४६३ च । लेखनकाल-. १८४५ | पुर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६२६ ।
विशेष-गुटके में रामचन्द्र कृत सीताचरित्र है । पद्य संख्या २५.४६ है। रचनाकाल सं० १७१६ है।
२५२५ गुटका नं० २२० । पत्र में० १६२ | साइज-४३४५३ इञ्च । लेखनकाल–० १८०५ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६२७ । विषय-सूची कर्ता का नाम
मापा
विशेष अनुभवप्रकाश
दीपचन्द कासलीवाल समयसार नाटक
बनारसीदास समाषितावली भाषा
खुशालचंद २५२६ गुटका नं० २२१ । पत्र सं० १६४ | साइज-2x५ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६.१ माह सुदी ६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २६२८ | विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा कथाकोश
अपनश ( विभिन्न कवियों कृत कपात्रों का संग्रह)
वशेष
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________________
संग्रह ]
चौबीसठाणा
चौबीस तीर्थकरों के ६२ स्थान
तीर्थंकर श्रा परिचय
संसार सुख दुख पद
सामान्य शुद्ध । दशा-जीए। वेष्टन नं० २६२४ ।
कर्ता का नाम
विषय-सूची
तेरहकाठिया
समयसार
सिन्दूरप्रकरणा
समवशरण
बनजारागीत
शुद्ध । दशा - जी । वेष्टन नं ० २६३० !
विषय-सूत्री
वैराग्य साइ
टंडापारास
मरत की वेलि
द्वादशानुप्रेक्षा
२५२७ गुटका नं० २२२ | पत्र सं० १८६ | साइज - १०x६ इव । लेखनकाल - सं० १०१७ | पूर्ण एवं
बनारसीदास
मरतबाहुबलि संवाद मुक्तिपैडी
सामायिक
समन्तभद्रस्तुति
गर्म वडारचक
संबोध चासिका
द्वादशानुप्रेक्षा
नेमीश्वर को वंश
पंचनमस्कार स्तोत्र
पदसंग्रह
कर्ता का नाम मुनि देवराज
मगौतीदास
बनारसीदास
प्राकृत
संस्कृत
अपभ्रंश
२५२ गुटका नं० २२३ । पत्र सं० २०० | साइज - ७५ इव । लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं सामान्य
देवनं दि
योनीन्द्रदेव लक्ष्मीचन्द्र
वल्हव
उमास्वाति
मम्म
हिन्दी
$3
92
भाषा
हिन्दी
25
"
11
"3
23
32
33
अपभ्रंश
हिन्दी
संस्कृत
17
"3
३७१
अपभ्रंश
हिन्दी
संस्कृत
हिन्दी
विशेष
विशेष
२५२६ गुटका नं० २२४ | पत्र सं० २६८ | साइज - ११४७ इञ्च | लेखनकाल सं०- १५३४ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २६३१ ।
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________________
३७२
विषय-सूची
श्रात्मसंबोध
श्रावकाचार
महर्षिस्तवन
चीसी
द्वादशानुप्रेक्षा भावना चौतीसी
श्राराधनासार
तत्त्वार्थ सूत्र
पंचपरमेष्ठी साटक..
संबोधासिका
तत्त्वसार
ज्ञानसार
परमानंद स्तोत्र
साटक
श्रुतस्कंध
श्रात्मगुणसंपत्ति
पद्मावतीस्तोत्र
सोलहकारणपूजा
दशलक्षणपूजा
आलोचना मक्ति
लघु प्रतिक्रमण
जिनसहस्रनाम
त्रिलोकसार
भूपाल चौबीसी
मक्तामर स्तोत्र
पार्श्वनाथ जयमाल
कल्याणक
न्यूनडी रास मुक्तावली कथा
श्रुतस्कंधविधान का
कर्ता का नाम
पं० रहनु
देल्ह
विजयसेन
स्पनंदि
देव सेन
उमास्वाति
पद्मनंदि
यशाधर
श्रा० नेमिचन्द्र
भूपाल
मानतु गाचार्य
शीलभद्र
}
.
भाषा
श्रपत्र श
""
संस्कृत
हिन्दी
प्राकृत
v प्राकृत
संस्कृत
प्रावृत
"
17
77
संस्कृत
77
प्राकृत
संस्कृत
22
"
17
""
प्राकृत
"
संस्कृत
प्राकृत
संस्कृत
"
हिन्दी
प्राकृत
हिन्दी पुरानी
संस्कृत (गद्य)
ind
[ संग्रह
PRO
विशेष
...IP
रचनाकाल १६७१
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________________
२७३
संग्रह]
प्रात
लोकसेनाचार्य
संस्कृत
प्राकृत
पं० हरिचन्द्र
संस्कृत
+ सिद्धचक्रविधान হার্যবিঘাল भिल्लाष्टमीकथा धनस्त मितिव्रताख्यान स्नावलीव्रतकथा कनकावली विधान . नेमिन सज्जनचिचवल्लभ योगिनीचक्र मेघमाला अर्घ कांड सुप्रभातचतुर्विशतिका
मस्तिषेण
।।
२५३० गुटका नं० २२५ । पत्र सं. ११-२१४ । साइज-५३४५६ च । लेखनकाल । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेटन नं. २६३२ 1
विशेष-गुरफे में पद्मपुराण ( हिन्दी ) है ।
२५३१ गुटका नं० २२६ । पत्र सं० ११२ 1 साइज-६x' इच 1 लेखनकाल-० १८१८ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य टिन नं. २५६ ।
विशेष
विषय-सूची
भाषा
कर्ता का नाम
हिन्दी
शनिश्चर कमा स्वरोदय
पद संग्रह
२५३२ गुटका २० २२७ । पत्र सं• ४५ ! साइम-४५ इञ्च । लेखनकाल x | श्रपर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४४० ।
विशेष-हिन्दी पदों का संग्रह है।
२५३३ गुटका नं० २२८ । पत्र सं०१२०० । साइज-६४५ इञ्च | लेखन काल x 1 अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. २६३३ ।
विशेष-पूजा, पदों व मजनों का संग्रह है।
२५३४ गुटका नं. २२६ | पत्र सं० १७४ । साइज-५४४ च । लेखनकाल-सं. १७७० वैशाख जुदी १३ पूर्ण एवं सामान्य शुल । दशा-सामान्य । वेष्टम नं० २४:01
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________________
नकासार
विशेष
[ संग्रह विजयाची कर्ता का नाम
भाषा सुमतिकात्ति
हिन्दी रखनाकाल सं० १६२७, २२२ पप २५३५ गुटका नं० २३० । पत्र सं. २०४ | साइज-'xइष | लेखन काल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य । शुद्ध | दशा-जीर्ण । श्रीन के बहुत से पत्र नहीं है । येष्टन ०६:४
विशेष- कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं हैं ।
२५३६ गटका नं.२३१ । पत्र ! | साज-.x इत | लेखनकाल x। पूण एन शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं, २७०५ ।
विशेष-कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
२५३७ गुटका नं० २३२ । पत्र सं० २० । साइज--x.५ इन्च । लेखन काल-सं. १७३६ श्रासोज मुदी १२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं०२४५२ ।
विशेष-कोई उल्लेखनीय सामना नहीं है।
२५३८ गुटका नं० २३३ । पत्र सं० २० । साइज-७४'५ इञ्च ! लेखनकाल-सं. १७८२ फागुण बुदी २ । पूर्ण एक सामान्य शुद्ध । दशा-जीती नं० २६
विशेष -- गुटके में पूजा व स्तोत्र संग्रह ही है ! हिन्दी अर्थ सहित तत्वार्थ मूत्र है ।
२५३६ गुटका नं०२३४ । पत्र सं. ३० । साइज-४८ ! च । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीगणं । बेष्टन में• २४६६ ।
विशेष- कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
२५४० गुटका नं०२३५ । पत्र सं० १६० । साइज-x: इम । लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं० २६१३ ।
विषय-सूर्ची परमात्मप्रकाश
कर्ता का नाम प्रा. कुन्दकुन्द
ৰিম
प्राक्त
शानभूषद
श्रा नेमिचन्द्र
प्राकृत
जिनस्तुति पंचेन्द्रियवेलि कर्मप्रकृति पदसंग्रह पंचपरावर्तनविवरण दाटसोगाया संबोध पंचासिका गुणस्थान गाया पंथीगीत
पूज्यपाद
संस्कृत
प्राकृत
पा० नेमिचन्द्र স্থালি
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________________
संग्रह
३७५
जिनदास
हिन्दी ग्राभ्यासात मेषकुमार गीत द्वादशानुप्रेता जोगीरासो
२५४१ गुटका नं० २३३ । पत्र सं. २१३ । साइज--४५३ इञ्च । रचनाकाल x | लेखनकान पाँ एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । श्रेष्टन नं. २६३ ।
विशेष-गुट फे में अनेक पद, 4 भजनों का संग्रह है। गुटका महत्त्वपूर्ण है।
२५४२ गुटका ०२३७ ! पत्र सं. २.१२ । साइज-१०x१३ इञ्च | लेखनकाल २० १७१ शाख बुदी १३ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं ० २६३८ ।
विशेष-प्रतिलिपि बिलासपुर नगर में हुई यो । ६६ पत्र सं.. १७१४ तक लिखे गये हैं। पूजा और स्तोत्रों का - संग्रह है । कोई नवीन रचना नहीं हैं।
२५४३ गुटका नं०२३८ । पत्र.२३ | साइज-83x३ इन्न । लेखनकाल x Tण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्य । वेष्टन नं० २६३६ ।
विशेष-समयसार संस्कृत एवं हिन्दी टीका सहित है।
२५४४ गुटका नं.२३६ । पत्र सं० ३४ । साइजx. श्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । टन नं. २४५२ । विषय-सूची कर्ता का नाम
माषा
विशेष महामियकविधि
संस्कृत
अत्र
२५४२ गुटका नं२४०। पत्र सं० २२५ साइज-xt इचलखनकाल-स. १७६० सिज चुदाः। पूर्ण सूत्र सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेन्टन नं ० २६.४० । विषय-सूची कत्ता का नाम
भाषा
विशेष समयसार नाटक
बनारसीदास
ज्ञानपञ्चासी संवपच्चीसी
जोगणीस्तोत्र पावतीस्तोत्र
संस्कृत संवत्सरफल
हिन्दी २५४६ गुटका नं०२४१ । पत्र सं० २४. । साइन-5x४३ इञ्च । लेखनकाल-सं० १.७१ ० । अपूर्ण एवं . सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण शीर्ण | वेष्टन नं० २६४१ ।
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________________
PARAN
३७६
[ संग्रह
विशेष-दो तीन गुटकों के पत्र को एक जिल्द में बांध दिया गया है । गुटके में कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
२५४७ गुटका नं. २४२ । पत्र सं साइज-2x५ इन्च । लेखनकाल-सं० १०५ मंगसिर सुदी । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जी । वेष्टन नं० २६४२ । विषय-मची कर्ता का नाम
भाषा समाधितंत्रभाषा
पर्वतधर्मायों मदनजुझ युचराज
लेखनकाख १५८. নুনুর মামুন
. २५४८ गुटका नं० २४३ । पत्र सं० १०० । साइज-x= इन्च । लेखनकाल-सं० १७७३ ज्येष्ठ चुदी २ । पूर्ण सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५४७ । • विषय-सूची का का नाम
भाषा
ਕ भविष्यदत्त कथा ब्रहारायमल्ल
हिन्दी प्रीतिकर कथा
च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं शुद्ध ।
२५४६ गुटका नं० २४४ । पत्र सं० २५५ । साइज-७३x दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६४३ । विषय-सूची
कर्ता का नाम पुण्याश्रवकथाकोश
मुमुक्षु रामचन्द्र रविव्रतोपाख्यान
चन्द्रकीर्ति
भापी
विते
सेहत
२५५० गुटका नं० २४५ । पत्र सं० २४५ | साइज-६x६ इन्च | लेखनकाल से-१७५० । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २६४४ ।
विशेष-पूजा, स्तोत्र एवं पद संग्रह है।
२५५१ गुटका नं० २४६ । पत्र सं० १४८ | साज-४५ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दश:जीर्ण शीर्ण । वेष्टन नं ० २५१२ ।
विशेष-गुटके में बनारसीदास कृत बनारसीविलास है।
२५५२ गुटका नं. २४७ । पत्र से. २६४ । साइज--२४६३ । लेखनकाल-सं० १७५ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६५५ ।
विशेष--गुटके में मुख्यतः हिन्दी में विलोकदर्पण कया है ।
२५५३ गुटका न० २४८ । पत्र सं० ५६ । साइज-७४७ इन्च | लेखनकाल X| श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जोर्ण । वेपन नं० २४८० ।
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________________
संग्रह ]
कर्मा का नाम
भाषा
विशेष
--
विषय-सूची चाबकाप्रतिक्रमण स्थाद्वादकमन राजालपच्चीसी
प्रास्त
लालचन्द विनोदीलाल
२५५४ गुटका नं. २४६ | पत्र सं० (२२-६५, २१०-२५३ )| साइज-६x६ इन्च ! लेखन कालसं. १८४८ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीरों 1 बेटन नं० २६.४६ । दिषय-सूची फर्सा का नाम
মাস
विशेष मुनि बिहार वर्णन
हिन्दी र्म प्रकृति वर्णन र संग्रह पंच परमेष्ठी गुण वर्णन पद संग्रह
।
।
२५५५ गुटका न०२५० | पत्र सं. ४६४ 1 साइज-६xt इन्च । लेखनकाल-सं० १५१६ श्रासोज सुदी १२ पूर्ण एवं मामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ने ० २६४७ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष यशोधरचौपई
हिन्दी (अशुद्ध) सोलहकारणरास फेवलोपुग्छा पदसंग्रह
महेन्द्रकीति आदि सोलहस्वप्न
ब्रहरायमल्ल श्रीपालरास
लेखनकाल १:५३ हनुमत् रास जम्बूस्वामीरास धावकाचार की विनती भविष्यदत्त चौपई घारायमल्ल
१७१७ २५५६ गुटका नं० २५१ | पत्र सं० २४३ | साइज--८४६ दश्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन न. २६४८ |
विशेष-गुटके में त्रिलोकसार दर्पण वडगसेन कृप्त है । पत्र संख्या २०६ है।
२५५७ गुटका नं० २५२ । पत्र सं०.२६ । साइज-५४४ इञ्च । लेखनकाल-सं० १७२५ । अपूर्ण एवं श्रशुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं. २६४६ ।
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________________
२७८
का का नाम
[संग्रह विशेष
माषा
विषय-सूची दातार सूर संवाद झालीरासो भक्तामरस्तोत्र भाषा सिन्दूरपकरण सामुद्रिक नेमीश्वर को सोदाम! नमीश्वर का वारहमासा
बनारसीदास
२५५० गुटका नं:२५३ । स्त्र सं. २६० | साइज-६४४३ इत्त । लेखनकाल-त. १८५४ | अपूण एक अशुद्ध | दशा-सामान्य । वेटन नं. २६१०। विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा कबीरवाणी कुरदास
हिन्दो सेघसमन की प्रवरी
अमध्यान
सन्तदासजी
बारहमासा
.
..
पदसंग्रह ( कबीर, मीरा आदि कवियों के) -- सानस्वरोदय
चरनदास सबद
कबीदास बनारसीदास
२५५८ गुदका नं० २५४ । पत्र दशा-सामान्य । वेष्टन न , २६११ ।
६६७ । साइज-5x इ । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध |
विषय-सूची वस्तिमंगल विधान
कर्ता का नान श्राशावर
भाषा
विशेष
जिनसेनाचार्य
पांजलि विधान जिनसहानाम सकलीकरणविधि पूजा संग्रह হালাবি বুল। रत्नत्रयपूजा नंदीश्वरपजा
नरेंद्रसेनाचार्य पेन्द्रकीति
संस्कृत
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________________
संग्रह
पंचमेलपूजा समवशरणस्तोत्र
गसेन व्यसंग्रह प्रहप्रवचन सप्ततत्वपीठिकानंध श्राराधनासार
देवसेन
प्रात मावना बीसी
संस्कृत
हिन्दी अर्थ सहित शांति घटक सामयिक १४
२५६० गुटका नं. २५५ । पत्र सं० २७० । साइज-Ex५ इश्व । लेखनकाल-सं० १६६१ वेशाख सुदी १२ पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० २६५२ ।
वशेष विषय-सूची
कर्ता का नाम यशोधसास
सीमकीर्ति छोपनक्रियाविधि प्रतात्ति
रचनाल १६.. सप्तव्यसनरास
मुनि बीरचन्द्र मिष्यावचौपई भवदेवचरित
मुनि श्रीजयति प्रकारास
ज्ञानभूषन्छ होतोस
ब्रह्मजिनदास मुकौशलरास
माषा
सम्यक्त्वरास जोतिरास
सारसीखोमणराप्त मविष्यदत्तरास
संगसुदर विद्याभूषण
जीवधररास
सुक्नीति
लेखनकाल १६४३ पौष बुदी ११
रात्रिभोजनधनरास जम्बूस्वामिरास
रचनाकाल १६२५
लेखनकाल १६२५
धर्मपरीक्षारास
बह्मजिनदास
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________________
[ संग्रह
विशेष ,
हिन्दी
त्रिभुवननीविनती गंगदास
हिन्दी इनमतरास अझ ज्ञानसागर
रचनाकाल २६३. ज्येष्ठजिनवररास
ब्रह्म जिनदास पूजामंडूककथा
२५६१ गुटका नं० २५६ । पत्र सं० २६२ । साइज--X६ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६२२ यासोज बुदी ८ पुर्य एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्थ । वेष्टन नं० २६५३ । . विशेष-गुटका-जीर्णावस्था में है। अनेक पाठों का संग्रह है। लेकिन कोई विशेष उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
२५६२ गुटका नं०२५७ । पत्र सं० २१४ । साइन-४३४३ इञ्च । लेखनकाल x { पूर्ण एवं शुद्ध । देशा-सामान्य । ग्रेटन नं. २४५४! विषय-सूची कर्चा का नाम
भाषा गोरखनाथजी के सबद
गोरखनाथ चटजी के सबद
चर्पटनाय भरथरी के सबद
मनु हरि जलंधीपावजी की सबद टालीपावजी की सबद मोडकीपावजी की सबद सती कगोरीजी के सबद जतीहणवंत की सबदी नागाजुन के सबद महादेवजी के सबद पार्वतीजी के सबद चौरंगीनाथजी के सबद चुणकरनाथजी के सबद सिद्ध गरीबनाथजी के सबद सिद्ध हरितालजी के सत्रद सिद्धघोड़ा चोलीजो के सबद सिद्ध धूधलमलजी के सनद अजयपालजी के सबद श्रीदत्तजी की सबद देवलनाथजी के सबद चन्द्रनायजी के सनद
। । । । । । । । । । । । । । । । । ।
Page #400
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________________
पृथ्वीनाथ
संमह] चतुरनाथजी के सबद सोमनायजी के सद कुमारी पानजी के सबद पृप्तीनाथजी के सनद मुबाण योग पट नृपच नृवाणयोगमय प्राण कुडलनी जोन प्रथ पंचमात्री योग पंचाग्नि योग चौबीस सिद्ध रोमावाल योग महादेवगौरख संवाद गोरखनाथजी का ज्ञान श्रीनाथजी की नय शंख सांकली
। । । । । । । ।
... भाषा
संस्कृत
प्राकृत
२५६३ गुटका नं० २५८ । पत्र सं० ४५-२८८ । साहज-2x५ इन्च । लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | देशा-जीर्ण । वैप्टन नं ० २६५५ । विषय-सूची
कर्ता का नाम इष्टोपदेश . .. पूज्यपाद संबोध पंचासिका ঠিধিস্বরী
देवनन्दि
संस्कृत चतुर्विंशतितीर्थकरस्तुति
मारत त्रिपंचाशकिया मह्मचर्य उपदेशमाला .. मुनि जयकीति
अपनश द्रोहावली
सुमभाचार्य संसार स्वरूपवर्णन
संस्कृत चतुर्विंशतितीर्थकर जयमाल ; २५६४ गुटका नं० २५६ । पत्र सं० २६४१ साइज--x६ इञ्च । लेखनकाल ४। पूर्व एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २६५६ । विषय-सूची कर्ता का नाम . .. भाषा
- विशेष श्रीपालचरित्र
परिमल्ल
- हिन्दी रचनाकाल सं. १७२२
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३८२
[ संग्रह
अपूर्ण
१६६ जीत्रों का वर्णन रशोधर चरित्र
२५६५ गुटका नं.२६० । पत्र सं० ३०० | साइज--१x६ च । भाषा-हिन्दी । लेखनकाल-सं० १७.५ श्रावण नुदौ २ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन में० १६५७ । विषय-सूची कर्ता का नाम
माषा बनारसीविलास बनारसीदास
हिन्दी रचनाकाल सं० १७०१ समयसारनाटक तत्वसार देवसेन
प्राकृत अष्टपाहुड
ग्रा० कुन्दकुन्द मावत्रिमंगी
विशेष
२५६६ गुटका नं० २६१ । पत्र सं० ४३ । साइज-६x४३ इञ्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २४६६।
विशेष-उल्लेखनीय सामग्री नहीं हैं।
२५.६७ गुटका नं० २६२ । पत्र सं० १३-४४८ 1 साइज-=x५ इन्च । लेखन काल-सं. १६३६ भादवा चु १० अर्थ एवं शु , दशा जी । न न ० २३५८ । . विषय-सूची कर्ता का नाम
मावा
विशेष देवराजबच्छराज राम
हिन्दी शीलरास थना चउपई कक्कसरि
रचनाकाल सं० १५७४ विक्रमादित्यचरित्र
१५८. नलदमयंती चरित्र
माणिकराज रायदे हम्मीरदे चौपई
१५३मगांकलेला चरित्र चित्रसेन पत्रावती चौपई
लेखनकाल २० १६४८
पासोज बुदी ११ प्रचुम्नचरित्र
२५६८ गुटका नं. २६३ । पत्र सं० ५२१ । साइज--४५ हद | ( फुटकर पत्र ) लेखनकाल X| अपरा एवं शुद्ध । दशा-जीर्य शीर्थ । वेष्टन नं ० २६५६ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
সিয়াম स्तोत्रसंग्रह
-
रस्कृत
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________________
संग्रह ]
सीता चरित्र
मानबावनी
अनुप्रेक्षा
श्रतों के पालन में दिन
सामान्य । वेष्टन नं० २६६० ।
विशेष - पूजा व स्तोत्रों का संग्रह है।
२५६६ गुटका नं० २६४ | पत्र सं० ४३७ | साइज - ६४६ इश्च । लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध दशा
कमतिक्रमण
सामायिक पाठ
विविध भक्ति
स्वयम्भू स्तोत्र
तत्रार्थसूत्र
पंचस्तोत्र
सिद्धप्रिय स्तोत्र
पार्श्वनाथस्तीत्र
सुप्रभातिक स्तीच
यतिभावनाष्टक
ब्राह्मण के लक्ष्य
पंचनमस्कारस्तोत्र
श्रनुपेक्षा
सानांकुश
इष्टोपदेश
जिनरतवन
भावनाचतुवैिशतिका
२५७० गुटका नं० २६५ | पत्र ० ३५६ | साइज - १४९ इच । लेखनकाल x । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - पूर्ण रूप से जीर्णं । वेष्टन नं० २६६१
1
विषय-सूची
कर्ता का नाम
ज्ञानसार
चारित्रसार
सर्वशासनद्वात्रिंशतिका
नीतिसार
समन्तभद्राचार्यं
देवनंदि
पद्मप्रभदेव
पंकज नंदि
पूज्यपाद
प्राकृत
हिन्दी
पद्मनंदि
प्राकृत
हिन्दी
मदनकीर्त्ति
माघनंदि
भाषा
संस्कृत
23
प्राकृत—संस्कृत
संस्कृत
ע
"
$3
3
33
"3
39
"
प्राकृत
संस्कृत
35
11
33
प्राकृत
३८३
33
संस्कृत
גן
विशेष
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________________
३८४
परमानंदरतोष
सहस्रनामस्तोत्र
सहस्रनामस्तो
सुप्पयदोहा
धानन्दा
योगसार
तत्वसार
योगज्ञान
दादसी गाथा
संबोधपंचासिका
श्राराधनासार
व्याराधनाकार टीका
पट् प्राभृत
ध्यानसार
सारसमुच्चय
सिन्दूर करणा
श्रुतस्कंच
पूजा संग्रह
कर्मनिरूपण
त्रिलोकस्थिति
लघु कल्याणक
सुभाषितावली
सुमषिताव
सुनि योगचन्द्र देवसेन
विषय-सूची
श्रात्मानुशासन
प्रायश्चित समुच्चय
पुरुषार्थसिद्धयुपाय
उपासकाध्ययन
देवागमस्तोत्र
श्री० कुन्दकुन्ड
| |
सोमप्रभाचार्य
ब्रह्म हेमचन्द्र
कर्त्ता का नाम
गुणभद्राचार्य
नंदिगुरू
श्रमृत चन्द्र
समन्तभद्र
11
प्राकृत
हिन्दी
श्रपत्र श
प्रावृत
संस्कृत
प्राकृत
संस्कृत
23
35
संस्कृत
प्राकृत
संस्कृत
93
33
23
३१
प्राकृत
77
हिन्दी
22
33
"
33
संस्कृत
२५७१ गुटका नं० २६६ | पत्र सं० १९८२ | साइज १ ३३४६ ३ ६श्च | लेखनकाल - सं० १८६६ कार्तिक युदी ६ पूर्ण एवं शुद्ध । दशा उत्तम | वेष्यन नं० २६६२ ॥
"
"
23
भाषा
संस्कृत
[ संग्रह
विशेष
"
1
-
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________________
संग्रह ]
३८५
जैनेन्द्रव्याकरणलब । समाथितन्त्र समयसार कलशा परीतामुख वीतरागस्तोत्र शांतिनायस्तवन पार्श्वनामस्तोत्र पार्वाष्टक करूणाष्टक लक्ष्मीरतोत्र
मध्यपाद समन्तभद्राचार्य
अमृतचन्द्र माणिक्यनंदि पडानंदि
श्रुतसागर
नंद्याचार्य
पद्मनंदि
गुर्दावली
सकल चन्द्रमुनि दिगुसेन
কলকা पंचनमस्कारस्तोत्र जिनेन्द्रमबन स्तुति समवशरण स्तोत्र सुप्रभातिक स्तवन वंदेतानजयमाल कल्याणमाला भवांतरस्तुति जिनस्तुतिशतक भूपालचतुर्विशतिका सिद्धप्रियस्तोत्र विषापहारस्तोत्र एकीभावस्तोत्र कल्याणमन्दिरस्तोत्र
माघनंदि স্বাহা
देवनाद धनंजय वादिराज
कुमुदचन्द्र
मानतुगाचार्य
मक्तामरस्तोत्र योगभक्ति निर्वाणमक्ति प्राचार्यमक्ति चारित्र भक्ति ध तभक्ति
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________________
३८६
[ संग्रह
प्राकृत
जिनसेनाचार्य
वसुनंदि सैद्धान्तिक
सिद्भभक्ति श्रावकमतिक्रमण सामायिक पाठ जिनसहसनाम देवसिद्धपूजा दर्शनपाठ प्रतिष्ठासार संग्रह মাধান্তক यतिभावनाष्टक হিমাল सजनचित्तवल्लभ इटोपदेश गोमट्टसार माथा त्रिलोकसार नधिसार
पद्मनंदि प्रामेतिगति मस्तिषण पूज्यपाद आ. नेमिचन्द्र
श्रा० वट्टर स्वामी
थावकाचार
समयसार
वसुनंदि प्रा० कुन्दकुन्द
(संस्कृत टोका सहित)
प्रवचनसार पंचारितकाय षट् प्राभूत भगवती पाराधना स्वामीकार्तिकेयानप्रेक्षा नयचक्र नियमसार
शिवाचार्य स्वामी कार्तिकेय
देवसेन
संस्कृत टीका सहित
श्रा० कुन्दकुन्द
स्ययसार दर्शनसार
देवसेन पद्मसिंह
सानसार चारित्रसार श्राराधनासार तत्वसार
देवसेन
संस्कृत टीका सहित .,
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________________
संग्रह
३८७
योगसार
परमात्मप्रकाश
योनचन्द्र योगीन्द्र देर आ. नेमिचन्द्र
द्रव्यसंग्रह
चउसठऋद्धि
संबोषपंचासिका
सम्यक्त्वमावना
अपभ्रंश
पचनन्दि
प्राकृत
इन्द्रनं दि
धम्मरसायण धंदकोश निर्वाणकांड प्रायश्चितम्रय वारसअणुवेक्खा दर्शनस्तवन राजवाचिकसूत्र श्लोकवाचिक आप्तमीमांसा भाष्य
मट्टाकलंदेव विधानन्दि
राजमल्ल
laillilihiniiiiiliin
पंचाध्यायो योगशास्त्र सांख्यसप्तति
पातंजल
कुवलयानंद कारिका योगव्यवच्छेदद्वात्रिंशिका
वैय्याकरण भूषण
बीजगणितत्र लीलावतीसूत्र लघुजातक वृत्तरत्नाकर काव्यप्रकाश सत्र अष्टाध्यायो सूत्र
कालिदास
पाणिनी
सं.१६
हेमाष्टकण्याय
हेमचन्द्र
महामारत
सारस्वतन्त्र
यत्याचार
बसुनंदि
प्राकृत
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________________
[ सं
२५०२ गुटका नं० २६७ पत्र सं० १० साइज - ६x२ इन्च | लेखक- १७२१ एवं सामान्य शुद्ध । दशा- जी | वेष्टन नं० २५६६ ।
विषय-सूची
का साम
सुंदर श्रृंगार
बारहमावा
वृदचाणक्य राजनीतिशारप
३६८
शुद्ध दशा-सामान्य केट नं० २५१८ ।
विषय-पूर्वी
मिथ्यात्वखडन
बुद्धिविलास
पदसंग्रह
विषय-सूनी
संह
समयसार
यपूजा
रामचन्द्र
वृद्धचाणक्य
२५०४ गुटका नं० २६० २८२ साइज लेखनका ० १८२१ क्षेत्र एवं शुद्ध दशा-सामान्य
०२६९२ (क) |
विषय-सूची
जिपसम्परिपूजा
सरवलय पुत्रा
मोर पूजा
विशेष कोई उलेखनीय सामग्री नहीं है।
ले० सं० १८३१
२५७३ गुटका नं २६३०७८-७९१ इन लेखनकाल | अपूर्य एवं सामान्य
तीस विधान
कर्चा का नाम
वख्तराम
नवलकवि
१
२५७५ गुटका नं० २०० ० ६७-२११ | साई लेखनकाल १७५० मादवा पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन नं० २६६३ ।
विशेष - श्री पचाइन दास ने लिखा था ।
कर्ता का नाम
माना
हिन्दी
32
20
"
भाषा हिन्दी
भाषा
हिन्दी
37
संस्कृत
26
बनारसीदास
२५७६ गुटका नं० २७१ पत्र सं० २०२ | साइज - ७३७३ इन्च | लेखनकाल - सं० १८०० । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २६६५ ।
विशेष ग्रामे नम में महात्मा मानजी ने प्रतिलिपि की भी ।
कर्ता का नाम
माषा
संस्कृत
"
त
संस्कृत
विशेष
३५३ पच
विशेष
रचनाकाल १६२०
१८२७
13
विशेष
विशेष
सं. १८०.
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________________
LLLLLLL
.
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THRO
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N
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.........
संग्रह)
कृत्रिमजिनचैत्यालयपूजा हत्योडशकारसपूजा दशलक्षणव्रतोद्यापन पूजा अष्टाहिका पूजा रत्नत्रयपूजा त्रिंशचतुविशति पूजा
पं. जिनदास
मन्तिसागर पं. रामगणि
शुमचन्द्र
धर्मचक्रपूजा
এল
२५७६ गुटका नं-२७२ । पत्र सं० २६३ । साइम-=x: च । लेखनकानु-० १७१ पौष शुक्ला । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेपन नं ० २६६४ । विषय-सूची कती का नाम
भाषा
विशेष कृष्णरुकमणि विवाह बेलि
रचनाकाल सं० १६४४
लेखनकाल सं० १.२६ पाप मुदी . श्रीपाल स्तुति अात्म शिक्षाशतक यति रामचन्द्र
संस्कृत द्रव्यसंग्रह श्रा नेमिचन्द्र
प्राकृत समाधितंत्र भाषा पर्वतधर्मायो
गुजराती २५७८ गुटका नं०२७३ । पत्र सं०६७ साइज-x: इश्च । लेखनकाल-० १.१८ मा चुदी है। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २६६६ ।
_ विशेष-स्वामी गोविन्ददास ने प्रतिलिपि कराई पी। विषय-सूची का का नाम
भाषा
मिशेष पर पाहुई श्रा. कुन्दकुन्द
कृत स्वरोदय
संस्कृत द्रव्यसंग्रह मात्रा
२५७६ गुटका नं० २७४ । पत्र सं० १७६ । साइज-७४४३ च । लेखनकाल x। अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेटन नं० २६६७।
विशेष-श्रोणिक चरित्र माषा है ।
२५८० गुटका नं० २७५ । पत्र सं• २४ । साज-६x६ । बेसन काल x। पूर्ण एवं श्रशुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २६६ ।
विशेष-कोई उस्लेखनीय सामग्री नहीं है।
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________________
३६०
[ संग्रह
।
२५८१ गुटका नं. २७६ । पत्र सं० १६.४ । साहज-६x६ इन्न । लेखनकाल-१.७.७ माह सदा पुरा एवं शुद्ध | दशा-मामान्य । बटन नं० २६ ।
विषय-सूची
भाषा
की का नाम बनारसीदास
विशेष
समयसार
हिन्दी
अवनजुम्भ
२५८२ गुटका नं० २७७ । पत्र में 80 | सारज-६४.५ इन | लेखनकाल-सं० १८०६ चन सदी ३ . पुणे एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन
। विशेष-कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं हैं। . २५८३ गुटका नं०२७८ । पत्र सं ११० । साइज-EX६ । लेखनकाल X । अयं एघं अशुद्ध । दशा-जोग । वेष्टन नं० २६७१ ।
विशेष-ग्रायुर्वेदिक नुसखे हैं।
२५८४ गुटका नं.२६ । पत्र सं० १२३ । साइज-६x६ इन्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन ने ० २६७२ ।
२५८५ गुटका नं० २८० | पन सं० =४ | साइज..xt इन्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० २४७३ ।
विशेष-पूजा संग्रह है।
२५८६ गुटका नं० २०१। पत्र सं० ७१-१३। साइज--x६ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २६७४ ।
२५८७ गुटका ने०२२ । पत्र सं० ११ । साइज-६x६ इञ्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्र । दशा-सामान्य । बेष्टन नं० २६७५ ।
विशेष-गुटके में सीता चरित्र है
२५८८ गुटका नं० २८३ । पत्र सं० १८६ । साइज-३४३ इन्न । लेखनकाल ४ ! पणे एवं सामान्य शुद्ध . दशा-सामान्य | वेष्टन नं० २६७६ ।
२५८६ गुटका नं० २८४ । पत्र सं० २१२ । साइज-६४५ इन्च | लेखनकाल X | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध . दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६७१।
विशेष-पूजा पाठ संग्रह है।
२५६० गुटका नं० २८५ । पत्र सं. १२० । साइज-३४४३, इश्व । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध ।। दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० २६७८ ।
विशेष--अधिकांश पत्र खाली हैं।
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संग्रह
२५६१ गुटका नं०२८३ । पत्र सं० २४ । साइज-६४६ इश्व । लेखन काल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन ०२६७१ ।
विशेष-पूजाओं का संग्रह है
२५६२ गुटका नं०२८७ । पत्र Hat | साइज-१३४६ इन्च | लेखन काल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं २६८१
विशेष --पूजानों का संग्रह है।
२५६३ गुटका नं०२८८ ! पत्र सं० २६ । साहज-१२४५३ इञ्च | लेम्वनकाल XI पूरी एवं शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६८० । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष सरस्वतीतबन
संस्कृत पंडितजयमाल
अपभ्रंश समय सचिभयमति की जयमाल दर्शनसार शारदाष्टक बनारसीदास
हिन्दी मुनीश्वरों को जयमाल विभिन्न कवियों के पद
विशेष—इनमें ३ पद श्री मुहम्मद द्वारा रचित हैं ।
२५६४ गुटका नं० २८९ । पत्र सं. २३ । साइज-६४५३ च । लेखनकाल ४ । पूर्ख एवं शुद्ध । दशा-- जीरा । वेस्टन नं. २६-२
विशेष - संवत्सरफल दिया हुआ है।
२५६५ गुटका नं० २६० । पत्र सं० ६.४ | साइज-५६x४ रम्च ! भाषा-हिन्दी । रचनाकाल X| लेखनकाल-सं० १८१५ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २६८३ ।
२५.६६ गुटका नं० २६१ १ पत्र सं० ७८ | साइन-६x६ इन्च | लेखमकाल-स० १५७८ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६८४ ।
२५६७ गुटका नं० २६२ । पत्र सं. १६४ । साइज-६x४ इञ्च । लेखनकाल-स. १७८२ भादवा सुदी १२ पूर्ण एवं, प्रशुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २६८६ ।
विशेष-उल्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
२५६८ गुटका नं० २६३ । पत्र सं० ५२ । साहज-x५ इन्च । लेखनकाल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेपन नं० २६८७ |
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३६२
विशेष – मार्गगणात्रों के भेद प्रभेद दिये हुये हैं ।
२५६६ गुटका नं० २६४ पत्र ०६६ साइज ६ लेखनकाल सं० १०५० ज्येष्ठ सुदी ७ गुरुवार । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २६०५ १
विषय-सूची
हठप्रदीप
गोरखशत
परीमान
विषय-सूची
रत्नदीपिका
२६०० गुटका नं० २६५
सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन नं० २६८
कर्ता का नाम
वसुधारा पानामतीय
शत्रु जयतीर्थ महात्म्य
यादीवरस्तवन
थालोचनास्तुवन
धर्मपरीक्षा
दंडकनांत्रोल
नुक्त व प्रकरण
विषय-सूची
परमात्मप्रकाश
द्रव्यसंग्रह
सुप्पोक
कर्ता का नाम
स्वात्माराम योगीन्द्र
दशा - सामान्य | वेप्टन नं० २६०६ ।
२६००१ गुटका नं० २६६ पत्र शुद्ध दशा सामान्य रेष्टन नं० २६८ ।
श्रमश्रदेव
-
विजयसेन सूरी
शंकराचार्य
पत्र सं० १०३ लेखनका सं० १७३९ पूर्व एवं
कर्ता का नाम
योगीन्द्रदेव श्रा० नेमिचन्द्र
भाषा
संस्कृत
विशेष कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है।
"3
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भाषा
संस्कृत
27
प्राकृत
हिन्दी
23
"
33
93
शाक्त
भाषा
| संग्रह
पत्र श
प्राकृत
हिन्दी पर्थ सहित १७६५
०८०-लेखनकाल X अपूर्ण एवं सामग
विशेष
विशेष
१७१२ श्रासोज खुदी : २
रचनाकाल १६६०
१७३६ श्रासोज सुदौं २
२६०२ गुटका नं० २६७ पत्र सं० १०७-१६० साइज ६०५ व लेखनकात X पूर्व एवं शुद्ध
विशेष
२६०३ गुटका नं० २६८ | १ ० ४० | साइज - ६ इन्च | लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य वेष्टन नं० २९६० ।
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१६३
२६०४ गुटका नं० २६६ | पसं०१७ : : -.xर । कोरमकान : ! गर्ग सा गुद्ध शा-समान्य । वेष्टन नं० २५३१ ।
निशेष ---पूजायों तथा हिन्दी पों का संग्रह है।
२६०५ गुटका नं. ३०० । १३ सं० २० । साइज-!x च | लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं: २४२१ ।
विशेष-विभिन्न कवियों के पदों का संग्रह हैं ।
२६०६ गुटका नं० ३०१ ! पत्र सं १ | साज-ext | लेखनका x | अपूर्ण एवं अशुद्ध ! शा-जीर्ण । वेष्टन नं० २६६१ ।
विशेष-समयसार, नाटक तथा अन्य पाठ हैं।
२६०७ गुदका नं० ३.२ । पत्र सं.: । सारज-१०४५१४३ । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । . शा-सामान्य । वेष्टन नं० २४२० ।
विशेष-हिन्दी में जिनस्तवन ।।
२६०८ गुदका नं. ३०३ । पत्र में ४० । साइक-११४इच। लेखन काल X: पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६६२।
विशेष--भिन्न २ कवियों के पदों का संग्रह है।
२६३६ गुटका नं. ३०४ । पत्र सं. ५५ । माइज-३५४३ च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं.२४११।
विशेष-पूजा व स्तोत्रों का संग्रह है।
२६१० गुढका नं० ३०५ | पत्र सं . ७८ साइ-5x५ च । लेखनकाल X | सूर्य एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६६।
विशेष--भगवद गीता है लेकिन अपूर्ण है। .
२६११ गुटका नं. ३०६। पत्र सं. ६० साज-Ex; इत्र । लेखन काल x। पूर्ण एवं प्रशुद्ध । इशा-जीर्य । वेटन नं० २६६४ |
२६१२ गुटका नं० ३०७ । पत्र सं. ४ | साज-Ex५ च । लेखनकाल X 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । शा-सामान्य । वेष्टन नं० २६६५ । प्रद्युम्न चरित्र भाषा तथा अन्य पाठ हैं।
२६१३ गुटका नं० ३०८ । पत्र सं०१८ | साहज-८४६ हश्च । लेखनकाल ४ । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य । वेष्टन नं० २६६६ ।
२६१४ गुटका नं० ३०६ । पत्र सं. २ । साइज--X६ च । रचनाकाल x | लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २६१४ ।
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..
३४
[ संग्रह
विशेष – योगीरसो एवं कुछ ऐतिहासिक तथ्यों का उल्लेख है।
२६१५ गुटका नं० ३१० ! पत्र सं० ७७ | साइज-:४७ दृश्च । लेखन काल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ने० २५०३ !
विशेष-गुटके में अपूर्ण भगवद्गीता है।
२६१६ गुटका नं. ३११ । पत्र सं० ४.१ साइज-५४४ इञ्च । लेखनकाल-सं. १८३१ | अपूर्ण एवं शुद्ध | दशा-जीर्ण । पैप्टन नं. १६६६ ।
विशेष-गुटके में प्रादित्यवार कसा तथा पंचमंगल है ।
२६१७ गुटका नं० ३१२ | पत्र सं० १६ । साइज-५४५ इञ्च । लेखनकाल | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २.४११ ।
त्रिशेष-भाषा भूषण का कुछ अंश है।
२६१८ गुटका नं० ३१३ । पत्र सं० १८२ । साइज---१४१३ । रचनाकाल x | लेखनकाल ४ । अपूर्ण । एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन ० २७००।
विशेष-उल्लेखनीय सामग्री नहीं है । विभिन्न पाठों का संग्रह है।
२६१६ गुटका नं०३१४ । पत्र सं० ३६ । साइज-2 इञ्च । रचनाकाल x | लेखन काल X| अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. २७०१ ।
२६२० गुटका नं. ३१५ । पत्र सं० १ . | साइज-६x२ इन्च । लेखनकाल-सं० १५८५ श्रासोन नदी १३ । शुक्रवार । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेटन नं. २७०१ ।
विशेष-यामेर में प्रतिलिपि की गयी मी ।
२६२१ गुटका ने० ३१६ । पर सं० ५ । साइज-६x४१ इन्च । लेखनकाल X| अखं एवं अशुद्ध । दशा-और्ग | बेष्टन नं० । विषय-सूची की का नाम
भाषा
विशेष दशलक्षणपूजा दशलक्षणस्तोत्र प्राणदा गीत संबोध पंचासिका
प्राकन मुष्पयदोहा
हिन्दी
२६२२ गुटका नं० ३१७ । पत्र सं० १३ | साइज-५३४४३.६७८ । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २७०२ ॥
विशेष-पूजा संग्रह है।
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संग्रह ]
३६५
२६२३ गुटका नं० ३१८ । पत्र सं० ४-१०१ | साइज-५३४४६ इन्च | लेखनकाल–सं० १६२५ मंगसिर मुदी २ । अप्य एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २६६७ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष पमनंदिपंचविंशति
पद्मनंदि
संस्कृत पंचारितकाय कुन्दकुन्दाचार्य
प्राकृत २६२४ गुटका ने० ३१६ ) पत्र सं० ४-४८ ! सारज-ex७३ च । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १७२२ मंगसिर सुदी १ । अपूर्ण एका शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २७०४ ।
विशेष- सांगानेर में पं० कनकचन्द ने कोठ्यारी लालचंद्र के पठनार्य लिपि की । विषय-सूची कर्ता का नाम
विशेष सालिभद्र धन्ना चौपई जिनसिंह पूरि
रचनाकाल १६७ जीस विरहमान गीत
जिनराज पूरि जन्मकु डलिया
माषा
पं० रहधू
२६२५ गुटका नं० ३२० । पत्र सं० १२० 1 साइज--१४५३ हश्च । लेखनकाल x। पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टम नं० २५६१ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा
विशेष जिनसहसनाम स्तोत्र जिनसेनाचार्य
संस्कृत इशलाक्षणिकविशेष पूजा
अपनीश रत्वनयपूजा प्रारमप्रतिबोध जयमाल
साहिल श्रात्मसंबोध जयमाल मंत्रोध पंचासिका
पं० राधू 'प्रात्मापुट
लन्धि पंचकों ब्यौरों सिद्धमक्ति नंदीश्वर पूजा एकीमावरतीच भाषा
पाद हीरानंद चतुर्विशति स्तोत्र
संस्कृत लब्धिविधान पूजा
हिन्दी पंचसंग्रह माषा
। । । ।
। । । ।
पदसंग्रह
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[ संग्रह २६२६ गुटका नं० ३२१ । पत्र सं० १०२ । साइज-5x६ इन्च । लेखनकाल.---. १६६८ सारण बुदी ११ । तापूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-जीर्ण । वेष्टम नं० २६१४ । विषय-सूची की का नाम
माषा
विशेष श्रीपालरास अझरायमल्ल
रचनाकाल १६३. २६२७ गुटका नं. ३२२ । पन सं. = | साहज-६६x४५ च । सनकाल-सं. १८५४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५२६ ।
२६२८ गुटका नं. ३२३ । पत्र सं . ७५ ! साइज-१०x४ व ! लम्बनकाल X । अपूर्व एवं अशुद्ध । दशा-जीर्ष शीर्ण | वेटन नं. २५१० ।
विशेष-कोई उन्लेखनीय सामग्री नहीं है ।
२६२६ गुटका नं. ३२४ । पत्र सं. १४६ । साइज-८४४३ लेखनकाल X । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. २५१ . ।
विशेष--गुटके में मनन व पूजा संग्रह है।
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ग्रन्थकार सूची
अकलंकदेव
अहहमाण ( अब्दुल रहमान )तत्वार्थराजवार्तिक १३१,३८६
संदेशरासक २८० श्रावकग्रायश्चित १०२
अनन्तमहात्मा - श्रष्टशती १६३
संस्कृत मजरी ७२ अखयराज श्रीमालविषापहारस्तोत्र भाषा ११
| अनन्तवीर्य
प्रमेयरत्नमाला एकीमाव स्तोत्र माषा ४६ कल्याणमन्दिरस्तोत्र भाषा ४७, २९१ | अन्नभट्ट
३६४ | तर्कसंग्रह १६५ चतुर्दश गुणस्थान भाषा १११ मक्तामरस्तोत्र भाषा ३७१
सारस्वतसूत्र २८ अक्षयराम
सारस्वतप्रकिया २७, २६१, ३२७ शीलतरंगिणी २३
अपरादित्यदेवप्रतिमासान्तचतुर्दशीव्रतोद्यापन पूजा ६२
याशककीय धर्मशास्त्र प्रय१६. सौख्यकारणवतीधापनमंडलविधान . | अप्पय दीक्षितनवकारपंचविंशतिका ३१३
कुवलयानन्द २७६ सौख्य उपापन पूजा १८
अभयचन्द्रगीत ३२१
पार्श्वनाथपूजा ६२ अचलकीर्ति--
गोमट्टसार जीवकार टीका १६ विषापहारस्तोत्र भाषा ५२, ५४, ८६, ११४, | अभयचन्द्रसरि. १०२, ३६६ ।
पंचदंडछत्रबंध २३६ अजयराज
श्रादिपुराण भाषा २११ चारमित्रों की कपा २६
पार्श्वनायस्तोत्र ८, ३६१, ३६१ अजित ब्रा
अभयनन्दिहनुमच्चरित्र २०, २३४,
अभिषेक विधि ५५, ११२, ३३२ हंसा मावना ३४२,
जैनेन्द्रव्याकरण टीका २५७
अभयदेव
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३६८
अभ्र देव
अमर कवि
अमर सिंह
व्रतोद्योतनश्रावकाचार 2
त्रिकाल चौबीसी कथा २३६
अमरकीति
असुरू
लब्धिविधान कथा २४०
षोडशकारण विधान ३६४
अमरचन्द्रसूरि
वेणीकृपाण २०७
अमितिगति
यमकाष्टक १०७
षट्कर्मोपदेशरत्नमाला २५४
जिनसह सनामस्तोत्र टीका २६७
-
श्रमरकोश ३०, २६६
अमरुकशतक ७
अमृत चन्द्रसूरि
अमृतप्रभसूरि
काव्यकल्पलता २४४
मांगीतुंगी स्तवन ३४४
पुरुषार्थसिद्धच पाय ८,१३४, ३८४
तत्त्वार्थसार १३३
पंचास्तिकायटीका ४२
समयसारकलशा ३८५, १०६
योगशतक ३३
धर्मपरीक्षा ७० ३२२
प्रवचनसार टीका १८३
सुभाषितरत्न संदोह २
भावना बत्तीसी, ३८६
श्रद्देव—
अशग ( महाकवि )
अश्वनिकुमार -
अश्वघोष -
असवाल
श्रानन्द
श्रभिषेकविधि ४५, ३५० ३७४,
महाशांतिक विधि ३६३,
आनन्दकवि
आलूकवि
आनन्दनाथ
आशांधर
शांतिपुराय २१७
द्विजवदनचपेटा १३
आणंदा ७८१ ३५८
सन्निपातकलिका ३५
पार्श्वनाथ चरित्र २२४
कोकसार २०२, ३३५
कोकमंजरी ३३५
योगिनीहृदयदीपिका २०५
द्वादशातुप्रेक्षा ३३३
अंकुरारोपण विधि १३
अभिषेक विधि ५६, २०२
जिनसहस्रनाम ७५, १२२,२६६,३३४, ३४१,
३६०,३६३, ३६४,३६५, ३६८, ३७२, ३८४
अनगारधर्मामृत १४८
इष्टोपदेश सटीक २६४
स्तोत्रीका ३०६
जिनस्नपन
विस्मृतिशास्त्र
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388
जिनकल्पमाला ३६१
एमोकार पैतीसी पूजा ६. पंचकल्याण क्रमाला ३६४, ३६५, ३८५
रत्नत्रय पूजा ६५ स्वस्तिमंगलविधान ३७८
कनक कुशलसागारधर्मामृत, ६, १७३
जिनस्तवन टीका २७ सिद्ध मराजः ६.
| कनक सोमदीदा परल २०१
आषादभूति मुनि चौपई ३४५ प्रतिष्ठासार २०१
कबीरदासइन्द्रनन्दि योगीन्द्र
सरोदा ७२ ज्वालामालिनीकल्प २७५
कबीर के दोहे ११, नीतिसार २६२, ३१२
कबीर वाणी ३७८ प्रायश्चित ग्रन्थ.३८७ .
सबद ३७८ इन्द्रवामदेव
कमलप्रभसूरि- त्रिलोक दीपक २८३, २०१५
जिनपंजरस्तोत्र ४५, १२३, २६५ उदयराज
कमलसंयमोपाध्यायसुमाषित बावनी ३४७
उत्तराभ्ययन टोका। मनप्रशंसा दोहा ३४७ उदयलाल
पार्श्वनाभरासो ५४ पदसंग्रह २६८
जोरावलि पार्श्वनामस्तवन १०६ समास्वाति--
| कल्याणवर्मातत्वायसूत्र २८, ८३, ८५, E६, १८२, १०६,
चमत्कारचिंतामणि २५० ११२, ११४, ११५, १३३, ३५०,
मालतम्म ३२
कल्याणकीर्ति
३.६६, ३६८, ३७१ ब्रह्म कृष्णदास
एकसंधि
जिनसंहिता १४
प्रायश्चितविधि १४, १२३ कक्कसूरि
धन्ना चउपई ३८२ . . कनककोति
अाहिकापूजा ५६ .. अष्टाहिकावतोद्यापनपूजा ५६ तत्वामसूत्र माषा ३
मुनिसुव्रतपुराण १७ कृष्णभट्ट
वृचि दीपिका १६६ कामन्दक
कामन्दकी नीतिसार २१२ कार्तिकेय (स्वामी)
स्वामीकार्तिकेयानुप्रेक्षा १६०, ३३३, ३४६, ३५२, ३८६,
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________________
४००
स्यणसार १६१,३८६, श्रष्ट पाहुड ३८२,१७५, ३४७ प्रवचनसार १८२, ३८६ षट पाहुइ १८४,३३२,३६४,३८४,
कानदास---
विहार काव्य २५४ कालिदास
कुमारसंभव २४, २४४ मेघदूत २५, २५१ रघुवंश २५, २५२ श्रु तत्रोध ४२, ११५, २४७ नलोदय २४५
दुर्घट काव्य २६६ काशीराज- .
अमृतमम्जरी काशीनाथ
धातुपाठ २७
समयसार १८६,३८६,
द्वादशानुप्रेता ३६० कुमारिल भट्ट
मीमांसावार्तिक १६१ कुमुदचन्द्रकल्याणमन्दिर स्तोत्र ४६,१७,१०६,११२,
२६४,३३८,३४,१८५, कुलपति मिश्र
रसरहस्य २८० कुशल कवि
गुडी पार्श्वनाथ छंद ११ | केदार भट्ट
वृत्तरत्नाकर ४२, २७५, ३६५ केशव
रविव्रतकथा २२ अध्यात्म स्तोत्र २६३
घातु मंजरी २५८ शीघ्र बोध २८
किशन
नागदमन की कथा ३५८ किशनसिंह
पनक्रिया कोश ५, १५१
बावनी २८ किशोरगोपाल
कुदसियो ७१ कुन्दकुन्दाचार्य
दर्शन प्राश्त ४,१०८,१२३,१७४ नियमसार ४,१५५,३८६ पंचास्तिकावk,१४३, ३८६, १६५ लिंगपाहुड
श्रीगणक केशव
जातक पद्धति २७० केशवदास
रसिकप्रिया १००, ११७
रामचन्द्रिका केशवदास
गुणदिवेकवार ३४३ | केशवदास नयनसुख
वैच मनोत्सव १०१,३५
सूत्र प्राभूत चारित्र प्राभूत ६ शील प्राभृत १४६
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गणपति व्यास
वैद्यकसारसंग्रह ३४ गणेश देवज्ञ
गुहलाधव ३६, २..
जातकालंकार २७१ | महामुनि गर्ग
गर्ग संहिता शकुनावलि ३८ पाशाकेवली ७२
केशमिश्र---
__ तर्कभाषा १६५ केशव वर्णी
____ जिनगुण संपत्ति पूजा ३०६ केशवसेन
रोहिणीव्रतपूजा ६६, ३१६ रोहिग्यीव्रतोद्यापन ६६ पोडशकारणव्रतोद्यापन ६.
आदित्यनतकमा २३५ । कैयद--
पाणिनीय भाभ्य २५% श्री कोंडभट्ट
वैयाकरणभूषणसार २६० क्षमास
द्विपंचासिका ११ खड्गसेन
त्रिलोकदर्पणकया ४३, २६५, ३७७ सहस्रमुषित पूजा ३१०
गुणकीर्ति
चित्रसेन पद्मावती चरित्र १७ गुणनन्दि--
पद संग्रह -६ ऋषिमंडल पूजा ३१६
गुणभद्राचाय
श्रात्मानुशासन १०, १७६, ३८४ उत्तरपुराण २१२ जिनदत्त चरित्र २२० धन्यकुमार चरित्र १२३ शान्तिनाचतवन ३५६
मेगुगभद्र
अनन्तत्रतोचायनपूजा ५५ मोक्षसप्तमी कमा २४.
खुशालचन्द काला
उत्तरपुराण भाषा १५, २१३ पद्मपुराण भाषा १६, २१ हरिवंशपुराण १७, २१९ धन्यकुमार चरित्र १८, २२२, २६३ ज्येष्ठजिनवरबत कया २१ प्रतकथाकोश २२ यशोधर चरित्र ३६७ कथा कोश ३७० .
सुभाषितावली भाषा ३७० खुशालचन्द पल्लीवाल
नेमिचन्द्रिका २३७
गुणभूषण
श्रावकाचार माषा ११
त्रिलोकदीपक २८५ गुणाकरसूरि
सम्यक्त्व कौमुदी २०१
गुलाबचन्द
कक्कापैतीसी ४३
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________________
४०२
गुलाम मुहम्मद
स्तोत्रय नीति के पथ ३०६
सम्मेदाचलपूजा ६८
गंगाराम
गंगेन्द्रि
घकोश ३७३
घटकप्पर
घटकप्पर काव्य ७१, २४५ चण्ड कवि
भारत व्याकरा २५६ चतुर्भुज-- , अमरूक शतक टीका २७
ब्रह्मा गुलाल
बेपन किया ७
समवशरण स्तोत्र ब्रह्म गोपाल
पंचकल्याणपूजा गोरखनाथ--
गोरखनाथजी से सबद ३..
गोरख दोहावली ११ श्रा० गोबिन्द
अजितशान्तिस्तोत्र टीका पं० गोबिन्द
पुरुषायांनुशासन १५६ महामहोपाध्याय श्री गोविन्द -
काव्यप्रदीप २७८ गौतम मुनि
न्यायसूत्र १६ गौतमस्वामी
ऋधिमंडल ४६, १२., ३०२ यति प्रतिकमण १६ वृहत् प्रतिक्रमण १७३
संबोध पंचाशिका २८५ गंग कवि
छप्पय १०६ गंगदास
त्रिभुवननी विनती ३८० पं. गंगादास
पुष्पांजलियत पुजा ६३
क्रोध गोत ३३. चन्दकवि
रामायण ३२: | चन्द्रकीर्ति
सिद्धस्तवन ५३ सिद्ध जयमाल ३१८ रविनतोपाख्यान ३७६ नंदीश्वरपूजा ३७८
पंचमेरुण्जा ३७६ | चन्द्रकीर्ति सूरि--
सारस्वत दीपिका २६१ चन्द्रमौलि
कार्तवीर्यकवच ३८ चन्द्रशेखर शास्त्री
ज्वालामालिनी कल्प माषा २७५ चर्पटनाथ--
चर्पटजी के सबद ३८०
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________________
waandon
चरनदास--
ज्ञानवरोदय ३६,३९१,३७६
चाणक्य
| जगन्नाथ
सुखनिधान ११ केवल मुक्तिनिराकर श १५२
शिवसाधन नाम ३३३ जगन्नाथ ( पंडितराज)
__ मामिनी विलास २५१
नीतिशास्त्र ४५ वृद्ध चाणक्य नीति शास्त्र८३,३८८, राजनीति शास्त्र.५, २६३ लघुचाणक्य ११६
जगतराम
चामुसराय
चारित्रसार ७, १५२ ज्यरतिमिरमास्कार ३१ भावना संग्रह -३
पद संग्रह १०८
पद्मनंदि पंचविंशति भाष! १५३ जगदीश
बारह भावना ११२ जगत शिरोमणि
पद व मजन ६ जमाल कवि
जमाल के दोहे १०४ जयकीर्ति
शीलोपदेशमाला ३६२, ३८१ भवदेव चरित्र ३७६
मुनि चारित्र भूषण
महीपाल चरित्र चारित्रवर्धन मुनि
कल्याणमन्दिर स्तोत्र टीका ४७ नैषध चरित्र टीका २४ रघुवंश टीका २५२
सूक्तिमुक्तावली टीका २६१ चेतनदास
तत्त्वार्यसूत्र माषा १२६ चैनसुख
अकृत्रिम चैत्यालयपूजा ३०.
जिनसहस्रनामप्जा ३१० छीतर ठोलिया
होली चरित्र १०,
जयकृष्ण
सिद्धान्त कौमुदी टीका २६४
जयचन्द्र छाबडा
वत्त्वार्थसूत्रमाषा १३६ द्रव्यसंग्रह भाषा १४१ सर्वार्थ सिद्धि माषा १४६ प्रष्ट पाहुड भाषा १७६ समयसार माषा १६० स्वामी कार्तिकेयानुप्रेक्षा माषा १६२ प्राप्तमीमांसा माषा १६३ देवागम स्तोत्र माषा १६६ प्रमेयरत्नमाला मात्रा १६
कवि छीहल
पंधीगीत १५, ३७४ बावनी १०५ यात्मप्रतिबोध जयमाल ३६५
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________________
........
..
-
-in-
alesma
n
४०४
ज्ञानार्णव भाषा २०४
| जिनदत्त सूरिपदसंग्रह २१८
विवेक विलास भक्तामरस्तोत्र भाषा ३०१
जिनदाससामायिक पाठ भाषा ३०५
विषापहार स्तोत्र भावा ११२ जयदेव
भूपालचतुर्विंशति माषा ३.२ गीतगोविन्द २४५
सुगुरु शतक ३०५ जयदास
पांडे जिनदाससुश्रुतसंहिता टीका २६६
जन्बुस्वामीचरित्र १५, ७३, ४, जम्बूकविजिनशतक पंजिका २६६
होलिकाचरित्र २०, २४३ जयमित्रहल
जखडी ८३,३८५ __ अर्द्धमान काव्य २५३ .
जोगीरासो ८३, ६५, १०२, ३६६, ७१ जयराम भट्टाचार्य
अकृत्रिम जिन चैत्यालय पूजा
ब्रह्मजिनदासकारकवाद २५७
गुरुपूजा ५८ जयशेखर सूरि
जम्बूद्वीपपूजा ५१ त्रिभुवन दीपक प्रबंध २४६
हरिवंशपुराण २१८ संबोध सत्तरी ३६२
जम्बू स्वामि चरित्र २२० जय सागर
नेमिनायस्तवन ३३१. सुदर्शन अष्टी छप्पय ३४०
मिथ्या दुकड ३३॥ जयसिंह सूरि
गीत ३४४ प्रमाणनिर्णय १५८
होलोरास ३१ जयानंद सूरि
धर्मपरीक्षारास ३७६ जिनस्तवन २१७
ज्येष्ठ जिनवररास ३६०
| जिनदेव- . ज्वालाप्रसाद बख्तावरसिंह
मदनपराजय २५ प्रझम्न चरित्र माषा २२५ ।
२५ जिनप्रभजवाहरलाल
सरस्वतीस्तोत्र ४८ समवशरण पूजा ३१८
दोषापहारस्तोत्र ४८ जिनचन्द
जिनराज सूरिजिनस्तोत्र १०३
नैषध चरित्र टीका २४८
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जिनवरदास
चित्रबंध दोहा ११५ ज्ञानमयोदय नाटक २५६
पद्मनंदिपंचविंशति ।
मावदीपक १६४ जिनलाभसूरिचतुर्विशति जिनस्तुति २६५
वान समुद्र १७६
प्रवचनसार १८३ । जिनवल्लभ सूरि
प्रीतिंकर चरित्र :४५ संघ पट्ट २५५ वीरस्तवन ३०२
जाँहरीलाल। जिनसिंह सूरि
चेतन विलास १७६ शालिभद्र चौपई ५१०, २३४, १६५
निदेह नेत्र के बीस तीर्थकरों की पूजा | जिनसेनाचार्य
ज्ञानमेरु मुनि. हरिवंशपुराण २१५
कविमुखमंडन : जिनसेन
जानकीर्ति ( भट्टारक) नेमिनाथरास २२४
यशोधर चरित्र १ | जिनसेनाचार्य ( वीर सेन के शिष्य )
ज्ञानभूषण ( भट्टारक) श्रादिपुराण १५, २०६
तत्वज्ञानतरंगिणी २, १३३
ऋषिमंडलपूजा ५५ जिनसहस्रनाम ४७,
सरस्वतीपूजा ५४ ३६४, ६७८, ६
पोषह रास ३३. मायश्चित विधि १२३
जिनस्तुति जिन संहिता २०.
षट्कर्मरास ३७६ जिनहर्ष सूरि
ब्रह्म ज्ञानसागरमंगल गीत १४
हनुमतरास ३८० जीधराज
ज्ञानेन्द्र सरस्वतोअनितस्तवन ४६
सिद्धान्त कौमुदी टीका २६४ श्री जैन
टीकमहरिवंशपुराण माषा ३१६
चतुर्दशी कथा २३६ जैतराम बाफना
चन्द्रहंस की कथा २१६ जैतराम विलास २१
देकचन्द्रजोधराजगोदीका
पंचपरमेष्टिपूजा ६४, ३१४ सम्यक्त्व कौमुदी २२, ०४, २४२ । कर्मदहन पूजा ३०८
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-
.
तीनलोक पूजा ३०
| त्रिभुवनचन्द-. सनगिणी ७२
अनित्य पंचासिका ४ महापंडित दोडरमलजी
त्रिमल्लक-- मोक्षमार्ग प्रकाश, १६
द्रव्यगुणशतश्लोक ३१ गोमसार मापा १३०
त्रिलोचनाचार्यगोमट्टसार संदृष्टि
गौवद्धन सप्तसती टोका २४३ संदटि लम्धिसार क्षपणसार १४६ । ज्ञानानंद श्रावकाचार १५५
। थानजी अजमेरा
धानविलास ३२३ पुरूषार्थ सिद्धय पाय भाषा १६० दण्डीलब्धिसार क्षपणासार १५०
| কালাদা ২৬৪ यात्मानुशासन मापा १७
ब्रह्म दयाल त्रिलोकसार भाषा २४ ठाकुरसी
पद . पावनायशकुनसत्तावीसी८०
दशरथ निगोल्यागुगा बेलि
धर्मपरीक्षा माषा ३२८ नमिराजमति वेलि ३४२
| दामोदरसालूराम
संगीतशास्त्रसार ३२० अदाईद्वीपपूजा ३०,
| महाकवि दामोदरद्वादशांग पूजा ६११
ऐमिणाहचरिउ २२१ पंचपरमेष्ठी पूजा ३१४
दिवाकरपंजपरमेष्ठी गुणस्तवन ३६४
दिवाकर पद्धति २७२ द्वादशानुप्रेक्षा नेमिपार्श्वनाथ पूजा ३७०
दिव्यादित्वाचार्यसतह
सप्तपदार्थी २०० पंडित जयमाल ३११
। ब्रह्म दीप--
नाम माला १०० तिलोकचन्द
दीपचन्दकासलीवालपद८६ तुलसो--
चौदह गुणस्थान चर्चा (हिन्दी) सोहिणी व्रत विधान १०८
अध्यात्मशानदर्पण ५३
चिदविलास ७३, १५३ तेजपाल
अनुमवप्रकाश ७३, १४८, ३७० संभवणाहचरिउ १३३
विनती
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दुर्गसिंह
दुलीचंद
देल्ह
श्रात्मावलोकन १५= स्तुति ३५६
कातन्त्र व्याकरण महावृति २५६
देवनन्दि
देवनन्दि
चवीसी ३.७२
उपदेशरत्नमाला १५०
जैनागार प्रक्रिया १५५
धर्मदास दुलीचन्द्र का पत्र व्यवहार १५५
बाईस अभक्ष्य १६३
ज्ञानप्रकाश विलास १७६
विवाह पद्धति २०८
अत्रिम चैत्यालय वर्णन २६२, २०७ जैन यात्रा दर्पण २-३
मंदिर के शिलालेखों की मात्रा ३१६ हरसुखराय के मंदिर देहली की मयसूची
३१ε
मंदिर निर्माण विधि ३२६
सिद्धप्रियस्तोत्र ५३, ११२, ३३२, ३४४, २४६
४५७, ३५, ३६८, ३६१, ३६३, ३६५
जैनेन्द्र व्याकरण २५७
देवराज मुनि
लब्धिविधान उद्यापन ६ ६
रोहिणी विधान कथा २४० गर्भण्डार चक्र २७०,
देवसुन्दर सूरि
३४२, ३४६, ३७१
वैराग्यबाद ३६१
षट्दर्शनसमुच्चय वृत्ति २००
देवसेन
दर्शनसार ४, १२५, ३४६,३३६
श्रापद्धति १२, ८०, १६४
आराधनासार १४६, २४२, ३४५, २५६, २६
३०२, २७०३८६
भावसंग्रह १६५
नयचक १३६, २८६
तत्वसार ३३३, २४४, ३५६, ६२,
पं० देवीदास -
प्रवचनसार भाषा १८४
देवेन्द्रकीर्त्ति (भट्टारक )
गणि देवेन्द्र कौत्ति
चन्दनषष्टिकथा २१
व्रतकथाकोश २२
कवलचन्द्रायणपूजा ५७
कल्याणगुणमाला ५७
जिनसम्पत्तिमतपूजा ५ग्रेपन क्रियाविधान ६३ रवित्रतपूजा ६६
चन्द्रायणमत पूजा ३०६ द्वदशनतमंडलोद्यापन ३११
प्रद्युम्नप्रबन्ध २२६
व्रत कथा २४०
श्री देवेश्वर ( वाग्भट्ट सुत )
कविकल्पलता २१८
૩૦૭
पं० दौलतरामजी कासलीवाल -
३८४
तत्वार्थ सूत्र टव्वा टीका ( हिन्दी ) ३
चौबीस दण्ड ७,११, ३३६, ३६६
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________________
४०८
संगही दौलतराम -
द्यानतराय-
धनंजय ----
विधानरासी १७२
विदेहक्षेत्रपूजा ६४
वैराग्य जखडी ११
पंचमेरूपूजा ६४
धर्मविलास १०, ४२४
विवेकविलास ११ पुण्याश्रवकमाकोश
२१, २३८
छहटाला १०१
त्रेपनक्रियाको १४६
अध्यात्म बारहखडी १७५
श्रादिपुराणमाष ।
१५, २१ पद्मपुराण भाषा
१६, २१५ हरिवंशपुराण १७, २१८ श्रम तीसी ३६४
सिद्धपूजा ३६६
भावना ७६
संबोधपंचासिका ८, ३६६
पार्श्वनाथ स्तोत्र ८५, ४१
बहदाला
१०१
समाधिमरण १०१ पदसंग्रह १०४, ३७०
उपदेश शतक २८६
चरचा शतक १३१
धानत विलास १२३
श्रष्टाडिका पूजा ५६
विषापहारस्तोत्र १,६६, १०७, ११२, ३०५
धनपाल -
धनेश्वर भट्ट
धर्मचन्द्र (मंडलाचार्य)
धर्मदास --
दिसंधान काव्य २४७
नाममाला २६७, ३३२, ३४१, ३०
यिदत्त चरित्र २०७
धर्मचन्द्र मुनि-
० धर्मदास
धर्मदेव
पंद धर्मधर
धर्म भूषण --
सारस्वतप्रदीप २६३
विमुखमंडन २५४
समाधि ३४
शांतिक पाठ ३२६
जिनसहस्रनाम पूजा १०६
गौतमस्वामी चरित्र १७, २२०
नागकुमार चरित्र २२३
पं० धर्मसेन -
सहस्रनाम पूजा a
चक्रपूजा ३१२
भूषण (अभिनव )
२३६ २०६८
धवल महाकवि -
विश्वलोचन २६८
सहस्रनामपूजा ६६ न्यायदीपिका १६७
धर्मचक्र पूजा ३१२
हरिवंश पुराण २१७
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________________
४६
कवि घेल्ह
नेमिनाथ की बेलि ३४१ धामा
शांतिक समस्तविधि ६७ । धीर्यराम
चिकित्सासार ३१ पं. नकुल
सालिहोत्र ३५
| नरेन्द्रकीर्ति
सागर प्रबंध रास २३३ | नरेन्द्रसेन
प्रमाण प्रमेय कलिका -
रत्नत्रय पूजा ३५५, ३३ नयनसुख
वैद्यमनोत्सब ३४ ५० नरदेव
श्रीपाल चरित्र २३१
चतुर्विशति तीर्थकर जयमाल ३५७ नरसेनदेव
सिद्धचक्रकका २३ वद्ध मान कथा २२६
नथमल
अष्टाहिका कप। २०, २३५ स्तोत्र महात्म्य ८५ महीपाल चरित्र भाषा २१७
नथमल लाल चन्द
भक्तामर स्तोत्र कया ३०१ सिद्धान्तसार दीपक १४७ जीवन्धर चरित्र माषा३:१ नागकुमार चरित्र भाषा ६२४
| नवरत्न
नवरत्न कविन ८७ जिनपच्चीसी ३६०
नवल
नन्ददास
अनेकार्थमजरी २१
मानमंजरी २६८,
नन्दलाल--
गूढविनोद ७६ नंद्याचार्य
पार्वाष्टक ३८५ नन्दिगुरु
प्रायश्चितविनिश्चयवृत्ति १४, १६२, ३८४ | नन्दिषेण
अजित शांतिस्तवन ४६ नरपति
नृपतिजयचा २७२
जयपच्चीसो ३ स्तुति संग्रह पद संग्रह ३४२
बुद्धि विलास ३८८ | नागचन्द्रसूरि
पंचस्तोत्रटीका ४६ नागोजी भट्ट
परिभाषेन्दु शेखर २५ श्री नानूराम
पिंगलछन्द शास्त्र २७६ नागराज
भावशतक २
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. .
नाटमल्ल
पंचग्रह १४१ .. शात धर दीपिका २६:
लघसार १४७, ६ नाथू
गोमट्टसार चर्चा ३५८ प्रादिनाथ स्तोत्र भाषा ३४२
गुणस्थानगाथा ३७४ नारचन्द्र
ब्रह्म नेमिदत्तनारचन्द्र ज्योतिष शास्त्र २७२
धर्मोपदेश श्रावकाचार - श्री नारायण भट्ट
नेमिनाथपुराण १५, २१४ चमत्कारचिंतामणि ७०
श्रीपालचरित्र १६, २३१ नेमिबद्र
धर्मोपदेश पीयूष १५६ द्विसंधान काव्य (टीका) २४७
सुदर्शन चरित्र ३३४ नेमिचन्द्रजी बख्शी
आराधना कथा कोष २३५,१ पदसंग्रह २६८
नागधी कया २७ नेमिचन्द्र भण्डारी
धन्यकुमार करिव २२५ सिद्धान्तसार १४७
: प्रीतिंकर चरित्र २२६ सिद्धान्त धर्मोपदेश स्नमाला १७४ नित्यनाथसिद्ध-: . पाठशत प्रकरण २७
रसरताकर ३३ साठिसया ३५
| नीज कण्ठनेमिचन्द्राचार्य
शब्दशोमा २६. गौमसार कर्मकाण्ड :, १२६, ३४६, |
ताजिक शास्त्र टीका २७१ ३१०, ३८६,
वर्ष तन्त्र २७३ , जीबकाण्ड १२८
शिवताएडवीय ३२६ फर्म प्रकृति २,१२६, ३५६,३६०,३७४
नृसिंहाचार्य-- द्रव्यसंग्रह ३,७४, २१५,३५०,३६७,
प्रक्रिया कौमुदी २५६ भावत्रिभंगी५,१४४
भी पतंजलिचौबीसठाणा चर्चा ६, १५३
पातंजलि महा भाष्य २५८ त्रिलोक्सार ४२, २८३, ३.७२, ६,
योगशास्त्र ३८७ भावसमह..
| पंकजनन्दिपासवत्रिभंगी १२५
यतिमानाष्टक ३८३ तपणासार १२८
| पंचानन भट्टाचार्यत्रिमंगोसार १३६
भाषा परिच्छेद १
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पद्मप्रभ सूरि
पद्मनन्दि ( आचार्य) धर्मरसायन ७, १५५, ३८५
मुक्नदीपक २७३ जिनवरदर्शन स्तोत्र ६६५ पद्मप्रभमल धारिदेवपद्मनन्दि (मुनि)
नियमसार टीका ३५७ पअनन्दि श्रावकाचार ८, १७२, ३६० पद्माकर कविदेवशास्त्रगुरुपूजा ३६५
ऋपय १०६ रत्नत्रयपूजा ३६५ भावना चौतीसो ३७२
पन्नालाल चौधरी
योगसार १५ सारक ३७२
तेरह पंच खंडन १५ पद्मनन्दि
सदमाषितावली २८७, पचनन्दिपंचविंशति ७१, १५७, ३६५,
धम परीक्षा भाषा ३२२ करुणाष्टक १०७, २८६
परिमल्लएकत्व सप्तति १५०
की चरित्र १६, २३१, ३-१ परमात्मराज स्तोत्र ३१६
परमहंस परिव्राजकाचार्यजिनवर दर्शन ३६१
मुहुर्च मुक्तावली २७३ भावनाचतुर्विशतिका ३३ लरमीस्तोत्र ३८५
पर्वतधर्मार्थी
ग्य संग्रह भाषा १४१ गुर्वावली ३-५
सनाधितन्त्र माषा २०६, ३७६, ३८६ वीतराग स्तोत्र ३८५ यतिमावनाष्टक ३६
| पांडनकायस्थ पद्मनाभ
. पांडव गीता १२० यशोधर चरित्र २२६
| पाणिनीपद्मसिंह
____ अष्टाम्पसी सूत्र २५६, ३८७ झानसार ३८५
। पात्र केशरीपद्मसुन्दर
स्तोत्र ३०७ . शातिनामस्तवन ३१
पार्श्वचन्द्र सूरिपार्श्वनाथ चरित्र २२४ पद्मप्रभदेव ---
पारसदास निगोत्या -- लक्ष्मीस्तोत्र ५१, ३०२, ३३५, ३३८, १४८
पार विलास १८ पार्श्वनाथ स्तोत्र २६६, ३५, ३८
ज्ञानसूर्योदयनाटक भाषा २५६
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४१२
पासचन्द्र-
पीथल
पुंजराज -
पुष्पदन्त
पूज्यपाद
कृष्णरूपमणि विवाह वेलि ३८६
पुण्यराज गणि
पुण्यशील गणि
साधुबंदणा ३४५
पूनो
सास्वत टीका २६३
पूनमचन्द
होली पर्वका २४
पूर्णचन्द्राचार्य—
चतुर्विंशति जिनस्तुति २६४
श्रादिपुराण २००
उत्तरपुराण २११
नागकुमार चरित्र २४०
यशोधर चरित्र २५१
सर्वार्थसिद्धि
समाधिशतक १२, १०७, १४६, २०७
जैनेन्द्रव्याकरण २७, ३८५
उपासकाचार १५०, ३४६
समाधितन्त्र ३५६
इष्टोपदेश ३५८, ३६४, ३८१, ३०३, ३८६
पंचपरावर्तन प्रकरण ३७४
उपसर्गइरखस्तोत्र ४६
पंचवर्णतेईसा ३४०
मेघकुमार गीत ८३
| पृथ्वीनाथ
प्रतापकीति
प्रभाचन्द्र-
सवाई प्रतापसिंह
पृथ्वीनाथओं के सबद
प्रम सोनी
त्रेपन क्रियाविधि
पं० प्रभाचन्द्र
सुपाश्वस्तवन १०६ तत्त्वार्थरत्नप्रमाकर १३२
भ० प्रभाचन्द्र
श्रृगार मंजरी १००
वैराग्य मंजरी १००
तत्वार्थसूत्र १२६
द्रव्य संग्रह टीका १३६
क्रियाकलाप १५१, ३३२
प्रमेयकमल मार्च एड १६८
जातकसार १११
राधागोविन्द संगीतसार ३२०
श्रादिपुराण टीका २०६
उत्तरपुराण टिप्पण २१२ रावणपार्श्वनाथस्तवन १०६
स्वयंभू स्तोत्र टीका ३०६
कलिकुडपूजा ५७
गणधर वलयपूजा ५८ सिद्धचक्रपूजा ६६
फतेहराम लुहाडिया -
प्राणीडा गीत १२४
स्तोत्र संग्रह ५४
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________________
४१३
२:मयसार नाटक. १८, १६.
वखतराम
बुद्धिविलास ७२ मिध्याव खंडन १६५, ३८८
३४८, ६५०, ३५३,
बंशीधर
द्रव्यसंग्रह टीका १३६
चावनी २८ बनारसीदास
जिनसहस्रनाग भाषा २६.७ अध्यात्मबत्तीसी १०, १
सारबावनी ३२७ बनारसीसंग्रह ११
ज्ञानपच्चीसी ३३१,३४०, ३६ समयसार ११, ४, ६२, 1०२
बनारसी पद ३५२ ४६, ३५६, ३७१, ३४
शारदाष्टक २६ | बलरामसिन्दूरप्रकरण ४४, ६४४, ३५२
मंदिरों को वंदना ३५४, ३६४, ३८
बसन्तराजबनारसीविलास ७३, ३२४, ३३३
मधमालती कथा ३५१ ३३६, ३४७, ३४६
बसन्तराज३६३,६७६, ३-२
बसन्तराजशकुनाव ल ३७ कर्मप्रकृतिविधान ८०,३५२,३७०
बहुमुनिसाधुवन्दना ८३
सामाणिकपाठ '५३, ३० कल्याणमंदिरस्तोत्र ८४, ८६,७, ८६,१०६,१११,११४,३३० बालचन्द्र सूरि
गुरूगीत १ शिव पच्चीसी ध्यान बत्तीसी
बिहारीदासबनारसी दोहावली ११
जखडी ४० फर्म बत्तीसोह
मनरामविलास ६. धर्मधमाल :
बिहारीलालअध्यात्म पैडी ६१, ३३३, ३६५ .
विहरीसतसई २५, १०, २५४ मोदपैडी ११०, ३३६, ३७१ | घोहल्लमवसिंधु चतुर्दशी ११०.
पंच सहेली ह। मोहविवेक १८४, ३०, ३४६, बुधजन
वंदनाजखडी ५२
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________________
भकामरस्तोत्रोत्पति फया -1, संबोध अदर बावनी चहाला १०१, ११४, ३६१ पद संग्रह १०४ इष्ट प्रतीसा २४ योगसार भाषा बद्ध मानपुराण यूचिनिका १६ .. युद्धजन सतसई २६ संबोधपंचासिका ३३
चरचाशतक ३. बुलाकीदास
प्रश्नोचरोपासकाचार ८, १२ वचनकोश १४६
पाएडव पुराग २९६ कवि बूचा
चेतन पुदगल धमालि३४. ब्रह्मदेव
दव्यसंग्रह टीका १४.
दिनती संग्रह ३.३ ब्रह्मसेन
स्नत्रय पूजा भगवदानंद
शारीरिक भाष्य २०० 'भैय्या भगवतीदास
चंतनकर्मचरित्र १७ निर्वाणकांड भाषा ४८, ७४, ११२ सुवृद्धिचौबीसी ० वैराग्यपच्चीसी ३६. ब्रह्मविलास ३६६ मानबत्तीसी ३६४ बनजारा गीत ३७१
| भगवानदास
पद्मपरास २१६ कवि भट्टी
महीमट्टी३६ भट्टोजीदीक्षित
सिद्धान्त कौमुदी २६४ भट्टोजीभट्ट---
शब्दकौस्तुभ २८ भट्टोत्पल
घट्पं चासिका वृत्ति २५४ भद्रबाहु मुनि
नवमहरतोत्र, गृहशान्तिस्तोत्र १२३
भद्रबाहुसंहिता २७. श्री भद्रसेन
कलिका पंचमी कमा २३६
| भतृहरि
शृगारशतक २३ नीतिशतक ४, ८१, २६२ भत हरि शतक १.०, २८६, २६२
सबद३८०
भाऊ कवि
रविवार कथा ६१, ३४६ पार्श्वनाथ कथा ३५५
मागचन्द
शिखर दिलास १२
उपदेश सिद्धांत रत्नमाला १५० प्रमाण परीता भाषा १८ नेमिनाथपुराण २१४
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भानुकीति
रवित्रतकमा ७५ रोहिणी व्रत कथा २४०
। भुवनकीति
जीधररास ३७१ रात्रिभोजनवर्जनरास ३७६ जम्बूस्वामिरास ३७६
भानुजी दीक्षित
श्रारकोश टीका २६५
भूधरदास
भानुदत्त
रसतरंगिणी २७६ रसमंजरी २७६
पं० भानुमेरू--
| হাজির ऋषि भारद्वाज
अद्भुतसागर ३१
चर्चा समाधान २, १३१ जैनशतक १०, १, १६, ३६६ पार्षपुराण २४, २४६ एकीमावस्तोत्र भाषा ४६, २६४, ३६८ पंचमेरूपूजा८५ पद संग्रह १०४ भूपाल चौवीसी भाषा ११२ जखड़ी ३२३,३६६
भूपालकवि
भूपालचतुर्विंशतिस्तोत्र ५१, १०, ११२,
भारमल्ल
दर्शनकमा २३७ निशिमोजन कया २३७
शीलकया २४१ भारवि
किराताजनीय २४, २०४
भूषण
अनन्तवतोद्यापनपूजा ५५ भट्टारक श्री भूषण
हरिवंशपुराण २१८
मुनि भूषण
लक्ष्मीस्तोत्र टीका ५१
मक्खन
भावशर्मा
स्नपनटीका १४ न्यायसार १७ दशलक्ष पूजा ३११, ३३२ षोडशकारण जयमाल ३३२ सामायिक पाठ ३३२
त्रिंशश्चतुर्विशति पूजा ३६३ भास्कराचार्य
लीलावती सूत्र २६१ भीम
रूपसेन मुजापदे चरित्र २४०
अकलंक चरित्र २३५ मतिसागर
विधानुशासन २७६ मदनकोत्ति
सर्वप्रशासन द्वत्रिंशतिका ३८३
मदनराज
मानवावनी २८६
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________________
पदसंग्रह
मनसुख
| महेन्द्र कीत्तिशिखरमहात्म्य २४१ पन्नालाल
श्री महेन्द्रसूरिचारित्रसार मामा १५३
विचार सचरी १७२ पअनंदि पंचविंशति भाषा १५५
अनेकार्य संयह टीका २६५ मनोहरदास
माघधर्मपरीक्षा भाषा ७०
शिशुपालवध २४, २५४ ज्ञानचिंतामणि ७५,७८,११७,१२४,१७६ | माघनन्दिज्ञानपद १६
चविंशतिजिनस्तुति ४७ मम्मट
नीतिसार ३८३ काव्यप्रकाश २७८
वन्देतान जयभारत ३% मत हर सूरि
माणिक्यनन्दिलघु संग्रहणी सूत्र १७०
परीक्षामुख १६८, ३५६, ३८५. मल्लिनाथ सूरि--
| माणिकराजशिशपाल वध टीका २५४,
नलदमयन्ती चरित्र ३२ भ० मल्लिभूषण
माणिक्यसूरिरात्रि मोजन कथा २४०
शकराजहंसराजकथा २३ मल्लिषेणाचार्य
शकुन सारोदार १११ भैरवपद्मावतीकल्प ४०
माधवाचार्यविद्यानुवाद ४१
माधवनिदान ३२ स्यावाद मंजरी २०१
| मानतुगमल्लिघेणसूरि--
भयहर पाश्वनाथ स्तोत्र ३६२ नागकुमार चरित्र १८ सज्जनचित्तवल्लम ३६०,३७३, ३८६ ।
मक्तामरस्तोत्र ४६,८२,१५,६,६६,१०७ महचन्द
११२,२६५,३३५,३३३,३३८,३४८ बारक्खरी दोहा २८७ गणि महिमासागर
मुजादित्य-- . श्राहंत चौपई : २१४
ज्योतिषशास्त्र ३६ महीधर
मेघ विजयमन्त्र महोदधि २५६
जैनेन्द्र व्याकरण टीका २५७
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________________
मेधावी
मा० मोतीलालजी संघी
मोहन
धर्म संग्रहश्रावकाचार ७,१५६
बावनी ११०
मोहनदास -
यशोनन्दि
योगदेव-.
स्वरोदय ७८
मुनि यशःकीर्ति
धर्मचक्र पूजा ३१२ पंजा ६४, २१४
युवराज प्रल्हाद
योगीन्द्रदेव
-
नैनमुख लुहाडिया का जीवन
२२०
हरिवंशपुराण २१७
चन्द्रप्रमचरित्र २४६
जगसुन्दरी प्रयोग माला २८
नोसार ३२४
श्रादित्यवार लघुकमा ४
धन्यकुमार चरित्र २२२
श्रधिक चरित्र २३२
पार्थपराक्रमयायोग २७
तत्त्वार्धसूत्र टीका १३५
परमात्मप्रकाश १०, ६६, १०, १००,
रद्दधू
योगसार २०५, ३३७, ३४४, ३४२, ३८४
३८७
दशलक्षापूजा ६०, २११, ३३८ सिद्धान्तार्थसार १४७
थाम संबोध काव्य १५६, ३७२
साह पुराण २१६
बृहत् सिद्धचक्र पूजा ३१७
मेघेश्वर चरित्र २२८
श्रीपाल चरित्र २३०
सम्यक्त्व भावना ३८७
दशलाक्षणिक विशेष पूजा ३६५
संबोधपंचासिका ३६
रघुकवि
रघुनाथ
रघुराम
रत्नचन्द्र
रत्नकीर्त्ति ( भ० )
रत्ननन्दि
रत्ननन्दि
रक्षाबन्धन पूजा ६५
रमंजरी भाषा २०
१८२, ३४४, ३६४, ३८७, ३६२ रत्नभूषण -
सामसार नाटक २५६
रत्नत्रयकमा ३६७
विमलनाथपुराग्य २१७ सुमौन चरित्र २३४
भद्रबाहुचरित्र १८, २२६
पल्यविधानपूजा ६२, ६३
तीर्थक्षेत्र जयमाल ७६ धर्मोपदेश श्रावकाचार १५५
??
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-
RAMANANVAR
| रामचन्द्र
रामविनोद भाषो ३३
| रामचन्द्र
४१६ रत्नसिंहमूरि
खंडवनि शिकावृत्ति १२%
संवेगामृतभावना १६० रत्नप्रभाचार्य
सनकावतारिका १६१ रभसानन्द
सम्बन्धीद्योत :२७ रविषेणाचार्य
सीता चरित्र २३३७०
पद्मपुराण १५, २१४ सजनचित्तबालम स्तोत्र 105
राज
उपदेश बत्तीसी ८६
राजऋप्य भट्ट
चमत्कारचिंतामणि ३६
राजमल्ल
लाटीसंहिता (श्रावकाचार) १.०
समयसार १२, १८ पंचाध्यायो १४२,
रामचन्द्र
चौत्रीसतीर्थकरपूजा ५६, ६ . , ३६ कर्मचरित्र बाईसी ८६ हनुमताष्टक ११२
बारहमासा ३८८ रामचन्द्र
प्रक्रिया कौमुदी २५६ मुमुक्षु रामचन्द्र
पुण्याश्रव कथाकोशं २३८, ३.६
धर्मपरीक्षा ३२२ यति रामचन्द्र
. अात्मशिक्षाशतक ३८६ रामचन्द्रशर्मा
सिद्धान्तचन्द्रिका ६४ रामचन्द्र सूरिरामविनोद - - 4
वर्षविनोद २४३ रामसेन
तत्त्वानुशासन १३६ ब्रह्म रायमल्ल
प्रथ म्न रासो ७३, ४, ६३ श्रीपाल रासो ७४, ३४४, ३६४, ३६५ .. सुदर्शनरासो ७, ८, ३६४ नेमीश्वररासी ७४ मविष्यदत्त चौपई ७४, ३४८, ३७६, ३७७ हनुमत कमा ७४, २४३
राजसिंह--
विक्रम प्रबन्ध
पार्श्वमहिम्न स्तोत्र राजसेन
पार्श्वनाथ स्तवन १०६
रामकृष्ण
ब्रह्मानन्द १८४ तृप्तिदीपिका ( टीका ) १६५
द्वैतविवेक पद योजना १६६ पं० रामगणि
____दशलक्षणवतोद्यापन पूजा ३६६
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४१६
सोलह स्वन ३०
लक्ष्मीदासभविम्यदत्त चरित्र १८
यशोधर चरित्र २२६ निदोष सप्तमी कया २३...
श्रोणिकचरित्र ३६७ रायमल्ल
लक्ष्मीवल्लभ गरिणभक्तामरस्तोत्र का ३, १५०,३०१
चौवीसदण्डक १५४ रूपचन्द
। भट्टारक लक्ष्मीसेनपंचमंगल ८०, ८५, ६४, ६१, ६.६, १०२, ।
कर्मचावतोधापन ५७ १०४, १०, ११४, २, ३३०, ३४०
श्रावकाचार १७२ ३४१, ३६५, ३७० / लक्ष्मीसेनदोहाशतक १
सप्तर्षिपूजा ६८ जखडी ६३, ३६५ .
ललितकीर्ति - दोहा परमार्थी ६१,३६०
कंजिकाव्रतीचापनपूजा छंद ११
लालचन्दगीत
षट् कर्मोपदेशरत्नमाला ५ पद ३४८, ३६५
मन ज्ञान का समाम ११६ सोलह स्वप्न फल ३४%
लीलावती भाषा २८२ स्तुति :२६
राजुलपच्चीसी ३६०, ३६६, ७ दोहावलि ३२५
लाल चन्द विनोदीलालपरमा दोहा शतक १८०
राजुलपच्चीसी ७२, ३३२, ४, रूपचन्द्र
सम्यक्त्वकौमुदी २४३ समवशरण पूजा ६८
लाललालजीपाण्डे रूपचन्द्र
समवशरण पूजा ३१७ विशेषसत्तायंत्र १४५
लोकसेनाचार्यरूपचन्द्र
दशलमपविधान ३०३ समयसार टीका ११ रुपचन्द बिलाला
लोलिम्बराज
. . भद्रबाहु चरित्र टीका २२६
वैद्यजीवन ३४ . . . . लक्ष्मीचन्द
लोहट- : .... - द्वादशानुता १८०, ३४६, ३५८
• १८ नातों का चौटाला =३ .. : लक्ष्मणाचार्य
वनकीतिसगीतरत्नाकर ३२०
रत्नावलि व्रतोद्यापन ६६
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बट्टकरस्वामी
मूलचर वप्पभट्ट
चतुर्विंशति जिनस्तुति
वरदराज
सारसंग्रह २०१
लघुसिद्धांत कौमुदी २६० वररुचि
योहासनास २६५
प्राक्त प्रकाश २५६ श्री वराह मिहर
वृहज्जातक २७३ चल्लम
शिशुपालवध टीका २५ वसुनंदि
श्राचारसार वृत्ति १४% उपासकाध्ययन १५० यत्याचार १६५, ३७ वसुनीदेश्रावकाचार १७०, ३८६, देवागमरतोत्र टीका ११६
प्रतिष्ठासार संग्रह २०१, ३८६ वर्तमान उपाध्याय -
किरणावली प्रकाश २६४ वर्द्धमान
मुणरत्नमहोदधि (वृत्ति ) २५७ भट्टारक वर्द्धमान देव
वरंग चरित्र २५३ वाग्भट्ट
वाग्भट्टालंकार ४२,२८० नेमिनिर्वाण २४८
| वाचस्पति मिश्र
___ सांख्य तत्व कौमुदी २०१ वादिचन्द्र
ज्ञानसूर्योदय २७, २५६ वादिराजएकीभाव स्तोत्र ४६, १०३, ११२, २०४,
३३८, ३४२, ३४८, ३६०, ३८५ प्रमाण निर्णय १६८ जिनस्तोत्र ३३३
यशोधर चरित्र २२८ वादीभसिंह- .
क्षत्रचूडामयिक : वामदेव
भावसंग्रह १६४ | वामनाचार्य
काशिका वृति२१७ विजयकीति
चन्दनषष्टिवतोचापन पूजा
औणिक चरित्र २३२ विजय तिलक
जीवविचार स्तोत्र ३६२ विजयदेवसूरि
शीलरास २३ विजयानन्द
क्रियाकलाप २५७
विजयसेन (सूरि)
द्वादशानुप्रेक्षा ३७२
अालोचना स्तवन ३१२ पुण्डरीक विठ्ठल
न न विचार ३२०
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४२१ । विद्यानंदनाथ
विश्वनाथ पंचाननसौमाम्य रत्नाकर २७६
सिद्धान्तमुक्तावली ३२७ विद्यानदि
विश्वनाथ योगीश्लोकवार्तिक १४५, ३८. .
तर्कदोपिका १६५ अष्टसहयी १६३
विश्वभूषणश्रातपरीक्षा १६३
पंचकल्याणक पूजा ६३ प्रमावीमा १६
' मानुषोत्तर त्यासय पूजा ६४ स्तोत्रटीका ६ विद्याभूषण -
मौनतउयापन पूजा ६५ भविष्यदसरास ३७६
निर्वाण मंगल ११२ ... बारह सौ चौतीस विधान,३८८ .
इन्द्रध्वजराजा ३०१ विनयचन्द्र
सिद्धकूटपूजा ६६, ३१८ चूनडीरास ३५१
कलशविधि १३ विनोदीलाल
इन्द्रध्वजपूजा ५७ बारहमासा ७३, ७८
मुनिविश्वशंभु-- राजुलपच्चीसो ७५, ८८
एकाक्षर नाम सालिका २६७ नौका बंध १.३
विश्वसेनसुमति कुमति को जलदी १२५
क्षेत्रपालपूजा ५८ भक्तामरस्तोत्र मात्रा २६
जिनशासनदेवपूजा ५१ विमलेन्द्रविक्रम चरित्र रात २३.
जम्बूस्वामि चरित्र २४६ विमलकीति
धर्मचकपूजा ३१२ सवनसंग्रह ३३२ विष्णुशर्मा
वीर देवाणपंचोपाख्यान ४५, २६२ .
महीपालकथा २० विष्णुसेन
.....बोरनाद-
... ES समवशरणस्तोत्र ५२, ३०२, ३७६, ३८५
चन्द्रप्रमचरित्र २४५ विषयसेन
7 | वीरचन्द्र मुनि-
*FFAIR . सुकृतानुप्रेक्षा ३३३, ३६५
सप्तव्यसनरास ३७८ -PTETRIE विश्वनाथ -
वीरसेन ( मुनि ) .... ताजिकशास्त्र २७१
प्रायश्चित शास्त्र १४. । .
वीर
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________________
--
-
-
E
-15:
४२२: वील्ह ( वल्हव )
गंगाष्टक १२० । नेमिनायवतु ३६६
प्रश्नोत्तररत्नमाला १२० नेमीश्वर को बंश ३७१ ..:.::.:.
परोक्षानुभाव ३१२ वुचराज- ... .....
| श्राचार्य शंकर-.
.. मदनस्म ३७६, १०
वृहदारण्यक टीका ३२५ वेणीदत्त शर्मा-- . ...
| भगवान शंकर-- . ": .. ::: : :रसतरंगिणी २६८
शारीरिक मीमांसा २०० वेदव्यासअन्नपूर्णास्तोत्र १२४... : ...
| शंखधर
लटकमेलक नाटक.४६.. पातंजल योग शास्त्र २०४१
| शबर स्वामीवैजलभूपति- -: ... ..
मीम सा भाप्य १६६ प्रबोधचन्द्रिका २५१ .::. वद्यनाथ- ... ... ..
शव कवि
जिनशतक पंजिका टीका ER: . काव्यप्रकाश टीका काव्यप्रदीप टीका २७८ .-::
___चन्दनषष्टियतोयापन है बोपदेव
शांतिदासधातुपाठावली २५% . ...... .... बोसरी
"बिषापहार स्तोत्र भाषा ५२
अनन्तनायपूजा : सायश्री टीका ३१६
... श्री शाङ्ग देववृन्द
संगीत रत्नाकर ३२० वृन्दसतसई ११०, १११, ११४ शाङ्गधरविनोद सतसई ३६४
-
शाम धर संहिता ३५, २६६ वृन्दावन
| शालिनाथचौबीस तीर्थकर पूजा ५६, ३०६
रसमजरी ३ शांतिनाथ पूजा ६७ व्योपदेव
#. धर्मसार १६६ FEE शप्तश्लोक वैद्यक २६६ - शिवकोटिशंकराचार्य
भगवतो आराधना २६३ श्रानन्दलहरी १२० . . शिवकीतिविप्रपराध स्तोत्र १२० .
मूलाचार ८ .. ....
--
शिरोमणि
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ने
मो
शिवकुमार
शिवदास -
शिवधर्मा
शिवादित्य -
कांजीची पूजा
वेतालपंचविंशति २२
शिवानन्दभट्ट
शीलभद्र -
कातन्त्र व्याकरण महावृत्ति २५६
ܐ
६० शीतलप्रसादजी
सप्तपदार्थी (डीका ) २.५०
वैद्यरत्न ३४
शुभचन्द्राचार्य
प
समाधिशतक माया २००
· इष्टोपदेश भाषा २९४
मुक्तावली कमा
34
शुभचन्द्र ( भट्टारक )
ज्ञानात्र १५, २०२, ३४६
३७२
प
पाण्डवपुराण १६, २१६
श्रोणिक चरित्र १२, २३१
श्रष्टाहिका या ४८
"सुभाषिताव ४४,२८
"स्वामी कार्तिकेयानुप्रेक्षा टीका १६१
A SORA
FREE 3
करकंडु चरित्र २२०
नंदीश्वर कथा २३७
सहस्रमुणी पूजा ६०, ३१८
जीवंधर चरित्र २२१
'पंचपरमेष्ठिपूजा ६४, ३१४, ३६५
कर्मदहन पूजा ३०८
त्रिंशच्चतुर्विशति पूजा ३१० ३=६
! शेखर -
कुंवर शेरसिंह -
श्री शोभन -
मंत्रौषध १११
श्रवण पंडित -
श्रीकृष्ण
अथ
: श्रीकृष्ण
श्रीचन्द्र
श्रीधर-
: श्रीकृष्ण गणक
पल्पविधान ३१४
साद्ध द्वयद्वीप पूजा ३१
त्रिलोक पूजा ३४६
वीरमदे की बात २२
"
चतुर्विंशति जिनस्तुति, २.६.५.
बटाला १०१
श्रीधराचार्य -
योगरत्नावली २६६
चेतन बत्तीसी
अपने
E
श्रीपति भट्ट -
रत्नकरराव शास्त्र १६७
श्रुतावतार २६, २५५
बीजगणित टीका २६१
हमीर
आपल
वज्रसूची उपनिषत् ७३
पं० श्रीधर - • लो
ܕܝܐ
सुकुमार्ले वैरिव ६ ला भविष्यदत्त वैरि
शुঅণর श
जातक पद्धति २७ 'ज्योतिषरत्नमाला २७१
ত
४२३
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________________
श्रुतकीति--
योगसार २०५ श्रतमुनि
भावसंग्रा १६५ त्रिभंगीसार १३७ भारत्रिभंगी १४८
श्रतसागर सूरि
तत्वायत्र टीका (संस्कृत) व्रतकथाकोश २, १३५ ज्ञानार्णव गप टीका २०४ अनन्तव्रत कथा २०,२३१ पल्यविधान व्रतकमा २:मेघमाला व्रतोपाख्यान २६१ सप्तपरमरयानक कथा ४१ यशोधर चरित्र २२८ शान्तिनाथ स्तवन :८५ जिनसहय स्तोत्र टीका २६७
अतस्कंध पूजा ३७ मकलकोत्ति--
भीश्वर गीत सिद्धांतसार १४७ .... सिद्धान्तसारदीपक १४५ मूलाचार प्रदीप १६६ उत्तर पुराग्य २१३ मुदर्शन चरित्र २३४ चतुर्विशति तीर्थकरतोत्र २१, मुक्तावली गीत ३३३ पार्श्वनाथ चरित्र २२४ प्रद्युम्नचरित्र २२६ वर्तमान चरित्र २२०
सुगन्ध दशमीकया ३६६ मुनि सकलचन्द्र
जिनेन्द्रभवन स्तुति ३६५ | सकलभूषण
उपदेश नमाला १८६ | सदानंद
सिद्धान्त चन्द्रिका वृत्ति २६, २६५
| परमहंस परित्राजकाचार्य सदानंद
वेदान्तसार १६
सदासुखजी कासलीवाल
तत्त्राथसूत्रभाषा १३५ भगवती पाराथना भाषा १६४
प्रश्नोत्तरावकाचार, १६० अादिपुराग्यु १५, २१. पाचपुराण 14 मल्लिनाथपुराण १६ धन्यकुमारचरिव 13, २२३ . यशोधर चरित्र १८, २२५, २२% शांतिनामचरित्र १८,२३. सुकमाल चरित्र ११, २३३. श्रीपाल चरित्र १६, २३१ भावनापंचविंशतिकमा २२ भाषितावलि ४४, ४४,२८८ आरधनापतिबोधसार ४६, ६४.
रत्नकरण्ड श्रावकाचार भाषा
समयसार माषा ११० अकलकाष्टक माषा २६३ देवसिद्ध पूजा ३१२
| सन्तदास-..
.
ब्रह्मध्यान ३५८
.
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________________
समन्तभद्राचार्य
सिद्धसेनदेवागमस्तोत्र १३, १२ः, १४३, ३५६ | सन्मतितर्क २०० ३६६,३८४
पार्श्वनाथस्तवन ३३७ स्वयंभूस्तोत्र ५३, ७७, ८४, ६६, ११५| महाकवि सिंह
प्रद्युम्न चरित्र २२४
३६४, ३८३ । सिंहनन्दि
रत्नकरण्डश्रावकाचार १६५ जिनशतक २६६, ३५६ उपासकाध्ययन ३-४
जिनमंगलाष्टक १२३
णमोकार कल्प २७५ पं० सुखलाल
सामायिक पाठ ३०५
समय सुन्दर
दानशीलतप मावना संवाद ६४ तमाबत्तीसी १४ बुश टीका २५२
सुखानन्द
पंचमेर पूजा
सुन्दरदास
सुन्दर भृगार १०३ पाखंड पंचासिका ३४६
समयसुन्दरोपाध्याय
भक्तामरस्तोत्रटीका ५० संवेगसुन्दर
सारसीखांमारास ३७६ सहस्रकीति
त्रिलेकसार टीका २८४
सुधासागर
पश्चकल्याणक पूजा ३६६
सागरगरण
मान मंजरी ३२६
सागरचन्द्रसूरि
इलापुत्रऋषिगीत २
सागरसेन
त्रिलोक्सार टीका २४
| सुप्रभाचार्य
सुप्पयदोहा ४३ ' प्रश्नदोहा ३३७
दोहावली ३८१ सुमतिकीर्ति
धर्मपरीक्षा ७० कर्मकाण्डटीका १२६ त्रैलोक्यसार टोका ३७४
रघुवंशटीका २५ सुमतिसागर
दशलक्षणव्रतोद्यापन पूजा ६० समस्ततीर्थ जयमाल १५
सायणाचार्य
माधवीयधातुवृत्ति २६०
सार कवि
चौबीसी जिन स्तवन ८४
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________________
५२६
जिनसहस्रनामपूजा ३६५
बृहन्षोडशकारण पूजा ३२ सुमन कवि
दूतांगद २७ भ० सुरेन्द्रकीति
अष्टाद्विका क्या २० कल्याणमन्दिा पूना ! नेमिनाथपूजा ३१ पुरंदरनतपूजा ६२ पंचकल्याणपूजा ६३ पंचमासचतुर्दशी व्रत पूजा ६४
श्री सुश्रुत--
सुश्रुत संहिता २६६ सूरत
बारहखडी ११, ३४. सेवाराम साह
चौबीसतीर्थकरपूजा ५६ मानज्ञान संग्राम ८५
धर्मोपदेश संग्रह सोमकीति
यशोधररास ३७४ प्राचार्य सोमकीति
सप्तव्यसन क्या २४१ प्रय म्न चरित्र २२१
यशोधर चरित्र २२० सोमतिलकसूरि
लघुस्तवन टीका ३०२ सोमदत्त
कर्मदहनपूजा ५७
: सोमदेव सूरि
यशस्तिलक चम्पू २५१ | सोमनाथ --
रसपीयूष ४२ सोमप्रभाचार्य
सूक्तिमुक्तावलि, २६ शृंगारवैराग्य तरंगिणी २८०
सिंदूर प्रकरण :४४ सोमसुन्दर
समवशरणस्तवन १ | सोमसूरि
श्राराधना कुलक | सोमसेन ---
पुरंदरनतोधापनपूजा ६२
पाश्वनाथ स्तवन १०६ सोमसेन ( भट्टारक)
त्रिवर्णाचार , १५५
पद्मपुराण १५, २१४ सौभाग्यगणि
प्राकृत दीपिका ( टीका) २५६ स्योजीराम
कवित्त महाकवि स्वयंभु त्रिभुवन स्वयंभु -
पउमचरित्र २४१ स्वरूपचन्द
सिद्धपूजा ६६ चौसठ ऋद्धि पूजा ५१, ३० त्रिलोकसार भाषा २८४ .-.:.::. . ऋषि ऋद्धिशतिक ३०२ . . बृहन्गुरावली पूजा ३१६ सहस्रनाम पूजा ३१८
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________________ स्वात्माराम योगीन्द्र -- हरप्रदीप 392 स्वामिकुमार द्वादशानुप्रेक्षा 10 हदयराम बाईसपरीषह 75 हयग्रीव प्रश्नावलि 36 | पं० हरिचन्द्रश्रनस्तमितिव्रताख्यान 352, 356, 361, 373 महाकवि हरिचन्द्र __धर्मशर्माभ्युदय 247 हरिनाथ वैद्यजीवन भाषा 34 हरिनाम मिन संस्कृतमंजरी 321 हरिभद्रसूरि षड्दर्शनसमुच्चय 13 योगदृष्टि 3.5 हरिषेणाचार्य कथाकोश 23. हानभान बारह अनुप्रेता नैषध चरित्र 248 हर्षकीति ज्योतिषसार 16, 124 सूक्ति मुक्तावली टीका 260 भक्तामरस्तोत्र का 266 . लधिविधान पूजा 316 कर्म हिंडोला 348 | हर्षकीर्ति धातुपाठ 27 योगचिंतामणि 32, 264 चतुर्गति लि 53, 5 बहलेश्याकवित्त 6 भजन व पदसंग्रह 76 पंचम गति की बेलि 83, 10 हर्पचन्द्र पचमीव्रतोद्यापनपूजा 64 खएड पूत्र 165 हपरत्न ' ताजिकशास्त्र टीका 272 / हर्षवर्धन अध्यात्म बिन्दु 158 हिङ्गनाथ योगरलावलि 33 हीराचन्द पदसंग्रह 268 पं० हीरानन्द पंचास्तिकाय माषा 144 समवशरण स्तोत्र 303 द्रव्य संग्रह भाषा 332 एकौमाव स्तोत्र 342, 366, 365 हेमाचार्य वह नाम सहस्र 263 ब्रह्म हेम श्रु तस्कंध 360, 398 M