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सिद्धान्त ]
विशेष—अमल ने प्रति
१३१ प्रति नः ४
सामान्य वेष्टन मं० ६५२
दिशा-अर्थ वेष्टन २०६४३ ।
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१३२ प्रति नं० ५ ० ११० साइज EX४ लेखन- १६०५ पूर्ण एवं शुद्ध
विशेष- स्मरपुर के महाराज जयसिंह के शासनकाल में प्रतिलिपि की गयी भी
३३ प्रति नं० ६ पत्र ०४४-१६४३ सेनकाल सं०] १६२१ फागुपू
शुद्ध व जी वेष्टन नं० ६५४१.
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की थी।
प
० ० -१२४ । पूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशा
विशेष सांगानेर में पं० रतनसी ने प्रतिलिपि की थी।
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१३४ प्रति नं० ७ पत्र ०४
पूर्व शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं ० ६५६ |
1
विशेष- कम्पास महाब्या ने प्रतिलिपि करवाई थी।
१३५ त्रिभंगीसार था० नेमिचन्द्र पत्र [सं० ४२११५
भाषा
विषय सिद्धान्त ।
वनाच्छ लेखनकाल अपूर्ण ३० से २४ तक के पत्र नहीं है। शुद्ध दश उद्यम वेष्टन नं ० ६५० ।
विशेष हिन्दी धर्म सहित है।
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पत्र से
१३६ विभंगीसार तपन साइज ०६१ रचना लेखनकाल सं० २६०१ पूर्ण एवं सामान्य शुभ्द दशा उत्तम वेष्टन मं० ६५५ ।
दिन नं० ७१४ ।
११३७
११ खनकाल- ०१००३ पौष २४ पूर्ण
४
९४० प्रति नं० २०६
१३० दशकालिक सूत्र
पत्र सं० ३५ | साइज - ११४४ इञ्च । भाषा - प्राकृत | विषय - श्रागम | रचना लेखनकाल पूर्ण १४ से ३६ तक पत्र हैं। सामान्य शुद्ध दशा-जीर्ण
वेष्टन नं० ७११।
विशेष- संस्कृत टीका सहित हैं ।
" पत्र सं०६४
१३८ दशवेकालिक सिद्धान्तवचूरि श्याम रचनाकाल X| लेखन x | पूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन नं ७११ १३६ द्रव्यसंग्रहाचार्य नेमिचन्द्र पत्र संसार | रचनाका लेखनकाल X पूर्व एवं शुद्ध
भाषा प्राकृत विषय सिद्धान्त
सा६६४ भाषा-संस्कृत
१०३४३ | भाषा-पाकृत विषयदशा सामान्य वेष्टनं०७१४।
११ इन्च लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य ।
१४१ प्रति नं० ३ । ०४१४५ इन्च । लेखनकाल X पूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशा
वेष्टन नं० ७१४ १