________________
२६६
विशेष विक्रमपुर में मुनि सुजानसिंह ने अपने पटने के लिये प्रतिलिपि की मी । " पत्र ०७ साइन- १२४२३
१०१२ माघ
१५६७ अनेकार्थध्वनि मंजरी कोश | रचनाकाल x [ लेखनकाल
वेष्टन नं ० १७ ॥
ク
विशेष - जयपुर में प्रतिलिपि की गयी थी ।
१५६ प्रति नं० २०१० - भाषण-संस्कृत विषयको रचना x नकाशा सामान्य वेष्ठन नं. १०१
१५६६ प्रति ० ३ ०१४२००४ च । भाषा-संस्कृत | रचनाकाल x | लेकाल अपूर्ण शुद्ध दशा सामान्य २०५४
१६०० अभिधानचिंतामणिनाममाला बाचार्य हेमचन्द्र पत्र सं० २०९ साइज १०४३ भाषा-संस्कृत | विपय- कोश ! रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण-६ कांड तक । सामान्य शुद्ध दशा-जीये | वेटन नं० ३० ।
विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है।
१६०१ प्रति नः २ | पत्र सं००६ | साइज - २०४८३ ६ । लेखनकाल x | तीसरे कांड तक पू सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन
१ ० २१ ।
माषा-संस्कृत | विपर
१ तृतीय अध्याय तक पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य
१६०२ प्रति नं ३ पत्र सं० १० साइज १४ च लेखनकाल | अपूर्ण शुद्ध दशासामान्य वेष्टन नं० २२ ।
१९०३ प्रति नं० ४ ०६-१०० फल पूर्व एवं शुद्ध दशा- जी ॥ वेष्टन नं० ३२ ।
विशेष- श्री इगर ने प्रतिलिपि की थी ।
२६०४ अमरकोश- अमरसिंह पत्र मं० ६० - ६४ इन्च भाषा-संस्कृत विषय कोश रचनाकाल । नेन४२ शुद्ध दशा सायम्य ब्रेटन नं० २३
विशेष-- खीमसी ऋषि के छोटे भाई नेतसी ने कोटा नगर में प्रतिलिपि को यो।
दशा-सामान्य | वेष्टन २४
१६०५ प्रति नं २ प ० १३ | साइज - ११३४
दशा- सामान्य वेष्टन नं० २५ ।
१६०६० ३। पत्र ४१६४२३ इन्च लेखनकाल सं० १८४२ पूर्ण एवं शुद्ध
विशेष-जयपुर में अपनी ने प्रतिशि की थी।
१६०० प्रति ० ४ पत्र
[ कोश
सामान्य | टन नं० २६ ।
ञ्ज । ले अनकंज़ × । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध !
३६-१२ X अपूर्ण एवं शुद्ध दश
6