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________________ नकासार विशेष [ संग्रह विजयाची कर्ता का नाम भाषा सुमतिकात्ति हिन्दी रखनाकाल सं० १६२७, २२२ पप २५३५ गुटका नं० २३० । पत्र सं. २०४ | साइज-'xइष | लेखन काल ४ | अपूर्ण एवं सामान्य । शुद्ध | दशा-जीर्ण । श्रीन के बहुत से पत्र नहीं है । येष्टन ०६:४ विशेष- कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं हैं । २५३६ गटका नं.२३१ । पत्र ! | साज-.x इत | लेखनकाल x। पूण एन शुद्ध। दशा-सामान्य । वेष्टन नं, २७०५ । विशेष-कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है । २५३७ गुटका नं० २३२ । पत्र सं० २० । साइज--x.५ इन्च । लेखन काल-सं. १७३६ श्रासोज मुदी १२ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-जीर्ण । वेष्टन नं०२४५२ । विशेष-कोई उल्लेखनीय सामना नहीं है। २५३८ गुटका नं० २३३ । पत्र सं० २० । साइज-७४'५ इञ्च ! लेखनकाल-सं. १७८२ फागुण बुदी २ । पूर्ण एक सामान्य शुद्ध । दशा-जीती नं० २६ विशेष -- गुटके में पूजा व स्तोत्र संग्रह ही है ! हिन्दी अर्थ सहित तत्वार्थ मूत्र है । २५३६ गुटका नं०२३४ । पत्र सं. ३० । साइज-४८ ! च । लेखनकाल ४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-जीगणं । बेष्टन में• २४६६ । विशेष- कोई उल्लेखनीय सामग्री नहीं है। २५४० गुटका नं०२३५ । पत्र सं० १६० । साइज-x: इम । लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं० २६१३ । विषय-सूर्ची परमात्मप्रकाश कर्ता का नाम प्रा. कुन्दकुन्द ৰিম प्राक्त शानभूषद श्रा नेमिचन्द्र प्राकृत जिनस्तुति पंचेन्द्रियवेलि कर्मप्रकृति पदसंग्रह पंचपरावर्तनविवरण दाटसोगाया संबोध पंचासिका गुणस्थान गाया पंथीगीत पूज्यपाद संस्कृत प्राकृत पा० नेमिचन्द्र স্থালি
SR No.090393
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size11 MB
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