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विशेष प्रति संस्कृत टीका सहित है। २०३६ सामायिक पाठ सूचनाकाल X। लेखनकात X पूर्ण एवं शुद्ध
विशेष – हिन्दी अर्थ भी दिया हुआ है।
पत्र
२०५० सामायिक पाठ श्री बहुमुनि पर ०१४ तो रचनाका । लेखनकाल X पूर्ण एवं शुद्ध दश-सामान्य - २०६४
प
० ४
दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २०१० १
२०४१ प्रति नं० २०२०
देश- सामान्य वेष्टन नं० २०१३ |
साइज - ११५६ भाषा-संस्कृत विषय
ई.
इ ।
वेष्टन नं० २०१३
पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध |
२०४२ सामायिकपाठ भाषा"" * पत्र [सं० २४ | साइज - १२६०० भाषा हिन्दी विषय-स्तवन । रचनाकाल x 1 लेखनकाल- सं० २००४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २०१४
३०५
- ११४ माषा-संस्कृत विषय स्तोत्र
२०४३ सामायिक पाठ भाषा जयचंदजी बाबड़ा । पत्र सं० ५२ । साइज - १०x४६ । भाषा - हिन्दी । विषय - स्तोत्र | रचनाकाल x । लेखनकाल-सं० १८६६ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २०१६ | २०४४ प्रति नं० २ । पत्र सं० ५ | साइज - १०३४४३ इन्च | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध | दशामान्यष्टनं० २०२०
२०४५ प्रति नं० ३ ० ५४ | साइज - १२८४ लेखनकाल २२० १००९ पूर्व एवं सामान्य दशा-सामान्य र्याकेट नं० २०१७ |
२०४६ प्रति नं ४ | पत्र सं० ४२ | साइज - ११३x६ इन्च | लेखनकाल x । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य वेष्टन नं० २०१० |
२०४७ सामायिक पाठ- सुखलाल पत्र संसाxx नाका-२०१८५१ | लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य वेप्टन नं० २०१६ |
२०५० प्रति नं० २ । पत्र ०६ मनं० २१६३ ।
भाषा हिन्दी विषय स्तोत्र ।
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विशेष पं० सुखसाली के समय जयपुर के दीवान पद पर बालचंदजी जादा थे उनके पुत्र रामचंदजी छाबड़ा का भी कवि ने उल्लेख किया है।
२०४८ सुगुरुशतक - जिनदास | पत्र सं० ६ | साइज - ११४५३ इञ्च । भाषा - हिन्दी | विषय-स्तोत्र | रचनाकाल सं०] १८६२ | लेखनकाश x पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम वेष्टन नं ० २१०४ ।
२०४६ स्वयंभूस्तोत्र - समन्तभद्राचार्य पत्र ०१७ साइज 8३x४ ३ भाषा-संस्कृत विषयरचनाकाल x लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा सामान्यननं० २१६३ ।
साइज - १०९५ इव । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा उत्तम ।