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________________ संग्रह ] चौबीसठाणा चौबीस तीर्थकरों के ६२ स्थान तीर्थंकर श्रा परिचय संसार सुख दुख पद सामान्य शुद्ध । दशा-जीए। वेष्टन नं० २६२४ । कर्ता का नाम विषय-सूची तेरहकाठिया समयसार सिन्दूरप्रकरणा समवशरण बनजारागीत शुद्ध । दशा - जी । वेष्टन नं ० २६३० ! विषय-सूत्री वैराग्य साइ टंडापारास मरत की वेलि द्वादशानुप्रेक्षा २५२७ गुटका नं० २२२ | पत्र सं० १८६ | साइज - १०x६ इव । लेखनकाल - सं० १०१७ | पूर्ण एवं बनारसीदास मरतबाहुबलि संवाद मुक्तिपैडी सामायिक समन्तभद्रस्तुति गर्म वडारचक संबोध चासिका द्वादशानुप्रेक्षा नेमीश्वर को वंश पंचनमस्कार स्तोत्र पदसंग्रह कर्ता का नाम मुनि देवराज मगौतीदास बनारसीदास प्राकृत संस्कृत अपभ्रंश २५२ गुटका नं० २२३ । पत्र सं० २०० | साइज - ७५ इव । लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं सामान्य देवनं दि योनीन्द्रदेव लक्ष्मीचन्द्र वल्हव उमास्वाति मम्म हिन्दी $3 92 भाषा हिन्दी 25 " 11 "3 23 32 33 अपभ्रंश हिन्दी संस्कृत 17 "3 ३७१ अपभ्रंश हिन्दी संस्कृत हिन्दी विशेष विशेष २५२६ गुटका नं० २२४ | पत्र सं० २६८ | साइज - ११४७ इञ्च | लेखनकाल सं०- १५३४ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन नं० २६३१ ।
SR No.090393
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size11 MB
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