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________________ सिद्धान्त ] १४० २२ प्रति नं ३ | प ० १६१ |इन । लेखनकाल X ! अनू-तीन प्रतियों का मिश्र है। सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | बेटन नं० १६६३ । २४३ सिद्धान्तसार काल × | लेखनकाल-सं० १७१६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं २०७६ । विशेष - प्रथम तीन पत्रों में त्रिलोकसार की गाथायें हैं बिहारीदास वाडा ने लिखवाया था । महात्मा इंगरसी ने लिखा था । २४४ सिद्धान्तसार - आचार्य सकलकोत्ति | पत्र सं० विषय - सिद्धान्त | रचनाकाल x | लेखनकाल X | श्रपूर्ण एवं शुद्ध २४५ प्रति नं० २ । पत्र सं० ३१२ साइज - ११६३ च । लेखनकाल - सं० १८३५ | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २०८७ | नथमल बिलाला कृत हिन्दी भाषा है । २४६ सिद्धान्तार्थसार - पं० रहनु । पत्र सं० १३५ | सिद्धान्त । रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १५६३ वैशाख मुदौ १३ । मं० २०६८ | लेखक प्रशस्ति विस्तृत है । भौमदिने कुरुजांगलदेशे श्री सुवर्णसुभदुर्गे पातिसाहि बन्चर मुगलु काविला तस्य पुत्र पातिसाहि हुमायू तस्व राज्यमाने काठाचे माथुरान्त्रये पुष्कगणे मुनि क्षेमकीर्ति - "एवं गुरणाम्नाये श्रोतकान्वये गर्गनोत्रे श्रसिवास एतेषांमध्ये साधु गूजर पुत्रा लिखापितं । योगिनोपुरि वास्तव्यं १ पत्र सं० १२ | साइज - १.१०९६ इन्च | भाषा प्राकृत | विषय - धर्म । रचना १०८१६६ | साइज - १२४६ ईन्च | भाषा-संस्कृत । दशा- सामान्य | केटन नं० २०८४ | २४७ सिद्धान्तसार - भंडारी नेमिचन्द्र । पत्र सं० २५ सिध्दान्त | रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १८१६ | पूर्ण एवं शुद्ध साइज - १०x इछ । माषा - अपभ्रंश | विषय - पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा जी । वेष्टन साइज - EX५ इन्च भाषा - प्राकृत विषयदशा जीर्ण । वेष्टन नं० २०७६ । विशेष – संस्कृत में अर्थ दिया हुआ हैं । पत्र १६ से पीछे लिखे गये हैं । इसका दूसरा नाम सिद्धान्तधर्मोपदेशरतमाला भी है। २४६ सिद्धान्तसारदीपक भ० सकलकीर्त्ति । पत्र सं० विषय - सिद्धान्त | रचनाकाल x | लेखनकाल- ६० १७२६ माघ सुदी बेष्टन नं २०८५ | २४८ सिद्धान्तसार 1 पत्र ० ७ साइज - ११४४३ इव । भाषा प्राकृत | विषय - सिद्धान्त | रचना काल X | लेखनकाल - सं० १५२५ ज्येष्ठ सुदी ४ । पूर्ण एवं सामान्य शब्द | दशा- सामान्य । श्रेष्टन नं० २०८० । विशेष- चालू ( जयपुर ) में खण्डेलवालान्वय साधु पाल्ही ने प्रम की प्रतिलिपि करवायी थी । २५६ | साइज - १०४५ इन्च । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । भाषा-संस्कृत 1 दशा - सामान्य | २५० प्रति नं० २ । पत्र सं० १५६ साइज - १२x६ च । लेखनकाल x । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध देशा- सामान्य । वेष्टन नं० २०८१ ।
SR No.090393
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size11 MB
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