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[ अध्यात्म
विषय-अध्यात्म
प्रन्थ संख्या-३०
१६ अध्यात्मबत्तीसी-महाकत्रि बनारसीदास । पत्र सं० २ । साइज 19x इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-अध्यान।। चनाकाल विकास x पूर्णए मुद्ध : पसा-सामान्य ! - नं० १३1
१०० आत्मानुशासन-याचार्य गुगाभद्र । भाषाकार पं टोडरमलजी । पत्र में 100 | साइज १०:४४ इञ्च 1 भाषा-संस्कृत हिन्दी । विषय-अध्यात्म | रचनाकाल ४ | लेखनलाल सं० १८२ वैशाख सुदी ।। पूर्ण एवं शुद्ध ।। दशा-सामान्य । चेप्टन नं.।।
विशेष----अन्य को पंडित लूगाकरखजी ने अामार्य गुगा कीति को भेंट किया था ।
१०१ जैनशतक-धरदास । पत्र सं० १७ | साइज =३४६ इन्न । भाषा-हिन्दी। विषय-वैराग्य । रचनाकालसं० १७८१ । लेखन काल-सं० २८३ । पूर्ण एवं अशुद्ध । दशा-जीर्ण । श्रेयन नं० ५५
१०२ द्वादशानुप्रेक्षा-स्वामीय मार ! पत्र सं० २३ । साइज १२xi इञ्च । भाषा-प्राकृत | विषय-अध्यात्म । रचनातरल । लेखनकाल-सं. १६:५ अषाढ बुदी ६। यपूर्ण-प्रारम्भ के दो पत्र नहीं हैं। दशा -सामान्य । बेष्टन नं. २
विशेष—प्रतिलिपिकार श्री पांडे सर्पणदास हैं ।
१०३ धर्मविलास--द्यानतराय । पत्र सं:-१५ । साइज-7:४६ इन्न ! भाषा-हिन्दौ । विषय-अध्यात्म ।। रचनाकाल-सं८ १७५= 1 लेखनकाल X । पूर्ण-उपदेश शतक तक । शुद्ध | दशा-सामान्य | वेष्टन नं0-७ |
विशेष---अन्त में कवि प्रशस्ति है । ग्रन्य की लिपि कराने में |||-|| व्यय हुये ऐसा भी उल्लेख है।
१०४ परमात्मप्रकाश-योगीन्द्र देव । पत्र सं-१० | साइज १०४४ इञ्च 1 भाषा-अपभ्रंश | विषय-अध्यात्म रचनाकाल X । लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं०-१५ ।
विशेष-संस्कृत में पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं ।
१०५ प्रति नं०२ । पत्र सं०-६४ | साइज-1-४५६ इन्न । लेखनकाल सं०-१७८६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । बेष्टन नं.-१०५ ।
विशेष प्रति सटीक है।
१०६ प्रति नं०-३। पत्र सं०-३६ । साइज़-१०४५३ हज | लेखन काल--X / पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य | वेष्टन 0-10 |
१०७ प्रति नं. ४ । पत्र सं०-१५ | साइज-१०४४ इश्व । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुक्र दशा-जीर्ण । वेष्टन नं०-१०।
विशेष—प्रति सटीक है।