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________________ २१४ [ पुराण है। सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेटन नं ० १७३ । विशेष-दो प्रतियों का सम्मिश्रण है | १००२ नेमिनाथपुराण-ब्रह्म नैमिदत्त । पत्र सं० ४७६ । साहज-१०४४३ इञ्च । माषा-संस्कृत । विषयपुराण । रचनाकाल x | लेखनकाला . १७८ ? बैशाख सुदी ११ ! पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । श्रेष्टन नं ०६१५ विशेष-हिन्दी टवा शंका सहित है । उदयपुर नगर में ब्रह्मरम के शिष्य ब्रह्म हीरा के पठनार्थ पुराण की लिपि हुई री । उस समय वहाँ महाराज संग्राम सिंहजी राज्य करते थे । बाषि मागचन्द ने प्रतिलिपि की मी । १००३ प्रति नं.। पत्र सं० ११ । साइम-१२४५१ इन्न । लेखनकाल-स. १७५: । पूर्ण एक सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य | वेटन नं. ३१६ | विशेष--दिवसा ( दौसा ) नगर में प्रतिलिपि की गयी थी। १८८४ प्रति नं. ३ । पत्र सं० १९८ | साइज-2१३४५ इञ्च ! लेखनकाल-सं० १६४२ प्रासोज सुदी १० पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं. 218 | विशेष-कुली ( जयपुर ) ग्राम में समस्त श्रावकों ने प्रतिलिपि करत्राफर मडलाचार्य नेमिचन्द्र को भेंट दिया था। १५०५ प्रति नं.४। पत्र सं० १६१ । साइज-११x१३ इञ्च । लेखनकाल-सं० १६४८ भादवा सुदी ८ | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन ० ६.२० । १०.६ प्रति नं.५। पत्र सं० १२३ । साहज-१1xs इन। लेखनकाल-सं० १८७१ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य | वेष्टन नं. ६२१ । विशेष--प्रतिलिपि जयपुर में हुई थी । १०.७ प्रति न०६ । पत्र स. १६० । साइज-१०६x४६ च । लेखनकाल-स. १७५१ भादवा बुदी ६ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. १२२ । विशेष-हिन्दी रचा टीका सहित हैं । उदयपुर में प्रतिलिपि की गयी थी। ब्रह्मराम के पठनार्य टीका की गयी थी। १००८ नेमिनाथ पुराण-भागचंद । पत्र सं० १३३ । साइज-२३४६३ इञ्च । मापा-हिं दो-गध | विषय-चरित्र । रचनाकाल-सं० १६०७ | लेखन काल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं. ६२३ । विशेष-प्रशस्ति दी हुई है । लेखक ने ६३ दिन में ही अन्म रचना समाप्त की भी ऐसा उल्लेख है । १००६ पद्मपुराण-रविषेणाचार्य । पत्र सं, ८३६ | साइज-१२४६ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-पुराण । रचनाकाल x | लेखनकाल-सं. १८२२ वैशाख सुदी १४ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं ० १७४ ।। विशेष-अंजमेर में खुशालचन्द ने प्रतिलिपि की मी ! १०१० पद्मपुराण-भट्टारक श्री सोमसेन । पत्र सं० १४७ । साइज-६३x६६ इन्च । मात्रा-संस्कृत । विषय-' पुराण । रचनाकाल X । लेखनकाल-सं० १७१६ असोज मुदी ५ ! पूर्व एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य । बेश्टन नं. ६७
SR No.090393
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size11 MB
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