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राजस्थान के जैन शास्त्र भण्डारों
ग्रन्थसूची
श्री दि० जैन मन्दिर लूणकरण जी पांड्या ( जयपुर ) के
ग्रन्थ विषय-सिद्धान्त एवं चर्चा
ग्रन्थ संख्या-५६ १ अनन्तकाय वनस्पति भेद......" । पत्र संख्या-४ | साइज--११४४३ इन्न । भाषा-प्राकृत । विषय-वनस्पति[ फाय के जीवों का वर्णन | रचना काल-- | लेखन काल-- । पूर्ण | दशा-सामान्य एवं शुद्ध । वेष्टन ने ०-१५ ।
विशेष-गामानों का हिन्दी में संक्षिप्त अर्थ दिया हुआ हैं। इसमें प्राकृत भाषा में त्रिषष्टिशलाका पुरुष वर्णन तथा | हिन्दी में तेरह काठिया वर्णन भी है। काठिया का लक्षण निम्न प्रकार से किया है
जेवटयारे वाट में करहिं उपद्रव जोर ।
तिनहिं देस गुजरात में कहहिं काठिया चोर ॥ २. अकर्मप्रकृति...... ! पत्र संख्या:-५ । साइज-१२४६ इञ्च ! भाषा-हिन्दी ! विषय-पाठ कनों की प्रकृतियों का वर्णन । रचनाकाल-~। लेखनकाल-x | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं०-१६ ।
३ श्रास्त्रवत्रिभंगी..." । पत्र सं०-५४ । साइज-११४५ इन्च । भाषा-संस्कृत । विषय-सिद्धान्त ] रचनाकाल | ! लेखनकाल ४ ! अपूर्ण-एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं०-२५६ ।
.. ४ प्रति नं.-२ । पत्र सं०-४६ । साइज़-१०x४ इश्च । लेखनकाल-X । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य । वेष्टन नं०-२५६ । ...:. ५ उत्तराध्ययन टीका-टीकाकार-कमलसंयमोपाध्याय । पत्र सं०-३०७ । साइज-१०x४ इश्च । माषा-संस्कृत । विषय-श्रागम । टीकाकाल सं० १५५४-४ लेखनकालX । अपूर्व-प्रारम्भ के २१ तमा ११२ से १४७ तक के पत्र नहीं हैं । सामान्य शुद्ध दशा-सामान्य । वेष्टन नं.-२६.1
६ कर्मकाण्ड-याचार्य नेमिचन्द्र | पत्र सं.-५३ । साइज-११४५ इञ्च । भाषा-प्राकृत | विषय-कों का विस्तृत विवेचन । रचनाकाल-X | लेखनकाल-सं० १८७२ पौष सुदी १४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-उत्तम । वेष्टन नं. ..।