________________
दुर्गसिंह
दुलीचंद
देल्ह
श्रात्मावलोकन १५= स्तुति ३५६
कातन्त्र व्याकरण महावृति २५६
देवनन्दि
देवनन्दि
चवीसी ३.७२
उपदेशरत्नमाला १५०
जैनागार प्रक्रिया १५५
धर्मदास दुलीचन्द्र का पत्र व्यवहार १५५
बाईस अभक्ष्य १६३
ज्ञानप्रकाश विलास १७६
विवाह पद्धति २०८
अत्रिम चैत्यालय वर्णन २६२, २०७ जैन यात्रा दर्पण २-३
मंदिर के शिलालेखों की मात्रा ३१६ हरसुखराय के मंदिर देहली की मयसूची
३१ε
मंदिर निर्माण विधि ३२६
सिद्धप्रियस्तोत्र ५३, ११२, ३३२, ३४४, २४६
४५७, ३५, ३६८, ३६१, ३६३, ३६५
जैनेन्द्र व्याकरण २५७
देवराज मुनि
लब्धिविधान उद्यापन ६ ६
रोहिणी विधान कथा २४० गर्भण्डार चक्र २७०,
देवसुन्दर सूरि
३४२, ३४६, ३७१
वैराग्यबाद ३६१
षट्दर्शनसमुच्चय वृत्ति २००
देवसेन
दर्शनसार ४, १२५, ३४६,३३६
श्रापद्धति १२, ८०, १६४
आराधनासार १४६, २४२, ३४५, २५६, २६
३०२, २७०३८६
भावसंग्रह १६५
नयचक १३६, २८६
तत्वसार ३३३, २४४, ३५६, ६२,
पं० देवीदास -
प्रवचनसार भाषा १८४
देवेन्द्रकीर्त्ति (भट्टारक )
गणि देवेन्द्र कौत्ति
चन्दनषष्टिकथा २१
व्रतकथाकोश २२
कवलचन्द्रायणपूजा ५७
कल्याणगुणमाला ५७
जिनसम्पत्तिमतपूजा ५ग्रेपन क्रियाविधान ६३ रवित्रतपूजा ६६
चन्द्रायणमत पूजा ३०६ द्वदशनतमंडलोद्यापन ३११
प्रद्युम्नप्रबन्ध २२६
व्रत कथा २४०
श्री देवेश्वर ( वाग्भट्ट सुत )
कविकल्पलता २१८
૩૦૭
पं० दौलतरामजी कासलीवाल -
३८४
तत्वार्थ सूत्र टव्वा टीका ( हिन्दी ) ३
चौबीस दण्ड ७,११, ३३६, ३६६