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________________ - FARMITTER १२४ प्रति नं । पत्र सं० १७ । साइज--१.१४.१६च : लेखन यात ४ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा.. सामान्य । वेष्टन नं. :२० विशेष—पात्र केशरी बामगर, अकलंकदेव, समंतभद्र, सनत्कुमार चक्रवर्ति, मंझयमनि की कथानों का संग्रह है। १२५० आराधनाकवाकोश'..."। पत्र स. ४० । साइज-११४४रम भाषा-हिन्दी । विषा:-कया।। रचनाकाल x | लेखनकाल ४ | अपूर्ण-समान्य शुद्ध । दशा-सामान्य : वेष्टन नं० १२ । १२५१ कथाकोश-हरिषेणाचार्य : पत्र सं १७ । साइज-१२४. इन्च | विषग-कथा । रचनाकाल* : ८६ लेखन काल ४ | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २१६ । विशेष ---१५- कयाओं का संग्रह है। १२५२ कथासंग्रह....."। पत्र सं. २२ । साइज-१?x. इन्न : भाषा-संस्कृत । विषय-संग्रह। रचनाकाल x 1 लेखनकाल x | अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-मामान्य 1 वेष्टन नं० २१ - १२५३ कलिकापंचमी कथा-श्री भद्रसेन | पत्र सं० १% | साइज-१०४४ च । भाषा--हिन्दी । विषयकथा ! रचनाकाल X । लेखनकाल–२० ११८८ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-सामान्य । वेष्टन मं० २५२ । विशेष-कथा श्वेताम्बर सम्प्रदाय की मान्यता के अनुसार है । प्रारम्भ के १: पत्रों तक राजा गजसिंह नरिय है।। इसको रचनाकाल-सं० १५५३ है। क्या का दूसरा नाम चंदनमलयगिरि कमा है । १२५४ चतुर्दशीकथा-टीकम । पत्र सं. २ ! साज-:०x४६ इन्न । माषा-हि-दो । विषय-कथा रचनाकाल-मं० १.१२ । लेखनकाल–स. १७६४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन ने० ३८५ | विशेष-देहली में यात्रार्य विमलकीचिं ने प्रतिलिपि की थी । इसका दूसरा नाम चतुर्दशी चौपई भी है । १२५५ चन्द्रहंस की कथा-टीकम । पत्र सं० ४४ । साइज-७:४४ इन ) भाषा--हिन्दी। विषय-कपा। रचनाकाल-सं० १३०.5 लेखनकाल-सं० १.८६ | पूर्मा एवं सामान्य शुद्र | दशा-जीर्ग वेटन नं० ३८६ । विशेष-- बखतराम के पुत्र दुलीचंद चौधरी ने गाजी के थाना में प्रतिलिपि की यरे। १२५६ चन्द्रायण्त्रतकथा ......! पत्र स८ ४ } साइज-१०:४ इश्व | माषा-संस्कृत । विषय-कथा ! रचनाकाल x | लेखन काल ४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-उत्तम । वेष्टन नं ३६६ | १२५७ चारमिन्त्रों की कथा-अजैराज । पत्र सं० ६ : साइज-,६४४ इञ्च । भाषा-हिन्दी। विषय-कथा ! | रचनाकाल-सं० १७८१ । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा-सामान्य ! वेश्टन नं ० ४१२ । १२५८ जम्बूस्वामीचरित्र-पांडे जिनदास । पत्र सं० १८ । साइज- इन्न । भाषा--हिन्दी । विश्वकया । रचनाकाल-सं. १६४२ । लेखनकाल-सं० १८२७ । पूर्व एवं सामान्य शुद्ध | दशा-मामान्य । वेष्टन नं० ४६३१ १२५६ त्रिकालचौवीसी कथा-अभ्रदेव । पत्र सं० १ | साइन-११४५ इन्च | भाषा-संस्कृत । विषय कथा : रचनाकाल x | लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा-सामान्य । वेष्टन नं ० ६४२ । विशेष-मुनि ज्ञानभूषण ने प्रतिलिपि की थी ।
SR No.090393
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size11 MB
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