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________________ [संग्रह] ] जिनवरदर्शन बालोचना पाठ भावनाबसीसी दोहा पाहुड स्वप्नाबली व मानस्तवन जिनकल्पमाला शानसार अनस्तमिति व्रताख्यान रामचन्द्र चरित्र विषय- तूची कनका बत्तीसी मेघकुमार गीत मुक्तावलिगीत सुनिसुव्रत चरित्र विषय-सूची पार्श्वनाथस्तोत्र पद्मनंदि २४६४ गुटका नं० १८६१ सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २६०० । कर्ता का नाम महावीर स्तुति चंदनकसूत्र श्रनिलप्रत्याख्यान श्रमितिगति उपवास प्रत्याख्यान प्रतिकमया नमस्कार श्रावक प्रतिक्रमण पार्श्वनाथस्तोत्र श्रजितशांति जिनस्तोत्र श्रजितशांतिलघुस्तोत्र शध BAA पं० हरिवंद संस्कृत प्रावृत संस्कृत श्रमयदेवसूरि | │ अपभ्रंश संस्कृत "3 發 प्राकृत 33 77 ० १५९ | साइज - ६८६ इव | लेखनकाल - सं० १७५८ | अपूर्ण ए भाष हिन्दी 35 » २४६५ गुटका नं० १६० । पत्र सं० १५४ | साइज - ६९५ इञ्च | लेखनकाल - २० १५५६ वैशाख सुदी १३ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य । वेष्टन नं. २६०१ । कर्ता का नाम " माथा प्राकृत संस्कृत प्राकृत * * * * * * * "" ३६१ 37 ९ 17 विशेष विशेष
SR No.090393
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size11 MB
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