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________________ ३५६ कृपणकवित्त पंचस्तोत्र मानवावनी सुप्पदोहा विषय-सूची अणस्तमितसंधि नूनडीरास सद्गुरूनामावलि २४०५ गुटका नं० १७० | पत्र सं० १३५ | साइज - ६५ इन्च । लेखनकाल - मं० १७२० | श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २५८४ | विषय-सूची कर्ता का नाम समयसार बनारसीदास भानबावनी वीरचरित्र मांति कर्म प्रकृति विषय-सूची देवागमस्तोत्र चतुर्विंशतिजिनस्तवन २४०६ गुटका नं० १७१ । पत्र सं० ६४ | साइज - ६४५ इन्च | लेखनकाल सं० १६२० पौष सुदी २ । अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २५३८ । कर्त्ता का नाम हरिचन्द्र विनयचन्द्र कर्ता का नाम समन्तभद्राचार्य परीक्षामुख जिनशतक समाधितन्त्र भाषा हिन्दी भाषा हिन्दी "2 अ " " संस्कृत नेमिचन्द्राचार्य २४७७ गुटका नं० १७२ | पत्र सं० १३५ | साइज - ७७ इञ्च । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० २५८५ | प्राकृत 53 प्राकृत भाषा " 93 माषा संस्कृत $9 32 23 23 23 17 माणिक्यनंदि समन्तमद्राचार्य पूज्यपाद २४७८ गुटका नं० १७३ | पत्र सं० १३१ | साइज - X४ इञ्च । लेखनकाल- सं० १५८० पौष सुदी ११ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य । वेष्टन मं० २५०६ | विषय-सूची कर्त्ता का नाम नागश्री कथा एकावलीवत कथा विशेष सं० १७२० फागुख सुदी ५ देवगिरि मध्य जगन्नाथ ने लिखवाया था। 1 संग्रह विशेष विशेष विशेष रचनाकाल सं० १७५० पच ४१७ पथ ७४
SR No.090393
Book TitleRajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKasturchand Kasliwal
PublisherPrabandh Karini Committee Jaipur
Publication Year
Total Pages446
LanguageHindi
ClassificationCatalogue, Literature, Biography, & Catalogue
File Size11 MB
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