Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur

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Page 407
________________ [ सं २५०२ गुटका नं० २६७ पत्र सं० १० साइज - ६x२ इन्च | लेखक- १७२१ एवं सामान्य शुद्ध । दशा- जी | वेष्टन नं० २५६६ । विषय-सूची का साम सुंदर श्रृंगार बारहमावा वृदचाणक्य राजनीतिशारप ३६८ शुद्ध दशा-सामान्य केट नं० २५१८ । विषय-पूर्वी मिथ्यात्वखडन बुद्धिविलास पदसंग्रह विषय-सूनी संह समयसार यपूजा रामचन्द्र वृद्धचाणक्य २५०४ गुटका नं० २६० २८२ साइज लेखनका ० १८२१ क्षेत्र एवं शुद्ध दशा-सामान्य ०२६९२ (क) | विषय-सूची जिपसम्परिपूजा सरवलय पुत्रा मोर पूजा विशेष कोई उलेखनीय सामग्री नहीं है। ले० सं० १८३१ २५७३ गुटका नं २६३०७८-७९१ इन लेखनकाल | अपूर्य एवं सामान्य तीस विधान कर्चा का नाम वख्तराम नवलकवि १ २५७५ गुटका नं० २०० ० ६७-२११ | साई लेखनकाल १७५० मादवा पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टन नं० २६६३ । विशेष - श्री पचाइन दास ने लिखा था । कर्ता का नाम माना हिन्दी 32 20 " भाषा हिन्दी भाषा हिन्दी 37 संस्कृत 26 बनारसीदास २५७६ गुटका नं० २७१ पत्र सं० २०२ | साइज - ७३७३ इन्च | लेखनकाल - सं० १८०० । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २६६५ । विशेष ग्रामे नम में महात्मा मानजी ने प्रतिलिपि की भी । कर्ता का नाम माषा संस्कृत " त संस्कृत विशेष ३५३ पच विशेष रचनाकाल १६२० १८२७ 13 विशेष विशेष सं. १८०.

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