Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur

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Page 430
________________ पद्मप्रभ सूरि पद्मनन्दि ( आचार्य) धर्मरसायन ७, १५५, ३८५ मुक्नदीपक २७३ जिनवरदर्शन स्तोत्र ६६५ पद्मप्रभमल धारिदेवपद्मनन्दि (मुनि) नियमसार टीका ३५७ पअनन्दि श्रावकाचार ८, १७२, ३६० पद्माकर कविदेवशास्त्रगुरुपूजा ३६५ ऋपय १०६ रत्नत्रयपूजा ३६५ भावना चौतीसो ३७२ पन्नालाल चौधरी योगसार १५ सारक ३७२ तेरह पंच खंडन १५ पद्मनन्दि सदमाषितावली २८७, पचनन्दिपंचविंशति ७१, १५७, ३६५, धम परीक्षा भाषा ३२२ करुणाष्टक १०७, २८६ परिमल्लएकत्व सप्तति १५० की चरित्र १६, २३१, ३-१ परमात्मराज स्तोत्र ३१६ परमहंस परिव्राजकाचार्यजिनवर दर्शन ३६१ मुहुर्च मुक्तावली २७३ भावनाचतुर्विशतिका ३३ लरमीस्तोत्र ३८५ पर्वतधर्मार्थी ग्य संग्रह भाषा १४१ गुर्वावली ३-५ सनाधितन्त्र माषा २०६, ३७६, ३८६ वीतराग स्तोत्र ३८५ यतिमावनाष्टक ३६ | पांडनकायस्थ पद्मनाभ . पांडव गीता १२० यशोधर चरित्र २२६ | पाणिनीपद्मसिंह ____ अष्टाम्पसी सूत्र २५६, ३८७ झानसार ३८५ । पात्र केशरीपद्मसुन्दर स्तोत्र ३०७ . शातिनामस्तवन ३१ पार्श्वचन्द्र सूरिपार्श्वनाथ चरित्र २२४ पद्मप्रभदेव --- पारसदास निगोत्या -- लक्ष्मीस्तोत्र ५१, ३०२, ३३५, ३३८, १४८ पार विलास १८ पार्श्वनाथ स्तोत्र २६६, ३५, ३८ ज्ञानसूर्योदयनाटक भाषा २५६

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