Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur

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Page 424
________________ जिनवरदास चित्रबंध दोहा ११५ ज्ञानमयोदय नाटक २५६ पद्मनंदिपंचविंशति । मावदीपक १६४ जिनलाभसूरिचतुर्विशति जिनस्तुति २६५ वान समुद्र १७६ प्रवचनसार १८३ । जिनवल्लभ सूरि प्रीतिंकर चरित्र :४५ संघ पट्ट २५५ वीरस्तवन ३०२ जाँहरीलाल। जिनसिंह सूरि चेतन विलास १७६ शालिभद्र चौपई ५१०, २३४, १६५ निदेह नेत्र के बीस तीर्थकरों की पूजा | जिनसेनाचार्य ज्ञानमेरु मुनि. हरिवंशपुराण २१५ कविमुखमंडन : जिनसेन जानकीर्ति ( भट्टारक) नेमिनाथरास २२४ यशोधर चरित्र १ | जिनसेनाचार्य ( वीर सेन के शिष्य ) ज्ञानभूषण ( भट्टारक) श्रादिपुराण १५, २०६ तत्वज्ञानतरंगिणी २, १३३ ऋषिमंडलपूजा ५५ जिनसहस्रनाम ४७, सरस्वतीपूजा ५४ ३६४, ६७८, ६ पोषह रास ३३. मायश्चित विधि १२३ जिनस्तुति जिन संहिता २०. षट्कर्मरास ३७६ जिनहर्ष सूरि ब्रह्म ज्ञानसागरमंगल गीत १४ हनुमतरास ३८० जीधराज ज्ञानेन्द्र सरस्वतोअनितस्तवन ४६ सिद्धान्त कौमुदी टीका २६४ श्री जैन टीकमहरिवंशपुराण माषा ३१६ चतुर्दशी कथा २३६ जैतराम बाफना चन्द्रहंस की कथा २१६ जैतराम विलास २१ देकचन्द्रजोधराजगोदीका पंचपरमेष्टिपूजा ६४, ३१४ सम्यक्त्व कौमुदी २२, ०४, २४२ । कर्मदहन पूजा ३०८

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