Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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विशेष
प्राकृत
[संबर विषय-सूची की का नाम
भाषा नागदमन की कया
किशन खंडेलवालों के चौरासी गोय सांगानेर की जखडी
० १७६८ में सहस्राणित आदित्यवार कया
पूजा हुई उसका वर्णन है। विशेष- इनके अतिरिक्त पृजा व स्तुति संग्रह है।
२४८५ गुटका नं० १८० । पत्र म | साइज-६४५ इन्च । लेखनकाल X । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध। दशा-जीर्ण । वेष्टन नं० २५३६ ।
विशेष-पूजा व स्तोत्रों का संग्रह है।
२४८६ गटका नं. १०१। पत्र सं १४३ । साइज-sxy च । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य सुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५६१ । विषय-सूची कर्ता का नाम
विशेष गोमसार चर्चा
प्राचार्य नेमिचन्द्र संबोधपंचासिका परमानंदस्तोत्र अनुप्रेक्षा पाणंदा
श्रानन्द कवि २४८७ गुटका नं. १८२ ! पत्र सं० १४६ | साइज-८१x६ इञ्च | भाषा-हिन्दी । लेखनकाल-सं १८२५ चैत्र बुदी १४ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध ! दशा-उत्तम । वेष्टन नं० २५३ ३ ।
विशेष-गुटके में चौथे काल में होने वाले १६६, महापुरूषों का विशेष वर्णन दिया हुआ है।
२४८८ गुटका नं० १०३ । पत्र सं. १४८ ! साइज-६४५ इन्च । लेखनकाल-सं० १५७० बैशाख सुदी . अपूा-प्रारम्भ के १० पत्र नहीं है । शुद्ध । दशा-सामान्य । वेष्टन नं० २५६४ । विषय-सूची कर्ता का नाम
भाषा इटोपदेश पूज्यपाद
संस्कृत द्वादशानुप्रेक्षा मुनि लक्ष्मीचंद्र
अपाश . अभुषानुप्रेता सूतक गामा दुर्लभानुप्रेक्षा ( मूलाचार का एक भाग) - सामायिक पाठ
संस्कृत