Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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१७०३ उन्मत्त भैरवो
रचनाकाल X ! लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा-जीवन नं० १७८ ॥
विषय - मंत्र तंत्रादि
ग्रन्थ संख्या - १२
पत्र सं०३७ साइज - १२४३ इन्च | भाषा - संस्कृत | विषय - मंत्रशास्त्र ।
१७०४
धवलय मंत्र
| साइज - ११५३ इन्च | भाषा-संस्कृत विषयमंत्रशास्त्र । रचनाकाल × । लेखनकाल - सं० १३१३ माह बुद्धी । श्रपूर्ण एवं शुद्र | दशा - सामान्य । वेष्टन नं० ३०६ ।
विशेष --- श्रन्य मंत्र मी हैं।
१७०५ ज्वालामालिनीकल्प - मूलकर्ता इन्दनंदि योगीन्छ । भाषाकार - चंद्रशेखर शास्त्री | पत्र सं० ५३ | साइज - १०x८ । भाषा-तस्कृत हिन्दी | विषय - मंत्रशास्त्र | रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १६६१ । पूर्ण एवं शुद्ध | दशा उत्तम | वेष्टन नं ० ५२३ ।
विशेष-- विषय सूची अतिरिक्त पत्रों में दे रखी हैं। श्री जमनालाल शर्मा ने तिलिपि की थी ।
१७०६ णमोकार कल्प' "1 पत्र सं
१
रचनाकाल × | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम
वेष्टन नं ० ५७४ |
हुआ है।
१७०७ प्रति नं० २ । पत्र मंत्र : 1 साइज
|
। भाषा - प्राकृत | विषय - मंत्रशास्त्र |
साइज - ११३८ वेष्टन नं ० ५७४ ३
इन्च । लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य ।
विशेष – १०८ बार णमोकार मंत्र लिखा हुआ है। दूसरे पत्र पर णमोकार मन्त्र विद्या सिद्धि के लिये लिखा
१७०८ मोकारकल्प-बहार सिंहनंदि पत्र ४ | साइज - ११५ भाषा-संस्कृत विषयमंत्रशास्त्र । रचनाकाल --स० १६६७ | लेखनकाल - सं० १६५६ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा उत्तम । वेष्टन नं० ५७५ । १७०६ भक्तामर स्तोत्र | पत्र ० ६६ । साइज - ११३८ इ | भाषा-संस्कृत | विषय - मंत्रशास्त्र । रचन:काल ×1 लेखनकाल-रॉ० १२.३६ वैशाख शुक्ला १२ | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १२१८ |
विशेष- प्रति मंत्र सहित है।
१७१० प्रति नं २ | पत्र सं० २०४७ | साइ- ८३x६ इव । लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १२६७
विशेष – प्रति मंत्र सहित है। मंत्रों के यंत्रों के खाके भी दिये हुये हैं ।
१७११ भक्तामर स्तोत्र''''
रचनाकाल × । लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा जीर्णे । वेष्टन नं० १२१३ |
पत्र सं० २ | साइज - १०३९५ इन्च | भाषा - संस्कृत | विषय - मंत्रशास्त्र |