Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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योग शास्त्र ]
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प्रति नं० ३ पत्र [सं०] १०१ - ११४ इन्च लेखनकाल | पूर्ण प्रथम पत्र नहीं है सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य बेटन नं० ५४२१
प्रति नं ४ | पत्र सं० १०३ | साइज - ११४४३ इञ्च | लेखनकाल x । श्रपूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य वेष्टन ०४४० |
प्रति नं० ५ सं० २००४- अपूर्ण एवं शुद्ध दशासामान्य । वेष्टन नं० ५४० ।
प्रतिनं ६ | पत्र सं० १०१ | साइज - १०३४४३ इ । लेखनकाल - स० १६१० माघ सुदी २ । पूर्ण एवं शुद्र | दशा - सामान्य जी | वेष्टन नं० ५४१ |
विशेष - तक्षकगढ में महाराजा श्री कल्याण के शासनकाल में खण्डेलवालान्वय बाकलीवाल गोत्र वाले सदस्य ने शास्त्र लिखवाया था ।
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६० प्रति नं० ७ पत्र १२१-१२४ इस लेखनकाल २०१०८४ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं ० ५४२ |
विशेष लेखक प्रशस्ति पर स्पाही की हुई है।
८६१ प्रति नं०
पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य वेष्टन नं० ४४२
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विशेष रामपुर में सुखदेव पाटनी ने लिखवाया या संन् १७६० में हरितनापुर से यह प्रय जयपुर भेजा गया । ८६२ प्रति नं० 1 पत्र सं० १४६ | साइज -~९१९५ इव । लेखनकाल - सं० १५६= कार्त्तिक सुदी ११ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्य बेटन नं० ४४४ |
विशेष - हिसार नगर में फिरोजसाह के शासनकाल में प्रतिलिपि की गयी थी।
३ प्रति नं० १० पत्र [सं०] १७ सा१००
सामान्य वेष्टन नं० ५४५ ।
पत्र सं० १३६ | साइज - ११x६ इञ्च । लेखनकाल - सं० १७२२ वैशाख सुदी २ |
सामान्य । वेष्टन नं ० ५४६ ।
लेखनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध । दशा
६४ प्रति नं० ११०५१-१२०५ इन लेखनकाल x पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा
८६५ प्रति नं० १२ । पत्र सं० १२१ | साइज - १६४५ इन्च | लेखनकाल - सं० १५६२ मंगसिर बुदी ३ | एवं शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन नं० ५४० ।
विशेष- इस प्रति को श्री सेमी ने मंडलाचार्य धर्मचन्द को भेंट में दी थी।
६६ प्रति नं० १३ पत्र सं० ११२ | साइन- १२५ च लेखनकाल सं० १६३७ मादवा सुदी ११ । शुद्ध दशा सामान्य वेष्टनं० ५४०