Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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१४७१ षट्कर्मोपदेशरत्नमाला - महाकवि श्रमकीर्ति । पत्र सं० १०० | साइज - १०९४३ इन्च | भाषाअपन श | विषय - काव्य | रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १५५२ मंगसिर बुदी ६ । पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन ० १७६ |
विशेष — प्रशस्ति अपूर्ण हैं और वह निम्न प्रकार हैं
रणस्यंमगढ वास्तव्ये राणा संग्रामराज्ये पार्श्वनाथ चैत्यालये खंडेलवालान्वये वैदगोत्रे''''''''''
[इतिहास]
१४७२ प्रति नं० २ | पत्र सं० ७ १०७ | साइज - १२x४ इञ्च | लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं शुद्ध । दशाजीर्थ । वेष्टन नं ० १७८७ ।
विषय - इतिहास
प्रन्थ संख्या -६
१४७३ खंडप्रशस्ति' काल x लेखनकाल x | पूर्ण एवं श्रशुद्ध १४७४ राजवंशवर्णन " रचनाकाल × । लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० १५३७ |
विशेष – भारत में होने वाले प्रायः सभी राजवंशों के नाम व शासनकाल दिये हुये हैं ।
| पत्र से० ३ | साहजे - ११४४३ इन्च भाषा संस्कृत | विषय - इतिहास | रचनादशा- जीर्णे । वेष्टन नं० ३०२ !
१ पत्र सं० २-६३ साइज - ६x४ इञ्च । भाषा-संस्कृत विषय - इतिहास |
१४७५ श्रुतस्कंध - हेमचन्द्राचार्य । पत्र सं ६ | साइज - १२४६ इन्च | भाषा - प्राकृत | विषय - इतिहास | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा-सामान्य | वेष्टन नं० १७६६ ।
१४७६ प्रति नं० २ | पत्र [सं० ६ | साइज - १३x६ इन्च | पूर्ण एवं शुद्ध | दशा उत्तम । वेष्टन नं० १७५६ १४७७ श्रुतावतार - पं० श्रीधर पत्र ०५ साइज - १० ३४४ ई इ | भाषा-संस्कृत | विषय - इतिहास | दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १७५८ ।
चिनाकाल >< | लेखनकाल x । पूर्ण एवं शुद्ध
१४७८ संघपट्ट - जिनवल्लभरि । पत्र सं० १२ । साइज - १२४३ इन्च | भाषा-संस्कृत | विषय - धर्म |
रचनाकाल - सं०] १० = ० | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य | वेष्टन मं० १८२७ ।
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विशेष – प्रति सटीक है। लेखक प्रशस्ति है ।