Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur

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Page 280
________________ व्याकरण ] १७७० १ १५१९०३ पत्र साइज ११४६ एवं शुद्ध दशा-उन I १५१२ प्रति नं० ४ सामान्य शुद्र दशा उत्तम वेष्टन नं० २०७० (8) १५१३ प्रक्रियाकौमुदी पाचार्य रामचन्द्र पुत्र ०६०। १०४३ समजे - १०४४३ इव । भाषा-संस्कृत | विषय-व्याकरण | रचनाकाल x | लेखनकाल x | पूर्ण एवं शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं ११३८ । -- ०४२ साइज - ११४५ इञ्च । लेखनका x 1 प्रथम अध्याय के द्वितीय पटल १५१४ प्रक्रियाकौमुदी - नृसिंहाचार्य | पत्र सं० १९७ | साइज - १२x४ ३६ मात्रा-विषयशुक्ला २ शुद्ध दशा-सामान्य रेष्टन नं० ११३ रचनाकाल देखना-०१६ विशेष पत्र सं०] [४०] से प्रारम्भ की गयी है। १२९४ प्राकृतदीपिका रचना लेखनासं०] १८७२ I पत्र २६८११ मा विषयक गुणा मुदी १० पूर्ण शुद्ध नं० १०२४ । विशेष प्रति संस्कृती सहित] है टीकाकार सोमाभ्यमणि है साई राम गोधा ने प्रतिलिपि की भी १५१६ प्रति नं २ प ० १०० १६३ | साइज - २०२४ = इव । लेखनकाल x अपूर्ण एवं शुद्ध । उत्तम नेननं १२२५ विशेष-संस्कृत टीका सहित है। सामान्य नं १२२१ २५६ १५१७ प्राकृतप्रकाश-१२ सय १६ इश रचनाकाल × | लेखनकाल- सं० २०४३ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा-लानान् । श्रेष्टन नं० १२२६ १५१ प्रति नः २०६ - सामान्य शुद्ध दशा सामन्य मं० १२२७ । माषा-संशय विषयवा १५१६ प्राकृतव्याकरण-यंत्रकर्षि पत्र सं० १६ । साइज - ११४४ इञ्न । भाषा वा 'रचनाकाल x लेखनका १२ चैत्र ११ पूर्ण एवं शुद्ध दशा सामान्य न० १२२= | १५२० प्रति म २०१८ - १२४६ देशासन वेष्टन नं० १२३२ । 1 इन नहीं है विषय-व्याकरण लेखनफल पूर्गा शुद्ध दशा १५२१ प्रति नं ३ ० १५१ साइज १०४ इन्च लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध राष्टननं० १२३० । १५२२ प्रति नं० ४० १४-११२ । लेखनकाल सं० १९५२ पूर्ण सामान्य 'शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं० १९३१ | २५२३ प्रति नं० ५ पत्र मं० ३१-१२-१४४ लेखनकाल पूर्व शुद्ध

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