Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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[ पुराण
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बालान्वय दोसी गोवाले साह श्री लोहर के वंश में थी कैसी ने इस पुराण की प्रतिलिपि करवाकर बा० खेमचन्द्रको की थी । प्रशस्ति में नानु संघी का भी उल्लेख ग्राम हैं । तथा उसके नाम के पूर्व जिनपूजापुरंदरात् संघभारपुर धरान् यात्रा प्रतिष्टाकरणकारावणसमर्थान् दान दानेश्वर श्रेयासविताराम् राजसभा गारहारात् " आदि विशेषण दिये हुये हैं ।
६६१ प्रति नं० ३ | पत्र सं० ४७५ | साइज - ११४५३ इब्च | लेखन काल-सं० १७८६ मादवा सुदी १ | पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य । वेष्टन नं ० ६६ |
विशेष- चार प्रकार की लिपियां हैं। श्री घासीरान ने सांभर में प्रतिलिपि को धी ।
६६२ प्रति नं० ४ । पत्र [सं० ६७६ । साइज - ११४४ इव । लेखनकाल- सं० १६४२ कार्तिक बुदी १३१ पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ६७ ।
विशेष - श्रमेर में महाराजा भगवंतदास के राज्य में रेखा अजमेरा को स्त्री राइब ने प्रतिलिपि करवायी थी । ६६३ प्रति नं ५ | पत्र [सं० ३०६ | साइज - १२९५ इ । लेखनकाल | पूर्ण - २८२ - ३०६ पूर्ण एव शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० ह
६६४ प्रति नं० ६ । पत्र सं० ३२७ | साइज - ११X५ इव । लेखनकाल । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य | वेन्टन नं० १३७७ ।
६६५ प्रति नं० ७ । पत्र सं० २६-५३३ | साइज - १२४५ इन्च । लेखनकाल । अपूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य | वेष्टन न० १३७८ ।
६६६ आदिपुराण - मट्टारक, सकलकीत्ति | पत्र सं० १०४ | साइज - १३५३ । भाषा-संस्कृत । विषयपुराण । रचनाकारत x | लेखनकाल - सं० २७०५ वैशाख सुदी २ । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य । बेष्टन नं० ६६ | विशेष - सांगानंर में गुजरमल पोहोकरण व्यास ने प्रतिलिपि की थी ।
६६७ प्रति नं० २ १ पत्र सं० १५१ | साइज - १२४५३ इञ्च । लेखनकाल × । श्रपूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा - सामान्य | वेदन नं० १०० |
६६६ प्रति नं ३ | पत्र सं० १४२ | साइज - १२ ई०६ इ । लेखनकाल x 1 पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १०१ ।
१६६ प्रति नं० ४ | पत्र सं० २३६ । साइज - १०४५ इञ्च । लेखनकाल x | पूर्ण- त्रुटित पत्र हैं। जीर्ण। वेष्टन नं० १०२ ।
६७० आदिपुराण भाषा - पं० दौलतरामजी पत्र सं० ७३४ | साइज - १०३४६३ इन्च | भाषा - हिन्दी गद्य विषय-पुराण | रचनाकाल - सं० १८२४ | लेखनकाल - सं० २०५४ मंगसिर सुदी ४ पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य । वेष्टन नं० १०४ ।
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विशेष- कामवननगर में सीनूराम छाबडा ने प्रतिलिपि करवायी भी तथा मोतीराम सेठी ने प्रतिलिपि की थी। प्रारम्भ के ३२ पृष्ठ दूसरी प्रति में से निकाल कर जोड़े गये हैं ।