Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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विशेष हिन्दी अर्थ सहित है। माषाकार बाबा बन्द है।
१६४ प्रति नं २६ । पत्र सं० दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ७०५ |
विशेष— दूसरे पत्र तक गायाथी के नीचे संस्कृत में टीका भी दी हुई है।
१६५ प्रति न० २७ पत्र सं० | साइज १०x४ दशा- उत्तम | वेष्टन १०७५
शेषाओं के ऊपर संस्कृत में टीका दी हुई है।
१६६ प्रति नं० २८०१३
मा
सामान्य । न मं ७७५।
साह - १०५ इन्च । लेखनकाल x | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
एवं शुद्ध | दशा सामान्य श्रेष्टन नं० ७०५ |
विशेष-जयपुर में टेकनन्द ने प्रतिलिपि की भी ।
विशेष संस्कृत में टीका दी हुई है।
१६७ प्रति नं० २६ ॥ पत्र ६०४ लेखन-२०१११२ पूर्ण
। लेखनकाल- सं० १७६३ |
१६ द्रव्यमं सटीक लाभानेमिचन्द्र टीकाकार श्री
इन्छ भाषा-प्राकृत-संस्कृत विषय सिद्धान्त रचनाका लेखनका सं० १९९३
सामान्य वेटन नं. ७२६ ।
पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा सामान्यष्टननं ७२३ ।
|
७० प्रति नं० ३
पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं ०७२४ ।
[
विशेष श्री कल्याण पहाड्या ने प्रतिलिपि की थी। १७१ प्रति नं० ४
[ सिद्धान्त:
१०४ काल X पूर्व एवं शुद्ध दशा
पूर्ण एवं शुद्ध
देव
नानार्थं हदं प्रम्यं सिखापित। लिखितं पं
१६६ प्रति नं० २ प ० १२१ साइज ११४ इ० २०११
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पत्र सं० १३-११
पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा
'
० १०३ साइज १२x६ च लेखनाल० १०० १०।
०१०५११४३ इन्न। लेखनकाल सं० १८६८ अषाद बुद्दी २१
पूर्ण एवं शुद्ध दशा - सामान्य वेष्टन नं० ७२४ |
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विशेष राजा वीरमदेव के राज्य में गोवाच दुर्ग पर लिपि हुई भी श्रोतकाम्यय साधु नरदेव पुत्री देवसिरी बसी पुत्र धनपाल
२७२ प्रति नं० ५। पत्र ०७६-१०-११४ लेखनकाल सं० १४८४ कार्ति अपूर्ण एवं सम्मान्य शुद्ध दशा सामान्य बैष्टननं०७२६
विशेष—- सारषपुर में यतिकान्त्रय गोयल गोत्र वाली प्रियवदा ने प्रतिलिपि करवायी थी ।
१७३ द्रव्यसंग्रह वृहद् वृत्ति" ॥ पत्र ६६ । साइज - ११५ इन्च | भाषा - प्राकृत संस्कृत विषय- सिद्धान्त रचनाकाल × । लेखनकाल × | पूर्ण एवं शुद्ध । अन्तिम पत्र नहीं हैं । सामान्य शुद्ध ! दशा - सामान्य । वेंश्टन नं ७२६ ।
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