Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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६१८ द्वादशानुप्रेक्षा दमौवन्द पत्र [सं० २ साहस- ११३६ द भाषा पत्र चितन रचनाकाल x | लेखनकाल - सं० १७३६ | पूर्ण एवं शुद्ध ! दशा - सामान्य | वेष्टन नं ० १४ । विशेष पं० लक्ष्मीदास ने प्रतिलिपि को थी ।
| पत्र [सं०
६१६ द्वादशानुप्रेक्षा साइज ११४४ रचनाकाल X I सेवनकाल x पूर्ण एवं शुद्ध दशा-सामान्य वेष्टननं० ७४५ ।
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६२० द्वादशानुप्रेक्षा"
काल X| लेखनकाल सं० १५५
ने नभ लिखवाया था।
सं० २० साइन-१६ इस भाषा प्राकृत विषय-संसार चिन १० पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- वेष्टन नं० ७४६ ।
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विशेष - कासिली नामक ग्राम में प्रतिलिपि हुई थी । खण्डेलवालान्वय माँसा गोत्र वाले श्री चाहा की पुत्री सीता
६२१ परमहंस चौपई"
रचनाकाल X। लेखनकाल x |
६२२ परमार्थ दोहा शतक रूपचंद पत्र [सं० ६
अध्यात्म | रचनाकाल x लेखनका
[
विषय संचार
-
मा विषयसंसार तिन ।
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पत्र सं०-१६ | साइज - १२४५ ह । भाषा - हिन्दी | विषय-अध्यात्म ॥
एवं शुद्ध दशा - सामान्य | वेष्टन नं० २०३२ ।
पूर्व एवं सामान्य शुद्ध दशा-जीकेटन नं० २०१४
पत्र०१२
साइज | |
६२३ परमार्थविशति - १९६६ च भाषा-संस्कृत विषय अध्यात्म | रचनाचल × | लेखनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा सामान्य । केन्टन नं० १५०८ ! विशेष - - इसके अतिरिक्त एकत्वभावना, अनिश्चय पंचाशत आदि भी हैं। ६२४ परमात्मप्रकाश-योगीन्द्रदेव पत्र संसा२०३६
|
इन्द !
भाषा-अप विषयआध्यात्म | रचनाकाल × । लेखनकाल - मं० १८२२ | पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य | वेष्टन नं० १०३५ ।
विशेष संस्कृत के पर्यायवाची शब्द दिये हुये हैं।
११३०३ एम माला-हिन्दी विषय
६२७ प्रति न० ४ पत्र ०१८ साइज ११x६
तथा अन्तिम पत्र नहीं है सामान्य युद्ध दशा-जर्थ वेष्टन नं. १०३८ ।
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६२५ प्रति नं० २ । पत्र सं० ७८ | साइज - ११४४ ६ च । लेखनकाल - सं० १८६४ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | इशा-उत्तर | वेष्टन नं० १०३३ ।
विशेष – संस्कृत में टीका है।
६२२ प्रति न० ३ ०६२ साइ-१२२ इन्च लेखनकाल X पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशासामान्य वेष्टन न० १०२० ।
विशेष-संस्कृत में टोका है।
लेखनकाल x १-११, २०-२२ क
६२८ प्रति नं० ५ पत्र सं० २६ | साइज - १२०५६ इन्च | लेखनका पूर्ण एवं शुद्ध दशा- सामान्य / वेष्टन नं० १०३८ ।
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