Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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Wr
१३२
७८ चर्चासंग्रह
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एवं शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन २०४१० ॥
विशेष सोम्मटसार, लमार, अपवार यादी की ७५ वर्षासंग्रह
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स्वम्-१० १०११ पूर्ण १६ नहीं है। समय-सामान्यननं० ४११
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विशेष संवद १७२१ वर्ष
नये दानामा लिखित मन्त्र
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७६ प XX शुद्ध
७७ धा
लेख १६
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शिक्षा | रचना
इशा वेधन २०३ |
विशेष-श्री
[ सिद्धान्द
पत्र सं० ३६ | साइज: २ - हिन्दी विषय वर्चा रचनाकाल x।
ॐ तत्त्वज्ञानतरंगिणी महार
641
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२०२१०
एवं शुद्ध ०५८१
७६ प्रति नं २ पत्र ३२-२२२ पूर्ण शुद्ध दशा सामन्य
g०२०१ |
३०२११२१४१ पूर्ण एवं शुद्ध
दशा सामान्य वै ।
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दिक पात
सत्मान्य | वेटन नं० २०२ ।
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४६०
सार- १९४२ मात्रा प्राकृत
समय
१० खनाल
चन्द्र ने प्रतिलिपि को यी ।
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है।
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विषय-धाम
दवेष्टन नं० २०६६
प्रति पूर्ण एवं सामान्य शुद्र ।
४ तरवसार देवसेन पत्र सं०१२-१३
हुश्च । भावा-संस्कृत ।
प्रति०५ सामान्य शुद्ध दशा
त्रमंड
प्रतिनं ६ | लेखनकाल । यखं एवं शुद्ध दशा सामान्य वेष्टन नं ० ५८२ |
का
भाषा - प्राकृत विषय सिद्धान्त ?
रचनाकाल × | सैम्बनकाल । पूर्ण एवं शुद्ध । दशा - सामान्य ) वेष्टन नं० ५== | स्वार्थरत्नप्रभाकर मुनि श्री प्रपत्र सं०] १९६४ त्रिषय-सिद्धान्त | रचनाकाल x | लेखनकाल - मं० १७०१ चैत्र वदी १२ सोमवार | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध । दशासामान्य | वेष्ठन नं०/
भाषा-संस्कृत ] इन्छ । 1