Book Title: Rajasthan ke Jain Shastra Bhandaronki Granth Soochi Part 2
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Prabandh Karini Committee Jaipur
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४४ प्रति नं० ७ । पत्र सं० २४-१०६ | साइज - १२X४३ इञ्च । लेखनकाल - सं० १५८३ भादवा सुदी ५ | अपूर्णं | दशा-सामान्य | वेष्टन नं० ३२१ |
विशेष प्रति सटीक हैं । टीका संस्कृत में है। चंपावती में प्रतिलिपि हुई थी । .
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सामान्य | वेष्टन नं ० ३२६ |
विशेष - प्रति टीका सहित हैं । टीका संस्कृत में हैं । पत्र सं० ६३ | साइज - १६६
४६ प्रति नं०
दशा- सामान्य | वेष्टन नं ० १५१ ।
दशा सामान्य । वेन्टन नं० ३२७ |
१ -५ इन्च | लेखनकाल x | पूरी एवं शुद्ध । दश!
विशेष – फुटकर पत्रों का संग्रह है । हिन्दी अर्थ सहित हैं ।
४७ प्रति नं ६ | मंत्र सं० २७२ | साइज - १०x४ इञ्च | लेखनकाल । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध |
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विशेष – प्रति सटीक है। टीकाकार भयचन्द्रमूरि
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सामान्य । वेष्टन नं ३२८ ।
इश्छ | लेखनकाल | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध
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४५ प्रति नं० १० | पत्र सं० १२३ | साइज - १२५३ इम् | लेखनकाल | पूर्ण एवं शुद्ध दशा
विशेष – संस्कृत में श्रन्वयार्थं दिया हुआ है।
४६ प्रति नं० ११ । पत्र सं० ५० | साइज - १०४ पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध दशा- सामान्य । वैष्टन नं ३२ |
५० प्रति नं० १२ | पत्र सं० ७८६ | साइज - १३४५ इन्च । लेखनकाल- सं० १५७६ । पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दशा - सामान्य | वेष्टन नं० ३३० |
विशेष प्रति सटीक हैं। टीकाकार-मयचन्द्रसूरि है । प्रतिलिपि नागपुर नगर में हुई थी । खण्डेलवाल जाति उत्पन्न पाउनी गोत्र वाले श्री लूना के पुत्र भरत एवं पौत्रादि जिनदास श्रादि ने प्रतिलिपि करवाई थी ।
५१ प्रति नं० १३ । पत्र सं० २६५ । साइज - १२÷४६ इञ्च । लेखनकाल X | पूर्ण एवं सामान्य शुद्ध | दुशा- सामान्य । वेष्टन नं० ३३१ |
विशेष – प्रति सटीक है। टीकाकार श्री सुमतिकीति है ।
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५२ प्रति नं० १४ । पत्र से० ५२६ | साइज - १३७ इञ्च । लेखनकाल x 1 अपूर्ण एवं शुद्ध । दशासामान्य | वेष्टन नं ० ३३२ |
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विशेष - प्रारम्भ के ४ पत्र फिर लगाये गये हैं । प्रति सटीक है।
५३ गोम्मटसार (कर्मकांड ) - श्राचार्य नेमिचन्द्र | पत्र सं० १२६ | साइज - १२० इन्च | भाषा - प्राकृतं