Book Title: Prakrit Path Chayanika Ucchatar Pathyakram
Author(s): B L Institute of Indology
Publisher: B L Institute of Indology
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________________ दशवैकालिकसूत्र आयारपणिही 1. आयारप्पणिहिं लद्धं, जहा कायव्व भिक्खुणा / तं भे उदाहरिस्सामि, आणुपुव्विं सुणेह मे // 1 // 2. पुढवि-दग-अगणि-मारुय-, तण-रुक्ख-सबीयगा / तसा य पाणा जीव त्ति, इइ वुत्तं महेसिणा // 2 // 3. पुढविं भित्तिं सिलं लेखें, नेव भिंदे न संलिहे / तिविहेण करणजोएण, संजए सुसमाहिए // 3 // 4. सद्धपढविए न निसिए, ससरक्खम्मि य आसणे / पमज्जित्तु निसीएज्जा, जाइत्ता जस्स ओग्गहं // 4 // 5. सीओदगं न सेवेज्जा, सिलावुलु हिमाणि य / उसिणोदगं तत्तफासुयं, पडिगाहेज्ज संजए // 5 // 6. इंगालं अगणिं अच्चिं, अलायं वा सजोइयं / न उंजेज्जा न घडेज्जा, नो णं निव्वावए मुणी // 6 // 7. तालियंटेण पत्तेण, साहाविहुयणेण वा। न वीएज्ज अप्पणो कायं, बाहिरं वा वि पोग्गलं // 7 //
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